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महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन खत्म, महाराष्ट्र सरकार ने मानी मांगें, जानें क्यों झुकने को मजबूर हुए शिंदे

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महाराष्ट्र में आरक्षण के लिए मराठा आंदोलन खत्म हो गया है। एकनाथ शिंदे की महायुति सरकार ने मराठा आरक्षण के संबंध में मनोज जरांगे की सभी मांगों को स्वीकार कर लिया है। जिसके बाद मराठा आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटिल ने आंदोलन खत्म करने का ऐलान कर दिया है। मनोज जरांगे पाटिल ने शुक्रवार देर रात कहा कि 'मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अच्छा काम किया है। हमारी अपील मान ली गई है। हमारा विरोध अब खत्म हुआ। मैं शनिवार को सीएम के हाथ जूस पिऊंगा'।

मनोज जरांगे लाखों लोगों के साथ आज मुंबई में एंट्री लेने वाले थे। इधर आधी रात को मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा और मंत्री दीपक केसरकर ने मनोज जरांगे को मराठा आरक्षण के संबंध में राजपत्र सौंपा। मनोज जरांगे अब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के आवास पहुंचकर अपना अनशन खत्म करेंगे।उन्होंने कहा कि हमारी महत्वपूर्ण मांगों को स्वीकार कर लिया गया है।

रिपोर्ट के अनुसार आज सुबह मनोज जारांगे नवी मुंबई के शिवाजी चौक पर अपना अनशन तोड़ सकते है। उन्होंने कल कहा कि वह अब मुंबई नहीं जाएंगे. इसके साथ ही वह आज सुबह हजारों मराठा कार्यकर्ता से शिवाजी चौक पर बात करेंगे।मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शुक्रवार रात मराठा आरक्षण को लेकर आंदोलन कर रहे मनोज जारांगे के पास उनकी विभिन्न मांगों के संबंध में एक मसौदा अध्यादेश भेजा था। मुख्यमंत्री कार्यालय के एक बयान में कहा गया कि शिंदे ने मांगों पर चर्चा करने के लिए अधिकारियों के साथ बैठकें की थी। इसके बाद कार्यकर्ता से मिलने के लिए एक प्रतिनिधिमंडल मसौदा अध्यादेश के साथ भेजा।

कौन हैं मनोज जरांगे पाटिल?

मनोज जरांगे पाटिल महाराष्ट्र के बीड जिले के गांव मोतारी में जन्मे थे। 2010 में 12वीं की, लेकिन पढ़ाई छोड़ कर होटल में नौकरी करनी पड़ी। अचानक नौकरी छोड़ मराठा आंदोलन से जुड़ गए। 2014 से मराठा आरक्षण आंदोलन से जुड़े हैं। आंदालन में सहयोग करने के लिए, मराठा समुदाय के सशक्तिकरण के लिए शिवबा संगठन बनाया। कांग्रेस जॉइन की थी, लेकिन मांगें पूरी होती नहीं दिखी तो पार्टी छोड़ दी। मराठा आंदोलन इतना महत्वपूर्ण है कि मनोज जरांगे ने अपने परिवार को भी मुश्किलें सहते हुए आंदोलन में सहयोग करने को कहा। मनोज मराठाओं के हक के लिए जान तक दे सकता है, लेकिन मराठा आरक्षण लेकर रहेगा।

बिहार में सियासी हलचल के बीच तेजस्वी ने नीतीश को दी चुनौती, बोले-'आसानी से नहीं होने देंगे तख्तापलट'

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एक बार फिर से एनडीए के पाले में जाने की सुगबुगाहट जारी है। जिसके बाद बिहार का सियासी पारा चढ़ा हुआ है।दिल्ली से लेकर पटना तक की राजनीति जोरों पर हैं।इस बीच तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को चुनौती दे दी है। तेजस्वी यादव ने कहा है कि नीतीश कुमार के लिए तख्तापलट इस बार आसान नहीं होने वाला है।

नीतीश के पाला बदलने की अटकलों के बीच शुक्रवार को दिन भर तेजस्वी ने अपने कोर कमेटी के सदस्यों से इस पर चर्चा की है। सूत्रों के मुताबिक, तेजस्वी यादव ने अपने सदस्यों के बीच कहा कि इतनी आसानी से दोबारा नहीं ताजपोशी नहीं होने देंगे। वहीं, आरजेडी के मुखिया लालू यादव ने दावा किया है कि उनके पास बहुमत का आंकड़ा है। अगर नीतीश कुमार गठबंधन तोड़ते हैं तब वह अपने पत्ते खोलेंगे। आज आरजेडी विधायक दल की बैठक में फैसला लिया जाएगा। बिहार में सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी है।

बिहार में राजनीतिक उथल पुथल के बीच राजद खेमा पूरे तौर पर सक्रिय हो चुका है और सूत्रों से बताया जा रहा है कि गठबंधन टूटने की सूरत में राजद की ओर से तेजस्वी यादव के नेतृत्व में आज दिन में एक बजे सरकार बनाने का दावा किया जा सकता है। बताया जा रहा है कि राजद, कांग्रेस, वाम दल के 114 विधायकों के साथ जीतन राम मांझी के चार विधायकों को भी अपने पाले में करने कवायद की जा रही है।

बताया जा रहा है कि जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन को डिप्टी सीएम पद का ऑफर दिया गया है। दूसरी ओर एआईएमआईएम के एक और एक निर्दलीय विधायक के दम पर बहुमत के आंकड़े 122 से दो सीटें कम, यानी 120 सीटों पर राजद पहुंच जाएगा। वहीं, जदयू के भी कुछ विधायकों के टूटने का दावा राजद की ओर से किया जा रहा है।

इजरायल को गाजा में नरसंहार रोकने का आदेश, इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस का आदेश

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इजरायल और हमास के बीच युद्ध जारी है। इस बीच साउथ अफ्रीका इजरायल पर गाजा में जनसंहार का आरोप लगाते हुए इंटरनेशनल कोर्ट में मामला उठाया था। इस पर कोर्ट ने फैसला सुनाया है।इजराइल के हमले झेल रहे गाजा में तत्काल संघर्ष विराम करने के दक्षिण अफ़्रीका के आग्रह पर इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस यानी आईसीजे ने सहमति नहीं जताई है। संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को कहा कि वह उस मामले को खारिज नहीं करेगी जिसमें इजराइल पर गाजा में नरसंहार का आरोप लगाया गया है, लेकिन उसने यह भी कहा कि वह छोटे तटीय इलाकों में जारी अपने सैन्य हमलों में जान-माल के नुकसान को रोकने की कोशिश करे। 

सुनवाई कर रहे 17 जजों में से ज़्यादातर ने ये कहा कि इजराइल को अपनी क्षमता के अनुसार हर वो चीज करनी चाहिए जिससे फ़िलिस्तीनी लोगों की मौतों, शारीरिक या मानसिक तौर पर क्षति पहुंचाने से बचाया जा सके।कोर्ट ने ये भी कहा कि इजराइल को कोई भी ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए जो फ़िलिस्तीनी महिलाओं को बच्चों को जन्म देने में बाधा पहुंचाता हो।कोर्ट ने कहा कि इजरायल को यह सुनिश्चित करना होगा कि उसकी सेना कोई नरसंहारक कृत्य न करे। इजरायल को ऐसी किसी भी सार्वजनिक टिप्पणी को रोकना और दंडित करना चाहिए जिसे गाजा में नरसंहार के लिए उकसाने वाला माना जा सकता है। इजरायल को मानवीय पहुंच सुनिश्चित करने के लिए उपाय करने चाहिए। इजरायल को ऐसे किसी भी सबूत को नष्ट होने से रोकना चाहिए जिसका इस्तेमाल नरसंहार के मामले में किया जा सकता है।

आईसीजे में अपील दर्ज

दरअसल दक्षिण अफ्रीका ने इजराइल को गाजा पट्टी में अपने सैन्य अभियानों को तुरंत निलंबित करने के लिए मजबूर करने को आईसीजे में एक तत्काल अपील दर्ज की है। दक्षिण अफ्रीका ने अपने आरोप को पूरे युद्ध के दौरान इजराइल की कार्रवाइयों और गाजा में फिलिस्तीनियों के बारे में इजराइली अधिकारियों की विवादास्पद टिप्पणियों और उनके साथ कैसे व्यवहार किया जाना चाहिए, दोनों पर आधारित किया है।

नरसंहार के आरोपों को किया खारिज

नेतन्याहू ने आईसीजे में इजराइल के खिलाफ लगाए गए नरसंहार के आरोपों को खारिज करते हुए जोरदार ढंग से कहा कि हमें कोई नहीं रोकेगा। रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने इन दावों को यहूदी लोगों के खिलाफ एक और नरसंहार करने की कोशिश करने वालों द्वारा किया गया पाखंडी हमला बताया। साथ ही नेतन्याहू ने हमास-नियंत्रित क्षेत्रों में खोजे गए यहूदी विरोधी भावना के उदाहरणों पर प्रकाश डाला।

राजभवन में आयोजित हाई-टी पार्टी में नहीं पहुंचे तेजस्वी यादव, नीतीश के बगल की खाली कुर्सी कह गई सियासी कहानी

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बिहार में भारी ठंड पड़ रही है, लेकिन सियासी गलियारे का पारा चढ़ा हुआ। अब तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ साए की तरह नजर आने वाले उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने दूरियां बढ़ा ली है। दरअसल, आज गणतंत्रता दिवस के मौके पर बिहार में राजभवन के कार्यक्रम का आयोजन किया गया। राजभवन में आयोजित हाई-टी पार्टी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नजर आए, लकिन तेजस्वी यादव नहीं पहुंचे।नीतीश कुमार के बगल रखी उनकी कुर्सी खाली नजर आई।

शुक्रवार दोपहर को गणतंत्र दिवस के मौके पर बिहार राज्यपाल की तरफ से राजभवन में हाई-टी पार्टी आयोजित की गई थी। गणतंत्र दिवस समारोह के बाद हर साल राज्यपाल द्वारा भोज का आयोजन किया जाता है। इसमें सभी सियासी दल के प्रमुख नेताओं को राज्यपाल टी पार्टी पर आमंत्रित करते हैं। राजभवन की ओर से टी पार्टी पर सभी दलों को आमंत्रण दिया गया था। भाजपा की ओर से नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा और जदयू की ओर से मंत्री अशोक चौधरी शामिल हुए। वहीं राजद सूत्रों के अनुसार, तेजस्वी यादव राजभवन की ओर आ रहे थे। उनके गार्ड भी तैयार हो गए थे लेकिन अचानक उन्होंने अपना फैसला बदल दिया। इसके बाद शिक्षा मंत्री आलोक मेहता राजभवन पहुंचे।

इधर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब राजभवन से बाहर निकले तो मीडिया ने उनसे सवाल पूछा कि तेजस्वी यादव राज भवन क्यों नहीं आए तो मुस्कुराते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि जो नहीं आए हैं उनसे ही पूछिए। गठबंधन में सब ठीक है? इस सवाल पर सीएम नीतीश कुमार ने जवाब नहीं दिया। मुस्कुराते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी गाड़ी में बैठ गए और राज भवन से मुख्यमंत्री आवास की ओर चले गए। 

राजभवन में हाई-टी पार्टी से पहले शुक्रवार सुबह गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजधानी पटना में आयोजित कार्यक्रम में भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव में दूरियां दिखाई दीं। दरअसल, कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बगल में डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की कुर्सी लगाई गई थी, लेकिन तेजस्वी यादव नीतीश कुमार के बगल लगी कुर्सी पर न बैठकर बिहार विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी के बगल खाली कुर्सी पर बैठ गए।

बता दें कि जेडीयू के बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने की चर्चा तेज हो गई है। सूत्रों के मूताबिक मुख्यमंत्री नीतीश 28 जनवरी को अपना त्यागपत्र राज्यपाल को सौंप सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कल यानी गुरुवार को बिहार बीजेपी नेताओं और अमित शाह के बीच हुई बैठक के बाद लिया गया है। वहीं, फिर से सुशील मोदी को डिप्टी सीएम बनाने की बात कही जा रही है। जैसा दावा किया जा रहा है अगर वैसा होता है तो जदयू प्रमुख नीतीश कुमार एक बार फिर बिहार के सीएम पद की शपथ ले सकते हैं।

मुश्किलों में शोएब मलिक, मैच फिक्सिंग के आरोप में टीम से निकाले गए, कॉन्ट्रैक्ट रद्द

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पाकिस्तान के महान खिलाड़ियों में शामिल शोएब मलिक लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं। पहले सानिया मिर्जा से अलगाव और पाकिस्तानी एक्ट्रेस सना जावेद से शादी के बाद खबरों ने खूब सुर्खियां बटोरी। अब बांग्लादेश प्रीमियर लीग में कुछ ऐसा हो गया है, जिससे शोएब का पूरा क्रिकेट करियर ही तबाह कर सकता है।दरअसल, शोएब मलिक पर मैच फिक्सिंग का आरोप लगा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीपीएल में उनकी टीम ने उनके साथ कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मलिक टूर्नामेंट बीच में छोड़कर दुबई लौट गए हैं। इस दौरान उन्होंने निजी कारणों का हवाला दिया है।

पूर्व पाकिस्तानी कप्तान शोएब मलिक बांग्लादेश प्रीमियर लीग में फॉर्च्यून बारिशल टीम के लिए खेल रहे थे लेकिन एक मुकाबले में मलिक ने एक ही ओवर में 3 नोबॉल डालकर सबको हैरान कर दिया था। मलिक ने बीपीएल के एक मैच के दौरान एक ही ओवर में 3 नोबॉल डाल दी थी, जिसका वीडियो काफी वायरल हो गया था और इसके बाद से ही फिक्सिंग के आरोप लगने लगे थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बांग्लादेश प्रीमियर लीग की टीम फॉर्च्यून बारिशल ने मैच फिक्सिंग के आरोप में शोएब मलिक को टीम से निकाल दिया है। रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि टीम से निकाले जाने के कारण ही मलिक अचानक ही टूर्नामेंट को बीच में छोड़कर ही दुबई लौट गए।

फॉर्च्यून बरिशाल के लिए खेलते हुए मलिक ने खुलना टाइगर्स के खिलाफ मैच के दौरान एक ओवर में तीन नो बॉल फेंकी। मलिक ने मैच में सिर्फ एक ओवर फेंका और 18 रन दिए। उन्हें दो चौके और एक छक्का लगाया गया। मलिक ने मैच का चौथा ओवर फेंका और उनके कप्तान तमीम इकबाल ने उन्हें फिर से आक्रमण पर नहीं लाया। यही वजह रही कि फॉर्च्यून बरिशाल खुलना टाइगर्स से 8 विकेट से मैच हार गई। 

मलिक ने एक ही ओवर मे तीन नो बॉल डाली थी. इसके बाद से ही सोशल मीडिया पर इसकी लगातार चर्चा की जा रही थी। एक स्पिनर किसी ओवर में तीन नो बॉल डाले यह अजीब बात ही है। इसी वजह से मलिक की फिक्सिंग को लेकर जांच की मांग की जा रही थी।

बांग्लादेश प्रीमियर लीग की फ्रेंचाइजी टीम ने शोएब मलिक के साथ करार खत्म कर दिया है। इसके पीछे की वजह से उनके खिलाफ फिक्सिंग की जांच बताई जा रही है। अगर मलिक दोषी पाए जाने पर कड़ी सजा भी तय की जा सकती है। इस पाकिस्तानी खिलाड़ी के बीपीएल खेलने पर हमेशा के लिए प्रतिबंध लगाया जा सकता है।

मोदी ने मैक्रों संग निहारा भारत के पेरिस का हैरिटेज, तोहफे में दिया राममंदिर का मॉडल, दिया यह दिया संदेश

 फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों का भारत दौरा दिल्ली में शुक्रवार को आयोजित होने वाले गणतंत्र दिवस समारोह से एक दिन पहले ही भारत के पेरिस यानि गुलाबीनगरी में यादगार बन गया। गुलाबीनगर के हैरिटेज का शो केस, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व राष्ट्रपति मैक्रों के हवामहल के सामने चाय की चुस्की लेने व खरीदारी करने के पल और रोड शो के दौरान पीएम मोदी की ओर से राष्ट्रपति मैक्रों को तोहफे में भेंट किया राममंदिर का मॉडल। करीब 40 मिनट के रोड शो के दौरान त्रिपोलिया गेट से बड़ी चौपड, हवामहल व जाैहरी बाजार होते हुए सांगानेरी गेट तक सडक के दोनों ओर खड़े हजारों महिला-पुरूष और उनके साथ आए बच्चों ने अभिवादन में दोस्ती का सैलाब उड़ेल दिया। इसके बाद दोनों नेताओं ने राजस्थानी व्यंजनों का स्वाद लिया।

राष्ट्रपति मैक्रों गणतंत्र दिवस के शुक्रवार को दिल्ली में होने वाले राष्ट्रीय समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होंगे। वे पेरिस से दिल्ली न जाकर गुरूवार दोपहर करीब ढाई बजे सीधे जयपुर पहुंचे। यहां राज्यपाल कलराज मिश्र, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने एयरपोर्ट पर उनका स्वागत किया। इसके बाद एयरपोर्ट से जैसे ही आगे बढ़े जवाहर सर्किल तक एनसीसी छात्र-छात्राओं ने फ्रेंच भाषा में लिखे शब्दों और प्रफुल्लित भाव से उनका भारत की धरती पर अभिनंदन किया। बच्चों ने हाथ हिलाकर उनका अभिवादन किया, तो राष्ट्रपति मैक्रों ने बच्चों से संवाद भी किया। इस दौरान करीब आधा किलोमीटर दूरी तक कलाकारों ने नृत्य व संगीत के जरिए राजस्थानी संस्कृति की झलक पेश की, जिसे देखकर राष्ट्रपति मैक्रों अभिभूत नजर आए। रास्ते में जय हो-जय हो का घोष भी सुनाई दिया।

स्टेट हैंगर से वे आमेर किला देखने पहुंचे, जहां उनका राजस्थानी तौर-तरीकों से स्वागत किया गया। आमेर तक रास्ते में जगह-जगह उनका राजस्थानी संस्कृति से स्वागत किया गया। वे कुछ दूर पैदल चलकर आमेर महल पहुंचे, जहां उन्होंने हैरिटेज का सौंदर्य निहारा और उसकी प्रशंसा की। इस दौरान उप मुख्यमंत्री और पर्यटन मंत्री दिया कुमारी उनके साथ रही। उन्होंने महल के इतिहास की जानकारी दी। इस दौरान पारम्परिक नृत्यों के साथ यहां की कला-संस्कृति से भी राष्ट्रपति मैक्रों को रूबरू कराया गया। उन्होंने वहां मौजूद लोगों से बातचीत की और सहज भाव से उनके साथ फोटो खिचवाए। आमेर किला देखने के बाद वे यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड हैरिटेज साइट घोषित जंतर-मंतर रवाना हो गए। इसी बीच करीब साढ़े चार बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जयपुर पहुंच गए और वे भी एयरपोर्ट से सीधे जंतर-मंतर पहुंचे। यहां उन्होंने राष्ट्रपति मैक्रों को रिसीव किया। दोनों नेताओं ने एक-दूसरे को गले लगाया। दोनों नेता यहां करीब एक घंटा यहां रहे और उन्हें जंतर-मंतर स्थित ज्योतिष गणना से संबंधित यंत्रों की जानकारी दी गई।

इसके बाद दोनों खास मेहमान एक खुली गाड़ी में गुलाबीनगरी के परकोटे में रोड शो के लिए निकले। रोड़ शो का ऐतिहासिक टाउन हॉल राजस्थान की पुरानी विधानसभा भी साक्षी बना। इसी दौरान वे हवामहल पहुंचे, जहां दोनों नेता एक स्टाॅल पर बैठे और चाय की चुस्कियां ली। चाय पीते समय पीएम मोदी ने कहा, यहां का ट्रेडिशनल (पारंपरिक) स्वाद है। कुल्हड में चाय पीते समय राष्ट्रपति मैक्रों ने उसके बारे में पूछा तो पीएम मोदी ने जवाब में कहा - दिस इज मोस्ट एनवायरमेंट फ्रेंडली। स्टॉल वाले से पीएम मोदी ने चाय के पैसे पूछे, तो उसने पैसे लेने से मना कर दिया। बाद में पीएम मोदी ने यूपीआई से चाय वाले को पेमेंट दिया।

चाय पर चर्चा, यूपीआई से खर्चा

हवामहल पर चाय पर चर्चा के दौरान पीएम मोदी ने राष्ट्रपति मैक्रों से कहा, जो भी ट्यूरिस्ट आते हैं यहां जरूर आते हैं। फ्रांस के ज्यादातर पर्यटक भी यहां आते हैं। पर्यटक यहां पारंपरिक स्वाद चखते हैं। दोनों के बीच गुलाबी नगरी के हैरिटेज की चर्चा भी हुई। हवामहल देखते समय राष्ट्रपति मैक्रों ने दो सवाल पूछे। पहला, हवामहल में कितनी खिड़कियां हैं। दूसरा- इसमें लगे शीशे का रंग नीला क्यों है? राष्ट्रपति मैक्रो ने पीएम मोदी के साथ हवामहल के सामने सेल्फी ली। हवामहल के पास पीएम मोदी ने राममंदिर का मॉडल खरीदकर भेंट किया, इस पर राष्ट्रपति मैक्रों ने कहा- इट्स ए ब्यूटीफुल। इस मॉडल के लिए पीएम मोदी ने भीम यूपीआई से 500 रुपए का पेमेंट किया। इसके बाद दोनों नेता फिर रोड शो के लिए निकले और बड़ी चौपड़, जौहरी बाजार होकर सांगानेरी गेट पहुंचे। रोड शो खत्म होने के बाद दोनों नेता द्विपक्षीय वार्ता के लिए रामबाग होटल रवाना हो गए।

हाथ जोड़कर किया अभिवादन

रोड शो के दौरान राष्ट्रपति मैक्रों ने भी हाथ जोड़कर लोगों का अभिवादन स्वीकार करते रहे। इससे पहले आमेर महल में भी हाथ जोड़कर ही कलाकारों को धन्यवाद देते नजर आए।

यह दिया संदेश

-हैरिटेज संरक्षण और उसका पर्यटन की दृष्टि से महत्व।

-राममंदिर का मॉडल भेंटकर मंदिर की भव्यता और रामलला के प्रति लोगों की आस्था दर्शाई।

-यूपीआई से भुगतान कर डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने का संदेश

-इस खास दौरे से पर्यटकों की आवाजाही बढ़ेगी, खासकर फ्रांस के पर्यटकों की।

मोटे अनाज के व्यंजन परोसे गए

दिल्ली रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री मोदी की ओर से राष्ट्रपति मैक्रों को रामबाग होटल में दिए गए भोज में मोटे अनाज के व्यंजन परोसे गए। भोजन शाकाहारी था, जिसमें बेजड़ की रोटी की सहित अन्य व्यंजनों के साथ 4 तरह के सूप और पारंपरिक राजस्थानी भोजन दाल-बाटी-चूरमा परोसे गए।

एमपी में दिल दहलाने वाली घटना, 'हाथ-पैर बांध कर सामने रख दिया कैमरा', फिर 8 दोस्तों संग शख्स ने एक्स गर्लफ्रेंड संग किया गैंगरेप और...

मध्य प्रदेश के इंदौर शहर से एक शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है यहाँ द्वारकापुरी थाना इलाके में 23 वर्षीय एक महिला के साथ 8 लोगों ने सामूहिक बलात्कार की घटना को अंजाम दिया। आरोप है कि पुराने प्रेमी ने अपने दस्तों के साथ मिलकर उसे किडनैप किया और सुनसान स्थान पर ले जाकर सामूहिक बलात्कार किया। आरोपी लड़की के 4 वर्ष पहले किसी और से शादी कर लेने के कारण नाराज था और बदला लेना चाहता था। 

एडिशनल डीसीपी अभिनय विश्वकर्मा ने बताया कि द्वारकापुरी थाना क्षेत्र में एक पीड़िता ने आकर शिकायत दर्ज कराई कि क्षेत्र में रहने वाले अंकित ने उसे लगभग 6 महीने पहले अगवा किया तथा सुनसान स्थान ले जाकर उसके साथ गैंगरेप किया। उसने मुंह बंद रखने को धमकी देते हुए कहा था कि किसी को बताया तो उसकी बहन के साथ भी ऐसा ही किया जाएगा। हालांकि, पीड़िता ने अब पुलिस को अपनी आपबीती बताई तो मुकदमा दर्ज कर लिया गया। पुलिस ने पांच दोषियों को गिरफ्तार किया है तथा अन्य की तलाश की जा रही है।

पुलिस के मुताबिक, सामूहिक बलात्कार का मुख्य आरोपी अंकित कदम और पीड़िता दोनों ही एक दूसरे से प्रेम करते थे। किन्तु दोनों का विवाह नहीं हो पाया। 4 वर्ष पहले पीड़िता की शादी किसी और के साथ हो गई। अंकित कदम इस बात से बेहद नाराज था तथा कई बार उसने पीड़िता से संपर्क कर मिलने की बात कही। किन्तु पीड़िता अंकित से नहीं मिलना चाहती थी। अंकित निरंतर उस पर दबाव बना रहा था। पीड़िता ने पुलिस को बताया कि उसका एक बच्चा भी है। कुछ दिन पहले वह अपने घर से लोन का रुपया जमा कराने बैंक जा रही थी। अकेला पाकर अंकित ने एक गाड़ी में अगवा किया। अंकित ने एक सुनसान स्थान ले जाकर उसके दोस्तों के साथ गैंगरेप किया। उन्होंने पीड़िता के हाथ पैर बांध दिए थे एवं बलात्कार करते हुए वीडियो भी बनाया। पुलिस ने जिन पांच दोषियों को गिरफ्तार कर लिया है उनकी पहचान अंकित कदम, विशाल, मिथुन, रवि बंजारा के रूप में हुई है।

बिहार में सियासी भूचालः बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाएंगे नीतीश!

#kumar_may_resign_will_form_government_with_bjp

बिहार में सियासी बवंडर आने का पूरे हालात बने हुए हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर अटकलें तेज हैं कि वे फिर से एक बार पाला बदलने जा रहे हैं और भारतीय जनता पार्टी के साथ हाथ मिलाने की योजना बना रहे हैं। माना जा रहा है कि विपक्षी दलों के गठबंधन “इंडिया” का नेता न बनाए जाने से नाराज नीतीश कुमार गठबंधन का साथ छोड़ एनडीए खेमे में वापसी कर कर सके हैं। इस बीच एक बड़ी जानकारी सामने आई है। सूत्रों के मुताबिक नीतीश कुमार इस्तीफा दे सकते हैं। वे बीजेपी के साथ सरकार बना सकते हैं। बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार 28 जनवरी को दोबारा सीएम पद की शपथ ले सकते हैं।

अगले चौबीस घंटे बिहार की राजनीति के लिए अहम बताया जा रहा। इस दौरान नीतीश कुमार इस्तीफा दे सकते हैं। बीजेपी के साथ मिलकर नई सरकार बनाई जाएगी। वहीं, उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी बनाए जा सकते हैं। नीतीश कुमार को लेकर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने बड़े संकेत दिए हैं। बीजेपी नेता सुशील मोदी का कहना है कि राजनीति में दरवाजे बंद होते हैं और दरवाजे खुल भी जाते हैं। राजनीति संभावनाओं का खेल है, कुछ भी हो सकता है।

अब तक मिली जानकारी के मुताबिक, नीतीश कुमार 27 जनवरी यानी कि शनिवार को सीएम पथ से इस्तीफा दे सकते हैं। इसके बाद वह 28 जनवरी को फिर से सीएम पद की शपथ लेंगे। कहा जा रहा है कि लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा चुनाव कराने को लेकर बीजेपी तैयार नहीं हुई है।

बिहार में जारी सियासी घमासान के बीच राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख और जमुई सांसद चिराग पासवान को भी दिल्ली बुलाया है। पटना स्थित पार्टी कार्यालय में तिरंगा फहराने के बाद चिराग पासवान दिल्ली के लिए रवाना हो रहे हैं। बताया जा रहा है कि चिराग पासवान रविवार शाम साढ़े पांच बजे एनडीए की बैठक में शामिल होंगे। साथ ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और देश के गृह मंत्री अमित शाह से अहम बातचीत करेंगे। इससे पहले चिराग पासवान ने अपने आवास पर लोजपा (रामविलास) के नेताओं के साथ बैठक की। चिराग ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा था कि अगले 24 घंटे महत्वपूर्ण हैं। 

बिहार की राजनीति में मची हलचल और नीतीश कुमार के फिर से पाला बदल कर भाजपा के साथ जाने के कयासों के बीच फिलहाल पार्टी सार्वजनिक रूप से अपने पत्ते खोलने को तैयार नहीं है। पटना में मचे राजनीतिक घमासान के बीच भाजपा आलाकमान ने बिहार भाजपा के नेताओं को बैठक के लिए दिल्ली बुलाया था। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर यह उच्चस्तरीय बैठक हुई। शाह के आवास पर हुई इस बैठक में अमित शाह और जेपी नड्डा ने बिहार भाजपा के नेताओं के साथ लगभग पौने दो घंटे तक विचार मंथन किया।

कर्तव्य पथ से आसमान की ओर उठीं सबकी निगाहें, दिखा भारतीय सेना का शौर्य और नारी शक्ति की झलक

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देश 75वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कर्तव्य पथ पर सलामी मंच से राष्ट्रीय ध्वज फहराया। इसके बाद राष्ट्रगान बजा और 21 तोपों की सलामी दी गई। 105 हेलीकॉप्टर यूनिट के 4 एमआई-17 से कर्तव्य पथ पर उपस्थित दर्शकों पर पुष्प वर्षा की गई। इसके बाद राष्ट्रपति मुर्मू के सलामी लेने के साथ परेड शुरू हुई।इस दौरान फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों और पीएम मोदी मौजूद रहे।इस बार फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों मुख्य अतिथि हैं। फ्रांस का मार्चिंग दस्ता भी परेड में शामिल हुआ।

आकाश में भारत के ताकत की गरज

परेड दस्ता में भारतीय वायुसेना दल में 144 वायुसैनिक और चार अधिकारी शामिल रहे। उनकी झांकी भारतीय वायु सेना की थीम ‘सक्षम, सशक्त, आत्मनिर्भर’ पर आधारित थी। झांकी में एलसीए तेजस और Su-30 को IOR के ऊपर उड़ान भरते हुए दिखाया गया।

 

कर्तव्य पथ पर नारी शक्ति का प्रदर्शन

कर्तव्य पथ पर नारी शक्ति का प्रदर्शन देखने को मिल रहा है. देश के हिंटरलैंड में तैनात महिला कर्मियों का प्रदर्शन देखने को मिला है. इंस्पेक्टर शहनाज खातून के हाथों में कमान है. शहनाज के साथ 13 और महिला कार्मिकों का दस्ता कर्तव्य पथ पर है. अभिवादन- फॉर्मेशन की कमान इंस्पेक्टर सोनिया बनवारी के हाथ में है. योग से सिद्धि- सीटी अनिता भारती और 7 कार्मिकों का फॉर्मेशन है.

चंद्रयान-3 की निकली झांकी

गणतंत्र दिवस के मौके पर परेड दस्ते में इसरो की कामयाबी की भी झलक देखने को मिली। परेड में इसरो भी शामिल हुआ। इस दौरान चंद्रयान-3 की झांकी निकाली गई। दक्षिणी ध्रुव के पास चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग दिखाई गई। चंद्रयान-3 की झांकी देख दर्शकों के साथ केंद्रीय मंत्री भी उठ खड़े हुए। बता दें कि 23 अगस्त को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस घोषित किया गया है।

पहली बार दिल्ली पुलिस की परेड में केवल महिला पुलिसकर्मी

गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली पुलिस की तरफ से परेड में केवल महिला पुलिसकर्मी शामिल हुईं. मार्चिंग दस्ते में कुल 194 महिला हेड कांस्टेबल और महिला कांस्टेबल ने हिस्सा लिया. इस परेड का नेतृत्व आईपीएस ऑफिसर श्वेता के सुगथन ने की।

उत्तर प्रदेश की झांकी में रामलला के हुए दर्शन

उत्तर प्रदेश की झांकी कर्तव्य पथ से गुजर रही है। इस झांकी की थीम अयोध्या: विकसित भारत समृद्ध विरासत रही। अयोध्या के राम मंदिर और रामलला के गीत यूपी की झांकी के साथ बजाए गए। झांकी के आगे के हिस्से में रामलला की प्रतिमा दिखाई गई। उत्तर प्रदेश की झांकी के पीछे तेलंगाना की झांकी आ रही है, जिसकी थीम - जमीनी स्तर पर लोकतंत्र- तेलंगाना के स्वतंत्रता सेनानियों की विरासत रही।

झारखंड की झांकी तसर सिल्क पर केंद्रित

झारखंड की झांकी तसर सिल्क पर केंद्रित है। भारत में तसर सिल्क का 62% झारखंड में उत्पादन होता है। तसर सिल्क से लगभग 1 लाख 50 हजार लोगों की आजीविका चलती है।अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस जैसे देश में सिल्क का निर्यात होता है। झांकी में आदिवासी झमताओं का प्रदर्शन है।

वो चित्रकार जिसने सजाया हमारा संविधान, एक नाम जो संविधान की हर पृष्ठ पर है मौजूद, जानिए दिलचस्प बातें

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हमारा संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। संविधान को बनाने में 2 साल 11 महीने और 18 दिन लगे थे। हममें से ज्यादातर लोगों को ये पता है कि भारत का संविधान किसने बनाया। लेकिन क्या हमें इस बात की जानकारी है कि हमारा संविधान किसने सजाया? 

29 अगस्त 1947 को भारतीय संविधान के निर्माण के लिए प्रारूप समिति की स्थापना की गई और इसके अध्यक्ष के रूप में डॉ. भीमराव अंबेडकर को जिम्मेदारी सौंपी गई। दुनिया भर के तमाम संविधानों को बारीकी से परखने के बाद डॉ. अंबेडकर ने भारतीय संविधान का मसौदा तैयार कर लिया। हम यह जानते हैं कि संविधान की प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर थे जिनके निर्देशन में भारत का संविधान लिखा गया। लेकिन क्या हम ये जानते हैं कि हमारे संविधान को जिन चित्रों से सजाया गया है, वो किसके निर्देशन में तैयार किया गया।

बता दें कि इसे बनाने वाले थे विख्यात चित्रकार नंदलाल बोस। दरअसल जब संविधान तैयार किया जा रहा था, उस वक्त तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू इन्हें सजाने वाला ढूंढ रहे थे। इसी दौरान प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू शांतिनिकेतन में आए हुए थे। तब उनकी मुलाकात नंदलाल बोस से हुई। यहां नंदलाल बोस कलाभवन के प्राध्यापक के तौर पर काम कर रहे थे। पंडित नेहरू ने उन्हें संविधान को भारतीय चित्रों सजाने का उनसे आग्रह किया, जिन्हें नंदू बोस ने मान लिया।

संविधान को सजाने के लिए 21 हजार रूपये मेहनताना

221 पेज के इस दस्तावेज के हर पन्ने पर तो चित्र बनाना संभव नहीं था।लिहाजा, नंदलाल जी ने संविधान के हर भाग की शुरूआत में 8-13 इंच के चित्र बनाए। संविधान के कुल 22 भाग हैं। इस तरह उन्हें भारतीय संविधान की इस मूल प्रति को अपने 22 चित्रों से सजाने का मौका मिला। इन 22 चिज्ञों को बनाने में चार साल लग गए। इस काम के लिए उन्हें 21 हजार रूपये मेहनताना के तौर पर दिया गया। 

संविधान की सजावट में संस्कृति की छाप

भारत के संविधान को नंदलाल बोस के निर्देशन में शांतिनिकेतन के कलाकारों ने अपने अद्भुत चित्रों से सजाए हैं। इनमें मोहनजोदड़ो, वैदिक काल, रामायण, महाभारत, बुद्ध के उपदेश, महावीर के जीवन, मौर्य, गुप्त और मुगल काल, इसके अलावा गांधी, सुभाष, हिमालय से लेकर सागर आदि के चित्र सुंदर बन पड़े हैं। वास्तव में यह चित्र भारतीय इतिहास की विकास यात्रा हैं। इन चित्रों की की शुरुआत होती है भारत के राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ के शेर से। अगले भाग में भारत की प्रस्तावना लिखी है, जिसे सुनहरे बार्डर से घेरा गया है।

एक चित्रकार को 21 हजार, एक ने ठुकराया हर उपहार

एक तरफ नंनलाल बोस ने अपनी कलाकारी के लिए मात्र 21 हजार रूपये लिए तो वहीं दूसरी तरफ एक दूसरे कलाकार प्रेम बिहारी रायजादा ने मेहनताना ठुकरा दिया था। भारत के संविधान से जुड़ी एक और रोचक जानकारी यह है कि इसकी मूल प्रति टाइपिंग या प्रिंट में उपलब्ध नहीं है। संविधान की मूल प्रति हिंदी और अंग्रेजी में हाथ से लिखी गई है। इसे प्रेम बिहारी रायजादा ने लिखा है। रायजादा ने पेन होल्डर निब से संविधान के हर पन्ने को बहुत ही खूबसूरत इटैलिक अक्षर में लिखा है।सुलेखन यानी कैलिग्राफी प्रेम बिहारी का खानदानी शौक था।

संविधान के हर पृष्ठ पर लिखा अपना नाम

संविधान को बनाने में जहां 2 साल 11 महीने और 18 दिन लगे थे, वहीं इसे हाथों से लिखने में 6 महीने का समय लगा था। जब प्रेम बिहारी से सरकार ने इस काम को पूरा करने के लिए मेहनताना के बारे में पूछा, तो उनका जवाब बड़ा गंभीर था। उन्होंने कहा, मुझे एक भी पैसा नहीं चाहिए। ना ही कोई महंगा उपहार चाहिए। लेकिन उन्होंने संविधान के हर पृष्ठ पर अपना नाम और अंतिम पृष्ठ पर अपने दादाजी का नाम लिखने की शर्त रख दी, जिसे सरकार ने मान लिया।