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1988 में आज ही के दिन भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह ‘इनसैट-1सी’ का हुआ था प्रक्षेपण जाने 21 जुलाई से जुड़े इतिहास के बारे में


नयी दिल्ली : देश और दुनिया में 21 जुलाई का इतिहास कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी है और कई महत्वपूर्ण घटनाएं इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गयी है।

21 जुलाई का इतिहास काफी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि आज ही के दिन प्रतिभा पाटिल भारत की पहली महिला राष्ट्रपति बनी थीं। 

वर्ष 2007 में 21 जुलाई को वह राष्ट्रपति चुनाव में विजयी हुईं और उन्होंने 25 जुलाई 2007 को राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी। 

1962 में आज ही के दिन भारत चीन के बीच सीमा पर युद्ध हुआ था। 1951 में आज ही के दिन भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी चंदू बोर्डे का जन्म हुआ था।

2007 में आज ही के दिन वाशिंगटन में 4 दिन के विचार-विमर्श के बाद भारत-अमेरिका परमाणु समझौते का प्रारूप तैयार किया गया था। 2008 में 21 जुलाई को ही नेपाली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भारतीय मूल के रामबरन यादव को नेपाल का पहला राष्ट्रपति चुना गया था। 

21 जुलाई का इतिहास इस प्रकार है :

2008 में आज ही के दिन नेपाली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भारतीय मूल के रामबरन यादव को नेपाल का पहला राष्ट्रपति चुना गया था।

2007 में आज ही के दिन वाशिंगटन में 4 दिन के विचार-विमर्श के बाद भारत-अमेरिका परमाणु समझौते का प्रारूप तैयार किया गया था।

2007 में 21 जुलाई को ही प्रतिभा पाटिल भारत की पहली महिला राष्ट्रपति बनीं थीं।

1988 में आज ही के दिन भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह ‘इनसैट-1सी’ का प्रक्षेपण किया था।

1963 में 21 जुलाई को ही काशी विद्यापीठ को विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया था।

1962 में आज ही के दिन भारत चीन के बीच सीमा पर युद्ध हुआ था।

1940 में 21 जुलाई को ही सोवियत संघ ने एस्टोनिया लातविया और लिथुआनिया पर कब्जा किया था।

1904 में आज ही के दिन 13 वर्ष तक चले निर्माण कार्य के बाद रूस में 4,607 किलोमीटर लंबी ट्रांस साइबेरियन रेल लाइन का काम पूरा हुआ था।

1888 में 21 जुलाई को ही ब्रिटेन के आविष्कारक डनलप ने टायर और टयूब तैयार किए थे।

1884 में आज ही के दिन लॉर्डस के मैदान पर पहला क्रिकेट टेस्ट मैच खेला गया था।

1883 में 21 जुलाई को ही कोलकाता में भारत के पहले सार्वजनिक थियेटर की शुरुआत हुई थी।

21 जुलाई को जन्मे प्रसिद्ध व्यक्ति

1978 में 21 जुलाई को ही बाॅलीवुड अभिनेता आशीष चौधरी का जन्म हुआ था।

1951 में आज ही के दिन भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी चंदू बोर्डे का जन्म हुआ था।

1951 में आज ही के दिन अमेरिकी हास्य अभिनेता रॉबिन विलियम्स का जन्म हुआ था।

1947 में 21 जुलाई के दिन ही भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी चेतन चौहान का जन्म हुआ था।

1930 में आज ही के दिन मशहूर फ़िल्मी गीतकार आनंद बख्शी का जन्म हुआ था।

1911 में 21 जुलाई के दिन ही ज्ञानपीठ पुरस्कार सम्मानित और प्रसिद्ध गुजराती साहित्यकार उमाशंकर जोशी का जन्म हुआ था।

1816 में आज ही के दिन समाचार एजेंसी राइटर के संस्थापक जूलियस राइटर का जन्म हुआ था।

21 जुलाई को हुए निधन

1972 में आज ही के दिन भूटान के तीसरे राजा जिग्मे दोरजी वांग्चुक का निधन हुआ था।

1920 में आज ही के दिन श्री रामकृष्ण परमहंस की धर्मपत्नी शारदा मां का निधन हुआ था।

1906 में 21 जुलाई के दिन ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष व्योमेश चन्‍द्र बनर्जी का निधन हुआ था।

1822 में आज ही के दिन फ्रांस के विख्यात रसायनशास्त्री केन्ट क्लोड लुईस गर्टले का निधन हुआ था।

अगर आप भी है छोले भटूरे खाने के शौकीन तो दिल्ली के इन स्ट्रीट फूड पर आइए यहां आपको मिल सकता है बेहतर स्वाद


देश की राजधानी दिल्ली अपने इतिहास, शॉपिंग, खाने की चीजें और घूमने-फिरने के लिए काफी फेमस है। यहां पर लोग सस्ते दाम में बढ़िया स्ट्रीट फूड का मजा ले सकते हैं। वैसे तो दिल्ली के फेमस फूड में छोले भटूरे काफी पसंदीदा फूड है दिल्ली वालो के लिए तो अगर आप भी छोले-भटूरे खाने का शौक रखते हैं तो इस वीकेंड आप दिल्ली की इन 5 में से किसी एक जगह को चुनकर अपनी पसंदीदा डिश का मजा ले सकते हैं। 

वैसे तो छोले-भटूरे इंडियन स्ट्रीट फूड बन चुके हैं और हर गली-नुक्कड़ या मार्केट में आपको छोले-भटूरे खिलानेवाले बहुत लोग मिल जाएंगे। लेकिन जनाब, बात जब अपने पसंदीदा फूड की हो तो स्वाद से समझौता क्यों करना! आइए आपको बताते हैं, दिल्ली में कहां मिलेंगे आपको टेस्टी छोले-भटूरे...

लाजपत नगर

अगर आप दिल्ली में लाजपत नगर के आस-पास रहते हैं तो आपको छोले-भटूरे की यमी प्लेट इंजॉय करने के लिए 'बाबा नागपाल कॉर्नर' पर जाना होगा। यहां आप शॉपिंग के बाद या सुबह के नाश्ते के लिए भी छोले-भटूरे पैक करा सकते हैं। बाबा नागपाल कॉर्नर, लाजपत नगर 4 के गुप्ता मार्केट में 7/25 ओल्ड डबल स्टोरी में स्थित है। यहां छोले-भटूरे की एक प्लेट की कीमत 70 रुपए है।

चांदनी चौक

चांदनी चौक में स्थित 'लोटल कुल्चे-छोले' दिल्ली में छोले-भटूरे बेचनेवाले सबसे पुराने कॉर्नर्स में से एक है। यहां 1920 से छोले-भटूरे के असली स्वाद से खाने के शौकीन लोगों का दिल जीता जा रहा है। लोटल कुल्चे-छोले कॉर्नर इतना फेमस है कि आप किसी से पूछिए तो आपको लोकेशन पता चल जाएगी।

चावड़ी बाजार

अगर चावड़ी बाजार जा रहे हैं तो सीताराम दीवान चंद के छोले-भटूरे खाना न भूलें। दिल्ली-6 के चावड़ी बाजार के पहाड़गंज एरिया की चूना मंडी के चट्टा शाहजी में स्थित है सीताराम दीवान चंद की दुकान। यहां आपको 70 रुपए में छोले-भटूरे खाने का मौका मिलेगा।

लाजपत नगर के कृष्णा मार्केट में

आनंदजी के छोले-भटूरे खाकर आपको वाकई आनंद की प्राप्ति होगी। अगर आप लाजपत नगर के कृष्णा मार्केट जा रहे हैं तो वहां आनंदजी के छोले-भटूरे जरूर खाएं या पैक कराकर लाएं। इनका स्वाद आपको बार-बार वहां बुलाएगा। यहां से दो भटूरे खरीदने के लिए आपको 200 रुपए पे करने होंगे।

वेस्ट दिल्ली में प्रेम दी हट्टी

वेस्ट दिल्ली में रहनेवाले लोगों के लिए 'प्रेम दी हट्टी' कोई अनजाना नाम नहीं है। राजौरी गार्डन मे स्थित सिटी स्क्वायर मॉल के पास स्थित है प्रेम दी हट्टी। यह फूड कॉर्नर अपने प्राइज की वजह से भी लोगों का पसंदीदा है। यहां आप मात्र 40 रुपए में आप छोले-भटूरे की एक प्लेट ले सकते हैं।

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NEET पेपर लीक का मास्टरमाइंड गिरफ्तार, MBBS के दो छात्र भी CBI के हत्थे चढ़े


नई दिल्ली:- नीट-यूजी पेपर लीक मामले में सीबीआई ने शनिवार को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) जमशेदपुर से बीटेक करने वाले एक मास्टरमाइंड और सॉल्वर के रूप में काम करने के आरोपी दो मेडिकल छात्रों को गिरफ्तार किया। एमबीबीएस छात्रों की गिरफ्तारी राजस्थान के भरतपुर से हुई।

समाचार एजेंसी पीटीआई ने सीबीआई के अधिकारियों के हवाले से बताया कि ताजा गिरफ्तारियों के साथ नीट यूजी परीक्षा में कथित गडबड़ियों से जुड़े छह मामलों में एजेंसी द्वारा अब तक गिरफ्तार किए गए लोगों की संख्या 21 पहुंच गई है।

भरपुर मेडिकल कॉलेज के छात्र हैं सॉल्वर

एजेंसी की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार शनिवार को गिरफ्तार किए गए दो एमबीबीएस छात्र राजस्थान के भरतपुर के एक मेडिकल कॉलेज से हैं। जिसमें दूसरे वर्ष का छात्र कुमार मंगलम बिश्नोई और प्रथम वर्ष का छात्र दीपेंद्र शर्मा शामिल है। ये दोनों छात्र 5 मई को नीट यूजी परीक्षा की तारीख पर हजारीबाग में मौजूद थे।

अधिकारियों के अनुसार दोनों आरोपी कथित तौर पर एक इंजीनियर पंकज कुमार द्वारा चुराए गए पेपर के लिए "सॉल्वर" के रूप में काम कर रहे थे, जोकि पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। 

अधिकारियों ने बताया कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, जमशेदपुर से बी.टेक (इलेक्ट्रिकल) पासआउट शशिकांत पासवान उर्फ ​​शशि उर्फ ​​पासू, कुमार और रॉकी के साथ मिलकर काम कर रहा था, जिसे पहले भी गिरफ्तार किया गया था।

आज 59 वीं पुण्यतिथि पर विशेष : आजादी का वो दीवाना, जिसे भूल गया था जमाना... कहानी बटुकेश्वर दत्त की


नई दिल्ली : 8 अप्रैल 1929... ये वो तारीख थी, जब दो नौजवानों ने अंग्रेजी हुकूमत के सामने छाती चौड़ी कर भारत के साहस को दिखाया दिया। इस दिन शहीद ए आजम भगत सिंह और उनके साथी बटुकेश्वर दत्त ने सेंट्रल असेंबली में बम फेंका। पूरी असेंबली में हड़कंप मच गया। लेकिन ये दोनों नहीं रुके, बम के बाद कागज फेंके, जिस पर असेंबली में बम फेंकने की वजह लिखी हुई थी। दोनों वहां से भागे नहीं बल्कि आत्म समर्पण किया।

असेंबली में बम फेंकने वाले भगत सिंह को तो फांसी की सजा हो गई, वहीं उनके साथी बटुकेश्वर दत्त का जीवन भी बेहद दर्द भरा रहा। आज बटुकेश्वर दत्त की जयंती है। आइए उनके जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें आपको बताते हैं।

दिल्ली की असेंबली में फेंका बम

अंग्रेज सरकार ने सेंट्रल असेंबली में दो दमनकारी बिल पास कराने की कोशिश कर रही थी। पहला बिल था ‘पब्लिक सेफ्टी बिल’ और दूसरा ‘ट्रेड डिस्प्यूट बिल’। पब्लिक सेफ्टी बिल को असेंबली में पास हो चुका था, वहीं दूसरे बिल पर चर्चा हो रही थी। इस बिल के तहत मजदूरों की हर तरह की हड़ताल पर पाबंदी लगाने का प्रावधान था। वहीं पब्लिक सेफ्टी बिल के तहत सकार को बिना केस चलाए ही किसी को भी गिरफ्तार करने का हक मिल रहा था। 

इसी दौरान भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त असेंबली पहुंचे और उन्होंने बिल के विरोध में दो बम फेंके। दोनों लोगों ने इस बात का खास ख्याल रखा कि बम से किसी को कोई नुकसान न हो। दोनों ने आजादी के नारे लगाते हुए गिरफ्तारी दी।

सिगरेट बनाने की कंपनी में करनी पड़ी मजदूरी

दोनों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। केस चला, लेकिन अंग्रेज अदालत में दोनों के खिलाफ ज्यादा कुछ साबित नहीं कर पाए। भगत सिंह ने अदालत में अपने ऊपर लगे आरोपों पर शानदार जवाब दिए। बटुकेश्वर दत्त और भगत सिंह के इस कदम से देश में अंग्रेजों के खिलाफ माहौल बना।

युवाओं में आजादी की गूंज पनपी। बटुकेश्वर को उम्रकैद हुई लेकिन भगत सिंह को लाहौर हत्याकांड के मामले में फांसी दे दी गई। अंग्रेजों ने बटुकेश्वर दत्त के जीवन को मुश्किल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जिस देश की आजादी के लिए उन्होंने असेंबली में बम फेंका, आजादी के बाद उसी देश में उन्हें मजदूरी करनी पड़ी, एक सिगरेट बनाने वाली कंपनी में काम करना पड़ा।

इलाज कराने के तक के नहीं थे पैसे

उनकी पत्नी अंजली दत्त ने बातचीत में बताया था कि दत्त स्वामी विवेकानंद की कविता 'बागी' से प्रेरित हुए थे और रामकृष्ण मिशन से जुड़ गए। बाद में उन्हें भगत सिंह का साथ मिला और फिर वो दोनों एक साथ आजादी के संग्राम में कूद पड़े। कहा जाता है कि बटुकेश्वर दत्त काफी बीमार हो गए। लेकिन इतने बड़े क्रांतिकारी के पास अपना इलाज कराने तक के पैसे नहीं थे। जैसे-तैसे जीवन गुजारा। अपने अंतिम दिनों में उन्होंने कहा था कि मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि जिस दिल्ली में मैंने बम फेंका वहां एक अपाहिज की तरह स्ट्रेचर पर लादा जाऊंगा.

भगत सिंह की मां से जाहिर की अंतिम इच्छा

साल 1965 में बटुकेश्वर दत्त अपने जीवन की आखिरी सांस गिन रहे थे, इस दौरान भगत सिंह की मां विद्यावती देवी उनसे मिलने आई थीं। उन्होंने बटुकेश्वर से कहा, 'एक बेटे को उन्होंने आजादी से पहले को दिया और एक को उन्हें तब देखने के लिए आना पड़ रहा है, जब वो इतना बीमार है।' ये कहकर भगत सिंह की मां की आंखों में आंसू आ गए। तब बिस्तर पर लेटे बटुकेश्वर ने अपनी अंतिम इच्छा बताते हुए कहा कि वो चाहते हैं कि उनका अंतिम संस्कार पंजाब के उसी गांव में किया जाए, जहां उनके साथी भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव की समाधि है।

आज का इतिहास:1997 में आज ही के दिन तीस्ता नदी जल बंटवारे पर भारत-बांग्लादेश में हुआ था समझौता


नयी दिल्ली :- 20 जुलाई का इतिहास काफी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि 1969 में 20 जुलाई को ही नील आर्मस्ट्रान्ग के रूप में किसी इंसान ने पहली बार चंद्रमा की सतह पर कदम रखा था। 2005 में आज ही के दिन कनाडा में समलैंगिक विवाह को कानूनी मंजूरी दी गई थी। 

1997 में आज ही के दिन तीस्ता नदी जल बंटवारे पर भारत-बांग्लादेश में समझौता था। 2002 में 20 जुलाई को ही उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच विमान सेवा की शुरुआत हुई थी।

20 जुलाई का इतिहास इस प्रकार है:

2017 में आज ही के दिन रामनाथ कोविन्द भारत के 14वें राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे।

2005 में आज ही के दिन कनाडा में समलैंगिक विवाह को कानूनी मंजूरी दी गई थी और यह ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बना था।

2002 में 20 जुलाई को ही उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच विमान सेवा की शुरुआत हुई थी।

1997 में आज ही के दिन तीस्ता नदी जल बंटवारे पर भारत-बांग्लादेश में समझौता हुआ था।

1969 में 20 जुलाई को ही नील आर्मस्ट्रांग के रूप में मानव ने चंद्रमा की सतह पर पहली बार कदम रखा था।

1960 में 20 जुलाई को ही सिलॉन की राष्ट्रपति श्रिमावो भंडार नायके विश्व की प्रथम महिला राष्ट्रपति निर्वाचित हुई थीं।

1956 में आज ही के दिन फ्रांस ने ट्यूनिशिया को स्वतंत्र देश घोषित किया था।

1944 में 20 जुलाई को ही अमेरिका ने जापान के कब्जे वाले गुआम पर हमला किया था।

1938 में आज ही के दिन फिनलैंड को 1940 में ओलंपिक खेलों की मेजबानी सौंपी गई थी।

1924 में 20 जुलाई को ही सोवियत खेल समाचार पत्र सोवत्सकी स्पोर्ट् की स्थापना हुई थी।

1923 में आज ही के दिन पन्चो विला की हत्या कर दी गई थी।

1905 में 20 जुलाई को ही बंगाल के पहले विभाजन को भारतीय सचिव ने मंजूरी दी थी।

1903 में आज ही के दिन फोर्ड मोटर कंपनी ने अपनी पहली कार बाजार में उतारी थी।

1847 में आज ही के दिन जर्मनी के खगोलशास्त्री थियोडोर ने धूमकेतु ब्रोरसेन-मेटकॉफ की खोज की थी।

1810 में 20 जुलाई को ही बोगोटा, न्यू ग्रेनेडा (अब कोलंबिया) के नागरिकों ने खुद को स्पेन से अलग कर स्वतंत्र घोषित किया था।

20 जुलाई को जन्मे प्रसिद्ध व्यक्ति

1969 में आज ही के दिन अरुणाचल प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री कलिखो पुल का जन्म हुआ था।

1950 में 20 जुलाई के दिन ही भारतीय सिनेमा के प्रसिद्ध तथा प्रतिभाशाली अभिनेता नसीरुद्दीन शाह का जन्म हुआ था।

1921 में आज ही के दिन प्रसिद्ध भारतीय शास्त्रीय संगीतकार और तबला वादक सामता प्रसाद का जन्म हुआ।

1929 में 20 जुलाई के दिन ही हिंदी फिल्मों के प्रसिद्ध अभिनेता राजेंद्र कुमार का जन्म हुआ था।

1919 में आज ही के दिन माउंट एवरेस्‍ट को सबसे पहले जीतने वाले सर एडमंड हिलेरी का जन्‍म हुआ था।

20 जुलाई को हुए निधन

1972 में 20 जुलाई के दिन ही प्रसिद्ध पा‌र्श्वगायिका गीता दत्त का निधन हुआ था।

1966 में आज ही के दिन भारत की पहली महिला न्यायाधीश अन्ना चांडी का निधन हुआ था।

1965 में आज ही के दिन भारत के प्रसिद्ध क्रांतिकारी बटुकेश्वर दत्त का निधन हुआ था।

1937 में 20 जुलाई के दिन ही रोडियो का अविष्कार करने वाले गोलैलिमों मारकोनी का निधन हुआ था। 

1922 में आज ही के दिन असम राज्य के प्रथम असहयोगी और असम में कांग्रेस के संस्थापकों में से एक चन्द्रनाथ शर्मा का निधन हुआ था।

1914 में 20 जुलाई के दिन ही आधुनिक हिंदी साहित्य के शीर्ष निर्माताओं में से एक बालकृष्ण भट्ट का निधन हुआ था।

1866 में आज ही के दिन जर्मनी के गणितज्ञ बरनार्ड रीमैन का निधन हुआ था।

अंतरराष्ट्रीय शतरंज दिवस और विश्व कूद दिवस आज, आइए जानते हैं क्यों मनाए जाते हैं ये खास दिन


नयी दिल्ली : आज है अंतरराष्ट्रीय शतरंज दिवस और विश्व कूद दिवस, जानिए क्यों मनाए जाते हैं ये खास दिन हर साल 20 जुलाई के दिन अंतरराष्ट्रीय शतरंज दिवस मनाया जाता है। 

शतरंज दिमाग का खेल कहा जाता है. शतंरज ऐसा खेल है जिसे सदियों से खेला जाता रहा है और इस खेल को साल 1966 में यूनेस्को से रिकोग्निशन मिली थी. हर साल 20 जुलाई के दिन अंतरराष्ट्रीय शतरंज दिवस मनाया जाता है. 

इस दिन को मनाने का मकसद शतरंज को शिक्षा, तार्किक सोच को बढ़ाने और संस्कृति के आदान-प्रदान के रूप में प्रसारित करना है. साल 1994 में 20 जुलाई के ही दिन इंटरनेशनल चेस फेडरेशन की स्थापना भी हुई थी. 

इंटरनेशनल चेस फेडरेशन की स्थापना दूर-दराज तक शतरंज के मुकाबलों का आयोजन करके वैश्विक स्तर पर इस खेल को बढ़ावा देना था. 

आज विश्व के लाखों-करोड़ों लोग शतरंज खेलते हैं. यह खेल भाषाओं और सीमाओं के परे है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शतरंज के मुकाबलों का आयोजन होता है जिनमें बच्चों से लेकर बड़े तक प्रतिस्पर्धा करते हैं. 

वहीं, बहुत से लोगों के लिए शतरंज खेलना एक अच्छा टाइमपास है. बच्चों को शतरंज खेलने के लिए प्रोत्साहित करने का मकसद आमतौर पर उनकी दिमागी शक्ति को बढ़ाना और उनमें लॉजिकल और क्रिटिकल थिंकिक डेवलप करना होता है. 

विश्व कूद दिवस 

कूदना यानी जंप करना एक ऐसी एक्टिविटी है जिसे जाने-अनजाने हम जहां-तहां करते ही रहते हैं. कभी किसी खेल में कूदते हैं तो कभी कॉकरोच या चूहे को देखकर कूद पड़ते हैं. लेकिन, विश्व कूद दिवस को मनाने का मकसद मजे में कूदना नहीं बल्कि जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूकता फैलाना है।

हर साल 20 जुलाई के दिन विश्व जंप दिवस मनाया जाता है. इस साल 20 जुलाई की सुबह 7:29 मिनट और 13 सैकंड समयानुसार) पर वैश्विक तौर पर जंप करना प्लान किया गया है ताकि पृथ्वी के ओर्बिट को हिलाया जा सके. पृथ्वी का ओर्बिट इससे नहीं हिलेगा लेकिन जलवायु परिवर्तन को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाना और लोगों को सचेत करना इस दिन को मनाने की सबसे बड़ी वजह है. 

साल 2006 में विश्व कूद दिवस मनाने की शुरूआत जर्मनी के आर्टिस्ट टॉर्स्टन लॉशमैन ने की थी।

टॉर्स्टन लॉशमैन के अनुसार, इस दिन को मनाने के शुरूआती साल में 600 मिलियन लोगों ने जंप करने के लिए खुद को रजिस्टर किया था. इसके बाद से ही हर साल इस दिन को मनाया जाने लगा. 

आप विश्व जंप दिवस मनाने के लिए ट्रैंपोलिन पर कूद सकते हैं, जंपिंग जैक्स कर सकते हैं, स्विमिंग पूल पर जंप लगा सकते हैं या फिर कहीं और कूद-फांद कर सकते हैं।

Post Office Recruitment: उत्तर प्रदेश डाक विभाग में सबसे अधिक 4588 GDS की वेकेंसी, MP और तमिलनाडु में भी बंपर भर्ती


नई दिल्ली:- भारतीय डाक विभाग द्वारा देश भर के डाक सर्किल में स्थित डाकघरों में ग्रामीण डाक सेवकों के कुल 44 हजार के अधिक पदों पर भर्ती के लिए आवेदन प्रक्रिया 15 जुलाई से शुरू की गई है। किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण अधिकतम 40 वर्ष तक आयु वाले उम्मीदवार इस भर्ती के लिए निर्धारित अंतिम 5 अगस्त तक आवेदन कर सकते हैं।

हालांकि, उम्मीदवारों को अपने निवास क्षेत्र से सम्बन्धित डाक सर्किल के लिए आवेदन करना होगा। डाक विभाग द्वारा विभिन्न डाक सर्किल के लिए रिक्तियों की संख्या जारी की गई हैं।

उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 4588 GDS की वेकेंसी

डाक विभाग द्वारा जारी GDS भर्ती अधिसूचना के मुताबिक उत्तर प्रदेश डाक सर्किल के लिए सबसे अधिक 4,588 रिक्तियां निकाली गई हैं। इसके बाद मध्य प्रदेश डाक सर्किल के लिए दूसरी सबसे अधिक 4,011 रिक्तियों की संख्या तथा तमिलनाडु सर्किल के लिए तीसरी सबसे अधिक 3,798 वेकेंसी निकाली गई है। विभिन्न डाक सर्किल के लिए विज्ञापित रिक्तियों की संख्या निम्नलिखित है:-

आवेदन 5 अगस्त तक

विभिन्न यूपी, एमपी, या किसी अन्य डाक सर्किल में ग्रामीण डाक सेवकों की भर्ती के लिए आवेदन के इच्छुक उम्मीदवारों को डाक विभाग लॉन्च किए गए कॉमन पोर्टल, indiapostgdsonline.cept.gov.in पर जाकर अप्लाई करना होगा। 

आवेदन प्रक्रिया के 3 चरण है। सबसे उम्मीदवारों को पोर्टल पर पंजीकरण करना होगा, फिर निर्धारित आवेदन शुल्क 100 रुपये का भुगतान ऑनलाइन माध्यमों से करना होगा और अंत में उम्मीदवारों को अप्लीकेशन सबमिट करना होगा। 

हालांकि, आवेदन से पहले उम्मीदवार इस भर्ती की अधिसूचना में दिए गए विवरणों की जांच कर लें।

दिल्ली: 94 पदों के लिए जारी हुई भारतीय रिजर्व बैंक ग्रेड बी ऑफिसर भर्ती परीक्षा की संक्षिप्त अधिसूचना*

नई दिल्ली: - रिजर्व बैंक में सरकारी नौकरी के इच्छुक और आरबीआइ ग्रेड बी परीक्षा की तैयारी में जुटे उम्मीदवारों के लिए महत्वपूर्ण अपडेट। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) विभिन्न विभागों में ग्रेड बी के पदों पर सीधी भर्ती के लिए हर वर्ष आयोजित की जाने वाली परीक्षा के इस वर्ष के संस्करण की संक्षिप्त अधिसूचना (RBI Grade B Exam 2024 Notification) जारी कर दी गई है। बैंक द्वारा जारी संक्षिप्त अधिसूचना के अनुसार इस बार की परीक्षा कुल 94 पदों के लिए की जाएगी।

विस्तृत अधिसूचना के साथ ही शुरू होगी आवेदन प्रक्रिया

RBI द्वारा ग्रेड बी ऑफिसर भर्ती परीक्षा के लिए विस्तृत अधिसूचना 24 जुलाई को जारी की जाएगी और इसके साथ ही साथ आवेदन प्रक्रिया भी शुरू कर दी जाएगी। जो उम्मीदवार इस बार की परीक्षा में सम्मिलित होना चाहते हैं, वे बैंक की भर्ती की आधिकारिक वेबसाइट, opportunities.rbi.org.in पर एक्टिव किए जाने वाले लिंक से सम्बन्धित अप्लीकेशन पेज पर जाकर अप्लाई कर सकेंगे। आवेदन के दौरान उम्मीदवारों को निर्धारित शुल्क 850 रुपये (जीएसटी अतिरिक्त) का भुगतान ऑनलाइन माध्यमों से करना होगा, जो कि SC/ST/दिव्यांग उम्मीदवारों के लिए शुल्क 100 रुपये (जीएसटी अतिरिक्त) ही है।

कौन कर सकेगा आवेदन?*

RBI द्वारा आयोजित की जाने वाली ग्रेड बी ऑफिसर (जनरल) की भर्ती परीक्षा में सम्मिलित होने के लिए उम्मीदवारों को न्यूनतम 60 फीसदी अंकों के साथ स्नातक होना चाहिए। वहीं, ग्रेड बी ऑफिसर (डीईपीआर) के लिए अर्थशास्त्र या सम्बन्धित विषयों में पीजी कम से कम 55 फीसदी अंकों के साथ उत्तीर्ण होना चाहिए। इसी प्रकार, ग्रेड बी ऑफिसर (डीएसआइएम) के लिए सांख्यिकी या सम्बन्धित विषयों में न्यूनतम 55 फीसदी अंकों के साथ पीजी होना चाहिए। 

सभी पदों के लिए आयु सीमा 21 वर्ष से 30 वर्ष के बीच होनी चाहिए। आरक्षित वर्गों के उम्मीदवारों को अधिकतम आयु सीमा में केंद्र सरकार के नियमों के अनुसार छूट दी जाएगी।

दिल्ली:डबल होगी अटल पेंशन योजना! करोड़ों लोगों को होगा फायदा, बजट में हो सकती है घोषणा

नई दिल्ली:- मोदी सरकार 23 जुलाई को आम बजट पेश करेगी। हर बार की तरह इस बजट पर लोगों की निगाहें टिकी हैं। इस बार बजट में कई एलान संभव है। इस बीच सरकार अटल पेंशन योजना में राहत भरी घोषणा कर सकती है।

बीते 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मता सीतारमण ने अंतरिम बजट पेश किया था। तब सरकारी योजना में संशोधन के संकेत मिले थे। इस बार उम्मीद है कि अटल पेंशन योजना की रकम में बढ़ोतरी हो सकती है।दस हजार रुपये हो सकती है पेंशन

अटल पेंशन योजना को लेकर बजट में उम्मीद हैं। केंद्र सरकार पेंशन का दायरा बढ़ा सकती है। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है अधिकतम पेंशन राशि पांच हजार रुपये से बढ़ाकर दस हजार रुपये किया जा सकता है। इस प्रस्ताव पर विचार-विमर्श जारी है।

अंतरिम बजट से पहले प्रस्ताव

पिछले अंतरिम बजट से पहले भी उम्मीद जताई गई थी। हालांकि तब अटल पेंशन योजना को लेकर कोई एलान नहीं किया गया। ऐसे में एक बार फिर पेंशन लिमिट बढ़ने की उम्मीद जारी है।

बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार अटल पेंशन योजना की न्यूनतम पेंशन रकम को बढ़ा सकती है। पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण के चेयरमैन दीपक मोहंती ने केंद्र से पेंशन राशि में बढोत्तरी का अनुरोध भी किया था।

अटल पेंशन योजना का लाभ

मोदी सरकार ने अटल पेंशन योजना की शुरुआत 2015 में की थी। इसमें पांच हजार रुपये तक पेंशन मिलती है। 18 से 40 साल की आयु के सभी भारतीय इस स्कीम के लिए एलिजिबल हैं। इस सरकारी योजना में गारंटेड पेंशन के साथ कई फायदे मिलते हैं। इसमें निवेश करके 1.50 लाख रुपये तक टैक्स बचा सकते हैं।

यमुना के डूब क्षेत्र पर किसी भी अनाधिकृत निर्माण को हटाना होगा चाहे वह धार्मिक स्थल ही क्यों न होः हाईकोर्ट



नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने कहा यमुना के डूब क्षेत्र को किसी भी सूरत में बचाना होगा. इसका अतिक्रमण करने वाला कोई भी निर्माण हो चाहे वो धार्मिक ही क्यों न हो, उसे हटाना होगा. 

कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने यमुना के डूब क्षेत्र में गीता कॉलोनी के पास बने पुराने शिव मंदिर को हटाने के डीडीए के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया.

डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश में कोई भी दखल देने से इनकार करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता प्राचीन शिव मंदिर एवं अखाड़ा समिति मंदिर का कोई भी वैध दस्तावेज दिखाने में असफल रहा है. 

हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने इस बात को स्वीकार किया है कि मंदिर यमुना के डूब क्षेत्र में स्थित है. इसका मतलब साफ है कि मंदिर अनाधिकृत तरीके से ईको-सेंसिटिव जोन में अतिक्रमण कर बनाया गया. हमें यमुना के डूब क्षेत्र की रक्षा करनी होगी. किसी भी अनाधिकृत निर्माण को रोकना होगा चाहे वो धार्मिक स्थल ही क्यों न हों.

बता दें, याचिकाकर्ता ने सिंगल बेंच के फैसले को डिवीजन बेंच में चुनौती दी थी. जस्टिस धर्मेश शर्मा की सिंगल बेंच ने 29 मई को याचिका खारिज करते हुए कहा था कि भगवान शिव की हमें रक्षा करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि वे खुद हमारी रक्षा करते हैं. सिंगल बेंच ने कहा था कि अगर यमुना का किनारा और डूब क्षेत्र अतिक्रमण मुक्त हो जाए तो भगवान शिव ज्यादा खुश होंगे.

सिंगल बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता के वकील ने मंदिर के भगवान को इस मामले में पक्षकार बनाकर मामले को एक दूसरा रंग देने की कोशिश की. सिंगल बेंच ने कहा था कि याचिकाकर्ता की दलील है कि मंदिर में रोजाना पूजा की जाती है. विशेष अवसरों पर खास आयोजन होते हैं, लेकिन इस सबसे ये सार्वजनिक महत्व का विषय नहीं हो सकते हैं.

याचिका प्राचीन शिव मंदिर एवं अखाड़ा समिति ने दायर किया था. मंदिर गीता कालोनी में यमुना किनारे ताज एन्क्लेव में स्थित है. याचिका में डीडीए की ओर से मंदिर को हटाने के आदेश को चुनौती दी गई थी. 

सिंगल बेंच ने कहा था कि ऐसा कोई दस्तावेज पेश नहीं किया गया जिससे पता चले कि मंदिर सार्वजनिक उपयोग के लिए है और वो मंदिर समिति के निजी उपयोग के लिए नहीं है।