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चाकुलिया स्थित नागा बाबा मंदिर के ठीक पीछे नहर में नहाने के दौरान 20 वर्षीय युवक डूबा,युवक की तलाश जारी

चाकुलिया स्थित नागा बाबा मंदिर के ठीक पीछे नहर में नहाने के दौरान 20 वर्षीय युवक शंकर गागराई डूब गया. शंकर गागराई के पिता महेश गागराई दिव्यांग हैं. वे चाकुलिया नगर पंचायत अंतर्गत वाजपेयी कॉलोनी के निवासी हैं. 

उन्होंने बताया कि सोमवार की सुबह शंकर नहाने के लिए नहर में गया था. हाल के दिनों में नहर में पानी छोड़े जाने के कारण नहर में काफी अधिक पानी थी. पानी के बहाव में ही शंकर बह गया. स्थानीय गोताखोर पिछले 1 घंटा से शंकर को पानी में ढूंढने का प्रयास कर रहे हैं. 

अब तक कोई जानकारी नहीं मिल पाई है. निवर्तमान वार्ड संख्या 10 के पार्षद देवानंद सिंह भी दल बल के साथ डूबे हुए युवक की खोजबीन में जुटे हैं. घटनास्थल पर नहाने से पहले खोल कर रखे गए युवक शंकर के कपड़े रखे हुए हैं.

जमीन कारोबारी हत्याकांड मामले में रांची पुलिस ने ढोल बाजे के साथ की कुर्की जब्ती

रांची : जमीन कारोबारी कमल भूषण हत्याकांड मामले में रांची पुलिस ने मुख्य आरोपी छोटू कुजूर के घर की कुर्की जब्ती करने की पहुंची। कोतवाली डीएसपी प्रकाश सोए के नेतृत्व में रविवार की दोपहर पुलिस की टीम ने पंडरा ओपी क्षेत्र के हेसल जतरा मैदान के पास स्थित छोटू कुजुर के आवास पर कुर्की जब्ती शुरू की। वहीं यह कुर्की जब्ती ढोल बाजे के साथ की गई। इस बीच मुख्य आरोपी छोटू कुजूर ने सरेंडर भी कर दिया है।

गौरतलब है कि राजधानी के बड़े जमीन कारोबारी 54 वर्ष, मधुकम निवासी कमलभूषण आर्य को अपराधियों ने बीते 30 मई 2022 को गोली मारकर हत्या कर दी थी। उसके बाद इस साल दो महीने पहले उनके अकाउंटेंट संजय सिंह की भी हत्या कर दी गई। दोनों हत्याकांड को छोटू कुजूर और उसके पूरे परिवार ने मिलकर घटना को अंजाम दिलवाया था।

बता दे कि छोटू कुजूर डब्लू कुजूर का भाई है। डब्ल्यू कुजूर, भतीजा राहुल कुजुर और उसकी भाभी तीनों पहले से ही कमल भूषण और संजय सिंह के हत्याकांड में गिरफ्तार किए जा चुके हैं। छोटू कुजूर दोनों ही मामलों में शामिल था, लेकिन वह फरार चल रहा था। पुलिस ने छोटू कुजूर को गिरफ्तार करने के लिए कई प्रयास की, लेकिन वह हाथ नहीं आया। जिसके बाद सुखदेव नगर पुलिस ने कोर्ट में आवेदन देकर छोटू कुजूर के घर को कुर्क करने की अनुमति मांगी। जिसके बाद यह मुमकिन हुआ।

सीसीएल में माउंट एवरेस्ट सम्मिट की 70वी वर्षगाठ मनाई गई : 15 पर्वतारोहीयो ने साझा की अपनी कहानी

राँची: सीसीएल के सभागार में आज माउंट एवरेस्ट सम्मिट की 70वी वर्षगाठ मनाई गई। इस कार्यक्रम में वक्ता के तौर पर माउंट एवरेस्ट फतह करने वाले 15 पर्वतारोही अपना अपना अनुभव साझा किए।

यह कार्यक्रम का आयोजन सीसीएल, आइडियेट इंस्पायर इग्नाइज फाउंडेशन, साइबरपीस फाउंडेशन, सीएमपीडीआई, के साथ मॉडर्न पीथीयन गेम के सहयोग से किया गया। देश में पहली बार एक साथ 15 माउंट एवरेस्ट विजेता का जुटान सीसीएल के कन्वेंशन सेंटर में हुआ। सभी पर्वतारोहियों अपने चढ़ाई के दौरान साहस, अनुभव और विजय की कहानी को साझा किया। एवरेस्ट फतह करने वालो में झारखंड के तीन पर्वतारोही प्रेमलता अग्रवाल, विनीता सोरेन व हेमंत गुप्ता, पश्चिम बंगाल के सत्यरूप सिद्धांत, रूद्र प्रसाद हलदर, यूपी की अरुणिमा सिन्हा, जम्मु-कश्मीर से कर्नल रणवीर जमवाल, मध्य प्रदेश से मेघना परमार, कनार्टक से प्रियंका मोहिते, महाराष्ट्र से मनीषा बाघमरे, कुंतल जोइशर, भगवान छवाले, गुजरात से अदिती वैद्य व अनुजा वैद्य शामिल हुए।

पर्वतारोहियों ने बताया कि मोटिवेशनल कहानियां सुनकर, वीडियो देखकर आपमें एवरेस्ट फतह करने का जोश तो आ सकता है लेकिन सफलता के लिए अपने आप में भरोसा होना जरूरी है। किसी भी क्षेत्र में सफलता तभी मिलती है जब आप में आत्मविश्वास हो। उन लोगों ने कहा कि अब तो एवरेस्ट फतह करने की होड़ सी मच गई है। लेकिन इसमें अधिकांस को मौका नहीं मिलता है। अब परवतारोह के नाम पर पहाड़ गंदे हो रहे हैं। पहाड़ों के प्रती सम्मान कम हो रहे हैं। हम लोगों को इसका भी ध्यान रखना जरूरी है।

वर्ष 1935 में न्यूजीलैंड के एडमंड हिलेरी और दार्जिलिंग के तेनजिंग नोर्गे ने एवरेस्ट पर फतेह हासिल की थी। इस सफलता के आज 70 साल पूरे हो गए हैं इसी के उपलक्ष में रांची में एवरेस्ट सम्मिट आयोजन में पर्वतारोहियों का जुटान हुआ।

भारत रत्न भूतपूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 79वीं जयंती पर रांची में विशेष : चेशायर होम, बरियातु में जरूरत मंद के बीच बाटें गए सामग्री


रांची: 20 अगस्त को भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 79वीं जयंती पर प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर की अध्यक्षता में कांग्रेस भवन, रांची में मनाई गई। इस अवसर पर कांग्रेस विधायक दल के नेता सह मंत्री आलमगीर आलम, प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष बन्धु तिर्की, पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय, विधायक शिल्पी नेहा तिर्की शामिल हुए। सभी ने राजीव गांधी के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किया।

इससे पूर्व बरियातु स्थित चेशायर होम, में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर रॉंची जिला के पार्टी पदाधिकारियों के साथ दिव्यांगजनों से मुलाकात कर उनके बीच इस अवसर पर प्रेम एवं भाईचारा का संदेश देते हुए आवश्यक सामग्री भेंट स्वरूप प्रदान की।

वही राजेश ठाकुर ने कहा कि स्व. राजीव गांधी आधुनिक भारत के निर्माण के साथ -साथ संचार क्रांति के जनक थे। स्व. गांधी ने एक ओर भारत को संचार क्रांति के माध्यम से आधुनिक बनाने का पहल किया, वहीं भारत की आत्मा गांवों को पंचायती राज देकर मजबूत बनाने का काम किया। उन्होंने बताया कि स्व. गांधी ने देश के युवाओं को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए मतदान का अधिकार 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष करने का काम किया। देश में दल-बदल कानून पर नियंत्रण, इन्फोर्मेशन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में राजीव गांधी द्वारा महत्वपूर्ण योगदान को देश कभी भुला नहीं सकता है। स्व. गांधी का हर प्रयास भारत को दुनिया के सामने मबजूत बनाने का काम रहा है।

अगर आप बदहजमी से है परेशान तो न खाएं ये खाना! बढ़ सकती है अपच की परेशानी...

दिल्ली:आजकल के टाइम में गलत खानपान के कारण हमें पेट से जुड़ी कई तरह के परेशानी से गुजरना पड़ता है। पेट से जुड़ी किसी भी तरह की समस्या हमें परेशान करती है. इससे हमें दस्त, ऐंठन, अपच, पेट दर्द जैसे लक्षण महसूस होने लगते हैं. ये तब होता है, जब हमारा पाचन तंत्र खराब हो, या फिर आपको पेट से जुड़ी किसी तरह की परेशानी हो. भले ही ये समस्या बेहद ही आम है, लेकिन इसका ध्यान रखना बहुत जरूरी है. देखा जाए तो इसके लिए हमारा खान-पान बहुत ज्यादा जिम्मेदार है।

गलत खान-पान से सूजन, दर्द और सीने में जलन जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है... तो आइये आपको इस तरह की परेशानी से हमेशा-हमेशा के लिए सुरक्षित रखने के लिए आपको बताएं, आखिर किस तरह के खाने से ये होता है... 

इनसे रहें दूर...

1. मसालेदार भोजन- भले ही स्वाद इसका कितना भी लाजवाब हो, मगर ये शरीर के लिए हानिकारक होता है. इससे आपके शरीर को पाचन तंत्रों से जुड़ी कई परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. बता दें कि मसालेदार भोजन में कैप्साइसिन जैसे यौगिक होते हैं, जो पाचन तंत्र में जलन पैदा करते हैं, जिससे आपके पेट में अपच के लक्षण पैदा होते हैं. ऐसे में कोशिश करें कि आप मसालेदार खाना कम ही खाएं...

2. तले हुए भोजन- तला हुआ भोजन भी बहुत खतरनाक साबित हो सकता है. खासतौर पर अगर आप अपच के शिकार हैं, तला हुआ भोजन पेट के लिए काफी भारी हो सकता है. ऐसे में तला हुआ खाना अपच की समस्या खड़ी कर सकता है. तला हुआ खाना पचने में भी काफी लंबा समय लेता है. इससे सीने में जलन सहित अन्य परेशानी बरकार रहती है. 

3. खट्टे फल- खट्टे फल भी अपच की समस्या में इजाफा करते हैं. दरअसल खट्टे फल का रस पेस से जुड़ी समस्या का कारक बनता है. इससे आपके शरीर में दर्द होता है, साथ ही हल्की-फुल्की जलन भी महसूस होती है, जिससे आपको परेशानी होगी.

बाबूलाल मरांडी की संकल्प यात्रा का तीसरा दिन आज


झारखंड में भाजपा अपनी पकड़ मजबूत बनाने और 2024 के चुनाव का लक्ष्य को ध्यान में रखकर पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के संकल्प यात्रा का आज तीसरा दिन है।

यह यात्रा आज 10.30 बजे से निकलेगी ,अभी यह यात्रा संथालपरगना में चल रही है।

सीएम हेमंत सोरेन को ईडी ने फिर भेजा समन, 24 अगस्त को कहा गया पेशी के लिए

राँची: ईडी ने झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को फिर भेजा समन 

भेजा है . उन्हें 24 अगस्त को पेश होने के लिए कहा गया है .चर्चा है कि उनसे उनसे उनकी और उनके परिवार की बेनामी संपत्तियों के बारे में पूछताछ की जाएगी.

चंद्रयान-तीन की सफलता को लेकर लिटिल विंग्स स्कूल आज रैली निकालेगी


मैक्लुस्कीगंज. चंद्रयान-तीन की सफलता की खुशी में लिटिल विंग्स स्कूल के तत्वावधान में शनिवार को रैली निकाली जायेगी. विद्यालय के निदेशक रवि कुमार ने बताया कि इसरो द्वारा भेजे गये चंद्रयान-3 की सफलता को लेकर शुभकामना संदेश देने के लिए रैली निकाली जायेगी. 

रैली में विद्यार्थियों द्वारा बनाये गये रॉकेट आदि उपकरण आकर्षण का केंद्र होगा. रैली में आमजनों व शिक्षाविदों से जुड़े लोगों को भी शामिल रहने की अपील की गयी है.

पूर्व विधायक अमित महतो के जमानत पर होगा फैसला आज, कल हुई थी सुनवाई

रांची. अपर न्यायायुक्त मो एसएम शहजाद की अदालत में शुक्रवार को जेल में बंद पूर्व विधायक अमित महतो की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई. पुलिस की ओर से सौंपी गयी केस डायरी के आधार पर राज्य सरकार की ओर से उपस्थित अपर लोक अभियोजक श्याम चौधरी ने अमित महतो को जमानत नहीं देने का आग्रह कोर्ट से किया. 

जबकि अमित महतो के वकील ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने खुद सरेंडर किया है. इसलिए उन्हें जमानत दी जानी चाहिए. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला 19 अगस्त को सुनाने की तिथि निर्धारित की है.

 गौरतलब है कि अमित के खिलाफ वर्ष 2022 मे विधानसभा घेराव कार्यक्रम के बाद रांची के धुर्वा थाना में कांड संख्या 208/2022 दर्ज की गयी थी. प्राथमिकी में सरकारी काम में बाधा डालने और बिना अनुमति के सड़क जाम करने सहित कई आरोप लगाये गये थे.

आस्था: आईए जानते है झारखंड के कुछ ऐसे धार्मिक स्थल जहां होती है हर भक्तों की मनोकामनाएं पूरी...


झारखंड:-भारत 64 करोड़ देवी-देवताओं की भूमि है ,जो अपने प्राचीन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। भारत में कई राज्यों में कुछ ऐसे धार्मिक स्थल हैं जो आज भी रहस्मयी है। आज हम आपको झारखंड के कुछ रहसमयी मंदिरों के बारे में बताएंगे जहा भक्तों की होती हर मनोकामनाएं पूरी।

झारखंड तो ऐसे पर्यटन स्थल और मंदिरों के लिए चर्चा में रहा है।झारखंड में कई ऐसे रहस्यमय मंदिर जहा लोग पूजा कर मन्नत मांगते और उनकी मनोकामनाएं भी पूरी होती है| 

झारखंड के इन्हीं धार्मिक स्थल और इन्हीं मंदिरों में से कई ऐसे रहस्य में मंदिर है, जिनका इतिहास काफी पुराना है।

आज हम ऐसे ही झारखंड के कई रहस्यमयी और अदभूत मंदिरों के बारे में जानेंगे जिसकी चर्चा झारखंड में ही नहीं बल्कि पूरे भारत में होती है।

धर्म और रहस्य में दृष्टि से देखा जाए तो भारत में कई ऐसे मंदिर है, जिनमें कई राज छुपे है। ऐसे ही कुछ मंदिर झारखंड में भी स्थित है| जिनका पुराना इतिहास रहा है। जिसे जानकर आपको हैरानी होगी. तो चलिए जानते है, झारखंड के इन मंदिरों के बारे में..!

झारखण्ड का प्रसिद्ध मंदिर बैद्यनाथ मंदिर

झारखण्ड के 5 सबसे प्रसिद्ध शिव मंदिर में से एक बैद्यनाथ मंदिर है. भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक पवित्र शिवलिंग झारखंड के देवघर में स्थित है| ऐसा माना जाता है, कि यहाँ आने वाले हर भक्तों की मनोकामना भोलेनाथ पूरी करते है, यही कारन है की भक्तगण यहां के शिवलिंग को कामना-शिवलिंग भी कहते है| यह भारत के 12 शिव ज्योतिर्लिंग में से एक है।

आमतौर पर भारत के सभी मंदिरों पर मंदिरों के शीर्ष पर देखेंगे तो आपको त्रिशूल लगा दिखता है| लेकिन यहां के बैजनाथ परिसर के सभी मंदिरों पर त्रिशूल के बदले पंचशील लगे है|

हिंदू धर्म में पंचशील को सुरक्षा कवच भी कहा जाता है| ऐसा माना जाता है, कि इसी पंचशील के कारण आज तक मंदिर पर किसी भी प्रकार के प्राकृतिक आपदा का प्रभाव नहीं पड़ा है।

यहां के मंदिर में 72 फीट ऊंचे शिव मंदिर के अलावा 22 मंदिरों की स्थापन भी की गई है| हिंदू धर्म और पुराणों के अनुसार ऐसा कहा जाता है, कि माता सती का ह्रदय इसी स्थान पर गिरा था. यह भारत का एकमात्र ऐसा स्थान है। जहां ज्योतिर्लिंग के साथ शक्तिपीठ भी है| यही कारण है, कि इस स्थान की महिमा और भी ज्यादा बढ़ जाती है| यहाँ हर वर्ष श्रद्धालु अपनी श्रद्धा दिखाने के लिए उमड़ पड़ते है। शायद इन्ही कारणों से इसे भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में एक भी कह सकते है.

श्रद्धा का केंद्र झारखण्ड का प्रसिद्ध माँ छिन्नमस्तिका मंदिर

रामगढ़ स्थित छिन्नमस्तिका मंदिर झारखंड की राजधानी रांची से 80 किलोमीटर दूर है| यह मंदिर अपने आप में कई संस्कृति और श्रद्धा को समेटे हुए है|  

मां छिन्नमस्तिका मंदिर को कामनाओं का मंदिर माना जाता है| ऐसा कहा जाता है, कि इस मंदिर का इतिहास 600 वर्ष पुराना है| यह मंदिर जितना अद्भुत है, उतना ही विस्मयकारी भी है| यहां बिना सिर वाली मां की पूजा होती है| इनके अगल बगल में डाकिनी और शकिणी खड़ी है। जिन्हें वे अपना रक्त पान करा रही है। और स्वयं भी रक्तदान कर रही है| उनकी प्रतिमा में देखें तो इनके कटे हुए सर से तीन रक्त की धाराएं निकल रही है।

इतना ही नहीं इनके मंदिर के सामने बली स्थान भी है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यहां हर दिन 150-200 बकरों की बलि चढ़ती है| सबसे अद्भुत बात यह है की, बलि चढ़ने के स्थान पर एक भी मक्खी देखने को नहीं मिलती है| यह एक ऐसा चमत्कार है जिसे जानकर लोग हैरान हो जाते है।

ऐसा कहा जाता है, मां छिन्नमस्तिका मंदिर महाभारत के काल से भी ज्यादा पुरानी है।और यह मंदिर भी झारखंड पांच प्रमुख मंदिरों में शामिल है।

झारखंड के प्रमुख मंदिर देवड़ी मंदिर के बारे में जानकारी

झारखंड के धार्मिक स्थल में से प्रमुख देवड़ी मंदिर भी है, यह मंदिर झारखंड की राजधानी रांची से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है| भारतीय क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी की आस्था इस मंदिर पर काफी हद तक है| वे जब भी अपने पिछले समय में क्रिकेट खेलने जाते थे, या क्रिकेट खेल कर आते थे, तब वह इस मंदिर में दर्शन करने अवश्य ही आते थे. धोनी के इस मंदिर में बार बार दर्शन करने आने के कारण इस मंदिर को काफी प्रसिद्धि मिली है। वर्ष 2011 में संपन्न हुए वर्ल्ड कप जीतने के बाद महेंद्र सिंह धोनी सबसे पहले देवड़ी मंदिर के दर्शन करने आए थे

इस मंदिर के निर्माण को लेकर यह कहा जाता है, कि मंदिर का निर्माण युद्ध से हार कर लौटते समय केरा नाम के एक मुंडा राजा ने करवाई थी ऐसा कहा जाता है| कि केरा नाम के उस मुंडा राजा ने जब इस मंदिर का निर्माण करवाया तब उसे अपना खोया हुआ राज्य वापस मिल गया था. भारत के अन्य दूसरे मंदिरों की तुलना में देवड़ी मंदिर की अलग ही विशेषता और खासियत है। 

इस मंदिर की पूजा आदिवासी पुजारियों के द्वारा किया जाता है| इस मंदिर की प्रतिमा की सबसे विचित्र बात यह है| कि अन्य मंदिरों में मां दुर्गा के 8 भुजा वाले मूर्ति देखने को मिलती है।लेकिन इस मंदिर में 16 भुजाओं वाली माता का मूर्ति है| इस मूर्ति की ऊंचाई साढ़े तीन फीट की है।

राष्ट्रीय ध्वज फ़हराया जाने वाला रांची का प्रसिद्ध पहाड़ी मंदिर

रांची का प्रसिद्ध पहाड़ी मंदिर भगवान शिव को समर्पित है यह मंदिर समुंद्र तल से 2140 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. पहाड़ी मंदिर को पहले फांसी टोंगरी के नाम से जाना जाता था, भारत के स्वतंत्रता के पहले इस मंदिर के क्षेत्र पर अंग्रेजों का अधिकार था. अंग्रेज इस स्थान पर स्वतंत्रता सेनानी को फांसी दिया करते थे, इसलिए इस पहाड़ी को फांसी टोंगरी के नाम से जाना जाता था, आपको यह बात जानकर हैरानी होगी की, यह भारत का पहला ऐसा मंदिर है, जहां भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया जाता है। इस मंदिर में भगवान शिव के दर्शन के लिए आपको 468 सीढ़ियां चढ़ने पड़ती है| और जब आप इस मंदिर के ऊपर जाएंगे तो रांची का पूरा नजारा देख सकते है|

हजारो वर्ष पुराना मां उग्रतारा नगर मंदिर झारखण्ड

मां उग्रतारा नगर मंदिर झारखंड के लातेहार जिले में स्थित है. इस मंदिर का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है| शक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्ध इस मंदिर में देवियों की मूर्तियां है| ऐसा कहा जाता है, कि जब कोई भक्त इस मंदिर में आकर अपनी मन्नत मांगता है| और उसकी मन्नत पूरी हो जाती है| तो वह भक्त इस मंदिर के परिसर में पांच झंडे गाड़ता है| यह मंदिर हजारों और लाखों श्रद्धालुओं की श्रद्धा और आस्था का केंद्र है| लेकिन इसकी मान्यता सभी मंदिरों से अलग है।यह देश का पहला ऐसा मंदिर है, जहां नवरात्र की पूजा 16 दिनों तक होती है।मां उग्रतारा के इस मंदिर की पूजा पद्धति कालिका मार्कण्डेय पुराण से ली गई है।

इस मंदिर का इतिहास काफी पुराना भी है, इतिहास के अनुसार इस मंदिर का निर्माण 18 वीं शताब्दी में टोरी राज्य के तत्कालीन शासक पीतांबर नाथ शाही ने अपने महल के परिसर में कराया था।

झारखण्ड के प्रसिद्ध मंदिरों में हर वर्ष लाखो श्रद्धालु आते है, इन मंदिरों में इतनी आस्था है की बाहरी राज्य के लोग भी अपनी मनोकामनाए लेकर आते है।