संभल में उर्दू दिवस एवं पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया गया
सम्भल: अल्लामा इकबाल फाउंडेशन के तत्वाधान में एवं मिशन इंटरनेशनल एकेडमी (सीनियर सेकेंडरी स्कूल) बहजोई रोड, चौधरी सराय सम्भल के प्रांगण में उर्दू दिवस से संबंधित साप्ताहिक कार्यक्रमों की श्रृंखला की अंतिम कड़ी, उर्दू दिवस समारोह और पुरस्कार वितरण कार्यक्रम हर्षोल्लास के साथ आयोजित किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत कलाम-ए रब्बानी की तिलावत से हुई तनवीर हुसैन अशरफी ने बारगाहे रिसालत मआब में नात-ए-पाक पेश की। इसके बाद एकेडमी के विद्यार्थियों ने खूबसूरत उर्दू तकरीरें नज्में और तराना पेश किया।
अल-कादीर इंटर कॉलेज मंडी किशनदास सराय, संभल के छात्रों गौसिया खानम, रवान अशरफ और फतेह अली ने प्रसिद्ध उर्दू कवियों के शेर उन्हीं के अन्दाज में सुनाकर कार्यक्रम में समा बांधा। मुलायम सिंह यादव इंटर कॉलेज अतरासी के छात्र जिÞया उर रहमान जिया बरकती ने अल्लामा इकबाल की लिखी हुई खूबसूरत गजल पेश करके श्रोताओं को मंत्र मुक्त कर दिया । बच्चों के सांस्कृतिक कार्यक्रमों के बाद फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रोफेसर आबिद हुसैन हैदरी ने फाउंडेशन के लक्ष्य और उद्देश्यों को बताते हुए कहा कि फाउंडेशन 2017 से उर्दू दिवस के अवसर पर सात दिवसीय कार्यक्रमों का आयोजन करता आ रहा है और इन कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों में उर्दू भाषा और साहित्य के प्रति बराबर दिलचस्पी पैदा हो रही है। यह साप्ताहिक कार्यक्रम न केवल छात्र-छात्राओं के लिए फायदेमंद है बल्कि भारत में अपने अंदाज काअनोखा प्रयास है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर मुहम्मद हुसैन जाफरी ने की और मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व विधायक शाहजहाँपुर, शहीद-ए वतन अशफाक उल्ला खां के पोते और उन्हीं के हमनाम अशफाक उल्ला खां शामिल हुए। उन्होंने अपने भाषण में कहा कि देश की आजादी और साझी विरासत की रक्षा के लिए हमने अनेक देशभक्तों का बलिदान दिया है। और भविष्य में इस महान विरासत की रक्षा की जिÞम्मेदारी उर्दू से प्यार करने वालों की है।
सम्भल एवं सम्भल के ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा दूर दराज से आए विभिन्न शैक्षणिक, साहित्यिक एवं सामाजिक हस्तियों ने विशिष्ट एवं मानद अतिथि के रूप में भाग लिया।मुरादाबाद से आए डॉ. मुहम्मद आसिफ ने उर्दू को लश्कर की भाषा के रूप में मान्यता देते हुए कहा कि यहां लश्कर का अर्थ बहुत व्यापक है। सूफिया इकराम के लश्कर ने उर्दू के प्रचार और विकास में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और यहाँ लश्कर का यही मतलब होना चाहिए, जिनकी सेवाओं को हम कभी नहीं भूल सकते।
असद मौलाई मुरादाबादी ने कहा कि उर्दू की हालत के लिए सिर्फ गैर-उर्दू भाषी लोगों का मुखालिफ रवैया ही जिम्मेदार नहीं है, बल्कि हम जो खुद को उर्दू भाषी और उर्दू वाला कहते हैं, वे भी समान रूप से उर्दू की मौजूदा हालात के बराबर जिÞम्मेदार हैं।
डॉ. किश्वर जहां जैदी ने सम्भल में उर्दू के नए दीप जलाने के प्रयासों के लिए अल्लामा इकबाल फाउंडेशन के सभी सदस्यों को बधाई दी। डॉ. मुजाहिद फराज मुरादाबादी ने आलामा इकबाल फाउंडेशन के कार्यक्रमों को अनुकरणीय बताया और उर्दू भाषा के प्रचार-प्रसार और विकास के लिए फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. आबिद हुसैन हैदरी और श्री मुशीर खां तरीन के प्रयासों की सराहना की एवं मुरादाबाद सहित अनेक स्थानों पर इस तरह के सात दिवसीय उर्दू कार्यक्रम करने पर जोर देते हुए कहा कि इससे परमिशन इंटरनेशनल एकेडमी (सीनियर सेकेंडरी स्कूल), बहजोई रोड, संभल में उर्दू दिवस एवं पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया गया।
सम्भल: अल्लामा इकबाल फाउंडेशन के बैनर तले एवं मिशन इंटरनेशनल एकेडमी (सीनियर सेकेंडरी स्कूल) बहजोई रोड, सम्भल के तत्वावधान में उर्दू दिवस से संबंधित साप्ताहिक कार्यक्रमों की श्रृंखला की अंतिम कड़ी, उर्दू दिवस का जश्न और पुरस्कार वितरण समारोह अकैडमी के विशाल प्रांगण में आयोजित किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत कलाम-ए रब्बानी की तिलावत से हुई और तनवीर हुसैन अशरफी ने बारगाहे रिसालत मआब में नात-ए-पाक पेश की। इसके बाद एकेडमी के विद्यार्थियों ने खूबसूरत उर्दू तकरीरें पेश कीं। अल-कादीर इंटर कॉलेज मंडी किशनदास सराय, संभल के छात्रों गौसिया खानम, रवान अशरफ और फतेह अली ने प्रसिद्ध उर्दू कवियों की तमसील में शेर सुनाकर कार्यक्रम में समा बांधा। बच्चों के सांस्कृतिक कार्यक्रमों के बाद फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रोफेसर आबिद हुसैन हैदरी ने फाउंडेशन के लक्ष्य और उद्देश्यों को बताते हुए कहा कि फाउंडेशन 2017 से उर्दू दिवस के अवसर पर सात दिवसीय कार्यक्रमों का आयोजन करता आ रहा है और इन कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों में उर्दू भाषा और साहित्य के प्रति बराबर दिलचस्पी पैदा हो रही है। यह साप्ताहिक कार्यक्रम न केवल छात्र-छात्राओं के लिए फायदेमंद है बल्कि भारत में अपने अंदाज काअनोखा प्रयास है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर मुहम्मद हुसैन जाफरी ने की और मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व विधायक शाहजहाँपुर, शहीद-ए वतन अशफाक उल्ला खां के पोते और उन्हीं के हमनाम अशफाक उल्ला खां शामिल हुए। उन्होंने अपने भाषण में कहा कि देश की आजादी और साझी विरासत की रक्षा के लिए हमने अनेक देशभक्तों का बलिदान दिया है। और भविष्य में इस महान विरासत की रक्षा की जिÞम्मेदारी इसकी सच्ची आमीन उर्दू और उर्दू से प्यार करने वालों की है।
सम्भल एवं सम्भल के बाहर की विभिन्न शैक्षणिक, साहित्यिक एवं सामाजिक हस्तियों ने विशिष्ट एवं मानद अतिथि के रूप में भाग लिया।
डॉ. मुहम्मद आसिफ ने उर्दू को लश्कर की भाषा के रूप में मान्यता देते हुए कहा कि यहां लश्कर का अर्थ बहुत व्यापक है। सूफिया इकराम के लश्कर ने उर्दू के प्रचार और विकास में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और यहाँ लश्कर का यही मतलब होना चाहिए, जिनकी सेवाओं को हम कभी नहीं भूल सकते। असद मौलाई मुरादाबादी ने कहा कि उर्दू की हालत के लिए सिर्फ गैर-उर्दू भाषी लोगों का मुखालिफ रवैया ही जिम्मेदार नहीं है, बल्कि हम जो खुद को उर्दू भाषी और उर्दू वाला कहते हैं, वे भी समान रूप से उर्दू की मौजूदा हालात के बराबर जिÞम्मेदार हैं।
डॉ. किश्वर जहां जैदी ने सम्भल में उर्दू के नए दीप जलाने के प्रयासों के लिए अल्लामा इकबाल फाउंडेशन के सभी सदस्यों को बधाई दी। डॉ. मुजाहिद फराज मुरादाबादी ने आलामा इकबाल फाउंडेशन के कार्यक्रमों को अनुकरणीय बताया और उर्दू भाषा के प्रचार-प्रसार और विकास के लिए फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. आबिद हुसैन हैदरी और श्री मुशीर खां तरीन के प्रयासों की सराहना की एवं इस तरह के कार्यक्रम अपने गृह नगर मुरादाबाद के साथ विभिन्न जिलों में कराने पर जोर देते हुए कहा कि इससे परस्पर प्रेम एवं मोहब्बत का वातावरण पैदा होगा । डॉ. नसीम अल-जफर बाकरी ने कहा कि अल्लामा इकबाल जैसे महान विचारक और शायर, जिन्होंने दुनिया को इंसान की महत्ता और इस कायनात में उसके अस्तित्व का एहसास कराने की कोशिश की, वो हर युग, और हर क्षेत्र के शायर हैं। हमें इस बात पर गर्व है कि हम उर्दू बोलते हैं और वह भी उर्दू बोलते थे। प्रोफेसर मुहम्मद हुसैन जाफरी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि हमें उर्दू को बढ़ावा देने के लिए नई पीढ़ी को समझाना होगा कि राष्ट्रीय संस्कृति और विरासत की रक्षा की जिÞम्मेदारी अब उन पर है और वे इसे उर्दू के माध्यम से बखूबी निभा सकते हैं।
इस अवसर पर, शहर के प्रसिद्ध लेखक और पेशे से डॉक्टर डॉ. नसीमउजफर बाकरी को उनकी शैक्षणिक और साहित्यिक सेवाओं के लिए अल्लामा इकबाल फाउंडेशन द्वारा 2024 के नदीम तरीन शैक्षिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया। शहर के जाने-माने कवि सैयद हुसैन अफसर को उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए डॉ. हनीफ तरीन साहित्यिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पुरस्कार वितरण सत्र के दौरान विगत 3 नवंबर से प्रारंभ हुए साप्ताहिक समारोहों के अंतर्गत विभिन्न साहित्यिक एवं शैक्षणिक कार्यक्रम आयोजित करने वाले शिक्षण संस्थानों को प्रमाणपत्र एवं मोमेंटो पेश किए गए ।
इनमें सादात पीजी कॉलेज के प्रबंधक सफदर हुसैन जाफरी ,मदरसा मसूद गाजी सैफ सराय के प्रबंधक हाफिज मेहंदी हसन, एस एच डिग्री कॉलेज चिरौली भगवनत पुर के प्रबंधक अखलाक हुसैन सैफी, अलकदीर इंटर कॉलेज मण्डी किशनदास सराय के प्रधानाचार्य तनवीर हुसैन अशरफी एवं शान मियां, एलिट जूनियर हाई स्कूल सराय तरीन के प्रबंधक मोहम्मद उमर खान एवं जिया उल रहमान बरकाती एवं मिशन इंटरनेशनल एकेडमी के प्रधानाचार्य को सितारे उर्दू सम्मान से विभूषित किया गया । इन सात दिवसीय समारोहों में सराहनीय प्रदर्शन के लिए प्रथम द्वितीय एवं तृतीय स्थान स्थान प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को पुरस्कार देकर प्रोत्साहित किया गया। इस कार्यक्रम में विशेष वक्ता के रूप में डॉ. मुहम्मद अहमद को अकादमी की ओर से शॉल एवं मोमेंटो भेंट किया गया। इसके अलावा डॉ. रियाज अनवर, डॉ. नवीद अहमद खान, बदर जमाल साहिल, मीर शाह हुसैन आरिफ और अल्लामा इकबाल फाउंडेशन के अन्य सदस्यों को सितारा-ए उर्दू पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मंच संचालन मीर शाह हुसैन आरिफ और शफीकुर रहमान बरकाती ने संयुक्त रूप से किया। कार्यक्रम के अंत में अकादमी के प्रबंधक मुशीर खां तरीन ने सभी अतिथियों और श्रोताओं का धन्यवाद किया।
इस कार्यक्रम में संभल शहर के विभिन्न शिक्षण संस्थानों के संचालक, शिक्षक और छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में गणमान्य लोग शामिल हुए। होगा। इनमें डॉक्टर नाजिम, डॉक्टर रय्यान युसूफ, डॉक्टर रजा, हकीम बुरहान सेंबली, शेख जुनैद इब्राहिम ,हाजी बशीरुद्दीन, डॉक्टर काजिम अली अशरफी , डॉ मोहम्मद फहीम, डॉ शहजाद आलम, मोहम्मद उमर खान गुड्डू, मास्टर शान ए रब, फरमान हुसैन अब्बासी, बबबू खान, अजमल खान, ताहिर सलामी ,डॉ किश्वर जहां जैदी , तौकीर हैदर जाफरी ,रहमत जहां,उजमा बी, अब्दुल रहमान एडवोकेट, आदि बड़ी संख्या में गणमान्य लोग उपस्थित रहे अंत में कार्यक्रम के अध्यक्ष एवं सिरसी सादात पीजी कॉलेज के फाउंडर
प्रोफेसर मुहम्मद हुसैन जाफरी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि हमें उर्दू को बढ़ावा देने के लिए नई पीढ़ी को समझाना होगा कि राष्ट्रीय संस्कृति और विरासत की रक्षा की जिÞम्मेदारी अब उन पर है और वे इसे उर्दू के माध्यम से बखूबी निभा सकते हैं।
मंच संचालन मीर शाह हुसैन आरिफ और शफीकुर रहमान बरकाती ने संयुक्त रूप से किया। कार्यक्रम के अंत में अकादमी के प्रबंधक मुशीर खां तरीन ने सभी अतिथियों और श्रोताओं का धन्यवाद किया।
Nov 10 2024, 17:32