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मौसम का हाल : कल 24 जून से बिहार में बारिश की बढ़ेगी गतिविधि, प्रदेश के इन इलाकों में भारी बारिश के आसार*


डेस्क : पिछले कुंछ दिनों से सूरज के तल्ख तेवर से परेशान बिहारवासियों को बीते दो-तीन दिन से भीषण गर्मी से थोड़ी राहत मिली है। काले बादलों के साथ रिमझिम फुहारों से कई जिले तर हो गए और प्रचंड गर्मी से प्रदेशवासियों को बड़ी राहत मिली। इसी बीच मौसम विभाग की ओर से एकबार बड़ी राहत वाली सूचना जारी की गई है। मौसम विभाग के अनुसार प्रदेश में 24 जून से बारिश की गतिविधियां बढ़ेंगी। वहीं 25 और 26 जून को बारिश की गतिविधि में और वृद्धि होने के आसार हैं। इस बाबत मौसम विभाग ने चेतावनी जारी की है। इस दौरान उत्तर बिहार के ज्यादातर जिलों में मध्य से भारी बारिश होने आसार हैं। वहीं दक्षिण बिहार में भी हल्के से मध्यम स्तर तक की बारिश हो सकती है। हालांकि आज रविवार को उत्तर-पूर्व भाग के एक-दो स्थानों पर गरज व चमक के साथ हल्की बारिश हो सकती है। वहीं पटना सहित शेष भाग में लोगों को उमस भरी गर्मी का सामना करना पड़ सकता है। मौसम विभाग के अनुसार दक्षिण-पश्चिम मानसून का उत्तरी सीमा मालदा, भागलपुर और रक्सौल में बनी हुई है। दो-तीन दिनों के दौरान इसके आगे बढ़ने की परिस्थितियां अनुकूल बन रही है। इस कारण प्रदेश के अन्य भागों में भी मानसून के प्रसार बढ़ने के आसार हैं। मौसम विभाग के अनुसार शनिवार को पटना सहित प्रदेश के अधिकतम तापमान में बढ़ोतरी हुई। राज्य का अधिकतम पारा 4.4 डिग्री तक चढ़ा। वहीं 6 शहरों का तापमान 40 डिग्री के पार चला गया। प्रदेश का सबसे गर्म जिला भोजपुर (41.5 डिग्री) रहा। वहीं पटना के अधिकतम तापमान में 1.7 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी के साथ 38.7 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। तापमान चढ़ने और पुरवा हवा चलने के कारण लोगों को उमस भरी गर्मी का एहसास हुआ। हालांकि शुक्रवार को अधिकतम तापमान में गिरावट और बादलों की आवाजाही के कारण राजधानी सहित दक्षिण बिहार के लोगों को राहत मिली थी।
अब राजद पर परिवारवाद का नहीं लगेगा आरोप ! तेजस्वी ने बड़ा फैसला लेते हुए इस सांसद को बनाया राजद संसदीय दल का नेता

डेस्क : तेजस्वी के हाथ में जब से राजद की कमान आई है बहुत सारे फैसले ऐसे लिए जा रहे है जिससे ऐसा लगता है कि राजद पर परिवारवाद के लगने वाले आरोप से बाहर निकालने की कोशिश हो रही है। लालू परिवार पर यह आरोप लगते रहे हैं कि वह पार्टी के सारे पद पर अपने ही परिवार के लोगों को बैठाते हैं। अब पहली बार तेजस्वी यादव ने इन आरोपों से बाहर निकलने की कोशिश की है। 

2019 में लोकसभा में कोई सांसद नहीं होने के कारण रिक्त संसदीय दल के नेता को लेकर इसबार राजद के 4 सांसद होने पर यह माना जा रहा था कि पाटलिपुत्र से सांसद बनी लालू प्रसाद की बड़ी बेटी मीसा भारती को संसदीय दल के नेता के रूप में चुना जा सकता है। लेकिन तेजस्वी यादव ने बड़ा फैसला लेते हुए इस बार पार्टी से बाहर के किसी चेहरे को मौका दिया है। औरंगाबाद से राजद की टिकट पर चुनाव जीते अभय कुशवाहा को संसदीय दल के नेता की जिम्मेदारी सौंपी है। इससे यह साफ है कि अब तेजस्वी यादव पार्टी पर लग रहे परिवारवाद की छवि को खत्म करना चाहते हैं।

बता दें इस बार लोकसभा चुनाव में इंडी गठबंधन में बिहार में नौ सीटों पर जीत हासिल की है। जिसमें चार सीटों औरंगाबाद, जहानाबाद, बक्सर और पाटलिपुत्र सीट पर राजद को जीत हासिल हुई थी। जिसके बाद पार्टी में संसदीय दल का नेता किसे चुना जाएगा, इसको लेकर मंथन चल रहा था।

जजों की नियुक्ति हेतु भी Exams हो।
सुनिए चिराग पासवान जी का संसद में दमदार स्पीच।
नीतीश कुमार ने फिर साबित किया नहीं है उनका कोई तोड़ : राजनीतिक सफर खत्म होने की हो रही थी चर्चा, उलटे अब और बढ़ गया कद, पढिए...

डेस्क : वर्ष 2022 में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के चौकाने वाले फैसले के बाद यह चर्चा जोरो पर शुरु हो गई थी अब उनका राजनीतिक सफर खात्मे की ओर है। लेकिन हुआ ठीक इसका उल्टा। नीतीश कुमार का राजनीतिक कद अब और बढ गया है। नीतीश कुमार का कद इस लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद इस बात से भी लगाया जा सकता है कि केन्द्र में सरकार बनने के अंतिम क्षण तक महागठबंधन उनकी ओर टकटकी लगाए रखा। जदयू के वरिष्ठ नेता के.सी त्यागी ने तो यहा तक खुलासा किया कि नीतीश कुमार को महागठबंधन की ओर से पीएम पद तक ऑफर किया गया था।

दरअसल 10 अगस्त 2022 को दूसरी बार नीतीश कुमार ने पाला बदलते हुए राजद के साथ जाकर सरकार बना लिया था। बिहार में 2022 के बाद महागठबंधन की सरकार करीब 17 महीनें चली। हालांकि नीतीश कुमार ने एक बार फिर पाला बदलकर 28 जनवरी 2024 को जदयू-भाजपा की नई सरकार बना ली। जिसके बाद से देश के सभी नेता एकसुर में यह कर रहे थे कि नीतीश कुमार अब विश्वास के काबिल नहीं रह गए है।

वर्ष 2022 में जब नीतीश कुमार ने राजग का साथ छोड़कर राजद के साथ मिलकर महागठबंधन का सरकार बनाया था तो उस दौरान प्रदेश में जमकर बयानबाजी हुई थी। सीएम नीतीश कुमार हर कार्यक्रम के दौरान कहा करते थे कि मिट्टी में मिल जाएंगे लेकिन भाजपा में नहीं जाएंगे...। इतना ही नहीं वे बीजेपी की नई टीम पर भी जमकर बरसते थे। 

वहीं बीजेपी द्वारा भी उनके खिलाफ जमकर हमला बोला जाता था। बीजेपी के सभी बड़े नेता यह कहते नहीं थकते थे कि अब नीतीश कुमार के लिए सारे दरवाजे बंद हो चुके है। उनकी अब बीजेपी में किसी हाल मे इंट्री नही हो सकती। हालांकि यह सब बाते धरी की धरी रह गई। राजनीति में कोई न तो अपना होता है ना ही पराया वाली कहावत चरितार्थ हुई और दोनो एक साथ चले आए। 

हालांकि जब नीतीश कुमार ने 28 जनवरी को 2024 को पलटी मारते हुए बीजेपी के साथ गए थे तो राजनीतिक हलको में यह चर्चा बड़े जोरो से चली कि अब नीतीश कुमार का राजनीतिक प्रासंगिकता खत्म हो जायेगी। उनपर जनता और किसी दल का विश्वास नहीं रह गया है। लेकिन लोकसभा चुनाव में यह बात गलत साबित हुई। चुनाव परिणाम ने यह साबित किया कि अभी बिहार में नीतीश कुमार राजनीति की धुरी हैं।

चुनाव परिणाम में जिस तरह से एनडीए को नुकसान हुआ उससे यह बात साफ है कि बिहार में नीतीश कुमार एनडीए के साथ नहीं होते तो एनडीए को भारी नुकसान होता और बहुमत के आंकड़े को पार करना कठिन हो जाता। बिहार में एनडीए को चुनाव के ठीक पहले विपक्षी गठबंधन का हिस्सा रहे नीतीश कुमार एनडीए में लौटे थे। उनकी वापसी ने एनडीए की साख बिहार में बचायी। बिहार में एनडीए को 30 सीटों पर जीत मिली। पड़ोसी राज्य यूपी में एनडीए को बड़ा झटका लगा। ऐसे में बिहार की दो तिहाई सीटें हासिल कर एनडीए ने पूर्ण बहुमत प्राप्त करने में सफल रही।

  

दरअसल नीतीश कुमार की एक डिफेंसिव तकनीक है। वे बहुत जल्दबाजी में नहीं रहते है। वे सही वक्त का इंतजार करते है और अपना पत्ता खोलते है। आप यदि उनके राजद के साथ जाने और फिर साथ छोड़ने पर नजर डाले तो आपको पता चलेगा कि अंतिम क्षण तक किसी को यह पक्का जानकारी नही थी कि वे पाला बदलने वाले है। नीतीश कुमार क्रिकेट के उस नो बॉल की तरह इंतजार करते है कि, जहां गलत शॉर्ट पर आउट होने का खतरा भी नहीं और तुक्का लगा तो छक्का। वहीं बिहार के संदर्भ में गठबंधन का टूटना और नया एलायंस बना लेने में नीतीश कुमार को 'एक्सपर्ट' के तौर पर ट्रीट किया जाता है।

लोकसभा चुनाव के बाद नीतीश कुमार का कद तो इतना बढ़ गया है कि जदयू एमएलसी नीरज कुमार ने भी कहा है कि सीएम नीतीश का मतलब है, मैं हूं.. यानी नीतीश कुमार का मतलब है "मैं हूं" और जब तक "मैं हूं तब तक सत्ता मेरे हाथ में रहेगा"। 

वहीं अब तो बीजेपी ने खुले तौर पर बिहार में नीतीश कुमार को अपना नेता मान लिया है। बिहार के दोनों उप मुख्यमंत्रियों ने साफ तौर पर कहा है कि 2025 में बीजेपी नीतीश कुमार के ही नेतृत्व में चुनाव लड़ेंगी।

बिहार में सड़क सुरक्षा, यातायात व्यवस्था एवं मानव व्यापार निषेध होगी और मजबूत, सीएम नीतीश कुमार ने 117 पुलिस वाहनों को हरी झंडी दिखाकर कियारवाना

डेस्क : प्रदेश में अब सड़क सुरक्षा, यातायात व्यवस्था एवं मानव व्यापार निषेध और मजबूत होगा। आज शुक्रवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सड़क सुरक्षा, यातायात व्यवस्था एवं मानव व्यापार निषेध के सुदृढ़ीकरण हेतु 117 पुलिस वाहनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। 

कार्यक्रम की शुरूआत में अपर पुलिस महानिदेशक, यातायात सुधांशु कुमार ने मुख्यमंत्री को हरित पौधा भेंटकर स्वागत किया। इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा, जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी, ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी, सांसद देवेश चन्द्र ठाकुर, विधान पार्षद संजय कुमार सिंह उर्फ गांधीजी, विधान पार्षद ललन सर्राफ आदि मौजूद रहे।

वहीं मुख्यमंत्री ने पुलिस वाहनों के लोकार्पण के पूर्व उसका निरीक्षण किया और उसकी कार्य प्रणाली के संबंध में अधिकारियों से जानकारी ली। इससे बिहार पुलिस को नई ताकत मिलेगी। साथ ही पुलिस सड़क सुरक्षा एवं यातायात प्रबंधन को बेहतर बनाने में और ज्यादा सशक्त होगी। वहीं मानव व्यापार निषेध पर भी पुलिस और ज्यादा बेहतर तरीके से एक्टिव हो सकेगी।

वहीं इस मौके पर मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार, मुख्य सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा, पुलिस महानिदेशक आर०एस० भट्टी, गृह विभाग के प्रधान सचिव अरविंद कुमार चौधरी, अपर पुलिस महानिदेशक, स्पेशल ब्रांच सुनील कुमार, अपर पुलिस महानिदेशक, यातायात सुधांशु कुमार, अपर पुलिस महानिदेशक, बजट पारसनाथ, परिवहन विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल, मुख्यमंत्री के सचिव अनुपम कुमार, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल सिंह सहित अन्य वरीय पदाधिकारी उपस्थित थे।

*23 साल पुराने मामले में लालू प्रसाद के साले व पूर्व सांसद साधु यादव ने कोर्ट में किया सरेंडर, भेजे गए जेल

डेस्क : 23 साल पुराने मामले में हाईकोर्ट के आदेश पर कोर्ट में सरेंडर किए राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के साले व गोपालगंज के पूर्व सांसद साधू यादव को जेल भेज दिया गया है।

वर्ष 2001 में साधू यादव पर परिवहन विभाग के आयुक्त कार्यालय में हंगामा करने, अधिकारियों को धमकाने और सरकारी कार्य में बाधा डालने के आरोप लगा था। उक्त मामले में हाईकोर्ट के निर्देश पर साधु यादव ने एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में गुरुवार को समर्पण किया था।

जिला अभियोजन पदाधिकारी पटना उमेश प्रसाद ने बताया कि वर्ष 2001 का एक आपराधिक मामला साधु यादव के खिलाफ दर्ज हुआ था। इसी आपराधिक मामले में एमपी-एमएलए के विशेष न्यायिक दंडाधिकारी आदि देव ने वर्ष 2022 में साधु यादव को तीन वर्ष की कैद और जुर्माने की सजा सुनायी थी। सजा के बाद विशेष अदालत ने साधु को औपबंधिक जमानत पर मुक्त कर दिया था। साधु यादव ने सजा के फैसले को एमपी-एमएलए के विशेष कोर्ट में चुनौती दी थी। 

विशेष कोर्ट ने इस अपील को खारिज कर दिया था। इसके बाद साधु यादव ने पटना हाईकोर्ट में अपील दायर की। हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद साधु यादव को निचली कोर्ट में सरेंडर कर प्रमाण पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया था। इसके बाद पूर्व सांसद ने एमपी-एमएलए कोर्ट में आत्मसमर्पण किया, जहां से जेल भेज दिया गया।

अंतराष्ट्रीय योग दिवस आज, राजधानी पटना समेत प्रदेश के सभी जिलों में लोगों ने किया योगाभ्यास

डेस्क : आज अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस है। प्रतिवर्ष वैश्विक स्तर पर 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य योग के लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और वैश्विक स्तर पर योग के अभ्यास को प्रोत्साहित करना है। देश ही नहीं दुनिया भर में योग के कार्यक्रम वृहत रूप से किए जा रहे हैं। राजधानी पटना में योग दिवस के मौके पर बड़ी संख्या में लोगो ने योगाभ्यास किया। 

गौरतलब है कि योग के मामले में भारत विश्व गुरु है। भारत ने योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई और योग के जरिए सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा दिया। शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग लाभकारी है। यह शरीर को रोगमुक्त रखता है और मन को शांति प्रदान करता है। भारतीय संस्कृति से जुड़ी ये क्रिया अब विदेशों तक फैल चुकी है। हर साल अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है और इस दौरान दुनियाभर के लोग सामूहिक रूप से योगाभ्यास करते हैं।

योग दिवस का इतिहास

पहली बार 27 सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा था। उसी वर्ष 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस प्रस्ताव को स्वीकृति देते हुए 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। इस प्रस्ताव को 177 देशों का समर्थन मिला।

पहली बार योग दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया था। इस दिन विश्व के लाखों लोगों ने सामूहिक रूप से योगाभ्यास किया। वहीं भारत में मुख्य कार्यक्रम का आयोजन नई दिल्ली के राजपथ पर हुआ, जिसमें 35000 से अधिक लोग शामिल हुए।

अंतराष्ट्रीय योग दिवस आज, राजधानी पटना समेत प्रदेश के सभी जिलों में लोगों ने किया योगाभ्यास*


डेस्क : आज अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस है। प्रतिवर्ष वैश्विक स्तर पर 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य योग के लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और वैश्विक स्तर पर योग के अभ्यास को प्रोत्साहित करना है। देश ही नहीं दुनिया भर में योग के कार्यक्रम वृहत रूप से किए जा रहे हैं। राजधानी पटना में योग दिवस के मौके पर बड़ी संख्या में लोगो ने योगाभ्यास किया। गौरतलब है कि योग के मामले में भारत विश्व गुरु है। भारत ने योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई और योग के जरिए सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा दिया। शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग लाभकारी है। यह शरीर को रोगमुक्त रखता है और मन को शांति प्रदान करता है। भारतीय संस्कृति से जुड़ी ये क्रिया अब विदेशों तक फैल चुकी है। हर साल अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है और इस दौरान दुनियाभर के लोग सामूहिक रूप से योगाभ्यास करते हैं। *योग दिवस का इतिहास* पहली बार 27 सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा था। उसी वर्ष 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस प्रस्ताव को स्वीकृति देते हुए 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। इस प्रस्ताव को 177 देशों का समर्थन मिला। पहली बार योग दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया था। इस दिन विश्व के लाखों लोगों ने सामूहिक रूप से योगाभ्यास किया। वहीं भारत में मुख्य कार्यक्रम का आयोजन नई दिल्ली के राजपथ पर हुआ, जिसमें 35000 से अधिक लोग शामिल हुए।
मौसम का हाल : बिहार में मानसून के दस्तक से हुई रिमझिम फुहारों ने भीषण गर्मी से दी राहत, आज इन जिलों में हो सकती है भारी बारिश*

डेस्क : पूरा बिहार पिछले कुंछ दिनों से सूरज के तल्ख तेवर से परेशान है। भीषण गर्मी से पूरा जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। इस बीच बीते गुरुवार को अंतत बिहार में मानसून ने दस्तक दे दी। गुरुवार को काले बादलों के साथ रिमझिम फुहारों से कई जिले तर हो गए और प्रचंड गर्मी से प्रदेशवासियों को बड़ी राहत मिली। बिहार में मानसून के आगमन की तिथि 13 जून है। इस बार यह एक हफ्ते की देरी से पहुंचा है। हालांकि, तेज गति के कारण पहले ही दिन 14 जिलों में मानसून का प्रसार हो चुका है। इससे तापमान गिरा और लोगों को तपिश से राहत मिली है। हालांकि, पटना में उमस बरकरार रही। अगले एक-दो दिनों में पटना, गया सहित छपरा तक मानसून के प्रसार के आसार प्रबल हैं। मौसम विभाग के अनुसार, गुरुवार को मानसून किशनगंज और पूर्णिया के रास्ते बिहार की सीमा में पहुंचा। देखते- देखते भागलपुर, कटिहार, अररिया, मधेपुरा, सुपौल, मधुबनी, दरभंगा, पूर्वी चंपारण, प.चंपारण, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी और शिवहर में फैल गया। अब इसके प्रसार की गति बेहतर रहेगी। दो तीन दिनों में यह राज्य भर में प्रसार पा जाएगा। मानसून पिछले 20 दिनों से पश्चिम बंगाल के इस्लामपुर में अटका हुआ था। पिछले दो तीन दिनों से किशनगंज, अररिया, सुपौल सहित आसपास के जिलों में झमाझम बारिश हो रही थी। गुरुवार को मानसून के दस्तक देने से पूर्व कैमूर को छोड़कर राजधानी पटना सहित पूरे प्रदेश में हल्के से मध्यम स्तर की बारिश हुई। *प्रदेश के अधिकतर जिलों में आज बारिश का अलर्ट* वहीं शुक्रवार को प्रदेश के अधिकतर जिलों के गरज व चमक के साथ बारिश होने की संभावना है। इस दौरान 40 से 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलेंगी। वहीं पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी और छपरा जिले के एक-दो स्थानों पर भारी बारिश होने की संभावना है।
बिहार के आउटसोर्सिंग कर्मियों के लिए बड़ी खुशखबरी, अब बोनस के साथ मिलेगी यह सुविधा

डेस्क : बिहार के आउटसोर्सिंग कर्मियों के लिए बड़ी खुशखबरी है। सरकार ने उनके लिए बड़ा फैसला लिया है। सरकार के विभिन्न विभागों, बोर्ड व निकायों में आउटसोर्सिंग पर काम करने वाले कर्मियों को बोनस मिलेगा। श्रम संसाधन विभाग के प्रधान सचिव डॉ। बी राजेन्दर ने इस बाबत सभी विभागीय सचिवों को पत्र भेजा है।

पत्र के अनुसार एक साल में कम से कम 30 दिन काम करने वालों को भी बोनस दिया जाएगा। पांच साल से अधिक काम करने पर उनको ग्रेच्युटी की सुविधा मिलेगी। 

पत्र में कहा गया है कि आउटसोर्सिंग के तौर पर विभिन्न विभागों में मानव बल की सेवा ली जा रही है। काम लेने के दौरान श्रम अधिनियमों का अनुपालन जरूरी है। बोनस भुगतान अधिनियम 1965 में उल्लेखित है कि ऐसे कामगार जो एक साल में न्यूनतम 30 दिनों तक काम करते हैं उन्हें कम से कम 8।33 फीसदी बोनस दिया जाएगा। इसी तरह अगर किसी कर्मी को हटाया जाता है और वह पांच साल से अधिक की सेवा दे चुका है तो उसे ग्रेच्युटी दी जाएगी।