*केंद्रो पर नहीं बंट रहा पोषाहार, 13 हजार मासूम कुपोषण के शिकार* *तीन महीने से केंद्रों पर पोषाहार न आने से बढ़ी परेशानी आक्रोश*
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। बच्चों को स्वस्थ और खुशहाल बचपन देना सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है। इसके बाद भी जिले में पिछले तीन माह से आंगनबाड़ी केंद्रों पर न तो पोषाहार बंट रहा है, न ही अन्य कोई आहार। ऐसे में बच्चे आंगनबाड़ी केंद्रों पर आते हैं और लौट जाते हैं। कुपोषण से ‘जंग’ सिर्फ कागजों में और जुबानी चल रही है। इससे कुपोषित बच्चों की संख्या भी पहले से करीब एक हजार अधिक बढ़ गई है। करीब 20 लाख की आबादी वाले जिले में शून्य से पांच वर्ष के तक के बच्चों की संख्या एक लाख 25 हजार के करीब है। इन बच्चों का बचपन स्वस्थ रखने के लिए भोजन के साथ आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से पूरक आहार देने की योजना है। जिले में संचालित कुल 1496 आंगनबाड़ी केंद्रों पर पोषाहार वितरण के साथ ही हाटकुक्ड योजना लागू है। जहां से बच्चों संग गर्भवती और धात्री महिलाओं को पोषण आहार दिया जाता है। इसके बावजूद भी कुपोषण पर लगाम नहीं लग पा रही है। कुपोषण पर लगाम भी कैसे लगे पिछले तीन महीने से आंगनबाड़ी केंद्रों पर पोषाहार भी नहीं आ रहा है। इससे बच्चों संग धात्री महिलाओं को केंद्रों पर आकर बैरंग वापस लौटना पड़ रहा है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से अभिभावकों का विवाद भी अक्सर हो जाता है। आईसीडीएस विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो अक्तूबर 2024 में आयोजित वजन दिवस में 1111 बच्चे मैम, 5054 सैम और सात हजार के करीब कुपोषित बच्चे मिले हैं। यही नहीं 1800 किशोरियों में खून की कमी भी पाई गई। 10 बेड का एनआरसी, भर्ती सिर्फ दो बच्चे बच्चों के कुपोषण को खत्म करने के लिए जिला अस्पताल ज्ञानपुर में पोषण पुनर्वास केंद्र बनाया गया है। आंगनबाड़ी केंद्रों से गंभीर अति कुपोषित बच्चों को भर्ती किया जाता है। 10 बेड का केंद्र कभी कभार ही भरता है। कभी दो तो कभी तीन बच्चे ही यहां पहुंचते हैं। बुधवार को केंद्र की पड़ताल हुई तो सिर्फ दो बच्चे भर्ती मिले। यहां पर मार्च 2023 से 2024 तक 170 बच्चे और अप्रैल 2024 से चार दिसंबर तक 124 बच्चे भर्ती हुए। केंद्र के चिकित्सक डॉ. मुजम्मिल ने बताया कि गंभीर कुपोषित बच्चे को 21 दिन और नार्मल को 14 दिन रखा जाता है। तीन महीने में कुपोषित बच्चों का आंकड़ा माह मैम सैम अति कुपोषित अगस्त 4520 1520 4500 सितंबर 4859 1740 4999 अक्तूबर 5054 1111 7021 एक नजर आईसीडीएस विभाग आंगनबाड़ी केंद्र- 1496 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता- 1320 बच्चों की संख्या - 1,25, 805 पूर्व के वर्षों की अपेक्षा कुपोषित बच्चों की संख्या में काफी कमी आई है। एक दशक पहले यह संख्या 30 से 35 हजार तक रहती थी, लेकिन अभी काफी कम है। पोषाहार भेजने वाली फर्मों में विवाद के कारण आपूर्ति नहीं हो पा रही है। जिले में ही नहीं पूरे प्रदेश की यही स्थिति है।- मंजू वर्मा , डीपीओ
Dec 05 2024, 15:36