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अलगाववादी, आतंकवादी हैं नरसिम्हानंद, उन्हें पाकिस्तान भेज देना चाहिए, नाराज उलेमाओं ने की मांग


भोपाल। किसी भी व्यक्ति को किसी अन्य मजहब की आस्थाओं से खेलने का कोई हक नहीं है। महंत यति नरसिंहानंद तो उस शख्सियत को लेकर बारम्बार बदकलामी करते जा रहे हैं, जिन्हें सारी दुनिया में इंसानियत, भाईचारे और मुहब्बत का पैगाम लेकर भेजा गया था। हजरत मुहम्मद सअस सिर्फ इस्लाम के अगुआ नहीं हैं, बल्कि उन्हें रहमतुल आलेमीन यानी सारी दुनिया की अगुवाई करने के लिए भेजा गया था। नरसिम्हानंद द्वारा अपनाई जा रही क्रियाएं देश को विभाजित करने वाली हैं। उनकी राह किसी आतंकवादी से कम नहीं हैं। मुहब्बत, सद्भाव, भाईचारे के हमारे देश में ऐसे व्यक्ति की कोई जरूरत नहीं है। सरकार को चाहिए कि इस शख्स को देश निकाला देकर पाकिस्तान भेज देना चाहिए। 

राजधानी भोपाल से उलेमाओं ने यह मांग उठाई है। आशिकान ए रसूल, अहले सुन्नत वल जमात मप्र, समता समाधान पार्टी, अहले सुन्नत कौंसिल, उलेमा बोर्ड आदि सामाजिक एवं मजहबी संस्थाओं ने पुलिस कमिश्नर को ज्ञापन सौंपने के बाद काजी सैयद अनस अली नदवी ने कहा कि महंत का काम लोगों को भलाई की ताकीद करना होता है। लोगों को जोड़ने और समाज में बेहतर माहौल बनाना उसकी जिम्मेदारी होती है। लेकिन महंत यति अपने कर्तव्य और दायित्व के विपरीत लोगों को तोड़ने, नफरत फ़ैलाने और देश विभाजन के हालात बना रहे हैं।

काजी अनस ने कहा कि यह काम आतंकवादियों के हैं। ऐसे लोगों को समाज में रहने का कोई अधिकार नहीं है। सरकार को चाहिए ऐसे लोगों को देश निकाला दें। उन्हें पाकिस्तान भेज दिया जाए ताकि वे अपने मिजाज के लोगों में रहकर काम कर सकें। इस मौके पर शहर के कई उलेमा और नागरिक मौजूद थे।

घोटालों की राजधानी बनी नर्सिंग काउंसिल, वरीयता सूची दरकिनार कर बनाया रजिस्ट्रार

भोपाल। मप्र नर्सिंग काउंसिल और घोटाले एक दूसरे के पर्यायवाची होते दिखाई देने लगे हैं। कुछ दिनों पहले यहां आई सीबीआई जांच की आंच अब तक ठंडी भी नहीं हुई है। यहां एक और नया घोटाला सामने आ गया है। यह घोटाला नर्सिंग काउंसिल में रजिस्ट्रार की नियुक्ति को लेकर सामने आया है।

जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश 

नर्सिंग काउंसिल में वर्तमान रजिस्ट्रार अनिता चांद को लेकर भारी बवाल मचा हुआ है।काउंसिल के रिकॉर्ड को देखें तो रजिस्ट्रार अनिता चांद सिनियर्टी लिस्ट में 46 वे स्थान पर आती हैं। वरीयता सूची में मौजूद 45 लोगों को दरकिनार करते हुए हुई उनकी नियुक्ति को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं।

रजिस्ट्रार अनिता चांद की नियुक्ति पर उठ रहे सवालों में एक और प्रश्न यह भी शामिल है कि विगत सत्र 2021-22 में नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने के लिए जो काउंसिल को निरीक्षण टीम बनाई गई, उनमें से एक टीम में खुद अनिता चांद शामिल रही हैं।

काउंसिल से जुड़े सूत्रों की मानें तो रजिस्ट्रार अनिता चांद ने भोपाल के कालेजों का निरक्षण किया और उनकी रिपोर्ट के आधार पर उनकी मान्यता वृद्धि की गई और जब उच्च स्तरीय जांच में उन्ही कालेजों का निरीक्षण किया गया तो वह अनियमितता वाले अनफिट निकले।

अब ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ऐसे दोषी और गैर जिम्मेदार को रजिस्ट्रार जेसे पद पर नियुक्त करने की क्या वजह रही है।

हालाकि इस मामले में जहां एक और विभागीय शिकायते हो रही है वही उक्त मामले में हाईकोर्ट में भी याचिका लगी हुई है।

जब इन सभी सवालों और आरोप के स्बंध में रजिस्ट्रार अनिता चांद से उनका पक्ष जानना चाह तो उन्होंने कहा की रजिस्ट्रार की नियुक्ति शासन स्तर पर हुई है आप को जो पूछना है समझना शासन से पूछिए।

बहरहाल अब देखना यह है की आने वाले दिनों में काउंसिल पर लगे घोटाले के दाग धुलते है या फिर और कोई एक नया घोटाला सामने आता है।

पेसा अधिनियम जन, जल, जंगल और जमीन के अधिकारों को समझ रहे,जनजातीय परिवार

मध्यप्रदेश के अनुसूचित क्षेत्रों में निवासरत जनजातियों को जन, जल, जंगल, जमीन और श्रमिकों के अधिकारों की जानकारी देकर इनके संरक्षण एवं जनजातीय सांस्कृतिक परम्पराओं की सुरक्षा के लिये अब से करीब दो साल पहले एक बड़ा कदम उठाया गया। जनजातीय समुदाय के आद्य गौरव के प्रतीक भगवान बिरसा मुण्डा के जन्म-दिवस पर मध्यप्रदेश में 15 नवंबर 2022 को पंचायत के प्रावधान (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) नियम-2022 या कहें पेसा एक्ट लागू किया गया।

मध्यप्रदेश के 20 ज़िलों के 88 विकासखंडों की 5133 ग्राम पंचायत क्षेत्रों के 11 हजार 596 गांव पेसा क्षेत्र में आते हैं। प्रदेश के अलीराजपुर, झाबुआ, मंडला, अनूपपुर और बड़वानी पूर्ण पेसा जिले हैं। वहीं बालाघाट बैतूल, बुरहानपुर, छिंदवाड़ा, धार, खंडवा, नर्मदापुरम, खरगौन, सिवनी, शहडोल, श्योपुर, सीधी उमरिया एवं रतलाम आंशिक पेसा जिलो की श्रेणी में आते हैं।

पेसा अधिनियम के क्रियान्वयन से अनूपपुर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के परिवेश में सकारात्मक परिवर्तन दिखाई दे रहा है। यहां ग्रामीणों को उनके अधिकारों एवं रोजगार के बारे में जानकारी देकर गांव में ही रोजगार तथा हितग्राहीमूलक योजनाओं का लाभ दिलाया जा रहा है। अनूपपुर जिले की जनपद पंचायत पुष्पराजगढ़ की ग्राम पंचायत दमेहडी में पेसा अधिनियम का सकारात्मक प्रभाव साफ-साफ देखने को मिल रहा है। यहां के जनजातीय समुदाय-जन, जल, जंगल एवं जमीन के अधिकार को समझ चुके हैं तथा शासन की मंशा के अनुरूप पेसा अधिनियम से अपनी उन्नति की राह पर अग्रसर हो रहे हैं। यहां के ग्रामीण आपसी भाईचारे से मिल-जुलकर रह रहे हैं। यहां लोगों का अपने जंगल व वन्यजीवों के साथ साहचर्य जीवन व्यवहार भी बेहद सौहार्दपूर्ण हो गया है।

पेसा अधिनियम लागू होने के पहले इस ग्राम पंचायत में बहुत ज्यादा विपरीत परिस्थितियां हुआ करती थीं। लोग हमेशा ही आपसी लड़ाई-झगड़े और कोर्ट-कचहरी में फंसे रहते थे। पेसा अधिनियम के कारण गांव की स्थिति में बदलाव हुआ है। अब गांव के छोटे-मोटे विवादों को मिल-बैठकर गांव में ही सुलझा लिया जाता है। यहां के ग्रामीण बताते हैं कि पहले पुलिस केस होता था, उसके बाद वकीलों तथा कोर्ट के चक्कर लगा-लगाकर आखिरी विकल्प समझौता करना ही होता था, तब तक हमें बेहद परेशान होना पड़ता था। अब इन मुसीबतों से हमें छुटकारा मिल गया है।

ग्राम दमेहडी के लोगों का कहना है कि जब से पेसा एक्ट लागू हुआ है, तब से गांव में शांति, उन्नति, प्रगति एवं आपसी भाईचारे का माहौल कायम है। अब गांव का झगड़ा शांति से विवाद निवारण समिति द्वारा आसानी से सुलझा लिया जाता है। यदि कोई व्यक्ति थाने चला भी जाता है, तो लोकल थाने की पुलिस द्वारा शांति एवं विवाद निवारण समिति के सदस्यों को सूचना दी जाती है। संज्ञान में आते ही ग्राम सभा द्वारा उस व्यक्ति को समझाकर मामले का निपटारा गांव में ही कर लिया जाता है। जहां पेसा एक्ट लागू होने के बाद गांव के लगभग 25-30 लड़ाई-झगड़ों में शांति एवं विवाद निवारण समिति द्वारा समझौता करा दिया गया है।

रिपोर्ट:-नताशा सिंह

पीएम जन-मन योजना: अनूपपुर जिले के दो बैगा परिवारों के लिए वरदान, पक्के घर का सपना हुआ पूरा

कोई मकान, उसमें रहने वाले लोगों की खुशहाली से ही 'घर' बनता है। कुछ लोग ऐसे सपने पूरे कर लेते हैं, पर कुछ को अपना घर पाने के लिये थोड़ी जद्दोजहद करनी पड़ती है।

अनूपपुर जिले के दो बैगा परिवार भी अपने घर के सपने को दिल में लिये जी रहे थे। चाहते तो वे भी थे, कि जल्द से जल्द उनका भी अपना पक्का घर बन जाये, पर उनके हालात इतने अच्छे नहीं थे।

ऐसे में पीएम जन-मन योजना उनके जीवन में वरदान बनकर सामने आई। ये बैगा परिवार, जो पहले कच्चे झोपड़ीनुमी घरों में रहते थे, अब उनके पास खुद का पक्का घर है। दोनों परिवार अपने घरों में खुशी-खुशी रह रहे हैं।

अनूपपुर जिले में पुष्पराजगढ़

विकासखण्ड है। इस विकासखण्ड की ग्राम पंचायत है फर्रीसेमर और इसी ग्राम पंचायत का पोषक ग्राम है जोहिला बांध। कुन्ती बाई पति दानीराम बैगा जोहिला बांध गांव में ही रहती हैं। बैगा जनजाति विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (पीवीटीजी) में आती है। पीवीटीजी के समग्र कल्याण के लिये केन्द्र सरकार की पीएम जन-मन योजना के जरिये इन्हें अनेक लाभ दिये जा रहे हैं। इस योजना में सभी पीवीटीजी परिवारों को पक्का मकान बनवाकर दिया जा रहा है। योजना में पात्र हितग्राही होने पर कुन्ती बाई बैगा को पक्का घर बनाकर दे दिया गया है।

कुन्ती बाई के साथ-साथ फर्रीसेमर गांव की रामकली बैगा को भी पीएम जन-मन से पक्का और सुंदर घर मिल गया है। दोनों बैगा महिलाओं के परिवारों को एक साथ पक्के घर की सौगात मिली है। यह योजना पीवीटीजी (बैगा) परिवारों को सम्मानजनक तरीके से सुरक्षित आवास (Safe and Secure Housing) प्रदान करने की दिशा में एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रयास है। सालों से कच्ची झोपड़ी में गुजर-बसर करने वालों को पक्का घर बनाकर देने और इसमें बिजली पहुंचाने के लिये हस योजना में पूरी संवेदनशीलता के साथ काम जारी है। पक्के घरों से अब इन बैगा परिवारों को कई प्रकार की बारहमासी कठिनाईयों से हमेशा के लिये निजात मिल गई है। पक्के घरों के अलावा इन बैगा परिवारों को अन्य शासकीय योजनाओं का लाभ भी मिल रहा है।

रिपोर्ट :- नताशा सिंह

कन्या-पूजन मातृ-शक्ति की आराधना का प्रतीक: मुख्यमंत्री डॉ. यादव

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि नवरात्रि पर होने वाला कन्या-पूजन मातृशक्ति की आराधना का प्रतीक है। साथ ही नवरात्रि, जीवन में ऋतु परिवर्तन की महत्ता को भी स्थापित करती है। सनातन परंपरा में विद्यमान उपवास की अवधारणा और उसके लाभ को आधुनिक चिकित्सा व्यवस्था भी स्वीकार करती है।

भारतीय संस्कृति मातृसत्ता की महत्ता को नमन करती है। हमारी संस्कृति में मां सरस्वती को ज्ञान की देवी और मां लक्ष्मी को धन संपदा की देवी के रूप में पूजा जाता है। भारतीय संस्कृति भोजन और भाव दोनों को महत्व देती है यह स्व से संपूर्ण ब्रह्मांड को एकाकार करने के विचार पर केंद्रित है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव सेवा भारती महावीर मंडल भोपाल द्वारा गोविंदपुरा इंडस्ट्रियल एरिया में आयोजित विशाल कन्या-पूजन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने पुष्प वर्षा कर कन्याओं का स्वागत और विधि-विधान से उनका पूजन भी किया।

नवदुर्गा शक्ति संचय का पर्व है

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि भारतीय संस्कृति जीव मात्र से प्रेम और शांति का संदेश देती है। यह हमारे सांस्कृतिक मूल्यों और देश का सामर्थ्य ही है, जिसके परिणामस्वरूप विश्व, शांति के लिए भारत की ओर देखता है। रूस-यूक्रेन युद्ध हो या ईरान-इजराइल के बीच संघर्ष, शांति के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर सभी देश आशा से देख रहे हैं। यह हम सबके लिए गौरव का विषय है।

नवदुर्गा शक्ति संचय का पर्व है, देश भी शक्ति सम्पन्न हो तथा अधिक से अधिक शक्ति संचय की ओर हम अग्रसर हों, इसी उद्देश्य से सेवा भारती संस्था समाज के सभी वर्गों के कल्याण और हित संवर्धन के लिए समर्पित है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने नवरात्रि, दशहरा और दीपावली की सभी को शुभकामनाएं दीं। इस अवसर पर सेवा भारती के रवि सेठी, विमल त्यागी, गोविंदपुरा क्षेत्र के उद्योगपति, जन-प्रतिनिधि एवं समाजसेवी उपस्थित थे।

भारत विश्व गुरु के रूप में शिक्षक परंपरा को स्थापित करना चाहता है : मुख्यमंत्री डॉ. यादव


मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि गुरुकुल परंपरा हमारे देश की शिक्षा का आधार रही है। शिक्षक हमेशा पूज्य थे और पूज्य रहेंगे। भारत विश्व गुरु के रूप में उस शिक्षक परंपरा को स्थापित करना चाहता है, जो गुरुकुल परंपरा चाणक्य से चंद्रगुप्त तक और चंद्रगुप्त से विक्रमादित्य तक हर जगह, हर समय, हर काल में कायम रही है।

मुख्यमंत्री रविवार को रवीन्द्र भवन सभागार में शिक्षा भूषण अखिल भारतीय शिक्षक सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे। समारोह का आयोजन मध्यप्रदेश शिक्षक संघ द्वारा किया गया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव द्वारा सरस्वती वंदना के साथ दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सुरेश सोनी, स्कूल शिक्षा एवं परिवहन मंत्री राव उदय प्रताप सिंह, राज्यसभा सदस्य स्वामी उमेश नाथ जी महाराज कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने शिक्षा भूषण अखिल भारतीय शिक्षक सम्मान -2024 से डॉ. रामचंद्रन आर., प्रोफेसर के.के. अग्रवाल और प्रोफेसर कुसुमलता केडिया को सम्मानित किया।

गुरु और गुरुकुल परंपरा में गुरु का विशेष महत्व

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राष्ट्र के हित में शिक्षा, शिक्षा के हित में शिक्षक और शिक्षक के हित में समाज के उद्देश्य से आयोजित शिक्षक समारोह के आयोजन में शैक्षिक फाउंडेशन और अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि भारत की गुरु और गुरुकुल परंपरा में गुरु का बड़ा महत्व है। इतिहास में जब भी कोई प्रश्न खड़े हुए तो गुरु की भूमिका सामने आई। यदि भगवान श्रीराम और लक्ष्मण को गुरु वशिष्ठ वनवास के लिए नहीं ले जाते तो रामायण में राम का चरित्र अधूरा रहता। भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा में गुरु सांदीपनि का उज्ज्वल चरित्र शिष्यों के लिए अनुकरणीय और चुनौतियों में प्रेरणा का स्रोत रहा है।

शिक्षा न तो सत्ता की दासी है और न ही कानून की किन्करी

अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सुरेश सोनी ने कहा कि वास्तव में विकास तभी हो सकता जब हमारे आसपास के परिवेश और जीवन मूल्यों का विकास हो। उन्होंने 1928 में गुजरात विद्यापीठ में दिए गए काका कालेलकर के संबोधन को उद्घृत करते हुए कहा कि शिक्षा ने अपने स्वरूप की व्याख्या करते हुए कहा कि शिक्षा न तो सत्ता की दासी है और न ही कानून की किन्करी है, न ही यह विज्ञान की सखी है औप न ही कला की प्रतिहारी यह अर्थशास्त्र की बांदी, शिक्षा तो धर्म का पुनर्रागमन है, यह मानव के हृदय, मन और इन्द्रियों की स्वामिनी है। मानव शास्त्र और समाज शास्त्र, इनके दो चरण हैं, तर्क और निरीक्षण शिक्षा की दो आँखें हैं, विज्ञान मस्तिष्क, इतिहास कान और धर्म शिक्षा के हृदय है। सोनी ने बताया कि काका कालेलकर ने अपने संबोधन में कहा था कि उत्साह और उद्यम शिक्षा के फेफड़े हैं। शिक्षा ऐसी जगत जननी जगदम्बा है, जिसका उपासक कभी किसी का मोहताज नहीं होगा, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।"

काका कालेलकर के चिंतन के अनुरूप देश में शिक्षा का वातावरण बनाना जरूरी

 सोनी ने कहा कि मूल्य परक शिक्षा-भारत केंद्रित शिक्षा, शिक्षकों के सामाजिक सम्मान और संस्कारों पर जोर देने वाली शिक्षा के लिए सामूहिक रूप से विचार करते हुए काका कालेलकर द्वारा दिए गए चिंतन के अनुरूप देश में शिक्षा का वातावरण बनाने के लिए प्रयास करने होंगे। इसी से 2047 तक विश्व के रंग मंच पर भारत, प्रमुख नेतृत्व कर्ता के रूप में स्थापित होगा। कार्यक्रम में पुरुस्कृत डॉ. रामचंद्रन आर., प्रोफेसर के.के. अग्रवाल और प्रोफेसर कुसुमलता केडिया ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने पद्मश्री अवार्डी दुर्गाबाई से की भेंट


मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पद्मश्री अवार्डी दुर्गाबाई के कोटरा सुल्तानाबाद स्थित निवास पहुंचकर उनसे भेंट की तथा कुशल क्षेम पूछी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने पुष्प-गुच्छ भेंट कर दुर्गाबाई का अभिवादन किया। दुर्गाबाई ने मुख्यमंत्री डॉ. यादव का तिलक कर स्वागत किया।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने दुर्गाबाई से लोक कला विशेषकर गोंड चित्रकारी में हो रहे नवाचारों और प्रदेश में नई पीढ़ी के कलाकारों के प्रशिक्षण तथा प्रोत्साहन के संबंध में चर्चा भी की। उल्लेखनीय है कि दुर्गाबाई को चित्रकला के लिए वर्ष 2022 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।

बाल विरुद्ध अपराध में घर जाकर रिपोर्ट दर्ज करेगी पुलिस, अभियान के दौरान लोगों को मिली जानकारी


भोपाल। अमोनी गड़मुर्रा ग्राम पंचायत स्थित मयूर होम्स कॉलोनी में विराजित दुर्गा पांडाल में "मैं भी अभिमन्यु" अभियान के अंतर्गत जन संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बाल विरुद्ध अपराध, महिला संबंधी अपराध और सायबर फ्रॉड से बचाव की गंभीर जानकारी रहवासियों को दी गई। कार्यक्रम में सूखी सेवनिया थाना प्रभारी रामबाबू चौधरी ने अभिभावकों से अपील करते हुए कहा कि बच्चों की बेहतर परवरिश एक बेहतरीन समाज का निर्माण करती है। उन्होंने कहा कि बाल विरुद्ध अपराधों से बचने के लिए उन्हें अपने आसपास ही खेलने को कहें और उन्हें अकेले कहीं सामान लेने न भेजा जाए। टीआई चौधरी ने युवाओं से अपराध में शामिल न होने की अपील करते हुए भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के उदाहरण देकर समझाइश दी। इसके साथ ही झांकी पांडाल में प्रोजेक्टर स्क्रीन पर मध्यप्रदेश पुलिस द्वारा बनाई गई लघु फिल्मों के माध्यम से भी महिला सशक्तिकरण और छेड़छाड़ के विरुद्ध सख्त होने के लिए प्रेरित किया गया। टीआई रचना मिश्रा ने महिला संबंधी अपराध पर चर्चा करते हुए कहा यदि हर नौजवान को अभिमन्यु की भांति शिक्षा मिल जाये तो समाज अपराध रहित हो जाएगा। इसके साथ ही मयूर होम्स कॉलोनी में छोटे बच्चों द्वारा नुक्कड़ नाटक एवं चित्रकारी के माध्यम से भी सशक्त संदेश दिया गया। कार्यक्रम में एसडीओपी प्रिया सिंधी ने सायबर अपराध पर बोलते हुए कहा कि यदि किसी की सोशल मीडिया अकाउंट हैक कर कोई आपत्तिजनक सामग्री अपलोड की जा रही है तो तत्काल पुलिस के पास शिकायत दर्ज कराएं इसके साथ ही मोबाइल पर उपलब्ध ऑनलाइन लोन से बचने की सलाह दी।

आयोजन में एसडीओपी बिलखिरिया प्रिया सिंधी, सूखी सेवनिया थाना प्रभारी रामबाबू चौधरी, थाना प्रभारी रचना मिश्रा, सब इंस्पेक्टर स्वाति दुबे, अमोनी गड़मुर्रा ग्राम पंचायत के सरपंच किशन यादव सहित आयोजन समिति "युवा एकता उत्सव समिति" के सभी सदस्य एवं मयूर होम्स कालोनी के रहवासी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

Bhopal News : महकेगी यादों की बगिया, "पीपी सर" के शागिर्द करेंगे उनके लिए संवाद, जानें क्या है आयोजन


भोपाल। गुरु, उस्ताद, शिक्षक जीवन की बगिया का वह माली है, जो अपनी अथक मेहनत से अपने शागिर्दों को खुद से आगे निकल जाने की राह प्रशस्त करने में भी तनिक झिझक महसूस नहीं करता। कुछ उस्ताद ऐसे भी होते हैं, जो अपनी कार्यशैली और अपनत्व भाव के साथ शिष्यों के दिलों में वह मुकाम बनाने में कामयाब हो जाते हैं, जिन्हें "जिंदगी के साथ भी, जिंदगी के बाद भी" वाला रिश्ता स्थापित करने का गौरव हासिल होता है। ऐसी ही एक शख्सियत राजधानी भोपाल की पत्रकारिता क्यारियों में फूल खिलाने वाले प्रो पुष्पेंद्र पाल सिंह हैं। जो सारी पत्रकार बिरादरी के जगत पीपी सर हो गए हैं। 8 अक्टूबर को उनका जन्मदिवस है। उनकी गैर मौजूदगी में इस खास दिन को मनाने के लिए उनके शिष्यों ने एक संगोष्ठी का आयोजन करने की तैयारी की है। इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम को नाम भी अपने प्रिय पीपी सर के पसंदीदा विषयों में शामिल पर्यावरण, पत्रकारिता और हम को समर्पित किया है।

पत्रकारिता क्षेत्र में अपना खास मुकाम रखने वाले प्रो पुष्पेंद्र पाल सिंह के जन्मदिन 8 अक्टूबर को राजधानी भोपाल में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। पत्रकारिता की पाठशाला से लेकर मीडिया संसार में सरपट दौड़ने में अपने प्रिय पीपी सर से मार्गदर्शन, सहयोग और आशीर्वाद प्राप्त करने वाले उनके स्टूडेंट्स ने इस आयोजन की रूपरेखा बनाई है। पर्यावरण, पत्रकारिता और हम विषय पर एक संवाद कार्यक्रम होगा। विषय को तय करने के पीछे की मंशा बताते हुए पीपी सर के शागिर्द राकेश मालवीय और रितेश पुरोहित कहते हैं कि विषय में शामिल तीनों बिंदु पर्यावरण, पत्रकारिता और हम पीपी सर के रोम रोम में समाए रहे। उन्होंने पर्यावरण की फिक्र को हमेशा अपने पास रखा और इसकी बेहतरी के प्रयास करते रहे। पत्रकारिता उनके जीवन का अभिन्न अंग रही और इसके लिए उन्होंने अपना पूरा समय कुर्बान कर दिया। हम की धारणा में पीपी सर की हमेशा आस्था रही, यही वजह है कि उन्होंने सफलता के शीर्ष पर पहुंचकर भी कभी अपने लिए सोचने की बजाए हम के लिए बेहतरी चाही। पीपी सर के जन्म दिवस पर आयोजित संवाद के मुख्य वक्ता के रूप में पर्यावरणविद लोकेंद्र ठाकुर मौजूद रहेंगे। कार्यक्रम में शिरकत करने की गुजारिश करने वालों में पीपी सर के सभी विद्यार्थियों को शामिल किया गया है। आयोजन आयकर कालोनी, गुलमोहर पर स्थित विकास संवाद कार्यालय रखा गया है। शहर और प्रदेश भर के पीपी सर के चाहने वाले इस कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे। कार्यक्रम संबंधी किसी जानकारी के लिए राकेश मालवीय (9977958934) और रितेश पुरोहित (9826823813) से संपर्क किया जा सकता है।

Bhopal News : उम्र के आठवें दशक में मिली गजल को मंजिल, सम्मान खुद हुआ जफरयाब; सजी कहकशां ए अदब की महफिल


भोपाल। आठ दशक के जिंदगी के सफर का एक तिहाई हिस्सा उन्होंने शेर ओ गजल के नाम कर दिया। मंचों से लेकर मेज़खानों तक की रौनक बने उनके कलामत देश दुनिया के शायरी की समझ रखने वालों के सीनों में बसते हैं और जुबां पर थिरकते हैं। कहकशां ए अदब की अदबी महफिल के 22 बरस के सफर में कई मुकाम आए और गुजर गए। लेकिन इस शनिवार की रात जिस शख्स के सिर एजाज का ताज सजाया गया, उसे महसूस कर ताज भी खुद की किस्मत पर झूम उठा। 

दो दशक की परंपरा को निरंतर रखते हुए लक्ष्मी टॉकीज सराय में इस शनिवार रात को महफिल ए कहकशां ए अदब सजी। दस्तूर के मुताबिक महीने के मकबूल शायर को एजाज से नवाजा गया। इस बार यह सेहरा राजधानी भोपाल के उस्ताद शायर जफर सहबाई के नाम पर था। शहर के नामवर शायरों और अदीबो की गहमागहमी में डॉ अली अब्बास उम्मीद, डॉ महताब आलम, डॉ कमर अली शाह, अजीम असर, शिराज भोपाली, फारुख अंजुम, आरिफ अली आरिफ, शोएब अली समेत बड़ी जमात मौजूद थी। विधायक आतिफ अकील ने शॉल, प्रशस्ति पत्र सौंपते हुए जफर सहबाई के गले में पहली पुष्प माला डाली। इसके बाद हारों का जो सिलसिला शुरू हुआ तो गुंजाइश पूरी होने तक हार जफर सहबाई की तरफ बढ़ते ही रहे।

सजी महफिल ए खास 

एजाज समारोह के बाद महफिल ए मुशायरा का आयोजन हुआ। जिसमें शहर के स्थापित शायरों से लेकर पहली बार पढ़ने वाले शायर तक अपने कलाम के साथ मौजूद थे। देर रात तक चलती रही इस महफिल में सीखने वाले शायर और सिखाने वाले उस्ताद शायर भी शामिल थे। विधायक आतिफ अकील समेत कई सियासी और शहर के अदब मिजाज से जुड़े लोग मौजूद थे।

आरिफ की परम्परा, अब बेटे आतिफ के हाथ

विधायक आतिफ अकील अपने पिता मरहूम आरिफ अकील की हर परम्परा को अपनाए हुए हैं। सराय में अपने मिलने आने वाले लोगों के लिए उपलब्ध रहने से लेकर विरासत में मिली सूमो कार में सफर करना वे अपने पिता आरिफ अकील से ही सीखे हैं। कव्वाली, मुशायरा महफिल, शरई कार्यक्रम से लेकर स्पोर्ट्स एक्टिविटीज को भी आतिफ ने जिंदा रखा है।

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