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BJP छोड़ दो वरना हम दुनिया से उठा देंगे’, चंडीगढ़ में भाजपा नेताओं को मिला धमकी भरा पत्र, पुलिस को दी शिकायत

 चंडीगढ़ में भारतीय जनता पार्टी के 4 बड़े नेताओं को जान से मारने की धमकी मिली है। ये 4 नेता पंजाब से है तथा सिख हैं। हत्या की धमकी की चिट्ठी चंडीगढ़ में स्थित भाजपा कार्यालय में भेजी गई है, इसके साथ ही कुछ ज्वलनशील पदार्थ भी मिले हैं। चिट्ठी में भाजपा नेताओं को चेतावनी दी गई है कि वे भाजपा छोड़ दें या फिर दुनिया छोड़ दें। चिट्ठी में खालिस्तान एवं पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लिखे गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी के जिन नेताओं को धमकी मिली है, उनमें भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव मनजिंदर सिंह सिरसा, भारतीय जनता पार्टी सिख समन्वय समिति व राष्ट्रीय रेलवे कमेटी के सदस्य तेजिंदर सिंह सराँ एवं बीजेपी महासचिव परमिंदर बराड़ सम्मिलित हैं। इसके अतिरिक्त इसमें भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश संगठन महासचिव श्रीनिवासुलु का भी नाम है। 

धमकी भरा पत्र मिलने के पश्चात् भारतीय जनता पार्टी नेताओं ने इस बारे में चंडीगढ़ पुलिस को शिकायत दी है। तत्पश्चात, पुलिस ने पत्र में मिली सामग्री को जाँच के लिए भेज दिया है। तेजिंदर सिंह सरां ने कहा वो इस मामले में पंजाब तथा चंडीगढ़ के डीजीपी से मिलेंगे। भारतीय जनता पार्टी नेता​ परमिंदर सिंह बराड़ एवं तेजिंदर सराँ को लिखा गया है कि हमने पहले भी सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से आपको चेतावनी दी थी कि आप लोगों ने अपने सिर पगड़ी में बाँध रखी हैं। आप भारतीय जनता पार्टी एवं RSS के साथ मिलकर सिखों और पंजाब के लोगों को धोखा दे रहे हैं। आप RSS के साथ सिख मामलों में दखल दे रहे हैं, हमने आपको पहले भी चेतावनी दी थी। आप या तो भारतीय जनता पार्टी छोड़ दें या हम आपको इस दुनिया से उठा देंगे।

चिट्ठी में लिखा है, “आपने भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर किसान आंदोलन को तोड़ने का काम किया। आप सिख धर्म के गद्दार हैं। आप भाजपा-RSS की सहायता से पंजाब के लोगों को गुमराह कर रहे हैं एवं लोगों को भारतीय जनता पार्टी में सम्मिलित होने के लिए कहने की योजना बना रहे हैं। आप सिखों एवं मुसलमानों के रिश्ते खराब करने का काम कर रहे हैं, भारतीय जनता पार्टी एवं RSS आपका उपयोग करने के बाद आपको बाहर निकाल देंगे। कई लोग सिखों एवं पंजाब को बर्बाद करने आए और भगा दिए गए। न तो सिख खत्म हो पाए और न ही पंजाब। तुमने पंजाब को बर्बाद कर दिया है। जिसे हम अब साफ कर देंगे और बहुत जल्द हम तुमसे मिलेंगे।” चिट्ठी में लिखा गया है कि चंडीगढ़ में बैठकर तुम हमारे खिलाफ साजिश कर रहे हो तथा हम जल्द ही इसका बदला लेंगे। मनजिंदर सिरसा भी RSS की भाषा बोलता है, हम उसे भी सबक सिखाएँगे। मनजिंदर सिरसा ने दिल्ली एसजीपीसी को भारतीय जनता पार्टी RSS को सौंप दिया। हम उसे कभी नहीं छोड़ेंगे। हम जल्द ही दिल्ली डीएसजीएमसी के गुरुद्वारों को भारतीय जनता पार्टी से मुक्त कराएँगे। तुम जैसे कई गद्दारों ने भारतीय जनता पार्टी सरकार के साथ मिलकर कनाडा पाकिस्तान एवं भारत में हमारे भाइयों को मारा है और हम इसका बदला लेंगे।

चिट्ठी में लिखा गया, “हम बीजेपी प्रदेश संगठन महामंत्री श्रीनिवासुलू को भी चेतावनी देते हैं कि वह शीघ्र ही पंजाब छोड़ दें क्योंकि हमारी उनसे कोई दुश्मनी नहीं है किन्तु हम सिखों के किसी भी गद्दार को नहीं छोड़ेंगे। खालिस्तान जिंदाबाद है और रहेगा।” पत्र के अंत में खालिस्तान जिंदाबाद, पाकिस्तान जिंदाबाद खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स, हरदीप निज्जर जिंदाबाद, अवतार सिंह खंडा जिंदाबाद, परमजीत सिंह पंजवड जिंदाबाद, मौलाना रहीम उल्ला तारिक जिंदाबाद, पीर बशीर अहमद जिंदाबाद, मौलाना जीआर रहमान जिंदाबाद लिखा गया है।

मुझे बचा लो, मेरी पत्नी के 5 पति', एमपी के छतरपुर में शिकायत लेकर एसपी दफ्तर पहुंचा शख्स

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मध्य प्रदेश के छतरपुर एसपी दफ्तर से एक अनोखी घटना सामने आई. यहाँ एक शख्स ने शिकायती आवेदन देकर कहा कि उसकी पत्नी के कई पति हैं तथा सभी को किसी न किसी मामले में फंसा चुकी है एवं अब मेरी बारी है. आवेदक फूलचंद कुशवाहा ने बताया, विनीता उर्फ बृजेश उर्फ सलमा ने मुझे अपनी प्रेम जाल में फंसा कर 2011 में शादी की थी. शादी के पश्चात् पता चला कि विनीता ब्यूटी पार्लर का चलाती है तथा उस व्यवसाय की आड़ में अनेक सामाजिक तत्वों से उसके संबंध हैं. 

फरियादी ने बताया कि वह अपनी पत्नी के ब्यूटी पार्लर संबंधी व्यवसाय के खिलाफ था. इसी के चलते पत्नी ने सिविल लाइन थाना छतरपुर में उसकी झूठी रिपोर्ट दर्ज करवा दी. फूलचंद ने बताया, मेरी पत्नी विनीता उर्फ बृजेश एवं सलमा ने वर्ष 2000 में रामवीर तोमर से शादी की थी. रामवीर तोमर की धन संपत्ति हड़पकर साल 2006 में महिला ने अपना नाम और धर्म परिवर्तन कर सलमा रख लिया तथा भूरे खान नाम के व्यक्ति से निकाह कर लिया. भूरे खान की संपत्ति हड़पने के बाद फिर विनीता सिंह बन गई तथा वर्ष 2008 मैं अजय खरया निवासी टीकमगढ़ से पुनः हिंदू बनकर शादी की. 

वही इसी बीच, वर्ष 2009 में छतरपुर निवासी जगदीश प्रसाद सिंह से शादी कर ली तथा इसके बाद 2011 में आवेदक से शादी कर अब आवेदक को अपने प्रेमियों से जान से मारने एवं थाने में झूठी रिपोर्ट लिखवाने की धमकी दे रही है.

उन्नाव में भीषण सड़क हादसा: बस में सवार 18 लोगों की मौत, एक झपकी और उजड़ गए कई परिवार

 सीतामढ़ी से चल कर बुधवार की

सुबह दिल्ली जा रही डबल डेकर बस में सवार तीन परिवार उजड़ गए. दो परिवार तो पूरी तरह से खत्म हो गए हैं. इनमें एक परिवार बिहार के शिवहर जिले में हिरागा निवासी लाल बाबू दास का है. वहीं दूसरा परिवार मुलहारी जिले में शिवोली के रहने वाले मो. शफीक का परिवार है. इन दोनों ही परिवारों के चार चार लोग इस हादसे में मारे गए हैं. इसी प्रकार दिल्ली में रहने वाली शबाना और उनकी बेटी नगमा की मौत हुई है. यह हादसा मंगलवार-बुधवार की भोर में करीब साढ़े 4 बजे हुआ है.

उन्नाव के बेहटा मुजावर थाना क्षेत्र में यह हादसा आगरा से करीब 247 किमी पहले हुआ है. इस हादसे में डबल डेकर बस का एक हिस्सा पूरी तरह साफ हो गया है. वहीं इस हिस्से की ओर सो रहे लोगों की मौत हो गई है. सीओ बांगरमऊ के मुताबिक इस हादसे में अब तक 18 लोगों की मौत हो चुकी है. इनमें 14 लोगों की पहचान भी हो गई है. इनमें भी 11 लोग तीन परिवारों के हैं.उन्होंने बताया कि बिहार के शिवहर जिले में हिरागा के रहने वाले लालबाबू दास का परिवार रोजी रोटी के लिए दिल्ली में रहता है.

उनके बच्चे यहीं पर पढ़ाई भी करते हैं. ये लोग गर्मी की छुट्टियों में गांव गए थे और छुट्टियां खत्म होने के बाद इस डबल डेकर बस में सवार होकर दिल्ली लौट रहे थे. इस हादसे में लालबाबू दास, उनके बेटे राम प्रवेश, भरत भूषण और बाबू दास की मौत हुई है. इसी प्रकार बिहार के ही मुलहारी में शिवोली की रहने वाली चांदनी का पूरा परिवार इस हादसे में मारा गया है. इस बस में चांदनी के साथ ही उनके पति शफीक, बेटा तौफीक और बहू मुन्नी सवार थी. इन सभी की मौत हो गई है. तीसरा परिवार दिल्ली के भजनपुरा में रहने वाली शबाना का है. इस हादसे में शबाना के साथ ही उनकी बेटी नगमा की भी मौके पर मौत हो गई है.

पुलिस के मुताबिक यह हादसा ओवरटेकिंग के दौरान हुआ हो सकता है. दरअसल दूध का टैंकर मध्यम गति से आगरा की ओर जा रहा था. इतने में पीछे से तेज रफ्तार में डबल डेकर बस आ गई. पुलिस का दावा है कि उस समय दो परिस्थितियां बनी होंगी. एक तो यह कि डबल डेकर बस के ड्राइवर को नींद आ गई हो और उसने कंटेनर में टक्कर मार दी हो. दूसरी परिस्थिति यह भी हो सकती है कि डबल डेकर बस के ड्राइवर ने कंटेनर को ओवरटेक करने की कोशिश की हो और उसी दौरान कंटेनर के ड्राइवर ने भी उसी दिशा में गाड़ी मोड़ दी हो.

इस हादसे में बस का बायां साइड कंटेनर से टकराया है. चूंकि कंटेनर की स्पीड कम थी और बस की ज्यादा थी. ऐसे में कंटेनर की बॉडी को रौंदते हुए बस आधा से अधिक अंदर घुस गई. इसके चलते बस का बायां हिस्सा बुरी तरह से डैमेज हो गया. इस हादस में बस के बाएं साइड में सवार सभी लोगों की मौत तो हुई ही है, दाहिनी ओर नींद का झोंका ले रही सवारियां भी प्रभावित हुई. इनमें भी ज्यादातर लोगों की मौत हुई है. पुलिस के मुताबिक यह संयोग ही था कि टक्कर बाएं साइड में हुआ है. यदि यही टक्कर दाहिनी साइड में होता तो मौत का आंकड़ा और भी बढ़ सकता था.

मोदी-पुतिन मुलाकात पर क्या रहा विदेशी मीडिया का रूख?

#world_media_commented_on_modi_s_russia_visit 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का रूस दौरा खत्म हो गया है, लेकिन चर्चा जारी है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार शाम रूस की राजधानी मॉस्को पहुंचे थे। दोनों नेताओं के बीच पुतिन के निजी आवास नोवो ओगारियोवो में अनौपचारिक बैठक हुई। इस दौरान पुतिन ने पीएम दी का गर्मजोशी से स्वागत किया। दोनों दोस्तों ने क दूसरे को गले लगाया। रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ पीएम मोदी की मीटिंग पर पूरी दुनिया की नजर रही। 

दुनियाभर के मीडिया ने इस खबर को खास जगह दी। जानते हैं पीएम मोदी की इस यात्रा को लेकर कहां-क्या छपा...

अमेरिकी अखबार 'द न्यूयॉर्क टाइम्स' ने लिखा है कि पीएम मोदी की मॉस्को यात्रा से पुतिन को अलग-थलग करने की कोशिश कमजोर हुई है। न्यूयॉर्क टाइम्स लिखता है कि भारतीय प्रधानमंत्री की ये यात्रा वास्तविक सच्चाई को दिखाती है। भले ही पश्चिमी देश रूस को कमजोर करने की कोशिश में जुटे हैं, मगर जिस तरह से रूस, अन्य देशों से अपने संबंध बना रहा है इससे उसकी अर्थव्यवस्था और मजबूत ही हुई है। भारत ने रूस से भारी मात्रा में सस्ता तेल खरीदा है, जिससे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध झेल रहे रूस की आर्थिक स्थिति बेहतर हुई है। अखबार ने आगे लिखा है कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन के लिए पीएम मोदी का ये दौरा यह दिखाने का तरीका है कि अमेरिका से भारत के मजबूत होते रिश्तों के बावजूद रूस और भारत के बीच गहरा रिश्ता बरकरार है।

ब्रिटिश अखबार द गार्जियन में हना पीटरसन ने लिखा है कि यूक्रेन संकट के बावजूद मोदी और पुतिन ने अपनी दोस्ती के रिश्ते को और मजबूत किया है। पुतिन ने मोदी से मुलाकात के दौरान कहा कि वे उन्हें देखकर बहुत खुश हैं। सोमवार रात हुई बातचीत में पीएम मोदी ने पुतिन को सलाह दी कि युद्ध के मैदान से शांति का रास्ता नहीं निकलता है, लेकिन फिर भी पुतिन की महत्वाकांक्षा पर मोदी के शब्दों का कोई असर होगा, ऐसा नहीं लगता।

चीन की मीडिया ने भी रूसी यात्रा पर लगातार नजर रखी। उसने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के गले मिलने की एक तस्वीर को लेकर सवाल खड़ा किया है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक रिपोर्ट में कहा गया, शक्ति कूटनीति के खेल में शब्दों की तुलना में अक्सर आपके शारीरिक हावभाव अधिक खुलासा करते हैं। बीजिंग, नई दिल्ली और मॉस्को के नेताओं के मिलने की दो तस्वीरों ने उनके त्रिपक्षीय संबंधों की स्थिति को प्रभावी ढंग से व्यक्त किया है। रिपोर्ट में आगे कहा गया, जहां पीएम मोदी गर्मजोशी और गले मिलने की कूटनीति के लिए प्रसिद्ध हैं। वहीं, चीन के राष्ट्रपति शी जिनफिंग और रूसी राष्ट्रपति पुतिन को हाथ मिलाने के लिए ज्यादा जाना जाता है। शायद यही कारण है कि ये तस्वीरें अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में आ गई हैं। इससे यूक्रेन के खिलाफ पुतिन की आक्रामक नीति को संभव बनाने में बीजिंग और नई दिल्ली की भूमिका की जांच करने के लिए वाशिंगटन और उसके सहयोगी देशों को प्रेरित किया है।

चीन की एक अन्य मीडिया रिपोर्ट में भी पीएम मोदी की इस यात्रा को अमेरिका के लिए एक निराशाजनक कदम बताया है। ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट में विश्लेषकों का कहना है कि रूस और भारत के बीच घनिष्ठ संबंधों का मतलब है कि यूक्रेन संकट शुरू होने के बाद से रूस को रोकने और अलग-थलग करने के अमेरिका के निरंतर प्रयास विफल हो गए हैं। हालांकि, भारत की संतुलित कूटनीति न केवल अपने हितों के अनुरूप है, बल्कि वैश्विक रणनीतिक संतुलन में भी योगदान देती है, जिसे लंबे समय से अमेरिकी नेतृत्व से चुनौती मिली है।

त्रिपुरा के स्कूल-कॉलेज में कैसे फैला एचआईवी? संक्रमण की चपेट में आए 828 छात्र, 47 की एड्स से मौत

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भारत के पूर्वोत्तर के राज्य त्रिपुरा में एचआईवी-एड्स को लेकर चौंकाने वाली खबर सामने आई है। राज्य में 828 स्टूडेंट्स में एचआईवी होने का पता चला है। इनमें से 47 छात्रों की मौत हो चुकी है। एचआईवी ग्रस्त 572 छात्र अभी भी जिंदा है और इनमें से कई हायर एजुकेशन के लिए त्रिपुरा से बाहर चले गए हैं। ये आंकड़े त्रिपुरा राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी (टीएसएसीएस) की ओर से सामने आएं हैं। टीएसएसीएस का एक खुलासा और भी चौंकाने वाला है। सोसायटी के एक अधिकारी ने बताया कि अभी तक राज्य के 220 स्कूल और 24 ऐसे कॉलेजों की पहचान की गई है, जहां छात्र नशीली दवा लेते हैं।

त्रिपुरा पत्रकार यूनियन, वेब मीडिया फोरम और टीएसएसीएस द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित एक वर्कशॉप को संबोधित करते हुए टीएसएसीएस के संयुक्त निदेशक ने ये आंकड़े प्रस्तुत किए।त्रिपुरा राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी के संयुक्त निदेशक ने कहा, “हमने अप्रैल 1999 से राज्य में काम करना शुरू किया है। लेकिन छात्रों का आँकड़ा अप्रैल 2007 से मई 2024 तक, बीते 17 वर्षों में हमें 828 मामले एचआईवी-एड्स के मिले हैं। इनमें से 47 छात्रों की मौत हो चुकी है। हालाँकि 572 छात्र अब तक जीवित हैं, जिसमें से बड़ी संख्या में छात्र दूसरे राज्यों में पढ़ाई कर रहे हैं।”

त्रिपुरा में साल 1999 से अब तक एड्स के आँकड़ों से पता चला है कि अप्रैल 2007 से मई 2024 तक राज्य में एआरटी- एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी केंद्रों में 8,729 लोगों को रजिस्टर्ड किया गया है। इनमें एचआईवी से पीड़ित लोगों की कुल संख्या 5,674 है और इनमें भी 4,570 पुरुष, 1103 महिलाएँ और केवल एक मरीज ट्रांसजेंडर है। लेकिन जो संख्या सबसे ज्यादा चौंकाने वाली है, वो है छात्रों की।

अभी तक आए मामलों से पता चला कि जो छात्र एचआईवी की चपेट में आए, उनमें से अधिकतर अमीर परिवारों से हैं। उनके माता और पिता नौकरी करते हैं। ऐसे छात्रों को ड्रग्स खरीदने के लिए पैसे की कमी नहीं होती है। बता दें कि कुछ दिन पहले त्रिपुरा हाई कोर्ट ने भी ऐसे एक मामले की सुनवाई करते हुए एनडीपीएस अधिनियम के तहत पकड़े गए आरोपियों के माता-पिता घरवालों को सामुदायिक सेवा करने का आदेश दिया था। साथ ही उनसे गांव में एक महीने तक नशा विरोधी अभियान चलाने को कहा था।

आईआरएस अधिकारी ने बदला लिंग और नाम, अनुसूया से हो गए अनुकाथिर सूर्या

#irs_m_anusuya_change_gender_and_become_anukathir_surya

भारत के सिविल सेवा इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि कोई महिला अधिकारी पुरुष बन गया हो। हैदराबाद में तैनात एक महिला अधिकारी लिंग परिवर्तन कराकर युवक बन गए हैं। इस अधिकारी ने अपना नाम भी बदल लिया है। अब इस अधिकारी का नाम एम अनुसूया से अनुकाथिर सूर्या हो गया है। इस फैसले की मंजूरी वित्त मंत्रालय की ओर से भी मिल गई है।9 जुलाई को इसकी आधिकारिक घोषणा कर दी गई। सभी सरकारी रिकॉर्ड में अब वह महिला नहीं रहेंगी।

भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) की एक महिला अधिकारी अब अपना लिंग बदल कर पुरुष बन गए हैं। 2013 बैच की आईआरएस एम. अनुसूया ने कुछ दिनों पहले अपना लिंग चेंज करने की अनुमति अपने विभाग से माँगी थी। उनको यह अनुमति मंगलवार (9 जुलाई, 2024) को दे दी गई। उन्हें यह अनुमति वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ डायरेक्ट टैक्सेज ने दी है। इस संबंध में एक आदेश सीबीडीटी की तरफ से जारी किया गया है। इसमें लिखा है, “सुश्री एम. अनुसूया, IRS (C&IT: 2013) वर्तमान में चीफ कमिश्नर (CESTAT), हैदराबाद के कार्यालय में ज्वाईंट कमिश्नर के रूप में तैनात हैं। उन्होंने अपना नाम सुश्री एम. अनुसूया से श्री एम.अनुकाथिर सूर्या और लिंग महिला से पुरुष में बदलने का अनुरोध किया है। सुश्री एम. अनुसूया के अनुरोध पर विचार किया गया है। अब से, अधिकारी को सभी आधिकारिक रिकॉर्डों में उनका नाम ‘श्री एम.अनुकाथिर सूर्या’ के रूप में पहचाना जाएगा।”

हैदराबाद में केंद्रीय कस्टम एवं सर्विस टैक्स अपीलेंट ट्रिब्यूनल में जॉइंट कमिश्नर के पद पर तैनात महिला आईआरएस अधिकरी जेंडर बदलने के बाद फिर से नौकरी पर वापस आ गई हैं।11 साल नौकरी करने के बाद उन्होंने अपना जेंडर बदला है।

2013 बैच की आईआरएस अधिकारी के लिंक्डइन प्रोफाइल के अनुसार दिसंबर 2013 से मार्च 2018 तक उनकी तैनाती चेन्नई के तमिलनाडु में असिस्टेंट कमिश्नर के पद पर रही। उसके बाद अप्रैल 2018 से दिसंबर 2023 तक तमिलनाडु में ही वह डिप्टी कमिश्नर रहीं। जनवरी 2023 में उनकी तैनाती हैदराबाद में ज्वाइंट कमिश्ननर के पद की गई। तब से वह इस पद पर हैं।

ब्रिटेन में 14 साल बाद सत्ता परिवर्तन, क्या भारत के साथ रिश्तें पर पड़ेगा असर?

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दुनियाभर के चुनावों में बदलाव की दस्तक साफ-साफ सुनी जा सकती है। हाल ही में ब्रिटेन में भी ऐतिहासिक रूप से सत्ता परिवर्तन हुआ है। पिछले 14 सालों से ब्रिटेन में कंजर्वेटिव पार्टी का शासन था। अब लेबर पार्टी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। ऋषि सुनक की कंजर्वेटिव पार्टी को ब्रिटिश आम चुनावों में करारी हार का सामना करना पड़ा। प्रधानमंत्री के रूप में ऋषि सुनक भले ही हमेशा ब्रिटेन के हितों को आगे रखते थे, लेकिन एक भारतवंशी होने की वजह से कहीं न कहीं भारत के लिए उनके मन में एक सॉफ्ट कॉर्नर जरूर रहा होगा और यह बात पीएम मोदी के साथ उनकी मुलाकातों में नजर भी आती थी। ऐसे में स्टारमर के आने के बाद भारत और ब्रिटेन के रिश्ते कैसे होंगे, इस पर चर्चा होने लगी है।सवाल उठ रहे हैं कि ब्रिटेन में किएर स्टार्मर की प्रचंड जीत हिंदुस्तान के लिए कैसी है? परिवर्तन के नारे के साथ सत्ता में आए किएर स्टार्मर भारत के लिए कैसे रहेंगे? 

कीर स्टार्मर के भारत के लिए स्टैंड को चुनाव प्रचार के दौरान के उनके भाषणों से समझा जा सकता है। चुनाव अभियान के दौरान लेबर नेता कीर स्टार्मर ब्रिटिश भारतीयों के साथ-साथ भारत को भी लुभाने की कोशिश करते देखे गए। स्टार्मर ने लेबर और भारत के बीच तनावपूर्ण संबंधों को सुधारने की बात कही और सरकार बनाने पर भारत के साथ एक मजबूत रणनीतिक साझेदारी पर जोर दिया। स्टार्मर ने लेबर पार्टी के पुराने समय में लिए गए कुछ फैसलों का भी जिक्र किया। खासतौर से कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के पक्ष में पार्टी के रुख में बदलाव का उन्होंने संकेत दिया। दरअसल, 2019 में कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने पर लेबर ने भारत की आलोचना की थी।

किएर स्टार्मर ने वादा किया है कि वो भारत के साथ रिश्ते सुधारेंगे। अगर लेबर पार्टी की सरकार भारत के साथ रिश्ते सुधारने को अपने एजेंडे का हिस्सा बनाती है, तो किएर स्टार्मर के लिए भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर दस्तख़त करना सबसे बड़ी प्राथमिकता होगी। इस तरफ उन्होंने कदम बढ़ा दिया है।ब्रिटेन के प्रधानमंत्री का पद संभालते ही स्टारमर ने अपनी कैबिनेट का गठन कर दिया। उन्होंने डेविड लैमी को विदेश मंत्री नियुक्त किया। कहा जा सकता है कि यह भारत के लिए एक अच्छी खबर है क्योंकि लैमी को दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों का समर्थक माना जाता है। 

51 साल के लैमी ने पिछले महीने ही कहा था कि अगर उनकी पार्टी 4 जुलाई को सत्ता में आती है तो वह नई दिल्ली का दौरा करेंगे।लैमी ने पूर्व पीएम बोरिस जॉनसन द्वारा मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के लिए निर्धारित दिवाली 2022 की समय सीमा चूक जाने का जिक्र करते हुए कहा था, ‘कई दिवाली बिना किसी व्यापार समझौते के गुजर गई और बहुत सारे व्यवसाय इंतजार में रह गए। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को मेरा संदेश है कि लेबर पार्टी आगे बढ़ने के लिए तैयार है। आइये, मुक्त व्यापार समझौता करें और आगे बढ़ें।’ लैमी ने यह भी कहा था कि अगर वह सरकार में शामिल हुए तो जुलाई के खत्म होने से पहले दिल्ली में होंगे।

बता दें कि ब्रिटेन में भारतीय मूल के लगभग 15 लाख लोग रहते हैं। वहीं, पाकिस्तानी मूल के भी लगभग 12 लाख लोग वहां बसते हैं; इसके अलावा ऐसे संगठन भी ब्रिटेन में सक्रिय हैं, जो भारत की संप्रभुता को चुनौती देते हैं। 10 डाउनिंग स्ट्रीट में लेबर पार्टी का प्रधानमंत्री आने से खालिस्तान को लेकर नई सरकार का क्या रुख रहेगा। इस पर भारत की नजर रहेगी। दरअसल, पिछले साल मार्च के महीने में लंदन में भारतीय उच्चायोग पर 50 खालिस्तान समर्थकों ने हमला किया था। इस घटना का असर दोनों देशों के रिश्तों पर भी पड़ा था।

इस बार चुनाव जीतने वालों में कई भारतीय चेहरे भी शामिल हैं, जिसमें प्रीति कौर गिल का चेहरा भारत से रिश्तों के लिहाज से काफी अहम साबित हो सकता है।ब्रिटेन की पहली सिख महिला सांसद लेकिन इनकी असली पहचान भारत विरोध से जुड़ी है, जो समय-समय पर भारत के खिलाफ जहर उगलती रहती हैं।ऐसे में अब ये देखना होगा कि ब्रिटेन की नई सरकार भारत के साथ कैसे रिश्ते बनाती है।

मुस्लिम महिला भी पति से मांग सकती है गुजारा भत्ता, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मुस्लिम महिलाओं के हक में एक बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से उन मुस्लिम महिलाओं को बड़ी राहत मिली है जिनका तलाक हो चुका है या पति से अलग रहने को मजबूर हैं। अदालत ने कहा कि कोई भी मुस्लिम तलाकशुदा महिला पति से गुजारे भत्ता मांग सकती है। इसके लिए महिलाएं सीआरपीसी की धारा 125 के तहत याचिका दायर कर सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने आज इस मामले पर अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि यह कानून हर धर्म की महिलाओं के लिए लागू होता है।

बता दें कि जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह ने इस मामले पर सुनवाई की। दोनों जजों ने अलग-अलग फैसले सुनाए। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह ने अलग-अलग, लेकिन एक जैसा फैसला दिया। देश की सबसे बड़ी अदालत ने अपने फैसले में कहा कि कुछ पति इस तथ्य से अवगत नहीं हैं कि पत्नी, जो एक गृहिणी होती है लेकिन इन होम मेकर्स की पहचान भावनात्मक और अन्य तरीकों से उन पर ही निर्भर होती है।

न्यायमूर्ति नागरत्ना ने फैसला सुनाते हुए कहा, "धारा 125 सभी महिलाओं पर लागू होगी, न कि सिर्फ विवाहित महिलाओं पर।" पीठ ने कहा कि भरण-पोषण दान नहीं बल्कि विवाहित महिलाओं का अधिकार है और यह सभी विवाहित महिलाओं पर लागू होता है, चाहे वे किसी भी धर्म की हों।

सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच ने एक मुस्लिम शख्स की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें सीआरपीसी की धारा 125 के तहत अपनी तलाकशुदा पत्नी के पक्ष में अंतरिम भरण-पोषण आदेश को चुनौती दी गई थी। दरअसल, तेलंगाना हाईकोर्ट ने मोहम्मद अब्दुल समद को अपनी तलाकशुदा पत्नी को हर महीने 10 हजार रुपये गुजारा भत्ता देने के आदेश दिया था, जिसके खिलाफ वह सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। मोहम्मद अब्दुल समद नाम के शख्स ने याचिका दायर की थी। याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया।

ममता सरकार को सुप्रीम कोर्ट से राहत, बंगाल में सीबीआई की एंट्री मामले में केंद्र के खिलाफ याचिका पर होगी सुनवाई

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पश्चिम बंगाल में सीबीआई जांच के खिलाफ ममता सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में 1 मई को याचिका लगाई थी। कोर्ट ने 8 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। आज यानी 10 जुलाई को कोर्ट ने याचिका को सुनवाई योग्य माना। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने केंद्र सरकार की उस दलील को खारिज कर दिया कि, यह अर्जी सुनवाई योग्य नहीं है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ममता सरकार को राहत दी है। 

ममता सरकार का आरोप है कि राज्य के अधीन आने वाले मामलों को सीबीआई जांच के लिए भेजी जाती है। इसके बाद उन मामलों की एकतरफा जांच होती है। वहीं, इन मामलों पर केद्र सरकार हस्तक्षेप करती है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने माना कि इस याचिका पर सुनवाई होनी चाहिए।

कोर्ट ने कहा- बंगाल सरकार ने कानूनी पहलू उठाया है जिस पर विचार किया जाना चाहिए। इसके साथ ही बेंच ने कहा कि, जब राज्य सरकार ने CBI जांच के लिए दी गई अपनी परमीशन को वापस ले लिया तो फिर एजेंसी वहां के मामलों में केस क्यों दर्ज कर रही है।

बंगाल सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत केंद्र के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। सुप्रीम कोर्ट सीबीआई के राज्य में जांच के अधिकार क्षेत्र की समीक्षा करेगा। शीर्ष अदालत बंगाल सरकार की याचिका पर मेरिट के आधार पर आगे सुनवाई करेगी। वह 13 अगस्त को यह तय करेगी कि किन-किन मुद्दों पर सुनवाई की जाए। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट सितंबर में अगली सुनवाई करेगा।

भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य कोच बने गौतम गंभीर, देश से किया ये वादा

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टीम इंडिया को नया हेड कोच मिल गया है। 2007 और 2011 की टी-20 और वनडे वर्ल्ड कप चैंपियन भारतीय टीम के सदस्य रहे पूर्व सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर भारतीय क्रिकेट टीम के नए हेड कोच बन गए हैं। बीसीसीआई ने मंगलवार को गौतम गंबीर के नाम का मुख्य कोच के तौर पर ऐलान किया। इसके साफ ही गौतम गंभीर को लेकर लगाए जा रहे तमाम कयासों पर विराम लग गया है। गौतम गंभीर ने राहुल द्रविड़ की जगह ली जिनका कार्यकाल टी20 वर्ल्ड कप के बाद खत्म हो गया। द्रविड़ के कार्यकाल में टीम इंडिया टी20 वर्ल्ड चैंपियन बनी और अब इस महाजीत के 11 दिन बाद ही टीम को गौतम गंभीर के रूप में नया हेड कोच मिल गया है।

भारतीय टीम के टी20 विश्व कप 2024 का खिताब जीतने के साथ ही राहुल द्रविड़ का बतौर हेड कोच कार्यकाल समाप्त हो गया था। इसके बाद हेड कोच की पद खाली थी और इसको लेकर लगातार चर्चा चल रही थी। गौतम गंभीर का भारत के हेड कोच बनने की रेस में नाम सबसे ऊपर था और आज इंतजार खत्म हुआ। बीसीसीआई ने गंभीर को भारत का हेड कोच बना दिया।

टीम इंडिया के हेड कोच बनने के बाद गौतम गंभीर का पहला रिएक्शन भी सामने आया है। उन्होंने अपने एक्स पर भारत के झंडे की तस्वीर के साथ कैप्शन में अपना लक्ष्य साफ बता दिया है। गौतम गंभीर ने टीम इंडिया का हेड कोच बनते ही देश के करोड़ों क्रिकेट फैंस से अपना बेस्ट करने का वादा किया। गंभीर ने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘भारत मेरी पहचान है और अपने देश की सेवा करना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सौभाग्य रहा है। अलग कैप पहनने के बावजूद वापस आकर मैं सम्मानित महसूस कर रहा हूं। लेकिन मेरा लक्ष्य वही है जो हमेशा से रहा है, हर भारतीय को गौरवान्वित करना। नीली जर्सी वाले खिलाड़ियों के कंधों पर 1.4 अरब भारतीयों के सपने हैं और मैं इन सपनों को साकार करने के लिए सब कुछ करूंगा।’

गौतम गंभीर एक अनुभवी और सफल क्रिकेट खिलाड़ी रहे हैं। उन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम में बड़ी सफलताएं हासिल की। उनके पास खेल की गहरी समझ है। साल 2003 में भारतीय नेशनल टीम के लिए डेब्यू करने वाले गंभीर ने सलामी बल्लेबाज के रूप में अपनी दृढ़ता और कौशल से जल्द ही छाप छोड़ी। बतौर बल्लेबाज टीम इंडिया को साल 2007 में टी20 वर्ल्ड कप और 2011 में वर्ल्ड कप जिताने में अहम भूमिका अदा की। इसके साथ-साथ उन्होंने 6 मैचों में टीम इंडिया की कप्तानी की और उन्होंने हर मैच जीता. मतलब बतौर भारतीय कप्तान उनका सक्सेस रेट 100 फीसदी है। गौतम गंभीर के खेल में सौरव गांगुली की झलक दिखती है। वह ऑस्ट्रेलियाई माइंडसेट से खेलते हैं। एग्रेसिव प्लानिंग करते हैं। मैदान पर उनके बिहेवियर से लेकर फैसलों में इसकी झलक मिल जाती है। उनके खुद के खेलने का अनुभव और टीम इंडिया में भावनाओं, दबावों और जरूरतों को समझने की ताकत से गंभीर काफी आगे जा सकते हैं।

गौतम गंभीर को उनकी लीडरशिप क्षमता के लिए पहचाना जाता है। वे फील्ड पर बेहद आक्रामकता के साथ टीम लीड करते हैं। गंभीर को नेशनल टीम के साथ कप्तान के तौर पर अपनी नेतृत्व क्षमता दिखाने का मौका नहीं मिला, लेकिन उन्होंने अपनी कप्तानी का लोहा तब मनवाया जब उन्होंने आईपीएल में केकेआर को दो-दो बार चैंपियन बनाया। पहली बार लखनऊ सुपर जायंट्स के लिए कोचिंग में हाथ आजमाया और लगातार दो सीजन टीम प्लेऑफ में पहुंची। केकेआर का मेंटॉर बनकर टीम को तीसरा खिताब दिलाया।