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आज का इतिहास:1947 में आज ही के दिन संविधान सभा ने तिरंगे को ‘राष्ट्रीय ध्वज’ के तौर पर किया था अंगीकार


नयी दिल्ली : देश और दुनिया में 22 जुलाई का इतिहास कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी है और कई महत्वपूर्ण घटनाएं इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गई है। 22 जुलाई का इतिहास काफी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि 1947 में आज ही के दिन संविधान सभा ने तिरंगे को देश के राष्ट्रीय ध्वज के तौर पर अंगीकार किया था। 

भारतीय झंडा, जिसे तिरंगा भी कहा जाता है भारत की आज़ादी, लोकतंत्र और विविधता का प्रतीक है। 

1981 में आज ही के दिन भारत के पहले भूस्थिर उपग्रह एप्पल ने कार्य करना शुरू किया था। 2012 में 22 जुलाई को ही प्रणव मुखर्जी भारत के 13वें राष्ट्रपति निर्वाचित किया गया था। 2001 में 22 जुलाई को ही समूह-आठ के देशों का जेनेवा में सम्मेलन संपन्न हुआ था

22 जुलाई का इतिहास इस प्रकार है :

2014 में आज ही के दिन एक रिपोर्ट में 9/11 हमले को सरकारी संस्थाओं की नाकामी करार दिया गया था।

2012 में आज ही के दिन प्रणव मुखर्जी भारत के 13वें राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे।

2003 में 22 जुलाई को ही इराक में हवाई हमले में तानाशाह सद्दाम हुसैन के दो बेटे मारे गए थे।

2001 में शेर बहादुर देउबा नेपाल के नए प्रधानमंत्री बने थे।

2001 में आज ही के दिन समूह-आठ के देशों का जेनेवा में सम्मेलन संपन्न हुआ था।

1988 में आज ही के दिन अमेरिका के 500 वैज्ञानिकों ने पेंटागन में जैविक हथियार बनाने के शोध का बहिष्कार करने की शपथ ली थी।

1981 में 22 जुलाई को ही भारत के पहले भूस्थिर उपग्रह ऐपल ने कार्य करना शुरू किया था।

1969 में आज ही के दिन सोवियत संघ ने स्पूतनिक 50 और मोलनिया 112 संचार उपग्रहों का प्रक्षेपण किया था।

1947 में 22 जुलाई को ही संविधान सभा ने तिरंगे को देश के राष्ट्रीय ध्वज के तौर पर अंगीकार किया था।

1918 में 22 जुलाई को ही भारत के पहले पायलट इंद्रलाल राय लंदन के आसपास जर्मनी के विमानों के साथ संघर्ष में मारे गए थे।

1894 में 22 जुलाई को ही पहली लोकसभा के सदस्य सरदार तेजा सिंह अकरपुरी का जन्म हुआ था।

1775 में आज ही के दिन जॉर्ज वॉशिंगटन ने अमेरिकी सेना की कमान संभाली थी।

1731 में आज ही के दिन स्पेन ने वियना संधि पर हस्ताक्षर किए थे।

22 जुलाई को जन्मे प्रसिद्ध व्यक्ति

2013 में आज ही के दिन ब्रिटेन के राजकुमार विलियम और केट मिडिलटन के पहले पुत्र प्रिंस जॉर्ज का जन्म हुआ था।

1970 में आज ही के दिन महाराष्ट्र के 18वें मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस का जन्म हुआ था।

1965 में 22 जुलाई के दिन ही रेमन मैगसेसे पुरस्कार’ से सम्मानित प्रसिद्ध भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पांडेय का जन्म हुआ था।

1947 में 22 जुलाई को ही संगीतकार डॉनल्ड ह्यू डॉन हेनली का जन्म हुआ था।

1923 में आज ही के दिन प्रसिद्ध पार्श्व गायक मुकेश का जन्म हुआ था।

1898 में 22 जुलाई के दिन ही प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीत गायक विनायकराव पटवर्धन का जन्म हुआ था।

22 जुलाई को हुए निधन

1968 में आज ही के दिन भारत की प्रसिद्ध महिला चिकित्सक और पद्म भूषण प्राप्तकर्ता मुत्तू लक्ष्मी रेड्डी का निधन हुआ था।

1933 में 22 जुलाई के दिन ही भारतीय स्वाधीनता संग्राम के प्रमुख नायकों में से एक यतीन्द्र मोहन सेन गुप्त का निधन हुआ था।

पार्श्व गायक मुकेश चन्द्र माथुर की 101वीं जयंती आज ,मुकेश के लिए राज कपूर ने कहा था, 'अगर मैं जिस्म हूं तो मुकेश मेरी आत्मा’


नयी दिल्ली : मुकेश के नाम से मशहूर पार्श्व गायक मुकेश चन्द्र माथुर का आज जन्‍मदिन है। 22 जुलाई 1923 को दिल्ली में पैदा हुए मुकेश की मृत्यु 27 अगस्त 1976 को अमेरिका में हुई। वो भारत में संगीत इतिहास के सर्वश्रेष्‍ठ गायकों में से एक थे। पेशे से एक इन्जीनियर के घर में पैदा होने वाले मुकेश चन्द माथुर के अन्दर वह सलाहियत थी कि वह एक अच्छे गायक बनकर उभरें, और हुआ भी यही। कुदरत ने उनके अंदर जो काबलियत दी थी, वह लोगों के सामने आई और मुकेश की आवाज़ का जादू पूरी दुनिया के सिर चढ़ कर बोला।

जीवन परिचय

जाने वाले हो सके तो लौट के आना' (फ़िल्म बन्दिनी से), 'दोस्त दोस्त ना रहा' (फ़िल्म सन्गम से), जैसे गानों को अपनी आवाज़ के जरिए दर्द में ड़ुबो दिया तो वही 'किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार' (फ़िल्म अन्दाज़ से), 'जाने कहाँ गये वो दिन' (फ़िल्म मेरा नाम जोकर से), 'मैंने तेरे लिये ही सात रंग के सपने चुने' (फ़िल्म आनन्द से), 'कभी कभी मेरे दिल में खयाल आता है' (फ़िल्म कभी कभी से), 'चन्चल शीतल निर्मल कोमल' (फ़िल्म 'सत्यम शिवम सुन्दरम्' से) जैसे गाने गाकर प्यार के एहसास को और गहरा करने में कोई कसर ना छोड़ी। यही नहीं मकेश ने अपनी आवाज़ में 'मेरा जूता है जापानी' (फ़िल्म आवारा) जैसा गाना गाकर लोगों को सारा गम भूल कर मस्त हो जाने का भी मौका दिया। मुकेश द्वारा गाई गई 'तुलसी रामायण' आज भी लोगों को भक्ति भाव से झूमने को मजबूर कर देती है। 

क़रीब 200 से अधिक फ़िल्‍मो में आवाज़ देने वाले मुकेश ने संगीत की दुनिया में अपने आपको 'दर्द का बादशाह' तो साबित किया ही, इसके साथ साथ वैश्विक गायक के रूप में अपनी पहचान भी बनाई। 'फ़िल्‍म फ़ेयर पुरस्‍कार' पाने वाले वह पहले पुरुष गायक थे। 

पुरस्कार

1959 - फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार- सब कुछ सीखा हमनें (अनाड़ी)

1970 - फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार- सबसे बड़ा नादान वही है (पहचान)

1972 - फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार- जय बोलो बेईमान की जय बोलो 

1974 - नेशनल पुरस्कार- कई बार यूँ भी देखा है (रजनी गंधा)

1976 - फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार- कभी-कभी मेरे दिल में ख्याल आता है (कभी कभी)

निधन

मुकेश का निधन 27 अगस्त 1976 को दिल का दौरा पड़ने के कारण संयुक्त राज्य अमरीका में हुआ। मुकेश के गीतों की चाहत उनके चाहने वालों के दिलों में सदा जीवित रहेगी। उनके गीत हम सबके लिए प्रेम, हौसला और आशा का वरदान हैं। मुकेश जैसे महान् गायक न केवल दर्द भरे गीतों के लिए, बल्कि वो तो हम सबके दिलों में सदा के लिए बसने के लिए बने थे। उनकी आवाज़ का अनोखापन, भीगे स्वर संग हल्की-सी नासिका लिए हुए न जाने कितने संगीत प्रेमियों के दिलों को छू जाती है। वो एक महान गायक तो थे ही, साथ ही एक बहुत अच्छे इंसान भी थे। वो सदा मुस्कुराते रहते थे और खुशी-खुशी लोगों से मिलते थे। इनके निधन पर राज कपूर ने कहा था- मेरी आवाज़ और आत्मा दोनों चली गई।

जम्मू-कश्मीर में कॉन्स्टेबल भर्ती के लिए अधिसूचना जारी, आवेदन 30 जुलाई से होंगे शुरू


नई दिल्ली:- जम्मू और कश्मीर सर्विस सिलेक्शन बोर्ड (JKSSB) की ओर से कॉन्स्टेबल के 4 हजार से अधिक पदों पर भर्ती के लिए अधिसूचना जारी कर भर्ती का एलान किया गया है। अधिसूचना के मुताबिक इस भर्ती के लिए आवेदन प्रक्रिया 30 जुलाई 2024 से शुरू की जाएगी जो 29 अगस्त 2024 तक जारी रहेगी। 

पात्र एवं इच्छुक अभ्यर्थी इस भर्ती में भाग लेने के लिए तय तिथियों में ऑनलाइन माध्यम से जेकेएसएसबी की ऑफिशियल वेबसाइट jkssb.nic.in जाकर आवेदन कर सकेंगे। फॉर्म भरने से पहले उम्मीदवार पात्रता की जांच अवश्य कर लें।

चयन प्रक्रिया

इस भर्ती में आवेदन करने वाले उम्मीदवारों को सबसे पहले लिखित परीक्षा से होकर गुजरना होगा। रिटेन टेस्ट में निर्धारित कटऑफ अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों को फिजिकल फिटेनस टेस्ट (PFT)/ फिजिकल एन्ड्योरेंस टेस्ट (PET) में शामिल होना होगा। इन प्रक्रिया में सफल अभ्यर्थियों को अंत में मेडिकल एग्जामिनेशन में शामिल होना होगा। सभी चरणों में सफल उम्मीदवारों को अंतिम मेरिट लिस्ट में जगह प्रदान की जाएगी।

कैसे कर सकेंगे आवेदन

इस भर्ती में शामिल होने के लिए सबसे पहले आधिकारिक वेबसाइट jkssb.nic.in पर जाना होगा।वेबसाइट के होम पेज पर आपको भर्ती से संबंधित लिंक पर क्लिक करना होगा।अब आपको पहले रजिस्ट्रेशन लिंक पर क्लिक करके मांगी गई डिटेल भरनी है और पंजीकरण करना है।रजिस्ट्रेशन होने के बाद अभ्यर्थी अन्य डिटेल भरकर आवेदन प्रक्रिया पूर्ण कर लें।

अंत में अभ्यर्थी निर्धारित शुल्क जमा करके पूर्ण रूप से भरे हुए फॉर्म का एक प्रिंटआउट निकालकर सुरक्षित रख लें।

कितना लगेगा शुल्क

इस भर्ती में शामिल होने के लिए अन्य सभी श्रेणियों के अभ्यर्थियों को 700 रुपये शुल्क जमा करना होगा वहीं एससी, एसटी-1, एसटी-2 और ईडब्ल्यूएस वर्ग के उम्मीदवारों को एप्लीकेशन फीस के रूप में 600 रुपये का भुगतान करना होगा। भर्ती से जुड़ी अधिक डिटेल के लिए अभ्यर्थी एक बार ऑफिशियल अधिसूचना का अवलोकन अवश्य कर लें।

आईबीपीएस क्लर्क भर्ती के लिए आवेदन की अंतिम तिथि आज, 6 हजार से अधिक पदों पर हो रही भर्ती


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नई दिल्ली:- बैंक में सरकारी नौकरी पाने का सपना देख रहे अभ्यर्थियों के लिए बड़ी खबर है। इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग पर्सोनेल सेलेक्शन (IBPS) की ओर से राष्ट्रीय बैंक्स में क्लर्क (CRP CLERKS-XIV) के 6,148 पदों पर भर्ती हो रही है। इस भर्ती के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 21 जुलाई 2024 निर्धारित है। ऐसे में जो भी अभ्यर्थी अभी तक किसी कारणवश फॉर्म नहीं भर सके हैं वे बिना देरी करते हुए तुरंत ही ऑफिशियल वेबसाइट www.ibps.in पर जाकर या इस पेज पर दिए डायरेक्ट लिंक पर क्लिक करके आवेदन प्रक्रिया पूर्ण कर सकते हैं।

पात्रता एवं मापदंड

इस भर्ती में भाग लेने के लिए अभ्यर्थी का किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय/ संस्थान से किसी भी स्ट्रीम से ग्रेजुएशन उत्तीर्ण होना आवश्यक है। इसके साथ ही अभ्यर्थी की न्यूनतम आयु 20 वर्ष से कम और अधिकतम आयु 28 साल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए अर्थात अभ्यर्थी का जन्म 2 जुलाई 1996 से पहले और 1 जुलाई 2004 के बीच हुआ हो। आरक्षित श्रेणी से आने वाले उम्मीदवारों को ऊपरी आयु में छूट दी गई है।

कैसे करें आवेदन

इस भर्ती में आवेदन के लिए सबसे पहले आधिकारिक वेबसाइट www.ibps.in पर विजिट करें।

यहां आपको आईबीपीएस क्लर्क भर्ती लिंक पर क्लिक करके आगे बढ़ना है।

एप्लीकेशन पोर्टल पर पहुंचकर सबसे पहले आपको Click here for New Registration लिंक पर क्लिक करना होगा।

पंजीकरण होने के बाद अभ्यर्थी अन्य डिटेल, हस्ताक्षर एवं फोटोग्राफ अपलोड करें।

इसके बाद अंत में अभ्यर्थी निर्धारित शुल्क जमा करें।

शुल्क जमा करने के बाद उम्मीदवार अपना एप्लीकेशन फॉर्म प्रिंट कर लें।

हरियाणा में स्टेनो एवं कॉमर्स ग्रुप के तहत बंपर पदों पर भर्ती का एलान, 31 जुलाई तक कर सकते हैं अप्लाई


नई दिल्ली:- हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (HSSC) की ओर से कॉमर्स ग्रुप एवं स्टेनो ग्रुप के तहत बम्पर पदों पर भर्ती का एलान किया गया है। इस भर्ती के लिए आवेदन प्रक्रिया 21 जुलाई से शुरू होकर 31 जुलाई 2024 तक पूर्ण की जाएगी। जो भी अभ्यर्थी सरकारी नौकरी की तलाश में हैं और इन पदों के लिए योग्यता पूरी करते करते हैं वे ऑनलाइन माध्यम से तय तिथियों में आवेदन प्रक्रिया पूर्ण कर सकते हैं। एप्लीकेशन फॉर्म HSSC की ऑफिशियल वेबसाइट hssc.gov.in पर जाकर भरा जा सकता है।

भर्ती विवरण

एचएसएससी की ओर से स्टेनो ग्रुप (Advt No 10/2024) के तहत कुल 1838 पदों पर नियुक्तियां की जाएंगी वहीं कॉमर्स ग्रुप (Advt No 07/2024) के तहत कुल 1296 पदों पर भर्ती की जाएगी।

पात्रता एवं मापदंड

इस भर्ती शामिल होने के लिए अभ्यर्थी ने ग्रुप सी एग्जाम पास किया हो। इसके अलावा स्टेनो ग्रुप के तहत फॉर्म भरने के लिए अभ्यर्थी का 10+2 (इंटरमीडिएट) के साथ स्टेनोग्राफर (English/ Hindi Post Wise) और मैट्रिक लेवल पर हिंदी/ संस्कृत विषय पढ़ा हो। कॉमर्स ग्रुप के लिए उम्मीदवार ने पदानुसार कॉमर्स डिग्री/ पोस्ट ग्रेजुएशन आदि किया हो। अभ्यर्थी की न्यूनतम आयु 18 वर्ष एवं अधिकतम आयु 42 वर्ष से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। आरक्षित श्रेणी से आने वाले उम्मीदवारों को नियमानुसार छूट दी जाएगी। पात्रता की विस्तृत डिटेल के लिए अभ्यर्थी एक बार ऑफिशियल नोटिफिकेशन का अवलोकन अवश्य कर लें।

इस भर्ती में शामिल होने के लिए उम्मीदवारों को किसी भी प्रकार का शुल्क जमा नहीं करना है अर्थात सभी वर्ग के अभ्यर्थी इस भर्ती के लिए निशुल्क आवेदन पत्र भर सकते हैं।

संसद में न लगाएं 'वंदे मातरम' और 'जय हिंद' जैसे नारे, बजट सत्र से पहले सभी सांसदों को याद दिलाए नियम


नई दिल्ली:- सोमवार से शुरू हो रहे संसद सत्र से पहले सांसदों को याद दिलाया गया है कि सभापति के निर्णयों की सदन के अंदर या बाहर सीधे तौर पर या परोक्ष रूप से आलोचना नहीं की जानी चाहिए और सदस्यों को ''वंदे मातरम'' व ''जय हिंद'' सहित अन्य नारे नहीं लगाने चाहिए। सदस्यों को यह भी याद दिलाया गया है कि सदन में तख्तियां लेकर प्रदर्शन करना अनुचित है।

22 जुलाई से शुरू होगा संसद सत्र

राज्यसभा सचिवालय ने ''राज्यसभा सदस्यों के लिए पुस्तिका'' के कुछ अंश 15 जुलाई को अपने बुलेटिन में प्रकाशित कर संसदीय परंपराओं और संसदीय शिष्टाचार के प्रति सदस्यों का ध्यान आकृष्ट किया है। संसद सत्र 22 जुलाई से शुरू हो रहा है और यह 12 अगस्त को संपन्न होगा।

गरिमा और गंभीरता के लिए आवश्यक

बुलेटिन में कहा गया है कि सदन की कार्यवाही की गरिमा और गंभीरता के लिए यह आवश्यक है कि सदन में धन्यवाद, आपका शुक्रिया, जय हिंद, वंदे मातरम या अन्य कोई नारा नहीं लगाया जाना चाहिए। इसमें कहा गया है कि सभापति द्वारा सदन के पूर्व के दृष्टांतों के अनुसार निर्णय दिए जाते हैं और जहां कोई उदाहरण नहीं है, वहां सामान्य संसदीय व्यवहार का पालन किया जाता है।

असंसदीय शब्दों से बचने की सलाह

बुलेटिन में पुस्तिका के अंश को उद्धृत करते हुए कहा गया है कि सभापति द्वारा दिए गए निर्णयों की सदन के अंदर या बाहर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से आलोचना नहीं की जानी चाहिए। संसदीय शिष्टाचार का हवाला देते हुए बुलेटिन में कहा गया कि आक्षेप, आपत्तिजनक और असंसदीय अभिव्यक्ति वाले शब्दों का इस्तेमाल करने से पूरी तरह से बचना चाहिए। जब सभापति को लगता है कि कोई विशेष शब्द या अभिव्यक्ति असंसदीय है, तो उसे बिना बहस के तुरंत वापस लेना चाहिये।

पीठासीन अधिकारी का अभिवादन करना चाहिए

इसमें यह भी कहा गया है कि प्रत्येक सदस्य को सदन में प्रवेश करते या बाहर निकलते समय और सीट पर बैठने या उठकर जाने से पहले पीठासीन अधिकारी का झुककर अभिवादन करना चाहिए। कोई सदस्य जब किसी अन्य सदस्य या मंत्री की आलोचना करता है तो अपेक्षा की जाती है कि आलोचना करने वाला सदस्य उत्तर सुनने के लिए सदन में उपस्थित रहे। पुस्तिका में कहा गया है, जब मंत्री या सदस्य उत्तर दे रहे हों तो सदन से अनुपस्थित रहना संसदीय शिष्टाचार का उल्लंघन है।

संसद में न लगाएं 'वंदे मातरम' और 'जय हिंद' जैसे नारे, बजट सत्र से पहले सभी सांसदों को याद दिलाए नियम


संसद में न लगाएं 'वंदे मातरम' और 'जय हिंद' जैसे नारे, बजट सत्र से पहले सभी सांसदों को याद दिलाए नियम

नई दिल्ली:- सोमवार से शुरू हो रहे संसद सत्र से पहले सांसदों को याद दिलाया गया है कि सभापति के निर्णयों की सदन के अंदर या बाहर सीधे तौर पर या परोक्ष रूप से आलोचना नहीं की जानी चाहिए और सदस्यों को ''वंदे मातरम'' व ''जय हिंद'' सहित अन्य नारे नहीं लगाने चाहिए। सदस्यों को यह भी याद दिलाया गया है कि सदन में तख्तियां लेकर प्रदर्शन करना अनुचित है।

22 जुलाई से शुरू होगा संसद सत्र

राज्यसभा सचिवालय ने ''राज्यसभा सदस्यों के लिए पुस्तिका'' के कुछ अंश 15 जुलाई को अपने बुलेटिन में प्रकाशित कर संसदीय परंपराओं और संसदीय शिष्टाचार के प्रति सदस्यों का ध्यान आकृष्ट किया है। संसद सत्र 22 जुलाई से शुरू हो रहा है और यह 12 अगस्त को संपन्न होगा।

गरिमा और गंभीरता के लिए आवश्यक

बुलेटिन में कहा गया है कि सदन की कार्यवाही की गरिमा और गंभीरता के लिए यह आवश्यक है कि सदन में धन्यवाद, आपका शुक्रिया, जय हिंद, वंदे मातरम या अन्य कोई नारा नहीं लगाया जाना चाहिए। इसमें कहा गया है कि सभापति द्वारा सदन के पूर्व के दृष्टांतों के अनुसार निर्णय दिए जाते हैं और जहां कोई उदाहरण नहीं है, वहां सामान्य संसदीय व्यवहार का पालन किया जाता है।

असंसदीय शब्दों से बचने की सलाह

बुलेटिन में पुस्तिका के अंश को उद्धृत करते हुए कहा गया है कि सभापति द्वारा दिए गए निर्णयों की सदन के अंदर या बाहर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से आलोचना नहीं की जानी चाहिए। संसदीय शिष्टाचार का हवाला देते हुए बुलेटिन में कहा गया कि आक्षेप, आपत्तिजनक और असंसदीय अभिव्यक्ति वाले शब्दों का इस्तेमाल करने से पूरी तरह से बचना चाहिए। जब सभापति को लगता है कि कोई विशेष शब्द या अभिव्यक्ति असंसदीय है, तो उसे बिना बहस के तुरंत वापस लेना चाहिये।

पीठासीन अधिकारी का अभिवादन करना चाहिए

इसमें यह भी कहा गया है कि प्रत्येक सदस्य को सदन में प्रवेश करते या बाहर निकलते समय और सीट पर बैठने या उठकर जाने से पहले पीठासीन अधिकारी का झुककर अभिवादन करना चाहिए। कोई सदस्य जब किसी अन्य सदस्य या मंत्री की आलोचना करता है तो अपेक्षा की जाती है कि आलोचना करने वाला सदस्य उत्तर सुनने के लिए सदन में उपस्थित रहे। पुस्तिका में कहा गया है, जब मंत्री या सदस्य उत्तर दे रहे हों तो सदन से अनुपस्थित रहना संसदीय शिष्टाचार का उल्लंघन है।

नई दिल्ली:- सोमवार से शुरू हो रहे संसद सत्र से पहले सांसदों को याद दिलाया गया है कि सभापति के निर्णयों की सदन के अंदर या बाहर सीधे तौर पर या परोक्ष रूप से आलोचना नहीं की जानी चाहिए और सदस्यों को ''वंदे मातरम'' व ''जय हिंद'' सहित अन्य नारे नहीं लगाने चाहिए। सदस्यों को यह भी याद दिलाया गया है कि सदन में तख्तियां लेकर प्रदर्शन करना अनुचित है।

22 जुलाई से शुरू होगा संसद सत्र

राज्यसभा सचिवालय ने ''राज्यसभा सदस्यों के लिए पुस्तिका'' के कुछ अंश 15 जुलाई को अपने बुलेटिन में प्रकाशित कर संसदीय परंपराओं और संसदीय शिष्टाचार के प्रति सदस्यों का ध्यान आकृष्ट किया है। संसद सत्र 22 जुलाई से शुरू हो रहा है और यह 12 अगस्त को संपन्न होगा।

गरिमा और गंभीरता के लिए आवश्यक

बुलेटिन में कहा गया है कि सदन की कार्यवाही की गरिमा और गंभीरता के लिए यह आवश्यक है कि सदन में धन्यवाद, आपका शुक्रिया, जय हिंद, वंदे मातरम या अन्य कोई नारा नहीं लगाया जाना चाहिए। इसमें कहा गया है कि सभापति द्वारा सदन के पूर्व के दृष्टांतों के अनुसार निर्णय दिए जाते हैं और जहां कोई उदाहरण नहीं है, वहां सामान्य संसदीय व्यवहार का पालन किया जाता है।

असंसदीय शब्दों से बचने की सलाह

बुलेटिन में पुस्तिका के अंश को उद्धृत करते हुए कहा गया है कि सभापति द्वारा दिए गए निर्णयों की सदन के अंदर या बाहर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से आलोचना नहीं की जानी चाहिए। संसदीय शिष्टाचार का हवाला देते हुए बुलेटिन में कहा गया कि आक्षेप, आपत्तिजनक और असंसदीय अभिव्यक्ति वाले शब्दों का इस्तेमाल करने से पूरी तरह से बचना चाहिए। जब सभापति को लगता है कि कोई विशेष शब्द या अभिव्यक्ति असंसदीय है, तो उसे बिना बहस के तुरंत वापस लेना चाहिये।

पीठासीन अधिकारी का अभिवादन करना चाहिए

इसमें यह भी कहा गया है कि प्रत्येक सदस्य को सदन में प्रवेश करते या बाहर निकलते समय और सीट पर बैठने या उठकर जाने से पहले पीठासीन अधिकारी का झुककर अभिवादन करना चाहिए। कोई सदस्य जब किसी अन्य सदस्य या मंत्री की आलोचना करता है तो अपेक्षा की जाती है कि आलोचना करने वाला सदस्य उत्तर सुनने के लिए सदन में उपस्थित रहे। पुस्तिका में कहा गया है, जब मंत्री या सदस्य उत्तर दे रहे हों तो सदन से अनुपस्थित रहना संसदीय शिष्टाचार का उल्लंघन है।

बॉलीवुड एक्टर और टी-सीरीज के को-ओनर किशन कुमार की बेटी टीशा कुमार का 21साल की उम्र में निधन,कैंसर से थी पीड़ित,जर्मनी में चल रहा था इलाज


दिल्ली:- गुलशन कुमार के भाई किशन की कुमार की बेटी टीशा इस दुनिया में नहीं रही। 21 साल की उम्र में उसका कैंसर से निधन हो गया। यह दुखभरी खबर टी -सीरीज के स्पोक्सपर्सन ने जारी की है।

बॉलीवुड एक्टर और टी-सीरीज के को-ओनर किशन कुमार की बेटी टीशा कुमार का को निधन हो गया। 

वह कैंसर से पीड़ित थी। टीशा को इलाज के लिए मुंबई से जर्मनी ले जाया गया था। वहां 18 जुलाई को उन्होंने आखिरी सांस ली। किशन कुमार 90 के दशक में एक्टिंग में हाथ आजमा चुका हैं। साल 1995 में आई फिल्म बेवफा सनम वह लीड रोल में थे।

लंबे वक्त से बीमार थी टीशा

एक्टर-प्रोड्सूयर किशन कुमार की बेटी टीशा कैंसर से लंबी लड़ाई के बाद जिंदगी की जंग हार गईं। टी-सीरीज के स्पोक्सपर्सन ने उनके निधन पर स्टेटमेंट जारी किया है। इसमें लिखा है, किशन कुमार की बेटी टीशा कुमार लंबे समय तक बीमार रहने के बाद कल इस दुनिया में नहीं रहीं। परिवार के लिए यह मुश्किल वक्त है, हम सभी से दरख्वास्त करते हैं कि परिवार की निजता का सम्मान किया जाए।

अच्छा सिला दिया हुआ था फेमस

किशन कुमार दिवंगत गुलशन कुमार के भाई हैं। 90 के दशक में उन्होंने बेवफा सनम फिल्म में एक्टिंग की थी। मूवी में उनकी एक्ट्रेस शिल्पा शिरोडकर थीं। फिल्म का गाना 'अच्छा सिला दिया' काफी पॉप्युलर हुआ था।

दशकों बाद सावन सोमवार पर दुर्लभ 'शिववास' समेत बन रहे हैं ये 6 संयोग, प्राप्त होगा महादेव का आशीर्वाद


नई दिल्ली : शिव पुराण में निहित है कि भगवान शिव महज जलाभिषेक से प्रसन्न हो जाते हैं। इसके लिए सावन माह के प्रत्येक सोमवार पर देवों के देव महादेवः का जलाभिषेक और रुद्राभिषेक किया जाता है। इस दिन सावन सोमवार का व्रत भी रखा जाता है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक की हर एक मनोकामना पूरी होती है। सावन सोमवार पर सर्वार्थ सिद्धि योग का हो रहा है निर्माण

सावन माह का पहला सोमवार व्रत 22 जुलाई को

इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। सावन सोमवार व्रत करने से हर मनोकामना पूरी होती है।

सनातन धर्म में सावन माह का विशेष महत्व है। यह माह देवों के देव महादेव एवं मां पार्वती को समर्पित होता है। इस महीने में प्रत्येक दिन भगवान शिव संग मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त सावन सोमवार और मंगला गौरी व्रत रखा जाता है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है।

ज्योतिषियों की मानें तो सावन माह के पहले सोमवार पर शिववास योग समेत कई शुभ योग बन रहे हैं। इन योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक को मनचाहा वर प्राप्त होगा। आइए जानते हैं।

सावन सोमवार शुभ मुहूर्त

ज्योतिषियों की मानें तो 22 जुलाई को सावन माह की शुरुआत होगी। इस दिन प्रतिपदा तिथि दोपहर 01 बजकर 11 मिनट तक है। इसके बाद से द्वितीया शुरू होगी। द्वितीया तिथि 23 जुलाई को सुबह 10 बजकर 23 मिनट पर समाप्त होगी।

सावन माह की शुरुआत सोमवार से हो रही है। वहीं, दूसरे दिन मंगला गौरी व्रत रखा जाएगा।  

श्रावण नक्षत्र

सावन माह के पहले दिन श्रावण नक्षत्र का शुभ संयोग बन रहा है। इस नक्षत्र का संयोग सावन के पहले सोमवार पर देर रात 10 बजकर 21 मिनट तक है। श्रवण नक्षत्र का संयोग दशकों बाद बन रहा है। ज्योतिष श्रवण नक्षत्र को शुभ मानते हैं। इस दौरान शुभ कार्य भी कर सकते हैं।

प्रीति योग

सावन माह के पहले सोमवार पर प्रीति योग का निर्माण हो रहा है। प्रीति योग संध्याकाल 05 बजकर 58 मिनट तक है। प्रीति योग के दौरान ही भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाएगी। प्रीति योग के बाद आयुष्मान योग का निर्माण होगा। इस योग का समापन 23 जुलाई को दोपहर 02 बजकर 36 मिनट पर होगा।

सर्वार्थ सिद्धि योग

सावन के पहले सोमवार पर सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग भी बन रहा है। इस योग का निर्माण सुबह 05 बजकर 37 मिनट से लेकर देर रात 10 बजकर 21 मिनट तक है। इस दौरान भगवान शिव एवं मां पार्वती की पूजा-करने से अक्षय फल की प्राप्ति होगी।

शिववास योग

सावन के पहले सोमवार पर दुर्लभ शिववास योग का निर्माण हो रहा है। इस दिन भगवान शिव दोपहर 01 बजकर 11 मिनट तक जगत की देवी मां गौरी के साथ कैलाश पर विराजमान रहेंगे। भगवान शिव के मां गौरी के साथ रहने के दौरान भगवान शिव का अभिषेक करने से घर में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली आती है।

करण

सावन के पहले सोमवार पर कौलव और तैतिल करण का भी संयोग बन रहा है। कौलव कर का संयोग दोपहर 01 बजकर 11 मिनट तक है। इसके बाद तैतिल करण का निर्माण हो रहा है।

1988 में आज ही के दिन भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह ‘इनसैट-1सी’ का हुआ था प्रक्षेपण जाने 21 जुलाई से जुड़े इतिहास के बारे में


नयी दिल्ली : देश और दुनिया में 21 जुलाई का इतिहास कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी है और कई महत्वपूर्ण घटनाएं इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गयी है।

21 जुलाई का इतिहास काफी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि आज ही के दिन प्रतिभा पाटिल भारत की पहली महिला राष्ट्रपति बनी थीं। 

वर्ष 2007 में 21 जुलाई को वह राष्ट्रपति चुनाव में विजयी हुईं और उन्होंने 25 जुलाई 2007 को राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी। 

1962 में आज ही के दिन भारत चीन के बीच सीमा पर युद्ध हुआ था। 1951 में आज ही के दिन भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी चंदू बोर्डे का जन्म हुआ था।

2007 में आज ही के दिन वाशिंगटन में 4 दिन के विचार-विमर्श के बाद भारत-अमेरिका परमाणु समझौते का प्रारूप तैयार किया गया था। 2008 में 21 जुलाई को ही नेपाली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भारतीय मूल के रामबरन यादव को नेपाल का पहला राष्ट्रपति चुना गया था। 

21 जुलाई का इतिहास इस प्रकार है :

2008 में आज ही के दिन नेपाली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भारतीय मूल के रामबरन यादव को नेपाल का पहला राष्ट्रपति चुना गया था।

2007 में आज ही के दिन वाशिंगटन में 4 दिन के विचार-विमर्श के बाद भारत-अमेरिका परमाणु समझौते का प्रारूप तैयार किया गया था।

2007 में 21 जुलाई को ही प्रतिभा पाटिल भारत की पहली महिला राष्ट्रपति बनीं थीं।

1988 में आज ही के दिन भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह ‘इनसैट-1सी’ का प्रक्षेपण किया था।

1963 में 21 जुलाई को ही काशी विद्यापीठ को विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया था।

1962 में आज ही के दिन भारत चीन के बीच सीमा पर युद्ध हुआ था।

1940 में 21 जुलाई को ही सोवियत संघ ने एस्टोनिया लातविया और लिथुआनिया पर कब्जा किया था।

1904 में आज ही के दिन 13 वर्ष तक चले निर्माण कार्य के बाद रूस में 4,607 किलोमीटर लंबी ट्रांस साइबेरियन रेल लाइन का काम पूरा हुआ था।

1888 में 21 जुलाई को ही ब्रिटेन के आविष्कारक डनलप ने टायर और टयूब तैयार किए थे।

1884 में आज ही के दिन लॉर्डस के मैदान पर पहला क्रिकेट टेस्ट मैच खेला गया था।

1883 में 21 जुलाई को ही कोलकाता में भारत के पहले सार्वजनिक थियेटर की शुरुआत हुई थी।

21 जुलाई को जन्मे प्रसिद्ध व्यक्ति

1978 में 21 जुलाई को ही बाॅलीवुड अभिनेता आशीष चौधरी का जन्म हुआ था।

1951 में आज ही के दिन भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी चंदू बोर्डे का जन्म हुआ था।

1951 में आज ही के दिन अमेरिकी हास्य अभिनेता रॉबिन विलियम्स का जन्म हुआ था।

1947 में 21 जुलाई के दिन ही भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी चेतन चौहान का जन्म हुआ था।

1930 में आज ही के दिन मशहूर फ़िल्मी गीतकार आनंद बख्शी का जन्म हुआ था।

1911 में 21 जुलाई के दिन ही ज्ञानपीठ पुरस्कार सम्मानित और प्रसिद्ध गुजराती साहित्यकार उमाशंकर जोशी का जन्म हुआ था।

1816 में आज ही के दिन समाचार एजेंसी राइटर के संस्थापक जूलियस राइटर का जन्म हुआ था।

21 जुलाई को हुए निधन

1972 में आज ही के दिन भूटान के तीसरे राजा जिग्मे दोरजी वांग्चुक का निधन हुआ था।

1920 में आज ही के दिन श्री रामकृष्ण परमहंस की धर्मपत्नी शारदा मां का निधन हुआ था।

1906 में 21 जुलाई के दिन ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष व्योमेश चन्‍द्र बनर्जी का निधन हुआ था।

1822 में आज ही के दिन फ्रांस के विख्यात रसायनशास्त्री केन्ट क्लोड लुईस गर्टले का निधन हुआ था।