कृष्ण - सुदामा की मित्रता का वर्णन सुनकर श्रोता भक्त हुए भावविभोर
सिद्धेश्वर पाण्डेय
आजमगढ़ । फूलपुर नगर के बाबा परमहंस जी मंदिर परिसर में चल रहे संगीतमई श्री मद भागवत कथा सप्ताह के अन्तिम दिन शनिवार को वृन्दावन से पधारे व्यास पीठ से कथाकार श्री प्रभु दयाल जी महराज ने कहा की भौसुरा नामक राक्षस सोलह हजार एक सौ राजकुमारियों को कैद कर रखा था। जब बात श्री कृष्ण जी को पता चलता है। तो भौसूरा को मार राजकुमारियों को मुक्त करते हैं। लेकिन राजकुमारियां अब कहा जाय कौन राजकुमार करेगा हम बन्दी से विवाह,, श्री कृष्ण जी उनकी पीड़ा समझते हैं। और सभी से विवाह कर अपना नाम देते हैं। आठ पटरानी के साथ सोलह हजार एक सौ आठ जो श्लोक रूप में भागवत कथा में अंकित है।
कथा में श्री कृष्ण सुदामा मित्रता की भाव पूर्ण व्याख्या से श्रोता मंत्रमुग्ध हो भाव विभोर हो उठते हैं। सुदामा पत्नी सुशीला के बार बार कहने पर द्वारिका द्वारिकाधीश से मिलने जाते हैं। और कहते हैं मुझे श्री कृष्ण से मिलना है।पर उनकी दीन हीन दशा देखकर सभी उनका मजाक उड़ाते हैं। द्वारपाल भगाने की कोशिश करता है। बार बार कहने पर सिर्फ कृष्ण को मेरे आने की सूचना दे दो। अगर नही मिले तो चला जाऊंगा। तब दयालु प्रवृत्ति का एक द्वारपाल कहता है ठीक है। लेकिन तुम यही एक किनारे रही। जब द्वारपाल श्री कृष्ण से द्वारपाल एक व्यक्ति आप से मिलना चाहता है। पर दीन हीन अवस्था में है। आपको अपना मित्र बताता है। और नाम सुदामा,, इतना सुनते ही श्री कृष्ण चौक उठते हैं,क्या,, सुदामा,, सुदामा आया है। और सुध बुध छोड़ द्वार की तरफ नंगेपग दौड़ पड़ते हैं। जो देखता है बस देखता ही रहता है। दुपट्टा कही गिरा, पगड़ी कही,, सुदामा, सुदामा कह कर लिपट जाते हैं। आंखों से अश्रु धारा बहने लगती हैं। सभी देखते और आश्चर्य करते यह अदभुत मित्रता। फिर सुदामा को सिंहासन पर बैठाया। और रूक्मिणी से बोले लाओ थाल मेरा मित्र आया है। आओ इसके पाव धोये। कहते हैं श्री कृष्ण अपने अश्रुओ से ही सुदामा का पाव धोते हैं। और शिकायत करते हैं। ऐसी मित्रता कही किसी ने नहीं देखी। फिर बोले भाभी ने मेरे लिए क्या भेजा है, सुदामा शर्म से बोले कुछ नहीं, प्रभु सुदामा जी द्वारा छुपाया का रहा तंदूल छीन लिया। झूठे फिर श्री कृष्ण एक मुट्ठी तंदुल खाते हैं, फिर दूसरा मुट्ठी, जब तीसरा मुट्ठी उठाते हैं। रूक्मिणी जी रोक लेती है। और कहती है हम सब भी खायेंगे। प्रभु दयाल जी बडे भाव मग्नमुद्रा में श्रोताओ को श्री कृष्णके भक्ति रस में अभिसिंचित कर रहें थे। वही संगीत से श्लोक बुंदेला जी अरे द्वारपालो कन्हैया से कह दो,,, आदि भक्ति रस से झूमने पर मजबूर कर दिए। कथा विश्राम के पश्चात हवन पूजन, पूर्णाहुति हुई। और भंडारा। भंडारे में काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। आयोजक मण्डल श्री मती दुर्गा मोदनवाल, अजय मोदनवाल ने सभी का आभार प्रकट किया। इस अवसर पर
राकेश विश्वकर्मा, राजेश मोदनवाल, मनोज गुप्ता, चन्दन गुप्ता, सुरेश,विष्णु मोदनवाल, राजेश गुप्ता, आदि ने अपनी सहभागिता निभाई।
Jul 08 2024, 19:39