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शाह के ‘भ्रष्टाचार का सरगना’ बोलने पर शरद पवार का पलटवार, दिलाई सुप्रीम कोर्ट के फैसले की याद

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बीते दिनों अपने एक बयान में एनसीपी (एससीपी) प्रमुख शरद पवार को राजनीति में भ्रष्टाचार का सरगना करार दिया था। अब ये मामला तूल पकड़ता दिख रहा है। आरोप-प्रत्यारोप के बीच अब शरद पवार ने खुद अमित शाह पर निशाना साधा है। शरद पवार ने अमित शाह पर पलटवार किया है। शरद पवार ने कहा कि ये हैरानी की बात है कि एक व्यक्ति जिसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा गुजरात से बाहर किया गया था, वो देश का इतना अहम मंत्रालय संभाल रहा है। 

पुणे में एक कार्यक्रम के दौरान एनसीपी चीफ ने कहा कि जब वो(शाह) गुजरात में थे तो कानून का गलत इस्तेमाल करने के चलते सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें तड़ीपार कर दिया था। अब जिस आदमी को सुप्रीम कोर्ट ने तड़ीपार किया था उसे आज देश की होम मिनिस्ट्री की जिम्मेदारी दी गई है। 

शरद पवार ने आगे कहा कि जिनके हाथ में सत्ता है, उन्होंने अपनी सोच नहीं बदली है। हम सभी को सावधान रहना चाहिए, नहीं तो देश गलत दिशा में आगे बढ़ सकता है। बता दें कि अमित शाह को सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले में 2010 में दो साल के लिए राज्य से बाहर किया गया था। बाद में उन्हें 2014 में इस मामले में बरी कर दिया गया था।

अमित शाह ने क्या कहा था?

पुणे में एक कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शरद पवार पर बड़ा हमला बोला था। उन्होंने पवार को देश में भ्रष्ट लोगों का सरगना बताया था। शाह ने कहा था कि विपक्ष हम पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाता है, लेकिन देश की राजनीति में भ्रष्टाचार के सबसे बड़े सरगना शरद पवार हैं। अगर किसी राजनेता ने सरकार में भ्रष्टाचार को संस्थागत बनाया तो वे शरद पवार थे और मुझे ये कहने में जरा भी संकोच नहीं है। वे हम पर क्या आरोप लगाएंगे, अब हम उन पर आरोप लगा रहे हैं।

भारी बारिश ने उत्तराखंड में मचाया हाहाकार! भागीरथी और अलकनंदा का जलस्तर बढ़ा, एसडीआरएफ और पुलिस टीम तैनात

उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में शुक्रवार को जमकर बारिश हुई। इस के चलते अलकनंदा एवं भागीरथी नदी का जलस्तर बढ़ा रहा। देर शाम गंगोत्री घाटी के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में वर्षा की वजह से गंगोत्री धाम में अचानक भागीरथी का जलस्तर बढ़ने से अफरा तफरी मच गई। हालांकि वक़्त रहते सभी भक्त सुरक्षित जगहों पर पहुंच गए, जिससे बड़ी दुर्घटना होने से टल गई। जल स्तर बढ़ने की वजह से धाम के स्नान घाट जलमग्न हो गए हैं।

वहीं सुरक्षा को देखते हुए SDRF एवं पुलिस टीम मौके पर तैनात है। पूर्व व्यापार मंडल अध्यक्ष सतेन्द्र सेमवाल ने कहा कि जलस्तर बढ़ा था, किन्तु अब स्तिथि दोबारा सामान्य हो गई है। खतरे की अब कोई बात नहीं है. उपरी क्षेत्रों में हो रही भारी वर्षा की वजह से श्रीनगर एवं देवप्रयाग में अलकनंदा नदी का जल स्तर खतरे के निशान से लगभग एक से दो मीटर नीचे रहा। 

श्रीनगर में अलकेश्वर घाट एवं कीर्तिनगर में ढुंडप्रयाग स्नान घाट जलमग्न रहा। जबकि देवप्रयाग में अलकनंदा नदी के उफान पर रही। दोपहर को अलकनंदा नदी का जल स्तर 460.30 मीटर तक पहुंच गया। इसके चलते गंगा का जल स्तर बढ़ने से यहां संगम स्थल का निचला हिस्सा, रामकुंड घाट, फुलेडी घाट आदि पूरी तरह जलमग्न हो गया। वहीं भागीरथी नदी क्षेत्र में लगभग 2 किलोमीटर तक अलकनंदा का पानी भर गया।

आतंकवाद का रास्ता छोड़ने के बाद जम्मू कश्मीर के इस संगठन ने किया चुनाव लड़ने का ऐलान

कश्मीर घाटी में आतंकवाद का नेतृत्व करने के साढ़े तीन दशकों के पश्चात्, जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर (JeI J-K) ने चुनावी राजनीति में वापसी का निर्णय लिया है। उमर अब्दुल्ला ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा की है। संगठन के नेताओं ने बताया कि वे फरवरी 2019 में लगाए गए गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत प्रतिबंध हटने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इसके लिए कथित तौर पर सरकार के साथ कई दौर की बातचीत हो चुकी है।

अगर जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर पर से प्रतिबंध हटा दिया जाता है, तो संगठन के नेताओं ने बताया कि वे आगामी विधानसभा चुनावों में हिस्सा लेने की योजना बना रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में सितंबर तक चुनाव कराने की योजना है, और अगर सब कुछ ठीक रहा तो चुनाव आयोग जल्द ही चुनाव की दिनांकों का ऐलान कर सकता है। जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर ने 1998 में आतंकवाद से स्वयं को अलग कर लिया था। अगर यह संगठन चुनाव में भाग लेता है, तो यह नीतियों में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन को दर्शाएगा। इसके फैसले के बाद, कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी ने 2004 में तहरीक-ए-हुर्रियत (TeH) का गठन किया था।

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, JeI J&K के मामलों को प्रबंधित करने के लिए गठित आठ सदस्यीय पैनल के एक वरिष्ठ सदस्य ने संगठन पर प्रतिबंध हटाने के लिए केंद्र सरकार के साथ बातचीत की पुष्टि की है। पैनल के सदस्य ने कहा कि वे "मूल दस्तूर (जमात का संविधान), 1987 से पहले की स्थिति" पर लौटना चाहते हैं। बताया जा रहा है कि अल्ताफ बुखारी, जो JeI J-K और केंद्र सरकार के बीच मध्यस्थता कर रहे हैं, इस प्रक्रिया में सहायता कर रहे हैं। बुखारी को केंद्र सरकार के करीबी माना जाता है। सरकार की पहली शर्त थी कि संगठन के सदस्य वोट करें, जिसके जवाब में संगठन के नेताओं ने कहा कि उन्होंने कभी चुनाव का बहिष्कार नहीं किया, और यदि ऐसा किया भी तो अन्य लोगों के बहिष्कार के कारण।

जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर ने 30 जून को एक बैठक में आगामी चुनाव लड़ने का फैसला लिया था। इस के चलते, संगठन द्वारा बनाए गए पैनल ने सरकार से बातचीत में तेजी लाने की उम्मीद जताई। पैनल के सदस्य गुलाम कादिर लोन ने कहा कि संगठन "लोगों से फिर से जुड़ना चाहता है" और यह फैसला लिया गया कि किसी पार्टी का समर्थन करने से बेहतर है कि संगठन खुद चुनाव लड़े। रिपोर्टों के मुताबिक, पैनल के एक सदस्य ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि JeI J-K "धार्मिक मामलों पर समझौता नहीं करेगा," किन्तु चुनाव से पहले या बाद में गठबंधन करने के लिए तैयार है। संगठन के सदस्य ने संकेत दिया कि यदि पार्टी इस दिशा में आगे बढ़ती है, तो गठबंधन के लिए उनकी पार्टी पहली पसंद होगी। इसके साथ ही, पार्टी नेता फारुक अब्दुल्ला की अगुवाई वाली नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ भी 'पहले की दुश्मनी को भूलकर' गठबंधन की इच्छा व्यक्त की जा रही है।

नीति आयोग की बैठक बीच में ही छोड़कर निकली बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, बोली-मुझे बोलने नहीं दिया गया

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प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक जारी है। देश भर के मुख्यमंत्री इस बैठक में भाग ले रहे हैं। इस बैठक में इंडिया गठबंधन से सिर्फ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ही शामिल हुईं। हालांकि, नीति आयोग की बैठक में शामिल हुईं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बेहद नाराज हो गईं और मीटिंग छोड़कर बाहर निकल गईं हैं।उन्होंने माइक बीच में ही बंद करने और सिर्फ 5 मिनट बोलने देने का आरोप लगाया।

ममता बनर्जी ने बताया, मैंने बैठक में कहा कि आपको (केंद्र सरकार) राज्य सरकारों के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए। मैं बोलना चाहती थी, लेकिन मुझे केवल पांच मिनट बोलने की अनुमति दी गई। मुझसे पहले लोगों ने 10-20 मिनट तक बात की। विपक्ष की ओर से केवल मैं ही इस कार्यक्रम में भाग ले रही थी, लेकिन फिर भी मुझे बोलने नहीं दिया गया। यह अपमानजनक है।

बंगाल सीएम ने आगे आरोप लगाया, जब मैं बोल रहीं थी उस समय मेरा माइक बंद कर दिया गया। मैंने पूछा कि मुझे क्यों बोलने से रोका गया। मेरे साथ भेदभाव क्यों किया जा रहा है। आपको अपनी पार्टी और सरकार को अधिक अवसर देने के बजाय इस पर खुश होना चाहिए कि मैं बैठक में शामिल हुईं। विपक्ष की ओर से केवल मैं हूं और आप मुझे बोलने से रोक रहे हैं। यह केवल बंगाल का अपमान नहीं बल्कि यह सभी क्षेत्रीय दलों का अपमान है।

नीति आयोग की बैठक छोड़कर ममता बनर्जी बाहर निकली गई हैं। बाहर निकलने के बाद मीडिया से बातचीत में ममता ने कहा कि मुझे बोलने नहीं दिया गया। फंड मांगने पर मेरा माइक बंद कर दिया गया। मुझे केवल 5 मिनट बोलने दिया गया। केंद्र सरकार बंगाल के साथ भेदभाव कर रही है। गैर एनडीए शासित राज्यों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। अब नीति आयोग की बैठक में कभी नहीं आऊंगी। ये पूरे विपक्ष का अपमान है। नीति आयोग की जगह प्लानिंग कमिशन लाया जाए।

जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में मुठभेड़, पाकिस्तानी बॉर्डर एक्शन के साथ फायरिंग में एक जवान शहीद, एक आतंकी ढेर

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जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा सुरक्षाबलों ने घुसपैठ की कोशिश को नाकाम कर दिया है। एलओसी पर भारतीय सेना और पाकिस्तानी बॉर्डर एक्शन टीम के बीच फायरिंग हुई। इस दौरान एक घुसपैठिया मारा गया है। वहीं, आतंकियों के साथ मुठभेड़ में एक जवान शहीद हो गया है जबकि चार घायल है। फिलहाल ऑपरेशन जारी है। बता दे कि पाकिस्तान की ‘बॉर्डर एक्शन टीम’ (BAT) में आम तौर पर पाकिस्तानी सेना के विशेष बल के जवान और आतंकवादी शामिल होते हैं।

कुपवाड़ा में तीन दिनों में यह दूसरी मुठभेड़ है, जो जिले के कुमकरी इलाके में आतंकवाद विरोधी अभियान के दौरान शुरू हुई. सुरक्षा बलों ने संभावित आतंकवादी गतिविधियों की सूचना मिलने के बाद कुपवाड़ा के कुमकरी इलाके में आतंकवाद विरोधी अभियान शुरू किया था. सुरक्षा बलों ने शनिवार को छिपे हुए आतंकवादियों खोज निकाला, जिसके बाद मुठभेड़ शुरू हो गई, जिसमें कम से कम तीन सैनिक घायल हो गए।

सेना के अधिकारियों ने बताया कि कुपवाड़ा के माछिल सेक्टर में कुमकाडी पोस्ट के पास सुबह गोलीबारी हुई। गोलीबारी में मेजर समेत सेना के पांच जवान घायल हो गए। सभी को इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाया गया, जहां एक जवान की मौत हो गई। अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तानी बॉर्डर एक्शन टीम ने घात लगाकर सेना पर हमला किया। उन्होंने आगे बताया कि सुरक्षाबलों को कुमकाडी पोस्ट के पास तलाशी के दौरान कुछ आतंकवादी गतिविधि का पता चला। जब सुरक्षाबलों ने ऑपरेशन चलाया तो आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी। इसके बाद सुरक्षाबलों ने भी जवाबी कार्रवाई की। मुठभेड़ में एक पाकिस्तानी आतंकी मारा गया जबकि हमारे पांच जवान घायल हो गए। बाद में इलाज के दौरान एक जवान की मौत हो गई।

रक्षा विभाग की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक, माछिल सेक्टर में मुठभेड़ हुई है। भारतीय सेना ने घुसपैठ की कोशिश को नाकाम कर दिया है। पाकिस्तानी बोर्ड एक्शन टीम (BAT) ने भातीय सेना के जवानों पर एलओसी पर हमला कर दिया। इस हमले में पाकिस्तान की सेना भी शामिल थी। जो कि आतंकी संगठनों के साथ मिलकर काम करती है।

कुपवाड़ा में पिछले एक महीने में यह चौथा एनकाउंटर है। इससे पहले कुपवाड़ा में मंगलवार यानी 23 जुलाई को भी सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ हुई थी। सुरक्षाबल आतंकवाद विरोधी अभियान चला रहे थे। इस दौरान उनका सामना आतंकियों से हो गया था, जिसके बाद जिले के लोलाब इलाके में एनकाउंटर शुरू हो गया था। कश्मीर संभाग की पुलिस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा था, “सुरक्षाबलों को कुपवाड़ा के लोलाब में त्रिमुखा टॉप के पास आतंकवादियों की उपस्थिति की जानकारी मिली जिसके बाद अभियान शुरू किया गया।” मुठभेड़ में एक अज्ञात आतंकवादी को भी मार गिराया गया था। मुठभेड़ में एक जवान भी शहीद हो गए थे।

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने बदला रामनगर जिले का नाम, बीजेपी बोली- श्री राम से इतनी नफरत क्यों

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कर्नाटक सरकार ने रामनगर जिले का नाम बदलकर बेंगलुरु दक्षिण करने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में यह फैसला लिया गया। सरकार के इस फैसले का भाजपा और जेडीएस ने विरोध किया है। कर्नाटक सरकार के इस फैसले को लेकर बीजेपी ने आलोचना की है, उन्होंने पार्टी पर राम विरोधी होने का भी आरोप लगाया है। वहीं, कहना है कि रामनगर में रियल एस्टेट को बढ़ाने की मंशा से नाम बदला गया है। इस तरह के कदम से विकास नहीं होगा। केंद्रीय मंत्री डीके कुमारस्वामी ने रामनगर का नाम बदलने को लेकर डीके शिवकुमार की आलोचना की और आमरण अनशन करने की चेतावनी दी है।

कर्नाटक सरकार ने शुक्रवार यानी 26 जुलाई को एक बड़ा फैसला लिया, जिसमें रामनगर जिले का नाम बदलकर बेंगलुरु साउथ रखा जा रहा है। यह फैसला मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया। इस बात की घोषणा कानून एवं संसदीय कार्य मंत्री एच के पाटिल ने की। एच के पाटिल ने कहा, हमने रामनगर जिले का नाम बदलकर बेंगलुरु दक्षिण करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा, 'नाम बदलने का फैसला वहां के लोगों की मांग पर किया गया है। राजस्व विभाग इस प्रक्रिया को शुरू करेगा। उन्होंने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद पत्रकारों कहा, सिर्फ जिले का नाम बदलेगा, बाकी सब वही रहेगा।

उन्हें राम के नाम से भी समस्या- प्रल्हाद जोशी

केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद प्रल्हाद जोशी ने कर्नाटक सरकार के इस फैसले पर निशाना साधा है। उन्होंने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा, रामनगर जिले का नाम बदलने का ये फैसला राम और राम मंदिर के प्रति उनकी एलर्जी को दर्शाता है। यहां तक कि अब उन्हें राम के नाम से भी समस्या होने लगी। 

कांग्रेस ने पहले भी भगवान राम के अस्तित्व पर सवाल उठाया है-पूनावाला

वहीं, बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MUDA) से जुड़े कई घोटालों में कांग्रेस सरकार के शामिल होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक सरकार अन्य मुद्दों और जनता की परेशानियों से जनता का ध्यान भटका रही है, सरकार इन सभी को दूर करने की बजाय रामनगर जिले का नाम बदलने का विकल्प चुना। उन्होंने कांग्रेस पर सवाल उठाते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी को भगवान श्री राम से इतनी नफरत क्यों है? कर्नाटक में, जहां ‘मुडा घोटाला’ और ‘वाल्मीकि घोटाला’ जैसे घोटाले चल रहे हैं, वहां जनता के मुद्दों को सुलझाने के बजाय रामनगर का नाम बदल दिया गया। पूनावाला ने कांग्रेस से सवाल करते हुए कहा कि क्या कर्नाटक सरकार ने यह फैसला अपने रियल एस्टेट के फील्ड में शामिल दोस्तों के फायदे के लिए और भगवान राम के लिए दुश्मनी की वजह से लिया है। उन्होंने आगे कांग्रेस के खिलाफ बोलते हुए कहा कि कांग्रेस ने पहले भी भगवान राम के अस्तित्व पर सवाल उठाया है, इतना ही नहीं उन्होंने राम मंदिर बनाने के समय भी विरोध किया था, कांग्रेस ने हिंदू आतंकवाद का भी कई बार जिक्र किया है। कांग्रेस के सहयोगियों ने रामचरितमानस के बारे में भी अपमानजनक टिप्पणी की है।

कुमारस्वामी ने अनशन पर बैठने की दी धमकी

वहीं, केंद्रीय मंत्री कुमारस्वामी ने रामनगर का नाम बदलने को लेकर डीके शिवकुमार की आलोचना की और आमरण अनशन करने की चेतावनी दी है। केंद्रीय मंत्री डीके कुमारस्वामी ने कहा, रामनगर से मेरा कोई कारोबारी रिश्ता नहीं, बल्कि भावनात्मक रिश्ता है। अगर रामनगर जिले का नाम बदला जाता है तो मैं अपनी जान जोखिम में डालने और खराब स्वास्थ्य के बावजूद आमरण अनशन पर बैठने के लिए तैयार हूँ। आखिरी क्षण तक मैं उस जिले के गौरव की रक्षा के लिए लडूँगा।

पीएम मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की मीटिंग शुरू, इन सात राज्यों के सीएम ने बैठक से बनाई दूरी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक शुरू हो गई है। देश भर के मुख्यमंत्री इस बैठक में हिस्सा ले रहे हैं। बैठक राष्ट्रपति भवन के कल्चरल सेंटर में हो रही है। इंडिया गठबंधन शासित राज्यों में सिर्फ बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस बैठक में हिस्सा ले रही हैं। मीटिंग से पहले ममता बनर्जी ने नीति आयोग को लेकर ही सवाल उठा दिया. उन्होंने कहा कि इसे बंद कर फिर से योजना आयोग लाया जाए। वहीं, गैर बीजेपी शासित सात राज्यों के सीएम ने बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया है।

बैठक में इन राज्यों के मुख्यमंत्री करेंगे शिरकत

नीति आयोग की बैठक में शामिल होने वाले सीएम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, अरुणाचल के मुख्यमंत्री पेमा खांडू, अरुणाचल के उपमुख्यमंत्री चौना मीन, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साह, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा

मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा का नाम शामिल है। 

सात राज्यों के सीएम का बैठक में शामिल होने से इनकार

तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, केरल और झारखंड के मुख्यमंत्रियों ने नीति आयोग की बैठक में शामिल होने से इनकार किया है। तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी ने केंद्र सरकार पर राज्य के अधिकारों की अनदेखी करने और बकाया फंड जारी न करने का आरोप लगाते हुए 27 जुलाई को दिल्ली में होने वाली नीति आयोग की आगामी बैठक का बहिष्कार करने का फैसला किया है। नीति आयोग की आज होने वाली बैठक से हेमंत सोरेन ने भी दूरी बना ली है। हालांकि, पहले खबर थी कि वह बैठक में भाग लेंगे लेकिन अब वह इंडिया गठबंधन के फैसले के साथ रहेंगे। इसकी बड़ी वजह केंद्रीय बजट में राज्य की अनदेखी रही। केंद्र सरकार पर राज्य का 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपया बकाया है। खबर है कि झारखंड बकाया की मांग आगे भी जारी रखेगा।

नीति आयोग की बैठक में 15 केंद्रीय मंत्री भी होंगे शामिल

नीति आयोग की बैठक में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण चार पदेन सदस्य होंगे। इनके अलावा सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा, भारी उद्योग मंत्री एच डी कुमारस्वामी और एमएसएमई मंत्री जीतन राम मांझी नीति आयोग में विशेष आमंत्रित सदस्य बनाए गए हैं। इनके अलावा विशेष आमंत्रित सदस्यों में पंचायती राज मंत्री लल्लन सिंह, सामाजिक न्याय मंत्री वीरेंद्र कुमार, नागरिक उड्डयन मंत्री के राममोहन नायडू, आदिवासी मामलों के मंत्री जुएल ओराम, महिला एवं बाल कल्याण मंत्री अन्नपूर्णा देवी, खाद्य प्रसंस्करण मंत्री चिराग पासवान और राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार राव इंद्रजीत सिंह शामिल हैं।

बैठक की थीम ‘विकसित भारत है

नीति आयोग की इस बैठक में विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में राज्यों की भूमिका पर विस्तार से चर्चा की जाएगी। बैठक की थीम ‘विकसित भारत है। इसका मुख्य फोकस भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाना है। नीति आयोग की बैठक के बाद ‘सीएम कॉन्क्लेव’ होगा, जिसमें राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री हिस्सा लेंगे। बैठक के दौरान राज्य सरकार की ओर से नीति आयोग को एक रिपोर्ट सौंपी जाएगी। इस रिपोर्ट के साथ केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से संचालित योजना पर चर्चा होगी। बैठक में 2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी, विकसित राष्ट्र में राज्यों की भूमिका, पेयजल-बिजली, स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा, देश-राज्यों के विकास का रोडमैप, केंद्र-राज्य सरकारों में सहयोग और डिजिटलीकरण जैसे विषयों पर चर्चा होगी।

अमेरिका दौरे पर आए इजराइली पीएम नेतन्याहू को कमला हैरिस की दो टूक, बोलीं- अब युद्ध खत्म करने का वक्त

#kamala_harris_presses_netanyahu_over_humanitarian_situation_and_gaza_ceasefire 

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ प्रेजिडेंट पद की रेस में शामिल कमला हैरिस ने इजरायल-हमास युद्ध के बीच गाजा में मचे हुए त्राहिमाम को लेकर इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को नसीहत दी है। उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने बेंजामिन नेतन्याहू से साफ कहा कि अब वक्त आ गया है कि युद्ध विराम समझौते को अंतिम रूप दे दिया जाए।

नेतन्याहू ने अमेरिका दौरे पर बुधवार को चौथी बार अमेरिकी संसद के ज्वाइंट सेशन को संबोधित किया था।अपने पूर संबोधन के दौरान व ये साबित करने में लगे रहे कि गाजा में चल रहा युद्ध कितना जरूरी है। बेंजामिन नेतन्याहू ने अपना ये दौरा इजराइल को दी जाने वाली मदद को बढ़ाने की मांग को लेकर किया था।संबोधन के बाद 25 जुलाई को नेतन्याहू ने कमला हैरिस से मुलाकात की, मुलाकात के दौरान कमला ने गाजा की मानवीय स्थिति पर चिंता जताई है और युद्ध विराम का आग्रह किया।

कमला हैरिस ने इस मुलाकात के तत्काल बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैंने यह कई बार कहा है, लेकिन इसे दोहराना जरूरी है। इजराइल को अपना बचाव करने का अधिकार है और वह ऐसा किस तरीके से करता है, यह मायने रखता है। हमास एक क्रूर आतंकवादी संगठन है। हमास ने सात अक्टूबर को 44 अमेरिकियों सहित 1,200 निर्दोष लोगों की हत्या कर इस युद्ध की शुरुआत की। हमास ने यौन हिंसा के भयानक कृत्य किए हैं और 250 लोगों को बंधक बनाया है। ऐसे अमेरिकी नागरिक हैं जो गाजा में बंदी बने हुए हैं।’’

हैरिस ने कहा ‘‘मैंने वहां की भयावह मानवीय स्थिति के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त की है। वहां 20 लाख से अधिक लोग खाद्य असुरक्षा और पांच लाख लोग गंभीर स्तर की खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं। पिछले नौ महीने में गाजा में जो कुछ हुआ है, वह विनाशकारी है।’’ हैरिस ने कहा, ‘‘कई मामलों में दूसरी, तीसरी या चौथी बार विस्थापित होने के बाद सुरक्षा के लिए भाग रहे हताश, भूखे लोगों और मृत बच्चों की तस्वीरें हैं। हम इन त्रासदियों के सामने आंखें नहीं मूंद सकते। मैं चुप नहीं रहूंगी।’’ 

कमला हैरिस ने नेतन्याहू के सामने बाइडेन के महीनों पुराने युद्ध समझौते को दोहराते हुए, उसे अमल में लाने की सलाह दी है। कमला ने कहा, “गाजा में क्रूर युद्ध का अंत करना अब जरूरी है, जहां 39 हजार से ज्यादा फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं।” 

अमेरिका की उपराष्ट्रपति ने कहा कि युद्ध विराम और बंधकों की रिहाई के समझौते को लेकर वार्ता जारी है। उन्होंने कहा कि समझौते के पहले चरण में पूर्ण युद्ध विराम होगा, जिसके तहत गाजा के आबादी वाले केंद्रों से इजराइजी सेना की वापसी होगी और दूसरे चरण में, इजराइली सेना गाजा से पूरी तरह से पीछे हट जाएगी और इससे शत्रुता का स्थायी अंत होगा। उन्होंने कहा, ‘‘इस युद्ध को समाप्त करने का समय आ गया है और यह इस तरह से समाप्त होना चाहिए कि इजराइल सुरक्षित हो, सभी बंधकों को रिहा किया जाए, गाजा में फलस्तीनियों की पीड़ा समाप्त हो और फलस्तीनी स्वतंत्रता, गरिमा एवं आत्मनिर्णय के अपने अधिकार का प्रयोग कर सकें। इस समझौते को लेकर वार्ता में आशाजनक प्रगति हुई है।

कमला का ये बयान तब आया जब एक दिन पहले ही नेतन्याहू ने अपने संबोधन में हमास के खिलाफ “पूर्ण विजय” की कसम खाई थी और हमास के खात्मे तक जंग जारी रखने की बात कही थी।नेतन्याहू ने हमास के खिलाफ जंग को जल्द खत्म करने के लिए अमेरिका से और हथियार मांगे हैं। नेतन्याहू के संबोधन से पहले बुधवार को अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन में कई जगहों पर प्रदर्शन हुए थे।

कांवड़ मार्गों पर नेम प्लेट के बाद एक और विवाद, मस्जिद और मजारों को तिरपाल से ढका गया

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उत्तर प्रदेश और उत्तराकंड में कांवड़ यात्रा रूट के ढाबों, ठेलों और दुकानों पर नाम लिखकर पहचान बताने वाला विवाद अभी पूरी तरह से थमा नहीं है कि एक इस बीच प्रशासन के ओक और फैसले पर सवाल उठने लगे हैं। दरअसल, अब उत्तराखंड के हरिद्वार में कांवड़ रूट पर पड़ने वाले मस्जिद और मजारों को त्रिपाल से ढक दिया गया। विवाद बढ़ने के बाद प्रशासन ने मस्जिदों और मजारों से पर्दा हटा लिया है।

दरअसल, यहां ज्वालापुर के रामनगर कॉलोनी स्थित मस्जिद और दुर्गा चौक के पास स्थित मजार के गेट पर बड़ा तिरपाल लगाया गया है।मजार और मस्जिद के केयरटेकर और मौलाना प्रशासन के इस फैसले से अनजान है। उनका कहना है कि इस संबंध में उनसे कोई बात नहीं की गई है। हालांकि इससे पहले कावड़ यात्रा के दौरान मस्जिद और मजार को कभी नहीं ढका गया। यह पहली बार था जब इस तरह से मस्जिद और मजार को ढका गया।

सरकार के आला मंत्री कह रहे हैं कि फैसला ठीक है। मकसद है कि कांवड़ यात्रा व्‍यवस्थित तरीके से चले।कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि कावड़ यात्रा व्यवस्थित रूप से चले, इसके लिए मस्जिद और मजारों को ढका गया था। सतपाल महाराज ने कहा कि कावड़ यात्रा के दौरान कोई उत्तेजना न हो और भड़के नहीं, इसका ध्यान रखा गया है। उन्होंने कहा कि जब कोई निर्माण कार्य होता है, तब भी ढक दिया जाता है।

बता दें कि इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर पड़ने वाली दुकानदारों को दुकान पर नाम लिखने के दिशा निर्देश जारी किए थे। जिसके बाद उत्तराखंड सरकार ने भी ऐसा ही आदेश जारी किया। सरकार के इन दिशा-निर्देशों की खूब आलोचना हुई। सरकार के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर हुईं, जिन पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में राज्य सरकार के आदेश पर रोक लगा दी है।

समर्थन मूल्य पर कानून बनाएगी सरकार? कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संसद में किया बड़ा ऐलान

 मानसून सत्र के दौरान शुक्रवार को संसद में न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया। सपा सांसद ने एमएसपी को लेकर सवाल किया। इस सवाल का सरकार की ओर से कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जवाब दिया। शिवराज ने एमएसपी को लेकर बड़ी बात कही।

राज्यसभा में किसानों के मुद्दे पर प्रश्नकाल के दौरान जोरदार हंगामा हुआ। प्रश्नकाल के दौरान समाजवादी पार्टी के सांसद रामजी लाल सुमन ने 12 जुलाई 2000 को किसानों की समस्याओं पर बनी कमेटी की बैठकों के ब्यौरे को लेकर सवाल किया। इसके जवाब में कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि किसान हमारे लिए भगवान की तरह है और किसान की सेवा हमारे लिए पूजा जैसी है। 

उन्होंने कहा कि इस समिति का गठन तीन उद्देश्यों- एमएसपी उपलब्ध कराने और व्यवस्था को पारदर्शी बनाने के साथ कृषि मूल्य को अधिक स्वायत्तता और कृषि वितरण प्रणाली के लिए सुझाव देने के लिए। कृषि मंत्री ने कहा कि समिति की 22 बैठकें हो चुकी हैं। समिति जो सिफारिश देगी, उस पर विचार किया जाएगा।

इस पर रामजी लाल सुमन ने कहा कि ये अनिश्चचितता का वातावरण है। ये कब दूर होगा, ये जो किसान को भगवान बता रहे हैं, इनको किसानों से कोई लेना-देना नहीं है। सीधा जवाब दीजिए कि आप एमएसपी को कानूनी दर्जा देना चाहते हैं या नहीं देना चाहते, बचिए मत। इसके बाद सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि राम, शिव से सवाल पूछ रहे हैंय़ जवाब में शिवराज ने कहा कि एमएसपी की दरें किसान को ठीक दाम देने के लिए लगातार बढ़ाई गई है। ये गलत आरोप लगा रहे हैं। सरकार की छह सूत्रीय रणनीति है।

शिवराज ने उत्पादन बढ़ाने से लेकर लागत घटाने तक के उपाय गिनाए और कहा कि हमें किसान विरोधी कहा जा रहा है। नरेंद्र मोदीजी से बड़ा किसान हितैषी कोई है नहीं। उचित दाम देने के लिए समिति की रिपोर्ट आएगी तब हम कार्रवाई करेंगे। लेकिन तब तक हम चुप नहीं बैठे हैं। उन्होंने फसलों के एमएसपी के दाम बढ़ाए जाने के आंकड़े गिनाए और कहा कि इन 23 फसलों के दाम देख लीजिए। इस दौरान विपक्ष के सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया।

कृषि मंत्री ने किसानों के लिए सम्मान निधि के साथ ही गेहूं-धान की खरीद बढ़ने का भी जिक्र किया। शिवराज ने कहा कि सरकार फर्टिलाइजर पर 1 लाख 68 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी दे रही है। कदम जरूरी हैं, जिन्हें लेकर सरकार गंभीर है। इसके बाद रणदीप सुरजेवाला और विपक्ष के अन्य सांसदों ने एमएसपी की लीगल गारंटी को लेकर हंगामा शुरू कर दिया।