महज 2 महीने के अंदर जदयू के नए राष्ट्रीय महासचिव मनीष वर्मा ने संभाला 2025 के विस का चुनाव कमान, जानिए कौन है यें जिनपर सीएम नीतीश ने जताया है इतना बड़ा भरोसा
डेस्क : बिहार की सत्ताधारी जदयू में इनदिनों एक नाम बड़ा चर्चा मे है। इसके पीछे कारण भी है। जिस नाम को लेकर चर्चा जोरों पर है उन्होंने महज तीन महीने पहले ही पार्टी ज्वाइन किया। पार्टी मे शामिल होते ही उन्हें राष्ट्रीय महासचिव जैसा पद मिला। वहीं अब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें अगले साल 2025 में होने वाले विधान सभा चुनाव की जिम्मेवारी दे दी है। दरअसल ये पूर्व आईएएस अधिकारी मनीष वर्मा है। इनकी पार्टी में इंट्री के साथ ही ऐसी भी चर्चा है कि ये नीतीश कुमार के उतराधिकारी हो सकते है।
मनीष वर्मा ने 2025 के लिए नीतीश कुमार के चुनावी अभियान की कमान संभाल ली है। मनीष वर्मा इनदिनों मुजफ्फरपुर से जेडीयू के कार्यकर्ता से संवाद के लिए यात्रा पर हैं। उनकी यह यात्रा 20 जनवरी तक चलेगी और इस दौरान हर कार्यक्रम में मनीष वर्मा मुख्य अतिथि होंगे। मनीष वर्मा की इस बिहार यात्रा को तेजस्वी यादव के कार्यकर्ता संवाद यात्रा के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है, लेकिन अहम सवाल ये है कि आखिर मनीष वर्मा कौन हैं, जिन्हें नीतीश कुमार ने इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी है। जिन पर इतना भरोसा जताया है।
कौन है मनीष वर्मा
मनीष ओडिशा कैडर के 2000 बैच के अधिकारी थे और नीतीश कुमार के करीबी माने जाते हैं। उन्होंने 2021 में नौकरी से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले लिया था। कहा जाता है कि उन्होंने यह कदम नीतीश कुमार के कहने पर उठाया था।इसके बाद से ही वो नीतीश कुमार के करीबी के रूप में काम कर रहे थे। वो बिना किसी पद के ही पिछले एक साल से जेडीयू की संगठनात्मक गतिविधियों में लगे हुए थे। वहीं जुलाई में जदयू में शामिल हुए।जैसा की पहले से यह कयास लगाया जा रहा था कि उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाया जा सकता है और हुआ भी वैसा ही।
21 साल प्रशासनिक सेवा में रहे नालंदा जिले के है मनीष वर्मा
50 वर्षीय मनीष वर्मा का ताल्लुक बिहार के नालंदा जिले से है। बता दें सीएम नीतीश कुमार का शुरुआती जीवन बख्तियारपुर, नालंदा और कल्याण बिगहा जैसे इलाकों में बीता है। वहीं मनीष वर्मा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के स्वजातिए भी है। मनीष वर्मा के पिता डॉक्टर अशोक वर्मा बिहारशरीफ के मशहूर डॉक्टर थे। मनीष वर्मा ने बिहार शरीफ के सरकारी स्कूल से पढ़ाई करने के बाद पटना से आगे की शिक्षा हासिल की। फिर आईआईटी दिल्ली से सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक किया। साल 2000 में यूपीएससी क्रैक करने से पहले मनीष वर्मा इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन में नौकरी करते थे।
यूपीएससली क्रैक करने पर उन्हें ओड़िसा कैडर मिला और इनकी पहली पोस्टिंग कालाहांडी में हुई और उसके बाद उन्हें एसडीएम के तौर पर रायगढ़ जिले के गुनूपुर में तैनाती मिली। वर्मा ने प्रशासनिक सेवा के 12 साल ओडिशा में बिताए उसके बाद डेप्यूटेशन पर उन्हें बिहार भेजा गया। पटना और पूर्णिया के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के तौर पर सेवा देने के बाद 2016 से 2021 के दौरान वे मुख्यमंत्री के सेक्रेट्री भी रहे। डेप्यूटेशन खत्म होने के बाद वर्मा ने ओडिशा नहीं जाने का फैसला किया और 2021 में वीआरएस ले लिया।
जेडीयू में मनीष वर्मा की भूमिका
मनीष वर्मा बिना किसी पद के ही पिछले एक साल से जेडीयू की संगठनात्मक गतिविधियों में लगे हुए थे।वे जेडीयू के लोकसभा चुनाव अभियान में सक्रिय रूप से शामिल हुए। उन्होंने उन सभी 16 लोकसभा सीटों का लगातार दौरा किया, जहां से जेडीयू चुनाव मैदान में थी। जेडीयू ने इस बार के लोकसभा चुनाव में 12 सीटों पर जीत दर्ज की है। इसके बाद जेडीयू ने केंद्र में नरेंद्र मोदी की तीसरी सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अब अगले साल 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी को जीत दिलाने की अहम जिम्मेवारी उन्हें मिली है।
Oct 03 2024, 17:43