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CM मोहन यादव फिर बदलने जा रहे शिवराज सरकार का ये कानून, पढ़िए, एमपी में क्या हो रहा उलटफेर

मध्य प्रदेश में डॉ. मोहन यादव की सरकार बनने के पश्चात कई बड़े कदम उठाए गए हैं। अब मोहन सरकार मध्य प्रदेश की पुरानी शिवराज सरकार का एक फैसला पलटने जा रही है। इसमें अवैध कॉलोनियों को अब वैध नहीं किया जाएगा। इसके साथ-साथ अवैध कॉलोनी काटने वालों के विरुद्ध सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यानी कि अब मध्य प्रदेश की मोहन सरकार पुरानी शिवराज सरकार का फैसला पलटने जा रही है। इस निर्णय में जिस तहसील में अवैध कॉलोनी काटी जाएगी वहां के अधिकारीयों पर भी गाज गिरेगी।

पूर्व की शिवराज सरकार ने निर्णय लिया था कि अवैध कॉलोनियों को वैध कर दिया जाएगा। अब नई सरकार इस फैसले को पलटने जा रही है। नई सरकार नया कानून का मसौदा तैयार कर रही है। इसमें अवैध कॉलोनी काटने वालों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। प्राप्त हुई खबर के मुताबिक, सरकार एक कानूनी मसौदा तैयार कर रही है, जिसमें अवैध कॉलोनाइजर पर रासुका (NSA) लगाया जाएगा। इतना ही नहीं, जिस तहसील में अवैध कॉलोनी काटी जाएगी उस तहसील के अधिकारीयों पर भी जिम्मेदारी तय की जाएगी। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने वादा किया था कि मध्य प्रदेश की अवैध कॉलोनियों को वैधता दी जाएगी। इसके लिए बताया गया था कि 2016 से पहले बनी सभी कॉलोनियों को वैध किया जाएगा। बाद में वर्ष 2022 तक बनी सभी कॉलोनियों को वैध करने की बात कही गई थी। 

हालांकि, इस निर्णय को लागू नहीं किया जा सका। अब मुख्यमंत्री मोहन यादव की नई सरकार इस फैसले को बदलने जा रही है। अब यदि किसी कॉलोनाइजर ने अवैध कॉलोनी काटी तो उसके विरुद्ध कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इस मामले पर चर्चा करते हुए नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि अवैध कॉलोनी के निर्माण के अधिकतर मामलों में निचले स्तर के सरकार कर्मचारी एवं अफसर भी समिल्लित होते हैं। इसलिए अब अवैध कॉलोनाइजर ही नहीं, स्थानीय अफसरों एवं कर्मचारियों पर भी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि इस कानून का मसौदा तैयार करने के लिए प्रमुख सचिव को बोल दिया गया है।

साउथ में खिलेगा कमल! तमिलनाडु में बीजेपी को मिला पीएम का साथ

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लोकसभा चुनाव के लिए इस बार बीजेपी ने 400 पार का लक्ष्य़ रखा है। इसके लिए बीजेपी दक्षिण भारत में भी अपना कुनबा बढ़ाने में जुटी है। इसी क्रम में तमिलनाडु में बीजेपी को एक साथी मिल गया है। बीजेपी ने यहां पीएमके यानी पट्टाली मक्कल काची पार्टी के साथ गठबंधन किया है। तमिलनाडु विधानसभा में पीएमके चौथे नंबर की पार्टी है और विधानसभा में पार्टी के पांच विधायक हैं।

लोकसभा चुनाव के लिए तमिलनाडु पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) के भाजपा के साथ गठबंधन करने की घोषणा की। इस घोषणा के एक दिन बाद तमिलनाडु के भाजपा अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने पीएमके अध्यक्ष अंबुमणि रामदास के साथ सीट बंटवारें को लेकर बैठक की। थाईलापूरम में दोनों नेताओं ने सीट बंटवारें समझौते पर हस्ताक्षर भी किया।इसके तहत बीजेपी ने अपने सहयोगी दल पीएमके को 10 सीटें दी है।

सीट समझौते के बाद पीएमके अध्यक्ष रामदास ने कहा, पिछले 10 वर्षों से पीएमके दिल्ली में एनडीए का हिस्सा है। आज पीएमके ने तमिलनाडु में एनडीए में शामिल होने का फैसला किया है। एक समझौता पर हस्ताक्षर किया गया है। हमे खुशी हो रही है कि तमिलनाडु में बदलाव के लिए हम एनडीए में शामिल हो गए। उन्होंने आगे कहा, "पिछले 57-58 वर्षों में देखा गया है कि पार्टियों ने तमिलनाडु पर शासन किया है और उसे बर्बाद कर दिया है। यहां के लोग और हम भी बदलाव चाहते हैं। पीएम मोदी तीसरी बार फिर से प्रधानमंत्री बनेंगे और भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। पीएमके को तमिलनाडु में दस संसदीय निर्वाचन क्षेत्र आवंटित किए गए हैं और हमें विश्वास है कि तमिलनाडु के साथ-साथ भारत में भी आगामी चुनावों में हमारी बड़ी जीत होगी।

सेलम में पीएम मोदी की रैली आज

सीट बंटवारें के बाद अब पीएमके नेताओं के सेलम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सार्वजनिक बैठक में शामिल होने की उम्मीद है।दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज तमिलनाडु के दौरे पर भी जाएंगे। जहां पीएमके अध्यक्ष भी मंच पर नजर आ सकते हैं। 

पीएमके वन्नियार समुदाय की प्रभुत्व वाली पार्टी

बता दें कि तमिलनाडु में बीजेपी के पास कोई बड़ा गठबंधन सहयोगी नहीं है और पीएम मोदी इस साल लोकसभा चुनाव से पहले तमिलनाडु के पांच दौरे कर चुके हैं। ऐसे में बीजेपी ने तमिलनाडु में पीएमके के प्रभाव को देखते हुए उसके साथ गठबंधन किया है।पीएमके एक वन्नियार समुदाय की प्रभुत्व वाली पार्टी है और राज्य के कुछ उत्तरी जिलों में इसका महत्वपूर्ण प्रभाव है। 2019 के लोकसभा चुनाव में पीएमके ने सात सीटों पर चुनाव लड़ा था। हालांकि, उन्हें तमिलनाडु में कोई बड़ी सफलता नहीं मिल पाई, लेकिन उनका वोट प्रतिशत 5.42 था।2014 के लोकसभा चुनाव में पीएमके ने आठ सीटों पर चुनाव लड़ा था और इस दौरान उन्हें 4.4 प्रतिशत वोट मिले थे।

नागरिकों को समुद्री डकैतों से बचाया तो बुल्गारियाई राष्ट्रपति ने भारतीय नौसेना को कहा शुक्रिया, पीएम मोदी का भी जताया आभार

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आज भारत की गूंज पूरे विश्व में सुनाई देती है। हाल के सालों में दुनियाभर में भारत ने अपनी धाक जमाई है। भारत के बढ़ते अंतरराष्ट्रीय कद और हिंद महासागर में इसकी ताकत का एक और सबूत सामने आया, जब भारतीय नौसेना ने समुद्री डाकुओं के कब्जे में आए बुल्गारियाई जहाज को छुड़ा लिया। भारतीय नौसेना द्वारा सात बल्गेरियाई नागरिकों को सफलतापूर्वक रेस्क्यू किए जाने के बुल्गारिया के राष्ट्रपति रुमेन रादेव ने ने भारतीय नौसेना के इस पराक्रम की जमकर तारीफ की है साथ ही इस मदद के लिएआभार जताया है।

बुल्गारिया ने सोशल साइट पर कहा शुक्रिया

बुल्गारिया के राष्ट्रपति रुमेन रादेव ने सोशल साइट एक्स पर ट्वीट कर लिखा कि हाईजैक बुल्गेरियाई जहाज रुएन और 7 बुल्गेरियाई नागरिकों सहित उसके चालक दल को बचाने के बहादुरीपूर्ण कार्रवाई के लिए पीएम नरेंद्र मोदी और भारतीय नौसेना के प्रति मेरी हार्दिक कृतज्ञता। इससे पहले बुल्गारिया की डिप्टी पीएम मारिया गेब्रियल ने एक्स पर लिखा कि मैं अपहृत जहाज रुएन और उसके चालक दल के सदस्यों, जिनमें 7 बीजी नागरिक भी शामिल हैं, को बचाने के लिए नौसेना के प्रति अपना आभार व्यक्त करती हूं।

पीएम मोदी ने दी प्रतिक्रिया

इसपर पीएम मोदी ने भी प्रतिक्रिया दी। पीएम मोदी ने लिखा, राष्ट्रपति जी, आपके संदेश की सराहना करता हूं। हमें खुशी है कि 7 बुल्गारियाई नागरिक सुरक्षित हैं और जल्द ही घर लौट आएंगे। भारत नौसेना, स्वतंत्रता की रक्षा करने और हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री डकैती और आतंकवाद से निपटने के लिए प्रतिबद्ध है।

40 घंटे चला ऑपरेशन

दरअसल, भारतीय नौसेना ने शनिवार को अरब सागर में 40 घंटे लंबे ऑपरेशन के बाद एमवी रुएन को सोमालियाई समुद्री लुटेरों के चंगुल से मुक्त कराया था। एमवी रुएन का सोमालियाई लुटेरों ने पिछले साल 14 दिसंबर को अपहरण कर लिया था। भारतीय नौसेना ने तीन महीने पहले हाईजैक हुए जहाज को बचा लिया। इस पर सवार चालक दल के 17 सदस्यों को भी नौसेना के मार्कोज कमांडो ने रेस्क्यू किया। इसमें से सात बुल्गारिया के नागरिक हैं। नौसेना ने करीब 40 घंटे के अभियान के दौरान आईएनएस कोलकाता और आईएनएस सुभद्रा और सी गार्जियन ड्रोन को तैनात किया। अभियान के लिए सी-17 विमान से विशिष्ट मार्कोस कमांडो को उतारा गया।भारतीय तट से लगभग 2,600 किमी दूर ऑपरेशन के दौरान उसने न केवल पूर्व माल्टीज ध्वज वाले अपहृत व्यापारिक जहाज एमवी रुएन के चालक दल के 17 सदस्यों को सुरक्षित रिहा कराया बल्कि 35 सोमालियाई समुद्री लुटेरों को भी पकड़ लिया।

क्या सीएए पर लगेगी रोक? सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई, दायर हैं 200 से ज्यादा याचिकाएं

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सुप्रीम कोर्ट आज यानी मंगलवार को उन याचिकाओं पर सुनवाई करेगा, जिसमें केंद्र को नागरिकता संशोधन नियम, 2024 के कार्यान्वयन पर रोक लगाने का निर्देश देने की मांग की गई है। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ए न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ मामले की सुनवाई करेगी। पिछले हफ्ते 11 मार्च (सोमवार) को भारत सरकार सीएए के तहत नागरिकता देने वाले नियमों होले से लेकर आई जिसका अर्थ था कि चार बरस से लटका हुआ विवादित कानून सीएए लागू हो चुका है।

इंडियन यूनियन ऑफ मुस्लिम लीग ने 12 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 और 11 मार्च, 2024 को सरकार द्वारा अधिसूचित इसके नियमों पर रोक लगाने के लिए तत्काल सुनवाई की मांग की थी। लोकसभा सांसद और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी सीएए के प्रावधानों को लागू करने पर रोक लगाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

केंद्र की ओर से सीएए के तहत नियम जारी करने के एक दिन बाद केरल के राजनीतिक दल इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) ने नियमों के कार्यान्वयन पर रोक लगाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। आईयूएमएल ने मांग की कि विवादित कानून और नियमों पर रोक लगाई जाए और मुस्लिम समुदाय के उन लोगों के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाया जाए जो इस कानून के लाभ से वंचित हैं। आईयूएमएल के अलावा अन्य पार्टियों और व्यक्तियों जैसे डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीवाईएफआई), असम विधानसभा में विपक्ष के नेता देबब्रत सैका, असम से कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक ने भी आवेदन दायर किया है। 

सुप्रीम कोर्ट के सामने अर्जी दायर कर सीएए को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन बताया गया है। कई याचिकाकर्ताओं का दावा है कि सीएए मनमाने तरीके से धर्म के आधार पर कुछ खास समुदाय के लोगों को फायदा पहुंचाता है जबकि औरों को, खासकर मुस्लिम समुदाय को नागरिकता की सहूलियत से महदूद रखता है। कोर्ट के सामने ये सवाल होगा कि सीएए अनुच्छेद 14 और 15 उल्लंघन है या नहीं? 

याचिकाकर्ताओं की मांग यह भी है कि कोर्ट मुस्लिम समुदाय के उन लोगों को लेकर सरकार को दिशानिर्देश जारी करे जिनको सीएए कानून के तहत नागरिकता से वंचित रखा गया है। याचिकाकर्ता मुस्लिम समुदाय के इन लोगों के खिलाफ किसी भी तरह की कानूनी कार्रवाई को रोकने की मांग कर रहे हैं।

गृह मंत्रालय ने 11 मार्च को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के नियमों के कार्यान्वयन को अधिसूचित किया था। संसद से पास होने के चार साल बाद सीएए को देश में लागू किया गया था। यह कानून अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी शरणार्थियों के लिए इन देशों के वैध पासपोर्ट या भारतीय वीजा के बिना भारतीय नागरिकता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करता है।

सुप्रीम कोर्ट की एसबीआई को दी आखिरी डेडलाइन, अब 21 मार्च तक देनी होगी चुनावी बॉन्ड से जुड़ी सारी जानकारी

#supreme_court_sbi_to_give_complete_information_about_electoral_bonds_ march_21

चुनावी बॉन्ड मामले में सुप्रीम ने आज एसबीआई को फटकार लगाते हुए सारी जानकारी साझा करने के निर्देश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने बैंक को बॉन्ड के यूनिक नंबर सहित हर जानकारी 21 मार्च तक देने का निर्देश दिया है। साथ ही अदालत ने गुरुवार शाम 5 बजे तक SBI को एक हलफनामा दाखिल करने को कहा है। हलफनामे में इस बात का जिक्र करना होगा कि उनके पास कोई जानकारी अब बची नहीं है। इन यूनीक बॉन्ड नंबर्स से खरीदार और इसे हासिल करने वाले राजनीतिक दलों के बीच राजनीतिक संबंध का खुलासा होगा।

सुप्रीम कोर्ट में इलेक्टोरल मामले में सुनवाई हो रही है। आज फिर एक बार सुनवाई की। सुनवाई करने वाले पांच जजों की संविधान पीठ में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिसरा शामिल रहें। चुनावी बॉन्ड से जुड़े सभी विवरण का खुलासा करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि एसबीआई को विवरण का खुलासा करने में चयनात्मक नहीं होना चाहिए। हम चाहते हैं कि चुनावी बॉन्ड से जुड़ी सारी जानकारी सार्वजनिक की जाए, जो भी एसबीआई के पास है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने एसबीआई से सभी विवरण का खुलासा करने को कहा था और इसमें चुनावी बॉन्ड नंबर भी शामिल थे।

एसबीआई की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि हम चुनावी बॉन्ड के नंबर समेत सभी जानकारी देंगे। बैंक अपने पास मौजूद किसी भी जानकारी को छिपाकर नहीं रखेगा। 

चीफ जस्टिस ने कहा कि साल्वे का कहना है कि सभी विवरण प्रस्तुत किए जाएंगे। हम एसबीआई चेयरमैन को गुरुवार शाम 5 बजे एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हैं। इसमें कहा गया है कि पैरा 221 में दिए गए निर्देशों के अनुसार कोई भी जानकारी प्रकटीकरण से नहीं रोकी गई है। ईसीआई एसबीआई से डेटा प्राप्त होने के बाद तुरंत विवरण अपलोड करेगा।

केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि अंतिम उद्देश्य काले धन पर अंकुश लगाना था और शीर्ष अदालत को पता होना चाहिए कि इस फैसले को अदालत के बाहर कैसे खेला जा रहा है। इस दौरान तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से इस संबंध में कुछ निर्देश जारी करने का विचार करने को कहा है। इस मामले में सोशल मीडिया पोस्ट की एक श्रृंखला शुरू हो गई है।

चुनाव से पहले एक्शन मोड में निर्वाचन आयोग, यूपी, बिहार समेत 6 राज्यों के गृह सचिव को हटाया, बंगाल के डीजीपी पर गाज

#eci_has_issued_orders_for_the_removal_of_the_home_secretary_in_six_states

लोकसभा चुनाव से पहले भारत निर्वाचन आयोग ने एक बड़ा एक्शन लिया है। चुनाव आयोग ने छह राज्यों गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में गृह सचिव को हटाने के आदेश जारी किए हैं।पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक को हटाने का भी आदेश दिया गया। साथ ही मिजोरम और हिमाचल प्रदेश में सामान्य प्रशासनिक विभाग के सचिव को भी हटा दिया गया है। वहीं, चुनाव आयोग ने बृहन्मुंबई नगर आयुक्त इकबाल सिंह चहल, अतिरिक्त आयुक्तों, उपायुक्तों को हटाने का आदेश दिए।

साथ ही आयोग ने सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिए है कि वे चुनाव संबंधी कार्यों से जुड़े उन अधिकारियों का तबादला करें, जो तीन साल पूरे कर चुके हैं या अपने गृह जिलों में हैं। आयोग ने ये कदम सभी के लिए समान अवसर बनाए रखने और चुनावी प्रक्रिया की स्पष्टता को सुनिश्चित करने के भारतीय निर्वाचन आयोग के संकल्प और प्रतिबद्धता का हिस्सा हैं, सीईसी राजीव कुमार ने हाल ही में चुनावों की तरीखों का ऐलान करते हुए चुनाव को निष्पक्ष कराने के उपर जोर दिया था।

बता दें कि 19 अप्रैल से शुरू होने जा रहे लोकसभा के आम चुनाव से पहले आयोग ने ये कदम उठाया है। 2024 का लोकसभा चुनाव 7 चरणों में होने वाले है। पहले चरण की वोटिंग 19 अप्रैल, दूसरे चरण की वोटिंग 26 अप्रैल, तीसरे चरण की वोटिंग 7 मई, चौथे चरण की वोटिंग 13 मई, पांचवें चरण की वोटिंग 20 मई, छठे चरण की वोटिंग 25 मई और अंतिम यानी सातवें चरण की वोटिंग 1 जून को है. चुनाव परिणाम 4 जून को घोषित होने हैं।

अशोक चव्हाण ने राहुल गांधी के बयान को बताया बेबुनियाद, बोले-मैं कभी सोनिया गांधी से मिला भी नहीं

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कांग्रेस का दामन छोड़कर भारतीय जनता पार्टी से राज्यसभा पहुंचे अशोक चव्हाण ने राहुल गांधी की टिप्पणी को बेबुनियाद बताकर खारिज कर दिया है।महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के रोने वाले बयान को राजनीतिक बयान करार दिया है। अशोक चव्हाण ने कहा कि न ही वो कभी दिल्ली में सोनिया गांधी से मिले थे और न ही कभी उनके सामने रोए थे। ऐसे में राहुल का बयान पूर तरह से राजनीति से प्रेरित है। दरअसल कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने दावा किया है कि महाराष्ट्र के एक नेता ने उनकी मां सोनिया गांधी से मुलाकात की और चुनाव ना लड़ने को लेकर गिड़गिड़ाए।

मुंबई के शिवाजी पार्क में आई.एन.डी.आई. गठबंधन ने रविवार को अपना शक्ति प्रदर्शन किया। इस मेगा रैली में कई विपक्षी दल शामिल हुए। रैली में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भाजपा नेता और पूर्व सीएम अशोक चव्हाण पर बिना नाम लिए एक बड़ा आरोप लगा दिया।उन्होंने कहा,"मैं नाम नहीं लेना चाहता, लेकिन इस राज्य के एक वरिष्ठ नेता ने कांग्रेस छोड़ दी। रोते हुए उन्होंने मेरी मां से कहा, 'सोनिया जी, मुझे कहने में शर्म आ रही है, मुझमें इन लोगों से लड़ने की ताकत नहीं है और मैं जेल नहीं जाना चाहता।"

इस दौरान राहुल गांधी ने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और सांसद अशोक चव्हाण का नाम लिए बिना कहा कि कांग्रेस नेता केंद्रीय जांच एजेंसियों से बचने के लिए गए बीजेपी में शामिल हुए हैं।गौरतलब है कि अशोक चव्हाण पर खिलाफ महाराष्ट्र में तीन मामले लंबित हैं. जिनमें दो आदर्श सहकारी हाउसिंग सोसायटी घोटाले से जुड़े हैं।

राहुल गांधी के दावे पर महाराष्ट्र भाजपा के नेता अशोक चव्हाण ने निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी जो दावा कर रहे हैं, वो बेबुनियाद है और वह सोनिया गांधी से नहीं मिले थे।अशोक चव्हाण ने सोमवार को एक वीडियो संदेश जारी किया, जिसमें उन्होंने कहा कि 'राहुल गांधी ने रविवार को एक रैली में बयान दिया और किसी का नाम नहीं लिया, अगर वह मेरे बारे में ऐसा कह रहे हैं तो यह अतार्किक और बेबुनियाद है। सच तो यह है कि कांग्रेस से इस्तीफा देने तक मैं पार्टी मुख्यालय में काम कर रहा था। मैंने विधायक पद से इस्तीफा दिया और कुछ देर बाद पार्टी से भी इस्तीफा दे दिया। तब तक किसी को नहीं पता था कि मैंने इस्तीफा दे दिया है।'

चव्हाण ने कहा, 'मैं सोनिया गांधी से नहीं मिला। यह कहना बेबुनियाद है कि मैंने सोनिया गांधी से मुलाकात की और अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। यह चुनाव के दृष्टिकोण से दिया गया एक राजनीतिक बयान है।'

बता दें कि हाल ही में अशोक चव्हाण कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए थे। जिसके बाद बीजेपी ने राज्यसभा चुनाव में उन्हें महाराष्ट्र से टिकट दिया था, और वह राज्यसभा के लिए निर्विरोध निर्वाचित हो गए।

इलेक्टोरल बॉन्ड की लिस्ट “चेन्नई सुपर किंग्स” का नाम भी शामिल, जाने किस पार्टी को दिया करोड़ों का चंदा

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राजनीतिक पार्टियों को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए मिले चुनावी चंदे का डेटा सामने आ चुका है। इलेक्टोरल बॉन्ड की डिटेल्स सार्वजनिक होने के बाद इसे लेकर रोज नई जानकारी सामने आ रही है। बॉन्ड की डिटेल्स से ये भी मालूम चल रहा है किन कंपनियों की तरफ से इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए कब-कब किस राजनीतिक दल को फंडिंग दी गई है। इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदा देने वालों की लिस्ट में “चेन्नई सुपर किंग्स” का नाम भी सामने आया है।

भारतीय टीम के पूर्व कप्तान एम एस धोनी आईपीएल में चेन्नई सुपर किंग्स के वर्तमान कप्तान हैं। चेन्नई सुपर किंग्स को 'चेन्नई सुपर किंग्स क्रिकेट लिमिटेड' नाम की कंपनी चलाती है, जिसका पैरेंट ओर्गेनाइजेशन इंडिया सीमेंट है। धोनी की टीम का स्वामित्व रखने वाली कंपनी ने तमिलनाडु की 'अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम' यानी एआईएडीएमके को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए पैसा दिया है। 

एआईएडीएमके को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए 6.05 करोड़ रुपये मिले हैं। इसमें से ज्यादातर पैसा चेन्नई सुपर किंग्स क्रिकेट लिमिटेड (इंडिया सीमेंट लिमिटेड के निदेशक) से आया है। कंपनी ने इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए एआईएडीएमके को 5 करोड़ रुपये दिए हैं। इस चुनावी चंदे में से अधिकांश हिस्सा चेन्नई सुपर किंग्स क्रिकेट लिमिटेड यानी इंडिया सीमेंट लिमिटेड के निदेशक की तरफ से आया है। जानकारी के मुताबिक चेन्नई सुपर किंग्स क्रिकेट लिमिटेड ने साल 2019 में 2-4 अप्रैल के बीच एआईएडीएमके को 5 करोड़ रुपये की फंडिग दी थी।

हालांकि, उसके बाद पार्टी को सीएसके क्रिकेट लिमिटेड से कोई पैसा प्राप्‍त नहीं हुआ। निर्वाचन आयोग के इलेक्शन एक्सपेंडिचर डिवीजन सचिव के साथ साझा की गई जानकारी के अनुसार पार्टी को कोयंबटूर स्थित लक्ष्मी मशीन वर्क्स लि. से 1 करोड़ दान में मिले। साथ ही चेन्नई के गोपाल श्रीनिवासन से 5 लाख रुपये बतौर चंदे में मिले। संयोग से पार्टी ने इसकी जानकारी 2019 और 2023 में दी थी।

चुनावी चंदे पर एसबीआई को सुप्रीम कोर्ट ने फटकारा, कहा- आप जानकारी के खुलासे में सिलेक्टिव नहीं हो सकते है

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सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड मामले की आज फिर एक बार सुनवाई की। इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर एसबीआई से सभी विवरण का खुलासा करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को फटकार लगाई है और कहा है कि आप जानकारी के खुलासे में सिलेक्टिव नहीं हो सकते है। सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई से कहा कि हमारे आदेश के बावजूद एसबीआई ने अभी तक यूनिक आईडी नंबर डिस्क्लोज क्यों नहीं किया गया और इसमें चुनावी बॉन्ड नंबर भी शामिल थे। एसबीआई चुनावी बॉन्ड से जुड़ी पूरी जानकारी दे।

आज की सुनवाई की शुरुआत बेहद तल्ख माहौल मे हुई। फिक्की, एसोचैम की ओर से पेश होते हुए मुकुल रोहतगी ने कहा कि कृपया अल्फा नंबर देने के मुद्दे को टाल दें। इस पर सीजेआई ने रोहतगी से कहा कि आप पहले आवेदन दीजिए फिर आपको सुना जाएगा। सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि हमने एसबीआई को चुनावी बॉन्ड से जुड़ी सारी जानकारी उपलब्ध कराने को कहा था। बॉन्ड नंबर भी उसी में शामिल था। ये सुप्रीम कोर्ट का आदेश था। आपसे अपेक्षा की जाती है कि आप उस पर पूरी तरह से अमल करें।

सीजेआई चंद्रचूड़ ने इसके साथ ही कहा, एसबीआई का रवैया ऐसा है कि अदालत बताए कि किस किसका खुलासा करना है। हम चाहते हैं कि चुनावी बांड से संबंधित सभी जानकारी का खुलासा किया जाए, जो आपके पास है। सीजेआई ने एसबीआई के वकील हरीश साल्वे से कहा, हम चाहते थे कि एसबीआई हर बात का खुलासा करे। एसबीआई चयनात्मक नहीं हो सकता। हमें उम्मीद थी कि एसबीआई अदालत के प्रति स्पष्टवादी और निष्पक्ष रहेगा।

सुनवाई करने वाले पांच जजों की संविधान पीठ में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिसरा शामिल रहें।

बता दें कि भारतीय स्टेट बैंक ने 2018 में योजना की शुरुआत के बाद से 30 किस्तों में 16,518 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड जारी किए हैं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को 12 अप्रैल 2019 से खरीदे गए चुनावी बॉन्ड की जानकारी निर्वाचन आयोग को सौंपने का निर्देश दिया था। एसबीआई ने मंगलवार शाम को उन संस्थाओं का विवरण चुनाव आयोग को सौंपा था, जिन्होंने चुनावी बॉन्ड खरीदे थे और राजनीतिक दलों ने उन्हें भुनाया था। शीर्ष अदालत के आदेश के मुताबिक, निर्वाचन आयोग ने बैंक द्वारा साझा की गई जानकारी अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित की थी।

अरविंद केजरीवाल ईडी को बार-बार कर रहे अनदेखा, आज भी नहीं होंगे पेश

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प्रवर्तन निदेशालय के समन को दिल्ली के सीएम अरविंद केरजरीवाल ने एक बार फिर से नकार दिया है। केजरीवाल सोमवार को ईडी के सामने पूछताछ के लिए पश नहीं होंगे। कथित शराब घोटाला केस से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस के बाद ईडी ने जल बोर्ड से जुड़े एक मामले में भी केजरीवाल को समन भेजा था। जिसके मुताबिक सोमवार 18 मार्च के दिन उन्हें ईडी के सामने पेश होना है। लेकिन केजरीवाल ने ईडी के सामने पेश होने से इनकार कर दिया है।

बता दें कि यह दूसरा मामला है, जिसमें केजरीवाल आरोपों के घेरे में हैं। इससे पहले दिल्ली शराब घोटाला केस में भी ईडी अरविंद केजरीवाल से पूछताछ करना चाहती है। उन्हें ईडी ने दिल्ली जल बोर्ड मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम की धारा 50 के तहत समन जारी किया था। ईडी दिल्ली जल बोर्ड में अवैध टेंडरिंग और अपराध की कथित आय के लॉन्ड्रिंग की जांच कर रही है। इसको लेकर रविवार को दिल्ली जल बोर्ड में कथित अनियमितताओं से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को समन भेजा था। अरविंद केजरीवाल को आज ईडी ने पेश होने के लिए दफ्तर बुलाया था।

नोटिस को बताया गैर-कानूनी

आम आदमी पार्टी ने बयान जारी कर कहा कि अरविंद केजरीवाल ईडी के समन पर पेश नहीं होंगे। आम आदमी पार्टी ने अरविंद केजरीवाल को दिए गए नोटिस को गैर-कानूनी बताया है। आप ने कहा है कि जब अरविंद केजरीवाल को कोर्ट से जमानत मिल गई है तो बार-बार ईडी उन्हें क्यों समन भेज रही है? आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाते हुए सवाल उठाया कि बीजेपी ईडी के पीछे छुपकर क्यों चुनाव लड़ना चाहती है।  

क्या है मामला?

केंद्रीय एजेंसी ने दिल्ली जल बोर्ड में कथित अनियमितताओं से जुड़े धनशोधन मामले की जांच के सिलसिले में केजरीवाल को 18 मार्च को पूछताछ के लिए बुलाया था। धनशोधन रोधी कानून के तहत दर्ज यह दूसरा मामला है जिसमें आम आदमी पार्टी (आप) के 55 वर्षीय राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को समन भेजा गया है।

अब तक 10 समन भेज चुकी है ईडी

बता दें कि मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत दर्ज यह दूसरा मामला है, जिसमें आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक यानी अरविंद केजरीवाल को बुलाया गया। बोर्ड में कथित अनियमितताओं से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ये पहला समन जारी किया है। इससे पहले, उन्हें दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन मामले में पूछताछ के लिए समन जारी किए गए हैं। अरविंद केजरीवाल इस मामले में अब तक 9 समन को अवैध बताते हुए एजेंसी के सामने पेश नहीं हुए हैं। दिल्ली जल बोर्ड वाले मामले को मिला दिया जाए तो अब तक अरविंद केजरीवाल को ईडी 10 समन भेज चुकी है।