फसल अवशेष प्रबंधन के लिए गांवों में प्रचार वाहन से जागरूक किया
खजनी गोरखपुर। खेतों में किसानों की खरीफ की फसल तैयार हो रही हैं। फसलों के अवशेष प्रबंधन के लिए आज प्रदेश शासन कृषि विभाग के निदेर्शानुसार इन सीटू मैनेजमेंट के व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए खजनी ब्लॉक मुख्यालय से बीडीओ रमेश शुक्ला और तहसील मुख्यालय से तहसीलदार गोपाल कृष्ण तिवारी ने प्रचार वाहन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
किसानों को फसलों के अवशेष प्रबंधन के लिए जागरूक करते हुए, कृषि विभाग के द्वारा लाउडस्पीकर के जरिए प्रचार वाहन से ब्लॉक क्षेत्र के गांवों में घूम कर किसानों को जागरूक किया गया। बीडीओ रमेश शुक्ला ने बताया कि बीते कुछ वर्षों से जब से फसलों की कटाई मड़ाई का काम कंबाइन मशीनों से होने लगा है, किसान अपनी फसल के बचे अवशेष को अपने खेतों में जला देते हैं, इससे खेतों की उर्वरा शक्ति का तेजी से क्षरण हो रहा है, कार्बन उत्सर्जन से पर्यावरण पर इसका गंभीर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। यदि लगातार ऐसी स्थिति बनी रही तो आने वाले समय में फसलों का उत्पादन कम हो जाएगा। वायुमंडल में प्रदुषण बढ़ने से भीषण गर्मी व ग्लोबल वार्मिंग से प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति भयावह हो जाएगी।
इस अवसर पर सहायक विकास अधिकारी कृषि कमलेश सिंह ने बताया कि फसल अवशेषों को प्रबंधित करने के लोकप्रिय तरीकों में
जुताई, मल्चिंग, और अवशेषों को मिट्टी में मिलाया जाता है। साथ ही प्राकृतिक खेती में बिना जुताई वाली खेती में फसल अवशेषों को सतह पर छोड़ दिया जाता है, जिससे मिट्टी को सुरक्षा मिलती है और मिट्टी में मौजूद गड़बड़ी कम हो जाती है। साथ ही फलियां या घांस जैसी कवर फसलें लगाकर मिट्टी की उर्वरता बढ़ाई जा सकती है। पूसा डी-कंपोजर का तरीका बताते हुए कहा कि इसमें एक कैप्सूल फसल अवशेषों को खाद में बदल देता है। एक एकड़ खेत के लिए चार कैप्सूल की जरूरत पड़ती है।
स्ट्रॉ बेलर की जानकारी देते हुए बताया कि इससे खेत में पड़े फसल अवशेषों का ब्लॉक बनाकर कम जगह में रखा जाता है, और उनका इस्तेमाल चारे और बिजली बनाने के लिए ईंधन के रूप में किया जाता है। रीपर/कटर से पराली का भूंसा बनाने की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि खेत में फसल अवशेषों को जलाने से मिट्टी के कार्बनिक पदार्थ और पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं।अवशेषों को पशुओं के चारे के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। साथ ही फसल अवशेषों से गत्ता, पैकिंग मटेरियल, डिस्पोजेबल बर्तन, मशरूम की खेती और पालतू पशुओं के शेड बनाने में किया जा सकता है। इस अवसर पर एडीओ पीपी, ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि समेत कृषि विभाग के अधिकारी कर्मचारी और स्थानीय लोग मौजूद रहे।
Sep 23 2024, 18:54