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विदेशी फंडिंग से मस्जिद निर्माण, अवैध रोहिंग्याओं को भारत में बसाना, राष्ट्र विरोधी गतिविधियां, 10 आतंकियों की गिरफ़्तारी से हुए बड़े खुलासे

उत्तर प्रदेश पुलिस की आतंकवाद-रोधी शाखा (ATS) ने हाल ही में महत्वपूर्ण कार्रवाई की है, जिसमें अवैध गतिविधियों में शामिल व्यक्तियों के एक जटिल नेटवर्क का पता लगाया गया है, जिसमें भारत में मस्जिद बनाने के लिए विदेशों से धन प्राप्त करना, रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिकों को अवैध रूप से भारत के बड़े शहरों में बसाना और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में लिप्त होना शामिल है। दारुल उलूम देवबंद से जुड़े व्यक्तियों सहित संदिग्धों का खुलासा 11 अक्टूबर, 2023 को दर्ज एक FIR के माध्यम से किया गया था।

संदिग्ध आतंकी और उनके अपराध

यूपी ATS ने 10 संदिग्ध आतंकवादियों आदिल उर रहमान अशरफी, अबू हुरैरा गाजी, शेख नजीबुल हक, मोहम्मद राशिद, कफीलुद्दीन, अजीम, अब्दुल अवल, अबू सालेह, अब्दुल गफ्फार और अब्दुल्ला गाजी के खिलाफ FIR दर्ज की है। उन पर विदेशी धन प्राप्त करने, अवैध घुसपैठियों को बसाने और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है।

दारुल उलूम देवबंद कनेक्शन

मामले में एक अहम खुलासा ये है कि, ज्यादातर साजिशकर्ताओं का दारुल उलूम देवबंद से संबंध है। आरोपियों में दिल्ली निवासी अब्दुल अवल उत्तर प्रदेश, दिल्ली और असम के दस्तावेजों का उपयोग करके अवैध रूप से बैंक खाते खोलता है और उन्हें विदेशी धन प्राप्त करने के लिए अब्दुल गफ्फार को सौंप देता है। फिर पैसा हवाला के जरिए नजीबुल शेख तक पहुंचाया जाता है, जो दारुल उलूम देवबंद के पास एक दुकान का मालिक है। इस पैसों का इस्तेमाल कई राष्ट्र विरोधी कार्यों में किया जाता है। संदिग्धों ने बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं को भारतीय दस्तावेज़ उपलब्ध कराकर भारत में घुसपैठ में मदद भी की है। फिर इन अवैध घुसपैठियों को दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और उत्तर-पूर्व भारत सहित देश के विभिन्न हिस्सों में बसाया गया है।

ATS की कार्रवाई 

11 अक्टूबर, 2023 को यूपी ATS को लखनऊ के चारबाग स्टेशन से आदिल उर रहमान अशरफी, अबू हुरैरा और नजीबुल शेख की गिरफ्तारी की सूचना मिली। जांच में अवैध गतिविधियों में उनकी संलिप्तता का पता चला, जिसमें हाल ही में सीमा पार एक बांग्लादेशी महिला की तस्करी भी शामिल थी। ATS ने संदिग्धों के पास से इलेक्ट्रॉनिक्स, मोबाइल, एटीएम कार्ड, विदेशी मुद्रा और भारतीय नकदी सहित विभिन्न सामान बरामद किए। भारतीय दंड संहिता और विदेशी अधिनियम 1946 की संबंधित धाराओं के तहत कानूनी कार्रवाई की गई है। तीन व्यक्तियों, आदिल उर रहमान, नजीबुल शेख और हुरैरा गाजी को गिरफ्तार किया गया है, जबकि अन्य फरार हैं।

 विदेशी फंडिंग

जांच से पता चलता है कि विदेशी धन मस्जिदों के निर्माण के लिए था, जिसके पहले चरण में पाकिस्तान सीमा के साथ पंजाब और बांग्लादेश सीमा के पास पश्चिम बंगाल में योजना बनाई गई थी। ATS सक्रिय रूप से आतंकी नेटवर्क की जड़ों और उसके वित्तीय स्रोतों का पता लगा रही है। यह हालिया मामला एटीएस जांच की एक श्रृंखला को जोड़ता है, जिसमें 19 जुलाई, 2023 और 28 अप्रैल, 2022 को की गई गिरफ्तारियां शामिल हैं, जिसमें राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों और अवैध घुसपैठ में शामिल दारुल उलूम देवबंद से जुड़े व्यक्तियों को उजागर किया गया है। यूपी ATS आतंक के वित्तपोषण, अवैध बस्तियों और राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में शामिल नेटवर्कों की परिश्रमपूर्वक जांच और उन्हें नष्ट करने में लगी हुई है। हाल की गिरफ़्तारियाँ राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने के उद्देश्य से कनेक्शन और गतिविधियों के जटिल जाल पर प्रकाश डालती हैं।

झाड़ू लगाने के बहाने बुलाया फिर मदरसे के हाफिज ने किया 8 साल की मासूम का बलात्कार, मरा समझकर भागा, उम्रकैद की मिली सजा

 उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर जिले की एक कोर्ट ने मंगलवार को 8 वर्षीय मासूम बच्ची से दुष्कर्म करने वाले हाफिज इरफ़ान को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही उस पर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माने की राशि पीड़िता को क्षतिपूर्ति के रूप में प्रदान की जाएगी। आरोपित एक मदरसे में बच्चों को इस्लाम की शिक्षा देता था। यूपी पुलिस ने इस मामले में तत्परता से काम किया, आरोपी को अरेस्ट कर कोर्ट में पेश किया गया और जल्द ही जांच पूरी कर चार्जशीट फाइल की गई, जिसके चलते कोर्ट ने महज 40 दिनों में ही आरोपी को दोषी साबित कर सजा सुना दी और पीड़िता को न्याय मिला।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, हाफिज इरफ़ान के मामले की सुनवाई मुज़फ्फरनगर के पॉक्सो स्पेशल कोर्ट में हुई। सुनवाई सेशन जज बाबूराम ने की। सुनवाई के दौरान अभियोजन और बचाव पक्ष ने अपना-अपना पक्ष रखा। इसके अगले दिन इरफ़ान की सजा पर बहस हुई। सुनवाई के महज 40 दिनों के भीतर ही कोर्ट ने हाफिज इरफ़ान को दोषी करार दे दिया था। इस दौरान बलात्कारी हाफिज इरफान के वकील ने कोर्ट से दया की अपील की। वहीं, अभियोजन पक्ष ने हाफिज के कृत्य को बेहद गंभीर बताते हुए उसके लिए फाँसी की सजा माँगी। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने मदरसे के हाफिज को उम्रकैद और 50 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। इस सुनवाई के दौरान अदालत ने हाफिज इरफ़ान को लेकर तीखी टिप्पणी भी की। अदालत ने कहा कि यदि शिक्षण संस्थान का शिक्षक ही ऐसी करतूत करेगा, तो आगे से कोई भी अपनी बेटियों को वहाँ पढ़ने के लिए नहीं भेजेगा। कोर्ट ने आगे कहा कि यदि ऐसे मामले में दोषियों पर दया की गई, तो समाज में गलत संदेश जाएगा और लोगों का शिक्षकों पर से भरोसा उठने लगेगा।

बता दें कि, यह घटना 23 सितंबर 2023 की है। पीड़िता की माँ ने थाना बुढ़ाना में अपनी बच्ची के साथ रेप की शिकायत दर्ज करवाई थी। FIR में मदरसे में बच्चों को इस्लाम की तालीम देने वाले हाफिज इमरान को नामजद किया गया था। पीड़िता की माँ ने अपनी शिकायत में बताया था कि इरफ़ान ने उसकी बेटी को झाड़ू लगाने के बहाने कमरे में बुलाकर उसका रेप किया था। इसके बाद बच्ची बेहोश गई थी। हाफिज पीड़िता को मरा हुआ समझकर वहाँ से फरार हो गया। घटना के बाद पीड़िता को बेहतर उपचार के लिए 7 दिनों तक मेरठ मेडिकल कॉलेज में भर्ती रहना पड़ा था। पुलिस ने इस घटना में मात्र 13 दिनों के अंदर अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दी थी। चार्जशीट IPC की धारा 376 व पॉक्सो एक्ट में दाखिल की गई थी। हाफिज ने कई बार जमानत मांगी, लेकिन उसे जमानत नहीं मिली और वो जेल में ही रहा। वहीं, इस मामले में अदालत ने 40 दिन में बलात्कारी इरफ़ान को सजा सुना दी है।

जान लीजिए, भारत के इस शहर में रात 12 बजे इस शहर में बीच सड़क पर छिड़ी जंग फिर हुआ 'कंस वध', और जगह का नाम पड़ गया 'कंस चौराहा'

मध्य प्रदेश के शाजापुर शहर के सोमवारिया बाजार में कंस दशमी पर कंस वध कार्यक्रम हुआ। कंस वध के पहले श्री कृष्ण तथा कंस की सेना के बीच जमकर वाकयुद्ध हुआ। श्रीकृष्ण एवं कंस के सैनिक के रूप में सजे-धजे कालाकारों ने एक-दूसरे पर तीखे व्यंग बाण चलाए। रात ठीक 12 बजते ही प्रभु श्रीकृष्ण ने कंस का वध किया। तत्पश्चात, गवली समाज के लोग कंस के पुतले को लाठी-डंडों से पीटते तथा जमीन पर घसीटते हुए नई सड़क की तरफ ले गए। 

''अरे! कन्हैया सुन...करते हैं लूटमार हम सिपाही कंस के...करते हैं भ्रष्टाचार हम सिपाही कंस के...खा जाएंगे तुझे कच्चा और डकार तक नहीं लेंगे...ऐसे खतरनाक हैं हम सिपाही कंस के...'' ऐसे वाकयुद्ध के साथ देवता तथा दानव तलवारें लहराते और डरावने अट्टाहास करते हुए शहर की सड़कों पर निकले। विशेष बात यह है कि इस युद्ध में खून की नदियां नहीं, बल्कि हंसी के फव्वारे छूटते हैं। संवादों में स्थानीय जनप्रतिनिधियों एवं राजनीति पर भी व्यंग्य होते हैं। 3 दिसंबर को विधानसभा चुनाव के नतीजों को भी संवाद में सम्मिलित किया गया। 

गोवर्धननाथ मंदिर के मुखिया दिवंगत मोतीराम मेहता ने लगभग 270 साल पहले मथुरा में कंस वधोत्सव कार्यक्रम होते देखा तथा फिर शाजापुर में वैष्णवजन को अनूठे आयोजन के बारे में बताया। इसके बाद से ही परंपरा का आरम्भ हो गया। लगभग 100 सालों तक मंदिर में ही आयोजन होता रहा, किन्तु जगह की कमी के चलते इसे नगर के एक चौराहे (जिसे अब कंस चौराह नाम दिया जा चुका है) पर किया जाने लगा। इस कंस वध को देखने शहर ही नहीं, बल्कि आसपास के लोग भी सम्मिलित हुए।

मैंने इशारा कर दिया तो तुम्हे भागना पड़ेगा, दौड़ाऊं क्या..', मंच से अकबरुद्दीन ओवैसी ने पुलिस अफसर को धमकाया तो भड़के असम के CM

 हैदराबाद में एक पुलिस अधिकारी को धमकी देने के लिए ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) अकबरुद्दीन ओवैसी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, भाजपा नेता और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि अगर यह असम में हुआ होता तो मामला "पांच मिनट" के भीतर सुलझ गया होता। दरअसल, AIMIM चीफ असदुद्दीन औवेसी के भाई अकबरुद्दीन ओवेसी पर बुधवार को एक पुलिस इंस्पेक्टर को खुलेआम धमकी देने का केस दर्ज किया गया, जो (अफसर) उनसे विधानसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता का पालन करने के लिए कह रहा था।

इसको लेकर सीएम सरमा ने कहा कि, 'अगर असम में ऐसा हुआ होता तो मामला पांच मिनट में सुलझ गया होता। तेलंगाना में तुष्टिकरण की राजनीति के कारण न तो BRS और न ही कांग्रेस कुछ कह रही है, अगर आप खुलेआम पुलिस को धमकी दे सकते हैं, तो लोगों को खतरा महसूस होगा।" इसके साथ ही असम के सीएम ने भारत के चुनाव आयोग से अकबरुद्दीन ओवैसी की उम्मीदवारी को "रद्द" करने का आग्रह किया। इससे पहले साउथ ईस्ट जोन के DSP रोहित राजू ने बताया कि अकबरुद्दीन औवेसी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। 

पुलिस अधिकारी ने कहा कि, "मामला IPC की धारा 353 (आधिकारिक कर्तव्यों में बाधा डालना) और अन्य संबंधित धाराओं के तहत दर्ज किया गया है।" अपने खिलाफ दर्ज FIR पर प्रतिक्रिया देते हुए अकबरुद्दीन ने कहा कि, "DCP और पुलिस झूठ बोल रहे हैं। सबसे पहले, मेरे पास उनके (एक पुलिस अधिकारी) मंच पर आने का वीडियो फुटेज है। अगर मैं रात 10 बजे के बाद भाषण देता हूं, तो पुलिस मुझ पर कानून के तहत मामला दर्ज कर सकती है। लेकिन सार्वजनिक बैठक में बाधा डालना और यह कहना कि समय समाप्त हो गया है, गलत है। पुलिस को ऐसा नहीं करना चाहिए।"

बता दें कि, AIMIM नेता हैदराबाद के ललिताबाग में एक अभियान को संबोधित कर रहे थे, समय समाप्त होने पर एक पुलिसकर्मी ने उन्हें सभा समाप्त करने को कहा। जिसके बाद अकबरुद्दीन भड़क गए और पुलिस अफसर को ही कार्यक्रम स्थल से "छोड़ने" के लिए कह दिया, साथ ही उन्होंने इशारा किया कि, यदि उन्होंने अपने समर्थकों को "संकेत" दिया, तो इंस्पेक्टर को उस स्थान से "भागने" के लिए मजबूर होना पड़ेगा। अकबरुद्दीन के शब्दों में, उन्होंने पुलिस अफसर को धमकाते हुए कहाँ था कि ''चलिए यहां से, चलिए बिल्कुल। तुमको क्या लगा मैं कमजोर हो गया। अभी बहुत हिम्मत है, छेड़ो मत हमें। 5 मिनट और बोलूंगा। कोई माई का लाल पैदा नहीं हुआ जो मुझे रोक दे। अगर मैंने इशारा कर दिया तो दौड़ना पड़ेगा.. दौड़ाऊं तुम्हें?''

इस संबंध में, AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने भी अपने भाई की टिप्पणी का बचाव किया और कहा कि अधिकारी को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए था, क्योंकि दिन का प्रचार समय समाप्त होने में "पांच मिनट" बाकी थे। अकबरुद्दीन चंद्रायनगुट्टा निर्वाचन क्षेत्र से मैदान में हैं। यह सीट AIMIM का गढ़ रही है, पार्टी ने 2014 और 2018 में यहां जीत हासिल की थी। तेलंगाना में 30 नवंबर को एक ही चरण में मतदान होगा। चार अन्य चुनावी राज्यों के साथ तेलंगाना के लिए वोटों की गिनती 3 दिसंबर को होगी।

बस कुछ घंटों में बाहर आ जाएंगे टनल में फंसे 41 मजदूर, 45 मीटर हुई ड्रिलिंग

#uttarkashi_tunnel_collapse 

उत्तरकाशी टनल हादसे का आज 11वां दिन है। सुरंग में फंसे सभी 41 मजदूरों को निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन तेजी से चल रहा है। इस बीच मजदूरों को बाहर निकालने के संबंध में बड़ी खबर मिल रही है। एक्सपर्ट्स के अनुसार अंदर फंसे 41 मजदूरों को महज कुछ घंटों के भीतर ही बाहर निकाला जा सकता है। 45 मीटर तक पाइप को अंदर डाला जा चुका है।बस घंटे में देशवासियों को खुशखबरी मिलने वाली है।

दरअसल, अर्थ ऑगर मशीन से ड्रिलिंग का काम सक्सेज होता दिख रहा है। टनल में 57 मीटर तक मलबा जमा है और अर्थ ऑगर 45 मीटर तक ड्रिलिंग कर चुकी है। अब सिर्फ 12 मीटर की ड्रिलिंग और होनी है। ये मशीन एक घंटे में 5 से 6 मीटर की ड्रिलिंग करती है। ऐसे में अगले 3 से 4 घंटे बेहद अहम होने वाले हैं।NHIDCL के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद ने बताया कि मंगलवार रात 12 बजकर 45 मिनट पर दोबारा अर्थ ऑगर मशीन से ड्रिलिंग का काम शुरू किया गया था, जिसमें 22 मीटर से आगे ड्रिल कर पाइप डालना शुरू किया गया। अब तक 45 मीटर तक पाइप डालने का काम पूरा हो चुका है। महमूद अहमद का कहना है कि बुधवार देर रात तक हम सुरंग में फंसे मजदूरों के पास पहुंचने में कामयाब हो जाएंगे।

पाइपलाइन डालने के बाद इसकी सफाई का कार्य किया जाएगा। इसके बाद फंसे मजदूरों को बाहर निकालने का कार्य शुरू होगा।पाइपलाइन से श्रमिकों के बाहर निकालने के बाद उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया जाएगा। इसके लिए सभी प्रकार की सुविधाओं से लैस 41 एंबुलेंस को सिलक्यारा टनल के पास खड़ा किया गया है। स्ट्रेचर भी मौके पर पहुंच गए हैं।

जैसे-जैसे टनल के मलबे में बचाव का पाइप मजदूरों के करीब जा रहा है, वैसे ही एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम भी मुस्तैद हो गई है। दोनों ने बुधवार को तैयारियों का जायजा लिया। एनडीआरएफ ने लक्ष्य रखा है कि सबकुछ ठीक रहा पाइप सुरंग में आर-पार होने के बाद सात मिनट के भीतर सभी 41 मजूदरों को सुरंग से बाहर निकाल लिया जाएगा। एनडीआरएफ ने 800 मिमी पाइप के भीतर से मजदूरों को निकालने के लिए गोलाकार स्ट्रेचर बनाया है। बुधवार को बाहर पाइप के भीतर इसे डालकर उन्होंने मजदूरों को बाहर निकालने की मॉक ड्रिल की। एनडीआरएफ के अधिकारियों ने बताया कि ड्रिल व तैयारियों के हिसाब से लक्ष्य रखा गया है कि सबकुछ सामान्य रहा तो 7 मिनट के भीतर मजदूरों को बाहर निकाल दिया जाएगा।

दिवाली के दिन रविवार को सिल्क्यारा टनल हादसा हुआ था। इसमें 41 मजदूर सुरंग के अंदर फंस गए थे। दिवाली के दिन से ही रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है। कई बार इसमें अड़चनें भी आईं। सुरंग के अंदर मजदूरों की हालत कैसी है, इसको लेकर पूरे देशवासियों को फिक्र हो रही थी। हादसे के 10वें दिन पहली बार मजदूरों का सीसीटीवी फुटेज आया तो सभी ने राहत की सांस ली। सुरंग के अंदर सभी मजदूर सकुशल हैं। रेस्क्यू कर रही टीमों के अधिकारियों ने उनसे बात भी की थी। मजदूरों को समय-समय पर खाना-पानी भी पहुंचाया जा रहा है।

जी20 वर्चुअल समिट में पीएम मोदी ने आतंकवाद पर किया प्रहार, बोले-नागरिकों की मौत कहीं भी हों निंदनीय

#pm_modi_say_in_g20_virtual_summit 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी 20 नेताओं की वर्चुअल समिट की अध्यक्षता की।जी-20 वर्चुअल शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गाजा में छिड़ी लड़ाई की खुलकर चर्चा की। आतंकवाद पर चिंता जताते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आतंकवाद हम सभी को अस्वीकार्य है। नागरिकों की मौत कहीं भी हो वो निंदनीय है।इजराइल-हमास युद्ध पर बोलते हुए पीएम ने कहा कि आज बंधकों के रिलीज के समाचार का हम स्वागत करते हैं। उम्मीद करते हैं कि सभी बंधक जल्द ही रिहा हो जाएंगे।

पीएम मोदी ने कहा कि आज की दुनिया चुनौतियों से भरी है। इसमें आपसी विश्वास ही है जो हमें बांधता है, एक-दूसरे से जोड़े रखता है। जब मैंने इस वर्चुअल समिट का प्रस्ताव रखा था, तब मुझे पूर्वानुमान नहीं था कि आज की वैश्विक स्थिति कैसी होगी। पश्चिमी एशिया क्षेत्र में अस्थिरता और असुरक्षा की स्थिति हम सब के लिए चिंता का विषय है। आज हम सभी का एक साथ आना इस बात का प्रतीक है कि हम सभी मुद्दों के प्रति संवेदनशील हैं और इनके समाधान के लिए एक साथ खड़े हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि ये सुनिश्चित करना भी जरूरी है कि इजराइल और हमास की लड़ाई किसी भी तरह का क्षेत्रीय रूप धारण न करे। आज संकटों के जो बादल हम देख रहे हैं, वन फैमिली में वो ताकत है कि हम शांति के लिए काम कर सकते हैं, मानवीय कल्याण के लिए हम आतंक और हिंसा के विरुद्ध अपनी आवाज बुलंद कर सकते हैं। इसके लिए भारत कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए तत्पर है।

पीएम मोदी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेश यानी एआई के बढ़ते इस्तेमाल की भी चर्चा की। पीएम ने कहा कि दुनियाभर में एआई के नकारात्मक उपयोग को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं। एआई लोगों तक पहुंचनी चाहिए और समाज के लिए सुरक्षित होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत की सोच स्पष्ट है, हमें एआई के वैश्विक नियमन पर मिलकर काम करना होगा। पीएम ने यह भी कहा कि जी20 ने बहुपक्षवाद पर विश्वास बढ़ाया है।

बता दें कि कि 10 सितंबर को नई दिल्ली शिखर सम्मेलन के समापन सत्र के दौरान पीएम मोदी ने घोषणा की थी कि भारत एक वर्चुअल शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। भारत के पास 30 नवंबर तक जी20 की अध्यक्षता है। 2024 में ब्राजील की जी20 की अध्यक्षता के दौरान जी20 की टॉप तिकड़ी में भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका शामिल होंगे। भारत ने पिछले साल 1 दिसंबर को एक साल के लिए जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण की और अगले साल तक वह शीर्ष तिकड़ी का हिस्सा बना रहेगा। जी 20 अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का एक मंच है। इसमें 19 देश शामिल हैं। जिनमें अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूके, अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल हैं।

राजौरी में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में सेना के दो जवान शहीद, 2 से 3 आतंकियों के छिपे होने की खबर

#jammu_kashmir_rajouri_encounter_with_terrorists_two_soldiers_martyred

जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ में दो जवान शहीद हो गए। पुलिस ने यह जानकारी दी। पुलिस ने कहा कि सुरक्षाबलों ने मौके पर दो आतंकियों को घेर लिया है। जंगल में आतंकवादियों की घुसपैठ की खुफिया जानकारी मिलने के बाद सेना की स्पेशल फोर्स और पुलिस ने संयुक्त अभियान शुरू किया। 

दरअसल, राजौरी के कालाकोट थाने के अंतर्गत गांव बाजी के जंगलों में दो से तीन आतंकियों के छिपे होने का इनपुट सुरक्षा बलों को मिला था। इस इनपुट के आधार पर भारतीय सेना और जम्मू कश्मीर पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप ने बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान शुरू किया। तलाशी के दौरान आतंकियों ने सुरक्षाबलों पर फायरिंग शुरू कर दी जिस के बाद उस इलाके में मुठभेड़ शुरू हुई।मुठभेड़ में एक अधिकारी (मेजर) और एक सैनिक की जान चली गई और एक अन्य सुरक्षाकर्मी घायल हो गया। घायल जवान को अस्पताल ले जाया गया है।

जम्मू-कश्मीर में पीर पंजाल के जंगल पिछले कुछ वर्षों में कई मुठभेड़ों के बाद सुरक्षा बलों के लिए एक चुनौती साबित हुए हैं। आतंकवादी भौगोलिक स्थिति का लाभ उठाकर अपनी स्थिति को छुपाने के लिए घने जंगलों का उपयोग करते हैं। आतंकवादी अपनी स्थिति को छिपाने के लिए दुर्गम पहाड़ों, घने जंगलों और अल्पाइन जंगलों का फायदा उठाते हैं।

बता दें कि तीन दिन पहले राजौरी के बुद्धल गांव में सुरक्षाबलों ने एक आतंकवादी को मार गिराया था जिसके बाद लगातार तलाशी अभियान चल रहा था।

सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी पर बाबा रामदेव की सफाई, बोले-कुछ लोग पतंजलि के खिलाफ कर रहे दुष्प्रचार, अपनी सारी रिसर्च दिखाने को तैयार

#ramdevsaidpatanjaliisnotdoingfalse_propaganda

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद को कड़ी चेतावनी दी है। मॉडर्न मेडिसिन सिस्टम यानी आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के खिलाफ विज्ञापन में भ्रामक दावे पब्लिश करने को लेकर ये फटकार लगाई है। कोर्ट ने सख्ती से कहा था कि वे भ्रामक विज्ञापन बंद करें। कोर्ट की चेतावनी के बाद बाबा रामदेव ने सफाई दी है।स्वामी रामदेव ने कहा कि पंतजलि के खिलाफ 5 साल से प्रोपेगेंडा चल रहा है। हमें लगातार टारगेट किया जा रहा है। 

पतंजलि के खिलाफ किया जा रहा दुष्प्रचार-स्वामी रामदेव

सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी के बाद आज बाबा रामदेव की ओर से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई। उन्होंने कहा कि अलग-अलग मीडिया साइट्स पर एक खबर वायरल हो रही है कि सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर आप गलत प्रचार करेंगे तो आप पर जुर्माना लगाया जाएगा। हम सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करते हैं। लेकिन हम कोई गलत प्रचार नहीं कर रहे हैं। कुछ स्वार्थी किस्म के लोग पतंजलि के खिलाफ दुष्प्रचार कर रहे हैं। 

कोर्ट में अपनी सारी रिसर्च दिखाने के लिए तैयार-स्वामी रामदेव

स्वामी रामदेव ने कहा कि एलोपैथी और मार्डन मेडिकल साइंस की ओर से झूठ फैलाया जा रहा है। कुछ डॉक्टरों ने एक समूह बनाया है जो लगातार योग, आयुर्वेद आदि के खिलाफ प्रचार करता है। अगर हम झूठे हैं, तो हम पर 1000 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाएं और हम मृत्युदंड के लिए भी तैयार हैं, लेकिन अगर हम झूठे नहीं हैं, तो उन लोगों को दंडित करें जो वास्तव में झूठा प्रचार कर रहे हैं। पिछले 5 वर्षों से रामदेव और पतंजलि को निशाना बनाकर दुष्प्रचार किया जा रहा है। वह कोर्ट के सामने सैकड़ों मरीजों की परेड कराने के लिए तैयार हैं। वह कोर्ट में अपनी सारी रिसर्च दिखाने के लिए तैयार हैं।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने योग गुरु रामदेव द्वारा सह-स्थापित और हर्बल उत्पादों का कारोबार करने वाली कंपनी पतंजलि आयुर्वेद को कई रोगों के संबंध में अपनी दवाओं के बारे में विज्ञापनों में झूठे और भ्रामक दावे करने के प्रति मंगलवार को आगाह किया था। दरअसल, मॉडर्न मेडिसिन सिस्टम यानी आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के खिलाफ विज्ञापन में भ्रामक दावे पब्लिश करने वाले विज्ञापनों के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। इसपर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कल यानी मंगलवार को पतंजलि आयुर्वेद को कड़ी चेतावनी दी थी।

पाकिस्तान बनेगा ब्रिक्स का हिस्सा! सदस्यता के लिए किया आवेदन, रूस से है मदद की उम्मीद

#pakistanappliesforbricsmembership

विकासशील देशों के संगठन ब्रिक्स की लगातार बढ़ती लोकप्रियता के बीच अब पाकिस्तान भी इसमें शामिल होना चाहता है। चीन के इशारे पर पाकिस्‍तान ब्रिक्‍स की सदस्‍यता हासिल करना चाहता है। पाकिस्‍तान चाहता है कि भारत का दोस्‍त रूस इसमें उसकी मदद करे। पाकिस्तान ने इसके लिए आवेदन भी दे दिया है। रूस की तास न्यूज एंजेंसी ने इसकी जानकारी दी है। रूस में पाकिस्तान के राजदूत मोहम्मद खालिद जमाली ने आवेदन भरने के साथ ही ब्रिक्स में सदस्यता दिलाने के लिए रूस से मदद मांगी है।

रूसी न्‍यूज एजेंसी तास की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्‍तानी राजदूत ने एक इंटरव्‍यू में यह खुलासा किया है। पाकिस्‍तान की सदस्‍यता का मुद्दा अगले साल रूस के सामने आएगा।रूस में ब्रिक्‍स की अगली बैठक होने वाली है और देश के उप विदेश मंत्री ने कहा है कि ब्रिक्‍स की योजना है कि कुछ देशों को पार्टनर स्‍टेट का दर्जा दिया जाए। उन्‍होंने कहा कि ब्रिक्‍स के दोस्‍तों का विस्‍तार वह लैटिन अमेरिका तक देखना चाहते हैं। इससे पहले चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा था कि हमें ब्रिक्‍स में और ज्‍यादा देशों को शामिल करना चाहिए ताकि वैश्विक व्‍यवस्‍था को ज्‍यादा न्‍यायोचित बनाया जा सके। चीन की मंशा है कि ब्रिक्‍स में पाकिस्‍तान को किसी तरह से शामिल किया जाए।

चीन की चाल के खिलाफ खड़ा भारत

चीन भले ही पाकिस्तान को ब्रिक्स सदस्य के रूप में देखना चाहता है, लेकिन भारत इसके खिलाफ पूरी ताकत से अड़ा हुआ है।भारत का कहना है कि ब्रिक्‍स का और ज्‍यादा अगर विस्‍तार होता है तो इससे वह कमजोर होगा और अपने मुख्‍य लक्ष्‍य को हासिल नहीं कर सकेगा। इसके अलावा आम सहमति भी बनाना आसान नहीं होगा। इससे पहले बेलारूस ने भी ब्रिक्‍स में घुसने की कोशिश की थी लेकिन भारत ने उसका कड़ा विरोध किया था।यही वजह है कि चीन और पाकिस्‍तान दोनों रूस के रास्‍ते भारत पर दबाव डालकर ब्रिक्‍स का विस्‍तार कराना चाहते हैं।

ब्रिक्स का हिस्सा क्यों बनना चाहता है पाकिस्तान?

पाकिस्तान की अर्थव्यस्था बेहद मुश्किल हालात से गुजर रही है लेकिन उसे अपने सहयोगी देशों से उतनी मदद नहीं मिल पा रही है। जिसकी उसे उम्मीद थी। इस्लामिक, अफ्रीकी और एशियाई देशों से वह निराश है जबकि अमेरिका भी उसे ज्यादा भाव नहीं दे रहा है। ऐसे में पाकिस्तान अब ब्रिक्स बैंक से आर्थिक मदद पाना चाहता है कि ताकि अपनी चरमराती अर्थव्यवस्था को फिर से खड़ा कर सके।

क्या है ब्रिक्स?

बता दें ब्रिक्स में फिलहाल भारत,रूस, ब्राजील, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल है। हालांकि, दक्षिण अप्रीका के जोहान्सबर्ग में आयोजित ब्रिक्स के 15वें शिखर सम्मेलन में संगठन के विस्तार का फैसला लिया गया। 6 देश - अर्जेंटीना, मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात- ब्रिक्स के नए सदस्य होंगे। नए सदस्य एक जनवरी 2024 से क्स का हिस्सा बन जाएंगे।

एमपी के बुरहानपुर में वन विभाग की लापरवाही की भेंट चढ़े बंदर ! भूख से और पानी में डूबकर 50 की मौत, कई और फंसे हुए हैं

 मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में एक बांध के ओवरफ्लो होने से 50 से अधिक बंदरों की 'मौत' हो गई है। बंदरों की मौत जल संसाधन और वन विभाग की लापरवाही का नतीजा बताई जा रही है। घटना भावासा गांव की है। भावासा सिंचाई परियोजना के तहत भारी बारिश के कारण बांध का पानी अचानक भर गया था। जिसके कारण अनुमानतः 50 से 60 के बीच बंदरों का एक समूह पेड़ों पर फंस गया। कथित तौर पर बंदर कई महीनों तक पेड़ों पर फंसे रहे और पेड़ की पत्तियां खाकर जीवित रहे। जैसे-जैसे भोजन कम होता गया, बंदर मरने लगे।

ग्रामीणों ने कहा कि अभी भी 5 से 6 बंदर इलाके में पेड़ों पर फंसे हुए हैं। बुरहानपुर के भावासा गांव में जल संसाधन विभाग द्वारा किसानों को लाभ पहुंचाने और जल स्तर बढ़ाने के लिए एक बांध का निर्माण किया गया था। हालांकि, अचानक हुई बारिश के कारण बांध भर गया और करीब 50 से 60 बंदर इमली के पेड़ों पर फंस गये। ग्रामीणों का दावा है कि उन्होंने बार-बार जल संसाधन विभाग और वन विभाग को घटना की जानकारी दी, लेकिन अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया। ग्रामीणों के अनुसार, बंदर इमली की पत्तियां और फल खाकर महीनों तक जीवित रहे। पेड़ों की पत्तियां भी खत्म हो गईं तो 50 से ज्यादा बंदरों की मौत हो गई। तैरने की कोशिश में कुछ बंदर पानी में डूब गये और कुछ भूख से मर गये। फिलहाल चार से पांच बंदर ही जीवित बचे हैं और बेहद कमजोर हो गए हैं।

बता दें कि बंदर वन्यजीव संरक्षण के अंतर्गत आते हैं और वन विभाग को इन्हें बचाने के लिए तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए थी। ग्रामीणों का कहना है कि अगर वन एवं जल संसाधन विभाग द्वारा समय रहते कार्रवाई नहीं की गई तो बचे हुए बंदरों की भी मौत हो सकती है। उप वन अधिकारी (DFO) अजय सागर ने कहा इस बारे में कहा है कि यह घटना पुरानी नहीं है और हाल ही में जलस्तर बढ़ने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। उन्होंने 50 बंदरों की मौत के दावे का भी खंडन किया और कहा कि ग्रामीण इस मुद्दे पर झूठ बोल रहे हैं। उन्होंने कहा कि मामला अधिकारियों के संज्ञान में आ गया है और बंदरों को बचाने के लिए एक टीम भेजी जा रही है। उन्होंने आश्वासन दिया कि रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान बंदरों को कोई नुकसान नहीं होगा।