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हिमाचल सरकार को हाई कोर्ट से बड़ा झटका, प्रदेश के सभी CPS को हटाने के आदेश, बंद होंगी सरकारी सुविधाएं

डेस्क : हिमाचल प्रदेश सरकार को हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। हाई कोर्ट ने सुक्खू सरकार के सभी छह मुख्य संसदीय सचिव (CPS) को हटाने का आदेश दिया है। सीपीएस की सभी सरकारी सुविधाओं को भी तुरंत वापस लेने के आदेश जारी किए गए हैं। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश बिपिन चंद्र नेगी की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सीपीएस को पद से हटाया जाए लेकिन वे विधायक रहेंगे।

जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने कांग्रेस के 6 विधायकों को मुख्य संसदीय सचिव (CPS) बनाया था। कल्पना के अलावा राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी के 11 विधायकों और पीपल फॉर रिस्पॉन्सिबल गवर्नेंस संस्था ने भी सीपीएस की नियुक्ति को असंवैधानिक बताते हुए हाईकोर्ट में याचिका डाली थी। इनकी याचिका पर ही हाईकोर्ट ने जनवरी महीने में CPS द्वारा मंत्रियों जैसी शक्तियों का उपयोग न करने का अंतरिम आदेश दिया था।

इस मामले में राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटा चुकी है और दूसरे राज्यों के सुप्रीम कोर्ट में चल रहे सीपीएस केस के साथ क्लब करने का आग्रह कर चुकी है। मगर, सुपीम कोर्ट  ने राज्य सरकार के आग्रह को ठुकराते हुए हाईकोर्ट में ही केस सुनने के आदेश दिए थे।

सीएम सुक्खू ने कांग्रेस के जिन 6 विधायकों को सीपीएस बना रखा है, उनमें रोहड़ू के विधायक एमएल ब्राक्टा, कुल्लू के सुंदर सिंह ठाकुर, अर्की के संजय अवस्थी, पालमपुर के आशीष बुटेल, दून के राम कुमार चौधरी और बैजनाथ के विधायक किशोरी लाल शामिल हैं। सरकार इन्हें गाड़ी, दफ्तर, स्टाफ और मंत्रियों के समान वेतन दे रही है।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद-164 में किए गए संशोधन के मुताबिक, किसी राज्य में उसके विधायकों की कुल संख्या के 15% से अधिक मंत्री नहीं हो सकते। हिमाचल विधानसभा में 68 विधायक हैं, इसलिए यहां अधिकतम 12 मंत्री बन सकते हैं।

याचिका में कहा गया कि हिमाचल और असम में संसदीय सचिवों की नियुक्ति से जुड़े एक्ट एक जैसे हैं। सुप्रीम कोर्ट असम और मणिपुर में संसदीय सचिवों की नियुक्ति से जुड़े एक्ट को गैरकानूनी ठहरा चुका है। इस बात की जानकारी होने के बावजूद हिमाचल की कांग्रेस सरकार ने अपने विधायकों की नियुक्ति बतौर सीपीएस की।

इसकी वजह से राज्य में मंत्रियों और सीपीएस की कुल संख्या 15% से ज्यादा हो गई। इस केस की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की अपील पर CPS बने सभी कांग्रेसी विधायकों को व्यक्तिगत तौर पर प्रतिवादी बना रखा है।

हाईकोर्ट में दाखिल पिटीशन में आरोप लगाया गया कि CPS बनाए गए सभी 6 कांग्रेसी विधायक लाभ के पदों पर तैनात हैं। इन्हें हर महीने 2 लाख 20 हजार रुपए वेतन और भत्ते के रूप में मिलते हैं। यानी ये विधायक राज्य के मंत्रियों के बराबर वेतन और अन्य सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं। याचिका में हिमाचल संसदीय सचिव (नियुक्ति, वेतन, भत्ते, शक्तियां, विशेषाधिकार और सुविधाएं) एक्ट, 2006 को भी रद्द करने की मांग की गई थी।

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राजीव बिन्दल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के महत्वपूर्ण फैसले ने साबित कर दिया कि हिमाचल प्रदेश की वर्तमान कांग्रेस सरकार किस प्रकार गैर कानूनी तरीके से मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति करते हुए दो साल व्यतीत कर दिए। लगातार हिमाचल प्रदेश के पैसे का दुरूपयोग हुआ, शक्तियों का दुरूपयोग हुआ, 6 मुख्य संसदीय सचिव बनाकर उनको मंत्रियो के बराबर शक्तियां देना गैर कानूनी रहा, संविधान के खिलाफ रहा। बिन्दल ने कहा कि हम न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते हैं जिन्होनें सभी 6 मुख्य संसदीय सचिवों को पद मुक्त करने का निर्देश दिया।
दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट हुई जारी, टॉप नंबर पर भारत-पाकिस्तान के 2 शहर


डेस्क: इन दिनों भारत समेत दुनिया के कई शहरों में लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है, कारण है यहां के एयर पॉल्यूशन। स्विस फर्म आईक्यूएयर ने इसे लेकर 121 देशों की लाइव रैंकिंग शेयर की है। इस रैकिंग के मुताबिक, भारत व पाकिस्तान के 2 शहर में हालात काफी खराब हैं। 121 देशों की लिस्ट में भारत के 3 शहर हैं, इनमें राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली, कोलकाता और मुंबई है। 13 नवंबर को स्विस फर्म आईक्यूएयर की लाइव रैंकिग में पहले नंबर पर राजधानी दिल्ली हैं। दिल्ली में आज एक्यूआई 515 तक दर्ज की गई है।

वहीं, दूसरे नबंर पर पाकिस्तान का लाहौर जिला है। यहां कि एक्यूआई 432 मापी गई है। आईक्यूएयर की लाइव रैंकिंग में लाहौर की एक्यूआई 432 है। वहीं, पड़ोसी देश का कराची शहर भी इस लिस्ट में शामिल है। कराची को 147 एक्यूआई के साथ 14वें नंबर पर रखा गया है।

दुनिया के प्रदूषित शहरों में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के किंशासा का तीसरे नंबर पर नाम है। यहां का एक्यूआई 193 मापा गया है। वहीं, मिस्र के काहिरा शहर को चौथे स्थान पर रखा गया, यहां का एक्यूआई 184 पाया गया। वहीं, रैंकिंग में पांचवें स्थान पर वियतनाम की राजधानी हनोई का नाम है। यहां का एक्यूआई लेवल 168 पहुंच गया है। छठवें नंबर पर कतर देश का दोहा शहर है, जहां का एक्यूआई लेवल 166 दर्ज किया गया। इसके अलावा, 7वें नंबर पर सउदी अरब के रियाद का नाम है, यहां का एक्यूआई 160 दर्ज हुआ है।

रैकिंग लिस्ट में 8वें स्थान पर नेपाल की राजधानी काठमांडू है, यहां एक्यूआई लेवल 160 दर्ज हुआ। नौवें नंबर पर 158 एक्यूआई लेवल के साथ मंगोलिया का उल्लानबटार शहर है। जबकि 10वें नंबर पर 158 एक्यूआई के साथ मुंबई शहर है। उसके बाद कोलकाता का नंबर आता है, जहां एक्यूआई 136 रिकॉर्ड किया गया।


वहीं, बांग्लादेश की राजधानी ढाका को 17वें नंबर पर रखा है। जहां का एक्यूआई 122 पहुंच गया। इस लिस्ट में चीन के 7 शहरों में हवा काफी खराब पाई गई है।

आमतौर पर एयर पॉल्यूशन का लेवल एयर क्वालिटी इंडेक्स या AQI के रूप में मापा जाता है। विदेशी मानकों के मुताबिक, 200 से ज्यादा AQI 'बहुत खराब' श्रेणी की मानी जाती है और 300 का लेवल 'गंभीर रूप से खराब स्थिति' को बताता है। वहीं, अगर 0-50 के बीच में AQI का लेवल रहता है तो ये अच्छा माना जाता है, 51-100 रहा तो मध्यम और अगर 101-150 के बीच मिला तो संवेदनशील समूहों के लिए 'खराब हवा' मानी जाती है। वहीं, अगर 151 से 200 के बीच एक्यूआई पाया गया तो ये 'खतरनाक' होता है। इसके अलावा, 201-300 लेवल तक पाए जाने पर 'बहुत खतरनाक' और अगर यह 301 से अधिक पाया गया तो यह 'बहुत-बहुत खतरनाक' माना जाता है।
यह मुस्लिम देश 9 साल की मासूमों से क्यों देने जा रहा शादी का अधिकार, ऐसे में बच्चियां कैसे रहेंगी सुरक्षित?



डेस्क: महज 9 साल की मासूम बच्चियां जिन्हें सनातन धर्म में देवी मानकर पूजा जाता है, उसी उम्र की बच्चियों को एक मुस्लिम देश हवस का शिकार बनाने की खुल्लम-खुल्ला इजाजत देने की तैयारी कर चुका है। आपको सुनकर हैरानी हो रही होगी, लेकिन यह मुस्लिम देश महज 9 साल की बच्चियों से पुरुषों को शादी करने का अधिकार देने वाला कानूनी प्रस्ताव पेश कर चुका है। अब इसे सदन से पास कराने की तैयारी है। महज 9 साल की बच्चियों से शादी का अधिकार देने का मतलब सीधे-सीधे उनका कानूनी रूप से यौन शोषण करने का अधिकार देने जैसा है। इसीलिए महिलाएं सरकार के इस फैसले के विरोध में सड़क पर उतर आई हैं।

इस देश का नाम इराक है। अब यह देश अपने यहां विवाह कानूनों में संशोधन करेगा। जहां लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल से घटाकर 9 साल की जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार यह कानून बनने के बाद किसी भी उम्र का पुरुष 9 साल की बच्चियों से शादी करने का कानूनन अधिकारी होगा। द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार इस कानून के बनने के बाद उन बच्चियों को तलाक लेने, बच्चे की हिरासत और विरासत का अधिकार भी नहीं होगा। इन सभी से उनको वंचित करने के लिए भी संशोधन प्रस्तावित किए गए हैं।

इराक में शिया पार्टियों के गठबंधन के नेतृत्व वाली रूढ़िवादी सरकार का इस फैसले के पीछे तर्क है कि यह लड़कियों को "अनैतिक संबंधों" से बचाने का प्रयास है। इसलिए यह प्रस्तावित संशोधन पारित करना है। कानून में दूसरा संशोधन 16 सितंबर को पारित किया गया था। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इसे "कानून 188" नाम दिया गया था, जिसे 1959 में पेश किए जाने पर पश्चिम एशिया में सबसे प्रगतिशील कानूनों में से एक माना जाता था। इसने इराकी परिवारों पर शासन करने के लिए नियमों का एक व्यापक सेट प्रदान किया, भले ही उनका धार्मिक संप्रदाय कुछ भी हो।

प्रस्तावित कानून को बताया इस्लाम के अनुरूप
इराक की गठबंधन सरकार ने प्रस्तावित संशोधन को इस्लामी शरिया कानून की सख्त व्याख्या के अनुरूप बताया है। सरकार का कहना है कि इसका उद्देश्य युवा लड़कियों की "सुरक्षा" करना है। उम्मीद है कि संसदीय बहुमत वाली सरकार इराकी महिला समूहों के विरोध के बावजूद इस कानून को आगे बढ़ाएगी। वहीं यूनिसेफ के अनुसार पूरे इराक में पहले से ही बाल विवाह उच्च दर पर है।

यहां लगभग 28% इराकी लड़कियों की शादी 18 साल की उम्र से पहले हो जाती है। ऐसे में प्रस्तावित संशोधनों से स्थिति और खराब होने की आशंका है। ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा कि ऐसे संशोधन से युवा लड़कियों को यौन और शारीरिक हिंसा का खतरा बढ़ जाएगा और वे शिक्षा व रोजगार तक पहुंच से भी वंचित हो जाएंगी।
'कचरे से बिजली' प्रोजेक्ट से कैसे घुट रहा है दिल्ली के 10 लाख लोगों का दम? रिपोर्ट में हुआ बड़ा दावा


डेस्क: आज के दौर में पूरी दुनिया में 'ग्रीन' क्रांति का बढ़ चढ़ कर प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। देश की राजधानी दिल्ली की सरकार भी बढ़ते कचरे के पहाड़ों के खात्मे के लिए आधुनिक योजना लाई थी। इस योजना के तहत कचरे को जलाकर बिजली पैदा करने का प्लान बनाया गया था। कचरे के पहाड़ों के खात्मे के लिए तिमारपुर-ओखला वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट को पेश किया गया। हालांकि, अब ये ग्रीन क्रांति योजना ही आम लोगों के लिए खतरनाक रिजल्ट लेकर सामने आई है। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि कचरे से बिजली प्रोजेक्ट का धुआं दिल्ली में 10 लाख लोगों का दम घोंट रहा है। ये योजना लोगों को बिजली के साथ ही गंभीर बीमारियां भी दे रही है।

जो रिपोर्ट सामने आई है उसमें दावा किया गया है कि तिमारपुर ओखला वेस्ट टू एनर्जी प्लांट से जो राख और धुआं निकलता है उसमें आर्सेनिक, लेड, कैडमियम और कई अन्य घातक केमिकल निकल रहे हैं। ये केमिकल लोगों के स्वास्थ्य के लिए काफी घातक है। रिपोर्ट ये भी बताती है कि इस प्लांट के आस-पास बसी बस्तियों के लोग हर दिन जहरीले कणों की चपेट में आ रहे हैं और सांस की तकलीफ, अस्थमा, कैंसर और त्वचा संबंधी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं।

जानकारी के मुताबिक, दिल्ली के तिमारपुर ओखला वेस्ट टू एनर्जी प्लांट के आस-पास के इलाकों में रहने वाले लोगों में अस्थमा, कैंसर और त्वचा रोग के केस बड़ी संख्या में बढ़ गए हैं। इन बामीरियों की चपेट में बच्चों से लेकर बूढ़ों तक, हर आयु के लोग आ रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार की ओर से पेश की गई रिपोर्ट्स भी ये मानती है कि तिमारपुर ओखला वेस्ट टू एनर्जी  प्लांट में से छोडे गए केमिकल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।

इतना ही नहीं, तिमारपुर ओखला वेस्ट टू एनर्जी प्लांट से जो कचरे की राख निकलती है उसे खुले में बस्तियों के करीब ही फेंक दिया जा रहा है। इसके बाद इन्हीं राख के ऊपर से बच्चों के खेलने के लिए पार्क बना दिए गए। अब खुले में राख फेंके जाने से बच्चों में सांस से जुड़ी हुईं समस्याएं बढ़ रही हैं। राख में स्थित घातक धातु बच्चों के विकास पर नकारात्मक असर डाल रहे हैं। दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड अन्य संस्थाए इस प्लांट पर नजर रखने में विफल साबित हई हैं।

अगर आप ज्यादा समय तक कैडमियम के संपर्क में रहते हैं तो इसका शरीर की हड्डियों पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। इसके साथ ही कैडमियम गुर्दे, फेफड़ों और हड्डियों से जुड़ी बीमारियों की भी वजह बन सकता है।

अगर आप मैंगनीज धातु के संपर्क में ज्यादा आते हैं तो आप 'मैनगेनिज्म' नाम की एक दु्र्लभ बीमारी का शिकार हो सकते हैं। मैनगेनिज्म एक तरह से पार्किंसन की तरह होता है। इसके कारण रिप्रोडक्टिव सिस्टम पर भी असर पड़ता है।

ज्यादा समय तक आर्सेनिक के संपर्क में रहना भी घातक हो सकता है। इसके कारण आप सांस और दिल से जुड़ी बीमारियों का शिकार हो सकते हैं। ये न्यूरोलॉजिकल और डायबिटीज की भी वजह बन सकता है।

लेड के संपर्क में ज्यादा रहने से व्यक्ति के नर्वस और रिप्रोडक्टिव सिस्टम पर असर पड़ता है। इसके अलावा लेड हार्ट-इम्यून सिस्टम में भी समस्या कर सकता है। लेड के कारण बच्चों के दिमाग के विकास और IQ लेवल पर भी असर पड़ता है।

कोबाल्ट के संपर्क में ज्यादा आने से आपको कैंसर, त्वचा और हृदय संबंधी समस्या का शिकार होना पड़ सकता है। इसके साथ ही कोबाल्ट के कारण फेफड़े और आंखों से संबंधित समस्या भी देखने को मिल सकती है।
जम्मू कश्मीर में सेना भर्ती में जमकर उमड़ी भीड़, बड़ी संख्या में आए सीमा से सटे इलाकों के युवा


डेस्क: जम्मू-कश्मीर के बारामूला में आयोजित सैनिक भर्ती में बड़ी संख्या में युवा शामिल हुए। भर्ती अभियान में पहले दिन से ही सैकड़ों की तादाद में कश्मीरी युवा सेना में भर्ती होने के लिए लंबी-लंबी कतारों में खड़े दिखे। युवाओं का उत्साह यह दर्शा रहा था कि कश्मीर के युवाओं की सोच में बदलाव आया है। बारामूला में सोमवार को शुरू हुई इस रैली में ज्यादातर युवा उत्तरी कश्मीर के विभिन्न जिलों, खासकर सीमा रेखा से सटे गांवों से आए थे

भर्ती में शामिल होने आए युवाओं का जोश और उत्साह साफ तौर पर बता रहा था कि वे सेना का हिस्सा बनकर देश की सेवा करना चाहते हैं। बढ़ती बेरोज़गारी और देश सेवा की चाहत इन युवाओं के बिना किसी डर या भय के भर्ती में शामिल होने की एक बड़ी वजह है।

बचपन से सेना में शामिल होने का सपना देख रहे युवा
सैनिक भर्ती में यहां पहुंचे हर नौजवान की कोशिश थी कि वह कुछ अच्छा करे और सेना में भर्ती हो सके। कई युवा बचपन से ही भारतीय सेना का सपना देख रहे हैं और जब यह मौका मिला है तो वह इसे इसे गंवाना नहीं चाहते थे। इन युवाओं का मानना है कि बेरोजगारी खत्म करनी है। इसके लिए ये एक अच्छा कदम है। इसके साथ देश की रक्षा करने का गर्व भी हासिल होगा।

सप्ताह भर चलने वाले इस अभियान में जनरल ड्यूटी, क्लर्क, शेफ और कारीगर वुडवर्कर और उपकरण मरम्मतकर्ता जैसी विभिन्न भूमिकाओं के लिए सैनिक की भर्ती होनी है। रैली को बारामुला, कुपवाड़ा, गंदेरबल, बडगाम और बांदीपुरा के योग्य उम्मीदवारों की स्क्रीनिंग के लिए सावधानीपूर्वक संचालित किया जा रहा है। बारामुल्ला के उम्मीदवारों की स्क्रीनिंग 11-12 नवंबर को, गंदेरबल और बडगाम के उम्मीदवारों की स्क्रीनिंग 13 नवंबर को और कुपवाड़ा और बांदीपुरा के उम्मीदवारों की स्क्रीनिंग 14 नवंबर को की जा रही है, जबकि 16-17 नवंबर को दो दिन मेडिकल जांच के लिए हैं।

जम्मू कश्मीर में भारतीय सेना आतंकवाद को पूरी तरह से खत्म करने में जुटी हुई है। आतंकियों के खात्मा करने के लिए लगातार सर्च अभियान चलाए जा रहे हैं। यहां विधानसभा चुनाव भी कराए गए हैं। अब यहां के युवाओं के सेना में शामिल कर मुख्य धारा से जोड़ने की कोशिश की जा रही है। स्थानीय लोगों के शामिल होने से सेना को फायदा होगा और आतंकियों को पनाह देने वाले लोगों की संख्या में भी कमी आएगी।
दिल्ली में डेंगू ने बरपाया कहर, बीते हफ्ते सामने आए 472 मामले, इस साल इतने लोग गंवा चुके जान


डेस्क: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में डेंगू के मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है। बीते एक हफ्ते में डेंगू के 472 मामले सामने आए हैं। इस साल अब तक डेंगू से 3 मौतें भी हुई हैं। इस साल अब तक कुल 4533 मामले सामने आ चुके हैं। ये जानकारी दिल्ली नगर निगम ने दी है।

डेंगू बीमारी मच्छरों के काटने से फैलती है। इस बीमारी में शरीर से तेजी से प्लेटलेट्स गिरते हैं, इससे मरीज की हालत बिगड़ती जाती है और उसे हॉस्पिटल में एडमिट करवाना पड़ता है। गंभीर स्थिति में पहुंचने पर मरीज की मौत भी हो जाती है। इस बीमारी के आम लक्षण तेज बुखार, उल्टी और सिर में दर्द हैं।

डेंगू एक गंभीर वायरल संक्रमण है, जो एडीज़ मच्छर के काटने से फैलता है। इसके होने से मरीज को शरीर में कमजोरी लगने लगती है और प्लेटलेट्स डाउन होने लगते हैं। एक आम इंसान के शरीर में 3 से 4 लाख प्लेटलेट्स होते हैं। डेंगू से ये प्लेटलेट्स गिरते हैं। डॉक्टरों का मानना है कि 10 हजार प्लेटलेट्स बचने पर मरीज बेचैन होने लगता है। ऐसे में लगातार मॉनीटरिंग जरूरी है।

डॉक्टरों के अनुसार, डेंगू के मरीज को विटामिन सी से भरपूर फल खिलाना सबसे लाभकारी माना जाता है। इस दौरान कीवी, नाशपाती और अन्य विटामिन सी से भरपूर फ्रूट्स खिलाने चाहिए। इसके अलावा मरीज को ज्यादा से ज्यादा लिक्विड डाइट देना चाहिए। इस दौरान मरीज को नारियल पानी भी पिलाना चाहिए। मरीज को ताजा घर का बना सूप और जूस दे सकते हैं।
मंदिर जाने के लिए लेनी होगी परमिशन, बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी में भारी बवाल, चीफ वार्डन ने दी सफाई

डेस्क: भोपाल के बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय में सुंदरकांड और मंदिर जाने को लेकर एक विवाद सामने आया है। हॉस्टल में रहने वाली छात्राओं का आरोप है कि चीफ वार्डन आयशा रईस के आदेश पर उन्हें सुंदरकांड पढ़ने और मंदिर जाने पर रोका और माफीनामा लिखवाया गया। छात्राओं के अनुसार, वार्डन ने कहा कि अगर उन्हें मंदिर जाना है तो पहले विश्वविद्यालय प्रशासन से इजाजत लेनी होगी।

छात्राओं ने आरोप लगाया है कि उन्हें सुंदरकांड पढ़ने और मंदिर जाने से रोका गया और इसके बाद माफीनामा लिखवाने की बात कही गई। इस मुद्दे को लेकर विश्वविद्यालय में हलचल मच गई है। छात्राएं इस फैसले के खिलाफ आवाज़ उठा रही हैं।

वहीं, इस विवाद को लेकर बरकतुल्लाह यूनिवर्सिटी की चीफ वार्डन आयशा रईस का बयान सामने आया है। उन्होंने इंडिया टीवी से बात करते हुए कहा, "यह मजहबी मुद्दा है नहीं, यह मुद्दा निपटा दिया गया था। मुद्दा कहीं जाने का नहीं है, मुद्दा अनुशासन का है। वाइस चांसलर ने एक कमेटी बना दी है। वह और भी तहकीकात करेगी। बच्ची हमारी औलाद की तरह हैं। उन्हें कुछ नहीं होना चाहिए। अपने मां-बाप से दूर रहते हम उन्हें इतना प्यार देते हैं। हम उन्हें सेफ्टी देते हैं, ताकि वह खुशहाली से अपनी पढ़ाई करें।"

इस विवाद को लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के छात्र विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। ABVP के छात्र विश्वविद्यालय के मेन गेट पर एकत्रित हुए और रामधुन का आयोजन कर प्रशासन से इस मुद्दे पर सद्बुद्धि की अपील की। दिवाकर शुक्ला, ABVP के अध्यक्ष ने बताया कि छात्राओं को मंदिर जाने और धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेने से रोकने की यह कार्रवाई निंदनीय है और इसके खिलाफ उनका विरोध जारी रहेगा।

हिंदू संगठनों में इस मामले को लेकर गहरी नाराजगी है। उनका कहना है कि अगर इस मामले में उचित कार्रवाई नहीं की गई, तो वे सड़कों पर उतरकर विरोध करेंगे। उन्होंने कहा, "मोहन के राज में सुंदरकांड और धार्मिक आयोजनों पर रोक नहीं सहन की जाएगी।"
अब भगवा रंग में रंगे जाएंगे राजस्थान के सभी सरकारी कॉलेज, भजनलाल सरकार का निर्देश


डेस्क: राजस्थान के सरकारी कॉलेज अब भगवा रंग में रंगे जाएंगे। इस संबंध में प्रदेश की भजनलाल शर्मा सरकार ने निर्देश जारी कर दिया है। सरकारी कॉलेजों के मुख्य द्वार और गैलरी को भगवा रंग में रंगा जाना आवश्यक किया गया है। अंदर के शेष इलाके को रंगने में भी भगवा रंग को प्राथमिकता देने के लिए कहा गया है। अंदर हॉल में सफेद रंग होगा।

शुरूआती दौर में 20 प्रमुख कॉलेजों के लिए यह आदेश जारी किया गया है। इसके बाद प्रदेश के सभी कॉलेजों में इस आदेश की पालना सुनिश्चित करवाई जाएगी। कॉलेज आयुक्तालय की ओर से ये आदेश जारी किया गया है।

इस आदेश में साफ कहा गया है कि पहले चरण में प्रदेश के हर संभाग में दो कॉलेजों को ऑरेंज और ब्राउन रंग से रंगा जाएगा। इसके बाद दूसरे चरण में प्रदेशभर के सरकारी कॉलेजों को जिलेवार कॉलेजों का सुंदरीकरण का काम होगा। इसकी शुरुआत प्रदेश के 20 सरकारी कॉलेज से की गई है।

इस मामले को लेकर भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए राजस्थान कांग्रेस के महासचिव स्वर्णिम चतुर्वेदी ने कहा कि यह कॉलेजों में शिक्षा का राजनीतिकरण करने का प्रयास है। उन्होंने कहा, 'भाजपा सरकार लोगों से किए गए वादों को पूरा करने में विफल रही है। सरकार के पास अपनी उपलब्धियों के रूप में बताने के लिए कुछ भी नहीं है और ध्यान भटकाने के लिए वह इस तरह के कदम उठा रही है।'
दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले AAP को बड़ा झटका, पूर्व मंत्री हरशरण सिंह बल्ली बेटे समेत बीजेपी में शामिल

डेस्क: दिल्ली विधानसभा में अब जबकि कुछ महीने ही बाकी रह गए हैं सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका लगा है। पार्टी के सीनियर नेता और दिल्ली के पूर्व मंत्री सरदार हरशरण सिंह बल्ली अपने बेटे समेत आज बीजेपी में शामिल हो गए।

बल्ली और उनके बेटे के बीजेपी की सदस्यता ग्रहण करते समय दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा, बल्ली के पुराने सहयोगी सुभाष आर्य और सुभाष सचदेवा भी मौजूद थे। हरशरण सिंह बल्ली के बेटे और आम आदमी पार्टी का युवा चेहरा सरदार गुरमीत सिंह 'रिंकू' बल्ली भी बीजेपी में शामिल हो गए।
कौन हैं बबिता चौहान, जिन्होंने महिलाओं की सुरक्षा को लेकर दिया ऐसा प्रस्ताव, जिसकी हर तरफ हो रही चर्चा


डेस्क: बबिता चौहान उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष हैं। वे मूल रूप से आगरा की रहने वाली हैं। बबिता चौहान उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बनने से पहले भी भाजपा में कई अहम जिम्मेदारियां संभाल चुकी हैं। बता दें कि उत्तर प्रदेश में महिला सुरक्षा को लेकर उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग ने प्रस्ताव दिया है, जिसकी हर तरफ चर्चा हो रही है। इस प्रस्ताव को महिला आयोग की अध्यक्ष बबीता चौहान द्वारा रखा गया। यूपी राज्य महिला आयोग के इस प्रस्ताव के तहत टेलर की दुकान पर अब महिलाओं की माप पुरुष दर्जी नहीं ले सकते। साथ ही जिम और योग सेंटर्स में पुरुष महिलाओं को ट्रेनिंग नहीं दे सकते।

आयोग की ओर से स्कूल बस में महिला सुरक्षाकर्मियों को लेकर भी सिफारिश की गई है। साथ ही  महिलाओं के कपड़ों की दुकान पर भी महिला कर्मचारियों की सिफारिश की गई है। इस प्रस्ताव को समर्थन भी मिल रहा है। बता दें कि इस मामले पर 28 अक्टूबर को हुई बैठक में फैसले लिए गए।

राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बबिता चौहान ने कहा, "जिम और महिलाओं के बुटीक में पुरुष प्रशिक्षकों द्वारा बैड टच की शिकायतें बढ़ रही हैं। कपड़े सिलने के लिये महिलाओं के नाप लेने वाले ज्यादातर दर्जी पुरुष होते हैं। हमारा कहना है कि अगर दर्जी पुरुष है तो कोई समस्या नहीं है, लेकिन नाप सिर्फ महिलाओं को ही लेना चाहिए।" उन्होंने कहा, "हमें पता है कि इन सभी जगहों पर प्रशिक्षित महिलाओं को काम पर रखना होगा और इसमें कुछ समय लग सकता है लेकिन फिर भी इस कदम से महिलाओं को बैड टच से बचाने के अलावा ज़्यादा महिलाओं को रोजगार मिलेगा।"


महिला आयोग की सदस्य हिमानी अग्रवाल ने कहा, "हमारा मानना है कि इस तरह के पेशे में पुरुष भी शामिल हैं और नाप लेने के दौरान महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की जाती है। वे (पुरुष) गलत तरीके से छूने की कोशिश करते हैं। कुछ पुरुषों की मंशा भी अच्छी नहीं होती। हालांकि, ऐसा नहीं है कि सभी पुरुषों की मंशा खराब होती है। इसलिए महिलाओं को ही महिलाओं का नाप लेना चाहिए।" उन्होंने कहा, "अभी यह प्रस्ताव है और हमने कहा है कि ऐसा होना चाहिए।