*चारा के पैसे में गोलमाल, रजिस्टर से कम मिले गोवंश*
नितेश श्रीवास्तव
भदोही। दो गोशालाओं की जांच में 33 गोवंशों कम पाए गए हैं जबकि उनके खानपान का पैसा लिया जा रहा था। मामला उजागर होने के बाद ग्राम प्रधान से लेकर गोशाला संचालक तक परेशान हैं।
जिले में तीन स्थायी और 28 अस्थायी गोशालाएं हैं। इनमें 7700 गोवंश संरक्षित हैं। गोवंशों के चारे के लिए रोजाना 50 रुपये प्रति गोवंश की दर से गोशालाओं को दिया जाता है। गोवंशों की संख्या गलत बताकर चारे के पैसे का गदोलमाल किया जा रहा है। यह मामला तब खुला जब सीवीओ डॉ. डीपी सिंह गोशालाओं की जांच की।
औराई ब्लॉक के अमीरपट्टी और डीघ ब्लॉक के नारेपार गोशाला में 700 की जगह 680 गोवंश और नारेपार में 78 की जगह 65 गोवंश मिले। दोनों गोशालाओं में 33 गोवंश कम मिले हैं। इस तरह हर महीने 49500 रुपये की चपत सरकार को गोशाला संचालक और विभागीय मिलीभगत से लगाया जा रहा है।
क्षेत्रीय पशु चिकित्सक, बीडीओ और संबंधित गांव के सचिव गोशालाओं में पशुओं की संख्या का हर महीने सत्यापन करते हैं। किसी गोवंश की मौत होती है या पशुपालक के गोद लेने पर उसका विवरण दर्ज करना होता है। मगर दोनों गोशालाओं की पंजिका में ऐसी कोई बत नहीं दर्ज थी।
गोवंशों को हरा चारा, भूसा और चून्नी-चोकर देने का प्रावधान है लेकिन जानकारों का कहना है कि गोशाला संचालक पशुओं को पुआल खिला रहे हैं।
सीवीओ डॉ डीपी सिंह ने बताया कि अमरपट्टी और नारेपार गोशाला में रजिस्टर के अनुसार गोवंश कम मिले थे। गोशाला संचालकों को सख्त हिदायत दी गई है। आंकड़े को दुरूस्त कराया गया है। उसी आधार पर भुगतान किया जाएगा। पशुओं को पुआल खिलाने की भी जांच होगी।
Feb 04 2024, 16:05