*बहराइच: वनों पर निर्भरता कम करने के लिए थारू महिलाओं को इको विकास समिति से जोड़कर बनाया जाएगा आत्मनिर्भर*
बहराइच। भारत नेपाल सीमा से सटे गांव फकीरपुरी में महिला स्वय सहायता समूह की सदस्यों के आजीविका हेतु एक बैठक का आयोजन डब्लू डब्लू एफ इंडिया के सौजन्य से किया गया इस कार्यक्रम के बारे में डब्लू डब्लू एफ के वरिष्ठ परियोजना अधिकारी दबीर हसन ने बताया की जंगलों के किनारे थारू जनजाति की महिलाओं में पारंपरिक हुनर होता है उसका सदुपयोग आय अर्जन में किया जा सकता है।जिससे उनकी गरीबी दूर होगी तथा परिवार का विकास होगा उनके आर्थिक विकास होने से वनों पर निर्भरता कम होगी ।
इस कार्य की निरंतरता और उत्पादों के बिक्री हेतु ईको विकास समिति से जोड़कर विस्तार दिया जाएगा। विगत माह आजीविका हेतु प्रस्ताव को ध्यान में रखते हुए और आवश्यकता आंकलन की रिपोर्ट में हस्तशिल्प का कार्य प्रमुखता से उभर कर आया था । रिसोर्स पर्सन के रूप में चंदन मिश्र वरिष्ठ परियोजना अधिकारी समुदाय , दुधवा नेशनल पार्क तथा डॉ. गरिमा, सीनियर डिज़ाइनर, मिनिस्ट्री ऑफ टेक्सटाइल, लखनऊ ने महिलाओं के कौशल विकास हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम की रूपरेखा निर्धारित किया ।
डॉ. गरिमा ने महिलाओं से बात करने के बाद बताया की इनको पास हुनर की कोई कमी नहीं है इनको डिजाइनिंग हेतु दो सप्ताह के प्रशिक्षण की जरूरत है जिसके पश्चात यह अपने उत्पादों को आकार दे सकती हैं । उन्होंने महिलाओं द्वारा बनाए गए हस्तशिल्प उत्पाद को देखा और सराहना किया।बैठक में ग्राम प्रधान फकीरपुरी माधुरी देवी, सविता, फूलनदेवी, श्यामप्रकाश व इको विकास सदस्य श्री कृष्ण वंश और फील्ड सहायक मंसूर अली उपस्थित रहे।
Oct 31 2023, 18:44