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तिल के तेल का इस्तेमाल न केवल खाना पकाने में बल्कि सेहत और त्वचा की देखभाल के लिए भी बेहद फायदेमंद जानिए

सर्दियों के मौसम में सेहतमंद और गर्माहट देने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन आवश्यक होता है। तिल का तेल (सेसमे ऑयल) न केवल सेहत के लिए फायदेमंद है, बल्कि हड्डियों को मजबूत करने और शरीर को ऊर्जा प्रदान करने में भी मददगार है।

1. हड्डियों को मजबूत बनाता है

तिल के तेल में कैल्शियम, जिंक और मैग्नीशियम की भरपूर मात्रा होती है, जो हड्डियों की मजबूती के लिए जरूरी हैं। नियमित रूप से इसका सेवन ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याओं से बचाव करता है।

2. हार्ट के लिए फायदेमंद

तिल का तेल ओमेगा-6 फैटी एसिड और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है, जो दिल को स्वस्थ रखने में मदद करता है। यह बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में मददगार है।

3. गर्माहट प्रदान करता है

सर्दियों में तिल का तेल शरीर को गर्म रखने में मदद करता है। इसका उपयोग खाने के अलावा मालिश के लिए भी किया जा सकता है, जिससे ठंड में जोड़ों का दर्द और मांसपेशियों की अकड़न कम होती है।

4. इम्यूनिटी बढ़ाता है

तिल के तेल में मौजूद विटामिन ई, एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाते हैं। यह सर्दी-जुकाम और इंफेक्शन से बचाने में सहायक है।

5. त्वचा और बालों के लिए लाभकारी

तिल का तेल त्वचा और बालों के लिए भी वरदान है। सर्दियों में रूखी त्वचा और बालों के झड़ने की समस्या से बचने के लिए इसका सेवन और उपयोग किया जा सकता है।

6. पाचन तंत्र को सुधारता है

तिल का तेल खाना पकाने में इस्तेमाल करने से पाचन तंत्र मजबूत होता है। यह कब्ज और एसिडिटी जैसी समस्याओं को दूर करता है।

कैसे करें उपयोग?

तिल के तेल में सब्जी या दाल पकाएं।

इसे सलाद ड्रेसिंग के रूप में इस्तेमाल करें।

तिल के तेल को हल्का गर्म करके मालिश करें।

रोजाना भोजन में थोड़ी मात्रा में इसका इस्तेमाल करें।

सर्दियों में तिल के तेल का सही तरीके से उपयोग आपकी सेहत को बेहतर बना सकता है और आपको ऊर्जावान रखता है। इसे अपनी किचन का हिस्सा बनाएं और स्वास्थ्य के इन लाभों का आनंद लें।

लेमन टी के साथ भूलकर भी न खाएं ये चीजें, डायबिटीज मरीज खासतौर पर रहें सतर्क

लेमन टी एक लोकप्रिय पेय है जो शरीर को ताजगी और ऊर्जा प्रदान करता है। इसमें मौजूद विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। लेकिन कुछ खाद्य पदार्थ ऐसे हैं जिन्हें लेमन टी के साथ लेने से बचना चाहिए, खासकर डायबिटीज के मरीजों को।

1. दूध और डेयरी उत्पाद

लेमन टी में साइट्रिक एसिड होता है, जो दूध या डेयरी उत्पादों के साथ प्रतिक्रिया कर सकता है। यह पाचन संबंधी समस्याएं पैदा कर सकता है और चाय का स्वाद भी खराब कर सकता है।

2. बहुत मीठी चीजें (मिठाइयां, केक, कुकीज़)

लेमन टी में शक्कर डालने से यह पहले ही मीठा हो जाता है। अगर इसके साथ मिठाइयां या शुगर से भरे स्नैक्स खाए जाएं, तो डायबिटीज मरीजों के लिए ब्लड शुगर का स्तर बढ़ने का खतरा हो सकता है।

3. जंक फूड (चिप्स, फ्राइड स्नैक्स)

लेमन टी के साथ जंक फूड लेने से पाचन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इनमें हाई कार्ब और ट्रांस फैट होता है, जो डायबिटीज को और बिगाड़ सकता है।

4. खट्टी चीजें (अचार, खट्टे फल)

लेमन टी पहले से ही खट्टी होती है। इसके साथ खट्टी चीजें खाने से एसिडिटी और पेट की समस्याएं बढ़ सकती हैं।

5. बहुत मसालेदार भोजन

लेमन टी में मौजूद साइट्रिक एसिड और मसालेदार भोजन का संयोजन पेट में जलन और गैस की समस्या पैदा कर सकता है। डायबिटीज मरीजों को ऐसे भोजन से विशेष रूप से बचना चाहिए।

डायबिटीज मरीजों के लिए अतिरिक्त सावधानियां

लेमन टी में अधिक शक्कर या शहद डालने से बचें।

इसे खाली पेट न पिएं, क्योंकि यह गैस्ट्रिक समस्याएं बढ़ा सकता है।

लेमन टी के साथ हल्के और कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले स्नैक्स जैसे मूंगफली, भुने चने या ग्रील्ड वेजिटेबल्स का सेवन करें।

लेमन टी के साथ सही खाद्य पदार्थों का चयन करना जरूरी है। डायबिटीज मरीजों को संतुलित आहार और संयमित पेय पदार्थों का सेवन करना चाहिए। किसी भी समस्या की स्थिति में डॉक्टर से सलाह लेना बेहतर है।

गोभी में छुपे कीड़े आपकी सेहत के लिए हो सकते हैं खतरनाक,जानें इसे सही तरीके से साफ करने के उपाय

गोभी एक पौष्टिक सब्जी है जिसे भारतीय रसोई में विभिन्न व्यंजनों में इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन, अक्सर गोभी के पत्तों और फूलों के बीच कीड़े और गंदगी छिपी होती हैं, जो आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती हैं। इसे सुरक्षित रूप से साफ करना बेहद जरूरी है। आइए जानते हैं गोभी साफ करने के कुछ आसान और प्रभावी तरीके।

गोभी में कीड़े और गंदगी क्यों होती है?

गोभी की संरचना ऐसी होती है कि इसके फूलों और पत्तों के बीच कीड़े छिपने के लिए उपयुक्त जगह पा जाते हैं। इसमें छोटे-छोटे कीट, धूल-मिट्टी, और कीटनाशक अवशेष भी हो सकते हैं, जो यदि सही तरीके से साफ न किए जाएं, तो स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकते हैं।

गोभी को साफ करने के 5 आसान तरीके

1 नमक के पानी में भिगोएं:

एक बड़े बर्तन में पानी लें और उसमें 2-3 चम्मच नमक डालें।

गोभी को टुकड़ों में काटकर इस पानी में 15-20 मिनट के लिए भिगो दें।

इससे कीड़े बाहर निकल आते हैं और गंदगी भी साफ हो जाती है।

2 गर्म पानी का उपयोग करें:

हल्के गर्म पानी में नमक या हल्दी मिलाकर गोभी को धोएं।

यह कीड़े और बैक्टीरिया को मारने में मदद करता है।

3 सिरके का इस्तेमाल करें:

एक बर्तन में पानी लें और उसमें 2-3 चम्मच सिरका डालें।

गोभी को सिरके के पानी में 10-15 मिनट भिगोकर धो लें।

इससे कीटनाशक के अवशेष और कीड़े आसानी से हट जाते हैं।

4 नींबू और बेकिंग सोडा का उपयोग करें:

पानी में बेकिंग सोडा और नींबू का रस मिलाएं।

गोभी को इस घोल में डालकर 10 मिनट रखें।

यह गंदगी और कीड़ों को हटाने का एक प्राकृतिक तरीका है।

4 पत्तों को अलग-अलग कर साफ करें:

गोभी के पत्तों को काटकर अलग करें।

हर पत्ते और फूल के हिस्से को ध्यान से धोएं ताकि कोई गंदगी न रहे।

साफ करने के बाद ध्यान देने योग्य बातें

गोभी को हमेशा ताजे पानी से धोकर ही पकाएं।

धोने के बाद गोभी को तुरंत पकाएं, ताकि यह खराब न हो।

अगर संभव हो तो ऑर्गेनिक गोभी का उपयोग करें, जिसमें कीटनाशक कम होते हैं।

स्वास्थ्य के लिए सावधानी क्यों जरूरी है?

गोभी में छिपे कीड़े और बैक्टीरिया फूड पॉइजनिंग, डायरिया, और अन्य पेट संबंधी समस्याओं का कारण बन सकते हैं। इसे सही तरीके से साफ करके ही इसका सेवन करें।

निष्कर्ष:

गोभी एक स्वादिष्ट और पौष्टिक सब्जी है, लेकिन इसे ठीक से साफ करना बेहद जरूरी है। ऊपर दिए गए तरीकों को अपनाकर आप इसे सुरक्षित और स्वास्थ्यवर्धक बना सकते हैं।

सर्दियों में वजन बढ़ने की चिंता दूर करने के लिए,रोज सुबह पीजिए जीरे का पानी पाएं स्लिम और फिट बॉडी।


सर्दियों का मौसम अक्सर लोगों को आलसी बना देता है, और नियमित एक्सरसाइज करना एक चुनौती बन सकता है। ऐसे में वजन बढ़ने और खासकर बेली फैट के बढ़ने की समस्या आम हो जाती है। लेकिन अगर आप सही घरेलू उपाय अपनाएं, तो बिना एक्सरसाइज के भी अपने बेली फैट को घटा सकते हैं। आज हम आपको एक खास मसाले का पानी पीने का तरीका बताएंगे, जो बेली फैट घटाने में मदद करेगा।

कौन सा है ये मसाला?

जीरा (Cumin) – यह मसाला न केवल आपके भोजन का स्वाद बढ़ाता है, बल्कि वजन घटाने में भी बेहद प्रभावी है। जीरे में मौजूद थायमोल (Thymol) और एंटीऑक्सीडेंट्स मेटाबॉलिज्म को तेज करते हैं और पाचन तंत्र को सुधारते हैं, जिससे फैट बर्न करने में मदद मिलती है।

जीरे का पानी बनाने की विधि

इस पानी को बनाना बहुत आसान है। आप इसे रोज सुबह खाली पेट पी सकते हैं।

सामग्री:

1 चम्मच जीरा

1 गिलास पानी

आधा नींबू (वैकल्पिक)

बनाने की विधि:

रात को 1 चम्मच जीरे को 1 गिलास पानी में भिगो दें।

सुबह इसे धीमी आंच पर 5-10 मिनट तक उबालें।

जब पानी हल्का ठंडा हो जाए, तो इसे छान लें।

स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें आधा नींबू का रस मिला सकते हैं।

इसे गुनगुने रूप में खाली पेट पिएं।

जीरे का पानी पीने के फायदे

बेली फैट बर्न: यह पानी शरीर में जमी चर्बी को कम करने में मदद करता है।

डाइजेशन सुधारता है: जीरा पाचन को मजबूत बनाता है और अपच जैसी समस्याओं से राहत दिलाता है।

डिटॉक्स इफेक्ट: यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है।

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मेटाबॉलिज्म बूस्टर: जीरे का पानी मेटाबॉलिज्म को तेज करता है, जिससे कैलोरी बर्न करने में मदद मिलती है।

ध्यान रखने योग्य बातें

जीरे का पानी वजन घटाने के लिए सहायक है, लेकिन इसे संतुलित डाइट और हेल्दी लाइफस्टाइल के साथ जोड़ें।

इसे नियमित रूप से 1-2 महीने तक पीने से अच्छे परिणाम मिलते हैं।

यदि आपको जीरे से एलर्जी है या कोई स्वास्थ्य समस्या है, तो इसे पीने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।

निष्कर्ष

सर्दियों में अगर आप एक्सरसाइज नहीं कर पा रहे हैं, तो जीरे का पानी आपके लिए एक प्राकृतिक और सस्ता उपाय हो सकता है। इसे अपने दैनिक जीवन में शामिल करें और बेली फैट कम करने के साथ अपने शरीर को डिटॉक्स करें।

विटामिन B12 की कमी के लक्षण और इसे दूर करने के लिए डाइट में शामिल करें ये फूड्स

विटामिन B12 शरीर के लिए एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है, जो लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण, डीएनए संश्लेषण और नर्वस सिस्टम के सही कार्य में मदद करता है। इसकी कमी से कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। आइए जानते हैं इसके लक्षण और इस कमी को पूरा करने के लिए कौन से खाद्य पदार्थ उपयुक्त हैं।

विटामिन B12 की कमी के लक्षण

थकान और कमजोरी

विटामिन B12 की कमी से शरीर ऊर्जा उत्पादन में बाधा उत्पन्न होती है, जिससे आप हमेशा थका हुआ महसूस कर सकते हैं।

त्वचा का पीला होना

शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी से त्वचा पीली या फीकी दिख सकती है।

झुनझुनी और सुन्नपन

नसों के क्षतिग्रस्त होने से हाथ-पैरों में झुनझुनी या सुन्नपन हो सकता है।

स्मृति की समस्या

मस्तिष्क की क्रियाओं में रुकावट आ सकती है, जिससे भूलने की समस्या बढ़ सकती है।

सांस फूलना और चक्कर आना

ऑक्सीजन की कमी से सांस लेने में तकलीफ और चक्कर आने की समस्या हो सकती है।

मूड स्विंग्स और अवसाद

मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है, जिससे मूड स्विंग्स और डिप्रेशन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

विटामिन B12 की कमी को पूरा करने वाले खाद्य पदार्थ

यदि आप विटामिन B12 की कमी को प्राकृतिक तरीके से दूर करना चाहते हैं, तो निम्नलिखित खाद्य पदार्थ अपनी डाइट में शामिल करें:

1. मांसाहारी विकल्प

मछली: सैल्मन, टूना, और सार्डिन में भरपूर विटामिन B12 होता है।

अंडे: खासकर अंडे की जर्दी।

लिवर और किडनी: चिकन और भेड़ के लिवर में अत्यधिक B12 पाया जाता है।

डेयरी उत्पाद: दूध, दही और पनीर।

2. शाकाहारी विकल्प

फोर्टिफाइड अनाज: विटामिन B12 से युक्त अनाज बाजार में उपलब्ध हैं।

पोषण खमीर (Nutritional Yeast): यह शाकाहारियों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है।

सोया मिल्क और बादाम दूध:

फोर्टिफाइड वेरिएंट का उपयोग करें।

3. सप्लीमेंट्स

यदि डाइट से कमी पूरी न हो, तो डॉक्टर की सलाह से विटामिन B12 सप्लीमेंट्स का सेवन करें।

रोकथाम के उपाय

संतुलित आहार: अपनी डाइट में विटामिन B12 से भरपूर खाद्य पदार्थ शामिल करें।

स्वास्थ्य जांच: नियमित रूप से ब्लड टेस्ट करवाकर B12 लेवल की जांच कराएं।

शाकाहारियों के लिए: फोर्टिफाइड उत्पाद और सप्लीमेंट्स का सहारा लें।

निष्कर्ष

विटामिन B12 की कमी को नज़रअंदाज करना गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है। सही आहार और समय पर चिकित्सकीय सलाह लेकर इसे आसानी से प्रबंधित किया जा सकता है।

सर्दियों में इन फूड्स का करें सेवन, इम्यूनिटी होगी स्ट्रॉन्ग


सर्दियों का मौसम हमारे शरीर को कई तरीकों से प्रभावित करता है। इस दौरान तापमान में गिरावट के कारण सर्दी-जुकाम और अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए, हमें अपने इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाए रखने की जरूरत होती है। इस लेख में हम जानेंगे कुछ ऐसी चीजों के बारे में जो सर्दियों में सेवन करने पर इम्यून सिस्टम को बूस्ट करती हैं।

1. आंवला (Indian Gooseberry)

आंवला विटामिन सी का प्रमुख स्रोत है, जो इम्यूनिटी को मजबूत बनाने में बेहद सहायक है। यह एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर होता है, जो शरीर को संक्रमणों से लड़ने में मदद करता है। रोज सुबह आंवला का जूस पीने से शरीर की इम्यूनिटी बढ़ती है।

2. हल्दी (Turmeric)

हल्दी में करक्यूमिन नामक तत्व पाया जाता है, जो एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सिडेंट गुणों से भरपूर होता है। यह इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने और शरीर को बीमारियों से बचाने में मदद करता है। सर्दियों में हल्दी वाला दूध पीना फायदेमंद होता है।

3. शहद और अदरक (Honey and Ginger)

शहद में प्राकृतिक एंटीबायोटिक गुण होते हैं, जबकि अदरक का सेवन इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है। शहद और अदरक को एक साथ लेने से गले की खराश और सर्दी-जुकाम में राहत मिलती है। सर्दियों में इसे अपनी दिनचर्या में शामिल करें।

4. तुलसी (Basil)

तुलसी में एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण होते हैं, जो शरीर को वायरस और बैक्टीरिया से बचाते हैं। रोजाना तुलसी के कुछ पत्तों का सेवन करने से इम्यून सिस्टम बेहतर होता है और सर्दी-खांसी से भी राहत मिलती है।

5. गुनगुना पानी (Warm Water)

सर्दियों में गुनगुना पानी पीना बेहद फायदेमंद होता है। यह शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालता है और इम्यूनिटी को भी मजबूत करता है। साथ ही, यह पाचन को भी बेहतर बनाता है।

6. बादाम और अखरोट (Almonds and Walnuts)

सर्दियों में ड्राई फ्रूट्स का सेवन बेहद लाभकारी होता है। बादाम और अखरोट में विटामिन ई, ओमेगा-3 फैटी एसिड और एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं। रोजाना थोड़ी मात्रा में इन्हें खाने से शरीर की ऊर्जा भी बढ़ती है।

7. लहसुन (Garlic)

लहसुन में एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीवायरल गुण होते हैं, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं। रोजाना एक-दो लहसुन की कलियों का सेवन करने से सर्दियों में बीमारियों से बचाव होता है।

निष्कर्ष

सर्दियों में स्वस्थ रहने और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए इन चीजों का सेवन बेहद फायदेमंद होता है। इन्हें अपनी डाइट में शामिल करके आप सर्दियों में बीमारियों से दूर रह सकते हैं और शरीर को ताकतवर बना सकते हैं।

बाल दिवस आज:पंडित नेहरू की जयंती पर बाल दिवस,बच्चों के लिए सुरक्षित और खुशहाल भविष्य का संकल्प

नयी दिल्ली : हर साल दुनियाभर में अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस 20 नवंबर को मनाया जाता है। लेकिन भारत में इसे हर वर्ष 14 नवंबर 2024 को मनाया जाता है। पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती के दिन बाल दिवस मनाया जाता है। यह दिन खासतौर से बच्चों के लिए होता है, जिसमें उनकी खुशियों, उनके अधिकारों और उनके उज्ज्वल भविष्य को संवारने के लिए जागरूकता फैलाई जाती है। 

इस दिन का मुख्य उद्देश्य बच्चों के प्रति जागरूकता को बढ़ाना और उन्हें एक सुरक्षित, खुशहाल और शिक्षा से भरपूर जीवन देने की दिशा में कार्य करना है। आइए जानें बाल दिवस से जुड़ी पांच अहम बातें, जिन्हें हर बच्चे और बड़े को जानना चाहिए।

बाल दिवस का इतिहास और महत्व

भारत में बाल दिवस की शुरुआत पंडित जवाहर लाल नेहरू के जन्मदिन पर हुई, जिन्हें बच्चे ‘चाचा नेहरू’ के नाम से जानते थे। पंडित नेहरू को बच्चों से गहरा लगाव था और वे मानते थे कि बच्चे देश का भविष्य हैं। उनके विचार में बच्चों को एक अच्छी शिक्षा और स्वस्थ जीवन देने की आवश्यकता है, ताकि वे आगे चलकर समाज और देश की बेहतरी के लिए योगदान दे सकें।

साल में दो बार मनाया जाता है बाल दिवस?

1954 में, संयुक्त राष्ट्र ने 20 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस घोषित किया। हर साल दुनियाभर में अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस 20 नवंबर को मनाया जाता है। लेकिन भारत में इसे पंडित नेहरू की जयंती पर मनाने का निर्णय लिया गया।

बाल दिवस का उद्देश्य

बाल दिवस का मुख्य उद्देश्य बच्चों के अधिकारों की रक्षा करना, उन्हें सुरक्षित वातावरण देना और उनकी शिक्षा व स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करना है। बाल दिवस पर बच्चों के प्रति बढ़ते अत्याचार, बाल श्रम, और शिक्षा की कमी जैसी समस्याओं पर जागरूकता फैलाने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यह दिन बच्चों की खुशियों के साथ-साथ उनके अधिकारों के प्रति समाज में जिम्मेदारी को भी बढ़ावा देने का प्रतीक है।

पंडित नेहरू का बच्चों के प्रति दृष्टिकोण

पंडित नेहरू का मानना था कि बच्चों को बचपन में सही मार्गदर्शन और प्यार दिया जाना चाहिए। उनके अनुसार, बच्चे बिना किसी भेदभाव के स्वतंत्र रूप से सीखने और बढ़ने का अधिकार रखते हैं। पंडित नेहरू हमेशा बच्चों के बीच जाकर उनके साथ समय बिताना पसंद करते थे, और उनका मानना था कि बच्चों में मासूमियत, सच्चाई, और निष्ठा होती है, जो बड़े लोगों को भी प्रेरणा देती है।

बाल अधिकारों के प्रति जागरूकता और जिम्मेदारी

बाल दिवस के माध्यम से बच्चों के अधिकारों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। जैसे कि उन्हें अच्छी शिक्षा का अधिकार, बाल श्रम से सुरक्षा, और एक सुरक्षित व प्यार भरे वातावरण में बढ़ने का अधिकार। भारत में बाल अधिकारों की सुरक्षा के लिए बाल संरक्षण कानून और संस्थाएँ कार्यरत हैं, जिनका उद्देश्य बच्चों के भविष्य को सुरक्षित बनाना है।

सर्दियों में डायबिटीज रोगियों के लिए काफी फायदेमंद है ये फूड्स, ब्लड शुगर रहेगा काबू में

डायबिटीज रोगियों को अपने ब्लड शुगर लेवल को संतुलित बनाए रखने के लिए सर्दियों में ऐसे आहार का चुनाव करना चाहिए जो पोषक तत्वों से भरपूर हो और ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में सहायक हो। यहाँ कुछ फूड्स हैं जो सर्दियों में डायबिटीज रोगियों के लिए बेस्ट हैं:

1. हरी पत्तेदार सब्जियाँ

पालक, मेथी, सरसों का साग और अन्य हरी पत्तेदार सब्जियाँ फाइबर से भरपूर होती हैं और ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद करती हैं। इनमें कैलोरी कम होती है और ये विटामिन-सी, के, और मिनरल्स से भी भरपूर होती हैं।

2. ब्रोकोली और गोभी

ब्रोकोली, फूलगोभी जैसी क्रूसिफेरस सब्जियाँ सर्दियों में आसानी से उपलब्ध होती हैं। ये फाइबर, विटामिन-सी, और एंटीऑक्सिडेंट्स का अच्छा स्रोत होती हैं, जो ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित रखने में सहायक हैं।

3. अंडे

अंडे प्रोटीन का अच्छा स्रोत हैं और इन्हें नाश्ते में शामिल करने से लंबे समय तक पेट भरा रहता है। अंडों से ब्लड शुगर अचानक से नहीं बढ़ता है, जिससे यह डायबिटीज रोगियों के लिए अच्छा विकल्प बनता है।

4. बाजरा और जौ

सर्दियों में रोटियों में बाजरा और जौ का इस्तेमाल करना डायबिटीज रोगियों के लिए फायदेमंद है। इनमें कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है और ये धीरे-धीरे पचते हैं, जिससे ब्लड शुगर को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है।

5. मेवे और बीज

बादाम, अखरोट, चिया सीड्स, और फ्लैक्ससीड्स फाइबर, ओमेगा-3 फैटी एसिड, और प्रोटीन का अच्छा स्रोत होते हैं। ये ब्लड शुगर को नियंत्रित रखने में सहायक होते हैं और सर्दियों में ऊर्जा भी देते हैं।

6. दालें और चने

दालें, काले चने और हरे चने में प्रोटीन, फाइबर और कार्बोहाइड्रेट्स की मात्रा संतुलित होती है। इन्हें सलाद, सूप या सब्जी के रूप में सेवन किया जा सकता है। ये शरीर को गर्म भी रखते हैं।

7. दही

ठंड में दही खाने से पाचन तंत्र मजबूत होता है। दही में प्रोबायोटिक्स होते हैं, जो अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ावा देते हैं और ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित रखने में सहायक होते हैं।

8. टमाटर और गाजर

टमाटर और गाजर में विटामिन ए, सी और अन्य एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं। इनका सेवन सलाद या सूप के रूप में किया जा सकता है। गाजर में प्राकृतिक मिठास होती है लेकिन इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जिससे ब्लड शुगर नहीं बढ़ता।

9. अदरक और हल्दी

अदरक और हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं। अदरक की चाय और हल्दी वाले दूध का सेवन करना डायबिटीज रोगियों के लिए लाभकारी है।

10. नींबू और आँवला*


विटामिन सी से भरपूर नींबू और आँवला ब्लड शुगर को कम करने में सहायक होते हैं। आँवला का रस या इसे कच्चा खाने से इम्यूनिटी बढ़ती है और ब्लड शुगर संतुलित रहता है।

सर्दियों में इन खाद्य पदार्थों को अपनी डाइट में शामिल करके डायबिटीज रोगी अपने ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रख सकते हैं। ध्यान दें कि किसी भी नए फूड को शामिल करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना लाभकारी होता है।

आईए जानते मुंह में लौंग लेकर सोने से मिलते हैं क्या - क्या फायदे

लौंग को भारतीय आयुर्वेद और घरेलू नुस्खों में कई तरह से उपयोग किया जाता है। इसके अनेक औषधीय गुण होते हैं, जो सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं। बहुत से लोग सोने से पहले मुंह में लौंग रखकर सोते हैं, जिसका फायदा सेहत पर भी पड़ता है। आइए जानें, मुंह में लौंग लेकर सोने से क्या फायदे हो सकते हैं।

1. दांतों के दर्द से राहत

लौंग में एंटीबैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो दांतों के दर्द और सूजन को कम करने में मदद करते हैं। रात में सोते समय लौंग मुंह में रखने से दांतों में होने वाली संवेदनशीलता, मसूड़ों में सूजन, और दर्द में आराम मिल सकता है।

2. पाचन सुधारने में सहायक

लौंग को पाचन शक्ति को बढ़ाने के लिए जाना जाता है। इसमें मौजूद सक्रिय तत्व पाचन एंजाइम्स को बढ़ावा देते हैं, जिससे एसिडिटी, गैस, और अपच जैसी समस्याएं कम होती हैं। अगर आप सोते समय मुंह में लौंग रखते हैं तो सुबह पाचन तंत्र मजबूत रहता है।

3. सांसों की बदबू से राहत

लौंग में प्राकृतिक एंटीसेप्टिक गुण होते हैं, जो मुंह की दुर्गंध को दूर करने में सहायक होते हैं। इसके एंटीबैक्टीरियल गुण मुंह में मौजूद बैक्टीरिया को मारने में मदद करते हैं, जिससे सांसों की बदबू कम होती है और मुंह में ताजगी बनी रहती है।

4. इम्यून सिस्टम को बढ़ावा

लौंग में विटामिन C और एंटीऑक्सीडेंट्स प्रचुर मात्रा में होते हैं, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद करते हैं। इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और आप बीमारियों से बचे रहते हैं। रात में सोने से पहले लौंग का सेवन करना फायदेमंद होता है।

5. तनाव और अनिद्रा में राहत

लौंग का हल्का सुगंधित और शांतिदायक प्रभाव होता है, जो तनाव को कम करने में मदद करता है। इसे मुंह में रखने से धीरे-धीरे इसका स्वाद और सुगंध आपको शांत महसूस कराता है, जिससे नींद में सुधार होता है और अनिद्रा की समस्या में भी राहत मिलती है।

6. ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में सहायक

लौंग में ग्लाइसेमिक नियंत्रण का गुण पाया जाता है, जो ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है। यह मधुमेह रोगियों के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकता है, लेकिन इसे चिकित्सीय सलाह के बिना ज्यादा मात्रा में नहीं लेना चाहिए।

7. सर्दी-खांसी में राहत

लौंग में गर्म गुण होते हैं जो सर्दी-खांसी में आराम देते हैं। इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण गले की खराश, खांसी, और बंद नाक में राहत प्रदान कर सकते हैं। इसे मुंह में रखकर सोने से हल्की सर्दी-जुकाम में फायदा हो सकता है।

सावधानियाँ:

अत्यधिक मात्रा: लौंग का अधिक मात्रा में सेवन करना नुकसानदायक हो सकता है, इसलिए इसे सीमित मात्रा में ही उपयोग करें।

चबाने से बचें: लौंग को सोते समय केवल मुंह में रखें, चबाएं नहीं, क्योंकि इससे लौंग का तेल ज्यादा मात्रा में निकल सकता है, जो नुकसान पहुंचा सकता है।

मुंह में लौंग लेकर सोने के ये लाभ कई लोगों के लिए फायदेमंद हो सकते हैं, लेकिन अगर आपको किसी विशेष स्वास्थ्य समस्या है तो इसका उपयोग करने से पहले डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें।

कमल के फूलों से बनी चाय सेहत के लिए है काफी फायदेमंद,जाने घर पर बनाने की विधि


कमल के फूलों से बनी चाय न केवल स्वाद में खास होती है, बल्कि इसमें कई औषधीय गुण भी होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी हैं। यहाँ हम जानेंगे कमल की चाय से दूर होने वाली 5 बीमारियाँ और इसे घर पर बनाने की सरल विधि।

1. तनाव और चिंता से राहत

कमल के फूलों में प्राकृतिक शांतिदायक गुण होते हैं जो तनाव और चिंता को कम करने में सहायक होते हैं। इसके नियमित सेवन से मस्तिष्क को शांति मिलती है और नींद में सुधार होता है।

2. डायबिटीज को नियंत्रित करने में सहायक

कमल की चाय का सेवन रक्त में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है। यह मधुमेह के रोगियों के लिए फायदेमंद है क्योंकि इससे इंसुलिन सेंसिटिविटी में सुधार होता है और ग्लूकोज के स्तर को स्थिर रखने में मदद मिलती है।

3. हृदय स्वास्थ्य में सुधार

कमल की चाय में एंटीऑक्सीडेंट्स की मात्रा अधिक होती है जो रक्तचाप को नियंत्रित कर हृदय को स्वस्थ रखती है। इसका सेवन दिल की धमनियों में फैटी एसिड को कम करने में सहायक होता है, जिससे हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा कम होता है।

4. पाचन तंत्र को मजबूती देना

इस चाय में मौजूद गुण पाचन तंत्र को मजबूत बनाते हैं। यह पेट की समस्याओं जैसे अपच, कब्ज और सूजन को कम करने में मदद करती है। नियमित सेवन से पेट के स्वास्थ्य में सुधार होता है और भूख भी बढ़ती है।

5. मूत्र संबंधी समस्याओं से राहत

कमल की चाय एक प्राकृतिक डाइयूरेटिक के रूप में काम करती है, जिससे शरीर में से अतिरिक्त पानी और टॉक्सिन्स बाहर निकल जाते हैं। इससे किडनी और मूत्र संबंधी समस्याओं में भी राहत मिलती है।

घर पर कमल की चाय बनाने की विधि

सामग्री:

सूखे कमल के फूल – 2-3

पानी – 1 कप

शहद (स्वादानुसार)

विधि:

सबसे पहले एक पैन में पानी गर्म करें।

जब पानी उबलने लगे, तो उसमें सूखे कमल के फूल डालें।

इसे धीमी आंच पर 5-7 मिनट तक उबालें।

फिर चाय को छान लें और स्वाद के लिए शहद मिलाकर सेवन करें।

कमल के फूलों की चाय न केवल स्वास्थ्य लाभकारी होती है, बल्कि यह दिन भर के तनाव को भी दूर करती है।