जिले में 155 अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर सरकारी खर्चे से गर्भवती को सुविधा देने की पहल
गोरखपुर, स्वास्थ्य विभाग ने जिले में मातृ स्वास्थ्य सेवा देने वाले सभी 155 पंजीकृत निजी अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर सरकारी खर्चे से गर्भवती को सुविधा देने की पहल की है। इस संबंध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने पत्र भी जारी किया है ।
बीते शनिवार को हुई जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में उन्होंने संबंधित अधिकारियों को पुनः निर्देश दिया कि जो केंद्र ई रुपी वाउचर योजना में पंजीकरण न करा रहे हों, उनकी सूचना उपलब्ध कराई जाए। इस योजना के तहत सरकारी अस्पताल में जांच कराने वाली गर्भवती भी निजी अल्ट्रासाउंड सेंटर से सरकारी खर्चे पर सेवा प्राप्त कर रही हैं।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ दूबे ने बताया कि अभी तक 72 केंद्रों ने ई रुपी वाउचर योजना के तहत पंजीकरण करवा लिया है और सेवा के लिए तैयार हैं । इनमें 35 केंद्र पहले से ही सेवा देते आ रहे हैं। महीने की एक, नौ, सोलह और चौबीस तारीख को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के दौरान सरकारी अस्पतालों पर प्रसव पूर्व जांच करवाने वाली महिलाओं को ई रुपी वाउचर जेनरेट करके दिया जाता है जिसके जरिये वह एक माह के भीतर न केवल जनपद के भीतर बल्कि योजना में पंजीकृत प्रदेश के किसी भी केंद्र से यह सुविधा प्राप्त कर सकती हैं।
डॉ दूबे ने बताया कि प्रमुख सचिव चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पार्थ सारथी सेन शर्मा के स्तर से इससे संबंधित विस्तृत दिशा निर्देश प्राप्त हुए हैं जिनका पालन मातृ स्वास्थ्य परामर्शदाता डॉ सूर्य प्रकाश की मदद से कराया जा रहा है। जिले में 46 इकाइयों से महीने में चार दिन यह वाउचर जेनरेट किये जा रहे हैं। पिछले वित्तीय वर्ष में इसके जरिये 18446 गर्भवती ने सेवा प्राप्त की। इस साल अप्रैल से अब तक करीब 19800 गर्भवती इस सेवा का लाभ उठा चुकी हैं। अल्ट्रासाउंड की यह सुविधा सिर्फ सरकारी अस्पताल पर जांच कराने वाली गर्भवती को दी जाती है। इस सेवा का लाभ लेने वाली गर्भवती 102 नंबर एम्बुलेंस से स्वास्थ्य केंद्र पहुंच सकती हैं और इसके लिए भी उन्हें पैसे नहीं देने हैं। गर्भवती के पास सेवा लेते समय एक फोन मौजूद रहना चाहिए जिस पर ओटीपी आती है और उसकी मदद से सेवा मिल पाती है। आशा कार्यकर्ता की मदद से सभी गर्भवती इसका लाभ जरूर उठाएं।
मातृ शिशु सुरक्षा के लिए आवश्यक है अल्ट्रासाउंड
शाहपुर शहरी स्वास्थ्य केंद्र की प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ नीतू मौर्या का कहना है कि मातृ शिशु स्वास्थ्य और उनकी सुरक्षा में अल्ट्रासाउंड जांच की अहम भूमिका है। इससे निकलने वाली अल्ट्रासोनिक वेब से मां और बच्चे के स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है। बच्चे की ग्रोथ, गर्भ में उसकी स्थिति और गर्भाशय में लिक्विड की स्थिति समेत कई अहम जानकारियां अल्ट्रासाउंड जांच के जरिये ही मिल पाती हैं। सामान्य महिलाओं का पूरे प्रसव काल में अधिकतम तीन बार, जबकि उच्च जोखिम गर्भावस्था में चार बार तक यह जांच कराते हैं।
Oct 28 2024, 18:25