मखाना खेती जागरूकता के लिए होगा राष्ट्रीय स्तर का सेमिनार
मिथिला के मखाना ने दरभंगा सहित पूरे मिथिलांचल को विश्व मानचित्र पर एक बार फिर से प्रतिष्ठित किया है। इस चमत्कारिक जलीय फसल में उत्तर बिहार की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था में क्रांति ला देने की पूरी क्षमता है।अब मखाना की खेती और इसके ग्लोबिंग मार्केटिंग के माध्यम से करोड़ों लोगों को रोजगार मुहैया होगी। दरभंगा के सांसद डॉ.गोपाल जी ठाकुर ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली के सहायक महानिदेशक डॉ.के.नरसैया और राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.मनोज कुमार के साथ दरभंगा स्थित अपने आवासीय कार्यालय में एक बैठक के बाद उपरोक्त बातें कहीं।
डॉ.नरसैया ने जानकारी दी कि मखाना और मखाना आधारित उत्पादों की बढ़ती राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मांग उत्तर बिहार की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था के लिए वरदान साबित हो सकती है। विश्व के कुल मखाना उत्पादन में बिहार का योगदान लगभग 80 प्रतिशत है।
अब मखाना की दोगुना हो रही खेती
मखाना की खेती और प्रसंस्करण में किसानों और उद्यमियों की बढ़ती रुचि, बेहतर आमदनी की सम्भावना, सकारात्मक नीतियां और राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र दरभंगा के शोध और प्रसार प्रयासों के कारण पिछले 5 सालों में मखाने की खेती का विस्तार तेजी से हुआ है। 5 साल पहले तक मखाने की खेती लगभग 15 हजार हेक्टेयर में होती थी, जो अब 30 से 35 हजार हेक्टेयर में होती है।इसकी उत्पादकता इस दौरान 14-16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 20-25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक बढ़ गई है। प्रति हेक्टेयर आमदनी 50-60 हजार रुपए से बढ़कर 1.5 से दो लाख तक अनुमानित है। मखाना किसानों और उद्यमियों की संख्या भी अप्रत्याशित रूप से बढ़ी है।
1 लाख से 3 लाख तक पहुंची
आमदनी बिहार के दरभंगा में मखाना की खेती से 1 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर से 3 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर तक की आमदनी देखी गई है। दरभंगा स्थित मखाना अनुसंधान केंद्र को राष्ट्रीय दर्जा प्राप्त होने के साथ ही संस्थान में रिसर्च के लिए जरूर आधारभूत संरचनाओं का विकास तेज हो गया है। विकासात्मक कार्यों के लिए फंड की उपलब्धता बढ़ी है। साथ ही वैज्ञानिकों की संख्या भी बढ़ी है।
मिथिला के किसानों और उद्यमियों के साथ-साथ पूरे देश में मखाने के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से आगामी 17 अक्टूबर को मखाना अनुसंधान केंद्र में एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन होना है। आश्विन शुक्ल पूर्णिमा कोजागरा के दिन हर साल अक्टूबर महीने में राष्ट्रीय मखाना दिवस मनाया जाएगा। इस अवसर पर विभिन्न जनप्रतिनिधि और दर्जनों मखाना खेती और उद्यमी मौजूद थे।

अब मखाना की खेती और इसके ग्लोबिंग मार्केटिंग के माध्यम से करोड़ों लोगों को रोजगार मुहैया होगी। दरभंगा के सांसद डॉ.गोपाल जी ठाकुर ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली के सहायक महानिदेशक डॉ.के.नरसैया और राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.मनोज कुमार के साथ दरभंगा स्थित अपने आवासीय कार्यालय में एक बैठक के बाद उपरोक्त बातें कहीं।
इसकी उत्पादकता इस दौरान 14-16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 20-25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक बढ़ गई है। प्रति हेक्टेयर आमदनी 50-60 हजार रुपए से बढ़कर 1.5 से दो लाख तक अनुमानित है। मखाना किसानों और उद्यमियों की संख्या भी अप्रत्याशित रूप से बढ़ी है।

किसानों को डीएपी खाद मिलने में कठिनाई हो रही है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक पिछले करीब 4 महीने से जिले में डीएपी की भारी किल्लत चल रही है। किसानों का कहना है कि 1350 रुपए की डीएपी के लिए वह 1700 रुपए देने के लिए भी तैयार हैं।
जानकारी हो की वरीय पुलिस अधीक्षक ने 8 थानों के थानेदार को बदल दिया है। इसमें कुछ थानेदार को इधर से उधर कर दिया है। इसके अलावा नए कनीय अवर निरीक्षक को भी थानाध्यक्ष का मौका एसएसपी ने दिया है। ये वैसे कनीय अवर निरीक्षक हैं, जिन्होंने थाना में रहते हुए बेहतर पुलिसिंग की है।
18 से 32 साल के युवक इस जॉब कैंप में भाग ले सकते है। फील्ड एसिस्टेंट ट्रेनी के पदों पर चयनित युवकों की बहाली की जाएगी। बहाली इन्टरव्यू के आधार पर रोगी। जॉब कैंप में कुल 50 सीट निर्धारित है। बहाली Bharat Financial Inclusion LTD की ओर से होगी।
टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि स्कॉर्पियो के आगे का हिस्सा पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया। हादसे में 8 लोग घायल हो गए। पुलिस ने सभी को इलाज के लिए राघोपुर रेफरल अस्पताल में भर्ती कराया। प्राथमिक उपचार के बाद दो घायलों को रेफर कर दिया गया।
अररिया से दरभंगा जाने के दौरान हादसा
टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि स्कॉर्पियो के आगे का हिस्सा पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया। हादसे में 8 लोग घायल हो गए। पुलिस ने सभी को इलाज के लिए राघोपुर रेफरल अस्पताल में भर्ती कराया। प्राथमिक उपचार के बाद दो घायलों को रेफर कर दिया गया।
अररिया से दरभंगा जाने के दौरान हादसा
तालाब के सौंदर्यीकरण के नाम पर 60 लाख रुपए की पहले तो बंदरबांट हुई। फिर विरोध होने पर इसको प्राकृतिक स्वरूप में लाने के लिए भी मोटी रकम खर्च की गई। लेकिन ट्रिब्यूनल इससे संतुष्ट नहीं हुआ। मिथिला विशेष रूप से दरभंगा में तालाबों के संरक्षण में जुटी संस्थान तालाब बचाव अभियान इस मामले में अपना जोरदार विरोध दर्ज करते आ रहा है।
पिछले 22 अगस्त को भी मामले की सुनवाई ट्रिब्यूनल में हुई। ट्रिब्यूनल ने विश्वविद्यालय की ओर से विस्तृत शपथ पत्र दाखिल नहीं करने पर अपनी नाराजगी जताई है। विश्वविद्यालय इस मामले में गुमराह करने का प्रयास कर रहा है। उसने कुलपति पर व्यक्तिगत रूप से 5 हजार रुपए का जुर्माना करते हुए बिहार पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को आदेश दिया है।
हाथों में अलग-अलग बैनर पोस्टर लेकर इंसाफ की मांग कर रहीं थीं। वी वांट जस्टिस के अलावा 1 2 3 4 बंद करो अत्याचार जैसे नारे लगाकर महिला अत्याचार के खिलाफ विरोध जताया। तकरीबन आधे घण्टे तक सड़क पर खड़े होकर प्रदर्शन करने के बाद सभी छात्राएं नारे लगाते हुए अपने स्कूल तक गईं।
कैंप शनिवार को सुबह 11:00 से शाम के 3:00 तक लगेगा। 18 से 28 साल के युवक इस जॉब कैंप में भाग ले सकते हैं। कैंप के माध्यम से 300 पदों की रिक्तियां भरी जाएगी। जानकारी सहायक निदेशक (नियोजन), अवर प्रादेशिक नियोजनालय की ओर से दी गई है।
Aug 27 2024, 20:51
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