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पीएम मोदी की छात्रों को “रील्स” ना देखने की नसीहत, पेरेंट्स से बोले-बच्चे के ‘रिपोर्ट कार्ड’ को अपना ‘विजिटिंग कार्ड’ मानना ठीक नहीं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज छात्रों के साथ परीक्षा पे चर्चा की। यह कार्यक्रम दिल्ली के भारत मंडपम में हुआ। देशभर से स्टूडेंट्स वर्चुअल माध्यम से भी परीक्षा पे चर्चा से जुड़े और पीएम मोदी से सवाल किए। पीएम नरेंद्र मोदी ने परीक्षा पे चर्चा के दौरान बच्‍चों को परीक्षा के तनाव से निकलने की सलाह दी साथ ही कई ऐसे टिप्‍स दिए। इस दौरान पीएम मोदी ने माता पिता से बच्‍चों के परफॉर्मेंस और उसकी रिपोर्ट कार्ड को अपना विजिटिंग कार्ड’ ना बनाने की सलाह दी।

पीएम ने बताया तनाव को कैसे करें दूर

परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम का इस साल सातवां सेशन रहा। इस कार्यक्रम में पीएम मोदी ने देशभर के छात्रों से बात की। साथ ही अटल इनोवेशन प्रोग्राम के तहत उन्होंने छात्रों के नए अविष्कारों को देखा।छात्रों को मोटिवेट करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि पीएम मोदी ने कहा कि प्रतिस्‍पर्धा स्‍वस्‍थ होनी चाहिए, दोस्‍तों के प्रति ईर्ष्‍या की भावना नहीं रखनी चाहिए। पीएम ने कहा कि दूसरों से नहीं, खुद से प्रतिस्पर्धा करें, जहां आप मजबूत हैं, वहां आप उसकी मदद करें और जिस विषय में वह मजबूत हो, उससे आप मदद लें। इससे दोनों मिलकर परीक्षा के तनाव को दूर कर सकते हैं। 

मोबाइल की समय सीमा तय करने की सलाह

प्रधानमंत्री मोदी से कुछ अभिभावकों और छात्रों ने सोशल मीडिया और मोबाइल के बढ़ते इस्तेमाल से होने वाले दुष्प्रभाव बचने के उपाय पूछे। इसके जवाब में पीएम मोदी ने कहा कि हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि किसी भी चीज की अति ठीक नहीं होती। हम पेट भरने के बाद अपना मनपसंद खाना नहीं खा सकते है ठीक वैसे ही कितनी भी प्रिय चीज क्यों न आ रही हो, लेकिन मोबाइल की समय सीमा तय करनी पड़ेगी। आजकल तो पूरा परिवार मोबाइल में लगा रहता है, घर में बराबर में बैठकर एक दूसरे को मैसेज करते हैं। मोबाइल के दुष्प्रभाव को रोकने के लिए पूरे परिवार को नियम बनाने होंगे। हम खाने के वक्त कोई गैजेट्स का इस्तेमाल न करें, ऐसा नियम बना सकते हैं। टेक्नोलॉजी से बचने की जरूरत नहीं है, लेकिन उसका सही उपयोग सीखना बेहद जरूरी है। हमारे मोबाइल पर लगा पासवर्ड परिवार के सभी सदस्यों को पता होगा, तो काफी सुधार हो जाएगा। इसके अलावा हमें स्क्रीन टाइम अलर्ट को मॉनीटर करना चाहिए।

पीएम मोदी ने बताया रील्स देखने के नुकसान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परीक्षा पे चर्चा के दौरान ज्यादा रील्स देखने के नुकसान भी बताए। उन्होंने कहा कि अगर आप एक के बाद एक रील्स देखते रहेंगे तो काफी समय बर्बाद हो जाएगा, आपकी नींद खराब होगी। जो कुछ आपने पढ़ा है वो याद नहीं रहेगा। अगर आप नींद को कम आंक रहे हैं, तो ये ठीक नहीं है। आधुनिक हेल्थ साइंस भी नींद के महत्व पर जोर देती है। आप नींद आवश्यक लेते हैं या नहीं, यह आपके स्वास्थ्य पर ध्यान देता है। जिस उमर में हैं, उसमें जिन चीजों की जरूरत है वो आहार में है या नहीं यह जानना जरूरी है, हमारे आहार में सुतंलन स्वास्थ्य के लिए जरूरी है, फिटनेस के लिए एक्सरसाइज करना चाहिए, जैसे रोज टूथब्रश करते हैं वसे ही नो कॉम्प्रोमाइज एक्सरसाइज करनी चाहि।

शिक्षकों को भी दी सलाह

पीएम मोदी ने कहा कि शिक्षक का काम केवल नौकरी करना या नौकरी बदलना नहीं है, उसका काम जिंदगी को संवारना और उसे सामर्थ्य देना है। ऐसे शिक्षक ही परिवर्तन लाते हैं। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि टीचर्स को बच्‍चों से घुलना मिलना चाहिए। क्‍लास में सहज माहौल बनाना चाहिए, जिससे बच्‍चे आपमें रूचि लें। पीएम मोदी ने कहा कि आप छात्रों को खेलकूद का पूरा समय दें। इससे संपूर्ण विकास होगा। कोर्स और सिलेबस को ध्यान में रखते हुए छात्रों का पढ़ाएं।

मता-पिता से की ये अपील

छात्रों और शिक्षकों के अलावा प्रधानमंत्री मोदी ने माता-पिता को भी जरूरी सलाह दी। पीएम ने माता पिता से कहा कि आपको किसी बच्चे की तुलना किसी दूसरे से नहीं करनी चाहिए क्योंकि यह उसके भविष्य के लिए हानिकारक हो सकता है। पीएम ने कहा कि कुछ माता-पिता अपने बच्चे के ‘रिपोर्ट कार्ड’ को अपना ‘विजिटिंग कार्ड’ मानते हैं, यह ठीक नहीं है।

बार बार पाला बदलने वाले नीतीश 9वीं बार बने सीएम, जानें कब कब मारी पलटी?

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बिहार में पिछले एक दशक की सियासत पर गौर करें तो देखेंगे कि राज्य में हर साल डेढ़ साल में सरकार बदल जाती है, लेकिन मुख्यमंत्री नहीं बदलता। सत्ता के केन्द्र में नीतीशे कुमार का ही नाम होता हैं। इसकी वजह है कि नीतीश एक दशक से कम वक्त में अबतक पांच बार पाला बदल चुके हैं। रविवार को नीतीश कुमार ने ‘महागठबंधन’ के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और दोबारा एनडीए के मुख्यमंत्री के रूप में पद की शपथ ली।अब तक पांच पर गठबंधन बदल चुके नीतीश नौवीं बार सीएम बने हैं।

1985 में पहली बार विधायक बने

नीतीश ने 1974 के छात्र आंदोलन के जरिये राजनीति में कदम रखा, 1985 में पहली बार विधायक बने। इसके बाद नीतीश कुमार ने पलटकर नहीं देखा और सियासत में आगे बढ़ते चले गए। लालू प्रसाद यादव 1990 में बिहार के मुख्यमंत्री बने, लेकिन 1994 में नीतीश ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया। नीतीश और लालू एक साथ जनता दल में थे, लेकिन राजनीतिक महत्वकांक्षा में दोनों के रिश्ते एक दूसरे से अलग हो गए।साल 1994 में नीतीश ने जनता दल छोड़कर जार्ज फर्नांडीस के साथ मिलकर समता पार्टी का गठन किया। इसके बाद साल 1995 में वामदलों के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़े, लेकिन नतीजे पक्ष में नहीं आए। नीतीश ने लेफ्ट से गठबंधन तोड़ लिया और 1996 में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए का हिस्सा बन गए। नीतीश कुमार की राजनीतिक प्रसिद्धि तब बढ़ी जब उन्हें एनडीए सरकार में रेल मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया।

यहां से नीतीश का 'पलटी' फार्मूला गूंजा

इसके बाद नीतीश कुमार बिहार में बीजेपी के साथ 2013 तक साथ मिलकर चुनाव लड़ते रहे और बिहार में सरकार बनाते रहे। इस दौरान राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदल रहा था। यह बात साल 2012 की जब बीजेपी में नरेंद्र मोदी का कद बढ़ने लगा था। मोदी के बढ़ते हुए कद को देखकर नीतीश कुमार एनडीए के अंदर असहज महसूस करने लगे। यही वजह रही कि 2014 के लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। इस लोकसभा चुनाव का यह परिणाम हुआ कि नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। क्योंकि जेडीयू को केवल दो सीट ही हासिल हुई थी। इसके बाद नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद यादव के साथ मिलकर महागठबंधन बनाया और 2015 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री बने। विधानसभा चुनाव में इस गठबंधन को बड़ी जीत हासिल हुई।

करीब ढाई साल बाद 2017 में नीतीश कुमार ने फिर से चौंकाया। डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का आईआरसीटीसी घोटाले में नाम आया। इस घटना के बाद नीतीश कुमार ने महागठबंधन समाप्त कर दिया और मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। सीएम पद छोड़ने के तुरंत बाद वो भाजपा में शामिल हो गए। साथ ही गठबंधन करके सरकार बना ली। इसके बाद 2020 में बिहार में विधानसभा चुनाव हुए। नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा और जीत भी हासिल की। इस चुनाव में नीतीश की पार्टी जेडीयू को सिर्फ 43 सीटें हासिल हुईं। भाजपा को 74 और आरजेडी को 75 सीटें हासिल हुईं, लेकिन इन सबके बावजूद मुख्यमंत्री के सिंहासन पर नीतीश कुमार ही विराजमान हुए।

एक बार फिर एनडीए के साथ

इसके दो साल बाद 2022 में नीतीश कुमार ने एक बार फिर पलटी मारी। नीतीश को अब बीजेपी से दिक्कत होने लगी थी। नीतीश कुमार ने कई कारण बताते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया साथ ही भाजपा से अपना रिश्ता खत्म कर लिया। इसके साथ नीतीश कुमार ने आरजेडी, कांग्रेस और लेफ्ट के साथ मिलकर सरकार बना ली और राज्य का डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को बनाया। डेढ़ साल के बाद नीतीश कुमार का मन फिर से बदल गया है और अब फिर से बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली।

कल सत्ता से हुए बाहर, आज ईडी ने घेरा, नीतीश के पलटते ही बढ़ी लालू-तेजस्वी की मुश्किलें

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बिहार में एक बार फिर बड़ा उलटफेर हुआ है। नीतीश कुमार पलटी मारते हुए एनडीए खेमे में वापस हो गए हैं। इस बीच लालू यादव और उनके बेटे तेजस्वी की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। लैंड फॉर जॉब्स केस में आज ईडी लालू यादव से पूछताछ कर सकती है। इसके लिए दिल्ली से भी ईडी के अफसर आए हैं। लालू समर्थकों का ईडी ऑफिस और राबड़ी आवास के बाहर जुटना शुरू हो गया है। पटना ईडी ऑफिस में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। इसके पहले ये खबर थी कि अधिकारी राबड़ी आवास जाकर लालू से पूछताछ करेंगे। हालांकि अभी स्थिति साफ नहीं है कि लालू ईडी ऑफिस आएंगे या अफसर राबड़ी आवास जाएंगे।

जांच एजेंसी के सूत्र के मुताबिक जमीन के बदले नौकरी देने वाले घोटाला मामले में ये पूछताछ की कार्रवाई करेगी। पूछताछ की प्रक्रिया को अंजाम देने से पहले शनिवार 27 जनवरी की देर शाम तक जांच एजेंसी के दिल्ली स्थित मुख्यालय में तैयारी की जा रही थी। इस केस के तफ्तीशकर्ताओं के द्वारा सवालों की फेहरिस्त तैयार की गई है। सवालों की फेहरिस्त के साथ ही अगर एक अन्य महत्वपूर्ण बात करें तो इस मामले में एक चार्जशीट भी दायर हो चुका है और दायर चार्जशीट पर दिल्ली स्थित राउज एवेन्यू कोर्ट ने 27 जनवरी को संज्ञान ले लिया गया है। हालांकि इस मामले में 9 फरवरी को अगली सुनवाई होगी। 9 फरवरी को उन तमाम आरोपियों को कोर्ट में पेश होना है जिनके खिलाफ जांच एजेंसी ईडी के द्वारा चार्जशीट दाखिल की गई थी।

बता दें कि रविवार को जब बिहार में सियासी उठापटक तेज था तभी दिल्ली हाईकोर्ट ने भी जमीन के बदले नौकरी घोटाले में लालू परिवार के कुछ सदस्यों को समन जारी कर दिया। दिल्ली उच्च न्यायालय ने लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी यादव और बेटी हेमा यादव के अलावा कुछ दूसरे लोगों को भी समन जारी किया है। समन में कहा गया है कि वे कोर्ट के सामन अगले महीने की 9 तारीख को मौजूद रहें।

यूपीए की पहली सरकार में हुआ था घोटाला

गौरतलब है कि यह घोटाला तक का है जब लालू प्रसाद यूपीए की पहली सरकार में रेल मंत्री थे। इस दौरान ईडी ने रेलवे में नौकरी के लिए जमीन से जुड़े धन शोधन मामले में आरोपपत्र दाखिल करते हुए लालू यादव की पत्‍नी राबड़ी देवी, उनकी बेटियों राजद सांसद मीसा भारती और हेमा यादव सहित लालू प्रसाद के परिवार के अन्य लोगों को नामजद किया था।

एक हफ्ते में लागू हो जाएगा सीएए? केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर का बड़ा दावा

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अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को भारतीय जनता पार्टी पूरी तरह से भुनाने की तैयारी में हैं। इसके अलावा भी पार्टी के पास एक बडा मुद्दा है, नागरिक संशोधन अधिनियम यानी सीएए। पहले ही ये चर्चा थी की तीन पड़ोसी मुस्लिम देशों से आए अल्पसंख्यकों को नागरिकता में सहूलियत देने वाला कानून, सीएए लोकसभा चुनाव से पहले ही लागू हो सकता है।केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर के बयान ने इस बात को बल दे दिया है। केन्‍द्रीय मंत्री ने दावा क‍िया है क‍ि देश में अगले एक सप्ताह में सीएए लागू हो जाएगा। अगर शांतनु ठाकुर का दावा सच होता है और सीएए लागू हुआ तो यह लोकसभा चुनाव का भी बड़ा मुद्दा बनेगा। बीजेपी इसे अपने पक्ष में भुनाने का भरपूर प्रयास करेगी।

शांतनु ठाकुर दक्षिण 24 परगना के काकद्वीप में एक जनसभा में भाषण दे रहे थे। उन्होंने कहा कि मैं मंच से ये गारंटी दे रहा हूं कि अगले 7 दिनों में सिर्फ बंगाल ही नहीं बल्कि पूरे देश में सीएए लागू होगा। उन्होंने इस कानून को लेकर पिछले साल दिसंबर में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के उस भाषण का भी जिक्र किया जिसमें अमित शाह ने नागरिकता संशोधन अधिनियम को 'देश का कानून' बताया था और कहा था कि इसके लागू होने से कोई नहीं रोक सकता है।

शाह ने हाल ही में दिए थे संकेत

बता दें कि बीते साल दिसंबर में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन अधिनियम को 'देश का कानून' बताते हुए कहा था कि इसके लागू होने से कोई नहीं रोक सकता है। उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर सीएए को लेकर लोगों को गुमराह करने का भी आरोप लगाया था। शाह ने कहा था, "कभी-कभी वह लोगों को गुमराह करने की कोशिश करती हैं कि देश में सीएए लागू होगा या नहीं। इस पर मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि सीएए देश का कानून है और कोई भी इसको लागू करने से नहीं रोक सकता है। यह हमारी पार्टी की प्रतिबद्धता है।

क्या है सीएए कानून

केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार यह कानून लेकर आई थी। इस कानून के तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए प्रताड़ित गैर मुस्लिमों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को भारत की नागरिकता दी जाएगी। यह कानून दिसंबर 2019 में संसद से पास हुआ था। संसद से पास होने के बाद इसे राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था। इसके बाद से देश के अलग-अलग राज्यों में विरोध प्रदर्शन का सिलसिला शुरू हुआ था। दिल्ली में भी कई महीनों तक इसे लेकर धरना प्रदर्शन चला था।

सीएए के विरोध में सुलग गया था देश

कानून पारित होने के तुरंत बाद देशभर में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए। मुसलमानों, सिविल सोसाइटी के तबके और कुछ संगठनों ने सीएए का यह कहकर विरोध किया कि इसमें मुसलमानों को बाहर रखा गया है। लंबे समय तक चले विरोध-प्रदर्शन के मद्देनजर कानून लागू करने के लिए सरकार ने नियम ही नहीं बनाए और इसके लिए बार-बार समय बढ़ाने का अनुरोध करती रही।

कौन हैं भाजपा के सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा, जिनका नाम बिहार में डिप्टी सीएम की रेस में है सबसे आगे

डेस्क: बिहार में जेडीयू और आरजेडी का गठबंधन टूटने के बाद अब एनडीए सरकार बनने का रास्ता लगभग साफ हो गया है। नीतीश कुमार ने मुख्य मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद नए गठबंधन में शामिल होने का ऐलान कर दिया है। भाजपा में जेडीयू-बीजेपी की गठबंधन सरकार बनने पर भाजपा की ओर से सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा का नाम डिप्टी सीएम की रेस में सबसे आगे चल रहा है। आइए आपको बताते हैं कि ये दोनों नेता कौन हैं, जिन्हें भाजपा ने प्रदेश में 2024 लोकसभा चुनाव में पार्टी को बंपर जीत दिलाने की जिम्मेदारी दे रखी है। 

सम्राट चौधरी

सम्राट चौधरी भाजपा के बिहार प्रदेश अध्यक्ष हैं। वह कोइरी जाति से आते हैं। भाजपा ने वर्ष 2023 में उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी थी। सम्राट चौधरी बिहार विधान परिषद में प्रतिपक्ष के नेता भी हैं। सम्राट चौधरी की उम्र करीब 54 वर्ष है। वह नौजवान नेताओं में गिने जाते हैं। बिहार में ओबीसी वोटरों में यादवों के बाद सबसे ज्यादा संख्या कुर्मी और कोइरी जाति की है। इसलिए भी सम्राट चौधरी भाजपा के लिए बेहद जरूरी हैं। लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (आरजेडी) का सामना करने के लिए कुर्मी और कोइरी वोटरों को साधना बेहद जरूरी है। सम्राट चौधरी भाजपा के लिए इस लिहाज से सबसे ज्यादा फिट बैठते हैं। कुशवाहा वोटरों में भी उनकी जबरदस्त पकड़ है। राजनीति पृष्ठिभूमि में देखा जाए तो वह बिहार में समता पार्टी के संस्थापक शकुनी चौधरी के बेटे हैं। शकुनी चौधरी का कुशवाकहा समाज में बड़ा नाम और पकड़ है। वह कई बार विधायक और सांसद रह चुके हैं।

1990 में राजनीति में रखा कदम

सम्राट चौधरी का राजनीति में पदार्पण 1990 में हुआ था। वह 1999 में राबड़ी की सरकार में कृषि मंत्री भी रहे थे। वर्ष 2000 और 2010 में परबत्ता विधानसभा से उन्हें विधायक चुना गया था। इसके बाद 2014 में नगर विकास विभाग के मंत्री बने। फिर 2018 में आरजेडी का दामन छोड़ दिया। इसके बाद उन्होंने भाजपा ज्वाइन कर लिया। उन्हें इसका तोहफा एनडीए सरकार में पंजायती राज्य मंत्री बना कर दिया गया। अब बिहार बीजेपी की कमान उनके हाथों में हैं। भाजपा को 2024 में बिहार में बंपर जीत दिलाने की कमान सम्राट चौधरी ही संभाल रहे हैं। 

विजय सिन्हा

भाजपा नेता विजय सिन्हा बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभा रहे थे। नीतीश के साथ भाजपा गठबंधन में वह बिहार विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। लखीसराय विधानसभा सीट से 2010 से वह विधायक बने हुए हैं। वर्ष 2017 से 20 के दौरान बिहार की गठबंधन सरकार में वह श्रम संसाधन मंत्री की भूमिका भी निभा चुके हैं। वह आरएसस बैकग्राउंड से आते हैं। 

उनके पिता शारदा रमण सिंह बाढ़ के हाई स्कूल में प्रभारी प्रिंसिपल रह चुके हैं। वर्ष 1967 में जन्मे सिन्हा ने 1982 में ही आरएसएस ज्वाइन कर लिया था। वह एएन कालेज में स्नातक के दौरान एबीवीपी के सक्रिय सदस्य रहे। उन्होंने बेगूसराय के पॉलिटेक्निक कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा हासिल किया। 1985 में बिहार पॉलिटेक्निक छात्र संघ के सचिव रहे।

वर्ष 2005 में पहली बार बने भाजपा विधायक

वह भूमिहार समुदाय से आते हैं। पहली बार 2013 में उन्हें भाजपा का प्रवक्ता बनाया गया। इससे पहले वर्ष 2000 में वह भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश संगठन प्रभारी भी रहे। 2004 में बीजेपी प्रदेश कार्य समिति के सदस्य बने। वह इसके बाद बीजेपी किसान मोर्चा के प्रदेश महामंत्री और बेगूसराय व खगड़िया के क्षेत्रीय प्रभारी का जिम्मा भी संभाला। 

वर्ष 2005 में विजय सिन्हा को पहली बार लखीसराय से विधायक चुना गया। 2010 से फिर लगातार इस सीट से विधायक हैं। 2017 में नीतीश सरकार में मंत्री रहे। वह भाजपा के समर्पित नेताओं में गिने जाते हैं। नीतीश कुमार से विधानसभा में अक्सर वह अपनी तीखी तकरार के लिए जाने जाते रहे हैं।

Filmfare Awards 2024: 12th फेल को बेस्ट एडिटिंग और शाहरुख खान की जवान को मिला बेस्ट एक्शन का अवॉर्ड, यहां पढ़िए, विनर की पूरी लिस्ट

69वें फिल्मफेयर अवॉर्ड की शुरुआत शनिवार यानी बीते दिन गुजरात में एक इवेंट के साथ की गई. हर साल होने वाले इस अवॉर्ड शो का सभी को इंतजार रहता है. दो दिनों तक होने वाले इस अवॉर्ड शो को गुजरात के गांधीनगर में आयोजित किया गया है. शनिवार को कई सारे अवॉर्ड्स की घोषणा कर दी गई है. आज शाम को भी कुछ और अवॉर्ड्स अनाउंस किए जाएंगे. इस खास मौके पर बड़े-बड़े सितारों ने शिरकत की. फिल्ममेकर करण जौहर से लेकर एक्ट्रेस नुसरत भरूचा तक इस इवेंट का हिस्सा बनने पहुंचे.

करण जौहर के साथ-साथ जान्हवी कपूर, गणेश आचार्य, अपारशक्ति खुराना, जरीन खान और करिश्मा तन्ना समेत कई बड़े सितारे यहां मौजूद थे. अपारशक्ति खुराना और करिश्मा तन्ना ने 69वें फिल्मफेयर अवॉर्ड शो को होस्ट किया. सितारों ने एक-एक करके स्टेज पर आकर अलग-अलग कैटेगरी में विनर के नाम को अनाउंस किया और उन्हें ट्रॉफी से नवाजा. साल 2023 में रिलीज हुई फिल्मों का खूब जलवा देखने को मिला. शाहरुख खान से लेकर रणबीर कपूर तक और विक्की कौशन से लेकर विक्रांत मैसी की फिल्म तक ने अवॉर्ड अपने काम किए.

आलिया भट्ट और रणवीर सिंह की फिल्म रॉकी और रानी की प्रेम कहानी के गाने ‘व्हाट झुमका’ के लिए गणेश आचार्य को बेस्ट कोरियोग्राफी का पुरस्कार मिसा. विक्रांत मैसी की फिल्म 12थ फेल ने बेस्ट एडिटिंग की ट्रॉफी अपने नाम की. वहीं, शाहरुख खान की जवान को बेस्ट स्पेशल इफेक्ट्स और बेस्ट एक्शन के लिए विनर चुना गया. इसके अलावा रणबीर कपूर की एनिमल को बेस्ट बैकग्राउंड स्कोर और बेस्ट साउंड डिजाइन के लिए विनर चुना गया. 

टेक्निकल अवॉर्ड्स की पूरी लिस्ट

बेस्ट साउंड डिजाइन – ‘सैम बहादुर’ – कुणाल शर्मा और एनिमल के लिए सिंक सिनेमा

बेस्ट वीएफएक्स- ‘जवान’ – रेड चिलीज वीएफएक्स

बेस्ट एडिटिंग – ’12th फेल’ – जसकुंवर सिंह कोहली और विधु विनोद चोपड़ा

बेस्ट बैकग्राउंड स्कोर – ‘एनिमल’ – हर्षवर्द्धन रामेश्वर

बेस्ट प्रोडक्शन डिजाइन – ‘सैम बहादुर’ – सुब्रत चक्रवर्ती और अमित रे

बेस्ट कॉस्टयूम डिजाइन – ‘सैम बहादुर’ – सचिन लवलेकर, दिव्या गंभीर और निधि गंभीर

बेस्ट सिनेमैटोग्राफी- ‘थ्री ऑफ अस’ – अविनाश अरुण धावरे

बेस्ट कोरियोग्राफी – ‘व्हाट झुमका’ – गणेश आचार्य (रॉकी और रानी की प्रेम कहानी)

बेस्ट एक्शन – ‘जवान’ – स्पाइरो रजाटोस, एनल अरासु, क्रेग मैक्रे, यानिक बेन, केचा खम्फाकडी और सुनील रोड्रिग्स

एलन मस्क को पछाड़कर यह व्यक्ति बना दुनिया का सबसे अमीर कारोबारी, देखिए टॉप 10 की लिस्ट

 अमेरिका के सबसे अमीर कारोबारी एलन मस्क दुनिया के सबसे अमीर कारोबारी की कुर्सी से खिसककर दूसरे स्थान पर पहुंच गए हैं। उन्हें फ्रेंच कारोबारी बर्नार्ड अरनॉल्ट ने पीछे छोड़ दिया है। फोर्ब्स रियल टाइम बिलेनियर्स के अनुसार एलन मस्क की कुल दौलत 204.7 बिलियन डॉलर रह गई है। जबकि बर्नार्ड अरनॉल्ट की कुल दौलत 207.6 बिलियन डॉलर हो गई है। दोनों कारोबारियों के बीच करीब 3 बिलियन डॉलर का अंतर हो गया है। वहीं दूसरी ओर जेफ बेजोस की कुल दौलत 181.3 बिलियन डॉलर है और दुनिया के तीसरे नंबर के कारोबारी हैं।

मस्क के पिछड़ने का कारण

एलन मस्क के पिछड़ने का कारण टेस्ला के शेयरों में गिरावट है। बीते एक महीने में टेस्ला के शेयरों में करीब 28 फीसदी की गिरावट देखने को मिल चुकी है। जिसकी वजह से टेस्ला की वैल्यूएशन में 200 अरब डॉलर से ज्यादा की गिरावट देखने काे मिल चुकी है। जिसका असर एलन मस्क की कुल दौलत में देखने को मिला है। इस दौरान मस्क की नेटवर्थ में करीब 40 बिलियन डॉलर की गिरावट आई है। यही कारण है कि वो पहले पायदान से खिसककर दूसरे पायदान पर आ गए हैं।

दुनिया के 10 सबसे अमीर शख्स

कारोबारी का नाम  नेटवर्थ (बिलियन डॉलर में)

बर्नार्ड अरनॉल्ट       207.6

एलन मस्क           204.7

जेफ बेजोस           181.3

लैरी एलिसन       142.2

मार्क जुकरबर्ग       139.1

वॉरेन बफेट         127.2

लैरी पेज           127.1

बिल गेट्स           122.9

सर्गेई ब्रिन           121.7

अडानी और अंबानी

दूसरी ओर एशिया के सबसे अमीर शख्स मुकेश अंबानी कुल दौलत 104.4 अरब डॉलर पर आ गई है। वहीं दूसरी ओर गौतम अडानी की कुल दौलत 75.7 अरब डाॅलर पर है। बीते कुछ समय से अंबानी और अडानी की नेटवर्थ में तेजी दोनों की कंपनियों में तेजी की वजह से देखने को मिली है।

मथुरा, काशी और विश्वनाथ, तीनो लेंगे एकसाथ', रामकथा में बोले यूपी के डिप्टी CM केशव प्रसाद मौर्य

डेस्क: यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने लखनऊ में आयोजित एक रामकथा में कहा कि मथुरा ,काशी और विश्वनाथ,तीनो लेंगे एकसाथ। उनके इस बयान की सियासी गलियारों में काफी चर्चा हो रही है। 

क्या है पूरा मामला?

केशव प्रसाद मौर्य ने शनिवार को लखनऊ में देवकी नंदन ठाकुर की रामकथा में रामजन्मभूमि आंदोलन के समय गूंजे संघ के नारे 'मथुरा, काशी और विश्वनाथ, तीनो लेंगे एकसाथ' को दोहराया और कहा कि ASI की रिपोर्ट के बाद काशी में भी हर हर महादेव हो गया है।

डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक भी थे मौजूद

इस कार्यक्रम में यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक भी मौजूद थे। ऐसे में रामकथा के दौरान दोनों डिप्टी सीएम का मौजूद होना और केशव मौर्य का ये बयान देना सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। 

राम लला का विराजमान होना मतलब राम राज्य की शुरुआत

इससे पहले केशव प्रसाद मौर्य ने कहा था कि राम लला का विराजमान होना मतलब राम राज्य की शुरुआत होना है। ये हमारे लिए गर्व की बात है। जिस प्रकार से राम भक्तों का जनसैलाब अयोध्या धाम की ओर उमड़ रहा है। उससे भारी भीड़ हो गई है मैं सभी लोगों से अपील करता हूं कि जल्दबाजी न करें। सरकार ने सुरक्षा की व्यवस्था की हुई है और सभी प्रबंध भी किए हुए हैं।

बिहार: नीतीश को लेकर चिराग पासवान का बड़ा बयान, कहा- हमने PM मोदी की वजह से समर्थन किया, लेकिन...

डेस्क: बिहार में बड़ा सियासी फेरबदल हुआ है। सीएम नीतीश कुमार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है और आरजेडी के साथ अपना गठबंधन खत्म कर दिया है। वहीं अब नीतीश कुमार ने एनडीए का दामन थामा है। जिसके बाद आज शाम नीतीश कुमार बीजेपी के साथ मिलकर बिहार में सरकार बनाएंगे। इस बदलाव में ये बात अहम है कि बीजेपी कोटे से 2 डिप्टी सीएम होंगे। इस बीच लोकजनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने नीतीश कुमार को लेकर बड़ा बयान दिया है। 

चिराग ने क्या कहा? 

चिराग ने कहा, 'हमने नीतीश कुमार की नीति का विरोध किया। अगर उनकी नीति अभी भी राज्य में रहेगी तो उनका विरोध था और आगे भी रहेगा। नीतीश की नीतियों से बिहार विकास नहीं कर सकता।' चिराग ने कहा, 'हमने पीएम मोदी की वजह से समर्थन किया है। हम NDA का हिस्सा हैं, राष्ट्र निर्माण में समर्थन करते हैं। चुनाव नजदीक हैं। जीतकर नरेंद्र मोदी को पीएम बनाना है। मैं शपथ ग्रहण समारोह में जा रहा हूं।'

पटना जाने से पहले चिराग के आवास पर हुई बैठक

पटना जाने से पहले चिराग के आवास पर बैठक भी हुई। इसमें चिराग के साथ पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व सांसद अरुण कुमार, प्रधान महासचिव अब्दुल खालिक, ए के वाजपेई, बिहार प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी मौजूद रहे। इस दौरान मौजूदा राजनीतिक गतिविधि पर चर्चा की गई।

मध्यप्रदेश के नए CM ने बदली पूर्व सीएम शिवराज सिंह की परंपरा, बोले- 'राज्य गान में खड़ा होना जरूरी नहीं'

 मध्य प्रदेश की जल, जंगल, जमीन एवं गौरवशाली इतिहास को बताने वाला राज्य गान सीएम मोहन यादव के एक बयान के चलते ख़बरों में आ गया। मुख्यमंत्री बृहस्पतिवार को भोपाल में सिविल सर्विसेज में चयनित उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र प्रदान करने एक कार्यक्रम में आए थे। उन्होंने मध्य प्रदेश गान पर खड़े होने से मना कर दिया। साथ ही लोगों को भी इशारे में बैठे रहने को कहा। इतना ही नहीं मध्य प्रदेश गान आरम्भ होकर बंद हुआ तथा मोहन यादव के इशारे के पश्चात् दोबारा आरम्भ हुआ। इस बार सभी लोग खड़े होने की जगह बैठे रहे। मुख्यमंत्री भी मंच पर कुर्सी पर बैठे रहे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रगान एवं राष्ट्रगीत के वक़्त ही हमें खड़ा होना चाहिए।

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि एक परंपरा बन गई है, जैसे हमारा मध्य प्रदेश गान है। अच्छी बात है। लेकिन, कल विश्वविद्यालय गान बनाएगा, कोई कॉलेज का गान बनाएगा, कोई संस्थान अपना गान बनाएगा। फिर नियम बनेगा कि राष्ट्रगान की भांति खड़ा होना है, यह क्या बात हुई। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत की व्यवस्था के मुताबिक बाकियों को बराबर नहीं कर सकते। हो सकता है आपको अटपटा लगे कि यह पुरानी परंपरा को तोड़ रहे है, किन्तु पुरानी चीजों में परिवर्तन की आवश्यकता है तो उसमें परिवर्तन भी करते हैं। हमारा लचीलापन हमें अच्छे से और अच्छे की तरफ ले जाता है।

दरअसल, 1 नवंबर 2022 को मध्य प्रदेश के तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश के 67वें स्थापना दिवस के अवसर पर ऐलान किया था कि मध्य प्रदेश गान को भी राष्ट्रगान की तरह भांति सम्मान दिया जाएगा। लोगों को यह संकल्प भी दिलाया था कि जब भी मध्य प्रदेश गान होगा तो खड़े होकर सम्मान करें। ऐसे में अपने ही पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री के फैसले को मुख्यमंत्री मोहन यादव द्वारा बदलने पर कोंग्रेस को बीजेपी की सरकार पर निशाना साधने का मौका मिल गया।