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चीन की ये कौन सी नई चाल? अरुणाचल सीमा पर विदेशी मेहमानों का लगने वाला है जमावड़ा, पाकिस्‍तानी को भी मिला निमंत्रण

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चीन इस हफ्ते में तीसरे ट्रांस-हिमालय फोरम फॉर इंटरनेशनल कोऑपरेशन की मेजबानी करने के लिए तैयार है।तीसरा ट्रांस-हिमालय फोरम फॉर इंटरनेशनल कोऑपरेशन 4-5 अक्टूबर को तिब्बत ऑटोनोमस रीजन के न्यिंग-ची में आयोजित किया जा रहा है। ये इलाका भारत के अरुणाचल प्रदेश के करीब है।पाकिस्तान को बी इस फोरम में शामिल होने का निमंत्रण मिला है। पाकिस्तान के अंतरिम विदेश मंत्री जलील अब्बास जिलानी इस फोरम में भाग लेने के लिए चीन जाएंगे।

जिलानी ट्रांस हिमालय फोरम को करेंगे संबोधित

सरकारी एसोसिएटेड प्रेस ऑफ पाकिस्तान (एपीपी) समाचार एजेंसी ने सोमवार को विदेश कार्यालय के हवाले से बताया कि विदेश मंत्री जलील अब्बास जिलानी चीन के विदेश मंत्री वांग यी के विशेष निमंत्रण पर यह यात्रा कर रहे हैं।जिलानी ट्रांस हिमालय फोरम के उद्घाटन समारोह को संबोधित करेंगे।जिलानी इस दौरान मंगोलिया के डिप्टी पीएम, चीन के विदेश मंत्री और अफगानिस्तान के अंतरिम विदेश मंत्री से मुलाकात करेंगे।

क्या है ट्रांस-हिमालय फोरम?

ट्रांस-हिमालय फोरम की शुरुआत 2018 में भौगोलिक कनेक्टिविटी, पर्यावरण संरक्षण, इकोलॉजिकल प्रोटेक्शन और सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ाने सहित विभिन्न विषयों पर क्षेत्रीय देशों के बीच व्यावहारिक सहयोग को गहरा करने के लिए की गई थी। फोरम की आखिरी व्यक्तिगत बैठक 2019 में आयोजित की गई थी।

अरुणाचल के खिलाड़ियों को नहीं दिया वीजा

चीन और भारत के बीच अरुणाचल प्रदेश को लेकर हाल ही में एक बार फिर विवाद देखने को मिला है। चीन के हैंग्जहऊ में होने वाले एशियन गेम्स के लिए अरुणाचल की तीन महिला खिलाड़ियों को वीजा नहीं दिया गया। भारत का आरोप है कि चीन ने उन्हें मान्यता न देकर यात्रा करने से रोका है। भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि चीन ने पूर्वनिर्धारित तरीके से टार्गेट करके एथलीटों के साथ भेदभाव किया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक तीनों एथलीट को एशियन गेम्स में हिस्सा लेने के लिए मंजूरी मिल गई थी। लेकिन उनका मान्यता कार्ड डाउनलोड नहीं हुआ। चीन की हरकतों के जवाब में केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने एशियाई खेलों के उद्घाटन समारोह में अपनी उपस्थिति रद्द कर दी थी।

बता दें कि अरुणाचल प्रदेश चीन और भारत के बीच विवाद का कारण रहा है। अरुणाचल भारत के हिस्से में आता है। लेकिन चीन इस पर अपना दावा करता रहता है। समय-समय पर चीन सीमा के पास कोई न कोई निर्माण करता रहता है।इस बीच भारतीय सीमा के करीब दो दुश्मन इकट्ठा हो रहे हैं। ऐसे में भारत की नजर इस आयोजन पर होगी।

भारत के खाते में एक और गोल्ड, अन्नू रानी ने भी झटका स्वर्ण, एशियाई खेलों में सोना जीतने वाली पहली भारतीय महिला

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पारुल चौधरी के बाद अन्नू रानी ने भी इतिहास रच दिया है। एशियाड की महिलाओं की भाला-फेंक स्पर्धा में अन्नू ने स्वर्ण जीता है। अपने चौथे प्रयास में सीजन का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए उन्होंने 62.92 मीटर भाला फेंका।

भारत के एशियन गेम्स में 15 गोल्ड मेडल हो गए हैं। महिलाओं की भाला फेंक इवेंट में अनु रानी ने देश के लिए गोल्ड मेडल जीता। उन्होंने 62.92 का बेस्ट थ्रो किया। यह उनका सीजन बेस्ट प्रदर्शन भी है। श्रीलंका को इस इवेंट में सिल्वर और चीन को ब्रॉन्ज मेडल मिला।

अन्नू रानी ने एशियाई खेलों में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है।वह भाला फेंक में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गईं हैं।

एशियम गेम्स 2023: किसान की बेटी पारुल चौधरी ने बढ़ाया भारत का मान, महिलाओं की 5000 मी. दौड़ में सोना जीतक रचा इतिहास

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भारत की स्टार एथलीट पारुल चौधरी ने इतिहास रच दिया है। उन्होंने एशियन गेम्स में महिलाओं की 5000 मीटर दौड़ में स्वर्ण जीता है। यह एशियाई खेलों में महिलाओं की 5000 मीटर दौड़ में भारत का पहला स्वर्ण है।रेस के आखिरी कुछ मीटर पर उन्होंने जापानी एथलीट को पीछे छोड़कर मेडल जीता। इससे पहले 3000 मीटर स्टेपलचेज में उन्होंने सिल्वर जीता था।

पारुल ने पांच हजार मीटर दौड़ के फाइनल में 15:14:75 मिनट का समय लिया। शुरुआती 4000 मीटर तक पारुल पांचवें छठे स्थान पर थीं। आखिरी हजार मीटर में वह शीर्ष तीन और आखिरी 200 मीटर में शीर्ष दो में पहुंच गईं। जापान की रिरिका हिरोनाका उनसे आगे चल रही थीं। आखिरी 30 मीटर में पारुल ने गजब की हिम्मत दिखाई और जापान की रिरिका से आगे निकल गईं। जापान की रिरिका ने 15:15.34 मिनट का समय लिया और रजत जीता। कजाकिस्तान की चेपकोएच 15:23.12 मिनट के समय के साथ तीसरे स्थान पर रहीं।

पारुल का स्वर्ण 2023 एशियाई खेलों में ट्रैक और फील्ड में भारत का तीसरा स्वर्ण है, जो शॉटपुटर तजिंदरपाल सिंह तूर और पुरुषों की 3000 मीटर स्टीपलचेज विजेता अविनाश साबले द्वारा जीते गए पदकों में शामिल है।यह भारत का 14वां स्वर्ण रहा।

मेरठ के दौराला क्षेत्र के इकलौता गांव की रहने वाली पारुल ने लॉस एंजिलिस में 3000 मीटर में राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया था। उन्होंने लॉस एंजिलिस में साउंड रनिंग सनसेट टूर वन दौरान राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया और महिला 3000 मीटर स्पर्धा में नौ मिनट से कम समय लेने वाली देश की पहली एथलीट बनीं। पारुल चौधरी ने 9 मिनट 27.63 सेकेंड के समय के साथ रजत पदक जीता। उन्होंने बहरीन की धाविका से 9 सेकेंड से भी अधिक समय लिया।

‘राम सेतु पर बने दीवार, राष्ट्रीय धरोहर घोषित हो’, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका

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सुप्रीम कोर्ट ने आज राम सेतु के ऊपर दीवार बनाने और उसे राष्ट्रीय धरोहर धोषित करने की मांग वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया. जस्टिस संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने सुनवाई के दौरान पूछा कि हम राम सेतु पर दीवार बनाने का निर्देश कैसे दे सकते हैं?

सुप्रीम कोर्ट में यह याचि‍का हिंदू पर्सनल लॉ बोर्ड नाम की एक संस्था के अध्यक्ष अशोक पांडे ने दाख‍िल की थी। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल इस जनहित याचिका में मांग की गई थी कि धनुषकोडी के पास समुद्र में रामसेतु के पास कुछ सौ मीटर तक और अगर संभव हो तो एक किलोमीटर तक दीवार बनाने का निर्देश दिया जाए। याच‍िका में कहा गया था क‍ि हिंदू पर्सनल लॉ बोर्ड सक्रिय रूप से हिंदुओं के कानूनी और धार्मिक अधिकारों के संरक्षण में लगा हुआ है। याच‍िका में इस बात का भी ज‍िक्र क‍िया गया था क‍ि समुद्र में बनी संरचना, जिसे आमतौर पर “श्री राम सेतु” कहा जाता है इसको दर्शन स्थल के रूप में परिवर्तित किया जा सकता है। याचिका में आगे कहा गया कि धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, पानी के ऊपर की संरचना महत्व रखती है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस सेतु के दर्शन से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

सुप्रीम कोर्ट ने आज मंगलवार को राम सेतु केस से जुड़ी याचिका को खारिज कर दिया।याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि आखिर दोनों तरफ दीवार कैसे बनाई जा सकती है? सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि यह एक प्रशासनिक फैसला है, इसलिए कोर्ट दीवार बनाने का निर्देश कैसे दे सकता है?

'अपने 40 राजनयिकों को वापस बुला लो, वरना..', खालिस्तानियों को पनाह दे रहे कनाडा को भारत की दो टूक


कनाडा की धरती पर खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में नई दिल्ली की संलिप्तता के ओटावा के आरोपों पर दोनों देशों के बीच बढ़ते राजनयिक विवाद के बीच भारत ने कनाडा से 10 अक्टूबर तक लगभग 40 राजनयिकों को वापस बुला लेने को कहा है। मामले की प्रत्यक्ष जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने मीडिया को बताया है कि भारत ने 10 अक्टूबर के बाद देश में रहने पर किसी भी कनाडाई राजनयिक की राजनयिक छूट खत्म करने की स्पष्ट चेतावनी दी है। बता दें कि, भारत में कनाडा के कुल 62 राजनयिक हैं, जबकि नई दिल्ली ने उनकी छंटनी करने के लिए कहा है। रिपोर्ट के अनुसार, कनाडा के उच्चायोग में कर्मचारियों की संख्या 41 हो गई है।

विदेशी मामलों और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कनाडाई सीनेट समिति के अध्यक्ष पीटर बोहेम के हवाले से रिपोर्ट्स में कहा गया है कि, "अधिक कनाडाई राजनयिकों को अवांछित व्यक्ति घोषित करने से स्थिति में मदद नहीं मिलेगी और इस असहमति से जुड़ी भावनाओं को कम करना और अधिक कठिन हो जाएगा।" बोहेम ने कहा कि प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो को पीछे हटने की उम्मीद नहीं है, उन्होंने कहा कि भारत कनाडा को "एक आसान निशान" के रूप में देखता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि नई दिल्ली को ओटावा की जवाबी कार्रवाई करने की सीमित क्षमता के बारे में पता था, क्योंकि ओटावा में अल्पमत सरकार है। बता दें कि, पीएम ट्रूडो, जो लिबरल पार्टी के नेता हैं, भारतीय मूल और कनाडाई सिख नेता जगमीत सिंह, जो न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) के प्रमुख हैं, के साथ सत्ता साझा करते हैं।

बोहेम ने कहा कि, "भारत जानता है कि जवाबी कार्रवाई करने की हमारी क्षमता सीमित है, हमारी अल्पमत सरकार है और इसके परिणामस्वरूप होने वाली राजनीति के बारे में पता है। और, निश्चित रूप से, भारत में भी चुनाव होने वाले हैं।" बता दें कि, इससे पहले भारत ने कहा है कि वह देश और कनाडा में समान संख्या में राजनयिक तैनात करना चाहता है। दिल्ली में अपने उच्चायोग में कनाडा के पास ओटावा में भारत की तुलना में कई दर्जन राजनयिक तैनात हैं। 18 सितंबर को ट्रूडो के यह कहने के बाद भारत और कनाडा के बीच एक अभूतपूर्व राजनयिक संकट पैदा हो गया कि कनाडाई सुरक्षा एजेंसियां भारत सरकार के एजेंटों और निज्जर की हत्या के बीच "संभावित संबंध के विश्वसनीय आरोपों" को सक्रिय रूप से आगे बढ़ा रही हैं।

2020 में निज्जर को आतंकवादी घोषित करने वाले भारत ने कनाडा के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है, उन्हें "बेतुका" और "प्रेरित" बताया है। प्रतिबंधित खालिस्तान टाइगर फोर्स (KTF) के प्रमुख निज्जर की जून में कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में एक गुरुद्वारे के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले पर ओटावा द्वारा एक भारतीय अधिकारी को निष्कासित करने के जवाब में भारत ने एक कनाडाई राजनयिक को निष्कासित कर दिया। नई दिल्ली ने कनाडाई नागरिकों के लिए वीज़ा सेवाएं भी निलंबित कर दीं। इस बीच कुछ ऐसे वीडियो भी सामने आए थे, जिसमे मणिपुर के कुकी उग्रवादी कनाडा जाकर खालिस्तानी आतंकियों से मिल रहे हैं और भारत में मैतई के खिलाफ हिंसा करने के लिए उन खालिस्तानियों से मदद ले रहे हैं।

26 सितंबर को, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कनाडा पर परोक्ष रूप से कटाक्ष करते हुए संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से आतंकवाद, उग्रवाद और हिंसा पर प्रतिक्रिया निर्धारित करने के लिए "राजनीतिक सुविधा" की अनुमति नहीं देने को कहा था। उन्होंने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की था।

भौतिकी के नोबेल पुरस्कार का एलान, पियरे एगोस्टिनी, फेरेंक क्रूज और ऐनी एल'हुइलियर को मिला सम्मान

#nobelprizeinphysicsannounced

चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार के साथ ही सोमवार से नोबेल पुरस्कारों की घोषणा की शुरूआत हुई थी। इसी कड़ी में भौतिकी के नोबेल पुरस्कार का एलान मंगलवार को कर दिया गया। इस बार यह सम्मान संयुक्त रूप से पियरे एगोस्टिनी, फेरेंक क्रूज और ऐनी एल'हुइलियर को दिया गया।रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज के मुताबिक, ये पुरस्कार उन प्रयोगात्मक विधि को खोजने के लिए दिया गया है जो पदार्थ में इलेक्ट्रॉन गतिशीलता के अध्ययन के लिए प्रकाश के एटोसेकंड पल्स उत्पन्न करता है।

2023 भौतिकी पुरस्कार विजेता पियरे एगोस्टिनी लगातार लाइट पल्स की एक सीरीज का उत्पादन और जांच करने में सफल रहे, जिसमें प्रत्येक पल्स केवल 250 एटोसेकंड तक चला। उसी समय, उनके 2023 के सह-पुरस्कार विजेता फेरेन्क क्रॉस्ज एक अन्य प्रकार के प्रयोग के साथ काम कर रहे थे, जिसने 650 एटोसेकंड तक चलने वाले सिंगल लाइट पल्स को अलग करना संभव बना दिया। इस वर्ष की भौतिकी में नोबेल पुरस्कार विजेता ऐनी एल'हुइलियर ने पाया कि जब उन्होंने एक नोबेल गैस के माध्यम से अवरक्त लेजर प्रकाश प्रसारित किया तो प्रकाश के कई अलग-अलग स्वर उत्पन्न हुए।

पिछले वर्ष भौतिकी में इन्हें मिला था नोबेल पुरस्कार

पिछले साल भौतिकी का नोबेल पुरस्कार संयुक्त रूप से अलेन अस्पेक्ट, जॉन एफ क्लाउसर और एंटन जिलिंगर को दिया गया था। अलेन अस्पेक्ट फ्रांस के भौतिक विज्ञानी हैं, जबकि जॉन एफ क्लाउसर अमेरिका और एंटन जिलिंगर ऑस्ट्रिया के वैज्ञानिक हैं। इन वैज्ञानिको के प्रयोगों ने क्वांटम सूचना के आधार पर नई तकनीक का रास्ता साफ किया था।

कैटालिन कारिको और ड्रू वीसमैन को चिकित्सा का नोबेल

इससे पहले बीते दिन फिजियोलॉजी या मेडिसिन क्षेत्र के लिए इस सम्मान के विजेताओं के नाम का एलान किया गया था। इस साल कैटालिन कारिको और ड्रू वीसमैन को चिकित्सा का नोबेल दिया गया। इन्हें न्यूक्लियोसाइड बेस संशोधनों से संबंधित उनकी खोजों के लिए यह सम्मान दिया गया। इस खोज की वजह से कोरोनावायरस यानी सीओवीआईडी-19 के खिलाफ प्रभावी एमआरएनए टीकों के विकास में मदद मिली।

कल होगी रसायन विज्ञान के क्षेत्र में पुरस्कार की घोषणा

अब बुधवार को रसायन विज्ञान और गुरुवार को साहित्य के क्षेत्र में दिए जाने वाले नोबेल पुरस्कार विजेता के नाम की घोषणा होगी। इसके अलावा नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा शुक्रवार को और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में इस पुरस्कार के विजेता की घोषणा नौ अक्टूबर को की जाएगी।

किन क्षेत्रों में और क्यों दिए जाते हैं ये अवॉर्ड

मानवता की भलाई में सबसे अच्छा काम करने वालों ये पुरस्कार दिए जाते हैं। ये पुरस्कार कई क्षेत्रों जैसे कि फिजिक्स, केमेस्ट्री, मेडिसिन, साहित्य और शांति में उत्कृष्ट योगदान देने के लिए दिए जाते हैं। पुरस्कार स्वीडन के कारोबारी और डाइनामाइट का अविष्कारक अल्फ्रेड नोबेल के याद में दिए जाते हैं। अल्फ्रेड नोबेल ने अपनी कमाई का ज्यादातर हिस्सा इस अवॉर्ड के फंड के लिए छोड़ गए थे। पहली बार 1901 में नोबेल पुरस्कार दिया गया था। 1968 में स्वीडन की सेंट्रल बैंक ने इसमें एक और कैटेगरी इकॉनमिक साइंसेस जोड़ी थी।

नोबेल पुरस्कार विजेताओं को क्या मिलता है?

नोबेल पुरस्कार जीतने वाले विजेताओं को एक डिप्लोमा, एक मेडल और 10 मिलियन स्वीडिश क्रोना ( आज के करीब 75764727 रुपये) की नकद राशि प्रदान की जाती है। एक श्रेणी में विजेता अगर एक से ज्यादा हों तो पुरस्कार की राशि उनमें बंट जाती है। ये पुरस्कार अल्फ्रेड नोबेल की पुण्यतिथि यानी 10 दिसंबर को विजेताओं को सौंपे जाते हैं।

दूसरे दिन भी गोल्डन टेंपल पहुंचे राहुल गांधी, महिलाओं के साथ सब्जी काटी, जूठे बर्तन धोए

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी मंगलवार को दूसरे दिन स्वर्ण मंदिर में मत्था टेका।सुबह श्री हरमंदिर साहिब पहुंचे राहुल गांधी ने लंगर में सेवा की। यहां राहुल गांधी ने सबसे पहले लंगर घर में महिलाओं के साथ सब्जी काटा और जूठे बर्तन धोए। इसके बाद लंगर बांटा। इससे पहले उन्होंने देर रात 12 बजे तक सेवा की थी।राहुल गांधी सोमवार को निजी दौरे पर अमृतसर आए थे और श्री हरमंदिर साहिब में नतमस्तक हुए थे।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी सोमवार को पंजाब के अमृतसर पहुंचे। यहां वह सबसे गोल्डन टेंपल में माथा टेका, फिर गुरुद्वारे के लंगर में सेवा की। इस दौरान उन्होंने लंगर घर में सेवा करते हुए बाकी लोगों के झूठे बर्तन धोए। सोमवार राहुल गांधी ने गुरुद्वारे के लंगर में देर रात 12 बजे तक सेवा की। इतना ही नहीं मंगलवार की सुबह फिर से राहुल गांधी गोल्डन टेंपल पहुंच गए।

राहुल गांधी मंगलवार को गोल्डन टेंपल में माथा टेकने के तुरंत बाद ही लंगर घर में सेवा के काम जुट गए। यहां उन्होंने सबसे पहले महिलाओं के साथ लहसुन छिलवाए और प्रसाद के लिए सब्जी काटी। इसके बाद राहुल गांधी परिक्रमा में छबील पर बैठकर लोगों को पानी पिलाने की सेवा की। राहुल गांधी ने पिछले 24 घंटों में गोल्डन टेंपल के लंगर घर में 3 बार अपनी सेवा देने पहुंचे।

मलेरिया की भारतीय वैक्सीन को WHO ने दी हरी झंडी, हर साल बनेगी 10 करोड़ डोज़, अब दुनियाभर में भेजेगा 'भारत'


ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) द्वारा विकसित आर21/मैट्रिक्स-एम मलेरिया वैक्सीन को सुरक्षा, गुणवत्ता और प्रभावशीलता मानकों को पूरा करने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने उपयोग लिए अनुशंसित कर दिया है। WHO की स्वतंत्र सलाहकार संस्था, विशेषज्ञों के रणनीतिक सलाहकार समूह (SAGE) और मलेरिया नीति सलाहकार समूह (MPAG) द्वारा एक कठोर, विस्तृत वैज्ञानिक समीक्षा के बाद, R21/मैट्रिक्स-एम मलेरिया वैक्सीन को इस्तेमाल के लिए अनुशंसित किया गया है।

सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने एक बयान में कहा कि, "सिफारिश प्री-क्लिनिकल और क्लिनिकल परीक्षण डेटा पर आधारित थी, जिसने चार देशों में मौसमी और बारहमासी मलेरिया संचरण वाले स्थानों पर अच्छी सुरक्षा और उच्च प्रभावकारिता दिखाई, जिससे यह बच्चों में मलेरिया को रोकने के लिए दुनिया का दूसरा डब्ल्यूएचओ अनुशंसित टीका बन गया।" वैक्सीन को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के जेनर इंस्टीट्यूट और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) द्वारा यूरोपीय और विकासशील देशों के क्लिनिकल ट्रायल पार्टनरशिप (EDCTP), वेलकम ट्रस्ट और यूरोपीय निवेश बैंक (EIB) के सहयोग से विकसित किया गया था। आज तक, आर21/मैट्रिक्स-एम मलेरिया वैक्सीन को घाना, नाइजीरिया और बुर्किना फासो में उपयोग के लिए लाइसेंस दिया गया है। SII ने कहा कि, "कीटनाशक-उपचारित मच्छरदानी के उपयोग जैसे सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों के संयोजन में, यह टीका लाखों बच्चों और उनके परिवारों के जीवन को बचाने और बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।"

टीका हाल ही में बड़े पैमाने पर तीसरे चरण के क्लिनिकल परीक्षण में प्राथमिक एक साल के समापन बिंदु पर पहुंच गया है - मुख्य रूप से सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) द्वारा वित्त पोषित, नियामक प्रायोजक के रूप में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ - जिसमें बुर्किना फासो, केन्या, माली और तंजानिया भर में 4,800 बच्चे शामिल हैं। तीसरे चरण के परीक्षण के परिणाम प्रकाशन से पहले सहकर्मी समीक्षा के अधीन हैं। डॉ. लिसा स्टॉकडेल, वरिष्ठ इम्यूनोलॉजिस्ट, द जेनर इंस्टीट्यूट, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने कहा है कि, "आज की खबर हमारी छोटी, लेकिन समर्पित टीम के काम का प्रमाण है और इसका मतलब है कि हमारे पास इस बीमारी से लड़ने के लिए एक और उपकरण है, जो हर वर्ष पांच लाख से अधिक लोगों की जान लेता है।"

आगे का काम न केवल यह स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण है कि टीका काम करता है, बल्कि यह कैसे काम करता है इसके बारे में और अधिक समझने के लिए, और उस ज्ञान को भविष्य के टीकों पर लागू करने के लिए भी महत्वपूर्ण है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) के CEO अदार पूनावाला ने कहा है कि, “बहुत लंबे समय से, मलेरिया ने दुनिया भर में अरबों लोगों के जीवन को खतरे में डाल दिया है, जो हमारे बीच सबसे कमजोर लोगों को प्रभावित कर रहा है। यही कारण है कि WHO की सिफारिश और आर21/मैट्रिक्स-एम वैक्सीन की मंजूरी इस जानलेवा बीमारी से निपटने की हमारी यात्रा में एक बड़ा मील का पत्थर है, जो दिखाता है कि जब सार्वजनिक और निजी क्षेत्र, वैज्ञानिक और शोधकर्ता मिलकर एक साझा लक्ष्य की ओर एक साथ काम करते हैं तो वास्तव में क्या हासिल किया जा सकता है।”

उन्होंने आगे कहा कि, 'जैसा कि हम सभी के लिए एक स्वस्थ, अधिक न्यायसंगत दुनिया बनाने के लिए मिलकर काम करना जारी रखते हैं, मुझे सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा आर21 मलेरिया वैक्सीन विकसित करने में निभाई गई भूमिका पर अविश्वसनीय रूप से गर्व है।' अदार पूनावाला ने कहा कि, हम यह सुनिश्चित करने के लिए वैक्सीन उत्पादन बढ़ाने के लिए तत्पर हैं कि यह उन लोगों के लिए सुलभ हो, जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है। CII ने आगे कहा कि WHO द्वारा अनुमोदन और सिफारिशों के साथ, अतिरिक्त नियामक अनुमोदन शीघ्र ही मिलने की उम्मीद है और आर21/मैट्रिक्स-एम वैक्सीन खुराक अगले साल की शुरुआत में व्यापक रोल-आउट शुरू करने के लिए तैयार हो सकती है।

बता दें कि, R21/मैट्रिक्स-एम एक दूसरा टीका है जिसे ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा विकसित किया गया है और इसकी आपूर्ति सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) द्वारा की जाएगी और यह WHO द्वारा योग्य है। इस साल अप्रैल में, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित मलेरिया के लिए आर21/मैट्रिक्स-एम वैक्सीन को घाना सरकार द्वारा उपयोग के लिए नियामक मंजूरी मिल गई। SII ने पहले ही सालाना 200 मिलियन खुराक के लिए विनिर्माण क्षमताएं स्थापित कर ली हैं। आर21/मैट्रिक्स-एम एक कम खुराक वाला टीका है जो 5 से 36 महीने के बच्चों को दिया जाता है। यह लगातार 75% प्रभावकारिता के WHO मानकों को पूरा कर रहा है।

भारतीय कंपनियाँ मलेरिया के टीके की आपूर्ति करेंगी

5 जुलाई को वैक्सीन गठबंधन गावी ने ऐलान किया है कि अगले दो वर्षों में बारह अफ्रीकी देशों को पहली बार मलेरिया वैक्सीन की 18 मिलियन खुराकें प्राप्त होंगी। 2026 तक मलेरिया वैक्सीन की वार्षिक मांग 40-60 मिलियन खुराक तक पहुंच जाएगी और 2030 तक यह 80-100 मिलियन खुराक तक पहुंच जाएगी। भारत बायोटेक भविष्य में आरटीएस, एस/एएस01 वैक्सीन की आपूर्ति करेगा। 2021 में, गैर-लाभकारी समूह PATH के साथ 3 दशकों से अधिक समय तक काम करने वाली ब्रिटिश फार्मा दिग्गज GSK ने ऐलान किया कि मलेरिया वैक्सीन RTS, S/AS01 के प्रोटीन भाग का निर्माण भारत के भारत बायोटेक को हस्तांतरित किया जाएगा।

GSK के थॉमस ब्रेउर ने तब कहा था कि, "भारत बायोटेक जैसे स्थापित नेता के साथ काम करके उपलब्ध एकमात्र वैक्सीन के दीर्घकालिक भविष्य को सुरक्षित करने में मदद करना इस विनाशकारी बीमारी के खिलाफ जारी लड़ाई के लिए महत्वपूर्ण है।" हैदराबाद का भारत बायोटेक वर्तमान में आरटीएस, एस/एएस01 वैक्सीन का एकमात्र आपूर्तिकर्ता है और 2029 तक ऐसा ही बने रहने की उम्मीद है।

दिल्ली-एनसीआर से उत्तराखंड तक कांपी धरती, काफी देर तक महसूस किए गए भूकंप के तेज झटके

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दिल्ली और उसके आसपास राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में तेज भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं।उत्तराखंड में भूकंप के झटके महसूस किए गए। ये झटके काफी देर तक लगते रहे। पूरे उत्तर भारत में भूकंप के झटके लगे हैं। भूकंप का केंद्र नेपाल था। 2 बार आए भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.6 और 6.2 रही।

मनसुख मांडविया बैठक छोड़ बाहर निकले

आज दोपहर में 2.50 बजे का वक्त था। ऑफिस में लोग काम कर रहे थे। सड़कों पर चहल-पहल थी। अचानक एनसीआर में कुर्सी पर बैठे लोगों के पैर कांपने लगे। एक सेंकेड में समझ में आ गया कि यह तो भूकंप है। ऑफिस से लोग भागने लगे। आलम यह था कि दिल्ली में स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया भी बैठक छोड़कर बाहर आ गए। निर्माण भवन में हड़कंप मच गया। दोपहर 2 बजकर 53 मिनट पर भूकंप आया था। खौफनाक यह था कि एक बड़े झटके के बाद कम तीव्रता के कई झटके महसूस किए गए।

झटके 45 सेकंड तक महसूस किए गए

न्यूज एजेंसी एएनआई की ओर से दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तराखंड के कई वीडियो सोशल मीडिया पर जारी किए हैं। इन वीडियो में घरों और दफ्तरों में लगे पंखे हिलते हुए देखे जा सकते हैं। उधर, एनसीआर में भूकंप के झटके महसूस होते ही लोग अपने घरों और दफ्तरों से भाग खड़े हुए। चंडीगढ़ और मोहाली में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप विभाग का कहना है कि दूसरी बार में डेप्थ कम रही, वरना इससे बड़ा नुकसान हो सकता था। झटके 45 सेकंड तक महसूस किए गए।

36 घंटे में दूसरी बार भूकंप के झटके

बता दें कि पिछले 36 घंटे में दूसरी बार भूकंप के झटके महसूस हुए हैं।इससे पहले सोमवार सुबह 6.15 बजे को देश के उत्तर पूर्वी राज्य मेघायल में भी भूकंप के तेज झटके महसूस हुए थे। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 5.2 नापी गई थी। भूकंप का केंद्र नार्थ गारो पहाड़ में करीब 10 किमी अंदर था। हालांकि यहां भूकंप के कारण किसी भी प्रकार के नुकसान की कोई खबर सामने नहीं आई थी।

क्रिकेटर ऋषभ पंत दस महीने बाद अब स्वस्थ, ठीक होने के बाद पहली बार धार्मिक यात्रा पर निकले क्रिकेटर, बदरीनाथ धाम के किए दर्शन

सड़क हादसे में घायल होने के दस महीने बाद क्रिकेटर ऋषभ पंत अब स्वस्थ हैं। वे मंगलवार को खानपुर विधायक उमेश कुमार के साथ धार्मिक यात्रा पर निकले। सुबह वे दोनों देहरादून हेलीपैड से केदारनाथ और बदरीनाथ धाम के दर्शन के लिए रवाना हुए।

इसके बाद पहले वे बदरीनाथ धाम के दर्शन के लिए गए। वहां तीर्थ पुरोहितों ने उनका स्वागत किया और पूजा अर्चना कराई। इसके बाद अब वे केदारनाथ धाम दर्शन के लिए जाएंगे। वहीं अब ऋषभ पंत भारतीय क्रिकेट टीम में जल्द वापसी करने वाले हैं।

घर आते समय हुआ था हादसा

बता दें कि क्रिकेटर ऋषभ पंत 30 दिसंबर 2022 को उस समय भीषण कार दुर्घटना का शिकार हुए थे, जब वह अपनी मर्सिडीज बेंज से दिल्ली से रुड़की के ढंढेरा स्थित अपने घर लौट रहे थे। सर्दी के मौसम में सुबह पांच बजे उनकी कार नारसन कस्बे में डिवाइर से टकराकर दूसरी तरफ पलटी खाती चली गई और उसमें भीषण आग लग गई। इस दुर्घटना में ऋषभ पंत गंभीर रूप से चोटिल हो गए थे।