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मिजोरम को लेकर बीजेपी नेता के दावे का सचिन पायलट ने दिया करारा जवाब, कहा- मेरे पिता ने बम जरूर गिराए थे, लेकिन...

#sachin_pilot_replied_on_amit_malviya_claims 

मणिपुर में जारी हिंसा को लेकर भारतीय जनता पार्टी की केन्द्र सरकार और विपक्ष आमने सामने हैं। विपक्ष द्वारा हाल ही में मणिपुर के मसले पर संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। इस बीच मिजोरम को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष में जुबानी जंग छिड़ गई है।इस बीच कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने उनके पिता राजेश पायलट को लेकर किए किए गए भारतीय जनता पार्टी के दावे का करारा जवाब दिया है। अमित मालवीय ने ये दावा करते हुए ट्वीट किया था कि राजेश पायलट ने मार्च 1966 में बतौर भारतीय वायुसेना पायलट मिजोरम में बम गिराए थे। इस पर सचिन पायलट ने कहा कि आपके तथ्य और दिनांक दोनों ही गलत हैं।

सचिन पायलट ने अमित मालवीय के ही ट्वीट पर प्रतिक्रिया दी है।उन्होंने लिखा, 'स्व. राजेश पायलट दिनांक 29 अक्टूबर, 1966 को भारतीय वायु सेना में कमीशन हुए थे। यह कहना कि उन्होंने 5 मार्च 1966 में मिज़ोरम में बमबारी करी थी- काल्पनिक है, तथ्यहीन है और पूर्ण तरह भ्रामक है। हां, 80 के दशक में एक राजनेता के रूप में मिजोरम में युद्ध विराम करवाने और स्थाई शांति संधि स्थापित करवाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका जरूर निभाई थी। स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ, जय हिन्द।'

इसके साथ ही सचिन पायलट ने पिता राजेश पायलट के वायुसेना में कमीशन होने का सर्टिफिकेट भी अटैच किया है।

दरअसल, अमित मालवीय ने 13 अगस्त को एक ट्वीट किया था। मालवीय ने ट्वीट में लिखा था, "राजेश पायलट और सुरेश कलमाड़ी भारतीय वायुसेना के उन विमानों को उड़ा रहे थे, जिन्होंने 5 मार्च 1966 को मिज़ोरम की राजधानी आइजोल पर बम गिराए। बाद में दोनों कांग्रेस के टिकट पर सांसद और सरकार में मंत्री भी बने। साफ है कि नार्थ ईस्ट में अपने ही लोगों पर हवाई हमला करने वालों को इंदिरा गांधी ने बतौर इनाम राजनीति में जगह दी, सम्मान दिया।"

बता दें कि मिजोरम का यह मसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अविश्वास प्रस्ताव के दौरान दिए भाषण के बाद उठा है। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कांग्रेस पर आरोप लगाया था कि मिजोरम में कांग्रेस ने अपने ही नागरिकों पर वायुसेना से हमला करवाया था, क्या मिजोरम के लोग हमारे देश के नागरिक नहीं थे। आज भी 5 मार्च को मिजोरम में शोक दिवस मनाया जाता है. मणिपुर पर जवाब देते हुए पीएम मोदी ने यह हमला किया था, जिसके बाद से ही बीजेपी-कांग्रेस के बीच तकरार चल रही है।

दो लोगों की मौत से धनबाद के झरिया में स्थिति बेकाबू, पोकलेन में लगायी आग, पुलिस ने की फायरिंग

धनबाद : झारखंड के धनबाद जिले के झरिया के लोदना क्षेत्र के कुजामा अंतर्गत संचालित एटी देव प्रभा आउटसोर्सिंग परियोजना में मंगलवार को ओबी डंपिंग करने के दौरान भारी वाहन हॉलपेक की चपेट में आकर कंपनी के कैंपर वाहन चालक लोदना श्रमिक कल्याण निवासी जया चौहान व इंचार्ज भूली निवासी राजा कुमार की मौत मौके पर हो गयी.

कैंपर पूरी तरह चपटा हो गया. घटना की सूचना पर आक्रोशित लोगों ने हॉलपेक व अन्य वाहन में तोड़फोड़ कर दी और पोकलेन में आग लगा दी. लोदना पुलिस के साथ ग्रामीण की नोंकझोंक हो गयी. ग्रामीण काफी आक्रोशित थे. भीड़ पर काबू पाने के लिए पुलिस ने फायरिंग भी की. 

ग्रामीण किसी की बात सुनने को तैयार नहीं

हालात पर काबू पाने के लिए कई थानों की पुलिस मौके पर पहुंची. बताया जा रहा है राजा कुमार ओबी डंपिंग का निरीक्षण कर वापस आउटसोर्सिंग लौट रहा था. तभी पांडेबेरा जोड़ियां के समीप हॉलपेक ने कैंपर में टक्कर मार दी. इससे दोनों लोगों की मौत घटनास्थल पर ही हो गयी. ग्रामीणों में भी आक्रोश है. लोगों ने कहा कि आउटसोर्सिंग कंपनी व प्रबंधन ने बस्ती के बीच से भारी वाहन के लिए रास्ता निकाला है. लोग रास्ता को बंद करने की मांग कर रहे हैं. आक्रोशित लोगों ने पुलिस को भी खदेड़ दिया. माहौल काफी तनावपूर्ण है. ग्रामीण किसी की बात सुनने के लिए तैयार नहीं हैं.

नशा मुक्त भारत अभियान का शुभारंभ

नशा मुक्ति जागरूकता अभियान के लिए उपायुक्त द्वारा जागरूकता रथ को हरी झंडी दिखाकर किया गया रवाना

धनबाद : समाज में नशे की बीमारी एवं लत को जड़ से समाप्त करने के उद्देश्य से नशा मुक्त भारत अभियान का शुभारम्भ उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी श्री वरुण रंजन द्वारा स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जागरूकता रथ को परिसदन भवन से हरी झंडी दिखा कर किया गया।

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, भारत सरकार के निर्देशानुसार समाज कल्याण विभाग, धनबाद द्वारा नशा मुक्त भारत अभियान के उद्देश्यों में जागरूकता सृजन कार्यक्रमों, स्कूलों और विश्वविद्यालयों को लक्षित करने, समुदायों में आश्रित आबादी की पहचान करने, परामर्श और उपचार सुविधाएं प्रदान करने और सेवा प्रदाताओं के लिए क्षमता निर्माण जैसी गतिविधियों के माध्यम से मादक द्रव्यों के सेवन के बारे में जागरूकता किया जाएगा।

मौके पर उपायुक्त श्री वरुण रंजन, उप विकास आयुक्त श्री शशि प्रकाश सिंह, वन्य प्रमंडल पदाधिकारी श्री विकास पालीवाल, एडीएम लॉ एंड ऑर्डर श्री कमलकांत गुप्ता, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी श्रीमती स्नेह कश्यप, बाल संरक्षण पदाधिकारी समेत अन्य मौजूद रहे।

दुनिया को रास्ता दिखाने के लिए आजाद हुआ भारत, स्वतंत्रता दिवस पर बोले संघ प्रमुख मोहन भागवत


राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि पूरे विश्व को प्रकाशित करने के लिए भारत स्वतंत्र हुआ था। अब सम्पूर्ण दुनिया को प्रकाश देने के लिए भारत को अपनी क्षमताओं को बढ़ाने की जरूरत है।बता दें कि संघ प्रमुख ने 77वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर कर्नाटक की राजधानी बंगलुरू में ध्वजारोहण किया। 

भारत स्वतंत्रता दिवस की 77वीं सालगिरह पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी बसवनगुड़ी में तिरंगा फहराया।बसवनगुड़ी के वासवी कन्वेंशन हॉल में समर्थ भारत संस्था ने 77वें स्वतंत्रता दिवस पर झंडारोहण का कार्यक्रम आयोजित किया।इस दौरान भागवत ने राष्ट्रीय ध्वज के महत्व को समझने पर भी जोर दिया। साथ ही भागवत ने भारत का भी अर्थ बताया।भागवत ने कहा कि हम सूर्य की पूजा करते हैं और इसलिए हमें भारत कहा जाता है। इसमें भा का मतलब होता है रोशनी। सूर्य की आराधना स्वतंत्रता दिवस पर होने वाला एक सार्थक आयोजन है।उन्होंने कहा कि यहां हमने ध्वजात्तोलन किया। भारत माता का पूजन किया। सूर्य भगवान की आराधना आप लोग कर रहे हैं, सूर्य नमस्कार के द्वारा। यह अत्यंत समीचीन बात है। उन्होंने कहा कि प्रकाश का उद्गम हमारे विश्व के लिए सूर्य हैं, उस आदित्य की आराधना स्वतंत्रता दिवस पर करना अत्यंत औचित्यपूर्ण कार्य है। 

मोहन भागवत ने कहा कि स्वतंत्रता दिवस, भारत के स्वतंत्र होने का अवसर है और भारत सम्पूर्ण विश्व को प्रकाश देने के लिए स्वतंत्र हुआ है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्र होने के मूल में स्व है, यह महत्वपूर्ण उक्ति हैं और आज विश्व को इसकी आवश्यकता है, इसके लिए सभी को तैयार होना है।

कुछ ताकतें भारत की प्रगति को रोकना चाहती हैं-भागवत

मोहन भागवत ने कहा कि देश को तिरंगे से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ना चाहिए और दुनिया का नेतृत्व करना चाहिए। हालांकि देश विरोधी ताकतें नहीं चाहतीं कि हम आगे बढ़ें। संघ प्रमुख ने अपने बयान में कहा कि भारत, दुनिया को जागृत करने में सक्षम है लेकिन कुछ ताकतें हैं जो भारत की प्रगति को रोकना चाहती हैं। हमें उनसे सावधान रहना होगा और हमारे राष्ट्रीय ध्वज में छिपे संदेश के अनुसार, काम करना होगा और देश को एकजुट रखना होगा। जिससे नकारात्मक ताकतें सफल ना हो सकें।

हमें राष्ट्रीय ध्वज के संदेश के आधार पर ही काम करना होगा-भागवत

इस मौके पर भागवत ने राष्ट्रीय ध्वज के बारे में भी विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि झंडे में सबसे ऊपर नारंगी रंग बलिदान का प्रतीक होता है और ये तमसो मा ज्योतिर्गमय का संदेश देता है। इसका मतलब होता है अंधेरे से उजाले की तरफ जाना।भागवत ने बताया कि झंडे में सफेद रंग शुद्धता और बिना किसी स्वार्थ के काम करने का प्रतीक होता है। वहीं हरे रंग को संघ प्रमुख मोहन भागवत ने लक्ष्मी और समृद्धि का प्रतीक है, जो बौद्धिक, आध्यात्मिक और निस्वार्थ शक्ति की प्राप्त करने में मदद करता है।भागवत ने कहा कि हमें राष्ट्रीय ध्वज के संदेश के आधार पर ही काम करना होगा

रूस में बड़ा हादसा, गैस स्टेशन में हुए भीषण विस्फोट में 25 से ज्यादा लोगों की मौत, 100 से ज्यादा घायल


रूस के मखाचकाला में एक गैस स्टेशन में भीषण धमाका हो गया है। इस धमाके में तीन बच्चों समेत 25 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। जबकि 100 से ज्यादा लोगों के घायल होने की खबर है। बताया जा रहा है कि आग पहले कार की मरम्मत करने वाली दुकान में लगी और देखते ही देखते पास के गैस स्टेशन में फैल गई।

रूस की सरकारी समाचार एजेंसी आरआईए नोवोस्ती की देश के आपातकाल मंत्रालय के हवाले से जारी की गई खबर के मुताबिक, क्षेत्र की राजधानी मखचकाला के बाहरी क्षेत्र में स्थित गैस स्टेशन में सोमवार रात को विस्फोट हुआ था। आग पहले कार की मरम्मत करने वाली दुकान में लगी और देखते ही देखते पास के गैस स्टेशन में फैल गई। खबर के मुताबिक, गैस स्टेशन में लगी आग थोड़ी ही देर में 600 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैल गई। आग को बुझाने के लिए फायर ब्रिगेड की टीम को साढ़े तीन घंटे से अधिक समय लगा।

रूसी उप स्वास्थ्य मंत्री व्लादिमीर फिसेन्को ने बताया है कि घायलों में से 10 की हालत गंभीर है। इंटरफैक्स ने दागेस्तानी स्वास्थ्य मंत्रालय के हवाले से बताया कि घायलों में तेरह बच्चे हैं। रूस के आपातकालीन स्थिति मंत्रालय ने टेलीग्राम मैसेजिंग ऐप पर कहा कि गंभीर रूप से घायलों को मॉस्को ले जाने के लिए माखचकाला में एक विमान भेजा गया था।

प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, मखचकाला में ग्लोबस शॉपिंग सेंटर के पास एक कार सर्विस सेंटर में विस्फोट हुआ था। क्षेत्रीय गवर्नर ने मंगलवार 15 अगस्त को कहा कि दागेस्तान के दक्षिणी रूसी क्षेत्र में एक गैस स्टेशन में आग लगने का मामला सामने आया। डागेस्टानी डिजास्टर मेडिसिन सेंटर की जानकारी के अनुसार, 12.00 बजे (मॉस्को समय) तक 12 लोग मारे गए, 50 घायल हो गए। हालांकि बाद में मृतकों की संख्या और बढ़ी जो कि 25 से ज्यादा पहुंच गई। मरने वालों में 3 बच्चे भी शामिल हैं।

अक्षय कुमार को मिली भारतीय नागरिकता, बोले- दिल और सिटीजनशिप दोनों हिन्दुस्तानी

भारतवासी आज 77वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं। इस मौके पर हर व्यक्ति जोश और उत्साह से भरा हुआ है। बॉलीवुड में भी स्वतंत्रता दिवस को लेकर अलग उमंग देखने को मिल रही है। इस बीच बॉलीवुड एक्टर अक्षय कुमार ने अपने फैंस को बड़ी खुशखबरी दी है।अक्षय कुमार अब भारतीय नागरिक बन गए हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर ऑफिशियल डॉक्यूमेंट शेयर किए हैं। उन्होंने डॉक्यूमेंट की तस्वीर शेयर करके फैंस को ये खुशखबरी दे दी है।बता दें कि फिल्मों में सफलता नहीं मिलने के कारण उन्होंने 1990 में भारत की नागरिकता छोड़ दी थी और कनाडा में बसने और काम करने के लिए वहां की नागरिकता ले ली थी।

नागरिकता को लेकर सवाल उठने वालों को मिला जवाब

अक्षय कुमार ने भारतीय नागरिकता पाने की जानकारी अपने इंस्टाग्राम अकाउंट के जरिए दी है।अक्षय ने फोटो शेयर करते हुए लिखा- 'दिल और सिटिजनशिप, दोनों हिंदुस्तानी। स्वतंत्रता दिवस की बधाई। जय हिंद। उन्होंने इंडियन सिटीजनशिप के लिए 2019 में आवेदन किया था।इसके साथ ही अक्षय कुमार की नागरिकता को लेकर उठने वाले सवालों पर पूर्ण विराम लग गया है।दरअसल, कनाडा की नागरिकता होने की वजह से हेटर्स ने कई बार उनकी देशभक्ति पर भी सवाल खड़े किए थे।

पहले अक्षय के पास थी कनाडा की नागरिकता

याद दिला दें कि अक्षय कुमार के पास पहले भारतीय नहीं, कनाडा की नागरिकता थी। लगातार उनकी फिल्में फ्लॉप हो रही थीं, जिसके बाद उन्होंने कनाडा में बसने का फैसला किया था, लेकिन इसके बाद एक बार फिर उनका सिक्का बॉलीवुड में चल पड़ा और वो भारत छोड़कर कनाडा नहीं जा पाए। लंबे वक्त से अक्षय भारतीय नागरिकता के लिए प्रयास कर रहे थे। आखिरकार अब उन्हें भारतीय नागरिकता मिल गई है।

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर झारखंड हाईकोर्ट साथ विधानसभा में किया गया झंडोत्तोलन

राँची: स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर झारखंड हाईकोर्ट में न्यायाधीश संजय मिश्रा के द्वारा झंडोत्तोलन किया गया। हाईकोर्ट परिसर को स्वतंत्रता दिवस के 1 दिन पूर्व ही काफी मनोरम तरीके से लाइटिंग के माध्यम से सजा दिया गया था। 

 स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर हाईकोर्ट के अधिवक्ता और कार्यरत कर्मचारियों सहित अन्य लोग पर उपस्थित रहे। 

न्यायाधीश सहित उपस्थित लोगों ने राष्ट्रगान गाकर तिरंगे को सलामी दी और देश को आजादी दिलाने के लिए अपना सर्वस्व निछावर कर देने वाले शहीदों को भी सच्चे हृदय से याद किया। 

वही चीफ जस्टिस ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर झंडोत्तोलन के बाद स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं दी।

वहीं विधानसभा परिसर में भी विधानसभा में विधानसभा अध्यक्ष रविंद्र नाथ महतो ने झंडोतोलन किया। राज्य के वीर सपूतों को याद किया।

रांची के मोरहाबादी मैदान में सीएम हेमंत सोरेन ने किया झंडोत्तोलन, अपने संबोधन में सरकार की योजनाओं को बताया


सीएम हेमंत सोरेन ने रांची के मोरहाबादी मैदान में झंडोतोलन किया। सुरक्षा व्यवस्था के व्यापक इंतजाम के बीच भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया।राजकीय समारोह में उन्होंने परेड का निरीक्षण भी किया।

झंडोत्तोलन के बाद मुख्यंमत्री राज्य की जनता को संबोधित किये। मुख्यंमत्री हेमंत सोरेन ने अपनें संबोधन की शुरुआत भगवान बिरसा मुंडा और सिद्धो कान्हू को याद करते हुए झारखंड के लोगों को बधाई दी। मुख्यमंत्री ने कहा लाखों देशभक्तों की शहादत की बदौलत हमे आजादी मिली है।

 अपने संबोधन में हेमंत सोरेन ने कई योजनाओं का जिक्र किया और बताया कि राज्य सरकार कैसे सरकारी नौकरी और प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए नये अवसर ला रही है। साशन और प्रशासन सच्ची निष्ठा के साथ जनता की सेवा में लगा है। लाखों जरूरत मंदों के द्वार तक सरकार पहुंची है। जनता से किए वादे को संजीदगी से निभाने का प्रयास कर रहे हैं।

मुख्य्मंत्री ने कहा, 38 हजार पदों पर नियुक्ति के लिए अधियाचना झारखंड कर्मचारी आयोग को भेज दी गई है। शीघ्र ही इन पदों पर नियुक्ति होगी। नियुक्तियों में झारखंड के लोगों को उनका उचित हक मिले, इसे सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है। मुख्य्मंत्री ने अपने अभिभाषण में कहा कि झारखंडवासियों की उन्नति, खुशहाली और सशक्तिकरण के लिए उनकी सरकार प्रतिबद्ध है। उन्होंने इस अवसर पर अबुआ आवास योजना की घोषणा की। इस योजना के तहत आगामी दो वर्षों में 15 हजार करोड़ करोड़ से ज्यादा खर्च कर जरूरतमंद लोगों को आवास उपलब्ध कराएगी। सभी को तीन कमरे का आवास उपलब्ध कराया जाएगा।

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर परेड में मेहमान के रूप में यूपी पुलिस भी शामिल हुए। उत्तर प्रदेश पुलिस की तरफ से अवर निरीक्षक महेंद्र सिंह यादव ने नेतृत्व कर रहे थे। मुख्य्मंत्री ने इस अवसर पर राज्य के 44 पुलिस पदाधिकारियों-कर्मियों को राष्ट्रपति के हाथों दिए गए पदक को प्रदान किया। ये सभी पदक पूर्व में राष्ट्रपति के हाथों गणतंत्रता दिवस समारोहों के मौके पर प्रदान किया गया था।

हेल्थ टिप्स:अगर आप डिप्रेशन या उदासी को दूर भगाना चाहते है तो ट्राई करें ये स्पेशल फूड आइए जानते अवसाद को दूर करने वाले आहार के बारे में ...

डिप्रेशन एक ऐसी अवस्था जब व्यक्ति का मन और दिमाग नैगेटिविटी,चिंता , तनाव और उदासी से घिर जाता है। 

कभी-कभी हमारी लाइफ में कुछ चीजें ऐसी हो जाती है जिन्हें हैंडिल करना मुश्किल हो जाता है जिसकी वजह से इंसान डिप्रेशन का शिकार हो जाता है या फिर उस पर टेंशन हावी होने लगती है। ऐसे में इंसान अकेले रहना ही पसंद करता है या यूं कहे कि लोगों के बीच होकर भी खुद में खोया रहता है।

तो चलिए आज हम आपको कुछ ऐसे food items के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें खाकर आप अपने डिप्रेशन या फिर टेंशन से छुटकारा पा सकते हैं।

डार्क चॉकलेट

चॉकलेट खाना किसे पसंद नहीं होता लेकिन अगर आप किसी से लड़ाई करने के बाद खाए तो ये आपकी टेंशन को दूर भगा देती है। इसमें cocoa और कम चीनी के साथ serotonin नाम का पदार्थ पाया जाता है। ये anti-oxidants आपके ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं जिस वजह से आपका गुस्सा और स्ट्रेस modulate हो जाता है।  

 

दही

क्या आपको पता है कि दही में पाए जाने वाले बैक्टीरिया भी आपके मूड को ठीक करने में मदद कर सकते हैं। दही में प्रोटीन और कैल्शियम अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं जो कि आपके डिप्रेशन और गुस्से को कम करने में मदद करते हैं।

अखरोट

टेंशन और डिप्रेशन को छूमंतर करने के लिए अखरोट को सबसे अच्छा और प्राकृतिक तरीका माना गया है। अखरोट में ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है। ये एसिड आपके दिमाग में मूड को रिफ्रेश करने वाले रयायन पैदा करता है। यही रसायन मूड को ठीक करने में सहायता करते हैं।

 

केला

डिप्रेशन न्यूरोट्रांसमीटर सेरोटोनिन की मात्रा कम होने पर होता है और केले में सेरोटोनिन की मात्रा सबसे अधिक पाई जाती है। इसे खाने से आपका गुस्सा और डिप्रेशन दोनों ही दूर हो जाते हैं।

स्वतंत्रता दिवस विशेष:- अंग्रेजी साम्राज्य के दमनकारी नीति के विरुद्ध उपजा आदिवासियों का आक्रोश हुल क्रांति

अबुआ दिसोम, अबुआ राज (अपनी धरती, अपना राज), महिलाओं का सम्मान और अस्मिता की रक्षा। अंग्रेजी साम्राज्य की दमनकारी नीति ने जब इसमें खलल डालने की कोशिश की, तो झारखंड के भोले-भाले संथालों को योद्धा बनते देर न लगी। 1855 की हूल क्रांति इसी रोष की उपज थी। यह देश की बड़ी ऐतिहासिक घटनाओं में से एक है।

संथाल अपनी जमीन पर मालगुजारी देने को तैयार न थे और उस समय की स्थिति ऐसी थी कि मालगुजारी न देने पर उनकी जमीन नीलाम कर दी जाती थी। उस वक्त का जनजातीय समुदाय महसूस कर रहा था कि ब्रिटिश आक्रांता उनकी आजादी छीन रहे हैं। उनमें असंतोष बढ़ रहा था, लिहाजा उन्होंने मालगुजारी, बंधुआ मजदूरी और महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार के खिलाफ विद्रोह किया और अपने पारंपरिक हथियारों से ही अंग्रेजों से लोहा लेने की हिम्मत दिखाई। असंतोष से उपजी संथालों की इस क्रांति से पहाड़िया और अन्य जनजातीय समुदाय के लोग भी जुड़ गए थे।

संथाल क्षेत्र में इस क्रांति को चार भाइयों सिद्धो, कान्हू, चांद, भैरव और दो बहनें फूलो और झानो ने शुरू किया था, लेकिन देखते ही देखते पूरा समाज इससे जुड़ गया। भारतीय इतिहासकारों की मानें तो हूल क्रांति ने भारतीय स्वाधीनता संग्राम की पृष्ठभूमि तैयार की थी। हालांकि, ब्रिटिश इतिहासकार इस क्रांति पर चर्चा करने से बचते रहे और इसके लिए विद्रोह शब्द का इस्तेमाल करते रहे। जबकि, भारतीय इतिहासकारों ने 1857 के सिपाही विद्रोह को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की पहली लड़ाई का दर्जा देकर कहीं न कहीं हूल विद्रोह की अनदेखी की है।

30 जून 1855 में साहिबगंज के भोगनाडीह में 10,000 लोगों की सभा में सिद्धो को राजा घोषित किया गया, कान्हू को मंत्री, चांद को प्रशासक और भैरव को सेनापति बनाया गया। ये चारों भाई थे। इस तरह ‘अपना राज’ कायम हुआ। अंग्रेजी सरकार को मालगुजारी देना बंद हो गया। संथाल लड़ाकों ने कंपनी सरकार के दारोगा, सिपाहियों को मारना-काटना शुरू कर दिया। लेकिन कुछ गद्दारों ने कान्हू को गिरफ्तार करवा दिया।

विद्रोहियों को परास्त करने के लिए अंग्रेजों ने क्रूरता की तमाम हदें लांघ दी थीं। चांद और भैरव को मार डाला गया। इसके बाद 26 जुलाई को भोगनाडीह में सिद्धो-कान्हू को पेड़ से लटका कर फांसी दे दी गई। जनवरी 1856 में हूल क्रांति समाप्त हो गई। हूल क्रांति में 30,000 से अधिक लोग शहीद हुए थे। इस क्रांति में फूलो और झानो भी बहादुरी से लड़ी थीं। इस क्रांति के बाद क्षेत्र को समग्र रूप से संथाल परगना घोषित किया गया।

हूल क्रांति पर कई गीत भी लिखे गए हैं। इतिहासकारों ने भी हूल क्रांति को लिखने में इन गीतों की मदद ली है। संथाल परगना क्षेत्र में हूल गीत काफी प्रचलित हैं। सिद्धू तुमि केमोन लोक छीले गो, कान्हू तुमि केमोन लोग छिले गो…(सिद्धू तुम किस तरह के व्यक्ति थे, कान्हू तुम किस तरह के व्यक्ति थे), इसी तरह – संताल मा दिसोम रे सिदो कानू किन राजा हो….(संथालों के देश में सिद्धू कान्हू ने राज किया), फूलो झानो पर भी गीत लिखे गए हैं- फूलो झानो आम दो तीर रे तलरार रेम साअकिदा…(फूलों झानो तुमने हाथों में तलवार उठा लिया), इन जैसे अनगिनत गीतों में हूल क्रांति का इतिहास छिपा है।