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राजस्थान के चूरू में फाइटर प्लेन क्रैश, दो पायलटों की मौत

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राजसथान के चुरू में बड़ा विमान हादसा हो गया है। चुरू में आज बुधवार को वायुसेना का एक जगुआर प्लेन क्रैश हो गया है। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, इस हादसे में 2 पायलटों की मौत हो गई है। यह हादसा रतनगढ़ के भाणुदा बीदावतान गांव में हुआ।

वायुसेना ने क्या कहा?

हादसे के बाद वायुसेना ने कहा, भारतीय वायुसेना का एक जगुआर ट्रेनर एयरक्राफ्ट राजस्थान के चूरू के पास नियमित प्रशिक्षण मिशन के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस दुर्घटना में दोनों पायलटों की मौत हो गई। किसी भी नागरिक संपत्ति को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। भारतीय वायुसेना को नुकसान पर गहरा दुःख है और वह इस दुख की घड़ी में शोक संतप्त परिवारों के साथ खड़ी है। दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए एक कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी गठित की गई है।

दुर्घटना स्थल के पास मानव शरीर के अंग मिले

हादसे की जानकारी स्थानीय लोगों ने पुलिस की दी। जानकारी मिलते ही ही पुलिस की एक टीम तुरंत दुर्घटनास्थल पहुंच गई ताकि इलाके को सुरक्षित किया जा सके और आगे की जांच में मदद मिल सके। न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, राजलदेसर के थानाधिकारी कमलेश ने बताया कि विमान दोपहर करीब 1.25 बजे भाणुदा गांव के एक खेत में दुर्घटनाग्रस्त हुआ। उन्होंने बताया कि दुर्घटना स्थल के पास मानव शरीर के अंग मिले हैं । फिलहाल पायलट की पहचान और विमान को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है।

पहले भी 2 बार क्रैश हो चुका है जगुआर

बता दें कि इससे पहले भी 2 बार जगुआर फाइटर प्लेन क्रैश हो चुके हैं। 3 महीने पहले भी ऐसा ही एक हादसा देखने को मिला था। अप्रैल में जामनगर एअरफील्ड से उड़ान भरने वाला जगुआर एअरक्राफ्ट क्रैश हो गया था। भारतीय वायुसेना के अनुसार तकनीकी खराबी के कारण यह हादसा हुआ था। वहीं, 7 मार्च को हरियाणा के अंबाला में भी जगुआर एअरक्राफ्ट क्रैश हो गया था।

हिंद महासागर में चीन को कड़ी टक्कर देने की तैयारी में भारत, फ्रांस से 26 मरीन रॉफेल की डील

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अपने पड़ोसी देशों की हरकतों को देखते हुए भारत लगातार अपनी सैन्य क्षमता बढ़ाने में जुटा हुआ है। इसी क्रम में भारत सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए फ्रांस से 26 मरीन रॉफेल खरीदने को मंजूरी दे दी है। भारत और फ्रांस के बीच पहले भी रॉफेल विमानों को लेकर सौदा हो चुका है। साल 2016 में भारत ने वायु सेना के लिए 36 रॉफेल विमान खरीदे थे। अब नौ सेना के लिए यह नया सौदा दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को और गहरा करेगा। इस सौदे में विमानों के साथ-साथ हथियार, स्पेयर पार्ट्स और रखरखाव का सामान भी शामिल होगा।

सरकारी सूत्रों के हवाले से समाचार एजेंसी एएनआई ने यह दावा किया है। रिपोर्ट के मुताबिक 63,000 करोड़ रुपये से अधिक के इस सरकारी सौदे पर जल्द ही हस्ताक्षर किए जाएंगे। इसके बाद फ्रांस 22 सिंगल-सीटर और 4 ट्विन-सीटर जेट भारतीय नौसेना को सौंपेगा। इन्हें हिंद महासागर में चीन से मुकाबले के लिए आईएनएस विक्रांत पर तैनात किया जाएगा। यह सौदा भारतीय वायुसेना के राफेल विमानों की क्षमताओं को भी अपग्रेड करने में मदद करेगा। राफेल-एम जेट को भारतीय नौसेना के विमानों के बेड़े में शामिल किया जाएगा।

दोनों देशों के बीच 26 राफेल मरीन जेट की खरीद को लेकर कई महीनों से बातचीत चल रही थी। भारत नौसेना के लिए राफेल मरीन की डील उसी बेस प्राइज में करना चाहता था, जो 2016 में वायुसेना के लिए 36 विमान खरीदते समय रखी थी। इस डील की जानकारी सबसे पहले पीएम मोदी की 2023 की फ्रांस यात्रा के दौरान सामने आई थी। इसके बाद रक्षा मंत्रालय ने लेटर ऑफ रिक्वेस्ट जारी किया था, जिसे फ्रांस ने दिसंबर 2023 में स्वीकार किया।

जून 2024 में हुई थी पहले दौर की चर्चा

26 राफेल-एम फाइटर जेट खरीदने की डील पर पहले दौर की चर्चा जून 2024 में शुरू हुई थी। तब फ्रांस सरकार और दसॉ कंपनी के अधिकारियों ने रक्षा मंत्रालय की कॉन्ट्रैक्ट नेगोशिएशन कमेटी से चर्चा की थी। डील फाइनल होने पर फ्रांस राफेल-M जेट के साथ हथियार, सिमुलेटर, क्रू के लिए ट्रेनिंग और लॉजिस्टक सपोर्ट मुहैया कराएगा।

इन हथियारों में अस्त्र एयर-टु-एयर मिसाइल, एयरक्राफ्ट कैरियर से ऑपरेट करने के लिए जेट में इंडियन स्पेसिफिक इन्हैंस्ड लैंडिंग इक्विपमेंट्स और जरूरी इक्विपमेंट्स शामिल किए हैं। इससे पहले सितंबर 2016 में 59 हजार करोड़ रुपए की डील में भारत वायुसेना के लिए फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीद चुका है।

हिंद महासागर में चीन को मिलेगी टक्कर

यह सौदा भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ाने में काफी मददगार साबित होगा। रॉफेल मरीन विमान आधुनिक तकनीक से लैस हैं और समुद्र में ऑपरेशन के लिए खास तौर पर डिजाइन किए गए हैं। ये विमान नौसेना के विमानवाहक पोतों जैसे आईएनएस विक्रांत से उड़ान भर सकेंगे। इससे भारत की समुद्री सुरक्षा और मजबूत होगी। खासकर हिंद महासागर में चीन की बढ़ती मौजूदगी को देखते हुए यह सौदा बहुत जरूरी माना जा रहा है। ये विमान नौसेना को समुद्र में लंबी दूरी तक निगरानी और हमले की ताकत देंगे।

भारतीय वायुसेना होगी और ताकतवर, लड़ाकू विमानों की “फौज” बनाने की तैयारी

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भारत का पड़ोसी देश चीन लगातार अपने रक्षा बजट में बढ़ोतरी कर रहा है। चीन अपनी सेना और हथियारों को अत्याधुनिक बनाने की कोशिश में जुटा है। चीन की बढ़ती ताकत सबसे पहले भारत के लिए खतरा पैदा कर सकती है। ऐसे में भारत को भी अपनी ताकत बढ़ाने की जरूरत है। इसी क्रम में भारतीय वायुसेना अपनी ताकत बढ़ाने के लिए 114 नए मध्यम श्रेणी के लड़ाकू विमान खरीदने की तैयारी में है।

रक्षा मंत्रालय की एक कमेटी ने इस जरूरत को सही ठहराया है। पुराने सोवियत विमानों के रिटायर होने और नए विमानों की कमी के चलते वायुसेना के स्क्वाड्रनों की संख्या घट रही है। इस कमी को पूरा करने के लिए नए विमान जरूरी हैं। इसका बजट अरबों डॉलर का होगा और इसमें कई बड़ी अंतरराष्ट्रीय कंपनियां हिस्सा लेंगी।

भारत ने वायुसेना के 20 अरब डॉलर के मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट (एमआरएफए) कार्यक्रम के तहत 114 मल्टीरोल फाइटर जेट खरीदने की भी योजना बनाई है। इस योजना के तहत विदेशी जेट विमानों को भारत में बनाने की शर्त रखी गई है, जिसमें तकनीक हस्तांतरण (ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी) की जरूरत होगी और यही इस प्रोजेक्ट की सबसे बड़ी चुनौती है। यह प्रोजेक्ट साल 2019 से रुका हुआ है।

वायुसेना चीफ एपी सिंह ने कहा है कि नए लड़ाकू विमानों का निर्माण C-295 मॉडल पर किया जाना चाहिए। यह वही मॉडल है जिसके तहत एयरबस और टाटा मिलकर भारत में सैन्य परिवहन विमान बना रहे हैं। इसी तरह, कोई भी विदेशी कंपनी किसी भारतीय कंपनी के साथ साझेदारी कर इन लड़ाकू विमानों को भारत में बनाएगी। इससे भारतीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और तकनीकी क्षमता में भी बढ़ोतरी होगी।

भारत सरकार और फ्रांस सरकार के बीच राफेल विमानों की खरीद पर हुई अलोचना के बाद, अब भारतीय सरकार चाहती है कि यह डील पूरी तरह पारदर्शी और बिना किसी विवाद के हो। इस डील के लिए पांच जेट विमान दौड़ में है, जिनमें राफेल सबसे आगे है क्योंकि यह पहले से ही भारतीय वायुसेना में इस्तेमाल हो रहा है।

इस सौदे में बोइंग (F/A 18 सुपर हॉर्नेट), लॉकहीड मार्टिन (F 21), डसॉल्ट (राफेल) और साब (ग्रिपेन) जैसी बड़ी कंपनियां शामिल हो सकती हैं। इसमें से बोइंग और महिंद्रा पहले ही इस प्रोजेक्ट पर चर्चा कर चुके हैं। वहीं, लॉकहीड मार्टिन टाटा के साथ मिलकर काम कर सकती है। हालांकि, इसका F-35 विमान इस दौड़ में शामिल नहीं होगा, क्योंकि भारत चाहता है कि नए विमान भारत में ही बनाए जाएं और साथ ही टेक्नोलॉजी ट्रांसफर भी हो।

जबकि फ्रांस की कंपनी डसॉल्ट ने एक प्रस्ताव भेजा है कि अगर उसे 114 विमानों का ऑर्डर मिलता है, तो वह भारत में एक सहायक कंपनी बनाएगी, जो भारतीय वायुसेना के लिए और निर्यात के लिए विमान बनाएगी। स्वीडन की कंपनी 'साब' पहले अडानी डिफेंस के साथ काम कर रही थी, लेकिन अब यह समझौता दोनों के बीच समाप्त हो गया है। रूस भी अपने लड़ाकू विमान पेश करने को तैयार है, लेकिन भारतीय वायुसेना को आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स और उन्नत तकनीक वाले विमान चाहिए, जो चीन की चुनौती का सामना कर सकें।

भारत को F-35 बेचना चाहता है अमेरिका, जानें भारत के कितना मुश्किल सौदा

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प्रधानमंत्री नरेनेद्र मोदी ने फरवरी के दूसरे हफ्ते में अमेरिका का दौरा किया। अपने यूएस दौरे के दौरान पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की। इस दौरान ट्रंप ने भारत को अपना अत्याधुनिक लड़ाकू विमान F-35 देने की पेशकश की। पीएम मोदी के साथ व्हाइट हाउस में मुलाकात के बाद ट्रंप ने घोषणा की कि उनका प्रशासन अमेरिकी स्टील्थ फाइटर को भारत को बेचने के लिए तैयार है। इससे भारत अत्याधुनिक स्टील्थ विमानों वाले देशों के एलीट क्लब में शामिल हो जाएगा। ऐसे में सवाल ये है कि भारत अमेरिका से F-35 लड़ाकू विमान खरीदता है तो ये कितना जरूरी होगा? इसे खरीदने के लिए भारत को कितना पैसा खर्च करने पड़ेंगे? और सबसे अहम सवाल इसे खरीदने में क्या कहीं कोई झोल है?

कीमत सबसे बड़ा रोड़ा

F-35 अमेरिका का 5वीं जेनरेशन का लड़ाकू विमान है। इसे लॉकहीड मार्टिन कंपनी ने डेवलप किया है। इस प्लेन को 2006 से बनाना शुरू किया गया था। 2015 से यह अमेरिकी वायुसेना में शामिल है। ये पेंटागन के इतिहास का सबसे महंगा विमान है। अमेरिका एक F-35 फाइटर प्लेन पर औसतन 82.5 मिलियन डॉलर (करीब 715 करोड़ रुपए) खर्च करता है। अमेरिकी सरकार के कामों पर नजर रखने वाली संस्था गर्वनमेंट अकाउंटिबिलिटी ऑफिस (जीएओ) के मुताबिक, एक F-35 के रखरखाव पर हर साल 53 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। ऐसे में अगर भारत 1000 करोड़ रुपए में ये विमान खरीदता है, तो इसके 60 साल के सर्विस पीरियड में 3,180 करोड़ रुपए खर्च होंगे। ये विमान की कीमत से तीन गुना ज्यादा है। इसके अलावा इसकी हर घंटे की उड़ान पर 30 लाख रुपए खर्च होंगे। इन विमानों की संख्या फ्रांसीसी राफेल लड़ाकू विमानों के दो स्क्वाड्रन (36 विमान) की मौजूदा संख्या के बराबर हो सकती है।

सरकार से सरकार के बीच होता है सौदा

एफ- 35 विमान को लॉकहीड मार्टिन सीधे किसी देश को बेच नहीं सकती है। इस विमान का सौदा सरकार से सरकार के बीच होता है। पेंटागन इसमें मध्यस्थ की भूमिका निभाता है। डोनाल्ड ट्रंप ने अभी तक इन विमानों को भारत को देने से जुड़ी कोई समय सीमा नहीं बताई है। मगर रॉयटर्स के मुताबिक स्टेल्थ एफ-35 जेट की डिलीवरी में वर्षों का समय लग जाता है। लिहाजा सवाल ये उठते हैं कि अगर भारत इस फाइटर जेट को खरीदने की सोचता है, तो वो सरकार से सरकार स्तर पर बातचीत करेगा या फिर डायरेक्ट कंपनी से ही डील करेगा? अगर 'सरकार से सरकार' रास्ते से अधिग्रहण का फैसला लिया जाता है, तो फाइटर जेट की क्वालिटी, उसकी कीमत, दूसरे लड़ाकू विमानों के साथ उसके कॉर्डिनेशन, ज्वाइंट प्रोडक्शन की संभावना और उसके ऑपरेशन की स्थितियों जैसे कई सवाल होंगे, जिनके जवाब तलाशने होंगे।

ड्रोन टेक्नोलॉजी के आगे फाइटर जेट्स पुराने

वहीं, ड्रोन टेक्नोलॉजी से युद्ध लड़े जाने का तरीका बदल गया है। फ्रंट लाइन पर फाइटर जेट्स की बजाय ड्रोन से हमला करना आसान है। रूस-यूक्रेन युद्ध में फ्रंट लाइन के पास एंटी-एयरक्राफ्ट सिस्टम लगे होने की वजह से फाइटर जेट्स का हमला कर पाना मुश्किल है। ऐसे में छोटे और बेहद कम कीमत वाले ड्रोन्स सबसे घातक हथियार साबित हुए हैं।

बता दे कि ट्रंप के करीबी लन मस्क भी इस फाइटर जेट पर सवाल उठा चुके हैं।मस्क ने एक्स पर एक पोस्ट में वीडियो अपलोड किया था। इसमें एक साथ सैकड़ों छोटे ड्रोन आसमान को घेरे हुए थे। मस्क ने लिखा था- कुछ बेवकूफ अभी भी F-35 जैसे पायलट वाले लड़ाकू जेट बना रहे हैं। मस्क ने कहा कि F-35 का डिजाइन शुरुआती लेवल पर ही खराब था। इसे ऐसे डिजाइन किया गया कि हर किसी को हर खासियत मिल सके। लेकिन इसकी वजह से F-35 महंगा हो गया और उलझा हुआ प्रोडक्ट बन गया। ऐसे डिजाइन को कभी सफल होना ही नहीं था। वैसे भी ड्रोन के जमाने में अब ऐसे फाइटर जेट्स का कोई मतलब नहीं है। ये सिर्फ पायलट की जान लेने के लिए हैं।

अमेरिका भारत को एफ-35 क्यों बेचना चाहता है?

दरअसल, ट्रंप सैन्य हथियारों के माध्यम से भारत के साथ होने वाले व्यापार घाटे को पाटना चाहते हैं। ट्रंप ने कहा कि इस साल से हम भारत को कई अरब डॉलर की सैन्य बिक्री बढ़ाएंगे। भारत को एफ- 35 स्टेल्थ लड़ाकू विमान बेचेंगे। ट्रंप ने यह भी कहा कि दोनों देशों के बीच एक समझौता हुआ है। इसके तहत भारत दोनों देशों के बीच व्यापार घाटे को कम करने के लिए अधिक मात्रा में अमेरिकी तेल और गैस का आयात भी करेगा।

यही नहीं, रूस ने भी भारत को सुखोई एसयू-57 देने की पेशकश की है। रूस ने तो इन विमानों को भारत में तैयार करने का प्रस्ताव भी दिया है। रूस ने भारत को तकनीक ट्रांसफर करने की बात भी कही है। भारत सबसे अधिक हथियार रूस से ही खरीदता है और भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियार बाजार है। रूस ने भारत के AMCA कार्यक्रम में भी मदद की पेशकश की है। यही वजह है कि ट्रंप यह डील रूस के हाथों नहीं जाने देना चाहते हैं।

भारत को मिलने वाला है दुनिया का सबसे खतरनाक हथियार, क्या एफ-35 पर डील हो गई पक्की?


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भारत को दुनिया का सबसे खतरनाक हथियार मिलने वाला है। दरअसल, अमेरिका ने भारत को दुनिया के सबसे खतरनाक स्टेल्थ फाइटर जेट F-35 बेचने की पेशकश कर दी है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को कहा कि अमेरिका भारत को एफ-35 स्टेल्थ फाइटर जेट बेचेगा। ट्रंप ने वॉशिंगटन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, इस साल से हम भारत को कई अरब डॉलर के हथियार बेचने जा रहे हैं। हम भारत को एफ-35 स्टेल्थ फाइटर जेट देने का रास्ता भी साफ कर रहे हैं।

ट्रंप की इस पेशकश के बाद भारत ने कहा है कि अमेरिका से F-35 लड़ाकू विमान खरीदने की प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई है। यह अभी सिर्फ एक प्रस्ताव के स्तर पर है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात के बाद विदेश सचिव विक्रम मिश्री ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया, यह अभी प्रस्ताव के चरण में है। मुझे नहीं लगता कि इस बारे में औपचारिक प्रक्रिया अभी तक शुरू हुई है।

क्यों है F-35 लड़ाकू विमान की डील मुश्किल?

वहीं, अमेरिका से F-35 लड़ाकू विमान के सौदे में कई अड़चनें आ सकती हैं। भारत के रूस के साथ अच्छे रक्षा संबंध हैं और अमेरिका उन देशों को एफ-35 बेचने में सावधानी बरतता है जहां से इसकी तकनीक लीक होने का खतरा हो सकता है। इसी वजह से अमेरिका ने तुर्की को एफ-35 देने से मना कर दिया था, क्योंकि उसे डर था कि रूस इसकी तकनीक चुरा सकता है। यह सौदा भारत को रूस से दूर करने की अमेरिका की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. क्योंकि भारत ने 2018 में रूस से S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदा था।

F-35 की खासियत

F-35 लाइटनिंग-II एक अत्याधुनिक पांचवीं पीढ़ी का स्टेल्थ फाइटर विमान है। अमेरीका की लॉकहीड मार्टिन ने इसे विकसित किया है। यह फाइटर अलग अलग तरह के कांबेट मिशनों को अंजाम देने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसमें एयर टू एयर, एयर टू ग्राउंड और इंटेलिजेंस जानकारी इकट्ठा करने और स्ट्रेजिक मिशन को अंजाम दिया जा सकता है। इसके 3 वेरियंट है। एयर फोर्स के लिए F-35A, F-35B वर्टिकल टेक ऑफ लैंडिंग क्षमता वाला और F-35C नौसेना के एयरक्राफ्ट कैरियर से इस्तेमाल किए जाने वाला है। यह एक सिंगल इंजन एयरक्राफ्ट है। इसकी रफ्तार 1.6 मैक प्रतिघंट है. अधिकत्म 50000 फिट की ऊंचाई तक आसानी से उड़ान भर सकता है। एक बार टेकऑफ लेने के बाद यह 2200 किलोमीटर तक उड़ सकता है। इसमें स्टील्थ तकनीक के चलते यह दुश्मन की रड़ार की पकड़ में नहीं आता। F-35 KS इंटर्नल कंपार्टमेंट में AMRAAM, AIM-120, और एंटी-शिप मिसाइल जैसी लंबी दूरी की मिसाइलें आसानी से ले जा सकता है। इस एयरक्राफ्ट में एक 25 MM की गन भी लगी है। इसका कॉकपिट पूरी तरह से डिजिटल है।

नक्सल मुठभेड़ अपडेट: दो शहीद जवानों के शवों को जिला मुख्यालय लाया गया, बालोद और बलौदाबाजार में शोक की लहर

बीजापुर- छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच हुई भीषण मुठभेड़ में दो जवान शहीद हो गए हैं, जबकि 31 वर्दीधारी नक्सली मारे गए. यह मुठभेड़ थाना मद्देड-फरसेगढ़ बॉर्डर एरिया के जंगलों में 9 फरवरी की सुबह शुरू हुई और शाम तक रुक-रुक कर चलती रही.

मुठभेड़ में DRG हेड कांस्टेबल नरेश कुमार ध्रुव (बालोदाबाजार) और STF कांस्टेबल वासित रावटे (बालोद) शहीद हो गए. दोनों शहीद जवानों के पार्थिव शरीर को बीजापुर जिला अस्पताल लाया गया है. शवों को हॉस्पिटल के मर्चुरी में रखा गया है, जहां डॉक्टर्स की टीम और पुलिस के अधिकारी मौजूद रहें.

शहीद जवानों का परिचय

प्रधान आरक्षक नरेश कुमार ध्रुव

पदनाम: प्रधान आरक्षक / 836

जन्मतिथि: 19 सितंबर 1982

भर्ती दिनांक: 23 मई 2007

शहीद दिनांक: 9 फरवरी 2025

स्थायी पता: गुर्रा, जिला बालोदाबाजार

आरक्षक वसित कुमार रावटे

पदनाम: आरक्षक / 1688

जन्मतिथि: 26 अक्टूबर 1991

भर्ती दिनांक: 12 अप्रैल 2016

शहीद दिनांक: 9 फरवरी 2025

स्थायी पता: फागुनदाह, डौंडी, जिला बालोद

मुठभेड़ में 31 वर्दीधारी नक्सली ढेर

बीजापुर के मद्देड-फरसेगढ़ बॉर्डर क्षेत्र में DRG, STF और बस्तर फाइटर्स की संयुक्त टीम को नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना मिली थी. इसके बाद सर्च ऑपरेशन के दौरान 09 फरवरी की सुबह 8 बजे मुठभेड़ शुरू हुई, जो शाम 3-4 बजे तक चलती रही. मुठभेड़ खत्म होने के बाद 31 वर्दीधारी नक्सलियों के शव बरामद किए गए, जिनमें 11 महिला नक्सली भी शामिल हैं. मौके से AK-47, SLR, INSAS, .303 राइफल, रॉकेट लॉन्चर, BGL लॉन्चर और भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री जब्त की गई. संभावना जताई जा रही है कि इस मुठभेड़ में और भी नक्सली मारे गए या घायल हुए हैं. इसके मद्देनजर क्षेत्र में DRG, STF, बस्तर फाइटर्स और CRPF की अतिरिक्त टुकड़ियों को भेजा गया है.

घायल जवानों को एयरलिफ्ट कर रायपुर भेजा गया

मुठभेड़ में घायल DRG कांस्टेबल जग्गू कलमू और STF कांस्टेबल गुलाब मंडावी को भारतीय वायु सेना (IAF) की मदद से एयरलिफ्ट कर रायपुर भेजा गया, जहां उनकी हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है.

40 दिनों में 65 हार्डकोर नक्सली ढेर – आईजी सुंदरराज पी

बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी. ने बताया कि पिछले 40 दिनों में सुरक्षा बलों ने 65 हार्डकोर नक्सलियों को ढेर किया है. सरकार के मंशा के अनुसार और जनता की इच्छा के अनुसार पुलिस मुख्यालय के मार्गदर्शन में बस्तर रेंज में तैनात DRG/STF/CoBRA/CRPF/BSF/ITBP/CAF/ Bastar Fighters & अन्य समस्त सुरक्षा बल सदस्यों द्वारा मजबूत मनोबल एवं स्पष्ट लक्ष्य के साथ बस्तर क्षेत्र की शांति, सुरक्षा व विकास हेतु समर्पित होकर कार्य किया जा रहा है. शहीद जवानों का बलिदान हमारे संकल्प के लिए प्रेरणा होगा.

13-Year-Old Martial Arts Sensation Basil Punathil Shines on the Global Stage.

Basil Punathil, a 13-year-old martial arts prodigy, is quickly becoming a household name in the world of sports. Born on February 1, 2011, in Kozhikode, Kerala, Basil’s journey has been nothing short of inspiring. With an impressive list of achievements under his belt at such a young age, he is setting benchmarks and inspiring young athletes across the globe. Supported by a loving and encouraging family, Basil has been able to balance his academics and martial arts training with remarkable discipline. Currently studying in the 8th grade at St. Paul’s High School in Bangalore, he is proving that dedication and hard work can yield extraordinary results.

Basil’s versatility in martial arts is what sets him apart. He has trained in a variety of disciplines, including boxing, kickboxing, Muay Thai, wrestling, jujitsu, Brazilian Jiu-Jitsu (BJJ), and mixed martial arts (MMA). This diverse skill set allows him to excel in both national and international competitions, showcasing his adaptability and commitment to mastering multiple techniques. His rigorous training and focus have earned him accolades that most athletes can only dream of.

Among his notable accomplishments, Basil’s gold medal at the GAMMA World Championship 2024 in the Under-14 category stands out as a crowning achievement. This victory established him as an international champion and highlighted his determination and talent. In addition to his global success, Basil is also the National MMA Champion in the Under-14 category, further solidifying his dominance in the sport. His prowess is not limited to MMA, as he has also claimed the state championship title in Jiu-Jitsu, demonstrating his technical expertise and versatility.

Basil’s athletic achievements extend beyond combat sports. On October 31, 2021, he set a record recognized by the Indian Book of Records for the longest duration holding the abdominal plank position by a child. With an astonishing time of 2 hours, 34 minutes, and 40 seconds, Basil displayed incredible physical endurance and mental strength. This achievement, accomplished at Ezone Lagoon Resort in Bengaluru, is a testament to his unyielding determination and focus.

The driving force behind Basil’s success is his father and coach, Abdulmuneer, fondly known as Cutman Muneer. A passionate and experienced trainer, Abdulmuneer has been instrumental in shaping Basil’s martial arts career. Under his guidance, Basil has developed the discipline and skills necessary to excel at the highest level. He got his training at Body Force Fight Club. His mother, Nimshida, and sister, Mishamariyam, also play vital roles in providing Basil with a supportive environment that allows him to pursue his dreams.

While martial arts remain his primary focus, Basil is a multi-talented individual with diverse interests. He has a keen fascination with robotics and artificial intelligence, showcasing his curiosity and drive to learn beyond the ring. These interests reflect his well-rounded personality and his determination to excel in various fields.

Basil’s ambitions extend far beyond his current achievements. He aspires to become a world champion in MMA and aims to inspire a new generation of Indian fighters. With his hard work, passion, and dedication, Basil is well on his way to achieving his goals and making a significant impact on the global martial arts stage. His journey serves as a beacon of hope and motivation for aspiring athletes, proving that age is no barrier to success.

For those who want to follow Basil’s incredible journey, his achievements and updates are regularly shared on his social media platforms. Fans and supporters can connect with him on Instagram at and Facebook to stay updated on his progress. His journey has already inspired many, and he continues to motivate young athletes through his accomplishments.

To connect with Basil or his team, please email at With his impressive track record and unwavering dedication, Basil Punathil is undoubtedly a name to watch in the world of martial arts. His journey is just beginning, and the future looks exceptionally bright for this young champion.

चीन छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान बना रहा, हमें 14 साल में 40 तेजस भी नहीं मिले”, वायुसेना प्रमुख ने जताई चिंता

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चीन ने पिछले महीने छठीं पीढ़ी के दो स्टेल्थ लड़ाकू विमानों का प्रदर्शन किया है। शेन्‍यांग शहर के ऊपर एक छोटे विमान की पहली परीक्षण उड़ान देखी गई। इसी दिन चेंगदू में भी तीन इंजन वाले डायमंड विंग के आकार के पंखों वाला विमान आसमान में देखा गया। इन विमानों की ताकत पर दुनियाभर के रक्षा विशेषज्ञ बात कर रहे हैं तो साथ ही इनके डिजाइन की भी चर्चा है। बीच भारतीय वायुसेना के चीफ एपी सिंह ने चीन के छठी पीढ़ी लड़ाकू विमान को लेकर चिंता जाहिर की है।एयर फोर्स चीफ ने कहा कि ऐसे समय में उत्पादन के पैमाने में इजाफा करना होगा, जब चीन जैसे भारत विरोधी देश लगातार अपनी हवाई ताकत को बढ़ा रहे हैं।

चीन ने छठी पीढ़ी का फाइटर जेट भी बना लिया है और यह उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। बेहद एडवांस तकनीक वाले जे-36 फाइटर जेट की बदौलत उसकी वायुसेना की क्षमता बेहद बढ़ गई है, जो भारत के लिए बड़ा खतरा है। इसके उलट भारतीय वायुसेना अपने आधुनिकीकरण में लगातार पिछड़ रही है। इसे लेकर भारतीय वायुसेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल एपी सिंह ने चिंता जताई है। उन्होंने साल 2010 में भारतीय वायुसेना के लिए मंजूर किए गए स्वदेश निर्मित तेजस फाइटर जेट्स का 40 विमानों का पहला बैच भी आज तक नहीं मिलने का जिक्र किया है।

वायुसेना प्रमुख अमरप्रीत सिंह ने कहा कि 'साल 2016 में हमने तेजस को वायुसेना में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू की थी। साल 1984 में इस प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई थी। इसके 17 साल बाद वायुयान ने उड़ान भरी। इसके 16 साल बाद तेजस को वायुसेना में शामिल करने की शुरुआत हुई। आज हम 2025 में हैं और हमें अभी भी पहले 40 विमानों का इंतजार है। ये हमारी उत्पादन क्षमता है।'

एयर मार्शल एपी सिंह ने कहा कि 'हमें प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने की जरूरत है और हमारे पास कई स्त्रोत होने चाहिए, ताकि लोगों को यह डर रहे कि उनका ऑर्डर छिन भी सकता है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो हालात नहीं बदलेंगे।' उन्होंने कहा कि 'क्षमता निर्माण बेहद अहम है। उत्पादन इकाइयों को आधुनिक उत्पादन प्रक्रिया में निवेश बढ़ाना चाहिए और साथ ही अपने कार्यबल को भी प्रशिक्षित करने की जरूरत है।

पिछले कई वर्षों में लगातार मिग-21 क्रैश होने के मामले सामने आ रहे हैं, जिसके चलते इसे ‘उड़ता ताबूत’ कहा जाने लगा है। एपी सिंह ने कहा कि उत्पादन एजेंसियों को अपनी तकनीकी क्षमताओं में और इजाफा करने के लिए निवेश की जरूरत है। कुछ और निजी एजेंसियों को रक्षा उपकरणों के निर्माण में शामिल करना होगा। आज के दौर में दुनिया के कई देश लगातार अपनी सैन्य क्षमता को बढ़ा रहे हैं। हमें भी और विकल्पों को तलाशने की जरूरत है। एपी सिंह ने कहा कि जो कंपनियां रक्षा उपकरणों की डिलीवरी में देरी कर रही हैं, उनके ऑर्डर कैंसिल कर देने चाहिए, ताकि दूसरी एजेंसियां भी सतर्क रहें।

भारत के तेजस लड़ाकू विमान पांचवीं पीढ़ी के हैं और उनमें ही काफी देरी हो रही है। वहीं चीन ने अपने छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों का परीक्षण भी शुरू कर दिया है। यही वजह है कि वायुसेना प्रमुख ने देरी पर चिंता जताई है।

चीन ने बनाया छठी पीढ़ी का लड़ाकू विमान, अमेरिका ही नहीं भारत की भी बढ़ी टेंशन

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चीन लगातार अपनी सैन्य शक्ति मजबूत करने में जुटा है। इस बीच चीन की विमान बनाने वाली दो कंपनियों ने गुरुवार को 24 घंटे से भी कम समय में स्टील्थ (राडार से छुपने वाले) लड़ाकू विमानों के प्रदर्शनकारी मॉडल दिखाए। इन दोनों फाइटर जेट के डिजाइन साधारण जेट के डिजाइन से बिल्कुल अलग हैं। इसे छठी पीढ़ी का फाइटर जेट बताया जा रहा है। इसको इस तरह डिजाइन किया गया है कि पारंपरिक रडार का उपयोग कर इसका पता लगाना लगभग असंभव होगा। चीन ने ऐसे समय में यह लड़ाकू विमान विकसित किया है जब दुनिया के किसी किसी देश के पास छठी पीढ़ी का लड़ाकू विमान नहीं है। अभी इस नए विमान के बारे में बहुत सारी जानकारी गोपनीय रखी गई है।

चीनी सेना आमतौर पर दिसंबर या जनवरी में अपनी नई तकनीक दिखाती है। गुरुवार को लगभग एक ही समय पर दो अलग-अलग मानव-युक्त स्टील्थ फाइटर जेट को उड़ान भरते हुए देखा गया। चेंगदू और शेनयांग कंपनियों के ये अलग-अलग डिजाइन अब तक के सबसे आधुनिक मानव-युक्त लड़ाकू विमानों में से एक हो सकते हैं।

एआई से लैस है यह विमान

रिपोर्ट के अनुसार, चीन की 6वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान को व्हाइट इंपरर (बैदी) उपनाम दिया गया है। इसकी सटीक क्षमताएं अभी गोपनीय है, लेकिन माना जा रहा है कि इसमें कई अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है। यह विमान पहले से अधिक स्टील्थ है, जो दुश्मन के रडार को नाकाम कर सकती है। इसमें अगली पीढ़ी के एवियोनिक्स सिस्टम लगा हुआ है। इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि चीन के 6वीं पीढ़ी के विमान में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया गया है, जो बड़ी मात्रा में डेटा को प्रॉसेस करने और वास्तविक समय में युद्ध के हालातों के अनुसार निर्णय लेने में सक्षम होगा

यूएवी के साथ मिलकर काम करेगा यह विमान

चीन के इस नए लड़ाकू विमान की सबसे बड़ी विशेषताओं में इसका मानव रहित हवाई वाहनों(यूएवी)के साथ मिलकर काम करने की क्षमता भी है। यह भविष्य के युद्ध में यूएवी या ड्रोन के साथ मिलकर अपनी घातक क्षमता का प्रदर्शन कर सकता है। इससे चीन को दुश्मन के इलाके में घुसने पर भी जनहानि का सामना नहीं करना होगा। इससे युद्ध में चीन को न सिर्फ सटीक सूचनाएं प्राप्त होंगी, बल्कि स्ट्राइक मिशन और डिफेंस के लिए अपने सैनिकों का इस्तेमाल भी नहीं करना होगा।

अभी पांचवीं पीढ़ी के विमान बनाने में जुटा भारत

ये विमान भारत के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं। इसलिए भारत को भी इससे निपटने के लिए जल्द से जल्द तैयारी शुरू करनी ही होगी। भारत के पास अभी कोई स्टेल्थ फाइटर जेट नहीं है। मौजूदा वक्त में राफेल सबसे आधुनिक लड़ाकू विमान हैं। इसको 4.5 पीढ़ी का लड़ाकू विमान बताया जाता है। भारत पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान विकसित करने पर काम कर रहा है। सुरक्षा पर कैबिनेट समिति ने पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान एडवांस्ड मीडियम काम्बैट एयरक्राफ्ट को डिजाइन और विकसित करने के लिए 15 हजार करोड़ रुपये की परियोजना को मंजूरी दी थी

चीन ने बनाया छठी पीढ़ी का लड़ाकू विमान, अमेरिका ही नहीं भारत की भी बढ़ी टेंशन
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* चीन लगातार अपनी सैन्य शक्ति मजबूत करने में जुटा है। इस बीच चीन की विमान बनाने वाली दो कंपनियों ने गुरुवार को 24 घंटे से भी कम समय में स्टील्थ (राडार से छुपने वाले) लड़ाकू विमानों के प्रदर्शनकारी मॉडल दिखाए। इन दोनों फाइटर जेट के डिजाइन साधारण जेट के डिजाइन से बिल्कुल अलग हैं। इसे छठी पीढ़ी का फाइटर जेट बताया जा रहा है। इसको इस तरह डिजाइन किया गया है कि पारंपरिक रडार का उपयोग कर इसका पता लगाना लगभग असंभव होगा। चीन ने ऐसे समय में यह लड़ाकू विमान विकसित किया है जब दुनिया के किसी किसी देश के पास छठी पीढ़ी का लड़ाकू विमान नहीं है। अभी इस नए विमान के बारे में बहुत सारी जानकारी गोपनीय रखी गई है। चीनी सेना आमतौर पर दिसंबर या जनवरी में अपनी नई तकनीक दिखाती है। गुरुवार को लगभग एक ही समय पर दो अलग-अलग मानव-युक्त स्टील्थ फाइटर जेट को उड़ान भरते हुए देखा गया। चेंगदू और शेनयांग कंपनियों के ये अलग-अलग डिजाइन अब तक के सबसे आधुनिक मानव-युक्त लड़ाकू विमानों में से एक हो सकते हैं। *एआई से लैस है यह विमान* रिपोर्ट के अनुसार, चीन की 6वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान को व्हाइट इंपरर (बैदी) उपनाम दिया गया है। इसकी सटीक क्षमताएं अभी गोपनीय है, लेकिन माना जा रहा है कि इसमें कई अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है। यह विमान पहले से अधिक स्टील्थ है, जो दुश्मन के रडार को नाकाम कर सकती है। इसमें अगली पीढ़ी के एवियोनिक्स सिस्टम लगा हुआ है। इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि चीन के 6वीं पीढ़ी के विमान में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया गया है, जो बड़ी मात्रा में डेटा को प्रॉसेस करने और वास्तविक समय में युद्ध के हालातों के अनुसार निर्णय लेने में सक्षम होगा *यूएवी के साथ मिलकर काम करेगा यह विमान* चीन के इस नए लड़ाकू विमान की सबसे बड़ी विशेषताओं में इसका मानव रहित हवाई वाहनों(यूएवी)के साथ मिलकर काम करने की क्षमता भी है। यह भविष्य के युद्ध में यूएवी या ड्रोन के साथ मिलकर अपनी घातक क्षमता का प्रदर्शन कर सकता है। इससे चीन को दुश्मन के इलाके में घुसने पर भी जनहानि का सामना नहीं करना होगा। इससे युद्ध में चीन को न सिर्फ सटीक सूचनाएं प्राप्त होंगी, बल्कि स्ट्राइक मिशन और डिफेंस के लिए अपने सैनिकों का इस्तेमाल भी नहीं करना होगा। अभी पांचवीं पीढ़ी के विमान बनाने में जुटा भारत ये विमान भारत के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं। इसलिए भारत को भी इससे निपटने के लिए जल्द से जल्द तैयारी शुरू करनी ही होगी। भारत के पास अभी कोई स्टेल्थ फाइटर जेट नहीं है। मौजूदा वक्त में राफेल सबसे आधुनिक लड़ाकू विमान हैं। इसको 4.5 पीढ़ी का लड़ाकू विमान बताया जाता है। भारत पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान विकसित करने पर काम कर रहा है। सुरक्षा पर कैबिनेट समिति ने पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान एडवांस्ड मीडियम काम्बैट एयरक्राफ्ट को डिजाइन और विकसित करने के लिए 15 हजार करोड़ रुपये की परियोजना को मंजूरी दी थी
राजस्थान के चूरू में फाइटर प्लेन क्रैश, दो पायलटों की मौत

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राजसथान के चुरू में बड़ा विमान हादसा हो गया है। चुरू में आज बुधवार को वायुसेना का एक जगुआर प्लेन क्रैश हो गया है। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, इस हादसे में 2 पायलटों की मौत हो गई है। यह हादसा रतनगढ़ के भाणुदा बीदावतान गांव में हुआ।

वायुसेना ने क्या कहा?

हादसे के बाद वायुसेना ने कहा, भारतीय वायुसेना का एक जगुआर ट्रेनर एयरक्राफ्ट राजस्थान के चूरू के पास नियमित प्रशिक्षण मिशन के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस दुर्घटना में दोनों पायलटों की मौत हो गई। किसी भी नागरिक संपत्ति को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। भारतीय वायुसेना को नुकसान पर गहरा दुःख है और वह इस दुख की घड़ी में शोक संतप्त परिवारों के साथ खड़ी है। दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए एक कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी गठित की गई है।

दुर्घटना स्थल के पास मानव शरीर के अंग मिले

हादसे की जानकारी स्थानीय लोगों ने पुलिस की दी। जानकारी मिलते ही ही पुलिस की एक टीम तुरंत दुर्घटनास्थल पहुंच गई ताकि इलाके को सुरक्षित किया जा सके और आगे की जांच में मदद मिल सके। न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, राजलदेसर के थानाधिकारी कमलेश ने बताया कि विमान दोपहर करीब 1.25 बजे भाणुदा गांव के एक खेत में दुर्घटनाग्रस्त हुआ। उन्होंने बताया कि दुर्घटना स्थल के पास मानव शरीर के अंग मिले हैं । फिलहाल पायलट की पहचान और विमान को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है।

पहले भी 2 बार क्रैश हो चुका है जगुआर

बता दें कि इससे पहले भी 2 बार जगुआर फाइटर प्लेन क्रैश हो चुके हैं। 3 महीने पहले भी ऐसा ही एक हादसा देखने को मिला था। अप्रैल में जामनगर एअरफील्ड से उड़ान भरने वाला जगुआर एअरक्राफ्ट क्रैश हो गया था। भारतीय वायुसेना के अनुसार तकनीकी खराबी के कारण यह हादसा हुआ था। वहीं, 7 मार्च को हरियाणा के अंबाला में भी जगुआर एअरक्राफ्ट क्रैश हो गया था।

हिंद महासागर में चीन को कड़ी टक्कर देने की तैयारी में भारत, फ्रांस से 26 मरीन रॉफेल की डील

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अपने पड़ोसी देशों की हरकतों को देखते हुए भारत लगातार अपनी सैन्य क्षमता बढ़ाने में जुटा हुआ है। इसी क्रम में भारत सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए फ्रांस से 26 मरीन रॉफेल खरीदने को मंजूरी दे दी है। भारत और फ्रांस के बीच पहले भी रॉफेल विमानों को लेकर सौदा हो चुका है। साल 2016 में भारत ने वायु सेना के लिए 36 रॉफेल विमान खरीदे थे। अब नौ सेना के लिए यह नया सौदा दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को और गहरा करेगा। इस सौदे में विमानों के साथ-साथ हथियार, स्पेयर पार्ट्स और रखरखाव का सामान भी शामिल होगा।

सरकारी सूत्रों के हवाले से समाचार एजेंसी एएनआई ने यह दावा किया है। रिपोर्ट के मुताबिक 63,000 करोड़ रुपये से अधिक के इस सरकारी सौदे पर जल्द ही हस्ताक्षर किए जाएंगे। इसके बाद फ्रांस 22 सिंगल-सीटर और 4 ट्विन-सीटर जेट भारतीय नौसेना को सौंपेगा। इन्हें हिंद महासागर में चीन से मुकाबले के लिए आईएनएस विक्रांत पर तैनात किया जाएगा। यह सौदा भारतीय वायुसेना के राफेल विमानों की क्षमताओं को भी अपग्रेड करने में मदद करेगा। राफेल-एम जेट को भारतीय नौसेना के विमानों के बेड़े में शामिल किया जाएगा।

दोनों देशों के बीच 26 राफेल मरीन जेट की खरीद को लेकर कई महीनों से बातचीत चल रही थी। भारत नौसेना के लिए राफेल मरीन की डील उसी बेस प्राइज में करना चाहता था, जो 2016 में वायुसेना के लिए 36 विमान खरीदते समय रखी थी। इस डील की जानकारी सबसे पहले पीएम मोदी की 2023 की फ्रांस यात्रा के दौरान सामने आई थी। इसके बाद रक्षा मंत्रालय ने लेटर ऑफ रिक्वेस्ट जारी किया था, जिसे फ्रांस ने दिसंबर 2023 में स्वीकार किया।

जून 2024 में हुई थी पहले दौर की चर्चा

26 राफेल-एम फाइटर जेट खरीदने की डील पर पहले दौर की चर्चा जून 2024 में शुरू हुई थी। तब फ्रांस सरकार और दसॉ कंपनी के अधिकारियों ने रक्षा मंत्रालय की कॉन्ट्रैक्ट नेगोशिएशन कमेटी से चर्चा की थी। डील फाइनल होने पर फ्रांस राफेल-M जेट के साथ हथियार, सिमुलेटर, क्रू के लिए ट्रेनिंग और लॉजिस्टक सपोर्ट मुहैया कराएगा।

इन हथियारों में अस्त्र एयर-टु-एयर मिसाइल, एयरक्राफ्ट कैरियर से ऑपरेट करने के लिए जेट में इंडियन स्पेसिफिक इन्हैंस्ड लैंडिंग इक्विपमेंट्स और जरूरी इक्विपमेंट्स शामिल किए हैं। इससे पहले सितंबर 2016 में 59 हजार करोड़ रुपए की डील में भारत वायुसेना के लिए फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीद चुका है।

हिंद महासागर में चीन को मिलेगी टक्कर

यह सौदा भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ाने में काफी मददगार साबित होगा। रॉफेल मरीन विमान आधुनिक तकनीक से लैस हैं और समुद्र में ऑपरेशन के लिए खास तौर पर डिजाइन किए गए हैं। ये विमान नौसेना के विमानवाहक पोतों जैसे आईएनएस विक्रांत से उड़ान भर सकेंगे। इससे भारत की समुद्री सुरक्षा और मजबूत होगी। खासकर हिंद महासागर में चीन की बढ़ती मौजूदगी को देखते हुए यह सौदा बहुत जरूरी माना जा रहा है। ये विमान नौसेना को समुद्र में लंबी दूरी तक निगरानी और हमले की ताकत देंगे।

भारतीय वायुसेना होगी और ताकतवर, लड़ाकू विमानों की “फौज” बनाने की तैयारी

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भारत का पड़ोसी देश चीन लगातार अपने रक्षा बजट में बढ़ोतरी कर रहा है। चीन अपनी सेना और हथियारों को अत्याधुनिक बनाने की कोशिश में जुटा है। चीन की बढ़ती ताकत सबसे पहले भारत के लिए खतरा पैदा कर सकती है। ऐसे में भारत को भी अपनी ताकत बढ़ाने की जरूरत है। इसी क्रम में भारतीय वायुसेना अपनी ताकत बढ़ाने के लिए 114 नए मध्यम श्रेणी के लड़ाकू विमान खरीदने की तैयारी में है।

रक्षा मंत्रालय की एक कमेटी ने इस जरूरत को सही ठहराया है। पुराने सोवियत विमानों के रिटायर होने और नए विमानों की कमी के चलते वायुसेना के स्क्वाड्रनों की संख्या घट रही है। इस कमी को पूरा करने के लिए नए विमान जरूरी हैं। इसका बजट अरबों डॉलर का होगा और इसमें कई बड़ी अंतरराष्ट्रीय कंपनियां हिस्सा लेंगी।

भारत ने वायुसेना के 20 अरब डॉलर के मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट (एमआरएफए) कार्यक्रम के तहत 114 मल्टीरोल फाइटर जेट खरीदने की भी योजना बनाई है। इस योजना के तहत विदेशी जेट विमानों को भारत में बनाने की शर्त रखी गई है, जिसमें तकनीक हस्तांतरण (ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी) की जरूरत होगी और यही इस प्रोजेक्ट की सबसे बड़ी चुनौती है। यह प्रोजेक्ट साल 2019 से रुका हुआ है।

वायुसेना चीफ एपी सिंह ने कहा है कि नए लड़ाकू विमानों का निर्माण C-295 मॉडल पर किया जाना चाहिए। यह वही मॉडल है जिसके तहत एयरबस और टाटा मिलकर भारत में सैन्य परिवहन विमान बना रहे हैं। इसी तरह, कोई भी विदेशी कंपनी किसी भारतीय कंपनी के साथ साझेदारी कर इन लड़ाकू विमानों को भारत में बनाएगी। इससे भारतीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और तकनीकी क्षमता में भी बढ़ोतरी होगी।

भारत सरकार और फ्रांस सरकार के बीच राफेल विमानों की खरीद पर हुई अलोचना के बाद, अब भारतीय सरकार चाहती है कि यह डील पूरी तरह पारदर्शी और बिना किसी विवाद के हो। इस डील के लिए पांच जेट विमान दौड़ में है, जिनमें राफेल सबसे आगे है क्योंकि यह पहले से ही भारतीय वायुसेना में इस्तेमाल हो रहा है।

इस सौदे में बोइंग (F/A 18 सुपर हॉर्नेट), लॉकहीड मार्टिन (F 21), डसॉल्ट (राफेल) और साब (ग्रिपेन) जैसी बड़ी कंपनियां शामिल हो सकती हैं। इसमें से बोइंग और महिंद्रा पहले ही इस प्रोजेक्ट पर चर्चा कर चुके हैं। वहीं, लॉकहीड मार्टिन टाटा के साथ मिलकर काम कर सकती है। हालांकि, इसका F-35 विमान इस दौड़ में शामिल नहीं होगा, क्योंकि भारत चाहता है कि नए विमान भारत में ही बनाए जाएं और साथ ही टेक्नोलॉजी ट्रांसफर भी हो।

जबकि फ्रांस की कंपनी डसॉल्ट ने एक प्रस्ताव भेजा है कि अगर उसे 114 विमानों का ऑर्डर मिलता है, तो वह भारत में एक सहायक कंपनी बनाएगी, जो भारतीय वायुसेना के लिए और निर्यात के लिए विमान बनाएगी। स्वीडन की कंपनी 'साब' पहले अडानी डिफेंस के साथ काम कर रही थी, लेकिन अब यह समझौता दोनों के बीच समाप्त हो गया है। रूस भी अपने लड़ाकू विमान पेश करने को तैयार है, लेकिन भारतीय वायुसेना को आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स और उन्नत तकनीक वाले विमान चाहिए, जो चीन की चुनौती का सामना कर सकें।

भारत को F-35 बेचना चाहता है अमेरिका, जानें भारत के कितना मुश्किल सौदा

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प्रधानमंत्री नरेनेद्र मोदी ने फरवरी के दूसरे हफ्ते में अमेरिका का दौरा किया। अपने यूएस दौरे के दौरान पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की। इस दौरान ट्रंप ने भारत को अपना अत्याधुनिक लड़ाकू विमान F-35 देने की पेशकश की। पीएम मोदी के साथ व्हाइट हाउस में मुलाकात के बाद ट्रंप ने घोषणा की कि उनका प्रशासन अमेरिकी स्टील्थ फाइटर को भारत को बेचने के लिए तैयार है। इससे भारत अत्याधुनिक स्टील्थ विमानों वाले देशों के एलीट क्लब में शामिल हो जाएगा। ऐसे में सवाल ये है कि भारत अमेरिका से F-35 लड़ाकू विमान खरीदता है तो ये कितना जरूरी होगा? इसे खरीदने के लिए भारत को कितना पैसा खर्च करने पड़ेंगे? और सबसे अहम सवाल इसे खरीदने में क्या कहीं कोई झोल है?

कीमत सबसे बड़ा रोड़ा

F-35 अमेरिका का 5वीं जेनरेशन का लड़ाकू विमान है। इसे लॉकहीड मार्टिन कंपनी ने डेवलप किया है। इस प्लेन को 2006 से बनाना शुरू किया गया था। 2015 से यह अमेरिकी वायुसेना में शामिल है। ये पेंटागन के इतिहास का सबसे महंगा विमान है। अमेरिका एक F-35 फाइटर प्लेन पर औसतन 82.5 मिलियन डॉलर (करीब 715 करोड़ रुपए) खर्च करता है। अमेरिकी सरकार के कामों पर नजर रखने वाली संस्था गर्वनमेंट अकाउंटिबिलिटी ऑफिस (जीएओ) के मुताबिक, एक F-35 के रखरखाव पर हर साल 53 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। ऐसे में अगर भारत 1000 करोड़ रुपए में ये विमान खरीदता है, तो इसके 60 साल के सर्विस पीरियड में 3,180 करोड़ रुपए खर्च होंगे। ये विमान की कीमत से तीन गुना ज्यादा है। इसके अलावा इसकी हर घंटे की उड़ान पर 30 लाख रुपए खर्च होंगे। इन विमानों की संख्या फ्रांसीसी राफेल लड़ाकू विमानों के दो स्क्वाड्रन (36 विमान) की मौजूदा संख्या के बराबर हो सकती है।

सरकार से सरकार के बीच होता है सौदा

एफ- 35 विमान को लॉकहीड मार्टिन सीधे किसी देश को बेच नहीं सकती है। इस विमान का सौदा सरकार से सरकार के बीच होता है। पेंटागन इसमें मध्यस्थ की भूमिका निभाता है। डोनाल्ड ट्रंप ने अभी तक इन विमानों को भारत को देने से जुड़ी कोई समय सीमा नहीं बताई है। मगर रॉयटर्स के मुताबिक स्टेल्थ एफ-35 जेट की डिलीवरी में वर्षों का समय लग जाता है। लिहाजा सवाल ये उठते हैं कि अगर भारत इस फाइटर जेट को खरीदने की सोचता है, तो वो सरकार से सरकार स्तर पर बातचीत करेगा या फिर डायरेक्ट कंपनी से ही डील करेगा? अगर 'सरकार से सरकार' रास्ते से अधिग्रहण का फैसला लिया जाता है, तो फाइटर जेट की क्वालिटी, उसकी कीमत, दूसरे लड़ाकू विमानों के साथ उसके कॉर्डिनेशन, ज्वाइंट प्रोडक्शन की संभावना और उसके ऑपरेशन की स्थितियों जैसे कई सवाल होंगे, जिनके जवाब तलाशने होंगे।

ड्रोन टेक्नोलॉजी के आगे फाइटर जेट्स पुराने

वहीं, ड्रोन टेक्नोलॉजी से युद्ध लड़े जाने का तरीका बदल गया है। फ्रंट लाइन पर फाइटर जेट्स की बजाय ड्रोन से हमला करना आसान है। रूस-यूक्रेन युद्ध में फ्रंट लाइन के पास एंटी-एयरक्राफ्ट सिस्टम लगे होने की वजह से फाइटर जेट्स का हमला कर पाना मुश्किल है। ऐसे में छोटे और बेहद कम कीमत वाले ड्रोन्स सबसे घातक हथियार साबित हुए हैं।

बता दे कि ट्रंप के करीबी लन मस्क भी इस फाइटर जेट पर सवाल उठा चुके हैं।मस्क ने एक्स पर एक पोस्ट में वीडियो अपलोड किया था। इसमें एक साथ सैकड़ों छोटे ड्रोन आसमान को घेरे हुए थे। मस्क ने लिखा था- कुछ बेवकूफ अभी भी F-35 जैसे पायलट वाले लड़ाकू जेट बना रहे हैं। मस्क ने कहा कि F-35 का डिजाइन शुरुआती लेवल पर ही खराब था। इसे ऐसे डिजाइन किया गया कि हर किसी को हर खासियत मिल सके। लेकिन इसकी वजह से F-35 महंगा हो गया और उलझा हुआ प्रोडक्ट बन गया। ऐसे डिजाइन को कभी सफल होना ही नहीं था। वैसे भी ड्रोन के जमाने में अब ऐसे फाइटर जेट्स का कोई मतलब नहीं है। ये सिर्फ पायलट की जान लेने के लिए हैं।

अमेरिका भारत को एफ-35 क्यों बेचना चाहता है?

दरअसल, ट्रंप सैन्य हथियारों के माध्यम से भारत के साथ होने वाले व्यापार घाटे को पाटना चाहते हैं। ट्रंप ने कहा कि इस साल से हम भारत को कई अरब डॉलर की सैन्य बिक्री बढ़ाएंगे। भारत को एफ- 35 स्टेल्थ लड़ाकू विमान बेचेंगे। ट्रंप ने यह भी कहा कि दोनों देशों के बीच एक समझौता हुआ है। इसके तहत भारत दोनों देशों के बीच व्यापार घाटे को कम करने के लिए अधिक मात्रा में अमेरिकी तेल और गैस का आयात भी करेगा।

यही नहीं, रूस ने भी भारत को सुखोई एसयू-57 देने की पेशकश की है। रूस ने तो इन विमानों को भारत में तैयार करने का प्रस्ताव भी दिया है। रूस ने भारत को तकनीक ट्रांसफर करने की बात भी कही है। भारत सबसे अधिक हथियार रूस से ही खरीदता है और भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियार बाजार है। रूस ने भारत के AMCA कार्यक्रम में भी मदद की पेशकश की है। यही वजह है कि ट्रंप यह डील रूस के हाथों नहीं जाने देना चाहते हैं।

भारत को मिलने वाला है दुनिया का सबसे खतरनाक हथियार, क्या एफ-35 पर डील हो गई पक्की?


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भारत को दुनिया का सबसे खतरनाक हथियार मिलने वाला है। दरअसल, अमेरिका ने भारत को दुनिया के सबसे खतरनाक स्टेल्थ फाइटर जेट F-35 बेचने की पेशकश कर दी है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को कहा कि अमेरिका भारत को एफ-35 स्टेल्थ फाइटर जेट बेचेगा। ट्रंप ने वॉशिंगटन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, इस साल से हम भारत को कई अरब डॉलर के हथियार बेचने जा रहे हैं। हम भारत को एफ-35 स्टेल्थ फाइटर जेट देने का रास्ता भी साफ कर रहे हैं।

ट्रंप की इस पेशकश के बाद भारत ने कहा है कि अमेरिका से F-35 लड़ाकू विमान खरीदने की प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई है। यह अभी सिर्फ एक प्रस्ताव के स्तर पर है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात के बाद विदेश सचिव विक्रम मिश्री ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया, यह अभी प्रस्ताव के चरण में है। मुझे नहीं लगता कि इस बारे में औपचारिक प्रक्रिया अभी तक शुरू हुई है।

क्यों है F-35 लड़ाकू विमान की डील मुश्किल?

वहीं, अमेरिका से F-35 लड़ाकू विमान के सौदे में कई अड़चनें आ सकती हैं। भारत के रूस के साथ अच्छे रक्षा संबंध हैं और अमेरिका उन देशों को एफ-35 बेचने में सावधानी बरतता है जहां से इसकी तकनीक लीक होने का खतरा हो सकता है। इसी वजह से अमेरिका ने तुर्की को एफ-35 देने से मना कर दिया था, क्योंकि उसे डर था कि रूस इसकी तकनीक चुरा सकता है। यह सौदा भारत को रूस से दूर करने की अमेरिका की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. क्योंकि भारत ने 2018 में रूस से S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदा था।

F-35 की खासियत

F-35 लाइटनिंग-II एक अत्याधुनिक पांचवीं पीढ़ी का स्टेल्थ फाइटर विमान है। अमेरीका की लॉकहीड मार्टिन ने इसे विकसित किया है। यह फाइटर अलग अलग तरह के कांबेट मिशनों को अंजाम देने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसमें एयर टू एयर, एयर टू ग्राउंड और इंटेलिजेंस जानकारी इकट्ठा करने और स्ट्रेजिक मिशन को अंजाम दिया जा सकता है। इसके 3 वेरियंट है। एयर फोर्स के लिए F-35A, F-35B वर्टिकल टेक ऑफ लैंडिंग क्षमता वाला और F-35C नौसेना के एयरक्राफ्ट कैरियर से इस्तेमाल किए जाने वाला है। यह एक सिंगल इंजन एयरक्राफ्ट है। इसकी रफ्तार 1.6 मैक प्रतिघंट है. अधिकत्म 50000 फिट की ऊंचाई तक आसानी से उड़ान भर सकता है। एक बार टेकऑफ लेने के बाद यह 2200 किलोमीटर तक उड़ सकता है। इसमें स्टील्थ तकनीक के चलते यह दुश्मन की रड़ार की पकड़ में नहीं आता। F-35 KS इंटर्नल कंपार्टमेंट में AMRAAM, AIM-120, और एंटी-शिप मिसाइल जैसी लंबी दूरी की मिसाइलें आसानी से ले जा सकता है। इस एयरक्राफ्ट में एक 25 MM की गन भी लगी है। इसका कॉकपिट पूरी तरह से डिजिटल है।

नक्सल मुठभेड़ अपडेट: दो शहीद जवानों के शवों को जिला मुख्यालय लाया गया, बालोद और बलौदाबाजार में शोक की लहर

बीजापुर- छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच हुई भीषण मुठभेड़ में दो जवान शहीद हो गए हैं, जबकि 31 वर्दीधारी नक्सली मारे गए. यह मुठभेड़ थाना मद्देड-फरसेगढ़ बॉर्डर एरिया के जंगलों में 9 फरवरी की सुबह शुरू हुई और शाम तक रुक-रुक कर चलती रही.

मुठभेड़ में DRG हेड कांस्टेबल नरेश कुमार ध्रुव (बालोदाबाजार) और STF कांस्टेबल वासित रावटे (बालोद) शहीद हो गए. दोनों शहीद जवानों के पार्थिव शरीर को बीजापुर जिला अस्पताल लाया गया है. शवों को हॉस्पिटल के मर्चुरी में रखा गया है, जहां डॉक्टर्स की टीम और पुलिस के अधिकारी मौजूद रहें.

शहीद जवानों का परिचय

प्रधान आरक्षक नरेश कुमार ध्रुव

पदनाम: प्रधान आरक्षक / 836

जन्मतिथि: 19 सितंबर 1982

भर्ती दिनांक: 23 मई 2007

शहीद दिनांक: 9 फरवरी 2025

स्थायी पता: गुर्रा, जिला बालोदाबाजार

आरक्षक वसित कुमार रावटे

पदनाम: आरक्षक / 1688

जन्मतिथि: 26 अक्टूबर 1991

भर्ती दिनांक: 12 अप्रैल 2016

शहीद दिनांक: 9 फरवरी 2025

स्थायी पता: फागुनदाह, डौंडी, जिला बालोद

मुठभेड़ में 31 वर्दीधारी नक्सली ढेर

बीजापुर के मद्देड-फरसेगढ़ बॉर्डर क्षेत्र में DRG, STF और बस्तर फाइटर्स की संयुक्त टीम को नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना मिली थी. इसके बाद सर्च ऑपरेशन के दौरान 09 फरवरी की सुबह 8 बजे मुठभेड़ शुरू हुई, जो शाम 3-4 बजे तक चलती रही. मुठभेड़ खत्म होने के बाद 31 वर्दीधारी नक्सलियों के शव बरामद किए गए, जिनमें 11 महिला नक्सली भी शामिल हैं. मौके से AK-47, SLR, INSAS, .303 राइफल, रॉकेट लॉन्चर, BGL लॉन्चर और भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री जब्त की गई. संभावना जताई जा रही है कि इस मुठभेड़ में और भी नक्सली मारे गए या घायल हुए हैं. इसके मद्देनजर क्षेत्र में DRG, STF, बस्तर फाइटर्स और CRPF की अतिरिक्त टुकड़ियों को भेजा गया है.

घायल जवानों को एयरलिफ्ट कर रायपुर भेजा गया

मुठभेड़ में घायल DRG कांस्टेबल जग्गू कलमू और STF कांस्टेबल गुलाब मंडावी को भारतीय वायु सेना (IAF) की मदद से एयरलिफ्ट कर रायपुर भेजा गया, जहां उनकी हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है.

40 दिनों में 65 हार्डकोर नक्सली ढेर – आईजी सुंदरराज पी

बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी. ने बताया कि पिछले 40 दिनों में सुरक्षा बलों ने 65 हार्डकोर नक्सलियों को ढेर किया है. सरकार के मंशा के अनुसार और जनता की इच्छा के अनुसार पुलिस मुख्यालय के मार्गदर्शन में बस्तर रेंज में तैनात DRG/STF/CoBRA/CRPF/BSF/ITBP/CAF/ Bastar Fighters & अन्य समस्त सुरक्षा बल सदस्यों द्वारा मजबूत मनोबल एवं स्पष्ट लक्ष्य के साथ बस्तर क्षेत्र की शांति, सुरक्षा व विकास हेतु समर्पित होकर कार्य किया जा रहा है. शहीद जवानों का बलिदान हमारे संकल्प के लिए प्रेरणा होगा.

13-Year-Old Martial Arts Sensation Basil Punathil Shines on the Global Stage.

Basil Punathil, a 13-year-old martial arts prodigy, is quickly becoming a household name in the world of sports. Born on February 1, 2011, in Kozhikode, Kerala, Basil’s journey has been nothing short of inspiring. With an impressive list of achievements under his belt at such a young age, he is setting benchmarks and inspiring young athletes across the globe. Supported by a loving and encouraging family, Basil has been able to balance his academics and martial arts training with remarkable discipline. Currently studying in the 8th grade at St. Paul’s High School in Bangalore, he is proving that dedication and hard work can yield extraordinary results.

Basil’s versatility in martial arts is what sets him apart. He has trained in a variety of disciplines, including boxing, kickboxing, Muay Thai, wrestling, jujitsu, Brazilian Jiu-Jitsu (BJJ), and mixed martial arts (MMA). This diverse skill set allows him to excel in both national and international competitions, showcasing his adaptability and commitment to mastering multiple techniques. His rigorous training and focus have earned him accolades that most athletes can only dream of.

Among his notable accomplishments, Basil’s gold medal at the GAMMA World Championship 2024 in the Under-14 category stands out as a crowning achievement. This victory established him as an international champion and highlighted his determination and talent. In addition to his global success, Basil is also the National MMA Champion in the Under-14 category, further solidifying his dominance in the sport. His prowess is not limited to MMA, as he has also claimed the state championship title in Jiu-Jitsu, demonstrating his technical expertise and versatility.

Basil’s athletic achievements extend beyond combat sports. On October 31, 2021, he set a record recognized by the Indian Book of Records for the longest duration holding the abdominal plank position by a child. With an astonishing time of 2 hours, 34 minutes, and 40 seconds, Basil displayed incredible physical endurance and mental strength. This achievement, accomplished at Ezone Lagoon Resort in Bengaluru, is a testament to his unyielding determination and focus.

The driving force behind Basil’s success is his father and coach, Abdulmuneer, fondly known as Cutman Muneer. A passionate and experienced trainer, Abdulmuneer has been instrumental in shaping Basil’s martial arts career. Under his guidance, Basil has developed the discipline and skills necessary to excel at the highest level. He got his training at Body Force Fight Club. His mother, Nimshida, and sister, Mishamariyam, also play vital roles in providing Basil with a supportive environment that allows him to pursue his dreams.

While martial arts remain his primary focus, Basil is a multi-talented individual with diverse interests. He has a keen fascination with robotics and artificial intelligence, showcasing his curiosity and drive to learn beyond the ring. These interests reflect his well-rounded personality and his determination to excel in various fields.

Basil’s ambitions extend far beyond his current achievements. He aspires to become a world champion in MMA and aims to inspire a new generation of Indian fighters. With his hard work, passion, and dedication, Basil is well on his way to achieving his goals and making a significant impact on the global martial arts stage. His journey serves as a beacon of hope and motivation for aspiring athletes, proving that age is no barrier to success.

For those who want to follow Basil’s incredible journey, his achievements and updates are regularly shared on his social media platforms. Fans and supporters can connect with him on Instagram at and Facebook to stay updated on his progress. His journey has already inspired many, and he continues to motivate young athletes through his accomplishments.

To connect with Basil or his team, please email at With his impressive track record and unwavering dedication, Basil Punathil is undoubtedly a name to watch in the world of martial arts. His journey is just beginning, and the future looks exceptionally bright for this young champion.

चीन छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान बना रहा, हमें 14 साल में 40 तेजस भी नहीं मिले”, वायुसेना प्रमुख ने जताई चिंता

#IAF_ap_singh_concerns_over_delayed_tejas_procurement_amid_china_tests_6th_generation_fighter

चीन ने पिछले महीने छठीं पीढ़ी के दो स्टेल्थ लड़ाकू विमानों का प्रदर्शन किया है। शेन्‍यांग शहर के ऊपर एक छोटे विमान की पहली परीक्षण उड़ान देखी गई। इसी दिन चेंगदू में भी तीन इंजन वाले डायमंड विंग के आकार के पंखों वाला विमान आसमान में देखा गया। इन विमानों की ताकत पर दुनियाभर के रक्षा विशेषज्ञ बात कर रहे हैं तो साथ ही इनके डिजाइन की भी चर्चा है। बीच भारतीय वायुसेना के चीफ एपी सिंह ने चीन के छठी पीढ़ी लड़ाकू विमान को लेकर चिंता जाहिर की है।एयर फोर्स चीफ ने कहा कि ऐसे समय में उत्पादन के पैमाने में इजाफा करना होगा, जब चीन जैसे भारत विरोधी देश लगातार अपनी हवाई ताकत को बढ़ा रहे हैं।

चीन ने छठी पीढ़ी का फाइटर जेट भी बना लिया है और यह उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। बेहद एडवांस तकनीक वाले जे-36 फाइटर जेट की बदौलत उसकी वायुसेना की क्षमता बेहद बढ़ गई है, जो भारत के लिए बड़ा खतरा है। इसके उलट भारतीय वायुसेना अपने आधुनिकीकरण में लगातार पिछड़ रही है। इसे लेकर भारतीय वायुसेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल एपी सिंह ने चिंता जताई है। उन्होंने साल 2010 में भारतीय वायुसेना के लिए मंजूर किए गए स्वदेश निर्मित तेजस फाइटर जेट्स का 40 विमानों का पहला बैच भी आज तक नहीं मिलने का जिक्र किया है।

वायुसेना प्रमुख अमरप्रीत सिंह ने कहा कि 'साल 2016 में हमने तेजस को वायुसेना में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू की थी। साल 1984 में इस प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई थी। इसके 17 साल बाद वायुयान ने उड़ान भरी। इसके 16 साल बाद तेजस को वायुसेना में शामिल करने की शुरुआत हुई। आज हम 2025 में हैं और हमें अभी भी पहले 40 विमानों का इंतजार है। ये हमारी उत्पादन क्षमता है।'

एयर मार्शल एपी सिंह ने कहा कि 'हमें प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने की जरूरत है और हमारे पास कई स्त्रोत होने चाहिए, ताकि लोगों को यह डर रहे कि उनका ऑर्डर छिन भी सकता है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो हालात नहीं बदलेंगे।' उन्होंने कहा कि 'क्षमता निर्माण बेहद अहम है। उत्पादन इकाइयों को आधुनिक उत्पादन प्रक्रिया में निवेश बढ़ाना चाहिए और साथ ही अपने कार्यबल को भी प्रशिक्षित करने की जरूरत है।

पिछले कई वर्षों में लगातार मिग-21 क्रैश होने के मामले सामने आ रहे हैं, जिसके चलते इसे ‘उड़ता ताबूत’ कहा जाने लगा है। एपी सिंह ने कहा कि उत्पादन एजेंसियों को अपनी तकनीकी क्षमताओं में और इजाफा करने के लिए निवेश की जरूरत है। कुछ और निजी एजेंसियों को रक्षा उपकरणों के निर्माण में शामिल करना होगा। आज के दौर में दुनिया के कई देश लगातार अपनी सैन्य क्षमता को बढ़ा रहे हैं। हमें भी और विकल्पों को तलाशने की जरूरत है। एपी सिंह ने कहा कि जो कंपनियां रक्षा उपकरणों की डिलीवरी में देरी कर रही हैं, उनके ऑर्डर कैंसिल कर देने चाहिए, ताकि दूसरी एजेंसियां भी सतर्क रहें।

भारत के तेजस लड़ाकू विमान पांचवीं पीढ़ी के हैं और उनमें ही काफी देरी हो रही है। वहीं चीन ने अपने छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों का परीक्षण भी शुरू कर दिया है। यही वजह है कि वायुसेना प्रमुख ने देरी पर चिंता जताई है।

चीन ने बनाया छठी पीढ़ी का लड़ाकू विमान, अमेरिका ही नहीं भारत की भी बढ़ी टेंशन

#chinesesixthgenerationstealthfighterjetdemonstration

चीन लगातार अपनी सैन्य शक्ति मजबूत करने में जुटा है। इस बीच चीन की विमान बनाने वाली दो कंपनियों ने गुरुवार को 24 घंटे से भी कम समय में स्टील्थ (राडार से छुपने वाले) लड़ाकू विमानों के प्रदर्शनकारी मॉडल दिखाए। इन दोनों फाइटर जेट के डिजाइन साधारण जेट के डिजाइन से बिल्कुल अलग हैं। इसे छठी पीढ़ी का फाइटर जेट बताया जा रहा है। इसको इस तरह डिजाइन किया गया है कि पारंपरिक रडार का उपयोग कर इसका पता लगाना लगभग असंभव होगा। चीन ने ऐसे समय में यह लड़ाकू विमान विकसित किया है जब दुनिया के किसी किसी देश के पास छठी पीढ़ी का लड़ाकू विमान नहीं है। अभी इस नए विमान के बारे में बहुत सारी जानकारी गोपनीय रखी गई है।

चीनी सेना आमतौर पर दिसंबर या जनवरी में अपनी नई तकनीक दिखाती है। गुरुवार को लगभग एक ही समय पर दो अलग-अलग मानव-युक्त स्टील्थ फाइटर जेट को उड़ान भरते हुए देखा गया। चेंगदू और शेनयांग कंपनियों के ये अलग-अलग डिजाइन अब तक के सबसे आधुनिक मानव-युक्त लड़ाकू विमानों में से एक हो सकते हैं।

एआई से लैस है यह विमान

रिपोर्ट के अनुसार, चीन की 6वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान को व्हाइट इंपरर (बैदी) उपनाम दिया गया है। इसकी सटीक क्षमताएं अभी गोपनीय है, लेकिन माना जा रहा है कि इसमें कई अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है। यह विमान पहले से अधिक स्टील्थ है, जो दुश्मन के रडार को नाकाम कर सकती है। इसमें अगली पीढ़ी के एवियोनिक्स सिस्टम लगा हुआ है। इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि चीन के 6वीं पीढ़ी के विमान में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया गया है, जो बड़ी मात्रा में डेटा को प्रॉसेस करने और वास्तविक समय में युद्ध के हालातों के अनुसार निर्णय लेने में सक्षम होगा

यूएवी के साथ मिलकर काम करेगा यह विमान

चीन के इस नए लड़ाकू विमान की सबसे बड़ी विशेषताओं में इसका मानव रहित हवाई वाहनों(यूएवी)के साथ मिलकर काम करने की क्षमता भी है। यह भविष्य के युद्ध में यूएवी या ड्रोन के साथ मिलकर अपनी घातक क्षमता का प्रदर्शन कर सकता है। इससे चीन को दुश्मन के इलाके में घुसने पर भी जनहानि का सामना नहीं करना होगा। इससे युद्ध में चीन को न सिर्फ सटीक सूचनाएं प्राप्त होंगी, बल्कि स्ट्राइक मिशन और डिफेंस के लिए अपने सैनिकों का इस्तेमाल भी नहीं करना होगा।

अभी पांचवीं पीढ़ी के विमान बनाने में जुटा भारत

ये विमान भारत के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं। इसलिए भारत को भी इससे निपटने के लिए जल्द से जल्द तैयारी शुरू करनी ही होगी। भारत के पास अभी कोई स्टेल्थ फाइटर जेट नहीं है। मौजूदा वक्त में राफेल सबसे आधुनिक लड़ाकू विमान हैं। इसको 4.5 पीढ़ी का लड़ाकू विमान बताया जाता है। भारत पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान विकसित करने पर काम कर रहा है। सुरक्षा पर कैबिनेट समिति ने पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान एडवांस्ड मीडियम काम्बैट एयरक्राफ्ट को डिजाइन और विकसित करने के लिए 15 हजार करोड़ रुपये की परियोजना को मंजूरी दी थी

चीन ने बनाया छठी पीढ़ी का लड़ाकू विमान, अमेरिका ही नहीं भारत की भी बढ़ी टेंशन
#chinese_sixth_generation_stealth_fighter_jet_demonstration
* चीन लगातार अपनी सैन्य शक्ति मजबूत करने में जुटा है। इस बीच चीन की विमान बनाने वाली दो कंपनियों ने गुरुवार को 24 घंटे से भी कम समय में स्टील्थ (राडार से छुपने वाले) लड़ाकू विमानों के प्रदर्शनकारी मॉडल दिखाए। इन दोनों फाइटर जेट के डिजाइन साधारण जेट के डिजाइन से बिल्कुल अलग हैं। इसे छठी पीढ़ी का फाइटर जेट बताया जा रहा है। इसको इस तरह डिजाइन किया गया है कि पारंपरिक रडार का उपयोग कर इसका पता लगाना लगभग असंभव होगा। चीन ने ऐसे समय में यह लड़ाकू विमान विकसित किया है जब दुनिया के किसी किसी देश के पास छठी पीढ़ी का लड़ाकू विमान नहीं है। अभी इस नए विमान के बारे में बहुत सारी जानकारी गोपनीय रखी गई है। चीनी सेना आमतौर पर दिसंबर या जनवरी में अपनी नई तकनीक दिखाती है। गुरुवार को लगभग एक ही समय पर दो अलग-अलग मानव-युक्त स्टील्थ फाइटर जेट को उड़ान भरते हुए देखा गया। चेंगदू और शेनयांग कंपनियों के ये अलग-अलग डिजाइन अब तक के सबसे आधुनिक मानव-युक्त लड़ाकू विमानों में से एक हो सकते हैं। *एआई से लैस है यह विमान* रिपोर्ट के अनुसार, चीन की 6वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान को व्हाइट इंपरर (बैदी) उपनाम दिया गया है। इसकी सटीक क्षमताएं अभी गोपनीय है, लेकिन माना जा रहा है कि इसमें कई अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है। यह विमान पहले से अधिक स्टील्थ है, जो दुश्मन के रडार को नाकाम कर सकती है। इसमें अगली पीढ़ी के एवियोनिक्स सिस्टम लगा हुआ है। इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि चीन के 6वीं पीढ़ी के विमान में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया गया है, जो बड़ी मात्रा में डेटा को प्रॉसेस करने और वास्तविक समय में युद्ध के हालातों के अनुसार निर्णय लेने में सक्षम होगा *यूएवी के साथ मिलकर काम करेगा यह विमान* चीन के इस नए लड़ाकू विमान की सबसे बड़ी विशेषताओं में इसका मानव रहित हवाई वाहनों(यूएवी)के साथ मिलकर काम करने की क्षमता भी है। यह भविष्य के युद्ध में यूएवी या ड्रोन के साथ मिलकर अपनी घातक क्षमता का प्रदर्शन कर सकता है। इससे चीन को दुश्मन के इलाके में घुसने पर भी जनहानि का सामना नहीं करना होगा। इससे युद्ध में चीन को न सिर्फ सटीक सूचनाएं प्राप्त होंगी, बल्कि स्ट्राइक मिशन और डिफेंस के लिए अपने सैनिकों का इस्तेमाल भी नहीं करना होगा। अभी पांचवीं पीढ़ी के विमान बनाने में जुटा भारत ये विमान भारत के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं। इसलिए भारत को भी इससे निपटने के लिए जल्द से जल्द तैयारी शुरू करनी ही होगी। भारत के पास अभी कोई स्टेल्थ फाइटर जेट नहीं है। मौजूदा वक्त में राफेल सबसे आधुनिक लड़ाकू विमान हैं। इसको 4.5 पीढ़ी का लड़ाकू विमान बताया जाता है। भारत पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान विकसित करने पर काम कर रहा है। सुरक्षा पर कैबिनेट समिति ने पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान एडवांस्ड मीडियम काम्बैट एयरक्राफ्ट को डिजाइन और विकसित करने के लिए 15 हजार करोड़ रुपये की परियोजना को मंजूरी दी थी