जल, जंगल एवं जमीन को बचाने में आदिवासियों का महत्वपूर्ण योगदान: जयवीर सिंह
लखनऊ। जनजाति लोकनायक बिरसा मुण्डा जी के 148वें जयन्ती के अवसर पर आज संगीत नाटक अकादमी के प्रांगण में 07 दिवसीय जनजातीय भागीदारी उत्सव का शुभारम्भ करते हुए उप्र के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि जनजातीय गौरव दिवस को अन्तर्राष्ट्रीय स्वरूप देने का प्रयास किया जायेगा। जिससे भारत की आदिवासी संस्कृति का वैश्विक स्तर पर आदान-प्रदान हो और एक दूसरे की सांस्कृतिक परम्पराओं, विरासत तथा मान्यताओं को साझा किया जा सके। उन्होंने कहा कि भगवान बिरसा मुण्डा के जीवन से प्रेरणा लेते हुए जल, जंगल, जमीन को बचाने के लिए उनके द्वारा किये गये प्रयासों को भावी पीढ़ी तक पहुचाने की जरूरत है।
पर्यटन मंत्री ने कहा कि जनजातीय संस्कृति को लखनऊ तथा आस-पास के जनपदों तक पहुंचाने के लिए राज्य सरकार ने इस गौरव दिवस का आयोजन कराया है। भारत सरकार ने बिरसा मुण्डा को सम्मान दिया है। आदिवासी समाज हमेशा से जल, जंगल और जमीन को बचाते हुए देश की एकता, अखण्डता में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि उप्र में लगभग 15 जनजातियॉ निवास करती हैं। इसमें थारू जनजाति की संख्या सर्वाधिक है। उन्होंने कहा कि लोकनायक बिरसा मुण्डा ने अग्रेजों के खिलाफ संघर्ष किया। आदिवासियों में राष्ट्रीय चेतना का संचार किया। आज का दिन उन्हें स्मरण करने का दिन है।
पर्यटन मंत्री ने कहा कि थारू सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण एवं जनसमुदाय को परिचित कराने के लिए जनपद बलरामपुर के इमिलिया कोडर में जनजाति संग्रहालय को निर्माण कराया गया है। उन्होंने कहा कि एक सप्ताह तक चलने वाले इस कार्यक्रम में 17 राज्यों की जनजातियॉ भाग ले रही है। इसके दौरान उनके विभिन्न उत्पादों को प्रदर्शित किया गया है। आदिवासियों के खान-पान, भेष भूषा, परिधान, खेलकूद, गीत नृत्य संगीत का भी प्रदर्शन होगा।
इस अवसर पर अपने सम्बोधन में समाज कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरूण ने कहा कि उप्र में 14 से 15 लाख आदिवासी परिवार निवास करता है। एक सप्ताह तक देश के विभिन्न राज्यों से आये हुए जनजाति समुदाय रंग-बिरंगे वस्त्रों तथा अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने भगवान बिरसा मुण्डा के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भगवान बिरसा मुण्डा को सम्मान दिया है। इसके साथ ही आदिवासी समाज का गौरव बढ़ाया है। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण सुश्री द्रोपदी मुर्मू जी हैं। जो आज देश की सर्वोच्च कुर्सी पर बैठी हुई हैं।
श्री अरूण ने कहा कि इस आयोजन के दौरान आदिवासी समाज से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा होगी। इसके साथ ही उनके स्वास्थ्य, उद्यमिता एवं उद्योग धंधों तथा भविष्य में इन्हें विकास की मुख्यधारा से जोड़ने से जुड़े मुद्दों पर भी चर्चा होगी। उन्होंने इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए संस्कृति पर्यटन सहित अन्य विभागों की सराहना की। दोनों मंत्रियों ने कार्यक्रम का शुभारम्भ नगाड़ा बजाकर किया तथा भगवार बिरसा मुण्डा की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। इस अवसर पर उप्र, छत्तीसगढ़, उत्तराखण्ड, नागालैण्ड, उड़ीसा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम के जनजाति कलाकारों ने रंगारंग नृत्य प्रस्तुत किया।
प्रमुख सचिव समाज कल्याण डा हरिओम ने अपने सम्बोधन में कहा कि उप्र के 19 जनपदों में 15 जनजातियॉ निवास करती हैं। उनके चौमुखी विकास के लिए प्रयास किया जा रहा है। पिछले साल सोनभद्र में एक भव्य आयोजन किया गया था। जिसमें 10 हजार जनजाति के लोग शामिल हुए थे। उन्होंने कहा कि 17 राज्यों के लगभग 325 कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। इस आयोजन के दौरान भागीदारी भवन में आदिवासियों की संस्कृति, कला, व्यंजन, परिधान, हस्तशिल्प आदि का प्रदर्शन किया जायेगा।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव संस्कृति एवं पर्यटन, संस्कृति एवं धर्मार्थ कार्य मुकेश मेश्राम, लोक एवं जनजाति संस्थान के निदेशक अतुल द्विवेदी, उप निदेशक डा प्रियंका सहित कार्यक्रम से जुड़े विभिन्न विभागों के अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।
Nov 16 2023, 12:05