सरायकेला : गर्मी के दस्तक देने से पहले ही सूखने लगे हैं दलमा पर्वत के जलस्रोत,
करोडों खर्च करने के बाद भी वन विभाग की नाकामी के कारण प्यासे रहेंगे जंगली जानवर,
रिपोर्ट: विजय कुमार की।
सरायकेला : कोल्हान के बहु चर्चित सेंचुरी गज परियोजना के नाम से जाना जाता हे। गर्मी का मौसम दस्तक देने से पहले ही सरायकेला जिला के चांडिल अनुमंडल अंतर्गत दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी के विभिन्न जलस्रोत सूखने लगे हैं। जल स्रोत ,झील और झरनों के प्राकृतिक स्रोत सुख रहे हैं। अभी ठीक तरह से गर्मी का मौसम का प्रभाव नहीं पड़ा और यह स्थिति बहुत चिंताजनक रहा है।
कोई जलस्रोतों के सूखने पर दलमा सेंचुरी के जंगलों में रहने वाले जंगली जीव जंतु हाथी ,रॉयल बंगाल टाईगर,तेंदुआ,भालू,सियार,लोमड़ी,लकड़बाघा , पशु पक्षियों को काफी परेशानी होगी। यह और बात है कि पशु पक्षियों के लिए वन विभाग गर्मी के मौसम में वैकल्पिक व्यवस्था कर सकती हैं। लेकिन सदियों से जो प्राकृतिक जलस्रोत हैं, उनमें जलस्तर कम होना भविष्य के लिए खतरा है। आखिर दलमा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में मौजूद जलस्रोतों के सूखने के क्या कारण है ? यह सवाल हर किसी के मन में है।
बता दें कि दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी में 193.22 वर्ग क्षेत्र फल फैले हे साथ लगभग 79 छोटे बड़े प्राकृतिक जलस्रोत महजूद हैं। इन 79 जलस्रोत में जल स्रोत, झील, झरना, तालाब शामिल हैं। समय समय पर इनका जीर्णोद्धार वन विभाग द्वारा किया जाता है। वहीं, विभाग द्वारा सेंचुरी में अनेकों चेक डैम निर्माण कराया गया है। परंतु, विभाग द्वारा वन्य जीव जंतु की सुविधा और सुरक्षा के लिए खर्च किए जा रहे लाखों करोड़ों रुपए बर्बाद होता दिख रहा है।
इस समय दलमा के अधिकांश जलस्रोत सुख चुके हैं और कई जलस्रोत का जलस्तर काफी आपने पुराने आकार सिमट कर कम हो चुका है। यदि अगले एक - दो माह में भारी बारिश नहीं हुई तो दलमा में सुखाड़ की स्थिति से इंकार नहीं किया जा सकता है। जलस्रोतों से सूखने के पीछे कहीं न कहीं वन विभाग की लापरवाही और नाकामी झलक रही हैं। दलमा के प्राकृतिक जलस्रोतों का संरक्षण करने में विभाग नाकाम साबित हुआ है।
इसके चलते इस समय जलस्रोत सुख रहे हैं। दो दशक पहले दलमा में ऐसी स्थिति नहीं थी। तब सभी जलस्रोत लबालब पानी हुआ करते थे। दोपहर के समय जलस्रोतों में पशु पक्षियों को देखा जाता था। केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा प्रति बर्ष करोड़ो रुपया वन एब पर्यावरण विभाग को जंगल एब वन्य जीव जंतु के संरक्षण के करोड़ों रुपया मुहैया करते हे।
बहरहाल, अब देखने वाली बात होगी कि इस साल गर्मी के मौसम में हाथी के साथ वन्य प्राणियों को जल क्रीड़ा के पेयजल और की व्यवस्था मिलेगी या नहीं ? वन्य प्राणियों के सुविधा के लिए वन विभाग क्या उपाय करेगी?
आखिर दलमा में वन्य प्राणियों और ईको टूरिज्म पर्यटकों) के नाम पर खर्च किए जा रहे करोड़ों रुपए का सदुपयोग हो रहा है या बंदरबांट ?
Mar 20 2024, 12:29