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मूवी टिकट और OTT पर 2% टैक्स लगाने की तैयारी में कर्नाटक सरकार, जानिए क्या है पूरा प्लान ?

 कर्नाटक की कांग्रेस सरकार इस समय आर्थिक तंगी से जूझ रही है, जिसका असर बुनियादी चीज़ों पर दिखने लगा है। राज्य सरकार ने अपनी कमाई बढ़ाने के लिए पहले ही पेट्रोल-डीजल 3 रुपए महंगा कर दिया है। इसके अलावा दूध और बिजली के दाम भी बढ़ा दिए हैं। अब खबर आ रही है कि, राज्य सरकार मूवी टिकटों और ओटीटी सदस्यता शुल्क पर 2 प्रतिशत उपकर लगाने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। शुक्रवार (19 जुलाई) को कर्नाटक सिने और सांस्कृतिक कार्यकर्ता (कल्याण) विधेयक, 2024 राज्य विधानसभा में पेश किया गया है।

रिपोर्ट के अनुसार, इस विधेयक में प्रस्ताव किया गया है कि सरकार 'कर्नाटक सिने और सांस्कृतिक कार्यकर्ता सामाजिक सुरक्षा और कल्याण कोष' नामक एक कोष की स्थापना करेगी जिसका उद्देश्य कर्नाटक में सिनेमा और सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं की सहायता करना है। विधेयक के अनुसार, राज्य में फिल्म टिकट, सदस्यता शुल्क और संबंधित प्रतिष्ठान राजस्व पर 'सिने और सांस्कृतिक कार्यकर्ता कल्याण उपकर' लगाया जाएगा। यह उपकर सरकार द्वारा अधिसूचित 1 से 2 प्रतिशत तक होगा, तथा इसकी दर में संशोधन प्रत्येक तीन वर्ष में किया जाएगा।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, विधेयक में कहा गया है, "उपकर सरकार द्वारा अधिसूचित दरों पर लगाया जाएगा और यह सिनेमा टिकट, सदस्यता शुल्क और संबंधित प्रतिष्ठानों से उत्पन्न सभी राजस्व पर 2 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा, लेकिन 1 प्रतिशत से कम भी नहीं होगा।" राज्य का श्रम विभाग अब इस बात पर काम कर रहा है कि OTT सब्सक्रिप्शन पर उपकर कैसे एकत्र किया जा सकता है। राज्य सरकार एकत्रित उपकर को कर्नाटक सिने एवं सांस्कृतिक कार्यकर्ता कल्याण बोर्ड को देगी।

बोर्ड में श्रम विभाग के प्रभारी मंत्री, श्रम विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव/प्रधान सचिव/सचिव, श्रम आयुक्त और सिनेमा श्रमिकों सहित 17 सरकार द्वारा नामित सदस्य शामिल होंगे। विधेयक में कहा गया है कि, "सिनेमा और सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं में सिनेमा क्षेत्र में कलाकार (जैसे अभिनेता, संगीतकार या नर्तक) के रूप में या किसी कुशल, अकुशल, मैनुअल, पर्यवेक्षी, तकनीकी या कलात्मक भूमिका में कार्यरत कोई भी व्यक्ति शामिल है। इसमें इस अधिनियम के तहत सरकार द्वारा घोषित गतिविधियों में लगे व्यक्ति भी शामिल हैं।"

बेटे की विरासत सौंपने की तैयारी में एमके स्टालिन, उदयनिधि को बना सकते हैं तमिलनाडु का डिप्टी सीएम

 एमके स्टालिन के नेतृत्व वाली तमिलनाडु सरकार आगामी कैबिनेट विस्तार में मौजूदा खेल मंत्री उदयनिधि स्टालिन को उपमुख्यमंत्री के पद पर पदोन्नत करने पर विचार कर रही है। यह कदम उदयनिधि के सनातन धर्म पर दिए गए विवादित बयान के बाद उठाया गया है। सत्तारूढ़ DMK के कई वरिष्ठ नेताओं का मानना ​​है कि उदयनिधि को उपमुख्यमंत्री बनाना 2026 के विधानसभा चुनावों के लिए रणनीतिक है। 

वहीं, यह फैसला एमके स्टालिन की अपनी राजनीतिक यात्रा को दर्शाता है, क्योंकि उनके पिता एम करुणानिधि ने भी पहले उन्हें उपमुख्यमंत्री नियुक्त किया था। आज एमके स्टालिन पार्टी प्रमुख और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री दोनों हैं। उदयनिधि स्टालिन, जो वर्तमान में चेपक-तिरुवल्लिकेनी से विधायक हैं और युवा कल्याण और खेल विकास मामलों के मंत्री हैं, और अधिक जिम्मेदारियां संभालने के लिए तैयार हैं। मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि इस पदोन्नति का उद्देश्य एमके स्टालिन का कार्यभार कम करना है। हालांकि, अंतिम निर्णय का अधिकार पूरी तरह से एमके स्टालिन के पास है। यह भी बताया गया है कि उदयनिधि ने खुद अपनी मां से प्रभावित होकर उपमुख्यमंत्री पद की इच्छा व्यक्त की है, जो नहीं चाहती थीं कि उनके बेटे को करुणानिधि की सरकार में एमके स्टालिन के समान देरी का सामना करना पड़े। 

बता दें कि, उदयनिधि ने तमिल सिनेमा में सफल करियर के बाद 2019 में राजनीति में प्रवेश किया था। फैशन, प्रकाशन और फिल्म निर्माण में उनकी रुचि है और वे रेड जायंट्स नामक एक प्रोडक्शन कंपनी के मालिक हैं। उनकी पहली प्रमुख भूमिका 2012 में फिल्म "आधावन" में थी, जिसके लिए उन्हें फिल्मफेयर का सर्वश्रेष्ठ पुरुष अभिनेता पदार्पण पुरस्कार मिला। उनकी सबसे हालिया फिल्म "मामन" (2023) को आलोचकों की प्रशंसा मिली। उदयनिधि ने पिछले साल सनातन धर्म पर टिप्पणी करके विवाद खड़ा कर दिया था। जब उदयनिधि ने सनातन धर्म की तुलना डेंगू, मलेरिया और कोरोनावायरस जैसी बीमारियों से करते हुए कहा था कि इनका विरोध करने के बजाय इनका समूल नाश करने की आवश्यकता है। उनकी इन टिप्पणियों की भाजपा ने काफी आलोचना की थी, जबकि, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने उन्हें मौन समर्थन दिया था।

इंदौर में प्रेमी युगल ने मंदिर की छत पर बनाए संबंध, वायरल हुआ वीडियो, लोगों में आक्रोश, जांच और कार्रवाई में जुटी पुलिस

मध्य प्रदेश के इंदौर में एक प्रेमी युगल मंदिर की छत पर ही संबंध बनाने लगे। दूर खड़े लोगों की जब संबंध बना रहे कपल पर नजर पड़ी तो उन्होंने मोबाइल से जूम कर उनका वीडियो बना लिया और सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया जो अब तेजी से वायरल हो रहा है।

वायरल वीडियो में मंदिर की छत पर कपल संबंध बनाते नजर आ रहे हैं। ये वीडियो इंदौर के राजवाड़ा स्थित मंदिर की छत का बताया जा रहा है। राजवाड़ा पर स्थित बोलिया सरकार की छतरी के नीचे भगवान का मंदिर है और उसी मंदिर की छत पर लव कपल अश्लील हरकत कर रहे थे। कपल को छत पर संबंध बनाते देख दूर खड़े लोगों ने अपने मोबाइल से जूम कर उनका वीडियो बना लिया जो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।

मंदिर की छत पर कपल का संबंध बनाते वीडियो अब पुलिस अधिकारियों तक पहुंच चुका है और पुलिस ने वीडियो की जांच शुरू कर दी है। युवक-युवती की फिलहाल पहचान नहीं हो पाई है, वहीं इस वीडियो के वायरल होने के बाद लोगों में नाराजगी देखी जा रही है। बताया गया कि यह घटना इंदौर शहर के लिए शर्मनाक है। धार्मिक स्थलों की पवित्रता बनाए रखना हम सबका दायित्व है। ऐसे कृत्यों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

नोट - स्ट्रीट बज इस वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं करता।

सरकार से बड़ा है संगठन...अब मैं संगठन में काम करूंगी, भाजपा को लगा तगड़ा झटका, इस मंत्री ने दिया इस्तीफा, अपनी ही सरकार पर लगाए ये गंभीर आरोप

उत्तर प्रदेश में सियासी तूफान थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. शुक्रवार को राज्य मंत्री (दर्जा प्राप्त) सोनम किन्नर ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. हालांकि, सरकार की तरफ से अभी उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं हुआ है. सोनम किन्नर राज्यपाल से मिलने पहुंचीं थीं. तब से ये अटकलें लगाई जा रही थीं कि वह अपना इस्तीफा दे सकती हैं. सपा छोड़कर सोनम बीजेपी में आईं थीं.

सोनम किन्नर ने कहा कि लोकसभा चुनाव में हार की जिम्मेदारी कोई नहीं ले रहा था, तो उसकी जिम्मेदारी मैं लेती हूं. उन्होंने कहा कि अब मैं संगठन में कार्य करूंगी, सरकार में नहीं. संगठन सरकार से बड़ा है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार में बैठे अधिकारी कार्यकर्ताओं की नहीं सुनते हैं. बता दें कि सोनम किन्नर हमेशा से ही अफसरशाही के खिलाफ मुखर रही हैं. मालूम हो कि सोनम किन्नर शुरू से ही योगी सरकार की बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ भी आवाज उठाती रही हैं.

सोनम किन्नर ने कहा कि अधिकारियों ने सरकार का बेड़ा गर्क कर दिया है. कुछ अधिकारी तो सीएम योगी तक की नहीं सुनते हैं. अफसरों को सिर्फ पैसा कमाने से मतलब है. उन्होंने कहा कि मैंने सीएम योगी से शिकायत कर कहा है कि मेरे विभाग में कई अफसर काम नहीं करते हैं लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई. उन्होंने मेरे बच्चे का एडमिशन करने के लिए अफसर से बोला, लेकिन वो तक नहीं हुआ. ऐसे राजा के साथ कैसे काम करूंगी, मैं इस्तीफा दूंगी और संगठन में काम करूंगी. 

उन्होंने कहा कि मैं अपने विभाग तक में हो रहे भ्रष्टाचार को नहीं रोक पा रही हूं. अगर मैं जनता का काम ही नहीं करवा पाउंगी तो मेरे मंत्री पद पर बने रहने का क्या फायदा है. उन्होंने डिप्टी सीएम की बात को दोहराते हुए कहा कि संगठन सरकार से बड़ा होता है. योगी सरकार ने सोनम किन्नर को उत्तर प्रदेश ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड (उत्तर प्रदेश किन्नर कल्याण बोर्ड) का उपाध्यक्ष बनाया था. सोनम का पूरा नाम किन्नर सोनम चिश्ती है. बताया जाता है कि वह अजमेर से संबंध रखती हैं. पिछले कई सालों से सोनम समाज में किन्नरों को बराबरी का दर्जा दिलाने के लिए काम कर रही हैं. इसके अलावा वह सामाजिक कार्यों से भी जुड़ी रहती हैं. बता दें कि भाजपा में आने से पहले सोनम सपा के साथ थीं.

असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने किया दावा ‘2041 तक मुस्लिम बहुल राज्य हो जाएगा असम’

डेस्क: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शुक्रवार (19 जुलाई) को दावा किया कि उनके राज्य में मुस्लिम आबादी हर 10 साल में करीब 30 प्रतिशत बढ़ रही है और 2041 तक वे बहुसंख्यक बन जाएंगे. उन्होंने कहा कि हर 10 साल में मुसलमानों की आबादी 11 लाख तक बढ़ जाती है. वहीं, हिंदू समुदायों की आबादी सिर्फ 16 प्रतिशत बढ़ रही.

सीएम सरमा ने कहा, "2011 में असम में 1.4 करोड़ मुस्लिम थे. 2041 तक असम मुस्लिम बहुल राज्य बन जाएगा. यह एक वास्तविकता है और इसे कोई नहीं रोक सकता." मुख्यमंत्री ने कहा, "हर 10 साल में असम में मुस्लिम आबादी 11 लाख बढ़ जाती है. यह हिमंत बिस्वा सरमा का डेटा नहीं है, बल्कि भारतीय जनगणना का डेटा है. ये डेटा पब्लिश हो चुका है." सरमा ने कहा कि हिंदू समुदाय की आबादी हर 10 साल में लगभग 16 प्रतिशत बढ़ रही है.

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, 2011 की जनगणना के अनुसार, असम में कुल मुस्लिम आबादी 1.07 करोड़ थी, जो कुल 3.12 करोड़ निवासियों का 34.22 प्रतिशत थी. राज्य में 1.92 करोड़ हिंदू थे, जो कुल आबादी का लगभग 61.47 प्रतिशत था.

असम सीएम ने कहा कि उनकी सरकार ने मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या वृद्धि को कम करने के लिए कदम उठाए हैं. मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘कई लोगों ने हमारी मदद भी की है. अगर 'निजुत मोइना' योजना सफल होती है तो लड़कियां चिकित्सक और इंजीनियर बनेंगी. फिर वे (बच्चों को) जन्म नहीं देंगी.’’

इस योजना के तहत असम सरकार बाल विवाह को रोकने के उद्देश्य से कक्षा 11 से स्नातकोत्तर तक की छात्राओं को अगले पांच वर्षों तक 2,500 रुपये तक का मासिक मानदेय प्रदान करती है. उन्होंने कहा, 'पिछले तीन सालों में हमारी सरकार के उठाए गए कदमों से हमें कुछ परिणाम मिलेंगे, लेकिन समस्या बहुत बड़ी है.' उन्होंने ये भी पकहा, ‘‘ 2041 तक असम मुस्लिम बहुल राज्य बन जाएगा. यह एक वास्तविकता है और इसे कोई नहीं रोक सकता.’’

उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा,‘‘ मुसलमानों की जनसंख्या वृद्धि को रोकने में कांग्रेस की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है. अगर राहुल गांधी जनसंख्या नियंत्रण के ब्रांड एंबेसडर बन जाते हैं तो इस पर काबू पाया सकता है क्योंकि समुदाय केवल उनकी बात सुनता है.’’

बीजेपी नेता ने कहा, 'मुस्लिम राजनीतिक नेताओं के खुद दो बच्चे हैं, लेकिन वे कभी भी ग्रामीणों को बच्चों की संख्या दो तक सीमित रखने की सलाह नहीं देते हैं.' उन्होंने यह भी कहा कि अगर पहले के मुख्यमंत्री 'धर्मनिरपेक्ष नहीं होते' और 1971 या 1981 से ही उनकी तरह जनसंख्या विस्फोट के बारे में बोलते तो राज्य को सकारात्मक परिणाम मिले होते.  

उन्होंने कहा, 'अगर सरकार ने मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा के लिए और बाल विवाह के खिलाफ कदम उठाए होते तो यह स्थिति पैदा नहीं होती. मैं सिर्फ तीन साल में कोई चमत्कार नहीं कर सकता. अगर यह (मुसलमानों का बहुसंख्यक बनना) 2051 तक टल जाता है तो हम मानेंगे कि हमने कुछ किया है.'

सरमा ने दावा किया कि जब वे कांग्रेस के कार्यकाल में असम के स्वास्थ्य मंत्री थे, तब 2009 में एक लाख पुरुषों की नसबंदी की गई थी. उन्होंने कहा, "धीरे-धीरे कार्यक्रम बंद कर दिया गया. अगर हम इस प्रक्रिया को जारी रख सकते हैं तो हम काफी हद तक सफल हो सकते हैं. ऐसा भी नहीं है कि सभी महिलाएं पांच-आठ बच्चों को जन्म देना चाहती हैं. कुछ सक्षम करने वाले कारक हैं जो संख्या बढ़ाने में मदद करते हैं."

तमिलनाडु में बड़ा हादसा, फूड प्रोसेसिंग यूनिट में अमोनिया गैस सिलेंडर फटा, 30 महिलाएं बेहोश, मचा हड़कंप


 तमिलनाडु के तूतीकोरिन पुतुर पांडियापुरम क्षेत्र में बीती रात एक प्राइवेट फूड प्रोसेसिंग यूनिट में अमोनिया गैस सिलेंडर में अचानक विस्फोट हो गया. इसके बाद अमोनिया गैस की चपेट में आने से 30 अधिक महिलाएं बेहोश हो गई. इससे इलाके में हड़कंप मच गया है. पीड़ितों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया. पुलिस घटना की जांच में जुटी है.

जानकारी के अनुसार एक निजी कंपनी मछली को लेकर फूड प्रोसेसिंग यूनिट चलाती है. बताया जाता है कि बीती रात करीब 11 बजे प्लांट में बिजली को लेकर गड़बड़ी हुई. इसके चलते अमोनिया गैस सिलेंडर में विस्फोट हो गया. इससे पूरे फिश प्रोसेसिंग प्लांट में अमोनिया गैस फैल गई. वहां काम करने वाले कर्माचारियों ने बेचैनी महसूस की. देखते ही देखते इसकी चपेट में आने से 30 से अधिक महिलाएं अचेत हो गई.

इससे वहां खलबली मच गई. बताया जा रहा है कि इनमें तमिलनाडु के कुंभकोणम इलाके की पांच महिलाएं और ओडिशा की 16 महिलाएं बीमार पड़ गई. पीड़ितों ने दम घुटने और आंखों में जलन की शिकायत की. आनन-फानन में कंपनी के वाहनों और एंबुलेंस की मदद से पीड़ितों को थूथुकुडी के दो निजी अस्पतालों में भर्ती कराया गया. बीमार महिलाओं को सांस संबंधी उपचार दिया जा रहा है.

पुथियाम्बुथुर पुलिस घटना की जांच कर रही है. मछली प्रसंस्करण संयंत्र में अमोनिया गैस के चलते दम घुटने से बेहोश हुई महिला कर्मचारियों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराए जाने से हड़कंप मच गया. जानकारी के अनुसार यह निजी कंपनी मछली को लेकर फूड प्रोसेसिंग यूनिट चलाती है. इसमें तैयार माल विदेशों में भेजा जाता है. इस यूनिट में 500 से अधिक महिलाएं काम करती है. यहां तमिलनाडु समेत देश के अन्य राज्यों की महिलाएं काम करती हैं.

पिछले साल भी हुई ऐसी घटना

तमिलनाडु के एन्नोर में अमोनिया गैस रिसाव के चलते 5 लोग बीमार पड़ गए थे. गैस रिसाव के बाद वहां काम करने वाले कर्माचारियों ने बेचैनी महसूस की. इसके बाद वहां हड़कंप मच गया. हालांकि, बाद में गैस लीक को बंद किया गया.

भोपाल में होगी आरएसएस की समन्वय बैठक, भाजपा के वरिष्ठ नेता भी होंगे शामिल

 मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में शनिवार को RSS की समन्वय बैठक होने जा रही है. इस बैठक में RSS एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता सम्मिलित होंगे. यह मध्य प्रदेश में नियमित रूप से होने वाली बैठक है. यूपी में सत्ता एवं संगठन के बीच मचे घमासान की खबरों के बीच भोपाल में आज RSS एवं भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की बैठक रखी गई है. इस बैठक में भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष, राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश एवं क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल सम्मिलित होंगे. 

वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा एवं प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा भी बैठक में भाग लेंगे. जबलपुर में इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव के चलते मुख्यमंत्री मोहन यादव इसमें सम्मिलित नहीं होंगे मगर शाम को जबलपुर से वापस आने पर वह सम्मिलित हो सकते हैं. बैठक में भारतीय मजदूर संघ के 70वें स्थापना दिवस पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम की तैयारियों पर भी चर्चा होगी. इससे पहले लोकसभा चुनाव 2024 में निराशाजनक प्रदर्शन की समीक्षा सहित तमाम मुद्दों को लेकर RSS एवं उत्तर प्रदेश सरकार के बड़े नेताओं के बीच भी बैठक होनी थी. मगर बैठक से एक दिन पहले ही इसे स्थगित कर दिया गया. यह बैठक शनिवार एवं रविवार को प्रस्तावित थी. 

हालांकि, इस बैठक के बारे में कोई औपचारिक खबर नहीं दी गई थी. मगर बताया जा रहा था कि ये बैठक RSS के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार की उपस्थिति में होनी थी. जानकारी के मुताबिक, अरुण कुमार के साथ सीएम योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य, उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, यूपी भाजपा अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी एवं संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह की बैठक होनी थी. हालांकि, ये बैठक क्यों स्थगित की गई इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है.

अयोध्या में NSG कमांडो सड़क पर उतरे, बख्तरबंद गाड़ियां लेकर राम मंदिर पहुंचे, आतंकियों से निपटने का किया रिहर्सल

डेस्क : रामलला की सुरक्षा को लेकर अयोध्या में एनएसजी कमांडो तैनात किए जाने हैं. इसको लेकर एनएसजी की टीम लगातार अपने कौशल कला का प्रदर्शन पिछले 3 दिन से कर रही है. राम जन्म भूमि परिसर में कल नेशनल सुरक्षा गार्ड (एनएसजी कमांडो) ने आपातकालीन स्थिति में सुरक्षा उपलब्ध कराते हुए आतंकी गतिविधियों से कैसे निपटा जाता है इसको लेकर अपने कौशल का प्रदर्शन किया.

 इसके बाद देर रात एक बार फिर एनएसजी कमांडो जब अयोध्या की सड़कों पर उतरे तो अयोध्यावासी भी आश्चर्यचकित हो गए.

देर रात हनुमानगढ़ी कनक भवन और दशरथ महल की सभी दुकानों को अचानक से बंद करा दिया गया. इसके बाद हनुमानगढ़ी बड़ा स्थान कनक भवन परिसर में टेररिस्ट एक्टिविटी होने पर किस तरह से लोगों को सुरक्षित किया जाता है, आपातकालीन स्थिति से कैसे निपटा जा सकता है इसको लेकर प्रदर्शन किया गया. 

बड़ा स्थान से कनक भवन और हनुमानगढ़ी तक मॉक ड्रिल करते हुए एनएसजी के जवानों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया. इस दौरान हनुमानगढ़ी और कनक भवन के आसपास भक्ति पथ के मार्ग को पूरी तरह से बंद कर दिया गया. अचानक होने वाले इस ड्रिल से स्थानीय लोग भी आश्चर्यचकित नजर आए.

सोनू सूद ने योगी सरकार के आदेश पर दी प्रतिक्रिया, फिर अपने बचाव में ऐसा क्या कहा कि भड़के लोग कर रहे ट्रोल

डेस्क: बॉलीवुड एक्टर सोनू सूद सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं और वे कई सारे मुद्दों पर बातें करना पसंद करते हैं. हाल ही में जब यूपी में कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानों के बाहर अपना नाम लिखवाने के आदेश दिए गए तो इसपर रिएक्ट करते हुए सोनू सूद ने सभी दुकानदारों से एक अपील की. उनकी अपील के बाद अब इस बात के लिए उन्हें ट्रोल किया जा रहा है. एक शख्स ने तो एक वीडियो शेयर किया है जो सोनू सूद के विरोध में है. इसपर सोनू सूद का रिएक्शन आ गया है जिसे लोग पसंद नहीं कर रहे हैं.

सोनू सूद ने दुकानकारों को संबोधित करते हुए कहा- ‘सभी दुकानों पर सिर्फ एक ही नेमप्लेट होनी चाहिए. वो है मानवता.’ उनके इस बयान पर एक शख्स ने वीडियो शेयर करते हुए उनकी बात का विरोध किया. लेकिन सोनू सूद ने इसपर अपने आपक को डिफेंड करते हुए रिएक्ट किया. उन्होंने कहा- हमारे श्री राम जी ने शबरी के जूठे बेर खाए थे तो मैं क्यों नहीं खा सकता. हिंसा को अहिंसा से पराजित किया जा सकता है मेरे भाई बस मानवता बरकरार रहनी चाहिए. जय श्री राम. अब ये वीडियो वायरल हो रहा है और लोग तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं.

एक शख्स ने लिखा- इतना भी डिफेंड मत करो, गलत को भी सही प्रूव करने में लगे हो. एक दूसरे शख्स ने लिखा- ‘मैं आपकी बहुत रिस्पेक्ट करता था लेकिन ऐसी मानसिकता.’ एक अन्य शख्स ने लिखा- इनकी समझ यहां तक ही सीमित है. ये श्रीराम को कभी नहीं समझ सकते. ये सिर्फ उनके नाम से कुछ भी उत्पाद और भेदभाव मचा कर बचना चाहते हैं. सोनू सूद की इस सफाई पर लोग जमकर रिएक्ट कर रहे और अपनी भड़ास निकाल रहे हैं.

सावन-भादो माह में महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन व्यवस्था हुई निर्धारित, भक्तों के लिए रहेंगी ये व्यवस्थाएं

सावन का महीना शिव भक्ति के लिए खास महत्व रखता है। इस के चलते देशभर के शिवालयों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है तथा भगवान महादेव के दर्शन एवं पूजन किए जाते हैं। उज्जैन में सावन का महीना अपने आप में एक उत्सव की भांति होता है। इसके अतिरिक्त, भादो मास के 15 दिन भी शिव भक्ति के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं। यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है, क्योंकि कुछ लोग श्रावण मास को पूर्णिमा से पूर्णिमा तक और कुछ अमावस्या से अमावस्या तक मानते हैं।

उज्जैन में भगवान महादेव की पूजा के लिए डेढ़ महीने का वक़्त तय किया गया है। इस के चलते महाकाल मंदिर में भक्तों का आंकड़ा बहुत बढ़ जाता है। मंदिर प्रबंधन समिति का अनुमान है कि हर सावन के सोमवार को तकरीबन साढ़े तीन लाख श्रद्धालु भगवान महाकाल के दर्शन तथा पूजन के लिए आते हैं, और प्रतिदिन आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या दो से ढाई लाख के बीच होती है। मंदिर प्रबंधन समिति ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए मंदिर परिसर में अस्थाई चिकित्सालय की व्यवस्था की है। अस्वस्थता महसूस होने पर श्रद्धालु यहां इलाज करवा सकते हैं। मंदिर प्रबंधन समिति के सहायक प्रशासक, मूलचंद जूनवाल ने बताया कि सावन-भादो मास के चलते चिकित्सकों एवं पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती की गई है। बारिश को देखते हुए शेड और गर्मी से बचाव के लिए कूलर आदि की भी व्यवस्था की गई है।

साधारण श्रद्धालुओं के लिए दर्शन की अलग व्यवस्था की गई है। प्रवेश त्रिवेणी संग्रहालय के समीप से नंदीद्वार, श्री महाकाल, महालोक, मानसरोवर भवन, टनल मंदिर परिसर, कार्तिक मण्डपम एवं गणेश मण्डपम तक होगा। भारत माता मंदिर की तरफ से आने वाले श्रद्धालु शंख द्वार से मानसरोवर भवन में प्रवेश कर फेसेलिटी सेंटर, टनल मंदिर परिसर, कार्तिक मण्डपम एवं गणेश मण्डपम से दर्शन कर सकेंगे।

कांवड़ यात्रियों के लिए भी अलग इंतजाम किया गया है। शनिवार, रविवार एवं सोमवार को छोड़कर अन्य दिनों में द्वार नंबर 04 से प्रवेश दिया जाएगा। बिना पूर्व सूचना के आने वाले कांवड़ यात्री सामान्य श्रद्धालुओं की भांति प्रवेश करेंगे और कार्तिक मंडपम में जल अर्पण करेंगे। भस्म आरती में रजिस्टर्ड श्रद्धालुओं की प्रवेश व्यवस्था मानसरोवर भवन एवं द्वार नंबर 01 से होगी। विशिष्ट अतिथियों के लिए दर्शन व्यवस्था नीलकण्ठ मार्ग से सत्कार कक्ष तक रहेगी।

मंदिर समिति एवं पुलिस ने भक्तों की भीड़ को संभालने और सुरक्षा के लिए पूरी तैयारी की है। मंदिर में 2 से ढाई हजार पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। मंदिर के अंदर एवं बाहरी क्षेत्रों में CCTV और सवारी मार्ग पर ड्रोन से निगरानी की जाएगी। मंदिर सहायक प्रशासक, मूलचंद जूनवाल ने बताया कि सावन-भादो में महाकाल मंदिर में आने वाले भक्तों के आंकड़े में बहुत बढ़ोतरी होती है। समिति ने इस भीड़ को संभालने के लिए पूरी तैयारी कर ली है।