*शिक्षा वही जो हमारे व्यक्तित्व के साथ-साथ हमारा सर्वागीण विकास करे - रजनी तिवारी*
शिक्षा वही जो हमारे व्यक्तित्व के साथ-साथ हमारा सर्वागीण विकास करे -मा.रजनी तिवारी
सुलतानुपर,स्थानीय गनपत सहाय स्नातकोत्तर महाविद्यालय सुलतानपुर में इण्डियन इकोनामिक एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया है जिसमे देश-विदेश के ख्यातिलब्ध शिक्षाविदों एवं अध्येताओं ने उच्च शिक्षा में उत्कृष्टताः उभरती चिन्ताएं और आगे की राह विषय पर अपने विद्वतापूर्ण विचार से युवा पीढ़ी का मार्गदर्शन किया।संगोष्ठी के उद्घाटन एवं प्रथम सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में उच्च शिक्षा (राज्यमंत्री) श्रीमती रजनी तिवारी जी ने सहभाग किया उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि परिवर्तन प्रकृति का नियम है,राष्ट्रीय शिक्षा नीति जनाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए बनी है जिसकी मांग आजादी के बाद से चली आ रही थी। इस नीति को तैयार करने में देश भर के ख्यातिलब्ध शिक्षाविदों से विचार विमर्श से किया गया और निष्कर्ष रूवरूप ऐसी शिक्षा नीति बनाने पर सहमति बनी जो कि हमारी अपनी संस्कृति,सभ्यता,के साथ-साथ आधुनिक तकनीकी कौशल को समेकित किये हुए जिससे कि युवाओं का भविष्य बेहतर हो।
ज्ञान कौशल को समय के प्रवाह के साथ बढाना जरूरी है ऐसी शिक्षा जो हमारे व्यक्तित्व के साथ-साथ हमारा संर्वागीण विकास करें।वही शिक्षा असली शिक्षा है और यही राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का मंतव्य है।इसी कड़ी में उन्होंने देश की महत्वाकाक्षी योजना नारी शक्ति वन्दन अधिनियम को सरकार का क्रान्तिकारी कदम बताया।प्रो. रविन्दर सिंह बलियाला चेयरमैन अनुसूचित जाति आयोग हरियाणा ने उच्च शिक्षा की गुणवत्ता के समक्ष आने वाली समस्याओं पर प्रकाश डाला और अपने संबोधन में कहा कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार को प्रोत्साहित करने हेतु मार्गदर्शक पीढ़ी एवं युवाओं का आवाह्न किया।
प्रो.अनिल ठाकुर ने सेक्रेटरी एवं ट्रेजरार इण्डियन इकोनामिक एसोसिएशन मुजफ्फर नगर बिहार ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि सतत विकास की परिकल्पना पर प्रकाश डालते हुए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की आवश्यकता पर बल दिया। आज युवाओं को आत्मावलोकन अर्थात अपनी आत्म क्षमताओं के अनुरूप स्वयं को तलासने एवं तद्नुसार तरासने की जरूरत है और यह कार्य तभी सम्भव है,जबकि शिक्षक व शिष्य का आई कान्ट्रैक्ट हो आनलाइन शिक्षा क्लास रूम शिक्षा का विकल्प नही हो सकती।समारोह के अध्यक्षीय उद्बोधन में बोलते हुए प्रो.अशोक मित्तल आगरा विश्वविद्यलय आगरा ने कहा कि शिक्षक की अपनी अस्मिता थी किन्तु बिडम्बना है कि शिक्षक अपनी अस्मिता को खोने का स्वयं जिम्मेदार है।
छात्र कहता है कि शिक्षक क्लास में नही आते और शिक्षक कहता है कि विद्यार्थी क्लास मे नही आते।दोनों एक दूसरे पर ही दोषारोपण करते हैं।शिक्षा हमें केवल साक्षर बनाती है।जबकि उच्च,शिक्षा हमें विनम्रता,सहनशीलता व उदारता जैसे मानवीय गुणों को सिखाती है।यह हमारी अर्जित योग्यता है।शिक्षा का कार्य मानव को मानवता सिखाना है। नई शिक्षा नीति का दोष यह है कि वह आनन- फानन में लागू की गयी अर्थात् उसका क्रियान्वयन दोषपूर्ण रहा, जबकि नीति सराहनीय है। जरूरत है कि विद्वतजन खानापूर्ति तक ही अपने को सीमित न रखे अपितु इसके लागू होने में आने वाली कठिनाईयों को दूर करने हेतु प्रतिबद्ध हो।
कार्यक्रम को वीडियों कान्फ्रेन्स के माध्यम से प्रो. आर.एस.लिबबे निदेशक सेन्टर ऑफ पीस स्टडीज, श्रीलंका,प्रो.मनोज कुमार मिश्रा,कालेज ऑफ बिजनेस एण्ड इकोनामिक शलाले विश्वविद्यालय फिजी इथिओपिया,प्रो.मिरजाना रोडबिक मार्कबिक,प्रोफेऔर प्राचार्य शोध फेलो. विश्वविद्यालय बिजनेश अकादमिक सर्विया,प्रख्यात राष्ट्रवादी ख्यातिलब्ध अर्थशास्त्री प्रोअरूण दिवाकर नाथ बाजपेयी वर्तमान कुलपति अटल बिहारी बाजपेयी विश्वविद्यालय बिलासपुर छत्तीसगढ़ ने वीडियों कान्फ्रेन्स से संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि देश में जो आय है वह सीमित हाथों में है।आज की आवश्यकता है कि इस सीमित आय को अधिसंख्यी हाथों में पहुॅचाया जाय जो कि लोकतन्त्र की मूल भावना समता व समरसता की मांग है।यह सामुहिक योगदान से ही सम्भव है।जिससे वैश्विक स्तर पर वसुधैव कुटुम्बकम का महनीय भारतीय मंतव्य चरितार्थ होगा। मूल्यो से कभी न समझौता करने वाले प्रोफेसर बाजपेयी ने संदेश में कहा कि हमें अपने अंतिम परिणामों से बहुत ज्यादा खुश या निरास नही होना चाहिए।यह तो हमारी मेहनत का पत्रकभर है, उसके लिए हमने जो श्रम किया है वह ज्यादा महत्वपूर्ण है।
प्रो.जे.पी.पाण्डेय,कुलपति, ए.पी.जे.अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, लखनऊ ने कहा कि तकनीकी कैाशल के बिना वैश्वीकरण के इस दौर में उच्च शिक्षा को नया आयाम नही प्रदान किया जा सकता,उन्होंने युवा पीढ़ी का आवाह्न करते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति के अनुरूप आज तकनीकी शिक्षा के बिना छात्र उज्ज्वल भविष्य का निर्माण नही कर सकता।इसलिए जरूरी है कि ज्ञान परक शिक्षा के साथ ही साथ तकनीकी शिक्षा के साथ भी तालमेल स्थापित किया जाय। कार्यक्रम के प्रथम सत्र में अतिथि वक्ता के रूप में सुलतानपुर पुलिस प्रशिक्षण अकदामिक के पुलिस अधीक्षक मा.बृजेश मिश्र ने कहा प्राचीन भारतीय शिक्षा का उल्लेख करते हुए बताया कि हमारी प्राचीन शिक्षा संबाद शैली में थी,याज्ञबल्क्य मैंत्रेयी संवाद व आचार्य शिरोमणि शंकर तथा मंडन मिश्र के मध्य हुए शास्त्रार्थ का उल्लेख करते हुए कहा कि आचार्य ने शास्त्रार्थ में पराजित मंडन मिश्र को उनकी विद्वता के कारण श्रंगेरी मठ़ का पीठाधीश्वर नियुक्त किया था।यही विद्वान होने की सार्थकता है।कार्यक्रम को प्रमुख रूप से प्रोफेसर रविन्दर बलियाला,पूर्व चेयरमैन अनुसूचित जाति आयोग हरियाणा सरकार ने अपने उद्बोधन में कहा कि शिक्षा में तकनीकी के प्रयोग से नवाचार को बढावा मिलेगा जिससे हमारे युवा अपनी जरूरतों को पूरा करेंगे। गोष्ठी की द्वितीय सत्र की अध्ययक्षता में प्रो.एम.ए.बेग जाकिर हुसैन कालेज ने की।संगोष्ठी सत्र में प्रो.रवीन्द ब्राह्मी सेक्रेटरीे एवं टेजरार, आई.ई.ए.अर्थशास्त्र विभाग पं.रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर छत्तीसगढ़,प्रो.दिनेश कुमार अवकाश प्राप्त विभागाध्यक्ष अर्थशास्त्र छत्रपति साहू जी विश्वविद्यालय मेरठ,प्रो.विनोद कुमार श्रीवास्तव सेक्रेटरी यू.पी.यू.ई.ए.अर्थशास्त्र विभाग प्रो.मनोहर मनोज मुख्य संपादक इकोनामी इण्डिया प्रो.दुष्यन्त कुमार प्राचार्य उपाधि महाविद्यालय पीलीभीत,प्रो.सत्यव्रत रावत प्राचार्य हिन्दू कालेज मुरादाबाद,प्रो.अनिल कुमार हरियाणा बिजनेस स्कूल विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी हरियाणा आदि प्रमुख वक्ताओं ने भी संगोष्ठी के विषय पर अपनी विद्वतापूर्ण विचार प्रस्तुत किया।संगोष्ठी के अन्त में प्रथम एवं द्वितीय सत्र में प्रतिभाग किये एवं सम्पूर्ण प्रदेश से आमंत्रित प्राचार्यो को स्मृति चिन्ह एवं अंग वस्त्र महाविद्यालय परिवार द्वारा प्रदान किया गया जिसमें प्रमुख रूप से प्रोफे.अभय कुमार सिंह प्राचार्य का.सु.साकेत अयोध्या प्रो.डी.के त्रिपाठी,प्रो.सुचिता पाण्डेय,प्रो.मंजूषा मिश्रा,प्रो.आर.एन. सिंह,प्रो.सीताराम सिंह,प्रो.मंजू मगन आदि रहें। आगन्तुक अतिथियों का स्वागत महाविद्यालय प्राचार्य प्रोफेसर अंग्रेज सिंह 'राणा' ने किया,महाविद्यालय प्रबन्धक डॉ.ओम प्रकाश पाण्डेय बजरंगी ने कार्यक्रम में देश-विदेश से आये हुए विद्वानों का महाविद्यालय परिवार की तरफ से आभार प्रकट किया। संचालन आयोजन सचिव प्रोफे.मो.शमीम ने किया, संगोष्ठी का विषय प्रवर्तन डॉ. एस.पी.मिश्र संयोजक ने किया।
मुख्य रूप से प्रो.मो.शाहिद,प्रो.नीलम तिवारी,डॉ.विष्णु अग्रहरि,डॉ दिनेश चंद्र द्विवेदी,प्रो.शक्ति सिंह,प्रो.मनोज मिश्र,डॉ.संध्या श्रीवास्तव, डॉ.प्रियंका सिंह सहित महा विद्यालय के सभी प्राध्यापक व कर्मचारीगण उपस्थित रहे।
Oct 10 2023, 14:36