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जौ: सस्ता सफेद अनाज जो प्रोटीन से भी ज्यादा फायदेमंद और हड्डियों को बनाता है मजबूत

प्रोटीन से भी ज्यादा फायदेमंद सफेद अनाज जौ (Barley) को माना जाता है। जौ एक सस्ता और पौष्टिक अनाज है, जो सेहत के लिए कई तरह के फायदों से भरा होता है। इसे अपने आहार में शामिल करके न सिर्फ प्रोटीन की कमी को पूरा किया जा सकता है, बल्कि हड्डियों की मजबूती और समग्र स्वास्थ्य में भी सुधार लाया जा सकता है।

जौ के फायदे:

1. हड्डियों को मजबूती देता है:

जौ में मैग्नीशियम, कैल्शियम और फॉस्फोरस जैसे महत्वपूर्ण मिनरल्स होते हैं, जो हड्डियों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं। ये तत्व हड्डियों की घनत्व बढ़ाने में मदद करते हैं और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों से बचाव कर सकते हैं।

2. प्रोटीन का बेहतरीन स्रोत:

जौ में उच्च मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है, जो शरीर के विकास और मांसपेशियों की मजबूती के लिए आवश्यक होता है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो मांसाहार नहीं करते या सीमित मात्रा में प्रोटीन ग्रहण करते हैं।

3. वजन घटाने में मददगार:

जौ में फाइबर की उच्च मात्रा होती है, जो आपको लंबे समय तक भूख नहीं लगने देता और पेट को भरा हुआ महसूस कराता है। यह वजन घटाने की प्रक्रिया को तेज करता है और मेटाबॉलिज्म को भी बढ़ावा देता है।

4. दिल की सेहत के लिए फायदेमंद:

जौ का सेवन कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करता है, जिससे दिल की बीमारियों का खतरा कम हो जाता है। इसमें पाए जाने वाले फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट दिल की धमनियों को साफ रखने और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।

5. मधुमेह के रोगियों के लिए उपयोगी:

जौ का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जिससे यह ब्लड शुगर को नियंत्रित रखने में मदद करता है। यह मधुमेह रोगियों के लिए एक बेहतरीन आहार विकल्प है।

6. पाचन तंत्र के लिए अच्छा:

जौ में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जो पाचन तंत्र को सही रखने में मदद करता है। यह कब्ज जैसी समस्याओं को दूर करने में भी सहायक होता है।

कैसे करें जौ का सेवन:

जौ का दलिया: आप इसे सुबह के नाश्ते में दलिया के रूप में खा सकते हैं।

जौ की रोटी: इसे गेहूं की रोटी की जगह या मिलाकर रोटी बना सकते हैं।

जौ का पानी: जौ को उबालकर इसका पानी पीने से शरीर को ताजगी और पोषण मिलता है।

निष्कर्ष: जौ एक सस्ता, पौष्टिक और प्रोटीन से भरपूर अनाज है, जो सेहत को कई तरह से लाभ पहुंचाता है। हड्डियों को मजबूती देने के साथ-साथ यह दिल की सेहत, पाचन और वजन घटाने में भी मदद करता है। इसे अपने दैनिक आहार में शामिल करके आप संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं।

सुबह की सुस्ती भगाने के लिए करें ये 3 सरल योगासन, दिनभर रहेंगे तरोताजा

सुबह उठते ही अगर आपको आलस महसूस होता है और आप दिनभर थकावट महसूस करते हैं, तो इसका प्रभाव आपकी दिनचर्या और कार्यक्षमता पर पड़ सकता है। ऐसे में शरीर को चुस्त-दुरुस्त और मानसिक रूप से ताजा रखने के लिए योग एक बेहतरीन तरीका है। योग न सिर्फ आपके शरीर को सक्रिय बनाता है बल्कि मन को भी शांति और ऊर्जा प्रदान करता है। यहां हम तीन ऐसे योगासनों के बारे में बता रहे हैं, जो आपकी सुबह की सुस्ती को भगाकर दिनभर के लिए आपको फुर्तीला बनाएंगे।

1. सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar)

सूर्य नमस्कार एक पूर्ण योग अभ्यास है जो शरीर के विभिन्न हिस्सों को सक्रिय करता है। इसमें कुल 12 चरण होते हैं जो पूरे शरीर को लचीला बनाते हैं। यह मांसपेशियों को ताकत देता है और शरीर में रक्त संचार को बढ़ाता है, जिससे आप ऊर्जा से भरपूर महसूस करते हैं।

विधि:

सीधे खड़े होकर हाथ जोड़ें।

सांस भरते हुए दोनों हाथों को ऊपर की ओर उठाएं।

फिर सांस छोड़ते हुए झुककर जमीन को छुएं।

अंत में ध्यान केंद्रित करते हुए धीरे-धीरे प्रारंभिक अवस्था में वापस आएं।

2. भुजंगासन (Bhujangasana)

भुजंगासन आपके शरीर की पीठ, पेट और कंधों को मजबूत करता है। इस आसन से मांसपेशियों में खिंचाव आता है, जो शरीर में लचीलापन और स्फूर्ति बढ़ाने में मदद करता है। यह आसन न केवल आपके शारीरिक बल को बढ़ाता है बल्कि मानसिक शांति और आत्मविश्वास को भी जागृत करता है।

विधि:

पेट के बल लेट जाएं, पैर सीधे रखें।

अब अपने हाथों को कंधों के पास रखें और शरीर को धीरे-धीरे ऊपर उठाएं।

सिर को आसमान की ओर उठाएं और कुछ देर तक इसी स्थिति में रहें।

धीरे-धीरे वापस प्रारंभिक स्थिति में आएं।

3. वृक्षासन (Vrikshasana)

वृक्षासन संतुलन और एकाग्रता बढ़ाने में मदद करता है। यह आसन पैरों की मांसपेशियों को मजबूत करता है और शरीर में संतुलन बनाए रखने की क्षमता को बढ़ाता है। यह आसन करने से शरीर और मन दोनों में स्थिरता आती है, जिससे आप पूरे दिन तरोताजा और ध्यान केंद्रित रहते हैं।

विधि:

सीधे खड़े होकर एक पैर को उठाकर दूसरे पैर की जांघ पर रखें।

दोनों हाथों को नमस्कार मुद्रा में जोड़कर सिर के ऊपर उठाएं।

कुछ देर इस स्थिति में रहें, फिर धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में वापस आएं।

निष्कर्ष

इन तीन योगासनों को अपनी सुबह की दिनचर्या में शामिल करने से आप अपने शरीर को ऊर्जावान महसूस करेंगे और मन को भी शांति मिलेगी। इससे न केवल आपकी सुबह की सुस्ती दूर होगी बल्कि आप पूरे दिन तरोताजा और एक्टिव रहेंगे।

साबुदाना: सस्ता और पौष्टिक अनाज,जो हड्डियों की मजबूती और प्रोटीन का बेहतरीन स्रोत है

साबुदाना एक सस्ता और पौष्टिक खाद्य पदार्थ है, जो न सिर्फ प्रोटीन का अच्छा स्रोत है, बल्कि हड्डियों की मजबूती और समग्र स्वास्थ्य के लिए भी बेहद फायदेमंद है। इसे खासकर उपवास के दौरान खाया जाता है, लेकिन इसके स्वास्थ्य लाभों के कारण इसे नियमित आहार में भी शामिल किया जा सकता है।

साबुदाना के फायदे:

1. हड्डियों को मजबूती:

साबुदाना में कैल्शियम, मैग्नीशियम और आयरन जैसे मिनरल्स होते हैं, जो हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। ये मिनरल्स हड्डियों के विकास और घनत्व को बढ़ाते हैं, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस जैसी हड्डी से जुड़ी बीमारियों से बचाव होता है।

2. प्रोटीन का अच्छा स्रोत:

हालांकि साबुदाना मुख्य रूप से कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होता है, फिर भी यह आवश्यक प्रोटीन की मात्रा प्रदान करता है, जो मांसपेशियों के विकास और शरीर की मरम्मत के लिए जरूरी है। यह खासतौर पर उन लोगों के लिए फायदेमंद होता है जो शाकाहारी होते हैं और प्रोटीन की जरूरत को पौधों से प्राप्त करते हैं।

3. ऊर्जा का बेहतरीन स्रोत:

साबुदाना में कार्बोहाइड्रेट की प्रचुर मात्रा होती है, जो शरीर को तुरंत ऊर्जा प्रदान करती है। यही कारण है कि इसे उपवास के दौरान खाना पसंद किया जाता है, क्योंकि यह शरीर को लंबे समय तक ऊर्जावान बनाए रखता है।

4. वजन बढ़ाने में मददगार:

जिन लोगों का वजन कम है और वे अपना वजन बढ़ाना चाहते हैं, उनके लिए साबुदाना एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। इसमें अधिक कैलोरी और कार्बोहाइड्रेट होते हैं, जो शरीर के वजन को बढ़ाने में सहायक होते हैं।

5. पाचन में सहायक:

साबुदाना हल्का और आसानी से पचने वाला होता है, इसलिए इसे पाचन समस्याओं वाले लोग भी खा सकते हैं। इसमें फाइबर की पर्याप्त मात्रा होती है, जो कब्ज और अन्य पाचन समस्याओं से बचाव में मदद करता है।

6. ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है:

साबुदाना में पोटैशियम पाया जाता है, जो ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में मदद करता है। यह शरीर से अतिरिक्त सोडियम को बाहर निकालता है, जिससे हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।

7. शिशुओं और गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद:

साबुदाना का सेवन शिशुओं और गर्भवती महिलाओं के लिए भी सुरक्षित और पोषक होता है। इसमें मौजूद फोलिक एसिड और विटामिन बी गर्भवती महिलाओं के लिए खासतौर पर फायदेमंद होते हैं, क्योंकि यह भ्रूण के विकास में मदद करते हैं।

साबुदाना का सेवन कैसे करें:

साबुदाना खिचड़ी: यह साबुदाना का सबसे प्रसिद्ध और पौष्टिक रूप है, जिसे उपवास के दौरान खाया जाता है।

साबुदाना वड़ा: इसे आप स्नैक्स के रूप में तलकर या बेक करके खा सकते हैं।

साबुदाना की खीर: दूध और साबुदाना से बनी खीर एक स्वादिष्ट और पौष्टिक मिठाई है।

निष्कर्ष: साबुदाना एक सस्ता और पौष्टिक विकल्प है, जो प्रोटीन और ऊर्जा प्रदान करने के साथ-साथ हड्डियों की मजबूती और समग्र स्वास्थ्य में सुधार करता है। इसे अपने आहार में शामिल करने से आप न सिर्फ ऊर्जा प्राप्त करेंगे, बल्कि कई तरह की बीमारियों से भी बचाव कर सकेंगे।

बाजरे की रोटी क्यों है सर्दियों में गेहूं से बेहतर? जानें 5 बड़े फायदे

बाजरा, जिसे पर्ल मिलेट भी कहा जाता है, सर्दियों के मौसम में आहार में शामिल करने के लिए एक बेहतरीन विकल्प है। यह न केवल स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है बल्कि गेहूं की तुलना में भी कई मायनों में बेहतर माना जाता है। बाजरे की रोटी सर्दियों में शरीर को गर्मी देने के साथ-साथ कई महत्वपूर्ण पोषक तत्व भी प्रदान करती है। आइए जानते हैं बाजरे की रोटी के पांच प्रमुख फायदे और क्यों यह सर्दियों में गेहूं से बेहतर है।

1. ऊर्जा और गर्मी प्रदान करता है

बाजरा में कार्बोहाइड्रेट और फाइबर की अच्छी मात्रा होती है, जो सर्दियों में शरीर को लंबे समय तक ऊर्जा प्रदान करता है। यह धीरे-धीरे पचता है, जिससे शरीर में गर्मी बनी रहती है और ठंड से राहत मिलती है। बाजरे की रोटी खाने से शरीर को आवश्यक ऊर्जा मिलती है, जिससे ठंड के दिनों में थकान और कमजोरी से बचा जा सकता है।

2. फाइबर से भरपूर और पाचन में सहायक

बाजरे में उच्च मात्रा में फाइबर होता है, जो पाचन तंत्र के लिए बहुत फायदेमंद है। यह कब्ज को दूर करने में मदद करता है और पेट को स्वस्थ रखता है। गेहूं की तुलना में बाजरा बेहतर पाचन प्रक्रिया को बढ़ावा देता है, जिससे शरीर को आवश्यक पोषक तत्वों को अवशोषित करने में मदद मिलती है।

3. ग्लूटेन मुक्त और एलर्जी के लिए बेहतर विकल्प

बाजरा ग्लूटेन मुक्त होता है, जो इसे उन लोगों के लिए एक अच्छा विकल्प बनाता है जिन्हें ग्लूटेन से एलर्जी होती है। गेहूं में ग्लूटेन पाया जाता है, जिससे कुछ लोगों को पाचन समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में बाजरे की रोटी सर्दियों में ग्लूटेन से बचने का स्वस्थ और पौष्टिक विकल्प हो सकती है।

4. मधुमेह रोगियों के लिए लाभकारी

बाजरा का ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) कम होता है, जो इसे मधुमेह रोगियों के लिए बेहतर बनाता है। यह रक्त शर्करा को तेजी से नहीं बढ़ने देता, जिससे शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। इसके विपरीत, गेहूं का GI तुलनात्मक रूप से अधिक होता है, जो शुगर लेवल को जल्दी बढ़ा सकता है।

5. हड्डियों को मजबूत बनाने में मददगार

बाजरा कैल्शियम, मैग्नीशियम और आयरन से भरपूर होता है, जो हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करता है। सर्दियों में हड्डियों और जोड़ों में दर्द की समस्या बढ़ सकती है, ऐसे में बाजरे की रोटी का सेवन इस समस्या से बचाव करता है। यह हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए गेहूं से कहीं बेहतर साबित होता है।

निष्कर्ष

सर्दियों में बाजरे की रोटी को अपने आहार में शामिल करना न केवल आपके स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है, बल्कि यह गेहूं से कई मामलों में बेहतर साबित होता है। यह शरीर को गर्मी, ऊर्जा और पोषण प्रदान करता है, जो ठंड के मौसम में आवश्यक होता है।

स्वस्थ रहने के लिए करे अपने डायट में शामिल करे पालक, जानिए 100 ग्राम पालक में कितनी होती है प्रोटीन की मात्रा

पालक (Spinach) एक पोषण से भरपूर हरी पत्तेदार सब्जी है, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी होती है। यह विटामिन्स, मिनरल्स, फाइबर, और एंटीऑक्सीडेंट्स का अच्छा स्रोत है। लेकिन जब हम बात करते हैं प्रोटीन की, तो पालक का नाम सामान्यतः हाई प्रोटीन स्रोतों में नहीं आता। फिर भी, पालक में कुछ मात्रा में प्रोटीन जरूर होती है, जो उसे पौष्टिक बनाती है।

100 ग्राम पालक में प्रोटीन की मात्रा

पालक के 100 ग्राम में लगभग 2.9 ग्राम प्रोटीन पाया जाता है। यह मात्रा अन्य प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों जैसे दालें, बीन्स या मीट की तुलना में कम है, लेकिन यदि आप एक संतुलित आहार की योजना बना रहे हैं, तो यह आपको प्रोटीन के साथ-साथ कई अन्य पोषक तत्व भी प्रदान करता है।

पालक के अन्य पोषक तत्व

प्रोटीन के अलावा, 100 ग्राम पालक में अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्व भी पाए जाते हैं, जैसे:

कैलोरी: लगभग 23

फाइबर: 2.2 ग्राम

विटामिन C: 28.1 mg (47% दैनिक आवश्यक मात्रा)

विटामिन A: 469 mcg (52% दैनिक आवश्यक मात्रा)

आयरन: 2.7 mg (15% दैनिक आवश्यक मात्रा)

पालक के स्वास्थ्य लाभ

पालक का सेवन कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है:

इम्यूनिटी बूस्टर: इसमें विटामिन C और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो आपकी इम्यूनिटी को मजबूत बनाते हैं।

आयरन का अच्छा स्रोत:

पालक आयरन से भरपूर होता है, जो रक्त की कमी (एनीमिया) से बचाने में मदद करता है।

हड्डियों के लिए अच्छा:

 पालक में विटामिन K होता है, जो हड्डियों को मजबूत बनाए रखने में सहायक है।

वजन घटाने में सहायक:

इसमें कम कैलोरी होती है और अधिक फाइबर होता है, जो पेट भरा रखने में मदद करता है और वजन घटाने में सहायक हो सकता है।

निष्कर्ष

हालांकि पालक में प्रोटीन की मात्रा बहुत अधिक नहीं होती, लेकिन इसे नियमित आहार का हिस्सा बनाना आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकता है। यह विटामिन्स और मिनरल्स का अच्छा स्रोत है और संतुलित आहार के रूप में प्रोटीन के अन्य स्रोतों के साथ मिलाकर खाया जा सकता है।

पालक का सेवन सलाद, सूप, स्मूदी, और सब्जियों के रूप में किया जा सकता है, जो इसे आपके रोज़ाना के आहार में शामिल करने का एक सरल तरीका है।

हेल्थ टिप्स:घर पर बनाएं मुलेठी का काढ़ा और पाएं इन समस्याओं से राहत

मुलेठी (जिसे अंग्रेजी में Licorice कहा जाता है) एक प्राचीन औषधीय जड़ी-बूटी है, जिसका उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में सदियों से किया जा रहा है। इसका काढ़ा विशेष रूप से सर्दी-जुकाम और गले की समस्याओं के लिए फायदेमंद माना जाता है। लेकिन इसके अलावा भी मुलेठी का काढ़ा कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान में मददगार हो सकता है। आइए जानते हैं मुलेठी का काढ़ा पीने से कौन-कौन सी समस्याएं दूर हो सकती हैं और इसे घर पर कैसे तैयार करें।

मुलेठी का काढ़ा पीने से दूर होती ये 5 समस्याएं:

गले में खराश और खांसी

मुलेठी में सूजन-रोधी और जीवाणुरोधी गुण होते हैं जो गले की खराश और खांसी को कम करने में मदद करते हैं। इसका काढ़ा पीने से गले में ठंडक मिलती है और गले की सूजन भी कम होती है।

पाचन तंत्र को सुधारना

मुलेठी का काढ़ा पाचन समस्याओं को दूर करने में सहायक होता है। यह कब्ज, अपच और गैस की समस्या को कम करने में मदद करता है। इसमें प्राकृतिक लैक्जेटिव गुण होते हैं जो मलत्याग को सरल बनाते हैं।

सर्दी और जुकाम में राहत

मुलेठी का काढ़ा सर्दी, जुकाम और कफ को कम करने के लिए बहुत उपयोगी होता है। इसके सेवन से नाक की जकड़न और छाती में बलगम की समस्या से राहत मिलती है।

त्वचा की समस्याओं का समाधान

मुलेठी में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो त्वचा को चमकदार और स्वस्थ बनाए रखते हैं। इसका सेवन त्वचा पर होने वाले दानों, सूजन और जलन को कम करने में मदद करता है।

इम्यूनिटी बढ़ाना

मुलेठी में मौजूद पौष्टिक तत्व शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं। इसका काढ़ा पीने से शरीर के भीतर की प्रतिरक्षा कोशिकाओं को ऊर्जा मिलती है, जिससे बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।

मुलेठी का काढ़ा बनाने की विधि:

सामग्री:

1-2 मुलेठी की टहनी (या 1 चम्मच मुलेठी पाउडर)

1 कप पानी

1 चम्मच शहद (वैकल्पिक)

थोड़ी सी काली मिर्च (वैकल्पिक)

विधि:

सबसे पहले, एक पैन में 1 कप पानी उबालें।

पानी में मुलेठी की टहनी या मुलेठी पाउडर डालें।

इसे मध्यम आंच पर 5-7 मिनट तक उबलने दें, जब तक कि पानी आधा न रह जाए।

इसके बाद गैस बंद कर दें और काढ़े को छान लें।

आप चाहें तो इसमें स्वादानुसार शहद या काली मिर्च मिला सकते हैं।

काढ़ा तैयार है, इसे हल्का गर्म ही सेवन करें।

निष्कर्ष:

मुलेठी का काढ़ा एक बेहतरीन घरेलू उपाय है जो सर्दी-जुकाम, गले की खराश, पाचन समस्या और अन्य बीमारियों में राहत देता है। इसे बनाने का तरीका सरल है और नियमित सेवन से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है। हालांकि, अगर आप किसी पुरानी बीमारी से ग्रस्त हैं या कोई अन्य औषधि ले रहे हैं, तो मुलेठी का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए अपनाएं ये 5 सुपरफूड्स, चश्मे का नंबर होगा कम

आंखों की सेहत हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। आजकल की बदलती जीवनशैली, स्क्रीन के अत्यधिक उपयोग और अनुचित खानपान की वजह से आंखों की रोशनी कमजोर होना एक आम समस्या बन गई है। हालांकि, कुछ विशेष खाद्य पदार्थ आपकी आंखों की सेहत को सुधारने और चश्मे का नंबर कम करने में मदद कर सकते हैं। यहां 5 ऐसी चीजें बताई जा रही हैं, जिन्हें अगर आप अपनी डाइट में शामिल करें, तो आपकी आंखों की रोशनी बेहतर हो सकती है।

1. गाजर

गाजर में विटामिन ए और बीटा-कैरोटीन की उच्च मात्रा होती है, जो आंखों की सेहत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। विटामिन ए रेटिना के कार्य को सुधारता है और आंखों को धूल-मिट्टी से बचाता है। गाजर का नियमित सेवन करने से आंखों की रोशनी तेज हो सकती है।

2. हरी पत्तेदार सब्जियां

हरी पत्तेदार सब्जियों जैसे पालक, सरसों और केल में ल्यूटिन और ज़ेक्सैंथिन नामक एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो आंखों के लिए फायदेमंद होते हैं। ये एंटीऑक्सीडेंट आंखों को यूवी किरणों से बचाते हैं और मोतियाबिंद तथा उम्र से संबंधित दृष्टि समस्याओं से सुरक्षा प्रदान करते हैं।

3. अखरोट और बादाम

अखरोट और बादाम जैसे नट्स में ओमेगा-3 फैटी एसिड और विटामिन ई होता है, जो आंखों के लिए अत्यधिक लाभकारी है। ओमेगा-3 फैटी एसिड आंखों को सूखने से बचाता है और दृष्टि को सुधारने में मदद करता है। इसके अलावा, ये नट्स रेटिना को स्वस्थ रखते हैं और दृष्टि से संबंधित समस्याओं को रोक सकते हैं।

4. मछली

मछली, खासकर सैल्मन और टूना, ओमेगा-3 फैटी एसिड का अच्छा स्रोत है। यह फैटी एसिड रेटिना की सूजन को कम करने और आंखों की नमी बनाए रखने में सहायक होते हैं। नियमित रूप से मछली खाने से आंखों की सेहत में सुधार हो सकता है और चश्मे का नंबर कम हो सकता है।

5. सिट्रस फल

संतरा, नींबू, मौसमी जैसे सिट्रस फलों में विटामिन सी भरपूर मात्रा में होता है, जो आंखों की कोशिकाओं को मजबूती प्रदान करता है। विटामिन सी एक एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करता है और आंखों के रक्त प्रवाह को सुधारता है, जिससे आंखों की रोशनी बढ़ने में मदद मिल सकती है।

निष्कर्ष

इन 5 चीजों को अपने रोजमर्रा के खानपान में शामिल करने से आंखों की सेहत में सुधार आ सकता है और चश्मे का नंबर कम हो सकता है। इसके अलावा, स्क्रीन का कम उपयोग, पर्याप्त नींद और नियमित रूप से आंखों की एक्सरसाइज करना भी आपकी दृष्टि को बेहतर बनाए रखने में मददगार होगा।

अपने डॉक्टर से सलाह लेकर इन सुझावों को अपनी डाइट में शामिल करें और अपनी आंखों को स्वस्थ रखें।

फेफड़ों को स्वस्थ रखने के लिए अपनाएं ये 6 सुपरफूड्स

हमारी सेहत का सीधा संबंध हमारे फेफड़ों की सेहत से होता है। अगर फेफड़े स्वस्थ और मजबूत हों, तो हमारा शरीर बेहतर तरीके से ऑक्सीजन ग्रहण कर पाता है और हम कई तरह की बीमारियों से बचे रहते हैं। प्रदूषण, धूम्रपान और गलत खानपान के कारण फेफड़े कमजोर हो सकते हैं, जिससे सांस संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए, फेफड़ों की देखभाल करना अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यहां हम आपको उन 6 सुपरफूड्स के बारे में बताएंगे, जो आपके फेफड़ों को हेल्दी रखने और डिटॉक्स करने में मदद करेंगे।

1. लहसुन (Garlic)

लहसुन में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो फेफड़ों के लिए फायदेमंद होते हैं। इसमें एलिसिन नामक तत्व होता है, जो फेफड़ों में सूजन को कम करता है और अस्थमा जैसी समस्याओं से राहत दिलाने में मदद करता है। नियमित रूप से लहसुन का सेवन करने से फेफड़ों में जमा टॉक्सिन्स बाहर निकलते हैं।

2. अदरक (Ginger)

अदरक एक शक्तिशाली प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट है, जो हमारे शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। यह फेफड़ों की सफाई करने और उनमें जमी गंदगी को हटाने में सहायक होता है। अदरक का सेवन श्वसन तंत्र को स्वस्थ बनाए रखने और सांस लेने में आसानी दिलाने के लिए भी किया जाता है।

3. हल्दी (Turmeric)

हल्दी में करक्यूमिन नामक एक सक्रिय तत्व होता है, जो फेफड़ों की सूजन को कम करता है। यह एक एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी सुपरफूड है, जो फेफड़ों की कार्यक्षमता में सुधार करता है और उन्हें स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है। रोज़ाना हल्दी का सेवन करना फेफड़ों को डिटॉक्स करने के लिए बेहद कारगर साबित हो सकता है।

4. सेब (Apple)

सेब विटामिन सी और फाइबर से भरपूर होता है, जो हमारे फेफड़ों को स्वस्थ रखने में मदद करता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स फेफड़ों में सूजन को कम करते हैं और उनमें ऑक्सीजन की आपूर्ति को बेहतर बनाते हैं। सेब का नियमित सेवन फेफड़ों की कार्यक्षमता को बढ़ाने में सहायक हो सकता है।

5. ग्रीन टी (Green Tea)

ग्रीन टी में फ्लेवोनॉइड्स और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो फेफड़ों को स्वस्थ बनाए रखने और उनमें जमा टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करते हैं। ग्रीन टी का सेवन करने से फेफड़ों की सफाई होती है और श्वसन तंत्र में सुधार आता है। यह फेफड़ों में सूजन को भी कम करने में मदद करती है।

6. बेरीज़ (Berries)

ब्लूबेरी, स्ट्रॉबेरी और रास्पबेरी जैसे फलों में एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन सी की मात्रा अधिक होती है, जो फेफड़ों के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। ये फेफड़ों को ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचाते हैं और उनकी कार्यक्षमता में सुधार करते हैं। इसके अलावा, बेरीज़ फेफड़ों में जमा गंदगी को भी बाहर निकालने में मदद करती हैं।

निष्कर्ष

फेफड़ों की सेहत को बनाए रखना हमारे पूरे शरीर की सेहत के लिए आवश्यक है। ऊपर बताए गए सुपरफूड्स न सिर्फ फेफड़ों की कार्यक्षमता को बेहतर करते हैं, बल्कि उन्हें डिटॉक्स करके उन्हें कई बीमारियों से बचाने में भी मदद करते हैं। अगर आप नियमित रूप से इन सुपरफूड्स का सेवन करते हैं, तो आप अपने फेफड़ों को हेल्दी और मजबूत बना सकते हैं।

भारतीय रसोई के ये 5 मसाले: स्वाद ही नहीं, सेहत के लिए भी हैं रामबाण

भारतीय रसोई को मसालों का खजाना कहा जाता है। यहाँ पर मौजूद हर मसाले के अपने अलग स्वास्थ्य लाभ होते हैं, जो हमारे शरीर को कई तरह से फायदा पहुँचाते हैं। इन मसालों का उपयोग सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए ही नहीं किया जाता, बल्कि यह हमारे स्वास्थ्य के लिए भी बेहद फायदेमंद होते हैं। आइए जानते हैं भारतीय रसोई में पाए जाने वाले 5 ऐसे प्रमुख मसालों के बारे में, जो किसी दवा से कम नहीं हैं:

1. हल्दी (Turmeric)

हल्दी का उपयोग भारतीय रसोई में हजारों सालों से हो रहा है। यह एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी (सूजन रोधी) मसाला है। इसमें पाए जाने वाला सक्रिय तत्व कुरकुमिन शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाता है और सूजन को कम करने में मदद करता है। हल्दी का सेवन गठिया, आर्थराइटिस, और यहां तक कि कैंसर जैसी बीमारियों में फायदेमंद माना गया है। इसे दूध के साथ पीने से शरीर की ताकत बढ़ती है और सर्दी-जुकाम में भी राहत मिलती है।

2. अदरक (Ginger)

अदरक का उपयोग भी पारंपरिक चिकित्सा में सदियों से होता आ रहा है। यह मसाला अपच, मतली, और पेट के विभिन्न विकारों में बेहद फायदेमंद है। अदरक में पाया जाने वाला जिंजरोल नामक तत्व शरीर में सूजन को कम करता है और पाचन तंत्र को सुधारता है। अदरक चाय सर्दी, खांसी, और गले की खराश के लिए बेहतरीन मानी जाती है। इसके अलावा, यह मांसपेशियों के दर्द और आर्थराइटिस में भी राहत देती है।

3. काली मिर्च (Black Pepper)

काली मिर्च को "मसालों का राजा" भी कहा जाता है। इसमें मौजूद पाइपरिन तत्व भोजन के पोषक तत्वों के अवशोषण को बढ़ाता है और पाचन को सुधारता है। यह एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है जो कोशिकाओं को मुक्त कणों से होने वाले नुकसान से बचाते हैं। काली मिर्च का सेवन वजन कम करने में भी मदद करता है, साथ ही यह खांसी, जुकाम और सर्दी में भी राहत दिलाती है।

4. इलायची (Cardamom)

इलायची न केवल खाने में स्वाद और सुगंध बढ़ाती है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होती है। यह पाचन क्रिया को सुधारती है और एसिडिटी और पेट के अल्सर से राहत दिलाती है। इलायची का नियमित सेवन सांसों की बदबू दूर करता है और फेफड़ों को स्वस्थ रखता है। इसके अलावा, यह मानसिक तनाव को भी कम करने में सहायक है और रक्तचाप को नियंत्रित करती है।

5. जीरा (Cumin)

जीरा पाचन को बढ़ावा देने और कब्ज जैसी समस्याओं से राहत दिलाने के लिए जाना जाता है। इसमें भरपूर मात्रा में आयरन पाया जाता है, जो खून की कमी को दूर करने में सहायक है। इसके अलावा, जीरा में एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाते हैं। जीरा वजन घटाने में भी मददगार होता है और इसके नियमित सेवन से त्वचा की सेहत भी बेहतर होती है।

निष्कर्ष

भारतीय रसोई के मसाले न केवल भोजन का स्वाद बढ़ाते हैं, बल्कि यह स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाए रखते हैं। हल्दी, अदरक, काली मिर्च, इलायची और जीरा जैसे मसाले हमारे शरीर के लिए किसी औषधि से कम नहीं हैं। इनका नियमित और उचित मात्रा में सेवन करने से कई प्रकार की बीमारियों से बचा जा सकता है और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत किया जा सकता है।

चिया सीड्स खाने के सही तरीके और फायदे: जानें कब, कैसे और कितनी मात्रा में करें सेवन

चिया सीड्स (Chia Seeds) आजकल स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हो रहे हैं। इन्हें सुपरफूड माना जाता है क्योंकि ये स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभकारी होते हैं। चिया सीड्स में फाइबर, प्रोटीन, ओमेगा-3 फैटी एसिड, एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन्स की भरपूर मात्रा पाई जाती है, जो आपके स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करती है। लेकिन, अगर इन्हें सही तरीके से नहीं खाया जाए, तो इसके पूरे फायदे नहीं मिल पाते। आइए जानते हैं चिया सीड्स को कब, कैसे और कितनी मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिए।

चिया सीड्स के फायदे

चिया सीड्स को डाइट में शामिल करने से कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं:

पाचन में सुधार: चिया सीड्स में उच्च मात्रा में फाइबर होता है, जो पाचन तंत्र को बेहतर बनाने और कब्ज से राहत दिलाने में सहायक होता है।

वजन घटाने में मददगार: चिया सीड्स पानी में फूलकर जेल जैसा रूप ले लेते हैं, जिससे पेट लंबे समय तक भरा हुआ महसूस होता है और भूख कम लगती है।

हृदय स्वास्थ्य: चिया सीड्स में ओमेगा-3 फैटी एसिड होते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम कर हृदय को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।

शुगर स्तर नियंत्रित करना: ये ब्लड शुगर को स्थिर रखते हैं, जिससे डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद होते हैं।

हड्डियों की मजबूती: इनमें कैल्शियम, मैग्नीशियम और फॉस्फोरस होता है, हड्डियों को मजबूत बनाते हैं।

चिया सीड्स को खाने का सही समय

चिया सीड्स को आप किसी भी समय खा सकते हैं, लेकिन इन्हें सुबह के नाश्ते या रात के खाने में शामिल करना सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है। 

सुबह के समय चिया सीड्स खाने से आपको दिनभर ऊर्जा मिलती है, जबकि रात में इन्हें खाने से पाचन प्रक्रिया बेहतर होती है और नींद भी अच्छी आती है।

चिया सीड्स को खाने का सही तरीका

पानी में भिगोकर:

चिया सीड्स को हमेशा पानी में भिगोकर खाना चाहिए। इसके लिए 1-2 चम्मच चिया सीड्स को एक कप पानी में 15-20 मिनट तक भिगोएं। ये फूलकर जेल जैसा बन जाएगा। इसे आप सीधे खा सकते हैं या फिर स्मूदी, दलिया या सलाद में मिला सकते हैं।

स्मूदी या जूस में मिलाकर: अगर आप चिया सीड्स का स्वाद बढ़ाना चाहते हैं, तो इन्हें अपनी स्मूदी, जूस या दही में मिलाकर खा सकते हैं।

सलाद या सूप में मिलाएं: चिया सीड्स को अपने सलाद, सूप या अन्य व्यंजनों में गार्निश के रूप में भी डाल सकते हैं।

दही के साथ मिलाकर: चिया सीड्स को दही के साथ मिलाकर खाने से न केवल इसका स्वाद बढ़ता है, बल्कि यह एक हेल्दी स्नैक भी बन जाता है।

चिया सीड्स की मात्रा

चिया सीड्स को दिनभर में 1-2 चम्मच (लगभग 20 ग्राम) से अधिक नहीं लेना चाहिए। ज्यादा मात्रा में सेवन से पेट में गैस, ऐंठन या डायरिया जैसी समस्याएं हो सकती हैं। अगर आप पहली बार चिया सीड्स का सेवन कर रहे हैं, तो शुरुआत में 1 चम्मच लें और धीरे-धीरे इसकी मात्रा बढ़ाएं।

ध्यान रखने योग्य बातें

भरपूर पानी पिएं: चिया सीड्स फाइबर से भरपूर होते हैं, इसलिए इन्हें खाने के बाद पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं, ताकि पाचन तंत्र सही से काम कर सके।

ऐलर्जी की जाँच: अगर आपको बीजों से एलर्जी है, तो चिया सीड्स का सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।

पैकिंग और शेल्फ लाइफ: चिया सीड्स को हमेशा सूखी और ठंडी जगह पर स्टोर करें और सुनिश्चित करें कि पैकेट की शेल्फ लाइफ चेक की जाए।

निष्कर्ष

चिया सीड्स एक बेहतरीन सुपरफूड हैं, लेकिन इन्हें सही मात्रा और तरीके से ही लेना चाहिए। इनका सेवन पाचन तंत्र, हृदय स्वास्थ्य, वजन प्रबंधन और हड्डियों की मजबूती के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इन्हें अपनी डाइट में शामिल करके आप अपने स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं, लेकिन हमेशा ध्यान रखें कि किसी भी चीज़ की अति हानिकारक हो सकती है।