शिमला में आधार कार्ड का फ्रॉड, क्या किसी साजिश की है शुरूआत?
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देश में मुस्लिम तबके की आबादी तेजी से बढ़ी है, जबकि कई क्षेत्रों में पहले से मौजूद दूसरे मतावलंबियों की आबादी घटती गई। देश में षड्यंत्रकारि तत्वों द्वारा उत्तर भारत में एक गलियारा तैयार करने की योजना है, ताकि बांग्लादेश और पाकिस्तान को आपस में जोड़ा जा सके। यह गलियारा बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश और हरियाणा होते हुए पाकिस्तान से जा मिलेगा। इस गलियारे में घुसपैठियों को लाकर बसाने का काम योजनाबद्ध ढंग से किया जा रहा है। बांग्लादेश से असम में आए घुसपैठियों के खिलाफ वहां चले जन आंदोलन के बाद इस्लामिक षड्यंत्रकारियों ने उन्हें झारखंड, उत्तर प्रदेश, हिमाचल आदि राज्यों में भेजना शुरू किया है। इसकी झलकी हाल के दिनों में शिमला में देखी गई।
शिमला में पहले अवैध मस्जिदों निर्माण का मामला गरमाया। उसके बाद गड़बड़ आधार कार्ड के साथ समुदाय विशेष के लोग पकड़े गए हैं। शिमला के घुमा क्षेत्र में 35 से ज्यादा मुस्लिम व्यापारियों के पहचान पत्र एक जैसे हैं। मतलब जन्म की तारीख और जन्म का महीना एक जैसा ही है। घुमा इलाके में स्थानीय लोगों ने करीब 100 मुस्लिम व्यापारियों के आधार कार्ड चेक किए। आधार कार्ड से उन्हें बड़े फ्रॉड का पता चला। आधार कार्ड में जन्म की तारीख और महीना एक ही है। सबके आधार पर तारीख 1 और महीना जनवरी लिखा है। हालांकि जन्म का साल अलग-अलग है। इस खुलासे के बाद लोग भड़क गए और उन्होंने पुलिस से शिकायत दर्ज की। स्थानीय लोग कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
व्यापार मंडल गुम्मा के प्रधान देविंद्र सिंह ने बताया कि गुम्मा में बाहरी राज्यों से विशेष समुदाय के 86 व्यापारी हैं, जिनके व्यापार मंडल ने आधार कार्ड एकत्रित किए हैं। इनमें से 46 व्यापारी ऐसे हैं, जिनकी जन्मतिथि आधार कार्ड पर एक जनवरी है। इस संदर्भ में पुलिस थाने में शिकायत दी गई है। व्यापार मंडल ने मांग उठाई है कि आधार कार्डों की सच्चाई क्या है, इसकी जांच की जाए। बाहरी राज्यों से आए व्यापारी अपनी दुकान चलाने से पहले बोनाफाइड सर्टिफिकेट, चरित्र प्रमाण पत्र और मतदाता पहचान पत्र व्यापार मंडल और पुलिस थाने में जमा करवाएं। जब तक सभी दस्तावेज सत्यापित नहीं होते, तब तक बाहरी राज्यों के व्यापारियों को दुकानें चलाने की अनुमति न दी जाए।
भारतीयों के लिए उनका एक आधार कार्ड उनकी पहचान का सबूत है, लेकिन घुमा में एक आधार, कई लोगो की पहचान बना हुआ है। ऐसे में साजिश की आशंका ने जन्म ले लिया है।
ये पूरा मामला सामने आया 30 अगस्त को। जब मल्याणा क्षेत्र में रहने वाले यशपाल का सैलून चलाने वाले कुछ मुस्लिम युवकों से विवाद हुआ था। पुलिस के मामला दर्ज करने पर पता चला कि जिन युवकों पर मारपीट का आरोप है, वे संजौली की मस्जिद में रहते हैं। ये लोग मूल रूप से यूपी के मुरादाबाद के थे। पुलिस ने अभियुक्तों के आधार कार्ड की जांच की तो उनमें से अधिकांश की जन्मतिथि एक जनवरी थी। इस पहलू को लेकर शक होने पर मल्याणा, चम्याणा के स्थानीय लोगों ने इनके दस्तावेज़ों की जांच की मांग की।
इसके बाद गांव के लोगों ने दो सितंबर को मस्जिद के पास धरना दिया। इस दौरान मस्जिद के अवैध निर्माण का मुद्दा भी उठा। इसी दिन संजौली की मस्जिद की घेराबंद करते हुए इसके अवैध ढांचे को गिराने की मांग पहली बार उठी। स्थानीय लोगों का मस्जिद को गिराने को लेकर प्रदर्शन इतना तीव्र हुआ कि 11 सितंबर को इस प्रदर्शन पर क़ाबू पाने के लिए पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा।
हिमाचल में हिंदू और मुसलमान सदियो से साथ रहते आ रहे हैं। मुसलमानों की संख्या भले ही यहां कम थी, लेकिन वह पूरे व्यवहार और शिष्टाचार के साथ समाज में रहते थे। पिछले कुछ समय से बाहर से आ रहे लोगों के सत्यापन न होने के कारण संजौली सहित शहर के कई क्षेत्रों में उनकी संख्या बढ़ रही थी। इसलिए लोग के बीच में गुस्सा भी पनप रहता है , यह गुस्सा मल्याणा की हिंसा के बाद फूट गया। ये लोग बिना किसी अनुमति के दुकानें भी लगा रहे हैं, ये भी नाराजगी का कारण है।
Sep 25 2024, 15:58