लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए का कुनबा बढ़ा, कुमारस्वामी की पार्टी जेडीएस गठबंधन में शामिल
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देश में अगले साल लोकसभा चुनाव होने वाले हैं।आने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दल अपनी-अपनी तैयारियों में जुट गए। एक तरफ विपक्षी दलों ने केन्द्र की मोदी सरकार के खिलाफ गठबंधन INDIA खड़ा किया है, तो दूसरी तरफ सत्तारूढ़ बीजेपी भी अपना कुनबा बढ़ाने में जुटी है। इसी क्रम में एनडीए का कुनबा उस समय पहले से और बड़ा हो गया जब जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए में शामिल हो गई।
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी की पार्टी जेडीएस यानी जनता दल (एस) ने भाजपा के साथ गठबंधन कर लिया है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में एनडीए में जेडीएस शामिल हो गई है। इतना ही नहीं, एचडी कुमारस्वामी ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात भी की। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी ने दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इस दौरान जेडीएस ने औपचारिक तौर पर एनडीए ज्वाइन किया।
जेपी नड्डा ने किया ट्वीट
अमित शाह से कुमारस्वामी की मुलाकात के दौरान बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गोवा के सीएम प्रमोद सावंत भी मौजूद थे। नड्डा ने कुमारस्वामी से मीटिंग के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा- "कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और जद(एस) नेता एचडी कुमारस्वामी से मुलाकात की। कुमारस्वामी की पार्टी ने हमारे वरिष्ठ नेता और गृहमंत्री अमित शाह की उपस्थिति में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा बनने का फैसला किया है। हम एनडीए में उनका तहे दिल से स्वागत करते हैं। यह एनडीए और प्रधानमंत्री मोदी के "न्यू इंडिया, स्ट्रॉन्ग इंडिया" के दृष्टिकोण को और मजबूत करेगा।
कर्नाटक में बीजेपी और जेडीएस की स्थिति
बता दें कि कर्नाटक में लोकसभा की कुल 28 सीट हैं। भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनावों में कर्नाटक में 25 सीट जीती थीं, जबकि मंड्या सीट पर उसके समर्थन से निर्दलीय उम्मीदवार सुमलता अंबरीश ने जीत हासिल की थी। कांग्रेस और जद(एस) ने एक-एक सीट जीती थी। इस साल मई में हुए 224 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 135 सीटों पर जीत मिली, जबकि भाजपा को 66 और जद (एस) को 19 सीटों पर जीत हासिल हुई।
दरअसल, कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान लिंगायत मतदाताओं ने बीजेपी से मुंह मोड़ लिया जिससे पार्टी की करारी हार हुई। हार को सुनिश्चित करने में पार्टी की अपनी गलतियां भी कम जिम्मेदार नहीं रहीं। पार्टी ने अपने दिग्गज लिंगायत नेता बीएस येदियुरप्पा को मुख्य भूमिका से पीछे खींच लिया, लक्ष्मण सावदी और जगदीश शेट्टार को उनकी सीटों से टिकट देने से इनकार कर दिया गया। पार्टी की नीतियों से नाराज इन नेताओं ने कांग्रेस की ओर रुख कर लिया। उनके साथ उनके मतदाताओं ने भी पाला बदल लिया। इसका असर हुआ कि भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा।
गठबंधन से क्या हो सकता है फायदा?
विधानसभा चुव में मिली हार के बाद बीजेपी सतर्क हो गी है। ऐसे में जेडीएस के साथ आने से दक्षिण भारत के राज्य कर्नाटक में सामाजिक और राजनीतिक समीकरण पूरी तरह से बदल सकते हैं। कर्नाटक की आबादी में करीब 17 फीसदी भागीदारी वाला लिंगायत समुदाय बीजेपी का कोर वोटर माना जाता है। पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा भी लिंगायत समुदाय से ही आते हैं। लिंगायत के बाद करीब 15 फीसदी आबादी वाला वोक्कालिगा समुदाय दूसरा सबसे प्रभावशाली समाज है। वोक्कालिगा परंपरागत रूप से जेडीएस का वोटर माना जाता है। जेडीएस चीफ एचडी देवगौड़ा खुद भी वोक्कालिगा समुदाय से ही आते हैं। दो पार्टियों के साथ आने से राज्य में एनडीए का वोट बेस करीब 32 फीसदी हो जाएगा। ऐसे में सामाजिक और क्षेत्रीय समीकरणों के लिहाज से कर्नाटक में एनडीए की जमीन को मजबूती मिल सकती है।
Sep 22 2023, 20:10