चांडिल अनुमंडल क्षेत्र में अवैध बालू खनन का काम धड़ल्ले से चालू,
सरायकेला : अवैध खनन मामले में प्रवर्तन निर्देशालय यानी ईडी ने ताबड़तोड़ छापामारी कर पूरे राज्य में तहलका मचा दिया था, मामले की जांच अब भी हो रही है. वहीं इस प्रकार के कार्रवाई से बेखौफ चांडिल अनुमंडल क्षेत्र में अवैध खनन का काम धड़ल्ले से चल रहा है.
ग्रामीणों ने बताया कि चांडिल अनुमंडल अंतर्गत ईचागढ़ व तिरुलडीह थाना क्षेत्र के अलावा कपाली ओपी क्षेत्र में बालू की अवैध उत्खनन और तस्करी बदस्तूर जारी है.
इससे जहां नदियों का सीना छलनी हो रहा है वहीं सरकार को लाखों-करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है. मुख्यमंत्री का गृह जिला होने के बाद भी बालू की अवैध रूप से तस्करी जारी है.
बताया जा रहा है कि खनन विभाग और पुलिस-प्रशासन के नाक के नीचे से नदी का बालू गैर कानूनी ढंग से बड़े शहरों के अलावा पश्चिम बंगाल तक पहुंचाया जा रहा है. बावजूद इसके किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हो पा रही है.
सीमावर्ती क्षेत्र होने का मिलता है लाभ।
तिरूलडीह क्षेत्र स्थित बालू घाटों से रोजाना सैकड़ों हाईवा बालू पश्चिम बंगाल भेजा जाता है. तिरूलडीह में सुवर्णरेखा नदी से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर पश्चिम बंगाल का सीमा है. सीमा क्षेत्र निकट रहने के कारण बालू को आसानी से बंगाल भेजा जा रहा है. ग्रामीणों ने बताया कि रात के अंधेरे में जेसीबी के माध्यम से हाइवा में बालू लोड़कर भेजा जाता है, यह काम रातभर जारी रहता है.
समय-समय पर इसके खिलाफ आवाज भी उठाया जाता रहा है. भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य विजय कोईरी ने बताया कि तिरुलडीह थाना क्षेत्र के आधा दर्जन से अधिक बालू घाटों में बालू का अवैध खनन होता है. यही लाभ कपाली ओपी क्षेत्र में भी मिलता है. नदी से इस पार बालू और उस पार पूर्वी सिंहभूम जिले में सप्लाई. बालू घाटों की लीज निलामी नहीं होने के बावजूद क्षेत्र के नदियों से बालू खत्म कैसे हो रहा है.
ग्रामीणों ने बताया कि वैसे सफेद बालू के काले कारोबार की सच्चाई का पता थाना और सड़कों के किनारे लगे सीसीटीवी की जांच से चल सकता है. सीसीटीवी की जांच से साफ पता चले सकेगा कि बालू की तस्करी होती भी है या फिर यह झूठा आरोप है.
सोड़ो घाट में खनन के लिए मिली है अनुमति
चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के एक मात्र बालू घाट ईचागढ़ प्रखंड के सोड़ो में बालू खनन की अनुमति सरकार की ओर से मिली है. लेकिन इस घाट में भी बालू का खनन बंद है.
यहां 12 फरवरी से चालान निर्गत नहीं किया गया है. बावजूद इसके इस रास्ते आखिर कहां से बालू का परिवहन किया जाता है. ग्रामीणों ने बताया कि कुछ स्थानीय लोगों की मिलीभगत से बालू कारोबारी काले कारोबार को अंजाम देते हैं.
ग्रामीण बताते हैं कि स्थानीय लोग बालू ले जाने वाले हाइवा के आगे-पीछे चलते हुए उसे गंतव्य तक पहुंचाते हैं. वहीं रास्ते में किसी प्रकार की दिक्कत ना हो इसके लिए सारी सेटिंग भी स्थानीय लोग ही करते हैं. ऐसे में अमन पसंद ग्रामीण भी बालू के अवैध करोबार को लेकर स्थानीय लोगों के रास्ते का रोड़ा नहीं बनना चाहते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि तिरुलडीह थाना क्षेत्र के बालू घाटों में रात के वक्त मेला सा नजारा रहता है. ग्रामीणों का कहना है कि अवैध रूप से बालू परिवहन के खिलाफ आवाज बुलंद करने वालों को इस प्रकार से प्रताड़ित किया जाता है कि वे फिर कभी दोबारा बालू मामले में बोलने से भी हिचकते हैं.
Mar 21 2024, 18:26