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संसद में पहले भी मिल चुकी है नोटों की गड्डी, कभी 1 करोड़ कैश लेकर सदन में पहुंचे थे तीन सांसद

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राज्यसभा में 5 दिसंबर 2024 को कांग्रेस सांसद की बेंच से नोटों के बंडल मिलने का मामला सामने आया। गुरुवार को कार्यवाही के बाद सदन की जांच के दौरान ये गड्डी बरामद हुई। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने इसे गंभीर मामला बताया। साथ ही इसकी जांच कराने की बात कही है।फिलहाल नोटों की गड्डी मिलने की जांच की मांग की जा रही है। संदन में पैसे से जुड़ा ये कोई पहला विवाद नहीं है। पहले भी इस पैसे जुड़े अलग-अलग मामले आते रहे हैं। कभी सांसदों पर पैसे लेकर वोट देने का आरोप लगा तो कभी पैसे लेकर सवाल पूछने का आरोप लगा। कभी खुद सांसदों ने ही सदन में नोटों की गड्डियां लहराईं तो कभी पैसे लेकर राज्यसभा चुनाव में वोट डालने का आरोप किसी विधायक पर लगा।

22 जुलाई 2008 का वो दिन जब एक करोड़ कैश लेकर पहुंचे तीन सांसद

राज्यसभा हो या लोकसभा, सदन में सत्र की कार्यवाही के दौरान असहज कर देने वाली घटनाओं का पुराना इतिहास रहा है। ऐसा ही एक वाक्या है 22 जुलाई 2008 का, जब संसद का मानसून सत्र चल रहा था। 2008 में अमेरिका के साथ मनमोहन सिंह की सरकार ने न्यूक्लियर डील किया। इस समझौते के खिलाफ सीपीएम ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया, जिसके तुरंत बाद बीजेपी ने अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे दिया। संसद में इस अविश्वास प्रस्ताव पर खूब बहस हुई, लेकिन जब बारी वोटिंग की आई तो बीजेपी के 3 सांसदों ने नोट लहरा दिए। यह नोट तत्कालीन लोकसभा के स्पीकर सोमनाथ चटर्जी के टेबल पर लहराए गए।

बीजेपी के उन तीन सांसदों के नाम थे अशोक अर्गल, फग्गन सिंह कुलस्ते और महावीर भगोरा, जिन्होंने लोकसभा में एक करोड़ रुपए नकदी के बंडल टेबल पर रखकर दावा किया कि उन्हें यूपीए सरकार के सदस्यों द्वारा रिश्वत दी गई थी ताकि वो सरकार के विश्वास मत में उनका साथ दें। ये एक करोड़ रुपए उन्हें एडवांस के बतौर दिए गए जबकि 9 करोड़ रुपए और देने की बात कही गई। बस इतना सुनते ही सदन में भारी हंगामा शुरू हो गई. कार्यवाही बाधित हो गई। विपक्ष ने इसे लोकतंत्र पर “काला धब्बा” कहा। सरकार ने आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। इसे विपक्ष की साजिश बताया।

संसद की विशेष समिति ने इस मामले की जांच शुरू की। सीबीआई ने भी मामले की जांच की। भाजपा सांसदों, कांग्रेस नेताओं, और अन्य दलों के नेताओं से पूछताछ की गई। 2011 में सीबीआई ने अमर सिंह और अन्य पर आरोप लगाए, लेकिन ठोस सबूतों के अभाव में मामला ज्यादा आगे नहीं बढ़ सका। 2013 में, दिल्ली की एक अदालत ने अमर सिंह, भाजपा सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते और अन्य आरोपियों को जमानत दी। केस की लंबी प्रक्रिया के कारण इसमें कोई निर्णायक निष्कर्ष नहीं निकला।

जब शिबू सोरेन और उनके चार सांसदों पर लगे रिश्वत लेने के आरोप

इससे पहले 1991 में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी और पीवी नरसिम्हा राव देश के प्रधानमंत्री बनाए गए थे। चुनाव के करीब दो साल बाद जुलाई 1993 में नरसिम्हा राव सरकार को अविश्वास मत का सामना करना पड़ा। हालांकि, सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव 14 वोटों से गिर गया जब पक्ष में 251 वोट और विरोध में 265 वोट पड़े।

996 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के सांसद सूरज मंडल ने एक खुलासा किया। मंडल के मुताबिक 1993 में पैसे बंटने की वजह से राव की सरकार बच पाई। मंडल का कहना था कि सरकार बचाने के लिए एक-एक सांसदों को 40 लाख रुपए दिए गए थे। शिबू सोरेन और उनके चार सांसदों पर तत्कालीन पीवी नरसिम्हा राव सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ वोट देने के लिए रिश्वत लेने का आरोप लगा था। अल्पमत में रही नरसिम्हा राव सरकार उनके समर्थन से अविश्वास प्रस्ताव से बच गई। इसके बाद भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (पीसीए) के तहत एक शिकायत दर्ज की गई जिसमें आरोप लगाया गया कि अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ वोट करने के लिए कुछ सांसदों को रिश्वत दी गई थी।आगे चलकर यह मामला देश की सर्वोच्च अदालत पहुंच गया, लेकिन केस में सभी आरोपी बरी हो गए

ट्रंप ने बढ़ाई 'ड्रैगन' की टेंशन! इसे चीन में नियुक्त किया अमेरिकी राजदूत

#donaldtrumpelectedamericagovernorinchina

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई सरकार वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन सरकार के अंतर्राष्ट्रीयवाद के दृष्टिकोण से बिल्कुल अलग काम करने जा रही है। ऐसा डोनाल्ड ट्रंप के हालिया फैसले के बाद कहा जा सकता है। डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति का चुनाव जीतने के बाद से लगातार अपनी टीम बनाने तैयारी में लगे हैं। इसी कड़ी में उन्होंने चीन को लेकर भी पत्ते खोल दिए हैं। ट्रंप ने जॉर्जिया डेविड पर्ड्यू को चीन में एंबेसडर के लिए नॉमिनेट किया है।

ट्रंप ने गुरुवार को फैसले की जानकारी दी। अलजजीरा की रिपोर्ट के अनुसार ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में कहा, “फॉर्च्यून 500 के सीईओ के रूप में, जिनका 40 साल का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार करियर रहा है और जिन्होंने अमेरिकी सीनेट में सेवा की है। डेविड चीन के साथ हमारे संबंधों को बनाने में मदद करने के लिए बहुमूल्य विशेषज्ञता लेकर आए हैं। वह सिंगापुर और हांगकांग में रह चुके हैं और उन्होंने अपने करियर के अधिकांश समय एशिया और चीन में काम किया है।”

पर्ड्यू की नियुक्ति के लिए अमेरिकी सीनेट की मंजूरी की आवश्यकता होगी, लेकिन उनके अनुमोदन की संभावना है, क्योंकि सदन में रिपब्लिकन का बहुमत है। राजदूत के रूप में पर्ड्यू को शुरुआत से ही चुनौतीपूर्ण कार्यभार का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि ट्रम्प अमेरिका को चीन के साथ एक व्यापक व्यापार युद्ध में ले जाने के लिए तैयार हैं।

अभी हाल ही में ट्रंप ने अवैध अप्रवास और ड्रग्स पर लगाम लगाने के अपने प्रयास के तहत पदभार संभालते ही मैक्सिको, कनाडा और चीन पर व्यापक नए टैरिफ लगाने की धमकी दी है। उन्होंने कहा कि वह कनाडा और मैक्सिको से देश में प्रवेश करने वाले सभी उत्पादों पर 25 प्रतिशत कर लगाएंगे और चीन से आने वाले सामानों पर अतिरिक्त 10 प्रतिशत टैरिफ लगाएंगे, जो उनके पहले कार्यकारी आदेशों में से एक है।

इसके बाद वाशिंगटन स्थित चीनी दूतावास ने इस सप्ताह के प्रारंभ में चेतावनी दी थी कि यदि व्यापार युद्ध हुआ तो सभी पक्षों को नुकसान होगा। दूतावास के प्रवक्ता लियू पेंगयु ने एक्स पर पोस्ट किया कि चीन-अमेरिका आर्थिक और व्यापार सहयोग प्रकृति में पारस्परिक रूप से लाभकारी है। कोई भी व्यापार युद्ध या टैरिफ युद्ध नहीं जीतेगा। उन्होंने कहा कि चीन ने पिछले साल नशीली दवाओं की तस्करी को रोकने में मदद करने के लिए कदम उठाए थे।

धमकियों पर कितना अमल करेंगे ट्रंप?

यह स्पष्ट नहीं है कि क्या ट्रंप वास्तव में इन धमकियों पर अमल करेंगे या वे इन्हें बातचीत की रणनीति के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। अगर टैरिफ लागू किए जाते हैं, तो अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए गैस से लेकर ऑटोमोबाइल और कृषि उत्पादों तक हर चीज की कीमतें नाटकीय रूप से बढ़ सकती हैं। सबसे हालिया अमेरिकी जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका दुनिया में वस्तुओं का सबसे बड़ा आयातक है, जिसमें मेक्सिको, चीन और कनाडा इसके शीर्ष तीन आपूर्तिकर्ता हैं।

ट्रंप की चीन विरोधी टीम!

इससे पहले भी ट्रंप ने मार्को रूबियो और माइक वाल्ट्ज जैसे नेताओं को नई सरकार में अहम भूमिका के लिए चुना है। ये दोनों ही नेता चीन के विरोधी माने जाते रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप चीन के प्रति सख्त रुख की नीति पर ही काम करने जा रहे हैं।

दिल्ली चुनाव से पहले बड़ी संख्या में वोटरों के नाम कटे, केजरीवाल का बीजेपी पर गंभीर आरोप

#arvind_kejriwal_attacked_the_election_commission_and_bjp

दिल्ली के पूर्व सीएम और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भाजपा पर बेहद गंभीर आरोप लगाया है।अरविंद केजरीवाल ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें उन्होंने भाजपा पर आम आदमी पार्टी के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि भाजपा दिल्ली के वोटरों के नाम लिस्ट से कटवा रही है। दिल्लीवासियों से मतदान का अधिकार छीनने की कोशिश कर रही है।

केजरीवाल का आरोप है कि दिल्ली में भाजपा गुपचुप तरीके से वोट कटवा रही है। भाजपा की योजना एक विधानसभा क्षेत्र से करीब 6 प्रतिशत वोट कटवाना है। भाजपा दिल्ली की वोटर लिस्टों में धांधली करने के हरसंभव प्रयास कर रही है। चुनाव आयोग को वोट कटवाने की एप्लिकेशन भेजी जा रही हैं और हर एप्लिकेशन भाजपा के लेटर हेड पर है। जिस पर भाजपा के पदाधिकारियों को हस्ताक्षर भी हैं। केजरीवाल ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भाजपा ने शाहदरा, जनकपुरी, लक्ष्मी नगर और अन्य सीट पर हजारों मतदाताओं के नाम हटाने के लिए भारत निर्वाचन आयोग में आवेदन दाखिल किए हैं।

केजरीवाल ने कहा कि शाहदरा विधानसभा में एक महीने में भाजपा ने 11 हजार 18 वोट कटाने की एप्लीकेशन दी है। इस एप्लिकेशन में वोटर लिस्ट से इतने लोगों का नाम कटवाने की वजह यह बताई गई कि इतने लोग या तो मर चुके हैं या दिल्ली से कहीं और शिफ्ट हो चुके हैं। इतने लोगों को वेरिफाई करना मुश्किल है, लेकिन जब आम आदमी पार्टी ने इनमें से रैंडम 500 लोगों को वेरिफाई किया तो उनमें से 372 लोग वे मिले, जो अभी भी दिल्ली के ही निवासी हैं और भविष्य में भी दिल्ली में ही रहने वाले हैं। शहादरा में एक लाख 86 हजार वोटर्स हैं। 11000 लोग मतलब 6 प्रतिशत वोट, जिन्हें भाजपा कटवाना चाहती है। पिछला विधानसभा चुनाव आप ने शहादरा से 5294 वोट लेकर जीता था।

आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा, पिछले चुनाव में शाहदरा विधानसभा सीट पर ‘आप’ ने करीब 5,000 मतों से जीत हासिल की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि अब उस निर्वाचन क्षेत्र में करीब 11,000 मतदाताओं के नाम हटाए जा रहे हैं और इनमें से अधिकतर मतदाता ‘आप’ समर्थक हैं। केजरीवाल ने निर्वाचन आयोग से शाम तक सभी आवेदनों को अपनी वेबसाइट पर अपलोड करने का आग्रह किया ताकि पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके।

दिल्ली जाने पर अड़े किसान, एंट्री की जिद पर आंसू गैस के गोले दागे गए

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किसान आंदोलन के चलते 101 किसानों का जत्था दिल्ली जाना चाहता था। हालांकि किसानों के पास इसकी परमीशन नहीं है। इसको देखते हुए पुलिस ने भी पुख्ता इंतजाम किया है। पुलिस ने सुरक्षा को देखते हुए बॉर्डर के आसपास बैरिकैडिंग कर दी है। हालांकि, किसान अपनी जिद्द पर अड़े हैं। जिसके बाद हरियाणा-पंजाब शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया है।

रास्तों पर लगे लोहे की कीलों को किसान ने हटाया

किसानों को हरियाणा की तरफ से वापस जाने की अपील की जा रही है। वहीं किसानों का कहना है कि हमें अपनी राजधानी में जाने के लिए अनुमति की जरूरत नहीं है। हरियाणा पुलिस की तरफ से किसानों को रोकने के लिए लोहे की कीलें लगाई गई हैं। यह कीलें सीमेंट में गाड़ रखी हैं ताकि गाड़ियां आगे ना जा सकें। किसान कंटीले तारों को रास्ते से हटा रहे हैं ताकि वे अपनी गाड़ियों को वहां ला सकें। किसानों को कहना है कि हरियाणा सरकार हमें न रोके, हमारी लड़ाई केंद्र सरकार से हैं।

किसानों की वीडियोग्राफी

हरियाणा की और से लगातार किसानों की वीडियोग्राफी की जा रही है। मौके पर घोषणा भी की गई कि सरकारी संपत्ति का नुक्सान न करो, पुलिस कार्रवाई की जाएगी। किसान आगे बढ़ने को अडिग हैं।

या तो सरकार दिल्ली आने दे या फिर बात करे, बोले किसान नेता सरवन सिंह

शंभू बॉर्डर पर किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा, "हमें शांतिपूर्वक दिल्ली की ओर जाने दिया जाए या फिर हमारी मांगों पर हमसे बात की जाए। किसानों की तरफ से बातचीत के दरवाजे खुले हैं। हम कहते रहे हैं कि अगर सरकार बात करना चाहती है तो हमें केंद्र सरकार या हरियाणा या पंजाब के सीएम ऑफिस का पत्र दिखाए। हम चाहते हैं कि केंद्र सरकार हमारी मांगें मान ले। उन्हें हमें दिल्ली में प्रदर्शन करने के लिए जगह देनी चाहिए। अंबाला में इंटरनेट सेवाएं बहाल करनी चाहिए। या तो हमें दिल्ली जाने दिया जाए या फिर हमसे बात की जाए।"

भारत' विरोधी मोहम्मद यूनुस हर बीतते पल के साथ दिखा रहे तेवर, अब बांग्लादेश में शेख हसीना के भाषणों पर प्रतिबंध

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बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बुधवार को पहली बार मोर्चा संभालते हुए, देश में अल्पसंख्यकों के कथित उत्पीड़न को लेकर अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस पर तीखा हमला किया था। शेख हसीना ने कहा था कि देश की बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस अल्पसंख्यकों की रक्षा करने में विफल रहे हैं। यही नहीं, हसीना ने आरोप लगाया कि यूनुस ने हिंदुओं के नरसंहार में सक्रिय रूप से भाग लिया। साथ ही अपने पिता शेख मुजीर्बुर रहमान और बहन शेख रेहाना की हत्या की साजिश रचने का भी आरोप लगाया। जिसके बाद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के भड़काऊ भाषणों के प्रसारण पर रोक लगा दी है।

बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) ने बृहस्पतिवार को अधिकारियों को मुख्य धारा की मीडिया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के सभी ''घृणास्पद भाषणों'' के प्रसार पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया। न्यायाधिकरण पूर्व प्रधानमंत्री के विरुद्ध दर्ज मानवता के खिलाफ अपराध के विभिन्न मामलों की सुनवाई शुरू करेगा।

सोशल मीडिया से भी हसीना के भाषणों को हटाने का आदेश

बांग्लादेश संगबाद संस्था के मुताबिक न्यायाधीश एमडी गोलाम मुर्तजा मौजूमदार की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने एक आदेश जारी किया। आदेश में अधिकारियों को हसीना के भड़काऊ भाषण को सोशल मीडिया से हटाने और भविष्य में इसके प्रसार को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए। अभियोजक अधिवक्ता अब्दुल्लाह अल नोमान ने कहा कि न्यायाधिकरण ने आईसीटी विभाग, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और बांग्लादेश दूरसंचार नियामक आयोग को आदेश का पालन करने के निर्देश दिए। अभियोजक ने दायर याचिका में कहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के भड़काऊ भाषणों को हटाया जाए। क्योंकि गवाहों और पीड़ितों को डर लग सकता है या जांच में बाधा आ सकती है।

क्या कहा था हसीना ने?

बांग्लादेश के ट्रिब्यूनल का फैसला न्यूयॉर्क में वीडियो लिंक के जरिये हुए हसीना के संबोधन के बाद आया है। हसीना ने न्यूयॉर्क में मौजूद अपने समर्थकों को भारत ही से वीडियो लिंक के जरिये संबोधित किया था। हसीना ने अपने संबोधन में बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस पर सामूहिक हत्या का आरोप जड़ा था।न्यूयॉर्क में एक कार्यक्रम में वर्चुअल संबोधन में उन्होंने मोहम्मद यूनुस पर 'नरसंहार' करने और हिंदुओं समेत अल्पसंख्यकों की रक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगाया था। उन्होंने दावा किया था कि उनके पिता शेख मुजीबुर रहमान की तरह ही उनकी और उनकी बहन शेख रेहाना की हत्या की योजना बनाई गई थी। उन्होंने कहा था कि अल्पसंख्यकों पर यह अत्याचार क्यों किया जा रहा है? उन्हें बेरहमी से क्यों सताया जा रहा है और उन पर हमला क्यों किया जा रहा है? लोगों को अब न्याय का अधिकार नहीं है... मुझे कभी इस्तीफा देने का समय भी नहीं मिला। शेख हसीना ने कहा कि उन्होंने हिंसा को रोकने के उद्देश्य से अगस्त में बांग्लादेश छोड़ दिया था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

हसीना के खिलाफ कम से कम 60 मुकदमें दायर

हसीना को इस साल जुलाई व अगस्त में विरोध प्रदर्शनों और उसके बाद हुए विद्रोह के दौरान नरसंहार व मानवता के खिलाफ अपराध के आरोपों में आईसीटी में दायर कम से कम 60 मुकदमों का सामना करना पड़ेगा। अभियोजन पक्ष की टीम ने हाल की परिस्थितियों के मद्देनजर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी, जिसके बाद न्यायमूर्ति मोहम्मद गुलाम मुर्तुजा मजूमदार की अगुवाई वाले तीन सदस्यीय न्यायाधिकरण ने आदेश दिया।

सिर्फ 500 रुपए का नोट लेकर संसद जाता हूं...', नोटों की गड्डी मिलने पर अभिषेक मनु सिंघवी की सफाई

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राज्यसभा में कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी की सीट के नीचे कथित तौर पर नोटों की गड्डियां मिलने के मामले में आज जमकर हंगामा हुआ। सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन को बताया कि सुरक्षा अधिकारियों ने कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी की सीट पर नकदी की गड्डी पाई है। राज्यसभा में नोटों की गड्डी मिलने के मामले ने तूल पकड़ता दिख रहा है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इसे गंभीर मुद्दा बताते हुए जांच की मांग की। उधर, अभिषेक मनु सिंघवी ने भी इस मामले में सफाई दी। उन्होंने कहा, ये नोटों की गड्डी मेरी नहीं है। मैं संसद में सिर्फ 500 रुपये लेकर पहुंचता हूं।

क्या बोले सिंघवी?

राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि वे यह सुनकर वो "हैरान" हैं। उन्होंने कहा, मैं जब भी राज्यसभा जाता हूं तो 500 रुपये का एक नोट साथ लेकर जाता हूं। अगर सुरक्षा एजेंसियों में कोई कमी है तो उसे भी पूरी तरह उजागर किया जाना चाहिए। मैंने इसके बारे में कभी नहीं सुना। मैं कल दोपहर 12.57 बजे सदन के अंदर पहुंचा। सदन से दोपहर 1 बजे उठा। दोपहर 1 से 1:30 बजे तक मैं अयोध्या प्रसाद के साथ कैंटीन में बैठा और लंच किया। दोपहर 1:30 बजे मैं संसद से चला गया। इसलिए कल सदन में मेरा कुल ठहराव 3 मिनट का था और कैंटीन में मेरा ठहराव 30 मिनट का था, 3 मिनट में ये कैसे हुआ।

तेलंगाना से राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अगर इस तरह से सांसदों की सीट पर कुछ भी रखा जाने लगा, तो शायद उनकी सीट को लॉक रखना जरूरी हो जाएगा। इस बात की जरूरत पड़ जाएगी कि सांसद के बैठने की जगह को कांच के एनक्लोजर से बंद कर दिया जाए और उस एनक्लोजर की चाबी सांसद के पास ही रहने दी जाए।

सभापति जगदीप धनखड़ ने क्या कहा

इससे पहले सभापति जगदीप धनखड़ ने आज सदन में बताया कि कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी की सीट के पास राज्यसभा कक्ष में 500 रुपये के नोटों की गड्डी पाई गई। सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन को सूचित किया कि 5 दिसंबर, 2024 को सदन के स्थगित होने के बाद, कक्ष की नियमित तोड़फोड़ विरोधी जांच के दौरान, सदस्य अभिषेक मनु सिंघवी की सीट पर नोटों की एक गड्डी पाई गई थी। उन्होंने कहा कि मामले की जांच चल रही है।

मल्लिकार्जुन खरगे ने जताई आपत्ति

राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ ने जैसे ही नोट मिलने की बात कही, विपक्षी सांसदों ने हंगामा शुरू कर दिया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा,'जब तक मामले की जांच चल रही है और सब कुछ स्पष्ट नहीं हो जाता, तब तक आपको (सभापति) उनका (अभिषेक मनु सिंघवी) नाम नहीं बोलना था।

दोनों पक्षों को निंदा करनी चाहिए-नड्डा

इस मसले पर केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि मैं चाहता हूं कि जांच होनी चाहिए और डिटेल आनी चाहिए। यह सदन की गरिमा पर कुठाराघात है। मुझे विश्वास है कि सही जांच होगी।मुझे उम्मीद थी कि हमारे विपक्ष के नेता भी विस्तृत जांच की मांग करेंगे। विपक्ष को हमेशा सद्बुद्धि रखनी चाहिए।स्वस्थ मन और स्वस्थ भावना के साथ विवरण सामने आना चाहिए। दोनों पक्षों को इसकी निंदा करनी चाहिए।

भारत और कुवैत संबंध: एक विस्तृत विश्लेषण

भारत और कुवैत के बीच एक मजबूत और दीर्घकालिक संबंध है, जो व्यापार, ऊर्जा, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और श्रम सहयोग के कई क्षेत्रों में फैला हुआ है। दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंध समय के साथ बढ़े हैं, विशेष रूप से भारत के कुवैत में बड़े प्रवासी समुदाय और ऊर्जा सुरक्षा की बढ़ती आवश्यकता के कारण।

आर्थिक और व्यापारिक संबंध

भारत कुवैत का एक प्रमुख व्यापारिक साझीदार है, और द्विपक्षीय व्यापार हाल के वर्षों में नए उच्चतम स्तर पर पहुंच चुका है। व्यापार संबंध मुख्य रूप से पेट्रोलियम उत्पादों के इर्द-गिर्द केंद्रित हैं, क्योंकि कुवैत भारत का एक प्रमुख कच्चे तेल आपूर्तिकर्ता है। इसके बदले में, भारत कुवैत को मशीनरी, रसायन, वस्त्र और खाद्य उत्पादों का निर्यात करता है। हाल के आंकड़ों के अनुसार, कुवैत भारत के तेल आयात का एक प्रमुख स्रोत है, और यह ऊर्जा संबंध भारत की बढ़ती ऊर्जा आवश्यकता के लिए महत्वपूर्ण हैं।

2023 में, दोनों देशों के बीच व्यापार का वॉल्यूम $5 बिलियन से अधिक पहुंच गया था, जो एक निरंतर वृद्धि को दर्शाता है। दोनों देश अपनी आर्थिक साझेदारी को विविध बनाने की दिशा में कदम उठा रहे हैं, खासकर अवसंरचना, सूचना प्रौद्योगिकी और शिक्षा के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए।

श्रम और प्रवासी कार्यबल

भारत का प्रवासी समुदाय कुवैत में सबसे बड़े विदेशी समुदायों में से एक है, जिसमें कुवैत में लगभग 9 लाख भारतीय नागरिक निवास करते हैं, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान करते हैं। कुवैत में भारतीय श्रमिकों की अधिकांश संख्या निर्माण, घरेलू काम, स्वास्थ्य देखभाल और खुदरा जैसे क्षेत्रों में कार्यरत है। भारतीय श्रमिकों की सुरक्षा और कल्याण भारतीय सरकार के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय है, और भारतीय सरकार कुवैती अधिकारियों के साथ मिलकर अपने नागरिकों के अधिकारों और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही है।

2024 में, भारत और कुवैत ने श्रम समझौतों को बढ़ाने पर चर्चा की है ताकि प्रवासी श्रमिकों के लिए बेहतर सुरक्षा प्रदान की जा सके और मानव संसाधन विकास में सहयोग बढ़ाया जा सके। दोनों देश कुवैत में भारतीय प्रवासियों को शैक्षिक और व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करने पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

रणनीतिक और सुरक्षा सहयोग

कुवैत भारत के लिए मध्य-पूर्व में एक महत्वपूर्ण सहयोगी देश रहा है, विशेष रूप से क्षेत्रीय सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी सहयोग के संदर्भ में। दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी हाल के वर्षों में मजबूत हुई है, जिसमें दोनों पक्षों ने खाड़ी क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने के महत्व को रेखांकित किया है।

भारत और कुवैत कई सुरक्षा और रक्षा मुद्दों पर सहयोग कर रहे हैं, जिसमें आतंकवाद विरोधी, समुद्री सुरक्षा और आपदा राहत शामिल हैं। दोनों देशों के अधिकारियों के बीच नियमित उच्च-स्तरीय दौरे इस सहयोग को और सुदृढ़ करते हैं।

सांस्कृतिक और जन से जन संपर्क

सांस्कृतिक आदान-प्रदान भी द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर कुवैत में अत्यधिक सराही जाती है, और वहां भारतीय सांस्कृतिक महोत्सव, कला प्रदर्शनियाँ और बॉलीवुड कार्यक्रम नियमित रूप से आयोजित होते हैं। इसके अलावा, भारतीय व्यंजन कुवैत में एक प्रमुख सांस्कृतिक निर्यात है, और कुवैत में भारतीय संस्थाओं, स्कूलों और सांस्कृतिक केंद्रों की उपस्थिति जन से जन संपर्क को बढ़ावा देती है।

2024 में, दोनों देशों ने इन सांस्कृतिक आदान-प्रदानों को बढ़ाने में रुचि दिखाई है, ताकि आपसी समझ और सम्मान को बढ़ावा दिया जा सके।

हाल की घटनाएँ और भविष्य की संभावनाएँ*

हाल के महीनों में, वैश्विक भू-राजनीतिक बदलावों के संदर्भ में रणनीतिक और आर्थिक साझेदारी को बढ़ावा देने पर एक नया जोर देखा गया है। कुवैत में अवसंरचना और प्रौद्योगिकी में बढ़ते निवेश के कारण, इन क्षेत्रों में भारतीय कंपनियों के लिए बढ़ते अवसर हैं। इसके अलावा, दोनों देश हरित ऊर्जा, विशेष रूप से सौर ऊर्जा में सहयोग की दिशा में भी काम कर रहे हैं, जो उनके स्थायी विकास के प्रति प्रतिबद्धता का हिस्सा है।

भारतीय सरकार कुवैत के साथ राजनीतिक संबंधों को भी मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि दोनों देश वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर एक साथ काम कर सकें, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर।

भारत और कुवैत के बीच रिश्ते आपसी मित्रता, सम्मान और सहयोग पर आधारित रहे हैं, और इन दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में व्यापार, सुरक्षा, संस्कृति और मानव विकास के क्षेत्रों में और अधिक उपलब्धियाँ प्राप्त करने की संभावना है।

राज्यसभा में कांग्रेस सांसद की सीट से मिलीं नोटों की गड्डियां; जांच की मांग पर सदन पर जमकर हंगामा

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राज्यसभा में कांग्रेस सांसद की सीट के नीचे नोटों की गड्डी मिलने का दावा किया गया है। इसको लेकर सदन में जोरदार हंगामा हो रहा है। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कांग्रेस सासंद अभिषेक मनु सिंघवी की सीट के नीचे से नोटों की गद्दी मिलने का दावा किया। उन्होंने कहा कि कल सिक्योंरिटी चेक के दौरान सिंघवी की सीट के नीचे से नोट की गड्डी मिली। धनखड़ ने कहा कि सीट नंबर 222 से नोटों की गड्डी बरामद हुई। नोट मिलने का मामला बेहद गंभीर है।

सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन को सूचित किया कि 5 दिसंबर, 2024 को सदन के स्थगित होने के बाद, कक्ष की नियमित तोड़फोड़ विरोधी जांच के दौरान, सदस्य अभिषेक मनु सिंघवी की सीट पर नोटों की एक गड्डी पाई गई थी। उन्होंने कहा कि मामले की जांच चल रही है। इस घोषणा से सदन में हंगामा शुरू हो गया। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच विपक्षी सदस्यों के आचरण को लेकर बहस हुई।

इस मसले पर केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि किसी पर तीव्रता दिखाओ और किसी मुद्दे पर मिट्टी डालो। मैं सोच रहा था एलओपी बड़े सीनियर नेता हैं और वह कहेंगे कि मामले की जांच होनी चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं कहा उन्होंने। मैं चाहता हूं कि जांच होनी चाहिए और डिटेल आनी चाहिए।

इससे पहले सदन में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि सभापति को इस मामले की जांच करनी चाहिए।मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती है, हमें किसी भी सदस्य का नाम नहीं लेना चाहिए। इस पर सभापति ने कहा कि वे इस भावना की सराहना करते हैं। लेकिन सदन में बहस के दौरान लगभग हर दिन इसका उल्लंघन होता है।

11वीं बार भी नहीं घटा रेपो रेट, ईएमआई पर क्या होगा असर?

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रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने देश के आर्थिक विकास की रफ्तार की गति के धीमे पड़ने के बाद मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक में बड़ा फैसला लिया है। तीन दिन तक चली मौद्रिक नीति समिति की बैठक में हुए फैसलों को गवर्नर ने शुक्रवार को जनता के सामने रखा। पिछली 10 बार की बैठकों से अपरिवर्तित रहे रेपो रेट पर इस बार भी कोई फैसला नहीं हुआ, गवर्नर ने सारा जोर महंगाई को काबू करने पर दिया और अर्थव्‍यवस्‍था में तेजी लाने के लिए कैश रिजर्व रेशियो 0.50 फीसदी घटा दिया है, जो अब 4 फीसदी हो गया।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने पॉलिसी रेट का फैसला सुनाते हुए कहा कि रेपो रेट को फ्रीज रखा जाएगा। इसका मतलब है कि आरबीआई ने लगातार 11वीं बार ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। आखिरी बार ब्याज दरों में बदलाव फरवरी 2023 में किया था। जब ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी की थी। उसके बाद से रिजर्व बैंक की ओर ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के अनुसार मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने 4-2 बहुमत से ब्याज दर को 6.5% पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया, जबकि एसडीएफ दर 6.25% और एमएसएफ दर 6.75% पर बनी हुई है। केंद्रीय बैंक का रुख तटस्थ बना हुआ है। एमपीसी ने सर्वसम्मति से इस तटस्थ नीति रुख को बनाए रखने पर सहमति व्यक्त की, जो वर्तमान आर्थिक स्थितियों के प्रति सतर्क दृष्टिकोण का संकेत देता है।

शक्तिकांत दास ने कैश रिजर्व रेश्यो (सीआरआर) में में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती का एलान किया है। सीआरआर को 4.50 फीसदी से घटाकर 4 फीसदी कर दिया है। कैश रिजर्व रेश्यो में कटौती को दो चरणों में लागू किया जाएगा। इससे बैंकिंग सिस्टम में 1.16 लाख करोड़ रुपये का एडिशनल कैश आएगा।

सीआरआर किसी बैंक की कुल जमाराशि का वह प्रतिशत है जिसे उसे आरबीआई के पास नकदी के रूप में रखना होता है। सीआरआर का प्रतिशत आरबीआई द्वारा समय-समय पर निर्धारित किया जाता है। बैंकों को इस राशि पर कोई ब्याज नहीं मिलता है।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के अनुसार जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर उम्मीद से कम 5.4 प्रतिशत रही। दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था में मंदी का संकेत देने वाले संकेतक समाप्त हो गए हैं। दास के अनुसार,आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के आर्थिक वृद्धि दर अनुमान को 7.2 प्रतिशत से घटाकर 6.6 प्रतिशत किया है। उन्होंने कहा कि दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था में सुस्ती का संकेत देने वाले संकेतक अब समाप्त होने की स्थिति में हैं। एमपीसी की बैठक के बाद आरबीआई गवर्नर ने कहा कि खाद्य पदार्थों की कीमतों में लगातार दबाव रहने से तीसरी तिमाही में मुद्रास्फीति ऊंची रहने की संभावना है। उन्होंने कहा कि रबी उत्पादन से राहत मिलेगी।

एमपीसी बैठक के बाद गवर्नर ने कहा कि आम आदमी को महंगाई से राहत दिलाना हमारी प्राथमिकता है, लेकिन देश की ग्रोथ रेट भी जरूरी है। लिहाजा एमपीसी ने अपने नजरिये को अब न्‍यूट्रल बना लिया है, जिसका मतलब है कि जैसा आगे माहौल होगा, उसी के हिसाब से रेपो रेट या फिर बैंकों के लोन रेट में कटौती की जाएगी। गवर्नर ने चिंता जताई कि तीसरी तिमाही में भी महंगाई से कोई राहत मिलती नहीं दिख रही और चौथी तिमाही से ही जाकर इसमें कुछ नरमी आएगी। खास बात तो ये है कि ये बैठक आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के कार्यकाल की आखिरी बैठक है। उसके बाद फरवरी में होने वाली बैठक में नए गवर्नर दिखाई दे सकते हैं।

आज किसानों का दिल्ली कूच, बॉर्डर पर बैरिकेडिंग, चप्पे-चप्पे पर पुलिस का पहरा

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पिछले 8 महीने से शंभू बॉर्डर पर धरना दे रहे किसान संगठन एक बार फिर दिल्ली कूच करने के लिए तैयार हैं। एमएसपी लागू करने व अन्य मांगों को लेकर 297 दिन से बॉर्डर पर डटे किसान शुक्रवार दोपहर एक बजे शंभू बॉर्डरों से पैदल दिल्ली कूच करेंगे। किसानों ने इसे 'दिल्ली चलो' आंदोलन नाम दिया है। शंभू-खनौरी बॉर्डरों पर करीब 10 हजार किसान जमा हो गए हैं। इन्हें रोकने के लिए हरियाणा ने दोनों बॉर्डरों पर अर्द्धसैनिक बलों की 29 कंपनियां तैनात की गई हैं। किसानों के दिल्ली मार्च के मद्देनजर पुलिस ने अंबाला-दिल्ली सीमा पर सुरक्षा कड़ी करते हुए बैरिकेडिंग कर दी है।

ये दिल्ली चलो आंदोलन किसान नेता सरवन सिंह पंधेर और जगजीत सिंह डल्लेवाल के नेतृत्व में हो रहा है। अपने फैसले के बारे में बात करते हुए पंधेर ने कहा,'हम यहां पिछले 8 महीनों से बैठे हैं। हमारे ट्रैक्टरों को मॉडिफाइड कहकर हम पर आरोप लगाया गया, इसलिए हमने अब पैदल दिल्ली जाने का फैसला किया है। किसानों के आंदोलन को हरियाणा के खाप पंचायतों और व्यापारिक समुदाय सहित व्यापक समर्थन मिल रहा है।'

101 किसानों का जत्था दिल्ली जाएगा

किसान आंदोलन में शुक्रवार को दिल्ली कूच से पहले अंबाला के शंभू बाॅर्डर पर सुबह दस बजे किसानों ने अरदास की है और श्री गुरु ग्रंथ साहिब को लेकर स्टेज की तरफ गए हैं। यहां पर पुलिस बल की तैनाती भी की गई है। किसान दोपहर बाद दिल्ली जाएंगे। 101 किसानों का जत्था दिल्ली जाएगा। इसमें बुजुर्ग किसानों को शामिल किया गया है।

मार्च में शामिल होंगे ये किसान नेता

आज शंभू बॉर्डर से दिल्ली की ओर किसानों का पहला जत्था रवाना होगा। इस जत्थे में किसान नेता सतनाम सिंह पन्नू, सुरिंदर सिंह चौटाला, सुरजीत सिंह फूल और बलजिंदर सिंह शामिल होंगे। ये जत्था जरूरी सामान लेकर दिल्ली रवाना होगा और शांतिपूर्ण मार्च करेगा। पहला जत्था अंबाला के जग्गी सिटी सेंटर, मोहरा अनाज मंडी, खानपुर जट्टन और हरियाणा के पिपली में रुकने के बाद दिल्ली की ओर बढ़ेगा। आज जत्था 1 बजे रवाना होगा, लेकिन रोजाना किसान 9 बजे सुबह से शाम 5 बजे तक चलेंगे और रात सड़क पर बिताएंगे।

कई किसान नेताओं ने दिल्ली मार्च से बनाई दूरी

किसानों के दिल्ली मार्च से संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने खुद को अलग कर लिया है. भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के चीफ गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा,'हमसे संपर्क नहीं किया गया और न ही हमसे सलाह ली गई, इसलिए अब तक हमने किसी भी मार्च में भाग लेने की कोई योजना नहीं बनाई है. हमने पहले भी समर्थन देने की कोशिश की थी, लेकिन चीजें ठीक नहीं रहीं. वे अपने हिसाब से फैसले ले रहे हैं और हमारी तरफ से कोई हस्तक्षेप नहीं होगा.' ऑल इंडिया किसान सभा (AIKS) के नेता हन्नान मोल्लाह का कहना है कि SKM इस विरोध मार्च में शामिल नहीं है.

किसानों के दिल्ली कूच को लेकर सतर्क हुई दिल्ली और हरियाणा पुलिस

किसानों को रोकने के लिए हरियाणा पुलिस ने एहतियातन शंभू बॉर्डर पर सात स्तरीय बैरिकेडिंग कर दी है। सीमेंट की दीवारों के साथ लोहे की कीलें व कंटीली तार लगाई गई है। इनके अलावा वाटर कैनन वैन व आंसू गैस के गोले फेंकने वाले ड्रोन से सुरक्षा चक्रव्यूह और मजबूत किया गया है। हरियाणा पुलिस ने आगामी आदेश तक पुलिस कर्मियों की छुट्टियां भी रद्द कर दी हैं। दातासिंहवाला बॉर्डर पर पुलिस ने नाकाबंदी की है। इन दोनों सीमाओं से आम लोग आवागमन नहीं कर पाएंगे। सिर्फ ट्रेन के जरिये ही लोग पंजाब जा सकते हैं। इसके अलावा पंजाब से सटे कैथल, कुरुक्षेत्र, सिरसा और फतेहाबाद की सीमाओं पर पुलिस ने चाैकसी बढ़ा दी है। हालांकि अभी यहां से लोगों का आवागमन जारी है। सिरसा के मलोट, बठिंडा और मुसाहिबवाला बाॅर्डर पर एसपी विक्रांत भूषण ने सुरक्षा प्रबंधों का जायजा लिया। पुलिस जवानों की मॉक ड्रिल भी करवाई गई। सिरसा व जींद में भी धारा 163 लागू कर दी गई है। अंबाला में एक दिन पहले ही धारा 163 लगाई जा चुकी है।