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स्वाति मालीवाल मामला: दिल्ली पुलिस आज केजरीवाल के सहयोगी के खिलाफ 1,000 पन्नों की चार्जशीट कर सकती है दाखिल

दिल्ली पुलिस राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल के खिलाफ मारपीट के मामले में मंगलवार को स्थानीय अदालत में चार्जशीट दाखिल कर सकती है। समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया कि दिल्ली पुलिस इस मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सहयोगी बिभव कुमार के खिलाफ आरोपों की सूची तैयार करेगी। सूत्रों ने बताया कि पुलिस ने जांच लगभग पूरी कर ली है और 'तीस हजारी कोर्ट' में बिभव कुमार के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने के लिए तैयार है। पुलिस ने मामले के संबंध में 1,000 पन्नों की चार्जशीट भी तैयार की है, जिसमें घटना के समय केजरीवाल के आवास पर तैनात सुरक्षाकर्मियों को भी शामिल किया गया है।

पुलिस ने अरविंद केजरीवाल के आवास से डीवीआर जब्त कर लिया है और आरोपी बिभव कुमार के दो मोबाइल फोन समेत कई गैजेट जब्त कर लिए हैं। कुमार को उनके मोबाइल फोन से कथित रूप से डिलीट किए गए डेटा को रिकवर करने के लिए पुलिस हिरासत के दौरान दो बार मुंबई ले जाया गया था।

स्वाति मालीवाल ने आरोप लगाया कि 13 मई को जब वह मुख्यमंत्री से मिलने अरविंद केजरीवाल के आवास पर गई थीं, तब कुमार ने उन पर हमला किया था। उन्होंने 16 मई को कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई और 18 मई को दिल्ली पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। राज्यसभा सांसद द्वारा दर्ज की गई शिकायत के आधार पर, दिल्ली पुलिस ने सिविल लाइंस पुलिस स्टेशन में कुमार के खिलाफ धारा 308 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास), 341 (गलत तरीके से रोकना), 345बी (महिला के कपड़े उतारने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग), 506 (आपराधिक धमकी) और 509 (किसी महिला के सम्मान को ठेस पहुंचाने के लिए किसी शब्द, हाव-भाव या वस्तु का प्रयोग) के तहत मामला दर्ज किया।

मामले की जांच फिलहाल दिल्ली पुलिस की एक महिला एडिशनल डीसीपी स्तर की अधिकारी के नेतृत्व में हो रही है। इससे पहले, दिल्ली उच्च न्यायालय ने कुमार को जमानत देने से इनकार कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि आरोपी का इस मामले में "काफी प्रभाव" है। सुनवाई के दौरान जज ने कहा, "इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि अगर याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा किया जाता है तो गवाहों को प्रभावित किया जा सकता है या सबूतों से छेड़छाड़ की जा सकती है।" अदालत ने पुलिस की इस दलील को भी दर्ज किया कि महत्वपूर्ण सबूतों को दबाने की कोशिश की गई थी क्योंकि जांच के दौरान सीएम आवास पर लगे सीसीटीवी फुटेज के केवल चुनिंदा हिस्से ही सौंपे गए थे।

यूपी में बड़े पैमाने पर हिन्दू अपनाएंगे इस्लाम, मौलाना तौकीर रजा के संगठन ने किया ऐलान, मचा हड़कंप

#maulana_tauqeer_raza_said_on_21_july_5_hindu_boys_and_girls_will_be_converted_to_islam

योगी राज में सामूहिक धर्म परिवर्तन का ऐलान हुआ है।बरेली दंगे के मास्टरमाइंड इत्तेहादे मिल्लत काउंसिल के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा के एक बयान ने फिजा में जहर घोलने का काम का है।आईएमसी के प्रमुख मौलाना तौकीर रजा ने कहा कि कई हिंदू लड़के और लड़कियां उनके संपर्क में हैं, जो सनातम धर्म छोड़कर इस्‍लाम कबूल करना चाहते हैं। इतना ही नहीं अपने पसंद के मुस्लिम लड़के और लड़की से शादी करना चाहते हैं। इसको लेकर 21 जुलाई को सामूहिक विवाह समारोह की अनुमति मांगी है।

सामूहिक विवाह कार्यक्रम के लिए मांगी अनुमति

रजा ने कहा 21 जुलाई को सुबह 11 बजे खलील हायर सेकेंडरी स्कूल में पहले चरण में 5 जोड़ों का धर्म परिवर्तन और निकाह होगा।तौकीर रजा ने अपने दरगाह आला हजरत स्थित आवास पर प्रेस कांफ्रेंस कर ये ऐलान किया। रजा ने कहा कि पहले 5 हिन्दू लड़के और लड़कियों का मुस्लिम रीति रिवाज से कलमा पढ़वाकर और नमाज पढ़वाकर इस्लाम कबूल करवाया जाएगा और उन्हें मुसलमान बनाया जाएगा। जिसके बाद पांचों जोड़ों का निकाह करवाया जाएगा। रजा ने कहा कि हमने तो परमीशन मांगी है, हिन्दू तो वो भी नहीं मांगते है।

बड़ी संख्या में हिन्दू मुसलमान बनना चाहते हैं-रजा

मौलाना तौकीर रजा ने ये ऐलान किया है कि दो सालों से उन्होंने धर्म परिवर्तन पर रोक लगा रखी थी, लेकिन अब मौलानाओं का बहुत ज्यादा प्रेशर पड़ रहा है क्योंकि बड़ी संख्या में हिन्दू मुसलमान बनना चाहते हैं, जिस वजह से अब हिंदुओं को मुसलमान बनाने की बंदिशों को खत्म कर दिया गया है।

रजा के बयान पर भड़के वीएचपी नेता

तौकीर रजा के बयान पर वीएचपी के केंद्रीय प्रबंधन समिति के सदस्य राजकमल गुप्ता ने कहा कि डीएनए करा लें अपना और घर वापसी कर लें। हिन्‍दू धर्म में उनका हम स्वागत करेंगे। उन्‍होंने कहा कि तौकीर रजा मानसिक रूप से बीमार हो गए हैं। उन्‍होंने कहा कि ईंट का जवाब पत्थर से दिया जाएगा। हम विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकर्ता किसी को भी धर्म परिवर्तन नहीं करने देंगे।वीएचपी नेता की यूपी सरकार और केंद्र सरकार से मांग है कि तौकीर रजा की तुरंत गिरफ्तारी की जाए।

जम्मू-कश्मीर के डोडा में सेना और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़, सेना के एक अफसर समेत 4 जवान शहीद

#encounter_between_army_and_terrorists_in_doda

जम्मू-कश्मीर एक बार फिर आतंकवाद की चपेट में हैं। कुछ समय की शांति के बाद आतंकी फिर घाटी की शांति भंग करने की फिराक में हैं। इसी बीच जम्मू-कश्मीर के डोडा में बीती रात से आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ जारी है। जंगल में दोनों तरफ से लगातार फायरिंग हो रही है। एनकाउंटर में सेना के एक अधिकारी समेत 4 जवान शहीद हो गए हैं। मुठभेड़ में पांच जवान गंभीर रूप से घायल हो गए थे। जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जहां इलाज के दौरान चार जवानों ने दम तोड़ दिया।

अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रीय राइफल्स और जम्मू-कश्मीर पुलिस के विशेष अभियान समूह के जवानों ने रात करीब पौने आठ बजे देसा वन क्षेत्र के धारी गोटे उरबागी में संयुक्त घेराबंदी और तलाशी अभियान शुरू किया। इसके बाद मुठभेड़ शुरू हुई। अधिकारियों ने बताया कि मुठभेड़ तब हुई जब राष्ट्रीय राइफल्स और जम्मू-कश्मीर पुलिस के विशेष अभियान समूह के जवानों ने सोमवार देर शाम डोडा शहर से लगभग 55 किलोमीटर दूर देसा वन क्षेत्र में धारी गोटे उरारबागी में एक संयुक्त घेरा और तलाशी अभियान शुरू किया।भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों के साथ गोलीबारी में गंभीर रूप से घायल हुए एक अधिकारी सहित चार सैनिकों ने मंगलवार तड़के दम तोड़ दिया।

हाल ही में कठुआ जिले में हुए आतंकी हमले के बाद से सुरक्षाबलों की टीमें जम्मू रीजन के अलग-अलग इलाकों में सर्च ऑपरेशन चला रही हैं। इसी कड़ी में डोडा के घने जंगलों में सुरक्षाबलों का सर्च ऑपरेशन जारी है। इसी दौरान आतंकियों ने फायरिंग की। जवाबी कार्रवाई के साथ मुठभेड़ शुरू हो गई है।जानकारी के अनुसार, सुरक्षाबलों को डोडा के जंगल में आतंकियों के दल के छिपे होने की सूचना मिली थी। इस पर क्षेत्र में जम्मू-कश्मीर पुलिस के विशेष दस्ते (एसओजी) और सेना के जवानों ने सर्च ऑपरेशन चलाया था और इसी बीच में आतंकियों के साथ मुठभेड़ हुई।

वहीं, उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा में 24 घंटे पहले ही सुरक्षा बलों ने तीन आतंकियों को मार गिराया था। मारे गए तीनों आतंकियों के पास से भारी मात्रा में हथियार बरामद हुए हैं। नियंत्रण रेखा के पास हुई मुठभेड़ में मारे गए आतंकवादी बड़े हमले की तैयारी में थे। लेकिन इससे पहले पुलिस औ र सेना के सतर्क जवानों ने उनके नापाक इरादों को मिट्टी में मिला दिया।

जम्मू-कश्मीर में हाल के दिनों में आतंकी हमलों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। 9 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शपथ ली थी, उसी दिन दहशतगर्दों ने रियासी में तीर्थयात्रियों को ले जा रही बस पर हमला किया था। इससे बस खाई में गिरने से नौ लोगों की मौत हो गई थी। आतंकियों की ओर से 9 से 11 जून के बीच चार हमले किए गए हैं। इसके बाद जुलाई महीने की शुरुआत में, 8 जुलाई को कठुआ के बदनोटा इलाके में सेना के गश्ती दल पर भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों के एक समूह ने घात लगाकर हमला किया था। हमले में पांच जवान बलिदान हो गए थे।

गुजारा भत्ता को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में मुस्लिम संगठन, क्या राजीव गांधी की तरह झुकेगी मोदी सरकार
#will_muslim_organizations_be_able_to_bow_down_modi_govt_on_alimony_to_muslim-womens
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (10 जुलाई) को बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि एक मुस्लिम महिला सीआरपीसी की धारा 125 के तहत अपने पति से गुजारा भत्ता पाने की हकदार है। अदालत ने कहा कि सीआरपीसी का ये प्रावधान सभी शादीशुदा महिलाओं पर लागू होता है, फिर वे किसी भी धर्म को मानती हों। अदालत ने ये भी साफ कर दिया कि मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 1986 को धर्मनिरपेक्ष कानून पर तरजीह नहीं मिलेगी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल में बने एक बेहद विवादित कानून को बड़ा झटका दिया है।

*शाह बानो केस को पलटने राजीव सरकार ने लाया था कानून*
दरअसल, राजीव गांधी सरकार ने शाह बानो केस में सुप्रीम कोर्ट के इसी तरह के आदेश को पलटने के लिए नया कानून बना दिया था। शाह बानो नाम की मुस्लिम महिला को जब सुप्रीम कोर्ट ने पति से गुजारा भत्ता लेने का हकदार बताया था तब 1985 में आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के अंतर्गत गुजारा भत्ते के हकदार माने जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ सड़क से सदन तक जबरदस्त लड़ाई लड़ी थी। मुस्लिम समुदाय के आक्रोश के आगे झुककर तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने संसद से मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम 1986 कानून पारित करवा दिया था। इस अधिनियम ने तलाक के बाद केवल 90 दिनों तक मुस्लिम तलाकशुदा महिलाओं को अपने पूर्व पति से गुजारा भत्ता पाने के अधिकार को प्रतिबंधित कर दिया।

*सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मुस्लिम संगठनों में उत्तेजना*
इसी मसले पर सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले ने बोर्ड और मुस्लिम संगठनों को फिर उत्तेजित कर दिया है। ताजा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 125 सभी धर्म की महिलाओं पर लागू होता है यानी यह एक धर्मनिरपेक्ष प्रावधान है। कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट कह दिया है कि यह फैसला हर धर्म की महिलाओं पर लागू होगा और मुस्लिम महिलाएं भी इसका सहारा ले सकती हैं। इसके लिए उन्हें सीआरपीसी की धारा 125 के तहत कोर्ट में याचिका दाखिल करने का अधिकार है।

*38 साल पहले वाला वाकया दोहराने की कोशिश*
पहली नजर में सुप्रीम कोर्ट का ताजा फैसला एक तलाकशुदा जोड़े अब्दुल समद और उसकी पत्नी के बीच की कानूनी लड़ाई के निपटारे तक सीमित है, लेकिन मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड समेत कई मुस्लिम संगठनों का नजरिया इसे लेकर जुदा है। वे इसे मुस्लिम पर्सनल लॉ में सीधा हस्तक्षेप मानते हैं और इस फैसले के दूरगामी प्रभावों को लेकर फिक्रमंद हैं। स्वाभाविक है कि वे चाहेंगे कि यह पलटा जाए। ठीक वैसे ही जैसे करीब 38 साल पहले शाह बानो मामले में हुआ था।

*विरोध का कानूनी रास्ता तलाश रहे मुस्लिम संगठन*
अब फैसले से असंतुष्ट होने के बाद भी बोर्ड सधे कदमों के साथ आगे बढ़ रहा है और कानूनी रास्तों पर जोर दे रहा है।जिस तरह से देश में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की मांग तेज हुई है, उसने भी मुस्लिम संगठनों की चिंता बढ़ा दी है। उन्हें लगता है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के पूरे किले के ही ढह जाने का खतरा पैदा हो गया है। तीन तलाक जैसे मामलों में मोदी सरकार के रुख को देखते हुए मुस्लिम संगठन सार्वजनिक तौर पर विरोध के बजाय अंदरखाने रणनीति बनाने में जुटे हैं।
दबाव की राजनीति की जगह आंतरिक बैठकों में विरोध का कानूनी रास्ता तलाशा जा रहा है। जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिकाएं डाली जा सकती हैं। कांग्रेस, सपा व द्रमुक जैसे विपक्षी दलों को भी साथ आने का आह्वान किया जा सकता है, जिससे देश में राजनीतिक हलचल तेज हो सकती है।
पाकिस्तान में इमरान खान की पार्टी पर बैन की तैयारी में शरीफ सरकार, सजा-ए मौत का भी खतरा!
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पाकिस्तान की जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं।पाकिस्तान की सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है।पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी पर देश विरोधी गतिविधियों में कथित संलिप्तता के लिए प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। यह जानकारी शहबाज शरीफ सरकार में सूचना मंत्री अताउल्लाह तरार ने दी।

तरार ने कहा कि उनकी सरकार पीटीआई पर प्रतिबंध लगाने जा रही है क्योंकि पाकिस्तान और पीटीआई एक साथ नहीं रह सकते। ये पार्टी और इसकी सोच देश के लिए खतरा बन गए हैं और इसके लोग देशविरोधी कामों में शामिल हैं। प्रतिबंध के फैसले की घोषणा करते हुए मंत्री तरार ने कहा कि पीटीआई पर कार्रवाई के लिए विश्वसनीय सबूत मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि विदेशी फंडिंग मामले 9 मई के दंगे, सिफर प्रकरण और अमेरिका में पारित प्रस्ताव को देखते हुए हमारी सरकार मानना है कि पीटीआई पर प्रतिबंध लगाने के लिए लिए ये बहुत विश्वसनीय सबूत हैं।

पाकिस्तान सरकार ने पीटीआई पर प्रतिबंध लगाने के साथ ही इमरान खान, पूर्व राष्ट्रपति आरिफ अल्वी और पूर्व उप सभापति कासिम सूरी के खिलाफ आर्टिकल 6 लगाने का भी ऐलान किया है। आर्टिकल 6 के तहत मामले में मौत की सजा हो सकती है। इससे उनके भविष्य में चुनाव लड़ने पर भी संकट हो सकता है।

सरकार का यह फैसला पीटीआई को आरक्षित सीटों के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई राहत के साथ-साथ अवैध विवाह मामले में खान को दी गई राहत के बाद आया है। विशेषज्ञों का कहना है क‍ि यह इमरान खान का सियासी वजूद खत्‍म करने की तैयारी है, ताक‍ि वे अपनी लोकप्र‍ियता का फायदा न उठा पाएं।

71 साल के इमरान खान पाकिस्तान के लोकप्रिय क्रिकेटर रहे हैं। उनकी कप्तानी में पाकिस्तान ने 1992 में एकदिवसीय वर्ल्डकप जीता था। खेल के बाद वह राजनीति में आए। 1996 में उन्होंने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) का गठन किया। 1996 से 2023 तक वह पीटीआई के अध्यक्ष रहे हैं। अगस्त 2018 से अप्रैल 2022 तक वह पाकिस्तान के 22वें प्रधानमंत्री के रूप में काम कर चुके हैं। 2022 पीएम पद से हटने के बाद उनकी मुश्किलें शुरू हुईं। उन पर कई मामले दर्ज हुए और उनको गिरफ्तार कर लिया गया। इमरान फ‍िलहाल रावलपिंडी की अडियाला जेल में बंद हैं। उनको दो मामलों में सजा भी सुनाई जा चुकी है।
संसद सुरक्षा चूक मामले में आरोपियों के खिलाफ UAPA के तहत चलेगा केस, पुलिस ने दायर की सप्लीमेंट्री चार्जशीट
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13 दिसंबर, 2023 को संसद की सुरक्षा में चूक का मामला सामने आया था। इस मामले में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर कर दी है। एलजी वीके सक्सेना से सभी आरोपियों पर यूएपीए के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी मिलने के बाद स्पेशल सेल ने सोमवार को पटियाला हाउस कोर्ट में आरोप पत्र दायर किया।इस मामले में अब आरोपियों को दो अगस्त को कोर्ट में पेश किया जाएगा और सुनवाई होगी।

विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) अधिवक्ता अखंड प्रताप सिंह ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश डॉ. हरदीप कौर को सूचित किया कि जांच एजेंसी ने संबंधित अधिकारियों से यूएपीए की धारा 13 के तहत अभियोजन की मंजूरी प्राप्त कर ली है। एसपीपी अखंड प्रताप ने अदालत को यह भी बताया कि कुछ एफएसएल रिपोर्ट का इंतजार है जो जल्द ही जमा कर दी जाएंगी। दलील पर गौर करने के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने मामले को संज्ञान पर बहस के लिए 2 अगस्त, 2024 के लिए सूचीबद्ध कर दिया है। इस बीच अदालत ने सभी आरोपियों की न्यायिक हिरासत भी उसी तारीख तक बढ़ा दी।

इस मामले में उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने छह आरोपियों पर गैर-कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति दी है।इस मामले में दिल्ली पुलिस ने उपराज्यपाल से यूएपीए की धारा 16 और 18 के तहत उनके अभियोजन का अनुरोध किया था। एलजी ने रिकॉर्ड पर पर्याप्त सामग्री पाए जाने पर अभियोजन स्वीकृति प्रदान की।

इस मंजूरी से पहले समीक्षा समिति (डीओपी, तीस हजारी, दिल्ली) ने भी 30 मई को जांच एजेंसी द्वारा एकत्र किए गए संपूर्ण साक्ष्यों की जांच की। जांच में संसद हमले के मामले में आरोपियों की संलिप्तता पाई गई थी। इसे देखते हुए समीक्षा समिति ने पाया कि प्रथम दृष्टया आरोपियों के खिलाफ यूएपीए के तहत मामला बनता है।

इससे पहले 7 जून, 2024 को दिल्ली पुलिस ने सभी छह गिरफ्तार आरोपियों मनोरंजन डी, ललित झा, अमोल शिंदे, महेश कुमावत, सागर शर्मा और नीलम आज़ाद के खिलाफ लगभग 1000 पन्नों की चार्जशीट दायर की थी। मनोरंजन डी, सागर शर्मा, अमोल धनराज शिंदे, नीलम रानोलिया, ललित झा और महेश कुमावत नाम के छह लोगों पर अवैध रूप से संसद में प्रवेश करने और लाइव सत्र के दौरान लोकसभा में धुआं फैलाने का आरोप है।इन लोगों पर 13 दिसंबर 2023 को सदन की कार्यवाही के दौरान संसद पर कथित रूप से हमला करने का आरोप है।
देश में होने वाला है बड़ा बदलाव, वन रेट पॉलिसी लागू करने की तैयारी में सरकार, पूरे देश में सोने का होगा एक ही दाम


देश के अलग-अलग शहरों में सोने और चांदी की कीमत भी अलग होती है. सोने और चांदी के रेट पर हर राज्य के अलग-अलग टैक्स के अलावा भी कई तरह की चीजें जोड़ी जाती हैं. इसके चलते राज्यों ने इन सोने दाम भी अलग-अलग हो जाते हैं. अब देश में बड़ा बदलाव आने जा रहा है. जेम एंड ज्वैलरी काउंसिल वन नेशन, वन रेट पॉलिसी को लागू करने के लिए तैयार हैं.

इसके बाद आप देश में कहीं भी सोना खरीदें आपको रेट एक ही मिलेगा. ऐसा होने पर आम जनता को उनके शहर में ही सोना एक ही दाम पर मिल जाएगा. दरअसल देश भर में काफी समय से वन नेश वन रेट अपनाने की कवायद चल रही थी. अब देश भर के ज्वैलर्स इस पॉलिसी को लागू करने को तैयार हो गए है. उम्मीद की जा रही है अगले महीने यानी सितंबर में ही इसकी आधिकारिक घोषणा हो जाएगी.


‘वन नेशन वन रेट पॉलिसी’ भारत सरकार की ओर से प्रस्तावित एक योजना है. सरकार का मकसद है पूरे देश में सोने की कीमते समान हो. इस योजना पर अमल करने के लिए सरकार नेशनल लेबल पर एक बुलियन एक्सचेंज बनाएगी. नेशनल बुलियन एक्सचेंज ही पूरे देश में सोने के दाम तय करेगा. इसे और आसान भाषा में आप ऐसे समझ सकते है. जैसे शेयर मार्केट में किसी कंपनी के शेयर के दाम पूरे देश में एक ही होते है और यही दाम बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज या नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड होते है. अभी मौजूदा दौर मे सोने-चांदी की खरीद बिक्री MCX पर होती है. लेकिन अब सर्राफा बाजार के लिए भी एक एक्सचेंज बन जाएगा. इस एक्सचेंज को बनाने की मांग काफी समय से हो रही थी.


राष्ट्रीय स्तर पर बनी बुलियन एक्स्चेंज ही सोने की कीमतों को तय करेगा और देश भर के ज्वैलर्स को उसी कीमत पर सोना बेचना होगा. जो कीमत एक्सचेंज तय करेगा. ऐसा होने से इस इंडस्ट्री में तो पार्दशिता बढ़ेगी ही. साथ ही साथ आम जनता को भी सोना पूरे देश में एक ही दाम पर मिलेगा. मान लीजिए आप लखनऊ में रहते है औऱ वहां सोना महंगा है. ऐसे में अगर आपके घर में शादी है तो आप सोना खरीदने के लिए उस शहर में जाते हैं जहां लखनऊ से सस्ता सोना मिलता है. इस योजना के लागू होने के बाद यह समस्या खत्म हो जाएगी.

मौजूदा समय में सोने की कीमतें सर्राफा बाजार के एसोशियन की ओर से तय की जाती है. तो हर शहर के लिए अलग-अलग होती है. अमूमन हर एक सर्राफा बाजार अपने अपने शहरों की कीमत शाम के समय जारी करता है. पेट्रोल-डीजल की तर्ज पर ही सोने-चांदी की कीमतें भी हर रोज तय की जाती है. सोने-चांदी की कीमतों में ग्लोबल सेंटीमेंट्स का भी अहम रोल होता है. अतंराष्ट्रीय बाजारों की कीमतों का असर घरेलू बाजार पर भी होता है.


इस पॉलिसी के आने से इंडस्ट्री में पार्दशिता बढ़ेगी जिसका फायदा आम आदमी को भी मिलेगा. कीमतों का अंतर खत्म होने से सोने की कीमतों में भी कमी आ सकती है. वहीं ज्वैलर्स की मनमानी पर लगाम लग सकेगा. वहीं इस योजना के आने से कारोबारियों में भी कंपिटिशन बढ़ेगा लिहाजा यह स्कीम कारोबार के लिहाज से भी मील का पत्थर साबित हो सकती है. इस पॉलिसी को लागू करने के लिए ज्वैलर्स की संस्था GJC ने देश भर के ज्वैलर्स से राय ली है. जिसमें ज्वैलर्स इसे लागू करने की सहमति जता चुके है.
9 नवंबर से पहले उत्तराखंड में लागू होगा यूसीसी, सीएम धामी ने की बड़ी घोषणा, सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मुस्लिम पक्ष


उत्तराखंड में भाजपा की कार्यकारिणी प्रदेश कार्य समिति बैठक चल रही है. इस बैठक में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बड़ा बयान दिया है. सीएम धामी ने सहा 9 नवंबर राज्य स्थापना दिवस से पहले उत्तराखंड में UCC लागू कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा उत्तराखंड देश में यूसीसी लागू करने वाला पहला राज्य बन जाएगा.

भाजपा प्रदेश कार्य समिति की एकदिवसीय बैठक में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा यूनिफॉर्म सिविल कोड के ड्राफ्ट की सभी औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं. इसे राष्ट्रपति से भी मंजूरी मिल चुकी है. इसके बाद अब आने वाले 9 नवंबर 2024 को प्रदेश में इसे लागू कर दिया जाएगा. कार्य समिति की बैठक में मौजूद उत्तराखंड भाजपा मुख्य प्रवक्ता सुरेश जोशी ने बताया मुख्यमंत्री का यह बयान भारतीय जनता पार्टी के विजन डॉक्यूमेंट पर मुहर लगता है.

उन्होंने कहा भारतीय जनता पार्टी ने अपने संकल्प पत्र में एक देश एक निशान और एक संविधान की परिकल्पना की थी. यूनिफॉर्म सिविल कोड उसी की दिशा में बढ़ाया गया एक कदम है.भाजपा मुख्य प्रवक्ता सुरेश जोशी ने कहा 9 नवंबर 2024 को उत्तराखंड राज्य देश में पहला ऐसा राज्य बन जाएगा जहां पर पूर्ण रूप से यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हो जाएगा. इसको लेकर के लंबे समय से सभी तकनीकी पहलुओं पर कार्य किया जा चुका है.

यूसीसी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
जहां एक तरफ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 9 नवंबर से उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड करने की घोषणा कर दी है तो वहीं दूसरी तरफ यूनिफॉर्म सिविल कोर्ट को लेकर कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी भी हो चुकी है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ उत्तराखंड में लागू होने जा रहे यूनिफॉर्म सिविल कोड को कोर्ट में चुनौती देने जा रहा है. रविवार को मुस्लिम संगठन द्वारा जारी की गई सूचना के अनुसार उत्तराखंड में पारित किए गए यूनिफॉर्म सिविल कोर्ट को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगा.

यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर कोर्ट में मिलने जा रही चुनौतियों को लेकर के भाजपा प्रवक्ता सुरेश जोशी ने कहा किसी भी नियम या कानून को लेकर के सुप्रीम कोर्ट में जाना किसी भी व्यक्ति का संवैधानिक अधिकार है. उन्होंने कहा यूनिफॉर्म सिविल कोड कमेटी ने सभी तकनीकी पहलुओं और कानूनी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए इसका ड्राफ्ट तैयार किया है. उन्हें नहीं लगता है इसे किसी भी तरह की चुनौतियों से कमजोर किया जा सकता है.
आप नेता मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 22 जुलाई तक बढ़ी, दिल्ली शराब नीति मामले में घोटाले का है आरोप


दिल्ली शराब नीति मामले में जेल में बंद आम आदमी पार्टी (आप) नेता मनीष सिसोदिया को कोर्ट से राहत नहीं मिली है. राउज एवेन्यू कोर्ट ने सोमवार (15 जुलाई) को सिसोदिया की न्यायिक हिरासत को 22 जुलाई तक के लिए बढ़ा दिया. CBI की ओर दर्ज मामले में राउज एवेन्यू कोर्ट ने उनकी न्यायिक हिरासत की अवधि 22 जुलाई तक के लिए बढ़ा दी है.

दिल्ली सरकार में पूर्व उपमुख्यमंत्री रहे मनीष सिसोदिया को आज राउज एवेन्यू कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश किया गया. अदालत ने सीबीआई से जुड़े इस मामले में सुनवाई के बाद जमानत देने से इनकार कर दिया. अब इस मसले पर अगली सुनवाई 22 जुलाई को होगी.

इससे पहले मनीष सिसोदिया ने निचली अदालत के 30 अप्रैल 2024 के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. शीर्ष अदालत ने भी उनकी जमानत याचिका खारिज कर दिया था.

26 फरवरी 2023 को हुई थी गिरफ्तारी

दिल्ली आबकारी नीति मामले में पूर्व उपमुख्यमंत्री रहे मनीष सिसोदिया को 26 फरवरी 2023 को गिरफ्तार किया गया था. सीबीआई का आरोप है कि भ्रष्टाचार के इस मामले में मनीष सिसोदिया ने अहम भूमिका निभाई थी. वर्तमान में दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े दोनों ही मामले में उनके खिलाफ अलग-अलग अदालतों जमानत याचिका लंबित हैं.
देवी-देवताओं की 94 मूर्तियां, कई प्राचीन अवशेष, और भी बहुत कुछ..! ASI रिपोर्ट में भोजशाला के मंदिर होने के स्पष्ट संकेत






भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने आज सोमवार (15 जुलाई) को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के समक्ष विवादित भोजशाला परिसर पर अपनी वैज्ञानिक सर्वेक्षण रिपोर्ट जमा कर दी है। इस रिपोर्ट में कई ऐतिहासिक कलाकृतियों की खोज को दर्शाया गया है, जो विवादित परिसर के मंदिर होने का स्पष्ट संकेत देती हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि सर्वेक्षण के दौरान चांदी, तांबे, एल्युमीनियम और स्टील से बने कुल 31 सिक्के मिले हैं, जो अलग-अलग समय के हैं। ये सिक्के इंडो-सासैनियन (10वीं-11वीं सदी), दिल्ली सल्तनत (13वीं-14वीं सदी), मालवा सल्तनत (15वीं-16वीं सदी), मुगल (16वीं-18वीं सदी), धार राज्य (19वीं सदी) और ब्रिटिश (19वीं-20वीं सदी) के हैं।

इसके अलावा कई दिनों तक चले सर्वेक्षण में कुल 94 मूर्तियां, मूर्तियों के अवशेष और वास्तुशिल्प तत्व भी मिले हैं। ये मूर्तियां बेसाल्ट, संगमरमर, शिस्ट, सॉफ्ट स्टोन, बलुआ पत्थर और चूना पत्थर से बनी हैं। इनमें गणेश, ब्रह्मा, नरसिंह, भैरव, अन्य देवी-देवताओं, मनुष्यों और जानवरों जैसे देवताओं की आकृतियाँ हैं। जानवरों की आकृतियों में शेर, हाथी, घोड़े, कुत्ते, बंदर, सांप, कछुए, हंस और पक्षी शामिल हैं। पौराणिक आकृतियों में कीर्तिमुख और व्याल (संयुक्त जीव) के विभिन्न रूप शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि मनुष्यों और जानवरों की कई छवियों को खराब कर दिया गया है, ताकि उनकी पहचान मिट सके। ऐसा खासकर उन इलाकों में है, जहां अब मस्जिद खड़ी हैं।


वर्तमान संरचना में पाए गए कई टुकड़ों में संस्कृत और प्राकृत शिलालेख भी हैं, जो साहित्यिक और शैक्षिक गतिविधियों का संकेत देते हैं। एक शिलालेख में परमार वंश के राजा नरवर्मन (जिन्होंने 1094-1133 ई. के बीच शासन किया) का उल्लेख है। अन्य शिलालेखों में खिलजी शासक महमूद शाह का उल्लेख है, जिन्होंने एक मंदिर को मस्जिद में बदल दिया था। ASI रिपोर्ट से पता चलता है कि भोजशाला कभी एक महत्वपूर्ण शैक्षणिक केंद्र था, जिसे राजा भोज ने स्थापित किया था। बरामद कलाकृतियों से पता चलता है कि वर्तमान संरचना पहले के मंदिरों के हिस्सों का उपयोग करके बनाई गई थी।

क्यों है विवाद

बता दें कि हिंदू समुदाय 11वीं शताब्दी के स्मारक भोजशाला को वाग्देवी (देवी सरस्वती) का मंदिर मानता है, जबकि मुस्लिम पक्ष इसे कमाल मौला मस्जिद कहता है। पिछले 21 वर्षों से हिंदुओं को मंगलवार को भोजशाला में पूजा करने की अनुमति है, जबकि मुसलमानों को शुक्रवार को यहां नमाज अदा करने की अनुमति है। मामले में याचिकाकर्ता हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने इस व्यवस्था को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। जिसके बाद 11 मार्च को उच्च न्यायालय ने 'हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस' के आवेदन पर एएसआई को परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था। ASI को सर्वेक्षण पूरा करने के लिए छह सप्ताह का समय दिया गया था। एएसआई ने 22 मार्च को विवादित परिसर का सर्वेक्षण शुरू किया था जो हाल ही में समाप्त हुआ। 4 जुलाई को उच्च न्यायालय ने एएसआई को विवादित स्मारक परिसर में लगभग तीन महीने तक चले सर्वेक्षण की पूरी रिपोर्ट 15 जुलाई तक पेश करने का आदेश दिया था। उच्च न्यायालय इस मामले की सुनवाई 22 जुलाई को करेगा।