*शंकरगढ़ रेलवे परिसर में अवैध कब्जा हटाने में प्रशासन नाकाम*
विश्वनाथ प्रताप सिंह
प्रयागराज- शंकरगढ़ रेलवे परिसर अवैध कब्जा धारियों का गढ़ बन चुका है। शंकरगढ़ रेलवे पुलिस ने कई बार कब्जा धारियों को अवैध कब्जा हटाने की हिदायत भी दी है, लेकिन कब्जाधारी छोड़ने को तैयार नहीं है। ऐसे लोगों के खिलाफ समाजसेवी घनश्याम प्रसाद केसरवानी ने शासन से लिखित शिकायत पत्र देकर कार्रवाई की मांग की है, ताकि रेलवे की भूमि को सुरक्षित रखा जा सके। कार्रवाई नहीं होने से अवैध कब्जाधारियों के हौसले बुलंद है।हालांकि, बार-बार शिकायत के बावजूद प्रशासन हरकत में आई और जेसीबी के माध्यम से झुग्गी झोपड़ियों पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई भी की थी, जिसमें कुछ दबंग माफियाओं का अवैध पक्का निर्माण छूट गया था।
बता दें कि शंकरगढ़ रेलवे परिसर में लगभग 50 मीटर पर अवैध पक्का निर्माण बना हुआ है और उन अवैध पक्का निर्माणों में शराब की दुकान से लेकर कई तरह-तरह की कमर्शियल दुकानें भी संचालित हैं। यह सारा खेल रेलवे और आबकारी विभाग की मिली भगत से खेला जा रहा है। जबकि शराब की दुकानों का परिमिशन राजभवन चौराहा और कनक नगर के लिए किया गया था, लेकिन आबकारी और रेलवे विभाग की मिलीभगत से खुलेआम रेलवें परिसर में संचालित हो रही है।
जब कोई समाजसेवी या पत्रकार अवैध पक्का निर्माण के लिए आवाज उठाता है तो कब्जाधारियों में से एक उच्च न्यायालय में वकील के मुंशी होने की धौंस दे कर मनिहानी का दावा करने का डाकघर से फर्जी नोटिस भेजवाने लगता है। जिसमें लिखा रहता है कि नोटिस प्राप्ति के 7 दिवस के अंदर 25 लाख रुपए अदा करें व लिखित रूप से माफी मांगे अन्यथा आपके विरुद्ध माननीय न्यायालय में मनिहानि की कार्रवाई करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा। जिसको लेकर कई लोग डर कर चुप हो जाते हैं और अपनी-अपनी शिकायतें वापस ले लेते हैं।
अबकी बार कब्जाधारी फर्जी नोटिस भेजवा कर अपने ही बिछाए जाल में फंस गया है। समाजसेवी घनश्याम प्रसाद केसरवानी ने बताया है कि अवैध पक्का निर्माणों में कार्रवाई नहीं हुई तो न्यायालय में पीआईएल (पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन ) दाखिल करके माननीय न्यायालय से गुहार लगाएगा। जहां पर अवैध शराब की दुकानों के साथ - साथ विभिन्न तरह के कमर्शियल दुकानें भी संचालित हो रही हैं।
Nov 02 2024, 16:46