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MP News : प्रदेश की कला फिर अंतरराष्ट्रीय क्षितिज पर, जापान में सराही गई बाग प्रिंट कला, जानिए क्या है नई उपलब्धि

भोपाल। आदिवासी अंचल से जुड़ा एक छोटा सा कस्बा बाग...! पांडव गुफाओं वाले इस ऐतिहासिक गांव से निकली प्रिंट कला प्रदेश के मंचों को नापते हुए देशव्यापी हुई। फिर इसने अंतरराष्ट्रीय छलांग लगाई। बरसों का यह सिलसिला अब भी कायम रहते हुए और अधिक निखार की तरफ बढ़ा हुआ है। नई उपलब्धि इसके हिस्से समंदरों के पार जापान में मिली है। जहां इस बाग प्रिंट को दिल से लगाया जा रहा है और मन से सराहा भी जा रहा है।

मध्य प्रदेश के धार जिले की पारंपरिक बाग प्रिंट हस्तकला इन दिनों जापान में आयोजित "इंडिया मेला-2024" में अपनी छाप छोड़ रही है। कुशल कारीगर मोहम्मद यूसुफ खत्री यहां जापानी दर्शकों को बाग प्रिंट की कला से रूबरू करा रहे हैं।

प्राकृतिक रंगों की रंगत

बाग प्रिंट की अनूठी कलाकारी

बाग प्रिंट की खासियत इसकी जटिल पैटर्न और प्राकृतिक रंगों में है। खत्री ने जापान के विभिन्न शहरों, जैसे ओसाका, क्योटो और साकाई में, वर्कशॉप और प्रदर्शन आयोजित किए। इन कार्यक्रमों में उन्होंने स्थानीय लोगों को बाग प्रिंट की बारीकियों को सिखाया और उन्हें स्वयं रूमाल बनाने का अवसर दिया।

जापान वासियों ने दिखाई गहरी रुचि

जापानी लोग बाग प्रिंट की कला से काफी प्रभावित हुए। उन्होंने न केवल इसकी सुंदरता की प्रशंसा की, बल्कि इसके पीछे की परंपरा और कारीगरी में भी गहरी रुचि दिखाई। कई लोगों ने बाग प्रिंट के उत्पाद खरीदे और सीखने के लिए वर्कशॉप में भाग लिया।

भारत और मध्य प्रदेश की सांस्कृतिक समृद्धि का प्रदर्शन

बाग प्रिंट की जापान में सफलता मध्य प्रदेश की सांस्कृतिक समृद्धि का एक जीवंत प्रदर्शन है। यह हस्तकला पीढ़ियों से चली आ रही है और स्थानीय कारीगरों के लिए रोज़गार का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। मोहम्मद यूसुफ खत्री की जापान यात्रा ने न केवल बाग प्रिंट हस्तकला को वैश्विक मंच पर प्रमोट किया, बल्कि भारत और मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर को भी सम्मान दिलाया। उन्होंने जापान के भौगोलिक और सांस्कृतिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए आधुनिक और परंपरागत परिधानों को डिजाइन किया, जिन्हें जापान वासियों ने ख़ूब सराहा। मोहम्मद यूसुफ खत्री का जापान दौरा न केवल बाग प्रिंट को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर लाया, बल्कि भारत और मध्य प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को भी वैश्विक स्तर पर बढ़ावा दिया। यह प्रदर्शन भारत और जापान के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को भी बढ़ावा देगा।

Bhopal News : दुष्यंत के आंगन में महकेंगे गीत गजल, युवा कवि शायर दिखाएंगे फन, जानें क्या है प्रोग्राम


भोपाल। साहित्यिक, सांस्कृतिक, सामाजिक गतिविधियों से आबाद रहने वाला दुष्यंत संग्रहालय बुधवारी अक्टूबर को एक नई तहरीर लिखने वाला है। युवा और बुजुर्गों की जुगलबंदी, कवियों और शायरों का साझा मंच और सिपाहियों से लेकर साहित्य सैनिकों तक की मौजूदगी एक मंच पर होने वाली है। संस्था 

ब जोक यह सुहानी महफिल सजाने वाली है।

सांस्कृतिक संस्था ब =जोक बुधवार शाम को राजधानी के दुष्यंत संग्रहालय में एक यादगार महफिल सजाने वाली है। इस मुशायरा और कवि सम्मेलन का केंद्र बिंदु नए और युवा शायर एवं कवि रखे गए हैं। कार्यक्रम के संयोजक शशांक त्यागी ने बताया कि कार्यक्रम शाम साढ़े पांच बजे अपनी रौनक बिखेरना शुरू करेगा। श्रोताओं का काव्य मन तृप्त होने तक यहां गजलों और कविताओं की गंगोत्री बहती रहेगी। त्यागी ने बताया कि कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के तौर पर अंतरराष्ट्रीय शायर डॉ अंजुम बाराबंकवी मौजूद रहेंगे। कार्यक्रम में डॉ रज़ा एस दुर्रानी भी विशेष अतिथि के तौर पर मौजूद रहेंगे। 

युवा और बुजुर्गों की जुगलबंदी 

संस्था अध्यक्ष डॉ एके अनवर ने बताया कि अदब की यह महफिल नए आयाम स्थापित करने की कोशिश के साथ की जा रही। इस बात पर पूरा यकीन किया जा सकता है कि राजधानी से यह नई तहरीर जरूर लिखी जाएगी। इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम में कर्नल मनीष बहुगुणा, प्रदीप वैश्य, शिक्षा विश्वकर्मा, औरंगजेब आलम, मोहम्मद इंसाफ, शोएब अली खान, सैयद इनायत अब्बास, आदित्य जैन, शशांक त्यागी, लोकेश गुलयानी, कुलदीप कनौजिया, Lt Cdr दीपिका सिंह, इमरान खान, डॉ एके अनवर आदि अपने कलाम से महफिल रौशन करेंगे।

Bhopal News : अदब की महफिलों से आबाद शहर, हफ्ते भर में कई आयोजन... अब एक और शाम सजेगी, जानें क्या है प्रोग्राम


भोपाल। राजधानी भोपाल में लगातार अदबी महफिलें आबाद हैं। अलग अलग आयोजन विभिन्न रंग यहां बिखर रहे हैं। आने वाले कुछ दिनों में यहां कई बड़े आयोजन और भी होने वाले हैं। इन कार्यक्रमों से जहां सीनियर शायर और साहित्यकार अदब की नई ऊंचाई को छूते दिखाई दे सकते हैं, वहीं कुछ नए चेहरों को नई राहें आसान होती भी नजर आ सकती है। 

सांस्कृतिक संस्था ब =जोक राजधानी के दुष्यंत संग्रहालय में एक यादगार महफिल सजाने की तैयारी कर रही है। 23 अक्टूबर की शाम सजने वाली इस मुशायरा और कवि सम्मेलन का केंद्र बिंदु नए और युवा शायर एवं कवि रखे गए हैं। कार्यक्रम के संयोजक शशांक त्यागी ने बताया कि कार्यक्रम शाम साढ़े पांच बजे अपनी रौनक बिखेरना शुरू करेगा। श्रोताओं का काव्य मन तृप्त होने तक यहां गजलों और कविताओं की गंगोत्री बहती रहेगी।

त्यागी ने बताया कि कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के तौर पर अंतरराष्ट्रीय शायर डॉ अंजुम बाराबंकवी मौजूद रहेंगे। कार्यक्रम में डॉ रज़ा एस दुर्रानी भी विशेष अतिथि के तौर पर मौजूद रहेंगे। संस्था अध्यक्ष डॉ एके अनवर ने कहा कि अदब की यह महफिल नए आयाम स्थापित करने की कोशिश के साथ की जा रही।

इस बात पर पूरा यकीन किया जा सकता है कि राजधानी से यह नई तहरीर जरूर लिखी जाएगी। इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम में कर्नल मनीष बहुगुणा, प्रदीप वैश्य, शिक्षा विश्वकर्मा, औरंगजेब आलम, मोहम्मद इंसाफ, शोएब अली खान, सैयद इनायत अब्बास, आदित्य जैन, शशांक त्यागी, लोकेश गुलयानी, कुलदीप कनौजिया, Lt Cdr दीपिका सिंह, इमरान खान, डॉ एके अनवर आदि अपने कलाम से महफिल रौशन करेंगे।

अभी हुए हैं यह आयोजन

राजधानी में पिछले सप्ताह में अदबी मंचों पर बड़े शायर और साहित्यकार अपनी मौजूदगी दर्ज करवा चुके हैं। इसमें बज़्म ए हसन द्वारा आयोजित किया गया शाद अवार्ड भी शामिल है। इस मौके पर एक अंतरराष्ट्रीय मुशायरा भी हुआ। जिसमें प्रो खालिद महमूद, हसन काजमी, असलम शेख, एजाज अंसारी, परवीन शग़फ, मन्नान फराज, इम्तियाज गोरखपुरी, अनवर कमाल, डॉ दीप शिखा, हमीद अली अख्तर जैस नामवर शायरों ने अपने कलाम पेश किए। इसी कड़ी में राजधानी की प्रतिष्ठित साहित्य संस्था खुशबू एजुकेशनल एंड कल्चरल सोसाइटी ने याद ए वाहिद प्रेमी का आयोजन किया। इस मौके पर मुशायरा, पुस्तक विमोचन और सम्मान समारोह हुआ। कार्यक्रम में पूर्व सांसद आलोक संजर, इकबाल मसूद, हामिद गौहर, डॉ मोहम्मद आजम, अलीम बज्मी में मेहमान ए खास थे। संस्था के सरपरस्त सैयद ताहा पाशा और अध्यक्ष साजिद प्रेमी ने बताया कि आयोजन का यह सिलसिला कई वर्षों से जारी है।

कुछ आयोजन कतार में 

जानकारी के मुताबिक अगले महीने की शुरुआत में राजधानी में कुछ बड़ी महफिलें और सजेंगी। इनमें याद ए अर्जुन सिंह के तहत एक ऑल इंडिया मुशायरा होगा। इसी तरह साहित्यिक संस्था तहजीब भी एक आयोजन करेगी। संस्था के डॉ अंजुम बाराबंकवी और डॉ महताब आलम ने बताया कि इस आयोजन में राष्ट्रीय स्तर का मुशायरा, पुस्तक विमोचन और सम्मान समारोह होगा।

Bhopal News : अदब की महफिलों से आबाद शहर, हफ्ते भर में कई आयोजन... अब एक और शाम सजेगी, जानें क्या है प्रोग्राम


भोपाल। राजधानी भोपाल में लगातार अदबी महफिलें आबाद हैं। अलग अलग आयोजन विभिन्न रंग यहां बिखर रहे हैं। आने वाले कुछ दिनों में यहां कई बड़े आयोजन और भी होने वाले हैं। इन कार्यक्रमों से जहां सीनियर शायर और साहित्यकार अदब की नई ऊंचाई को छूते दिखाई दे सकते हैं, वहीं कुछ नए चेहरों को नई राहें आसान होती भी नजर आ सकती है। 

सांस्कृतिक संस्था ब =जोक राजधानी के दुष्यंत संग्रहालय में एक यादगार महफिल सजाने की तैयारी कर रही है। 23 अक्टूबर की शाम सजने वाली इस मुशायरा और कवि सम्मेलन का केंद्र बिंदु नए और युवा शायर एवं कवि रखे गए हैं। कार्यक्रम के संयोजक शशांक त्यागी ने बताया कि कार्यक्रम शाम साढ़े पांच बजे अपनी रौनक बिखेरना शुरू करेगा। श्रोताओं का काव्य मन तृप्त होने तक यहां गजलों और कविताओं की गंगोत्री बहती रहेगी।

त्यागी ने बताया कि कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के तौर पर अंतरराष्ट्रीय शायर डॉ अंजुम बाराबंकवी मौजूद रहेंगे। कार्यक्रम में डॉ रज़ा एस दुर्रानी भी विशेष अतिथि के तौर पर मौजूद रहेंगे। संस्था अध्यक्ष डॉ एके अनवर ने कहा कि अदब की यह महफिल नए आयाम स्थापित करने की कोशिश के साथ की जा रही। इस बात पर पूरा यकीन किया जा सकता है कि राजधानी से यह नई तहरीर जरूर लिखी जाएगी। इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम में कर्नल मनीष बहुगुणा, प्रदीप वैश्य, शिक्षा विश्वकर्मा, औरंगजेब आलम, मोहम्मद इंसाफ, शोएब अली खान, सैयद इनायत अब्बास, आदित्य जैन, शशांक त्यागी, लोकेश गुलयानी, कुलदीप कनौजिया, Lt Cdr दीपिका सिंह, इमरान खान, डॉ एके अनवर आदि अपने कलाम से महफिल रौशन करेंगे।

अभी हुए हैं यह आयोजन

राजधानी में पिछले सप्ताह में अदबी मंचों पर बड़े शायर और साहित्यकार अपनी मौजूदगी दर्ज करवा चुके हैं। इसमें बज़्म ए हसन द्वारा आयोजित किया गया शाद अवार्ड भी शामिल है। इस मौके पर एक अंतरराष्ट्रीय मुशायरा भी हुआ। जिसमें प्रो खालिद महमूद, हसन काजमी, असलम शेख, एजाज अंसारी, परवीन शग़फ, मन्नान फराज, इम्तियाज गोरखपुरी, अनवर कमाल, डॉ दीप शिखा, हमीद अली अख्तर जैस नामवर शायरों ने अपने कलाम पेश किए। इसी कड़ी में राजधानी की प्रतिष्ठित साहित्य संस्था खुशबू एजुकेशनल एंड कल्चरल सोसाइटी ने याद ए वाहिद प्रेमी का आयोजन किया। इस मौके पर मुशायरा, पुस्तक विमोचन और सम्मान समारोह हुआ। कार्यक्रम में पूर्व सांसद आलोक संजर, इकबाल मसूद, हामिद गौहर, डॉ मोहम्मद आजम, अलीम बज्मी में मेहमान ए खास थे। संस्था के सरपरस्त सैयद ताहा पाशा और अध्यक्ष साजिद प्रेमी ने बताया कि आयोजन का यह सिलसिला कई वर्षों से जारी है।

कुछ आयोजन कतार में 

जानकारी के मुताबिक अगले महीने की शुरुआत में राजधानी में कुछ बड़ी महफिलें और सजेंगी। इनमें याद ए अर्जुन सिंह के तहत एक ऑल इंडिया मुशायरा होगा। इसी तरह साहित्यिक संस्था तहजीब भी एक आयोजन करेगी। संस्था के डॉ अंजुम बाराबंकवी और डॉ महताब आलम ने बताया कि इस आयोजन में राष्ट्रीय स्तर का मुशायरा, पुस्तक विमोचन और सम्मान समारोह होगा।

रद्दी हमेशा बेकार नहीं होती, इससे कुछ जरूरतें भी पूरी होती हैं, मंथन फाउंडेशन ने चलाया अभियान


भोपाल। जूना, पुराना, कबाड़ा और रद्दी सामान... किसी हरकारे की पुकार पर घर से निकला... कबाड़ी की जेब से कुछ मुड़े टुडे नोट या रेज़गारी निकली... और किस्सा खत्म! लेकिन इससे आगे भी इसकी कोई उपयोगिता हो सकती है। बच्चों की शिक्षा के लिए कोई मिशन भी इस रद्दी के सहारे आगे बढ़ सकता है। दीपावली करीब है, घरों से अनुपयोगी सामान बाहर निकालने की मशक्कत शुरू हो चुकी है। इस दौर में सामाजिक संस्था मंथन फाउंडेशन ने शिक्षा के ध्येय को लेकर अपने अभियान को तेज किया है।

संस्था मंथन फाउंडेशन गत 5 वर्षों से गरीब बच्चों की शिक्षा को लेकर प्रयासरत है। इसके चलते संस्था सदस्य शहर के अलग अलग इलाकों में जाकर रद्दी और कबाड़ सामान जमा कर इससे होने वाली राशि से जरूरतमंद बच्चों की शिक्षा पर खर्च करती है। संस्था की रितिका जैन ने बताया कि हमने राजधानी में रद्दी कैंपेन 5.0 शुरू किया है। "इस दिवाली आपकी रद्दी हमारे काम आएगी, बच्चों को शिक्षा के करीब लाएगी।" सूत्र के साथ चलाए जा इस अभियान के तहत इस शनिवार को तृप्ति अभिनव होम्स में रद्दी संग्रहण शिविर आयोजित किया।

रितिका ने बताया कि इस शिविर के दौरान आस-पास के लोगों से अनुरोध किया कि वे आगे आएं और अपनी रद्दी दान कर इस नेक कार्य में हमारा साथ दें। इस अभियान के तहत लोगों से पुराने समाचार पत्र/ पेपर, किताबें, खोके, लोहा, प्लास्टिक का सामान, पुराने कपड़े, उपयोग में न आने वाले सामान इकट्ठा किया जा रहा है। अभियान की अधिक जानकारी के लिए इन नंबरों पर संपर्क किया जा सकता है 7024432499, 9479890655

शहर में और कैंप लगेंगे

जरूरतमंद बच्चों को शिक्षा मुहैया कराने के लिए रद्दी कलेक्शन अभियान दीपावली तक जारी रहेगा। मंथन फाउंडेशन इसके तहत शहर के अलग अलग स्थानों और कालोनियों में कैंप लगाएगा। 

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बात नबी की, सलाह सीरत की... पंजाब के शाही ईमाम राजधानी में करेंगे संबोधित


भोपाल। इस्लाम के आखिरी पैगंबर हजरत मुहम्मद सअस ने जिन बातों की ताकीद की और उन्हें अपनाने की सलाह दी, उनसे मुस्लिम समुदाय का ही एक बड़ा तबका अनजान और गुमराह है। यही वजह है कि अन्य धर्म के किसी व्यक्ति द्वारा उस पाक शख्सियत पर उंगली उठाता है और अनर्गल टिप्पणी करता है तो पैगंबर मुहम्मद के अनुयाई कहलाने वालों के पास भी वह जवाब नहीं होता, जिससे वे दीगर कौम के व्यक्ति की जिज्ञासा शांत कर सकें या उन्हें तथ्यात्मक तरीके से सही बात से वाकिफ करवा सकें। इन्हीं कोशिशों की तरफ बढ़े कदमों ने अब देश और प्रदेश में सीरत ए नबी (पैगंबर का व्यक्तित्व) विषय पर कार्यक्रमों में इजाफा किया है। इसी कड़ी में राजधानी भोपाल में इस रविवार को एक कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। जिसे पंजाब के शाही ईमाम मौलाना मोहम्मद उस्मान लुधियानवी संबोधित करेंगे।

सामाजिक संस्था टीम कबीर द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम दो सत्रों में होगा। रविवार सुबह 9 से 12 बजे तक होने वाला कार्यक्रम ऐशबाग स्थित चार मीनारा मस्जिद पर होगा। इस कार्यक्रम में सिर्फ महिलाओं की मौजूदगी रहेगी। इसके बाद इसी रोज रात को 9 बजे एक बड़ा मजमा सेंट्रल लाइब्रेरी ग्राउंड पर मौलाना की तकरीर सुन सकेगा। कार्यक्रम आयोजकों में शामिल नायब शहर काजी मौलाना अली कदर हुसैनी ने बताया कि कार्यक्रम के मेहमान ए खास मुफ्ती ए आजम मौलाना अहमद खान रहेंगे। मध्य विधायक आरिफ मसूद भी बतौर मेहमान इस कार्यक्रम में शामिल रहेंगे। नायब शहर काजी मौलाना अली कदर हुसैनी ने कहा कि पंजाब के शाही इमाम साहब इस्लाम धर्म पर गहरी जानकारी रखते हैं। कार्यक्रम के दौरान इस्लामिक शिक्षा और अमन के संदेश को सुनें और इसका पालन करें। उन्होंने कहा कि महिलाओं और मर्दों को इस प्रोग्राम से बेहतर फायदा लेना चाहिए।

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प्रशिक्षण से सीखी बारीकियां, ताकि गूंजता रहे, ये आकाशवाणी है और आप सुन रहे हैं....!


भोपाल। रेडियो का दौर चरम पर रहा, लोगों के दिल ओ दिमाग और जिंदगियों पर हावी रहा। फिर जमाना बदला, रेडियो और उससे प्रसारित होने वाले प्रोग्राम विलुप्त होते गए। जमाना एक बार फिर बदला, रेडियो ने अपने लिए फिर जगह बना ली। रेडियो से प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों की गुणवत्ता बनी रहे, उसकी ख्याति बढ़ती जाए और इसकी पहुंच मनोरंजन के हर साधक तक हो सके, इसी मंशा के साथ अपडेशन और नवीनीकरण से जुड़ाव के प्रयास जारी हैं।

इसी कड़ी में नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ ब्रॉडकास्टिंग एंड मल्टीमीडिया, भुवनेश्वर द्वारा आकाशवाणी भोपाल के सहयोग से 10 किलोवाट डीबीई एफएम ट्रांसमीटर की ट्रेनिंग एवं वर्कशॉप का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण का उद्घाटन आशीष पोतनीस, यशवंत हरिश्चंद्र चिवंडे, और अजीम अहमद हाशमी, उपनिदेशक, की उपस्थिति में किया गया।

नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ ब्रॉडकास्टिंग एंड मल्टीमीडिया (एनएबीएम) प्रसार भारती का एक प्रमुख संस्थान है, जिसका उद्देश्य आकाशवाणी एवं दूरदर्शन के कर्मचारियों को प्रशिक्षित करना है। एनएबीएम भुवनेश्वर के उप महानिदेशक आनंद चंद्र सुबुधि द्वारा मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, और गुजरात के विभिन्न आकाशवाणी केंद्रों से आए इंजीनियरों को एफएम ट्रांसमीटर के संचालन का विस्तार से प्रशिक्षण दिया गया।

प्रशिक्षण के समापन पर, आकाशवाणी भोपाल के उप महानिदेशक यशवंत हरिश्चंद्र चिवंडे और उपनिदेशक अजीम अहमद हाशमी द्वारा सफल प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए।

प्रशिक्षण कार्यक्रम को सफल बनाने में विनय गुप्ता, सहायक निदेशक दूरदर्शन केंद्र भोपाल, सुभाष चंद्र सक्सेना, सहायक निदेशक, राजीव सक्सेना, सहायक अभियंता, और आकाश ताम्रकार का विशेष योगदान रहा।

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इस करवा चौथ कुछ नजाकत से निकलेगा आसमान में चांद, करना होगा कुछ कम इंतजार


भोपाल। करवाचौथ के चंद्रमा का शाम होते ही इंतजार आरंभ हो जाएगा। चंद्रोदय के समय को सोशल मीडिया द्वारा तो बताया जा रहा है। लेकिन वह आपके शहर का ही समय हो यह जरूरी नहीं है। इसके लिए करवाचौथ का चंद्रमा आपके शहर में कब उदित होगा, इसकी जानकारी नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने दी।

सारिका ने बताया कि देश के पूर्वी राज्यों में यह सबसे पहले दर्शन देकर उसके लगभग दो घंटे बाद पश्चिमी शहरों में उदित होगा।

अरूणाचल प्रदेश के इटानगर में यह शाम छह बजकर 50 मिनट पर उदित होना आरंभ होगा तो पश्चिम में सोमनाथ में चद्रदर्शन के लिए आठ बजकर 43 मिनट तक का इंतजार करना होगा। इसी प्रकार मध्यप्रदेश में सिंगरौली में यह सात बजकर 44 मिनट पर उदित होगा तो पश्चिम के नीमच में इसके दर्शन आठ बजकर 17 मिनट से आरंभ होंगे।

सारिका ने बताया कि पंचांग कैलेंडर में किसी खास शहर का चंद्रोदय का समय होता है। लेकिन आपके शहर के लिए यह अलग हो सकता है। चंद्रोदय होना और आपके घर आंगन से चंद्रदर्शन होना दो अलग-अलग स्थितियां हैं। चंद्रोदय का जो समय किसी शहर के लिए बताया जाता है, उस समय चंद्रमा क्षितिज से ऊपर आना आरंभ करता है। इसके लगभग 15 मिनट बाद वह उस उंचाई को प्राप्त करता है, जब आप इसके दर्शन करने की स्थिति में आ पाती हैं। आपके शहर में चंद्रोदय का समय है। इसके लगभग 15 मिनट बाद आप सुविधा से इसके दर्शन कर पाएंगी।

स्थान            चंद्रोदय का समय (रात्रि)

नर्मदापुरम         08 बजकर 08 मिनट

इटारसी           08 बजकर 09 मिनट

भोपाल           08 बजकर 08 मिनट

सीहोर            08 बजकर 09 मिनट

रायसेन           08 बजकर 06 मिनट

उज्जैन           08 बजकर 15 मिनट

देवास            08 बजकर 15 मिनट

इंदौर            08 बजकर 16 मिनट

बड़वानी          08 बजकर 21 मिनट

खरगौन           08 बजकर 21 मिनट

झाबुआ           08 बजकर 21 मिनट

जबलपुर          07 बजकर 58 मिनट

छिंदवाड़ा         08 बजकर 04 मिनट

जयपुर           08 बजकर 05 मिनट

बांसवाड़ा          08 बजकर 19 मिनट

जोधपुर           08 बजकर 18 मिनट

अंबिकापुर         07 बजकर 44 मिनट

नई दिल्ली         07 बजकर 54 मिनट

मुंबई             08 बजकर 37 मिनट

कोलकाता         07 बजकर 24 मिनट

अमृतसर          07 बजकर 55 मिनट

गुड़गांव           07 बजकर 55 मिनट

पटना             07 बजकर 30 मिनट

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सरस्वती शिशु मंदिर उच्च माध्यमिक विद्यालय पगारा में आयोजित विज्ञान मेला में शामिल हुए खाद्य मंत्री


भोपाल। सरस्वती शिशु मंदिर ज्ञान तथा संस्कारों की पाठशाला है, जहां पर बच्चों को ज्ञान तो मिलता ही है, साथ ही वह संस्कार भी मिलते हैं जिन संस्कारों के कारण हमारा भारत पूरे विश्व में जाना जाता है। इस सरस्वती शिशु मंदिर में आयोजित विज्ञान मेला ज्ञान और विज्ञान का संगम है। यह बात प्रदेश खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने सरस्वती शिशु मंदिर उच्च माध्यमिक विद्यालय पगारा में विद्या भारती मध्य क्षेत्र के क्षेत्रीय विज्ञान मेला 2024 के आयोजन में अपने संबोधन के दौरान कही।

खाद्य मंत्री राजपूत ने कहा कि हमारे बच्चों में प्रतिभा की कमी नहीं है, बस उन्हें एक मंच की आवश्यकता है और वह मंच विज्ञान मेला में उन्हें उपलब्ध हुआ हैं। इन बच्चों में कई बड़े वैज्ञानिक बैठे हुए हैं जो आगे चलकर अपने माता-पिता, क्षेत्र तथा देश का नाम पूरे विश्व में रोशन करेंगे। सरस्वती शिशु मंदिर के बच्चों में शिक्षा और संस्कार इस तरह के होते हैं कि वह जहां भी रहे उनकी अलग पहचान रहती है।

खाद्य मंत्री राजपूत ने दी स्मार्ट क्लास की सौगात:

मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने सरस्वती शिशु मंदिर को स्मार्ट क्लास की सौगात देते हुए कहा कि यह स्मार्ट क्लास आप सभी बच्चों के लिए है, जिसमें पढ़ाई करके आप अपने कौशल को और निखार सकते हैं। गौरतलब है कि विद्या भारती मध्य क्षेत्र द्वारा आयोजित विज्ञान मेले में महाकौशल, मध्य भारत, मालवा तथा छत्तीसगढ़ प्रांत की 326 से अधिक छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया। प्रतिस्पर्धा में हिस्सा लेने वाले छात्र-छात्राओं को मंत्री राजपूत तथा मंचासीन अतिथियों द्वारा पुरस्कृत किया गया ।

इस अवसर पर नरयावली विधायक प्रदीप लारिया, विद्या भारती के पूर्व क्षेत्र के संगठन मंत्री डाॅ.आनंद राव, क्षेत्रीय प्रबंधन कारणी चंद्रदेव अष्ठाना, क्षेत्रीय विज्ञान प्रमुख संजय मकडारिया, विभाग समन्वयक राजकुमार , प्राचार्य प्रवीण जोशी, जिला शिक्षा अधिकारी अरविंद जैन सहित सरस्वती शिशु मंदिर के आचार्य, दीदी एवं छा़त्र छात्रायें उपस्थित रहे।

पुतुल समारोह के समापन पर देवी दुर्गा और राजा की जोरासिंह को पुतली शैली में मंचन किया

समारोह में 4 राज्यों की कठपुतली कलाओं का हुआ प्रदर्शन

जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी द्वारा जनजातीय संग्रहालय में कठपुतली कला की विविध शैलियों पर केन्द्रित पुतुल समारोह आयोजित किया गया। यह समारोह 13 अक्टूबर से शुरू हुआ था, जिसका समापन 16 अक्टूबर को हुआ। समापन कार्यक्रम की शुरूआत कलाकारों के स्वागत से की गई। इसके बाद देवी दुर्गा और राजा की जोरा सिंह कथानक को मपेट (बोलते गुड्डे और छड़ पुतली) शैली में धुमकेतू पपेट थिएटर के दिलीप मंडल एवं साथी (पश्चिम बंगाल) द्वारा प्रस्तुति दी गई। दस कलाकारों ने कठपुतली प्रदर्शन किया एवं डेढ़ घंटे की प्रस्तुति में 30 से अधिक बड़ी एवं छोटी, बोलती, छड़ एवं मपेट कठपुतलियों का प्रयोग किया गया।

कहानी में देवी दुर्गा और राक्षस महिषासुर के बीच पौराणिक युद्ध को दर्शाया गया है। कहानी महिषासुर से शुरू होती है, जो एक दुर्जेय राक्षस है जो स्वर्ग और पृथ्वी को आतंकित करता है, देवताओं को हराता है और दुनिया को अराजकता में डुबो देता है। हताशा में, देवता शक्ति और दिव्य शक्ति के अवतार देवी दुर्गा का आह्वान करने के लिए एकजुट होते हैं। जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, माँ दुर्गा देवताओं द्वारा दिए गए हथियारों से युद्ध में उतरती हैं और महिषासुर का सामना करती हैं। हालाँकि, अपनी हार से ठीक पहले, महिषासुर को अपने गलत कामों की गंभीरता और उसके द्वारा पहुंचाए गए दर्द का एहसास होता है। एक पल के लिए वह अपने किए के लिए देवी दुर्गा से माफ़ी मांगता है। देवी दुर्गा महिषासुर को क्षमा कर देती हैं, क्योंकि वे उसके भीतर मुक्ति की क्षमता को पहचानती हैं। करुणा का यह कार्य नाटक की समझ और क्षमा के विषय को रेखांकित करता है, जो दिव्य स्त्री की शक्ति का जश्न मनाता है। दिलीप मंडल द्वारा रूपांतरित और निर्देशित, "माँ दुर्गा" सांस्कृतिक विरासत का उत्सव है। दुर्गा पूजा बंगाल के सबसे प्रिय त्योहारों में से एक, जो शक्ति, करुणा, भक्ति और मुक्ति को एक साथ बुनता है।

इसी क्रम में "राजा की जोरा सिंह" केदारनाथ चट्टोपाध्याय द्वारा लिखित "भवम हजम" जो लोककथा से प्रेरित कहानी है, का मंचन किया गया। राज्य में लोग प्रकृति की स्थिति को लेकर चिंतित हैं, क्योंकि जंगल सिकुड़ रहे हैं और नदियां सूख रही हैं। राजा अचानक बीमार पड़ जाता है और इलाज से भी इनकार कर देता है। राजा की भलाई के लिए उसका एकमात्र विश्वसनीय मंत्री, कलुआ हजम नामक एक नाई को महल में भेजता है। कलुआ राजा के रहस्य को जानकर भयभीत हो जाता है। राजा के सिर से दो बड़े सींग निकल रहे हैं। राजा कलुआ को रहस्य बनाये रखने के लिए मजबूर करता है। कलुआ जंगल में एक पुराने पेड़ को रहस्य बताता है। दुर्भाग्य से कोई उसकी बात सुन लेता है और राजा के सींगों की अफ़वाहें राज्य में फैलने लगती हैं। कलुआ चुप रहता है, वह राजा के नाम का इस्तेमाल राज्य के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करने, पेड़ों को काटने और अपने निजी लाभ के लिए लकड़ी बेचने के लिए करता है। इसके लिए वह शाही अधिकार का दावा करता है। रोमांच राजा की बेटी की शादी के दिन होता है। अफ़वाहें राज दरबार में टकराव की स्थिति पैदा कर देती हैं। राजा का रहस्य राज्य के सामने प्रकट हो जाता है। राजा कलुआ को उसके विश्वासघात के लिए दंडित करने का आदेश देता है। कलुआ को उन पेड़ों को फिर से स्थापित करने के लिए कहा जाता है, जिन्हें उसने काटा था और जो नुकसान उसने पहुंचाया था। उसकी मरम्मत करता है। कहानी लालच, धोखे और प्रकृति के शोषण के खतरों के बारे में नैतिकता के साथ समाप्त होती है।

समारोह में दोपहर प्रस्तुति में घनश्याम भट्ट-भोपाल द्वारा राजस्थानी गीतों और कहानियों पर आधारित कठपुतली प्रदर्शन किया गया !