पटना में तीन दिवसीय मिलेट महोत्सव का हुआ आगाज, राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने किया उद्घाटन
पटना : राजधानी पटना मे आज से तीन दिवसीय मिलेट महोत्सव की शुरुआत हुई। यहाँ देश भर से आये कई मिलेट्स उत्पादकों द्वारा स्टाल भी लगाये गये हैं। राजधानी पटना के रवीन्द्र भवन में आयोजित इस महोत्सव का उद्घाटन राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि अन्न ही औषधि है। निरोग रहने के लिए श्री अन्न (मिलेट) को अपनाना होगा। आज का कार्यक्रम बहुत महत्वपूर्ण है, यहाँ 3 दिनों में जो आप सीख के जायेंगे वह आपको ज़िन्दगी भर काम आएगा। कहा भी गया है कि अन्न ही औषधि है।
उन्होंने कहा कि परम्परा समृद्ध रही है। हजारों वर्ष पूर्व हमारे पूर्वज मिलेट्स खा - खाकर निरोग रहा करते थे और लंबी आयु व्यतीत किया करते थे। आज हम अपनी परम्परा को भूल गए हैं और बीमार रहने लगे हैं। बिहार में कृषि उत्पादकता की अपार संभावना है। उम्मीद की जानी चाहिए कि इस तीन दिवसीय मिलेट्स महोत्सव से हम बहुत कुछ सीखकर लाभान्वित होंगे। इसके आयोजन के लिए मैं पूर्व सांसद आर के सिन्हा को हार्दिक धन्यवाद देता हूँ।
इससे पहले बिहार सरकार के कृषि और स्वास्थ्य मंत्री तथा महोत्सव के मुख्य अतिथि मंगल पाण्डेय ने कहा कि बिहार में मिलेट को लेकर पहली बार कोई कार्यशाला का आयोजन किया गया है। इसके लिए पूर्व सांसद आर के सिन्हा बधाई के पात्र हैं। शुद्ध आहार से शरीर स्वस्थ रहता है और स्वस्थ शरीर से स्वस्थ विचार पैदा होते हैं और स्वस्थ विचार से समाज का विकास होता है। हमारे प्रधानमंत्री भी मिलेट्स की उपयोगिता बताते रहते हैं। मिलेट्स के उत्पादन से किसानों की आमदनी बढ़ेगी और वह खुशहाल होंगे। हमारी सरकार मिलेट्स उत्पादक किसानों की हरसंभव मदद करेगी। शुद्ध आहार मिलेगा तो स्वस्थ बिहार बनेगा और स्वस्थ बिहार बनेगा तो समृद्ध बिहार बनेगा।
बीजेपी के पूर्व राज्यसभा सांसद व अवसर ट्रस्ट के अध्यक्ष आर. के. सिन्हा ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि अगर आहार सही नहीं है तो दुनिया का कोई डॉक्टर आपको ठीक नहीं कर सकता। पहला सुख निरोगी काया है। इस मिलेट्स महोत्सव से किसानों को सीधा लाभ मिलेगा। कृषि वैज्ञानिकों को अपने शोध में मदद मिलेगी। मिलेट्स खाने का तरीका और उससे लाभ का पता चलेगा। मिलेट्स की खेती फायदे का सौदा है। कहते हैं कि 'बोओ और घर जाकर सोओ।'
मिलेट्स मैन के नाम से विख्यात डॉ. खादर वली ने अपने संबोधन में उपस्थित लोगों को बताया कि अगर आप चावल और गेहूं खाते हैं तो आप हिंसक हैं। 1 किलो चावल के लिए 8000 लीटर पानी की जरूरत होती है, जबकि 1 किलो मोटे अनाज के लिए अधिकतम केवल 800 लीटर पानी की जरूरत होती है। हम प्रकृति के विरुद्ध चल रहे हैं। खाने का व्यवसायीकरण हो चुका है। बाजार ने हमारी थाली पर कब्जा कर लिया है और मिलेट्स को हमारी थाली से दूर कर दिया है। तीन महीने तक मिलेट्स खाइए और ब्लड शुगर को दूर भगाइए। ज्वार, बाजरा, रागी, सावां, कोदो, कुटकी और कंगनी का सेवन करके हम अपने शरीर को निरोग रख सकते हैं। इसका उत्पादन बहुत आसान है और किसानों के लिए आर्थिक रूप से भी लाभदायक है।
पटना से मनीष प्रसाद
Jun 16 2024, 21:42