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*प्रसव के बाद महिला की मौत, परिजनों और ग्रामीणों ने देर रात तक जमकर काटा हंगामा,नर्सों पर लापरवाही और पैसे मांगने का आरोप*

अशोक कुमार जायसवाल

चंदौली/पीडीडीयू नगर जनपद चंदौली के पीडीडीयू नगर क्षेत्र अंतर्गत भोगवारा स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर प्रसव उपरांत महिला की मौत के जोरदार हंगामे का मामला सामने आया है। बता दें कि गुरुवार को प्रसव के उपरांत महिला की हालत बिगड़ गई तो आनन-फानन में चिकित्सकों ने उसे जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। परिजन जब तक जिला अस्पताल पहुंचते रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। महिला का शव लेकर परिजन पुनः भोगवारा स्वास्थ्य केंद्र पर पहुंचे और चिकित्सक के ऊपर लापरवाही का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा काटने लगे।

परिजनों की माने तो प्रसव के दौरान अस्पताल में महिला चिकित्सक मौजूद नहीं थीं केवल नर्सों के भरोसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का संचालन हो रहा था।सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर हंगामे की सूचना मिलते ही मौके पर सीएमओ,एसडीएम समेत पुलिस फोर्स पहुंच गई। उग्र परिजनों के हड़कंप देख अधिकारी उन्हें समझाने - बुझाने में जुटे हैं। हालांकि घटना के बाबत सीएमओ ने जांच कमेटी गठित कर जांच कराने आश्वासन दिया है। बता दें कि परिजनों ने आरोप लगाया कि बिगड़ती हालत के बीच इलाज की गुजारिश की गई तो नर्सों द्वारा इंजेक्शन लगाने के लिए पैसों की डिमांड की गई, जिसके कारण रक्तस्राव नहीं रुका। हालांकि देर रात तक चले हंगामे के दौरान एसडीएम मुगलसराय के आश्वासन के बाद उग्र परिजन शांत हुए। पुलिस ने मृत महिला का शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम हेतु भेज दिया है और परिजनों से प्रार्थना पत्र लेकर आगे की कार्रवाई में जुट गई है।

बता दें कि अलीनगर थाना क्षेत्र अंतर्गत पटपरा गांव निवासी रोचक पाल की पत्नी आरती (22 वर्षीय) को प्रसव पीड़ा होने पर सुबह चार बजे भोगवारा स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया। आरोप है कि महिला चिकित्सक अस्पताल में मौजूद नहीं थीं। डाक्टर और नर्स ने दोपहर पौने एक बजे सामान्य प्रसव कराया। बच्चा स्वस्थ्य पैदा हुआ। लेकिन अत्यधिक रक्तश्राव के चलते आरती की हालत बिगड़ गई। उसे तकरीबन बेहोशी की अवस्था में जिला अस्पताल रेफर किया गया। लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। परिजन वापस सामुदायिक स्वास्थ्य केद्र पहुंचे और हंगामा शुरु कर दिया। चिकित्सक पर लापरवाही का आरोप लगाया। कहा कि डाक्टरों ने जबरन सामान्य प्रसव कराया,महिला चिकित्सक मौजूद नहीं थीं।

ड्यूटी पर तैनात नर्सों सुनीता, उपासना, रूबी आदि से रेफर करने की मांग की जाती रही, लेकिन उन्होंने प्रसव कराया। बच्चा होने के बाद महिला की हालत बिगड़ी तो इलाज के लिए बोला गया लेकिन रक्तस्राव रोकने के लिए इंजेक्शन लगाने के बदले पैसों की डिमांड की जाने लगी। इसी लापरवाही में महिला की मौत हुई है।हालांकि जानकारी होते ही पुलिस के साथ एसडीएम और सीएमओ डा. युगल किशोर राय मौके पर पहुंचे। हंगामारत परिजनों को समझाने बुझाने में जुट गए। मामले के बाबत सीएमओ ने उग्र ग्रामीणों को शांत करने की लिए जांच कमेटी गठित कर मामले में कार्रवाई का आश्वासन दिया है। लेकिन जब परिजन और ग्रामीण शांत नहीं हुए तो चुपके से मौके से निकल पड़े।

हालांकि मौके पर एसडीएम मुगलसराय विराग पांडेय और पुलिस टीम ने काफी मशक्कत के बाद उग्र लोगों को शांत कराया। एसडीएम के निर्देश पर लापरवाही बरतने के आरोप में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के कर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया और मृतका का शव पोस्टमार्टम हेतु भेज दिया गया। हालांकि पूरे घटनाक्रम के दौरान अधिकारी मीडिया के समक्ष कोई भी आश्वासन देने से इंकार करते नजर आए हैं।

*जाति जनगणना के अनुसार हिस्सेदारी व भागीदारी मिले - डा पल्लवी*

अशोक कुमार जायसवाल

चंदौली।डीडीयू नगर।अपना दल कमेरावादी का नगर स्थित बाबा भीमराव अम्बेडकर पार्क भोगवार में संपर्क संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया।इस दौरान मुख्य अतिथि राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व विधायक डॉ पल्लवी पटेल ने कहा की भारत जाति जनगणना की मांग करते हुए हर जाति के आबादी के अनुसार हिस्सेदारी व भागीदारी मिले।

आज देश की राजनीति में किसान मजदूर दलित शोषण अल्पसंख्यक समाज को उठाने व न्याय दिलाने के लिए अपना दल संघर्ष करता रहा है और आगे भी करता रहेगा देश की राजनीति में धर्म हावी है आज संविधान की बात नहीं किया जाता है नौकरी महिला सुरक्षा शिक्षा की मांग करने वाला समाज आज डरा और सहमा हुआ है।जब समाज डरा हो तब समझ लेना चाहिए कि बदलाव का समय आ गया है।

कहां की देश में राशन की राजनीति बंद होना चाहिए।मजदूर दलित शोषित समाज नहीं चेतेगा तब आने वाले समय में उनका लंगोट भी उतर जाएगा।इस दौरान राष्ट्रीय उपाध्यक्ष गंगा राम यादव, प्रदेश अध्यक्ष डॉ सी एल पटेल, प्रदेश महासचिव गगन प्रकाश यादव, रामलाल पटेल, अजय पटेल, गोपाल बहादुर उर्फ मुन्ना नेपाली, सन्तोष गुप्ता,सलमा किन्नर, सीमा पटेल, सुदामा देवी, लोहा सिंह पटेल, सन्तोष पटेल, आदि लोग रहे।

कार्यक्रम की अध्यक्षता गुरु पूरन पटेल व संचालन रमेश सिंह पटेल ने किया।वहीं दुलहीपुर क्षेत्र में प्रधान प्रतिनिधि विजय पटेल के आवास पर अपना दल कमेरवादी की सिराथू की विधायिका डॉ पल्लवी पटेल आगमन हुआ। जिन्होंने सरदार पटेल उद्यान मुहम्मदपुर जाकर पटेल जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।

साथ में मुहम्मदपुर प्रधान संग्राम पटेल, बखरा प्रधान सतीश पटेल,विनोद यादव,रमेश यादव,लालबहादुर पटेल और ग्राम सभा तमाम महिलाएं उपस्थित रहीं।

*दौड़ प्रतियोगिता में छात्त-छात्ताओं ने किया प्रतिभाग*

अशोक कुमार जायसवाल 

चंदौली/मुगलसराय।पड़ाव। हर वर्ष की भाति क्षेत्र के साहूपुरी स्थित व्यासपुर चौराहा पर बुधवार की सुबह नव युवक मंगलदल, व्यासपुर, फतेहपुर स्पोटिंग क्लव की ओर से लड़के व लड़कियों की दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। 

जिसमें संतोष मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल एंड सर्जिकल सेंटर के डायरेक्टर डॉ जीडी गुप्ता ने फीता काटकर दौड़ प्रतियोगिता का शुभारंभ किया। दौड़ प्रतियोगिता में चंदौली व वाराणसी जिले के दूर दराज गांव से सैकड़ो लकड़ो व लड़कियों ने भाग लिया। इस दौड़ प्रतियोगिता में लड़कियों के लिए 2 किलोमीटर व लड़को के लिए 5 किलोमीटर दौड़ का आयोजन किया गया था। 

लड़कियों की दो किलोमीटर की दौड़ में पहला, स्थान वाराणसी जनपद बरियासनपुर निवासी कोमल पटेल दूसरा कुण्डीपुर

वाराणसी निवासी प्रतिमा वर्मा व उमरहा वाराणसी निवासी प्रीति पटेल ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। जबकि लड़को के पांच किलोमीटर दौड़ में पहला स्थान वाराणसी निवासी कुलदीप सिंह, दूसरा किशन कुमार देऊरा काशीपुरा वाराणसी व तीसरा स्थान हरहुआ वाराणसी निवासी

अनिकेत ने प्राप्त की।

 इन विजेताओं में प्रथम स्थान वाले विजेता को ट्रॉफी, मैडल के साथ साइकिल, दूसरे स्थान वाले विजेता को ट्राफी मैडल व फर्राटा पंखा तथा तीसरे स्थान वाले विजेता को मैडल ट्राफी के साथ टेबुल पंखा के साथ साथ नकद पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।

*ना स्कूल, ना स्कूल तक पहुंचने का पुलः रियलिटी चेक को पहुंचे सपा के पूर्व विधायक स्थिति देख हुए हतप्रभ*

अशोक कुमार जायसवाल

चंदौली।मुगलसराय विधानसभा क्षेत्र के बिंदपुरवां के स्कूली बच्चे जान- जोखिम में डालकर स्कूल पढ़ने के लिए मुस्तफापुर जाते हैं। क्योंकि सरकार ने उनके गांव में स्कूल नहीं बनाए और ना ही उन्हें स्कूल तक जाने के लिए गड़ई नदी में पुल का ही निर्माण कराया। ऐसे में नदी तट पर गिरे हुए पेड़ों के तनों के सहारे छोटे-छोटे स्कूली बच्चों व ग्रामीणों का आवागमन होता है, जो जोखिम भरा है।

बावजूद इसके शिक्षा पाने की ललक के साथ बच्चे ये जोखिम हर दिन सुबह-शाम उठाते हैं अब तक हुए हादसे में कई बच्चे हादसे का शिकार भी हो चुके हैं। बावजूद इसके स्थानीय प्रशासन व जनप्रतिनिधि उक्त स्थान पर पुल बनाने के अब तक गंभीर नहीं हुए। क्षेत्र भ्रमण के दौरान बिंदपुरवां गांव पहुंचे सैयदराजा के पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू ने जब बच्चों को पेड़ों

के तनों से होकर गड़ई नदी को पार करते हुए देखा तो हतप्रभ रह गए।

उन्होंने जब ग्रामीणों से इसकी वजह पूछी तो ग्रामीणों ने गांव में स्कूल का ना होना प्रमुख कारण बताया। कहा कि गड़ई नदी पर पुल होता तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं होती, लेकिन आसपास नदी पर पुल

नहीं होने के कारण जान जोखिम डालना मजबूरी है। बताया कि यदि यह

जोखिम न उठाते तो बच्चे पढ़ नहीं पाएंगे। बारिश के मौसम में नदी में उफान के कारण बच्चों का स्कूल जाना बंद हो जाता है। समस्या से रूबरू होने के बाद मनोज सिंह डब्लू ने इसके लिए सीधे

तौर पर डबल इंजन की सरकार व उनके प्रतिनिधियों पर निशाना साधा।

कहा कि

बीते दिनों मुगलसराय विधायक रमेश जायसवाल द्वारा बिंदपुरवां-मुस्तफापुर के बीच गड़ई नदी पर पुल निर्माण के लिए दो करोड़ रुपये जारी होने का दावा करते हुए सुर्खियां बंटोरी, लेकिन मौके पर सबकुछ नगण्य है। इसके साथ ही पुल निर्माण का दावा करने वाले चंदौली सांसद पर भी उन्होंने निशाना साधा। कहा कि बिंदपुरवां गांव में गड़ई नदी को पारकरते हुए यदि हादसे में कोई हताहत हुआ तो इसके लिए सीधे तौर पर सत्ता पक्ष जिम्मेदार होगा, क्योंकि उनके गैर जिम्मेदाराना रवैये के कारण आज ग्रामीण अपने बच्चों की सुरक्षा के साथ इतनाबड़ा खतरा मोल ले रहे हैं।

*सशक्त मीडिया भ्रष्टाचार मुक्त भारत एवं सशक्त मीडिया समृद्ध भारत के नवनिर्माण के लिए एक महाक्रांति की पुनः आवश्यकता:एके बिंदुसार*

अशोक कुमार जायसवाल

चंदौली ‌।लोकतांत्रिक देशों में विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के क्रियाकलापों पर नज़र रखने के लिए मीडिया को ‘चौथे स्तंभ’ के रूप में जाना जाता है।

विशेषकर भारत के लोकतंत्र को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहा जाता है, तो स्वाभाविक सी बात है कि भारतीय मीडिया का स्वरूप वैश्विक मीडिया के सामने एक आईने के समान है।

18वीं शताब्दी के बाद से खासकर अमेरिकी स्वतंत्रता आंदोलन और फ्रांसीसी क्रांति के समय से जनता तक पहुंचने और उसे जागरूक कर सक्षम बनाने में मीडिया ने अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वहीं भारत की स्वतंत्रता में मीडिया की भूमिका को कोई भुला नहीं सकता, चाहे वह समाचार पत्र हों या रेडियो।

मीडिया अगर अपनी सकारात्मक भूमिका अदा करे, तो किसी भी व्यक्ति, संस्था, समूह और देश को आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक रूप से समृद्ध बनाया जा सकता है।

वर्तमान समय में मीडिया की उपयोगिता, महत्त्व एवं भूमिका निरंतर बढ़ती जा रही है जैसे एक सिक्के के दो पहलू होते हैं ठीक वैसे ही मीडिया की उपयोगिता के बढ़ने के साथ-साथ इसके दुरूपयोग भी बढ़ रहे हैं अब वह चाहे किसी राजनीतिक दल के दबाव से बढ़े या फिर गुंडाराज से।

वर्तमान समय में हमें मीडिया की स्वतंत्रता पर खतरा मंडराता दिख रहा है जबकि ऐसा होना नहीं चाहिए, क्योंकि हम 21वी सदी में जी रहे हैं और एक लोकतांत्रिक देश में मीडिया को अपनी शक्तियों के उपयोग की पूरी स्वतंत्रता होती है।

कोई भी समाज, सरकार, वर्ग, संस्था, समूह व्यक्ति मीडिया की उपेक्षा कर आगे नहीं बढ़ सकता है। आज के जीवन में मीडिया आम जनमानस के जीवन की एक अपरिहार्य आवश्यकता बन गया है। अगर हम देखें कि समाज किसे कहते हैं, तो यह तथ्य सामने आता है कि लोगों की भीड़ या असंम्बद्ध मनुष्य को हम समाज नहीं कह सकते हैं। समाज का अर्थ होता है सम्बन्धों का परस्पर ताना-बाना, जिसमें विवेकवान, प्रज्ञावान और विचारशील मनुष्यों वाले समुदायों का अस्तित्व होता है।

अगर हम अपने देश भारत को देखें, तो भारत में टेलीविज़न के इतिहास को बिना दूरदर्शन से जोड़े नहीं देखा जा सकता है। उस समय कम ग्राफिक्स और बिना किसी हैवी साउंड के एक समाचार प्रस्तुतकर्ता आता या आती और बड़ी शालीनता से समाचार सुनाते और फिर समाचार समाप्त हो जाते। मैं जब भी किसी बुज़ुर्ग से समाचार या टेलिविज़न को लेकर बात करता हूं, तो वे बताते हैं कि आज के टेलिविज़न चैनलों में वह बात नहीं रही और दुबारा पूछने पर उत्तर आता है कि आजकल लोग बहस के नाम पर एक-दूसरे से ऐसे लड़ते हैं जैसे वो चाय की टपरी पर एक फ्री की मठरी के लिए लड़ रहे हों।

मीडिया की भूमिका यथार्थ सूचना प्रदायक एजेंसी के रूप में होती है। मीडिया द्वारा समाज को संपूर्ण विश्व में होने वाली घटनाओं की जानकारी मिलती है। इसलिए मीडिया का यह प्रयास होना चाहिए कि ये जानकारियां यथार्थपरक हों।

सूचनाओं को तोड़-मरोड़कर या दूषित कर आम जनमानस के समक्ष प्रस्तुत करने का प्रयास नहीं होना चाहिए। समाज के हित एवं देश-दुनिया में होने वाली घटनाओं की जानकारी के लिए सूचनाओं को यथावत एवं विशुद्ध रूप में जनता के समक्ष पेश करना चाहिए।

मीडिया का प्रस्तुतीकरण ऐसा होना चाहिए जो समाज का मार्गदर्शन कर सके। खबरों और घटनाओं का प्रस्तुतीकरण इस प्रकार हो जिससे जनता का मागदर्शन हो सके। उत्तम लेख, संपादकीय, ज्ञानवर्धक, श्रेष्ठ मनोरंजन आदि सामग्रियों का खबरों में समावेशन होना चाहिए, तभी हमारे समाज को सही दिशा प्रदान की जा सकती है लेकिन वर्तमान में हम मीडिया की आम जनमानस के समक्ष प्रस्तुतीकरण की बात करें, तो भारतीय मीडिया भी छोटे-छोटे भागों में बंटा हुआ है।

आज खबरों को अपने हिसाब से लिखा जाता है, अपने हिसाब से बताया जाता है। वर्तमान मीडिया समूह खबरों की सटीकता से ज़्यादा राजनैतिक दलों के एवं अपने एजेंडे पर ध्यान देने लगे हैं जो कि एक वास्तविक लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा है।

हमें बताया जाता है कि मीडिया का संवेदनशील होना बेहद ज़रूरी होता है। आजकल मीडिया की संवेदनशीलता को लेकर अनेक प्रश्न खड़े होते हैं। मीडिया को हर वर्ग के प्रति संवेदनशील रहना पड़ता है। आलोक मेहता कहते हैं कि ‘पहले बच्‍चों पर मीडिया में चर्चा होती थी, लेकिन अब वह नहीं होती। समय-समय पर गोविंद पाटीदार पत्रकार एवं

राजेंद्र माथुर और अज्ञेय जैसे पत्रकारों-साहित्‍यकारों ने इस दिशा में काफी कुछ काम किया है। समृद्ध भारत के नवनिर्माण को ध्यान में रखते हुए बच्‍चों एवं महिलाओं के लिए केंद्र सरकार एक ऐसा बजट पेश करे, जो दुनिया के अन्‍य देशों के लिए भी नजीर बने।’

बच्‍चों के प्रति पूरे देश में जागरूकता और संवेदनशीलता बढ़े इसके लिए ज़रूरी है कि प्रत्‍येक पंचायत में उनके लिए पत्रिकाएं हों, अखबार हों। पहले चंपक, पराग और नंदन जैसी बाल पत्रिकाएं देश के सुदूर अंचलों में भी देखने को मिल जाती थीं, अब वे भी पूर्णत: बंद हो गई हैं।

इसी प्रकार वरिष्ठ पत्रकार और उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग के पूर्व अध्‍यक्ष अजय सेतिया के एक लेख से यह प्रमाण मिलता है उन्होंने लिखा है कि ‘वे जब उत्तराखंड में बाल आयोग के अध्‍यक्ष थे, तब उन्‍होंने बाल अधिकारों के प्रति मीडिया में संवेदनशीलता बढ़ाने के लिए संपादकों को पत्र लिखा था। उन्‍होंने इसके लिए कार्यशालाएं भी आयोजित कीं लेकिन उस सबका परिणाम उनकी अपेक्षाओं के अनुकूल नहीं रहा।

यहां हम चर्चा करेंगे कोरोनाकाल में जब मज़दूरों की अपने-अपने गाँवों में वापसी हुई है, उनके बच्‍चों की शिक्षा पूर्ण रूप से अवरुद्ध हो गई है। गाँवों में अभी भी इंटरनेट की सुविधा नहीं है। अब यहां मीडिया संवेदनशीलता और बच्चों की संवेदना का कनेक्शन शायद आपको समझ नहीं आया होगा लेकिन जब तक युवा और बच्चे मीडिया की भूमिका, समाज में स्वयं का कर्तव्य नहीं समझेंगे, तब तक मीडिया एक अच्छी मीडिया नहीं बन सकती।

इन्हीं बिंदुओं को लेकर भारतीय मीडिया फाउंडेशन लगातार समाज में नागरिक पत्रकारिता की स्थापना के कार्य में लगी है अगर नागरिक पत्रकारिता को जानना है तो डॉक्टर पवन मलिक के द्वारा लिखी गई नागरिक पत्रकारिता के समस्त पुस्तकों का अध्ययन करना परम आवश्यक है।

वर्तमान हालातों में कई जगह हम देखते हैं कि मीडिया अनेक घटनाओं में या तो पीड़ित परिवार के प्रति संवेदनशील नहीं रहता या आरोपियों के प्रति तीव्र हो जाएगा। आज से ठीक सौ साल पहले जब महावीर प्रसाद द्विवेदी जब सरस्वती पत्रिका निकालते थे, तो वे भाषा के अनुशासन की चाबुक चलाते थे। वे शब्द के प्रति इतने संवेदनशील थे कि एक प्रसिद्ध लेखक ने जब ‘काबुल में भी गधे मिलते हैं’ शीर्षक से लेख भेजा, तो उन्होंने उसका शीर्षक बदलकर ‘काबुल में सब घोड़े नहीं मिलते’ कर दिया।

शाब्दिक संस्कारों के प्रति इन संवेद्यताओं का क्या आज कोई मोल नहीं है?

आज भी 21वीं सदी के अवबोध के साथ ही सही लेकिन एक महावीर प्रसाद द्विवेदी के पुनरावतार की बहुत ज़रूरत है, जो पूछे कि क्यों हिन्दी अखबारों के स्तंभ अंग्रेज़ी में होने ज़रूरी हो गए हैं?

आज हम चर्चा करेंगे उस कार्रवाई पर जो वहीं दूसरी ओर उच्चतम न्यायालय महसूस करता है कि इलेक्ट्रानिक मीडिया के रेगुलेशन की ज़रूरत है, क्योंकि अधिकांश चैनल सिर्फ़ टीआरपी की दौड़ में लगे हुए हैं और यह ज़्यादा सनसनीखेज की ओर जा रहा है। दूसरी ओर एक लेख के माध्यम से पता चलता है कि वर्षों पूर्व केन्द्र ने पत्रकारिता की स्वतंत्रता की हिमायत करते हुए न्यायालय से कहा था कि प्रेस को नियंत्रित करना किसी भी लोकतंत्र के लिए घातक होगा लेकिन आज वर्तमान प्रवेश में क्या सरकार अपने उस सिद्धांतों के प्रति समर्पित है यह भी सवाल है?

न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने स्पष्ट किया था कि वह मीडिया पर सेन्सरशिप लगाने का सुझाव नहीं दे रहे हैं लेकिन मीडिया में किसी-ना-किसी तरह का स्वत: नियंत्रण होना चाहिए।

पीठ ने टिप्पणी की कि इंटरनेट को नियमित करना मुश्किल है लेकिन अब इलेक्ट्रानिक मीडिया का नियमन करने की आवश्यकता है। जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि कई बार आरोपियों को अपना पक्ष रखने के लिए भी कुछ चैनलों का इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने कहा कि यह देखने की भी आवश्यकता है कि क्या किसी अभियुक्त को अपना बचाव पेश करने के लिये यह मंच दिया जा सकता है। पीठ ने कहा था कि हम यह नहीं कह रहे कि राज्य ऐसे दिशा निर्देश थोपेंगे, क्योंकि यह तो संविधान के अनुच्छेद 19 में प्रदत्त बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी के लिये अभिशाप हो जाएगा।

पीठ के अनुसार, “प्रिंट मीडिया की तुलना में इलेक्ट्रानिक मीडिया ज़्यादा ताकतवर हो गया है और प्रसारण से पहले प्रतिबंध के पक्षधर नहीं रहे हैं।” न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा था, “मैं यह नहीं कह रहा कि राज्य को इलेक्ट्रानिक मीडिया को नियंत्रित करना चाहिए लेकिन इसके लिये किसी-ना-किसी तरह का स्वत: नियंत्रण होना चाहिए और साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया था कि हम इस समय सोशल मीडिया की नहीं बल्कि इलेक्ट्रानिक मीडिया के बारे में बात कर रहे हैं।”

मेहता जी ने कहा था कि किसी-ना-किसी तरह का स्वत: नियंत्रण होना चाहिए लेकिन पत्रकार की आज़ादी बनाए रखी जानी चाहिए। इस पर न्यायमूर्ति जोसेफ ने सॉलिसीटर जनरल से कहा था कि मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि कोई भी स्वतंत्रता पूरी तरह निर्बाध नहीं हैं। मेहता ने पीठ से कहा कि कुछ साल पहले कुछ चैनल ‘ हिन्दू आतंकवाद, हिन्दू आतंकवाद कह रहे थे। अगर किसी भी देश का मीडिया किसी भी तरफ झुकता है, तो लोकतंत्र की दिशागति में बाधा का काम होता है।

पीठ ने यह भी कहा था कि हम इलेक्ट्रानिक मीडिया के बारे में बात कर रहे हैं, क्योकि आज लोग भले ही अखबार नहीं पढ़ें लेकिन इलेक्ट्रानिक मीडिया ज़रूर देखते हैं। इस पर काफी गंभीर टिप्पणी करते हुए पीठ ने कहा कि समाचार पत्र पढ़ने में हो सकता है, मनोरंजन नहीं हो लेकिन इलेक्ट्रानिक मीडिया में कुछ मनोरंजन भी है।

पीठ ने कुछ मीडिया हाउस द्वारा की जा रही आपराधिक मामलों की तफतीश का भी ज़िक्र किया। पीठ ने कहा था, “जब पत्रकार काम करते हैं, तो उन्हें निष्पक्ष टिप्पणी के साथ काम करने की आवश्यकता है। आपराधिक मामलों की जांच देखिए, मीडिया अक्सर जांच के एक ही हिस्से को केन्द्रित करता है।”

पीठ ने न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन के वकील से सवाल किया था, “आप कर क्या रहे हैं? हम आपसे जानना चाहते हैं कि लेटर हेड के अलावा भी क्या आपका कोई अस्तित्व है। मीडिया में जब अपराध की समानांतर तफतीश होती है और प्रतिष्ठा तार-तार की जा रही होती है, तो आप क्या करते हैं?”

पीठ ने कहा कि कुछ चीज़ों को नियंत्रित करने के लिए कानून को सभी कुछ नियंत्रित नहीं करना है अर्थात समय के साथ मीडिया का बदलना आवश्यक था, लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि मीडिया अपनी शक्तियों के चक्कर में अपना मूल और सामाजिक कर्तव्य भूल जाए, जिस प्रकार से आज भारतीय मीडिया का कुछ अंश अपनी लापरवाही से अनैतिक भाषा का उपयोग करता है, उस पर रोक लगाना अत्यंत आवश्यक हो गया है।

अगर उपरोक्त विषय पर इस कार्रवाई को आधार बनाया जाए तो आज की सरकार इस पर विशेष ध्यान क्यों नहीं दे रही है?

पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं की हिमायती बनने वाली पत्रकार एवं सामाजिक संगठनों के द्वारा चुप्पी क्यों साधी गई है क्या वह इस पर चर्चा परिचर्चा नहीं कर सकते?

विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक सनातन राष्ट्र भारत के लिए यह बहुत बड़ा चिंता का विषय है।

*खेलों से होता है बच्चों का सर्वांगीण विकास-दीपक बजाज*

अशोक कुमार जायसवाल

चंदौली/पीडीडीयू नगर।एम॰ आर॰ जैपुरिया स्कूल्स पड़ाव कैंपस में में किड्ज़ेनिया 2024 सम्पन्न हुआ |

इस कार्यक्रम का उद्देश्य था बच्चों के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास, क्योंकि खेल से बच्चों का शारीरिक विकास, संज्ञानात्मक विकास, संवेगात्मक विकास, सामाजिक विकास एवम् नैतिक विकास को बढ़ावा मिलता है | यह कार्यक्रम नर्सरी से कक्षा चौथी तक के सभी विद्यार्थियों के लिए खुला आमंत्रण था ,जिसमें वाराणसी एवं चंदौली जिले से लगभग 500 सौ से अधिक बच्चों एवं लगभग दस प्रतिष्ठित विद्यालयों की सक्रिय सहभागिता रही |

कार्यक्रम का शुभारम्भ प्रबंध निदेशक मनोज बजाज द्वारा माँ शारदा एवं तुलसी वेदी पर दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम को आरम्भ करने की अनुमति प्रदान की गई|

विद्यालय के प्रबंध निदेशक मनोज बजाज ने अपने प्रेरणास्पद बिचारों को साझा करते हुए विविध खेल प्रतियोगिताएं में भाग लेने वाले नन्हें प्रतिभागियों की भुरी-भुरी प्रशंसा की और कहा कि ‘शरोरामायं खलु धर्मसाधनम्’ अर्थात् शरीर कर्तव्य पालन का पहला साधन है। कालिदास का यह कथन पूर्णत: सत्य है। जीवन की पहली आवश्यकता स्वस्थ शरीर ही है।

कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ कक्षा तीन एवं चार के बच्चों ने फ्लावर ड्रिलिंग समूह नृत्य के जोरदार नृत्य के माध्यम से किया |नर्सरी के बच्चों का फिस रेस,बर्ड रेस एवं कबड्डी प्रतियोगिता,एल॰ के॰ जी॰ के छात्रों का ओब्स्टेकल रेस,हुलाहूप रेस, यू॰ के॰ जी॰ के छात्रों का फिनिस योर मील रेस,हंग वेट क्लॉथ रेस, कक्षा एक के बच्चों का पिरामिड रेस,एवं नंबर वॉक रेस,कक्षा दो के बच्चों का न्यूज़ पेपर रेस एवं बैट-बॉल रेस,कक्षा तीन एवं चार का के बच्चों का रिले रेस, ब्रस्टडी बैलून रेस एवं टैग ऑफ वॉर एक के बाद एक सभी प्रतियोगिताओं का आनंद दर्शकों ने लिया।

उक्त अवसर पर सभी विजेता प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र, पदक एवं अन्य विविध पुरस्कार देकर उनका मानवर्धन किया गया। कार्यक्रम के अंत में विद्यालय के प्रधानाच्रार्य आशीष सक्सेना ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

इस अवसर पर प्रबंध निदेशक मनोज बजाज, कार्यकारी निदेशक श्याम सुंदर बजाज, निदेशक मंजू बुधिया, प्रधानाचार्य आशीष सक्सेना, कोऑर्डिनेटर साजिया बदर,अतिथि शिक्षक वृंद,अभिभावक की गरिमापूर्ण उपस्थिति रही। कार्यक्रम का संचालन सिम्रित कौर ने किया।

*आरपीएफ डीडीयू के कारण पापा की परी वापस लौटी अपने घर*

अशोक कुमार जायसवाल

चंदौली।डीडीयू रेल मंडल के सीनियर कमांडेंट जेथिन बी राज के निर्देशानुसार तथा रेलवे सुरक्षा बल थाना दो के प्रभारी निरीक्षक प्रदीप कुमार रावत के कुशल नेतृत्व में बीते मंगलवार को उप निरीक्षक सरिता गुर्जर साथ सहायक उप निरीक्षक दीपेश कुमार के द्वारा डीडीयू स्टेशन के प्लेटफार्म संख्या 03&04 पर गस्त किया जा रहा था जिसके क्रम में एक नाबालिक लड़की प्लेटफार्म नंबर 04 पर अकेले संदिग्धावस्था में घूमते हुए पाई गयी जिससे पूछने पर उसने अपने बारे में बताया कि वह पटना के मसौढ़ी निवासी है।

साथ ही साथ उसने बताया कि डांट फटकार के कारण बिना बताए घर से नाराज़ होकर चली आई एवं भटकते हुए यहां आ गई। उक्त लड़की को उसके स्वेच्छानुसार, प्रेमवूर्वक रेलवे सुरक्षा बल पोस्ट डीडीयू लाया गया और चाइल्ड लाइन डीडीयू के टीम मेंबर मीरा कुमारी के द्वारा काउंसलिंग कराया गया।तदोपरांत उक्त नाबालिक को उसके परिजनों तक सही सलामत व सुरक्षित पहुंचाने के लिए रेलवे चाइल्ड लाइन डीडीयू को सुपुर्द किया गया जहां बाद में उक्त लड़की के पिता मुन्ना डीडीयू स्टेशन आए और अपनी बच्ची को समझा बुझाकर वापस अपने घर लेकर गए।

उक्त लड़की के पिता ने बताया कि वह अपनी बच्ची को बहुत प्यार करते हैं और बहुत लाड़ के ही कारण वह अपनी मां की डांट से इतना नाराज हो गई कि घर में बिना बताए घर से रुठ कर यहां आ गई। उनकी परी बेटी को सही सलामत उनसे वापस मिलाने के लिए उन्होंने रेलवे सुरक्षा बल का दिल से धन्यवाद ज्ञापन किया।

*टीवी मुक्त भारत अभियान लक्ष्य ही संस्था का उद्देश्य- दिलीप कुमार मौर्य*

अशोक कुमार जायसवाल

चंदौली।पीडीडीयू नगर। स्वामी कबीर मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा टीवी रोग से ग्रसित रोगियों को पोषण सामग्री दीनदयाल नगर स्थित राजकीय महिला चिकित्सालय व हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर सहजौर में चिकित्सा प्रभारी डॉ एस के चतुर्वेदी, डॉ रमेश यादव,सी एच ओ ममता सिंह की देखरेख में वितरित किया गया।आपको बता दे की स्वामी कबीर मेमोरियल ट्रस्ट विगत 4 वर्षों से लगातार टीवी रोगियों की देखभाल कर रही है।

टीवी रोग से ग्रसित रोगियों को गोद लेकर उनकी देखभाल करना समय से दवा उपलब्ध कराना व पोषण सामग्री वितरित करना आदि कार्यों को बखूबी से निर्वाह कर रही है। इसी कड़ी में आज राजकीय महिला चिकित्सालय दीनदयाल नगर व हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर सहजौर में टीबी रोग से ग्रसित 6 रोगियों को पोषण सामग्री वितरित किया गया।

संस्था के अध्यक्ष दिलीप कुमार मौर्य ने कहा कि टीवी मुक्त भारत के अभियान में ट्रस्ट कार्य कर रहा है सरकार की मंशा के अनुरूप टीवी मुक्त भारत लक्ष्य हासिल करने के लिए संस्था लगातार प्रयासरत है। राजकीय महिला चिकित्सालय के प्रभारी डॉक्टर एस के चतुर्वेदी ने कहा संस्था क्षय रोगियों की देखभाल निस्वार्थ भाव से कर रही है इनकी जितनी भी प्रशंसा की जाए वह भी कम है टीवी मुक्त भारत अभियान में संस्था का कार्य काबिले तारीफ है।

इस अवसर पर संस्था के अध्यक्ष दिलीप कुमार मौर्य, महिला प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय अध्यक्ष मालती गुप्ता, उपाध्यक्ष कुंदन सिंह,अल्पना पांडे सुरेश गुप्ता आदि पदाधिकारी उपस्थित रहे।

*वेलफेयर एसोसिएशन के नंबर कीपर के चुनाव में गुड्डू -धर्मराज जीते*

अशोक कुमार जायसवाल

चंदौली।डीडीयू नगर। स्थानीय रेलवे स्टेशन के सर्कुलेटिंग एरिया के ऑटो रिक्शा चालक वेलफेयर एसोसिएशन के नंबर कीपर का चुनाव बुधवार केा गहमा-गहमी के बीच हुआ।जिसमें गुड्डू यादव और धर्मराज भारती कीपर चुने गए।विजेता पदाधिकारियों को फूल माला पहनाकर स्वागत किया गया। इसके पूर्व सुबह आठ बजे से दो बजे तक ऑटो चालकों ने कीपर के लिए कड़ी सुरक्षा के बीच मतदान किया।

प्रति वर्ष जनवरी माह में रिक्शा चालक वेलफेयर एसोसिएशन के कीपर का चुनाव किया जाता है। बुधवार को चुनाव को लेकर सुबह से ही गहमा गहमी शुरू हो गई। कीपर के लिए एक पक्ष में गुड्डू यादव उगता हुआ सूरज चुनाव चिह्न और धर्मराज भारती झोपड़ी चुनाव चिह्न के साथ मैदान में खड़े हुए। दूसरे पक्ष में मंटू गुप्ता चुनाव चिह्न चश्मा और साजिद हुसैन उर्फ रिंकू चुनाव चिह्न कुर्सी के साथ मैदान में उतरे।

सुबह आठ बजे से कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मतदान की प्रक्रिया शुरू हुई। दोपहर दो बजे तक कुल 549 मतदाताओं में 490 चालकों ने मतदान किया। दोपहर दो बजे के बाद मतों की गिनती शुरू हुई। इसमें छह मत अवैध घोषित हुए। गुड्डू यादव ने 306 और धर्मराज भारती 266 मत पाकर विजेता घोषित हुए। वहीं मंटू गुप्ता को 216 जबकि साजिद हुसैन को 157 मत मिले।

चुनाव कराने वालों में अध्यक्ष दयाराम यादव, व्यवस्थापक पुष्पराज भारती, इम्तियाज शेख, वीरेन्द्र पटेल, राजू खान, मनन पांडेय, रामजी मिश्र आदि लोग मौजूद रहे।

*रामनगर औद्योगिक एसोसिएशन व जीएसटी विभाग द्वारा किया गया कार्यशाला का आयोजन*

अशोक कुमार जायसवाल

चंदौली/वाराणसी। रामनगर औद्योगिक क्षेत्र के उद्यमियों व जी एस टी विभाग के अधिकारियों संग परिचर्चा का आयोजन राजेंद्र विहार कॉलोनी सुंदरपुर स्थित ओंकार भवन में किया गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अपर आयुक्त ग्रेड 1 राज्य कर वाराणसी जोन प्रथम प्रिंस कुमार,और उदय प्रताप सिंह अपर आयुक्त ग्रेड1 राज्य कर वाराणसी जोन द्वितीय रहे,विशिष्ट अतिथि मानवेंद्र प्रताप सिंह अपर आयुक्त ग्रेड 2, राम कुबेर अपर आयुक्त ग्रेड 2 एसआई बी, सर्वेश आर्य संयुक्त आयुक्त वाराणसी जोन, कमला प्रसाद संयुक्त कार्यपालक, अरविंद कुमार दोहरे संयुक्त आयुक्त ऑडिट, सलभ शर्मा जॉइंट कमिश्नर आदि तमाम अधिकारी उपस्थित रहे।

बारी-बारी से उद्यमियों ने सीजीएसटी, आईजीएसटी, वैट,इनपुट,आउटपुट, जीएसटी रिटर्न से संबंधित प्रश्न पूछे जिसका अधिकारियों द्वारा सकारात्मक जवाब दिया गया।मुख्य अतिथि प्रिंस कुमार ने कहा कि उपस्थित उधमी बंधुओ के मन में जीएसटी से संबंधित भ्रांतियां आपसी संवाद के जरिए दूर किया जा सकता है ।

सही जानकारी नहीं होने की वजह से अनेक प्रकार की भ्रांतियां दिमाग में बनी रहती है समय पर कर जमा करके राष्ट्र को सशक्त करें और भारत को विकसित राष्ट्र बनाएं। विशिष्ट अतिथि मानवेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि अकाउंटेंट के सहारे ना रहकर जीएसटी से संबंधित सभी जानकारियों को जानने की कोशिश करें तभी उद्योग चलाने में सहजता होगी।

संयुक्त आयुक्त सर्वेश आर्य ने कहा कि उद्यमियों को जीएसटी रिटर्न करने में समस्याओं का सामना करना पड़ता है तो उससे घबराएं नहीं जीएसटी ऑफिस आकर समस्या का समाधान पा सकते हैं। ज्वाइंट कमिश्नर शलभ शर्मा ने कहा कि जीएसटी संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या का समाधान संवाद के जरिए हो सकता है कुछ नए नियम आए हैं जिनकी जानकारियां समय-समय पर आप सभी को जानने की जरूरत है ,जानकारी के अभाव में समय से ऑडिट कराना, रिटर्न फाइल दाखिल नहीं कर पाते हैं।

जिसका खामियाजा उद्यमियों को समय-समय पर भुगतना पड़ता है बिचौलियों से दूर रहकर सीधे अधिकारियों से संवाद करके अपनी समस्या का समाधान कर सकते हैं। रामनगर औद्योगिक एसोसिएशन के अध्यक्ष देव भट्टाचार्य ने कहा कि कार्यशाला का आयोजन करने से उद्यमी और अधिकारी सीधे संवाद करते हैं और अपनी समस्याओं को रखते हैं जिसका त्वरित निस्तारण अधिकारियों द्वारा किया जाता है उद्यमियों की समस्या दूर करने के लिए इस तरह का आयोजन आगे भी किया जाएगा।

इस अवसर पर मुख्य रूप से विनम्र अग्रवाल,चंद्रेस्वर जायसवाल,हरिवंश सिंह, जयप्रकाश पांडेय, अजय राय,श्याम अग्रवाल, पंकज बिजलानी, कृष्ण गोपाल सिंह,आशीष गुप्ता,अनूप साहू, भरत जोतवानी, वीरेन्द्र यादव, संजय लखमानी, सुनील जैन, मनोज तिवारी,राकेश जायसवाल, परेश सिंह, राकेश अग्रवाल, ओमप्रकाश जायसवाल, पवन जायसवाल, सुमित लढ्ढा, शिव पूजन जायसवाल, अरुण राय, रोहित जैन, राजेश जायसवाल, अरविंद सिंह, राम सिंह,संजय सिंह, प्रभात गर्ग, जग्गनाथ घोष, राम सागर, सचिन मौर्या, सचिन राजपूत,सचिन मौर्या, अर्जुन सिंह आदि सैकड़ो की संख्या में उधमी उपस्थित रहे।