आंख से पीड़ित मरीज तेजी से बढ़ रहे, एक माह बाद दवा न करें प्रयोग
नितेश श्रीवास्तव
भदोही। डिजिटल की दुनिया में आंखों की रोशनी घटने लगी है। स्कूलों पढ़ाई चलने के बावजूद बच्चे घंटों तक मोबाइल चला रहे हैं। आनलाइन क्लास लेना विद्यार्थियों की आदत बन गई है। इसका असर बच्चों और युवाओं की आंख पर पड़ रहा है कि इन दिनों बीस फीसदी आंख के मरीजों में इजाफा हो गया है। आंख बीमारी संग सवाईकल की भी समस्या आने लगी है। गेम खेलने के लिए बच्चे सिर के को घंटों तक झुकाए रहते हैं।
नतीजा सर्वाइकल के शिकार हो रहे हैं। बच्चों की आंख में कुछ दिक्कतें आनुवांशिक होती है तो कुछ हमारी लापरवाही का नतीजा होता है। डिजिटल दुनिया में ज्यादातर समय लोगों का मोबाइल, लैपटॉप और कंप्यूटर देखने में ही कट रहा है। उम्र के बच्चे भी आंख की बीमारी से जूझ रहे हैं। महाराजा चेतसिंह जिला चिकित्सालय के नेत्र सर्जन डॉ सुरेंद्र की मानें तो कम उम्र के बच्चे आंख बीमारी की चपेट में फंस रहे हैं। कोविड के चलते गत दो वर्ष पूर्व लाकडाउन लगा था। ऐसे में बच्चों के आनलाइन घर पर ही पढ़ाई की। ज्यादा मोबाइल चलाने का ही नतीजा रहा कि इन दिनों आंख में परेशानी के मामले तेजी से बढ़ हैं।
आंख की समस्या संग बच्चे व युवा सर्वाइकल बीमारी की चपेट में भी फंस रहे हैं। डॉक्टरों ने सलाह दिया है अगर इस तरह की कोई समस्या आती है तो सीधे निकट के स्वास्थ्य केंद्र पर जाएं। बिना चिकित्सक के परामर्श के कोई भी दवा न लें। अन्यथा इसका विपरीत असर पड़ता है। आंख की दवा की जो अवधि होती है उसी वक्त प्रयोग करना चाहिए। आंख में तकलीफ होने पर दवा खरीद लें, लेकिन एक माह बाद इसका प्रयोग कदापि न करें। ऐसा करते हैं तो आंख में गंभीर बीमारी होने का खतरा बढ़ सकता है। आंख में दवा के अलावा किसी चीज का सेवन न करें। आंख में धूल आदि पड़ा तो सिर्फ पानी से सेकाई करें। बढ़ते ठंड में भी आंख का खास ख्याल रखना अत्यंत जरूरी है।
Oct 25 2024, 19:32