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दिल्ली में घुंट रहा दम, कौन घोल रहा हवा में “जहर”, कहां चूक रहीं केंद्र और दिल्ली सरकार?
#delhi_pollution_aqi_leval_smog_in_air *
दिल्लीवासियों की सांसों पर संकट बरकरार है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी में एक्यूआई बहुत खराब श्रेणी में है। राजधानी के कई इलाकों का एक्यूआई 300 के पार दर्ज किया गया है। प्रदूषण का स्तर बढ़ने से लोगों को आंखों में जलन व सांस लेने में परेशानी हो रही है। ये हाल दिवाली से पहले के हैं। सवाल है दिवाली से पहले दिल्ली का ये हाल है तो सोचिए दिवाली के अगले दिन राजधानी में क्या होगा? सर्दियों के शुरू होते ही दिल्ली में वायु प्रदूषण बढ़ने लगता है। सर्दियों की दस्तक के साथ ही दिल्ली और इसके आसपास के लोग क़रीब तीन महीने तक एक तरह के गैस चैंबर में ज़हरीली हवा के बीच सांस लेने को मजबूर होते हैं। पिछले कुछ सालों की तरह इस बार भी दिल्ली में धुंध की परत ने आसमान को इस कदर घेर लिया है कि सांस लेना दूभर होता जा रहा है। दिल्ली लगातार प्रदूषण के टॉप -10 शहरों में बना हुआ है। दिल्ली इसमें खराब हवा के साथ तीसरे नंबर पर है। प्रदूषण के मामले में दिल्ली का आनंद विहार आज भी टॉप पर बना हुआ है। सुबह 5.30 बजे आनंद विहार का AQI 352 दर्ज किया गया, जबकि सुबह 6 बजे ये 351 रहा, जो कि बहुत ही खराब है। दिल्ली के प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट कई बार नाराज़गी जता चुका है। केंद्र सरकार से लेकर दिल्ली और आसपास की राज्य सरकारें अलग-अलग दावे करती रही हैं। एक बार फिर राजधानी की जहरीली होती हवा को लेकर अब सत्ताधारी आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गया है। बीजेपी ने इसके लिए मौजूदा सरकार को जिम्मेदार बताया है जिसके बाद आम आदमी पार्टी ने कहा है कि बीजेपी शासित राज्यों की वजह से ऐसा हो रहा है। दिल्ली में वायु प्रदूषण के मुद्दे पर काम करने वाले सीएक्यूएम यानी 'द कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट' के मुताबिक दिल्ली में पूरे साल प्रदूषण होता है, लेकिन यह सर्दियों में ज़्यादा नज़र आता है। सर्दियों में कम तापमान, हवा नहीं चलने और बारिश नहीं होने से प्रदूषण करने वाले कण ज़मीन की सतह के क़रीब काफ़ी कम इलाक़े में जमा हो जाते हैं। क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क साउथ एशिया के निदेशक संजय वशिष्ठ के मुताबाकि देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण की कई वजहें हैं जिनमें निजी वाहनों की बड़ी तादाद, दिल्ली में निर्माण कार्य की बड़ी भूमिका है, इसमें पराली (खेतों में फसलों के अवशेष) जलाना भी शामिल है। डीपीसीसी यानी दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी की वेबसाइट के मुताबिक़ दिल्ली में सर्दियों के दौरान पीएम-2.5 को बढ़ाने में बायोमास को जलाने का सबसे बड़ा योगदान रहा जो 25 फ़ीसदी के बराबर है। इसमें पराली जलाना भी शामिल है। सीएक्यूएम के मुताबिक़ सरकार ने दिल्ली में प्रदूषण को कम करने के लिए जो कदम उठाए हैं उसका असर हुआ है और प्रदूषण का औसत स्तर 2016 के मुक़ाबले कम हुआ है। हालाँकि अक्तूबर महीने के आसपास दिवाली और पराली की वजह से कुछ दिनों के लिए यह ज़रूर बढ़ जाता है। बता दें कि मशीनों से खेती की लागत कम होती है और मज़दूरों की ज़रूरत भी कम हो जाती है। इससे खेती में पशुओं की ज़रूरत ख़त्म हो गई और अब उन्हें खिलाने के लिए पराली की ज़रूरत नहीं पड़ती है।वहीं, एक फसल के बाद दूसरी फसल के लिए खेतों को जल्दी तैयार करना पड़ता है, इसलिए पराली को जला दिया जाता है। दिल्ली की इस हालत और प्रदूषण के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट पहले भी कई बार तीखी टिप्पणी कर चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पराली जलाने पर जुर्माने से संबंधित प्रावधानों को लागू नहीं किया गया है। कोर्ट ने प्रदूषण को संविधान के अनुच्छेद 21 यानी जीने के अधिकार के ख़िलाफ़ माना है, तो ऐसा करने वालों के ख़िलाफ़ एक्शन ज़रूरी है। उनका मानना है पराली जलाने से प्रदूषण की समस्या में अचानक बढ़ोतरी होती है और ऐसा करना अपराध है तो इस तरह के अपराध करने वालों को कोई सरकारी लाभ नहीं मिलना चाहिए। डीपीसीसी के आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में प्रदूषण के पीछे दूसरे नंबर पर वाहनों का योगदान होता है और यह क़रीब 25 फ़ीसदी है। दिल्ली सरकार में मंत्री गोपाल राय ने आरोप लगाया है कि उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में आने वाली डीज़ल बसों की वजह से दिल्ली में प्रदूषण पर असर पड़ता है। उनका कहना है, दिल्ली में अब सीएनजी और इलेक्ट्रिक बसें चल रही हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में डीज़ल बसें अभी भी आनंद विहार और कौशांबी डिपो पर चल रही हैं।
दिल्ली में घुंट रहा दम, कौन घोल रहा हवा में “जहर”, कहां चूक रहीं केंद्र और दिल्ली सरकार?
#delhi_pollution_aqi_leval_smog_in_air *
दिल्लीवासियों की सांसों पर संकट बरकरार है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी में एक्यूआई बहुत खराब श्रेणी में है। राजधानी के कई इलाकों का एक्यूआई 300 के पार दर्ज किया गया है। प्रदूषण का स्तर बढ़ने से लोगों को आंखों में जलन व सांस लेने में परेशानी हो रही है। ये हाल दिवाली से पहले के हैं। सवाल है दिवाली से पहले दिल्ली का ये हाल है तो सोचिए दिवाली के अगले दिन राजधानी में क्या होगा? सर्दियों के शुरू होते ही दिल्ली में वायु प्रदूषण बढ़ने लगता है। सर्दियों की दस्तक के साथ ही दिल्ली और इसके आसपास के लोग क़रीब तीन महीने तक एक तरह के गैस चैंबर में ज़हरीली हवा के बीच सांस लेने को मजबूर होते हैं। पिछले कुछ सालों की तरह इस बार भी दिल्ली में धुंध की परत ने आसमान को इस कदर घेर लिया है कि सांस लेना दूभर होता जा रहा है। दिल्ली लगातार प्रदूषण के टॉप -10 शहरों में बना हुआ है। दिल्ली इसमें खराब हवा के साथ तीसरे नंबर पर है। प्रदूषण के मामले में दिल्ली का आनंद विहार आज भी टॉप पर बना हुआ है। सुबह 5.30 बजे आनंद विहार का AQI 352 दर्ज किया गया, जबकि सुबह 6 बजे ये 351 रहा, जो कि बहुत ही खराब है। दिल्ली के प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट कई बार नाराज़गी जता चुका है। केंद्र सरकार से लेकर दिल्ली और आसपास की राज्य सरकारें अलग-अलग दावे करती रही हैं। एक बार फिर राजधानी की जहरीली होती हवा को लेकर अब सत्ताधारी आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गया है। बीजेपी ने इसके लिए मौजूदा सरकार को जिम्मेदार बताया है जिसके बाद आम आदमी पार्टी ने कहा है कि बीजेपी शासित राज्यों की वजह से ऐसा हो रहा है। दिल्ली में वायु प्रदूषण के मुद्दे पर काम करने वाले सीएक्यूएम यानी 'द कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट' के मुताबिक दिल्ली में पूरे साल प्रदूषण होता है, लेकिन यह सर्दियों में ज़्यादा नज़र आता है। सर्दियों में कम तापमान, हवा नहीं चलने और बारिश नहीं होने से प्रदूषण करने वाले कण ज़मीन की सतह के क़रीब काफ़ी कम इलाक़े में जमा हो जाते हैं। क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क साउथ एशिया के निदेशक संजय वशिष्ठ के मुताबाकि देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण की कई वजहें हैं जिनमें निजी वाहनों की बड़ी तादाद, दिल्ली में निर्माण कार्य की बड़ी भूमिका है, इसमें पराली (खेतों में फसलों के अवशेष) जलाना भी शामिल है। डीपीसीसी यानी दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी की वेबसाइट के मुताबिक़ दिल्ली में सर्दियों के दौरान पीएम-2.5 को बढ़ाने में बायोमास को जलाने का सबसे बड़ा योगदान रहा जो 25 फ़ीसदी के बराबर है। इसमें पराली जलाना भी शामिल है। सीएक्यूएम के मुताबिक़ सरकार ने दिल्ली में प्रदूषण को कम करने के लिए जो कदम उठाए हैं उसका असर हुआ है और प्रदूषण का औसत स्तर 2016 के मुक़ाबले कम हुआ है। हालाँकि अक्तूबर महीने के आसपास दिवाली और पराली की वजह से कुछ दिनों के लिए यह ज़रूर बढ़ जाता है। बता दें कि मशीनों से खेती की लागत कम होती है और मज़दूरों की ज़रूरत भी कम हो जाती है। इससे खेती में पशुओं की ज़रूरत ख़त्म हो गई और अब उन्हें खिलाने के लिए पराली की ज़रूरत नहीं पड़ती है।वहीं, एक फसल के बाद दूसरी फसल के लिए खेतों को जल्दी तैयार करना पड़ता है, इसलिए पराली को जला दिया जाता है। दिल्ली की इस हालत और प्रदूषण के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट पहले भी कई बार तीखी टिप्पणी कर चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पराली जलाने पर जुर्माने से संबंधित प्रावधानों को लागू नहीं किया गया है। कोर्ट ने प्रदूषण को संविधान के अनुच्छेद 21 यानी जीने के अधिकार के ख़िलाफ़ माना है, तो ऐसा करने वालों के ख़िलाफ़ एक्शन ज़रूरी है। उनका मानना है पराली जलाने से प्रदूषण की समस्या में अचानक बढ़ोतरी होती है और ऐसा करना अपराध है तो इस तरह के अपराध करने वालों को कोई सरकारी लाभ नहीं मिलना चाहिए। डीपीसीसी के आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में प्रदूषण के पीछे दूसरे नंबर पर वाहनों का योगदान होता है और यह क़रीब 25 फ़ीसदी है। दिल्ली सरकार में मंत्री गोपाल राय ने आरोप लगाया है कि उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में आने वाली डीज़ल बसों की वजह से दिल्ली में प्रदूषण पर असर पड़ता है। उनका कहना है, दिल्ली में अब सीएनजी और इलेक्ट्रिक बसें चल रही हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में डीज़ल बसें अभी भी आनंद विहार और कौशांबी डिपो पर चल रही हैं।
सलमान खान को फिर मिली मारने की धमकी, मैसेज कर कहा-दो करोड़ भेज दो, पैसे नहीं मिले तो.
#salman_khan_again_received_threat_to_kill
..* बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान को एक बार फिर जान से मारने की धमकी मिली है। धमकी देने ने दो करोड़ रुपये की मांग की है और पैसे नहीं मिलने पर सलमान को मारने के लिए धमकाया है। बताया जा रहा है कि मंगलवार (29 अकटूबर) को ट्रैफिक कंट्रोल को एक मैसेज आया जिसमें, अज्ञात शख्स ने सलमान खान का जिक्र कर धमकी दी। बता दें कि सलमान खान को बार-बार जान से मारने की धमकियां दी जा रही हैं। पिछले कई सालों से ये सिलसिला चल रहा है, लेकिन कुछ महीने पहले जब सलमान के गैलेक्सी अपार्टमेंट पर गोलियां चलाई गईं, तब से ये मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है। यह धमकी भरा मैसेज मिलने के बाद मुंबई के वर्ली पुलिस स्टेशन में अज्ञात शख्स के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है और पुलिस मामले की जांच में जुट गई है।एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि मैसेज करने वाले ने यह भी कहा कि अगर उसे पैसे नहीं मिले, तो सलमान खान को जान से मार देगा। इससे पहले भी सलमान खान को लगातार जान से मारने की धमकी भरे कॉल और मैसेज आ रहे हैं। हाल ही में मिली एक धमकी के आरोपी को उत्तर प्रदेश के नोएडा से गिरफ्तार किया गया। मुंबई पुलिस आरोपी को पकड़ने के लिए ब्रांदा से नोएडा पहुंची थी। आरोपी युवक की पहचान 20 वर्षीय मोहम्मद तैयब अंसारी के तौर पर हुई थी। जांच में पाया गया कि मोहम्मद तैयब दिल्ली का निवासी है। उसने फोन कर जीशान सिद्दीकी और सलमान खान को मारने की धमकी दी थी। फिलहाल, पुलिस ने उनके फोन को भी सीज कर लिया है। जिसकी जांच जारी है। पुलिस अब उस फोन के जरिए सारी कॉल डिटेल निकाल रही है ताकि आरोपी के बारे में और जानकारी मिल सके। लगातार मिल रही धमकियों और सलमान खान के करीबी और नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या के बाद उनकी सुरक्षा में इजाफा कर दिया गया है। सुपरस्टार जहां भी जाते हैं अब अपने काफीले के साथ ही जाते हैं। सलमान और उनके पिता सलीम खान को कई बार धमकियां मिल चुकी हैं। एक के बाद एक धमकियों और हमलों की जिम्मेदारी फेसबुक पोस्ट के जरिए लॉरेंस बिश्नोई के साथी लेते हुए नजर भी आ रहे हैं।
अमित शाह ने लॉन्च किया CRS ऐप, जानें कैसे आएगा आपके काम
#amit_shah_launched_crs_application_census
* देश में अगले साल जनगणना होने जा रही है। सरकार ने इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी है।गृहमंत्री अमित शाह ने इसी क्रम में नागरिक पंजीकरण प्रणाली यानि की CRS (Civil Registration System) ऐप लॉन्च किया।इसके जरिए कोई भी व्यक्ति कहीं भी बैठ कर जन्म और मृत्यु का रजिस्ट्रेशन कर सकता है।यह ऐप जन्म और मृत्यु के रजिस्ट्रेशन के साथ प्रमाण पत्रों की इलेक्ट्रॉनिक डिलीवरी की सम्पूर्ण प्रक्रिया को सहज, तेज और सरल बनाएगा। इस ऐप के लॉन्च होने से किसी भी व्यक्ति को बार बार दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने होंगे। सेंसेज इंडिया 2021 ने अपने एक्स हैंडल से वीडियो जारी कर सकी जानकारी दी है। इसमें बताया गया है कि कैसे इस ऐप में रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। इस पोर्टल के जरिए लोगों को जन्म और मृत्यु के प्रमाण पत्र लेना और भी ज्यादा आसान हो जाएगा।सेंसस इंडिया के आधिकारिक हैंडल से बताया गया है कि इस ऐप के जरिए जन्म मृत्यु का रजिस्ट्रेशन आसानी से हो जाएगा। प्रक्रिया के मुताबिक, किसी भी व्यक्ति को जन्म या मृत्यु संबंधी जानकारी और रजिस्ट्रेशन बर्थ या डेथ के 21 दिन के अंदर ऐप पर करना होगा। ऐप के मुताबिक, अगर आप 21 दिनों के अंदर रजिस्ट्रेशन नहीं कर पाते हैं तो फिर अतिरिक्त शुल्क देना होगा। इसके लिए देश के किसी भी आम आदमी को 22 से 30 दिनों के अंदर 2 रुपये शुल्क देना होगा और 31 दिन से एक साल तक 5 रुपये की लेट फीस जमा करानी होगी। इसी के साथ-साथ ज्यादा पुराने प्रमाण पत्रों के लिए 10 रुपये का शुल्क तय किया गया है यानि अधिकतम विलंब शुल्क 10 रुपये होगा।
अमित शाह ने लॉन्च किया CRS ऐप, जानें कैसे आएगा आपके काम

#amit_shah_launched_crs_application_census

देश में अगले साल जनगणना होने जा रही है। सरकार ने इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी है।गृहमंत्री अमित शाह ने इसी क्रम में नागरिक पंजीकरण प्रणाली यानि की CRS (Civil Registration System) ऐप लॉन्च किया।इसके जरिए कोई भी व्यक्ति कहीं भी बैठ कर जन्म और मृत्यु का रजिस्ट्रेशन कर सकता है।यह ऐप जन्म और मृत्यु के रजिस्ट्रेशन के साथ प्रमाण पत्रों की इलेक्ट्रॉनिक डिलीवरी की सम्पूर्ण प्रक्रिया को सहज, तेज और सरल बनाएगा। इस ऐप के लॉन्च होने से किसी भी व्यक्ति को बार बार दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने होंगे।

सेंसेज इंडिया 2021 ने अपने एक्स हैंडल से वीडियो जारी कर सकी जानकारी दी है। इसमें बताया गया है कि कैसे इस ऐप में रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। इस पोर्टल के जरिए लोगों को जन्म और मृत्यु के प्रमाण पत्र लेना और भी ज्यादा आसान हो जाएगा।सेंसस इंडिया के आधिकारिक हैंडल से बताया गया है कि इस ऐप के जरिए जन्म मृत्यु का रजिस्ट्रेशन आसानी से हो जाएगा।

प्रक्रिया के मुताबिक, किसी भी व्यक्ति को जन्म या मृत्यु संबंधी जानकारी और रजिस्ट्रेशन बर्थ या डेथ के 21 दिन के अंदर ऐप पर करना होगा। ऐप के मुताबिक, अगर आप 21 दिनों के अंदर रजिस्ट्रेशन नहीं कर पाते हैं तो फिर अतिरिक्त शुल्क देना होगा। इसके लिए देश के किसी भी आम आदमी को 22 से 30 दिनों के अंदर 2 रुपये शुल्क देना होगा और 31 दिन से एक साल तक 5 रुपये की लेट फीस जमा करानी होगी। इसी के साथ-साथ ज्यादा पुराने प्रमाण पत्रों के लिए 10 रुपये का शुल्क तय किया गया है यानि अधिकतम विलंब शुल्क 10 रुपये होगा।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सैनिकों के साथ मनाएंगे दिवाली, लद्दाख में एलएसी पर चीन के साथ समझौते के बाद पहला दौरा

#defence_minister_rajnath_singh_celebrate_diwali_at_tawang_china_border

चीन के साथ पिछले दिनों पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर विवाद सुलझा लिया गया है। दोनों तरफ से सेना के पीछे हटने का काम लगभग पूरा हो चुका है। अब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने अरुणाचल प्रदेश के सीमाई इलाके तवांग में दिवाली मनाने का फैसला किया है। इसके लिए वे अरुणाचल प्रदेश के तवांग के लिए रवाना हो गए हैं।

अपने दौरे को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, अरुणाचल प्रदेश की दो दिवसीय यात्रा पर नई दिल्ली से तवांग के लिए रवाना हो रहा हूं। सशस्त्र बलों के कर्मियों के साथ बातचीत करने और बहादुर भारतीय सेना अधिकारी मेजर रालेंगनाओ बॉब खातिंग को समर्पित एक संग्रहालय के उद्घाटन समारोह में भाग लेने के लिए उत्सुक हूं।

रक्षामंत्री के दौरे के दौरान प्रदेश के मुख्‍यमंत्री पेमा खांडू भी मौजूद रहेंगे। अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू और उपमुख्यमंत्री चोवना मेन ने 30 अक्टूबर को तवांग में भारतीय वायुसेना की उत्तराखंड युद्ध स्मारक कार रैली का स्वागत करेंगे। रक्षा मंत्री का यह दौरा सीमाओं की सुरक्षा में लगे सैनिकों का मनोबल बढ़ाने के लिए है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इससे पहले अक्‍टूबर 2023 में भी तवांग गए थे। उस दौरान उन्‍होंने सैनिकों के साथ शस्‍त्र पूजा की थी। डिफेंस मिनिस्‍टर ने वास्‍तविक नियंत्रण रेखा पर तैनात सैनिकों के साथ बातचीत की थी और दशहरा का उत्‍सव मनाया था। इससे पहले उसी साल लेह में उन्‍होंने सेना के जवानों के साथ होली भी मनायी थी। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सीमा पर तैनात जवानों के साथ उत्‍सव मनाते रहे हैं।

बता दें कि तवांग पर चीन अक्‍सर ही अपना दावा ठोकता रहता है। चीन इसे दक्षिणी तिब्‍बत का हिस्‍सा मानता है। भारत पड़ोसी देश चीन के इसके दावे को सिरे से खारिज करता रहा है। अरूणाचल प्रदेश में तवांग का यांग्त्से क्षेत्र दोनों देशों के बीच तनाव का एक प्रमुख केंद्र है। 2022 में इस क्षेत्र में भारतीय सेना और चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी के बीच टकराव हुआ था, जिसमें दोनों पक्षों के सैनिकों को चोटें आई थीं। भारतीय सेना ने यांग्त्से क्षेत्र में चीनी सैनिकों की गश्त को रोका, जिससे भारत की क्षेत्र में पकड़ मजबूत हुई। बताया जा रहा है कि दोनों देश एक प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं, जिसके तहत चीनी सेना को नामित क्षेत्रों में गश्त की अनुमति दी जा सकती है। इसका उद्देश्य विवादित क्षेत्र में तनाव को कम करना और दोनों देशों की संतुलित उपस्थिति सुनिश्चित करना है।

*महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव: बारामती सीट पर शरद पवार ने पोते पर खेला दांव, भतीजे अजीत के लिए कितनी बड़ी चुनौती?
#maharashtra_assembly_election_2024_baramati_family_battle
* महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बारामती में चाचा और भतीजे की चुनावी लड़ाई देखने को मिलेगी। इस सीट पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के उम्मीदवार युगेंद्र पवार का अपने चाचा और एनसीपी के प्रमुख अजित पवार से भिरंत होगी। भतीजे अजित के बगावत के बाद चाचा शरद पवार ने अपने दूसरे भतीजे के बेटे यानी पोते युगेंद्र पर दांव खेल दिया। युगेंद्र एनसीपी नेता अजित पवार के भाई श्री निवास पवार के बेटे हैं। नामांकन के दौरान शरद पवार ने वरदहस्त पोते के सिर पर रखा बल्कि राजनीति की पहली सीढ़ी पर संकेतों की राजनीति के गुर भी सिखा दिए। *शरद पवार का वोटरों को सीधा संदेश* महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नामांकन के दौरान सीनियर पवार यानी शरद पवार ने बारामती के समर्थकों को सीधा संदेश दिया। भतीजे अजित पवार के खिलाफ एनसीपी (एसपी) के उम्मीदवार युगेंद्र के नामांकन के दौरान शरद पवार न सिर्फ तहसील कार्यालय में मौजूद रहे बल्कि अपने पोते को पैतृक गांव अमराई भी ले गए। 1967 में शरद पवार ने भी पहली बार नामांकन करने से पहले अमराई की यात्रा की थी। इसके अलावा वह खुद कुनबे के साथ तहसील कार्यालय पहुंचे, जहां युगेंद्र ने नामांकन की प्रक्रिया पूरी की। युगेंद्र के साथ दादा शरद पवार के अलावा उनके पिता श्रीनिवास पवार, मां शर्मिला पवार और बुआ सुप्रिया सुले भी मौजूद रहीं। इस तरह शरद पवार ने बारामती के वोटरों को सीधा संदेश दिया कि इस चुनाव में पवार फैमिली के कैंडिडेट अजित नहीं, युगेंद्र पवार हैं। *शरद पवार का आशीर्वाद मेरे साथ है- युगेंद्र* वहीं चाचा के साथ चुनावी जंग पर युगेंद्र पवार ने कहा, जब मेरे चाचा (अजित पवार) ने बारामती से चुनाव लड़ा और काम किया, तो पवार साहब का आशीर्वाद उनके साथ था...लेकिन अब आशीर्वाद मेरे साथ है। पवार साहब के पास अधिक अनुभव है, जो मेरे लिए एक प्रोत्साहन और समर्थन है। उन्होंने कहा, मेरे माता-पिता सामाजिक कार्य करते हैं, मैं शैक्षणिक संस्थानों और कुश्ती संघ से जुड़ा हुआ हूं। मेरी फैक्ट्री यहां है और मैं जैविक खेती कर रहा हूं। उन्होंने कहा, यह (शरद) पवार साहब की 99 प्रतिशत सद्भावना है, जबकि मेरा प्रयास केवल एक प्रतिशत है। *छह महीने पवार परिवार के बीच दूसरी लड़ाई* पिछले छह महीनों में पुणे जिले के बारामती में राजनीतिक रूप से प्रभावशाली पवार परिवार के दो सदस्यों के बीच यह दूसरा चुनावी मुकाबला है। मई में शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने अपनी भाभी और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ा था। इस दौरान सुप्रिया सुले ने अपनी भाभी को 1.58 लाख से अधिक मतों के अंतर से हराकर बारामती सीट पर जीत हासिल की थी। 1999 में शरद पवार की तरफ से स्थापित राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) जुलाई 2023 में दो हिस्सों में बंट गई, जब उनके भतीजे अजीत पवार ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार से हाथ मिला लिया। बता दें कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की स्थापना शरद पवार ने 1999 में की थी। जुलाई 2023 में उनके भतीजे अजित पवार के बगावत करने और एकनाथ शिंदे नीत महाराष्ट्र सरकार में शामिल होने के बाद एनसीपी दो भागों में बंट गई थी।
भारत के बड़े बाजार में पकड़ बनाने की आस में जर्मनी, क्या चांसलर ओलाफ के दौरे से बनी बात?*
#purpose_of_german_chancellor_olaf_scholz_visit_to_new_delhi
मौजूदा विश्व में जिस तेजी से अलग-अलग देशों और खेमों में पुराने समीकरण नई शक्ल ले रहे हैं, संबंधों के आयाम बदल रहे हैं। कुछ युद्धों और अन्य कारणों से दुनिया के ज्यादातर देश अपनी सुविधा के ध्रुवों में बंट रहे हैं, उसमें भारत अलग-अलग देशों के साथ अपने संबंधों को व्यावहारिकता और जरूरत की कसौटी पर तय कर रहा है। इसी बीच पिछले हफ्ते जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्त्स एक बड़े प्रतिनिधिमंडल के साथ भारत पहुंचे थे। यह दौरा ऐसे समय पर हुआ जब जर्मनी की निर्यात-आधारित अर्थव्यवस्था लगातार दूसरे साल मंदी का सामना कर रही है। साथ ही, यूरोपीय संघ और चीन के बीच व्यापार विवाद को लेकर चिंताएं हैं, जो जर्मन कंपनियों को नुकसान पहुंचा सकता है। जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज के साथ भारतीय प्रधानमंत्री के मुलाकात के बाद और जर्मनी और भारत के सातवें अंतर-सरकारी परामर्श यानी आइजीसी के आयोजन के दौरान दोनों देशों के बीच संबंधों का जो नया अध्याय खुला है, उससे काफी उम्मीदें लगाई जा रही हैं। दोनों देशों के बीच कई मोर्चों पर सहयोग की घोषणा की गई। इसमें कई संधियों पर हस्ताक्षर किए जाने के साथ-साथ द्विपक्षीय रिश्तों को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता पर भी जोर दिया गया। भारत में बेरोजगारी की समस्या आम है तो जर्मनी में कुशल कामगारों की कमी है। इस लिहाज से देखें तो द्विपक्षीय बातचीत में जर्मनी में भारत के कुशल कामगारों की बढ़ती मांग और यहां के प्रशिक्षित श्रमिकों के लिए वार्षिक वीजा की संख्या बीस हजार से बढ़ा कर नब्बे हजार करने पर बनी सहमति काफी मायने रखती है। यह दौरा जर्मनी के लिए एक नाजुक समय पर हो रहा है। जर्मनी की अर्थव्यवस्था निर्यात पर बहुत अधिक निर्भर है। वह लगातार दूसरे साल गिरावट का सामना कर रही है। यूरोपीय संघ (ईयू) और चीन के बीच व्यापार विवाद जर्मन कंपनियों के लिए एक और चिंता का विषय है। 2022 में यूक्रेन युद्ध से पहले सस्ती रूसी गैस पर अपनी निर्भरता के कारण जर्मनी को काफी नुकसान उठाना पड़ा था। इसके बाद से जर्मनी चीन पर अपनी निर्भरता कम करने की रणनीति पर काम कर रहा है। भारत एशिया-प्रशांत क्षेत्र में जर्मनी के लिए विकास का इंजन बना हुआ है। जर्मनी की कंपनियां भारत की मजबूत आर्थिक बुनियाद को देखते हुए उसकी विकास गाथा में हिस्सेदार बनना चाहती हैं। जर्मन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स अब्रॉड (एएचके) के नेटवर्क की ओर से किए गए सर्वे में कहा गया है कि भारत में कारोबार कर रहीं जर्मनी की 51 फीसदी कंपनियां आने वाले 12 महीनों में अपना निवेश बढ़ाना चाहती हैं। वहीं, चीन में कारोबार करने वाली जर्मनी की 28 फीसदी कंपनियां ग्रेटर चीन में अपने निवेश में कटौती करना चाहती हैं। ग्रेटर चीन में चीन, ताइवान और हांगकांग शामिल हैं। यह सर्वे एशिया-प्रशांत और ग्रेटर चीन क्षेत्र में करीब 820 सदस्य कंपनियों के बीच किया गया है। जर्मनी की कंपनियां भारत में उज्ज्वल भविष्य देख रही हैं। 82 फीसदी कंपनियों को उम्मीद है कि अगले पांच सालों में उनके रेवेन्यू में वृद्धि होगी। 59 फीसदी कंपनियां अपनी निवेश योजनाओं का विस्तार कर रही हैं, जबकि 2021 में यह आंकड़ा सिर्फ 36 प्रतिशत था। उदाहरण के लिए, जर्मन लॉजिस्टिक्स कंपनी डीएचएल 2026 तक भारत में 50 करोड़ यूरो का निवेश करेगी। यह निवेश तेजी से बढ़ते ई-कॉमर्स बाजार का फायदा उठाने के लिए किया जा रहा है।डीएचएल डिवीजन के प्रमुख ऑस्कर दे बोक ने कहा, "हम एशिया-प्रशांत क्षेत्र में जबरदस्त विकास की संभावना देख रहे हैं, जिसमें भारत का एक बड़ा हिस्सा है।" चीन में बिक्री में गिरावट और घरेलू उत्पादन लागत बढ़ने के कारण संकट से जूझ रही जर्मन कार कंपनी फोक्सवागन भारत में नए साझेदारी की संभावनाओं पर विचार कर रही है। कंपनी के पास पहले से भारत में दो कारखाने हैं और इसने फरवरी में स्थानीय साझेदार महिंद्रा के साथ एक सप्लाई समझौता किया है। फोक्सवागन के वित्त प्रमुख अर्नो एंटलिट्ज ने मई में कहा था, "मुझे लगता है कि हमें भारत की संभावनाओं को कम नहीं आंकना चाहिए, न केवल बाजार के लिहाज से, बल्कि अमेरिका और चीन के बीच की अनिश्चितता के लिहाज से भी।" इसी तरह, कोलोन स्थित इंजन निर्माता डॉयट्ज ने इस साल भारत की मोटर कंपनी टेफ (टीएएफई) के साथ एक समझौता किया है, जो दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी ट्रैक्टर निर्माता कंपनी है। इस समझौते के तहत टेफ मोटर्स डॉयट्ज के 30,000 इंजन लाइसेंस के तहत बनाएगी।
भारत के बड़े बाजार में पकड़ बनाने की आस में जर्मनी, क्या चांसलर ओलाफ के दौरे से बनी बात?*
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मौजूदा विश्व में जिस तेजी से अलग-अलग देशों और खेमों में पुराने समीकरण नई शक्ल ले रहे हैं, संबंधों के आयाम बदल रहे हैं। कुछ युद्धों और अन्य कारणों से दुनिया के ज्यादातर देश अपनी सुविधा के ध्रुवों में बंट रहे हैं, उसमें भारत अलग-अलग देशों के साथ अपने संबंधों को व्यावहारिकता और जरूरत की कसौटी पर तय कर रहा है। इसी बीच पिछले हफ्ते जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्त्स एक बड़े प्रतिनिधिमंडल के साथ भारत पहुंचे थे। यह दौरा ऐसे समय पर हुआ जब जर्मनी की निर्यात-आधारित अर्थव्यवस्था लगातार दूसरे साल मंदी का सामना कर रही है। साथ ही, यूरोपीय संघ और चीन के बीच व्यापार विवाद को लेकर चिंताएं हैं, जो जर्मन कंपनियों को नुकसान पहुंचा सकता है। जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज के साथ भारतीय प्रधानमंत्री के मुलाकात के बाद और जर्मनी और भारत के सातवें अंतर-सरकारी परामर्श यानी आइजीसी के आयोजन के दौरान दोनों देशों के बीच संबंधों का जो नया अध्याय खुला है, उससे काफी उम्मीदें लगाई जा रही हैं। दोनों देशों के बीच कई मोर्चों पर सहयोग की घोषणा की गई। इसमें कई संधियों पर हस्ताक्षर किए जाने के साथ-साथ द्विपक्षीय रिश्तों को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता पर भी जोर दिया गया। भारत में बेरोजगारी की समस्या आम है तो जर्मनी में कुशल कामगारों की कमी है। इस लिहाज से देखें तो द्विपक्षीय बातचीत में जर्मनी में भारत के कुशल कामगारों की बढ़ती मांग और यहां के प्रशिक्षित श्रमिकों के लिए वार्षिक वीजा की संख्या बीस हजार से बढ़ा कर नब्बे हजार करने पर बनी सहमति काफी मायने रखती है। यह दौरा जर्मनी के लिए एक नाजुक समय पर हो रहा है। जर्मनी की अर्थव्यवस्था निर्यात पर बहुत अधिक निर्भर है। वह लगातार दूसरे साल गिरावट का सामना कर रही है। यूरोपीय संघ (ईयू) और चीन के बीच व्यापार विवाद जर्मन कंपनियों के लिए एक और चिंता का विषय है। 2022 में यूक्रेन युद्ध से पहले सस्ती रूसी गैस पर अपनी निर्भरता के कारण जर्मनी को काफी नुकसान उठाना पड़ा था। इसके बाद से जर्मनी चीन पर अपनी निर्भरता कम करने की रणनीति पर काम कर रहा है। भारत एशिया-प्रशांत क्षेत्र में जर्मनी के लिए विकास का इंजन बना हुआ है। जर्मनी की कंपनियां भारत की मजबूत आर्थिक बुनियाद को देखते हुए उसकी विकास गाथा में हिस्सेदार बनना चाहती हैं। जर्मन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स अब्रॉड (एएचके) के नेटवर्क की ओर से किए गए सर्वे में कहा गया है कि भारत में कारोबार कर रहीं जर्मनी की 51 फीसदी कंपनियां आने वाले 12 महीनों में अपना निवेश बढ़ाना चाहती हैं। वहीं, चीन में कारोबार करने वाली जर्मनी की 28 फीसदी कंपनियां ग्रेटर चीन में अपने निवेश में कटौती करना चाहती हैं। ग्रेटर चीन में चीन, ताइवान और हांगकांग शामिल हैं। यह सर्वे एशिया-प्रशांत और ग्रेटर चीन क्षेत्र में करीब 820 सदस्य कंपनियों के बीच किया गया है। जर्मनी की कंपनियां भारत में उज्ज्वल भविष्य देख रही हैं। 82 फीसदी कंपनियों को उम्मीद है कि अगले पांच सालों में उनके रेवेन्यू में वृद्धि होगी। 59 फीसदी कंपनियां अपनी निवेश योजनाओं का विस्तार कर रही हैं, जबकि 2021 में यह आंकड़ा सिर्फ 36 प्रतिशत था। उदाहरण के लिए, जर्मन लॉजिस्टिक्स कंपनी डीएचएल 2026 तक भारत में 50 करोड़ यूरो का निवेश करेगी। यह निवेश तेजी से बढ़ते ई-कॉमर्स बाजार का फायदा उठाने के लिए किया जा रहा है।डीएचएल डिवीजन के प्रमुख ऑस्कर दे बोक ने कहा, "हम एशिया-प्रशांत क्षेत्र में जबरदस्त विकास की संभावना देख रहे हैं, जिसमें भारत का एक बड़ा हिस्सा है।" चीन में बिक्री में गिरावट और घरेलू उत्पादन लागत बढ़ने के कारण संकट से जूझ रही जर्मन कार कंपनी फोक्सवागन भारत में नए साझेदारी की संभावनाओं पर विचार कर रही है। कंपनी के पास पहले से भारत में दो कारखाने हैं और इसने फरवरी में स्थानीय साझेदार महिंद्रा के साथ एक सप्लाई समझौता किया है। फोक्सवागन के वित्त प्रमुख अर्नो एंटलिट्ज ने मई में कहा था, "मुझे लगता है कि हमें भारत की संभावनाओं को कम नहीं आंकना चाहिए, न केवल बाजार के लिहाज से, बल्कि अमेरिका और चीन के बीच की अनिश्चितता के लिहाज से भी।" इसी तरह, कोलोन स्थित इंजन निर्माता डॉयट्ज ने इस साल भारत की मोटर कंपनी टेफ (टीएएफई) के साथ एक समझौता किया है, जो दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी ट्रैक्टर निर्माता कंपनी है। इस समझौते के तहत टेफ मोटर्स डॉयट्ज के 30,000 इंजन लाइसेंस के तहत बनाएगी।
धनतेरस पर धन्वंतरि की पूजा का है विशेष महत्व, जानिए, कौन हैं धन्वंतरि और धनतेरस पर क्यों होती है इनकी पूजा

दिवाली से पहले धनतेरस का पर्व मनाया जाता है. इस दिन मां लक्ष्मी और कुबेर के साथ ही धन्वंतरि की भी पूजा की जाती है. यहां जानिए, कौन हैं धन्वंतरि और धनतेरस पर क्यों होती है पूजा. दीपावली पांच दिवसीय पर्व है, जिसकी शुरुआत धनतेरस के दिन से ही होती है. धनतेरस को धनत्रयोदशी भी कहा जाता है. धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी और कुबेर देव की पूजा की जाती है. साथ ही इस दिन धन्वंतरि की भी पूजा का महत्व है. पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन लोग अपने सामार्थ्यनुसार किसी न किसी वस्तु की खरीदारी जरूर करते हैं. इस साल धनतेरस का पर्व 29 अक्टूबर को मनाया जाएगा और दिवाली 31 अक्टूबर को होगी. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार धन्वंतरि की उत्पत्ति समुद्र मंथन के दौरान हुई थी. पौराणिक कथा के अनुसार जिस अमृत कलश के लिए समुद्र मंथन किया गया था, उसे धन्वंतरि ही लेकर बाहर निकले थे. इन्हें आयुर्वेद का प्रणेता और चिकित्सा क्षेत्र में देवताओं के वैद्य के रूप में जाना जाता है. इसलिए धन्वंतरि आरोग्यता प्रदान करने वाले देवता माने जाते हैं. मान्यता है कि इनकी पूजा से रोगों से मुक्ति मिलती है और आयोग्यता की प्राप्ति होती है. अब प्रश्न यह उठता है कि धन्वंतरि जब आयोग्य प्रदान करने वाले देवता हैं तो धनतेरस के दिन इनकी पूजा क्यों होती है. पौराणिक कथा के अनुसार अमृत कलश के लिए देवताओं और दानवों के बीच में समुद्र मंथन किया गया था. समुद्र मंथन से एक-एक कर पूरे 14 रत्न बाहर निकले थे, जिसमें सबसे आखिर में अमृत कलश निकला था, जिसे धन्वंतरि लेकर प्रकट हुए थे. जिस दिन धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे वह कार्तिक शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी का दिन था. इसलिए धनतेरस के दिन इनकी पूजा की जाती है. इस तिथि में प्रकट होने के कारण धनतेरस के दिन को धन्वंतरि त्रयोदशी या धन्वंतरि जयंती के रूप में भी मनाया जाता है.