राहुल-अखिलेश ने जॉइंट पीसी में मोदी सरकार पर बोला हमला, कहा- बीजेपी 150 सीटें ही जीत पाएगी
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लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बुधवार को साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव बुधवार को गाजियाबाद में मीडिया से रूबरू हुए। सात साल बाद अखिलेश यादव के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला।राहुल गांधी ने कहा कि यह चुनाव विचारधारा का चुनाव है। यह चुनाव लोकतंत्र और संविधान बचाने का चुनाव है। राहुल गांधी ने भाजपा पर मुद्दों से भटकाने का आरोप लगाया। राहुल गांधी ने दावा किया कि भाजपा महज 150 सीटों पर सिमट कर रह जाएगी।
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राहुल गांधी ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि ये चुनाव विचारधारा का चुनाव है। एक तरफ आरएसएस-बीजेपी संविधान को खत्म करने की कोशिश कर रही है, दूसरी तरफ INDIA गठबंधन उसको बचाने में लगा है। चुनाव में बेरोजगारी, महंगाई, भागीदारी तीन बड़े मुद्दे हैं, लेकिन बीजेपी 24 घंटे लोगों को गुमराह करने में लगी रहती है। मुद्दों के बारे में वह बात नहीं करते हैं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का कहना है कि इलेक्टोरल बॉन्ड का सिस्टम पारदर्शिता के लिए लाया गया था। अगर ऐसा था तो उस सिस्टम को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द क्यों किया? कॉन्ट्रैक्ट किसी कंपनी को मिलता है, उसके तुरंत बाद कंपनी बीजेपी को चंदा देती है। इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम दुनिया का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार है। पूरा देश जानता है प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार के चैंपियन हैं।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अमेठी से चुनाव लड़ने पर इनकार नहीं किया। राहुल गांधी से प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पूछा गया कि क्या वह अमेठी या रायबरेली से लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे। इस पर राहुल गांधी ने कहा कि यह अच्छा प्रश्न है। मुझे पार्टी से जो भी आदेश मिलेगा, मैं उसका अनुसरण करूंगा। हमारी पार्टी में सभी फैसले (कैंडिडेट का चयन) कांग्रेस कार्यकारी समिति लेती है। बता दें कि राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने आखिली प्रेस कॉन्फ्रेंस 2017 में लखनऊ में की थी।
समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, मैं रामनवमी के अवसर पर सभी को शुभकामनाएं देना चाहता हूं। मुझे खुशी है आज हम मिलकर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं। यूपी में गाजियाबाद से लेकर गाजीपुर तक भाजपा का सफाया होने जा रहा है। भाजपा की हर बात झूठी निकली। न किसान की आय दोगुनी हुई, न युवाओं को रोजगार मिला, विकास के वादे भी अधूरे हैं। इलेक्टोरल बॉन्ड ने इनकी पोल खोल दी है। भाजपा भ्रष्टाचारियों का गोदाम बन गई है। लूट और झूठ भाजपा की पहचान बन गई है।









पिछले 3 दशक से बीजेपी का दबदबा जातिगत समीकरण नहीं करता काम अटल के नाम पर टंडन के सिर सजा “ताज” 71 फीसदी से अधिक हिंदू आबादी 26 फीसदी से अधिक मुसलमानों मतदाता ओबीसी वोटर्स की संख्या 28 फीसदी आबादी देख जुगत लगा रहे राजनीतिक दल उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ को नवाबों के शहर के रूप में जाना जाता है। कभी इसे पूर्व का गोल्डन सिटी तो कभी शिराज-ए-हिंद या फिर भारत का कांस्टेंटिनोपल कहा गया। लखनऊ न सिर्फ प्रदेश की राजनीति का केंद्र रहा है बल्कि एक समय यह क्षेत्र देश की सबसे हाई प्रोफाइल संसदीय सीट हुआ करती थी। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का यह संसदीय क्षेत्र रहा है और वह यहां से लगातार 5 बार सांसद रहे हैं। वाजपेयी के अलावा देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की बहन विजय लक्ष्मी पंडित को लखनऊ संसदीय सीट से पहली सांसद होने का गौरव हासिल है। गोमती नदी के किनारे बसे लखनऊ शहर को अपने अदब, दशहरी आम और चिकन की कढ़ाई के लिए जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण के लिए यह शहर बसाया था। लखनऊ लोकसभा सीट के तहत 5 विधानसभा सीटें आती हैं, जिसमें लखनऊ ईस्ट, लखनऊ वेस्ट, लखनऊ नॉर्थ, लखनऊ कैंट और लखनऊ सेंट्रल सीट शामिल हैं। पिछले 3 दशक से बीजेपी की दबदबा है और यहां पर किसी तरह का जातिगत समीकरण काम नहीं करता है। अटल बिहारी वाजपेयी की यहां पर ऐसी लोकप्रियता था कि 2009 के चुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी लालजी टंडन ने वाजपेयी के नाम पर वोट मांगे थे और उनकी खड़ाऊं लेकर प्रचार किया था। इसका फायदा उन्हें मिला और कड़े मुकाबले में सांसद चुने गए थे। वैसे, लखनऊ के वोटरों की बात करें तो यहां कुल वोटर 35 लाख 73 हजार, 944 हैं, जिनमें पुरूष वोटर 19 लाख, 22 हजार, 184 और महिला वोटर 16 लाख, 51 हजार, 626 है, जबकि थर्ड जेंडर के वोटरों की संख्या 134 है। इस बार लखनऊ में 51,417 नए वोटर जुड़े हैं इनमें 38 हजार युवा वोटर हैं जो पहली बार अपने मतदान का प्रयोग करेंगे। 2011 की जनगणना के मुताबिक, लखनऊ में 71 फीसदी से अधिक हिंदू आबादी रहती है तो 26 फीसदी से अधिक आबादी मुसलमान समाज की है। यहां पर करीब 14 फीसदी अनुसूचित जाति की आबादी है, तो अनुसूचित जनजाति करीब 0.2 फीसदी ही है। ओबीसी वोटर्स की संख्या 28 फीसदी है। इसके अलावा लखनऊ लोकसभा में करीब 18 प्रतिशत मतदाता राजपूत और ब्राह्मण हैं। सभी जातियों की आबादी को देख राजनीतिक दल मतदाताओं को साधने के लिए हर जुगत लगा रहे हैं। जातियों को लेकर लाख जुगत लगाई जाए, मोदी फैक्टर, राम मंदिर निर्माण और बीजेपी की सेफ सीट होने के कारण लखनऊ सीट किसी को किसी भी हालत में जाने वाली नहीं है। कांग्रेस का यूपी में कोई जनाधार नहीं है, इसलिए कांग्रेस का लखनऊ में कोई असर नहीं है। हालांकि सपा मजबूत स्थिति में जरूर है। सपा का एक तगड़ा वोट बैंक भी है। उसके बावजूद सपा जीत दर्ज करने की स्थिति में नहीं है।
Apr 17 2024, 12:24
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