गांधी जयंती विशेष: जानिए किसने दिया था बापू नाम, कैसे बने महात्मा और किसने दी 'राष्ट्रपिता' की उपाधि
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आज पूरा भारत राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती मना रहा है। इस मौके पर प्रत्येक देशवासी उन्हें नमन कर रहा है। इस मौके पर राजधानी दिल्ली स्थित राजघाट पर विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है।मोहनदास करमचंद गांधी यानी महात्मा गांधी यानी बापू यानी राष्ट्रपिता। सालों से ये सब नाम उनके पर्यायवाची रहे हैं। उनका पूरा नाम तो शायद ही कोई लेता है।
ऐसे कहलाए बापू?
2 अक्टूबर 1869 के दिन ही मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म पर गुजरात के पोरबंदर में हुआ था।आजादी के लड़ाई में अपना सबकुछ त्याग देने वाले गांधी का जीवन बहुत ही सादा और सादगी से भरा हुआ था। गांधी जी का जीवन एक साधक से कम नहीं था। सादा जीवन और उच्च विचार के नियम का पालन करे वाले गांधी न सत्य और अहिंसा का मार्ग चुना और लोगों को प्रेरणा भी दी। एक धोती और लाठी के साथ कई पदयात्राओं, कारागारों तक का गांधी ने सफर तय किया। गांधी जी को बापू नाम बिहार के चंपारण जिले के रहने वाले गुमनाम किसान से मिला था। दरअसल बिहार के चंपारण जिले में गांधी जी ने निलहा अंग्रेजों द्वारा भारतीय किसानों पर किए जा रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाई थी। सही मायनों में अंग्रेजों के अत्याचारों के खिलाफ बापू के आंदोलन की शुरुआत चंपारण से ही हुई थी। दरअसल, राजकुमार शुक्ला ने गांधी जी को एक चिट्ठी लिखी थी। इस चिट्ठी ने ही उन्हें को चंपारण आने पर विवश कर दिया था। इन्हीं के बुलाने पर बापू यहां आए थे और वो राजकुमार शुक्ला ही थे जिन्होंने सबसे पहले महात्मा गांधी को बापू कहकर पुकारा था।
कैसे मिली महात्मा की उपाधि?
चंपारण से शुरू हुआ बापू का आंदोलन जन-जन तक पहुंचने लगा। लोग अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की लड़ा में बापू के आहिंसा के रास्ते जुड़ते चले गए। इसी दौरान उन्हें एक और नया नाम मिला महात्मा। गांधी जी को पहली बार कवि रविन्द्र नाथ टैगोर ने महात्मा शब्द से संबोधित किया था। हालांकि कुछ इतिहासकारों का मानना है कि गांधी जी को सबसे पहली बार 1915 में राजवैद्य जीवन राम कालिदास ने उन्हें महात्मा कहकर संबोधित किया था। लेकिन इतिहास की ज्यादातर किताबों में यही पढ़ने को मिलता है कि सबसे पहले रविंद्रनाथ टैगोर ने ही उन्हें महात्मा शब्द से संबोधित किया था। मार्च 1915 गांधी जी और टैगोर की पहली मुलाकात शांति निकेतन में हुई थी। इसके बाद से इन दोनों महापुरूषों ने देश की आजादी में अहम योगदान दिया।
सबसे पहले महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कियने कहा?
यह तो सभी जानते हैं कि महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया जाता है, लेकिन बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि उन्हें यह उपाधि किसने दी थी? महात्मा गांधी को पहली बार सुभाष चंद्र बोस ने 'राष्ट्रपिता' कहकर संबोधित किया था। 4 जून 1944 को सिंगापुर रेडिया से एक संदेश प्रसारित करते हुए 'राष्ट्रपिता' महात्मा गांधी कहा था।इसके बाद 6 जुलाई 1944 को सुभाष चन्द्र बोस ने एक बार फिर रेडियो सिंगापुर से एक संदेश प्रसारित कर गांधी जी को राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया। बाद में भारत सरकार ने भी इस नाम को मान्यता दे दी। गांधी जी के देहांत के बाद भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भी रेडियो के माध्यम से देश को संबोधित किया था और कहा था कि 'राष्ट्रपिता अब नहीं रहे'।
Oct 02 2023, 13:32