बिहार में पिछले 20 सालों से जंगल राज बनाम सुशासन के नाम पर सियासत, क्या मुद्दाविहीन हो गया है सत्ता पक्ष और विपक्ष !
डेस्क : बिहार में अगले साल 2025 में विधान सभा चुनाव होने है। जिसकी तैयारी में प्रदेश के सभी राजनीतिक दल अभी से जुटे गए है। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनो ओर से आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी अब धीरे-धीरे चरम पर पहुंचने लगा है। सत्ताधारी एनडीए जहां अपने शासनकाल में चहुमुंखी विकास का दावा करता रहा है। वहीं विपक्ष प्रदेश की सत्ताधारी एनडीए पर सिर्फ हवाबाजी और जुमलेबाजी करने का आरोप लगाता रहा है। हालांकि दोनो पक्षों की ओर से अगला चुनाव का मुद्दा क्या होगा इसपर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है। घूम फिरकर बात जंगलराज बनाम सुशासन पर आ जाती है। ऐसा लगता है कि प्रदेश के सत्ताधारी एनडीए और मुख्य विपक्षी पार्टी के पास अपराध और भ्रष्टाचार को लेकर एक-दूसरे के पास दूसरा कोई मुद्दा ही नहीं है।
बिहार में पिछले 19 वर्षों से बीच के कुछ साल छोड़ दिए जाए तो शासन एनडीए का रहा है। इस 19 साल के शासनकाल में एनडीए द्वारा प्रदेश में चंहुमुखी विकास के दावे किये जाते है। हालांकि कुछ हद तक उनके दावे में दम भी है। लेकिन पूरी तरह से उस दावे को सही नही कहा जा सकता है। इस बात का प्रमाण यह है कि वर्ष 2021 के नीति आयोग की रिपोर्ट में बिहार को हर मोर्चे पर फिसड्डी बताया गया। नीति आयोग की रिपोर्ट के बाद विपक्षी दल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पंद्रह साल के कार्यकाल पर सवाल खड़े किये थे। बिहार के इस परफॉरमेंस पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सीधे सीएम नीतीश की नीति को कटघरे में खड़ा किया था। हालांकि सत्ता पक्ष लगातार नीति आयोग की रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर रहा। जेडीयू और बिहार बीजेपी के नेता नीति आयोग की रिपोर्ट को बिहार के साथ नाइंसाफी बतलाया था।
2021 में जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे ललन सिंह ने नीति आयोग की रिपोर्ट पर सवाल खड़ा करते हुए कहा था कि बिहार के साथ नाइंसाफी की जा रही है। विभाजन के बाद बिहार में सिर्फ बालू, आलू और लालू ही बचे थे। खजाने लूट चुके थे, व्यवस्थाएं चौपट थीं। भौगोलिक स्थिति के कारण हर वर्ष आपदाओं का कहर भी है। ऐसे में गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल और गोआ जैसे संसाधनयुक्त प्रदेशों से नीति आयोग द्वारा बिहार की तुलना नाइंसाफी है।
वही अब जबकि अगले वर्ष चुनाव होने है तो सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनो ओर से आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरु हो गया है। विपक्ष प्रदेश में कानून-व्यवस्था को बड़ा मुद्दा बना रहा है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव एक रणनीति के तहत प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर रहे है। वे लगातार अपराध को लेकर बुलेटिन जारी कर रहे है। जिसमें वे हत्या, लूट और रेप के आंकड़े पेश कर रहे है। इसके पीछे की वजह को देखे तो ऐसा वे इसलिए कर रहे है कि सत्ता पक्ष हमेशा अपराध को लेकर एनडीए की शासन की तुलना लालू-राबड़ी के शासन काल से करता है। सत्ता पक्ष की बात करे तों कानून व्यवस्था पर जब उंगली उठने लगती है तो सत्ता पक्ष आरजेडी के शासन काल की याद दिलाता है। सत्ता पक्ष यह कहने लगता है कि विपक्ष को अपने 15 साल के शासनकाल को याद करना चाहिए। जनता उस जंगल राज को भूली नहीं है और दोबारा वह उस दौर को कभी नही आने देंगी।
लेकिन सत्ता पक्ष के ये दावे अब धीरे-धीरे खोखले पड़ते जा रहे है। आंकड़े बता रहे हैं कि बिहार का जो हाल अब है, वो काफी चिंताजनक है। बेखौफ अपराधियों से बिहार छलनी होता जा रहा है। हालांकि यह सही है कि 2005 में जब सीएम नीतीश कुमार ने सत्ता संभाली तब जंगलराज पर काबू पाना बड़ी चुनौती थी। पहले शासन काल में बहुत हद तक नीतीश सरकार कामयाब रही। लेकिन साल दर साल अपराध पर नियंत्रण कम होता गया। और आज हालात ये हैं कि लालू-राबड़ी के 15 साल के शासन काल को याद दिलाकर इसे झूठलाया नहीं जा सकता है।
इन सब के बीच सवाल यह है कि आखिर अपराध क्यों बढ़ रहे है। तो इसके जवाब में बुद्धिजीवियों का कहना है कि पहली बात यह है कि अपराध को पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा सकता, लेकिन इसे नियत्रित जरुर किया जा सकता है। इसके लिए सबसे पहले रोजगार पर जोर देना होगा और राजनीतिक पार्टियों को भी अपनी सोच बदलनी होगी। क्योंकि राजनीतिक पार्टियां अपने फायदे के लिए अपराधियों को इस्तेमाल करती है। वही इनका कहना है कि बिहार मे जिस तरह से पक्ष और विपक्ष अपराध को मेन मुद्दा बनाते है वह सही नहीं है। जनता के लिए सिर्फ अपराध ही एक बड़ा मुद्दा नहीं है। इसके साथ भी कई अन्य बाते है जिसकी अपेक्षा सरकार से आम जनता को होती है।
ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आखिर कबतक प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी और विपक्षी पार्टी जंगलराज बनाम सुशान के नाम पर राजनीति करती रहेगी। क्या इससे हटकर दोनो के पास जनता की कोई और समस्या नहीं है जिसे वे अपना एजेंडा बना सके। क्या मुद्दाविहीन हो गया है बिहार का सत्ता पक्ष और विपक्ष !
Oct 04 2024, 18:22