MP News : जुगत नहीं आई काम, पहुंचाया वक्फ को नुकसान, बरसों बाद आएंगे कानून के घेरे में, जानें क्या है पूरा मामला
खान आशु
भोपाल। अध्यक्ष तय है... अधिकारी, कर्मचारी और यहां तक कि चपरासी या चौकीदार भी तयशुदा आदेश के तहत काम कर रहे हैं। लेकिन मप्र वक्फ बोर्ड में हर कार्यालयीन दिवस(कई बार छुट्टियों में भी) पाबंदी से दिखाई देने वाले एक रिटायर्ड सीईओ की मौजूदगी लोगों के लिए जिज्ञासा का विषय बनी हुई है। सेवानिवृत्ति के बरसों बाद भी उनकी दफ्तर आवाजाही को लेकर अब लोगों को जवाब मिलने लगे हैं। दरअसल सेवाकाल में उनके हाथों हुए एक बड़े करोड़ी घोटाले की फाइलें ठिकाने लगाना उनकी वक्फ बोर्ड कार्यालय में पहुंच का कारण बताया जा रहा है। हालांकि उनके इन प्रयासों को अब ठेस लगती नजर आ रही है, जब इस वक्फ नुकसान को लेकर अदालत जाने की तैयारी कर ली गई है।
सूत्रों का कहना है कि मप्र वक़्फ़ बोर्ड क़ी सम्पति पंजीयन क्रमांक-165/192 पर रजिस्टर्ड होकर मध्यप्रदेश असाधारण राजपत्र दिनांक 25/8/1989 में प्रकाशित एवं अधिसूचित 40 खसरो वाली वक़्फ़ सम्पति रकबा 16.235 हेक्टयर वक़्फ़ इस्लामिया मदरसा व स्कूल कुरवाई ज़िला विदिशा क़ी सम्पति सर्वे नंबर कुल 19 किता रकबा 4.633 हैक्टेयर 7 करोड़, 77 लाख, 92 हजार 400 क़ी लागत क़ी वक़्फ़ क़ी ज़रखेज़, सिंचित, उपजाऊ ज़मीन को देकर उसके बदले में बंजर बेकार ऊबड़ खाबड़, असिंचित ज़मीन वक़्फ़ के खाते में डाल दी गई।मुतवल्ली ज़फर अली खान को दिनांक 26/06/2010 को विनिमय का आदेश करते मध्यप्रदेश वक़्फ़ बोर्ड के तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी दाऊद अहमद खान
ने अपने कार्यकाल में यह कारनामा किया था।
अधिनियम के खिलाफ फैसला
सूत्रों का कहना है कि दाऊद अहमद खान द्वारा वक़्फ़ अधिनियम 1995 संशोधित अधिनियम 2013 क़ी धारा 51 के अनुसार बोर्ड क़ी अनुज्ञा के बिना वक़्फ़ सम्पति का अन्य संक्रांमण (Alienation) शून्य होगा। धारा-51 के अनुसार वक़्फ़ विलेख में अंतर निहित किसी बात के होते हुए भी किसी अचल सम्पति का हिबा, विक्रय, विनिमय अथवा बंधक जो वक़्फ़ सम्पति है शून्य होगा, जब तक कि ऎसी हिबा, विक्रय, विनिमय अथवा बंधक वक़्फ़ बोर्ड क़ी पूर्व अनुज्ञा के बिना प्रभावी नहीं किया जा सकता। वक़्फ़ अधिनियम क़ी धारा 51 व 32 में विनिमय के सम्बन्ध में स्पष्ट प्रावधान है, जिसके अनुसार ऐसे निर्णय दो तिहाई बहुमत से पारित होना चाहिये व बिना बोर्ड क़ी अनुमति के विनिमय नहीं किया जाना चाहिये। परन्तु इस प्रकरण में प्रथम विनिमय बिना बोर्ड के अनुमति के पद का दुरूपयोग करते और अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर अवैध रूप से कर दिया गया।
किया पद का दुरुपयोग
तत्कालीन वक़्फ़ बोर्ड सीईओ दाऊद अहमद खान द्वारा पत्र क्रमांक 10/4777-78 भोपाल दिनांक 22/6/2010 को उपरोक्त वक़्फ़ इस्लामिया मदरसा स्कूल कुरवाई के मुतवल्ली ज़फर अली खान वल्द नवाब सरदार अली खान को अच्छी और घटिया दोनों किस्म क़ी भूमियों क़ी अदला-बदली क़ी स्वीकृति प्रदान करते हुए अपने पदीय हैसियत का दुरूपयोग किया। उन्होंने क्षेत्रधिकार से बाहर जाते वक़्फ़ अधिनियम क़ी धारा 51-(1) एवं धारा 32 (जे) के सुसंगत प्रावधानो का उल्लंघन करते हुए वक़्फ़ सम्पति को खुर्द -बुर्द करते वक़्फ़ बोर्ड को 8 करोड़ क़ी राजस्व हानि पंहुचाई है।
जारी हुई विभागीय जांच
इसी श्रृंखला में पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण विभाग, मंत्रालय वल्लभ भवन पत्र क्रमांक-एफ- 4-3/2014/54-1 भोपाल दिनांक 09 जून 2014 को अपर सचिव मध्यप्रदेश शासन द्वारा दाऊद अहमद खान को वक़्फ़ बोर्ड को 8 करोड़ रुपये क़ी भारी भरकम राशि का नुकसान पहुँचाने पर विभागीय जाँच का आरोप पत्र जारी करते हुए जहां पर मध्यप्रदेश सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम, 1966 के नियम 12 (2) एवं 13 (1) के अधीन अनुशासनिक प्राधिकारी यथा राज्य शासन उक्त नियमों के नियम 14 (3) के अन्तर्गत आरोप अधिरोपित करने के साथ साथ पत्र में निर्देशित किया गया है। दाऊद अहमद खान के उपरोक्त अवैध एवं क्षेत्रधिकार विहीन कृत्य से मध्यप्रदेश वक़्फ़ बोर्ड को गंभीर आर्थिक हानि पहुंची, जिसके लिये आपने अपने आप को मध्यप्रदेश सिविल सेवा (आचरण नियम) 1965 के नियम -3 के विपरीत कदाचरण करते हुए मध्यप्रदेश सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम, 1966 के नियम 14 के अंतर्गत अनुशासनात्मक कार्यवाही का भागी बना लिया है।
मामला EOW में लंबित
वक़्फ़ भूमि क़ी अदला-बदली कर वक़्फ़ बोर्ड को 8 करोड़ का नुक्सान पहुँचाने के मामले में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ द्वारा जाँच उपरांत यह प्रकरण मध्यप्रदेश शासन क़ी मंज़ूरी न मिलने से अभी प्रतीक्षारत है। 22 दिसम्बर 2014 को अपर मुख्य सचिव मध्यप्रदेश शासन पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने सामान्य प्रशासन विभाग से अभियोजन चलाने की स्वीकृति हेतु पत्र लिखा था। इसकी अभियोजन क़ी मंज़ूरी में रूकावट इसलिए भी आ रही है कि दाऊद अहमद के साथ इस प्रकरण में भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी और तत्कालीन विदिशा कलेक्टर योगेंद्र शर्मा के साथ साथ मरहूम गुफरान ए आज़म पूर्व वक़्फ़ बोर्ड अध्यक्ष एवं मोईन खान सहित तत्कालीन वक़्फ़ बोर्ड संचालक मंडल पर आरोप कारित किये गये है। अभियोजन क़ी स्वीकृति 10 साल से प्रतीक्षारत है।
दाखिल हुई पिटिशन
वक़्फ़ के जानकार 10 साल से रुके इस प्रकरण में अभियोजन क़ी स्वीकृति करवाने माननीय मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के समक्ष पिटीशन दायर करते वक़्फ़ को 8 करोड़ का नुकसान पहुँचाने वाले आरोपियों क़ी जल्द से जल्द सलाखो के पीछे जेल भेजनें योजना क़ी अमली जामा पहनाते इसी माह में अमल में लाते पिटीशन दायर करने क़ी तैयारी में जुट गए हैं।
लगे हैं बचने की जुगत में
कई वर्षों पहले सेवानिवृत्त हो चुके पूर्व सीईओ दाऊद अहमद मप्र वक्फ बोर्ड गठन में अहम भूमिका निभा चुके हैं। शुरुआती दौर में उन्हें इस चुनाव के लिए रिटर्निंग अफसर भी बनाया गया था, लेकिन इस पर उठी आपत्ति के बाद अदालत ने उन्हें इस जिम्मेदारी से हटा दिया था। सूत्रों का कहना है कि बोर्ड गठन के बाद से ही दाऊद अहमद लगातार बोर्ड दफ्तर में सेवाएं दे रहे हैं। बिना किसी अधिकृत आदेश या स्वीकृत पद के वे बोर्ड के जरूरी फैसलों में दखल रखने के अलावा कई विशेष फाइलों की ड्राफ्टिंग में भी भूमिका निभा रहे हैं। सूत्रों का यह भी कहना है कि वे बिना अधिकार कई फाइलों पर मौजूदा सीईओ के फर्जी हस्ताक्षर करने से भी नहीं चूक रहे हैं। सेवानिवृत्त अधिकारी के बोर्ड में बैठने और कामों में दखल रखने को लेकर बोर्ड जिम्मेदारों के पास भी कोई माकूल जवाब मौजूद नहीं है। हालांकि उनकी मौजूदगी को उनके कार्यकाल में हुए घोटालों की फाइलों को ठिकाने लगाने की जुगत माना जा रहा है।
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भोपाल से खान आशु की रिपोर्ट
Nov 02 2024, 21:24