पार्श्व गायक मुकेश चन्द्र माथुर की 101वीं जयंती आज ,मुकेश के लिए राज कपूर ने कहा था, 'अगर मैं जिस्म हूं तो मुकेश मेरी आत्मा’
नयी दिल्ली : मुकेश के नाम से मशहूर पार्श्व गायक मुकेश चन्द्र माथुर का आज जन्मदिन है। 22 जुलाई 1923 को दिल्ली में पैदा हुए मुकेश की मृत्यु 27 अगस्त 1976 को अमेरिका में हुई। वो भारत में संगीत इतिहास के सर्वश्रेष्ठ गायकों में से एक थे। पेशे से एक इन्जीनियर के घर में पैदा होने वाले मुकेश चन्द माथुर के अन्दर वह सलाहियत थी कि वह एक अच्छे गायक बनकर उभरें, और हुआ भी यही। कुदरत ने उनके अंदर जो काबलियत दी थी, वह लोगों के सामने आई और मुकेश की आवाज़ का जादू पूरी दुनिया के सिर चढ़ कर बोला।
जीवन परिचय
जाने वाले हो सके तो लौट के आना' (फ़िल्म बन्दिनी से), 'दोस्त दोस्त ना रहा' (फ़िल्म सन्गम से), जैसे गानों को अपनी आवाज़ के जरिए दर्द में ड़ुबो दिया तो वही 'किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार' (फ़िल्म अन्दाज़ से), 'जाने कहाँ गये वो दिन' (फ़िल्म मेरा नाम जोकर से), 'मैंने तेरे लिये ही सात रंग के सपने चुने' (फ़िल्म आनन्द से), 'कभी कभी मेरे दिल में खयाल आता है' (फ़िल्म कभी कभी से), 'चन्चल शीतल निर्मल कोमल' (फ़िल्म 'सत्यम शिवम सुन्दरम्' से) जैसे गाने गाकर प्यार के एहसास को और गहरा करने में कोई कसर ना छोड़ी। यही नहीं मकेश ने अपनी आवाज़ में 'मेरा जूता है जापानी' (फ़िल्म आवारा) जैसा गाना गाकर लोगों को सारा गम भूल कर मस्त हो जाने का भी मौका दिया। मुकेश द्वारा गाई गई 'तुलसी रामायण' आज भी लोगों को भक्ति भाव से झूमने को मजबूर कर देती है।
क़रीब 200 से अधिक फ़िल्मो में आवाज़ देने वाले मुकेश ने संगीत की दुनिया में अपने आपको 'दर्द का बादशाह' तो साबित किया ही, इसके साथ साथ वैश्विक गायक के रूप में अपनी पहचान भी बनाई। 'फ़िल्म फ़ेयर पुरस्कार' पाने वाले वह पहले पुरुष गायक थे।
पुरस्कार
1959 - फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार- सब कुछ सीखा हमनें (अनाड़ी)
1970 - फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार- सबसे बड़ा नादान वही है (पहचान)
1972 - फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार- जय बोलो बेईमान की जय बोलो
1974 - नेशनल पुरस्कार- कई बार यूँ भी देखा है (रजनी गंधा)
1976 - फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार- कभी-कभी मेरे दिल में ख्याल आता है (कभी कभी)
निधन
मुकेश का निधन 27 अगस्त 1976 को दिल का दौरा पड़ने के कारण संयुक्त राज्य अमरीका में हुआ। मुकेश के गीतों की चाहत उनके चाहने वालों के दिलों में सदा जीवित रहेगी। उनके गीत हम सबके लिए प्रेम, हौसला और आशा का वरदान हैं। मुकेश जैसे महान् गायक न केवल दर्द भरे गीतों के लिए, बल्कि वो तो हम सबके दिलों में सदा के लिए बसने के लिए बने थे। उनकी आवाज़ का अनोखापन, भीगे स्वर संग हल्की-सी नासिका लिए हुए न जाने कितने संगीत प्रेमियों के दिलों को छू जाती है। वो एक महान गायक तो थे ही, साथ ही एक बहुत अच्छे इंसान भी थे। वो सदा मुस्कुराते रहते थे और खुशी-खुशी लोगों से मिलते थे। इनके निधन पर राज कपूर ने कहा था- मेरी आवाज़ और आत्मा दोनों चली गई।
Jul 22 2024, 13:25