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ज्ञानवापी परिसर में एएसआई सर्वे शुरू, 43 सदस्यीय टीम कर रही निरीक्षण, सुरक्षा के कड़े इंतजार

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वाराणसी कोर्ट के आदेश पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम ज्ञानवापी परिसर में वैज्ञानिक सर्वे का काम शुरू कर चुकी है। आज से सर्वे की शुरुआत हुई है और 4 अगस्त को कोर्ट में रिपोर्ट सौंपनी है। सर्वे काशी विश्वनाथ मंदिर के पास बनी ज्ञानवापी मस्जिद में किया जा रहा है। मस्जिद की तीनों गुंबद, पश्चिमी दिवार समते परिसर का ये सर्वे वहां की वास्तविक स्थिति को और साफ करेगा। माना जा रहा है कि ज्ञानवापी का एएसआई सर्वे इस पूर विवाद को खत्म करने में अहम रोल अदा करने वाला है

43 सदस्यीय टीम परिसर में मौजूद

वाराणसी में जिला जज की अदालत के आदेश पर एएसआई की टीम ने सोमवार की सुबह से ज्ञानवापी परिसर में वैज्ञानिक तरीके से सर्वे शुरू कर दिया। आधुनिक मशीनों संग ज्ञानवापी पहुंची एएसआई की 43 सदस्यीय टीम अभी परिसर का निरीक्षण कर रही है। दिल्ली, लखनऊ, पटना और आगरा की एएसआई की टीमें शामिल हैं। दिल्ली टीम के असिस्टेंट डायरेक्टर टीम को लीड कर रहे हैं। मुस्लिम पक्ष का कोई सदस्य नहीं पहुंचा है। मुस्लिम पक्ष की गैरमौजूदगी के कारण सर्वे का काम शुरू करने को लेकर ऊहापोह की स्थिति है। सर्वे के काम में सहयोग के लिए पीडब्ल्यूडी और बिजली विभाग की टीम को भी लगाया गया है।

21 जुलाई को सर्वे का दिया था आदेश

जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने बीते 21 जुलाई को आदेश दिया था कि ज्ञानवापी परिसर स्थित सील वजूखाने को छोड़कर शेष अन्य हिस्से का एएसआई वैज्ञानिक जांच करे। साथ ही रिपोर्ट बनाकर चार अगस्त तक दे और बताए कि क्या मंदिर तोड़कर उसके ऊपर मस्जिद बनाई गई है।

सर्वे के बाद ज्ञानवापी का सच आएगा सामने

ज्ञानवापी का सच क्या है ये बहुत जल्द सबके सामने आ जाएगा।एएसआई की सर्वे रिपोर्ट के बाद सबकुछ दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। ज्ञानवापी को लेकर हिंदू पक्ष और मुस्लिम पक्ष के अपने-अपने दावे हैं। इन दावों की हकीकत का पता लगाने के लिए ही मामला कोर्ट में है और कोर्ट के आदेश पर ही सच का पता लगाने की कवायद चल रही है।

ट्विटर से चिड़िया को उड़ाने की तैयारी में एलन मस्क, एलन मस्क ट्विटर में लाने वाले हैं नया बदलाव

डेस्क: ट्विटर के मालिक एलन मस्क ट्विटर में नए नए बदलाव कर रहे हैं। अब तक उन्होंने ट्विटर यूजर्स के लिए नए नए नियम लागू किए थे लेकिन अब वो ट्विटर की पहचान को बदलने की कोशिश में है। एलन मस्क ट्विटर के लोगो 'चिड़िया' को हटाने की तैयारी में जुटे हैं। खुद मस्क ने ट्वीट करके इस बात की जानकारी दी है। 

ट्विटर के लोगों को बदलने के बारे में उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा- हम जल्द ही ट्विटर ब्रांड और धीरे धीरे सभी पक्षियों को अलविदा कह देंगे। इस ट्वीट के बाद मस्क एक बार फिर से सोशल मीडिया पर छाए हुए हैं। 

आपको बता दें कि इससे पहले एलन मस्क ने ट्विटर पर डीएम मैसेज यानी डायरेक्ट मैसेज सेंड करने की लिमिट लगा दी है। अब यूजर्स को DM करने के लिए कंपनी को भुगतान करना पडे़गा। अब अनवेरिफाइड यूजर्स के लिए DM की लिमिट होगी और अगर लिमिट से ज्यादा मैसेज करने के लिए हैं तो इसके लिए ब्लू सब्सक्रिप्शन लेना जरूरी होगा। 

एलन मस्क ने अपने लेटेस्ट ट्वीट में इस बात की जानकारी दी कि जल्द ही ट्विटर का लोगो बदलने वाला है। उन्होंने लिखा कि हम बहुत जल्द ट्विटर ब्रांड और धीरे-धीरे सभी पक्षियों को अलविदा कह देंगे। उन्होंने बताया कि अगर आज रात को एक X डिजाइन का एक अच्छा लोगो पोस्ट किया जाता है तो हम कल ही इसे दुनिया भर में लाइव कर देंगे।

माना जा रहा है कि ट्विटर का नया लोगो X डिजाइन का ही होगा। इसकी एक वजह यह भी है कि यह एलन मस्क की नई एआई कंपनी XAI से मिलता है। मस्क ने अपनी ज्यादातर कंपनियों के लोगों में X शामिल किया है। उनकी स्पेस एजेंसी का नाम भी Space X है।

रतन राजपूत ने उठाया साउथ फिल्म इंडस्ट्री के काले सच से पर्दा, बोली- हीरो, प्रोड्यूसर, डायरेक्टर सब...!

डेस्क: 'अगले जन्म मोहे बिटिया न कीजो' में लीड रोल में नजर आईं रतन राजपूत तो आपको याद ही होंगी। एक्ट्रेस लंबे समय से एक्टिंग से दूर हैं, लेकिन उन्होंने अपने डेली ब्लॉग के जरिए लोगों तक अपनी पहुंच बनाई हुई है। वो अपनी हर बात फैंस से साझा करती हैं, लेकिन उन्होंने कभी ये नहीं बताया था कि वो एक्टिंग से दूर क्यों हैं। फिलहाल, अब एक्ट्रेस वापसी के लिए तैयार हैं और उन्होंने एक्टिंग से दूरी की वजह भी लोगों के साथ साझा की है। इसके साथ ही उन्होंने साउथ फिल्म इंडस्ट्री को लेकर बड़ा दावा किया है और कहा कि वो कभी भी साउथ की फिल्मों में काम करने को तैयार नहीं होंगी।

साउथ इंडस्ट्री को लेकर रतन का खुलासा

रतन ने एक घटना का जिक्र करते हुए कहा, 'साउथ का बहुत नाम है, बहुत संस्कार की बातें हो रही हैं। मैं अगले जन्म कर रही थी, मुझे साउथ से बहुत कॉल्स आए। बहुत अच्छे-अच्छे डायरोक्टर्स के आए, लेकिन साथ में ये भी कहा जाता कि थोड़ा वेट बढ़ाना पड़ेगा आप बहुत पतली हैं।' आगे वो कहती हैं कि कहा गया, 'साउथ इंडस्ट्री के नॉर्म्स, कायदे तो आपको पता ही होंगे। अब तो इंडस्ट्री में सबको पता ही है। डायरेक्टर, प्रोड्यूसर और लीड एक्टर, हो सकता है डीओपी भी...' इतना सुनने के बात रतन ने सवाल करते हुए पूछा कि उन्हें नहीं पता है और पूरी बात बताई जाए, जिस पर उन्हें जवाब मिला, 'आपको तो पता है यहा चलता है कॉम्प्रोमाइज।' 

बताया साउथ इंडस्ट्री का काला सच

इसके बाद उन्होंने उस फिल्म के लिए मना कर दिया। वो आगे कहती हैं कि ऐसा सिर्फ बॉलीवुड नहीं, बल्कि साउथ फिल्मों में भी होता है। वो आगे कहती हैं, 'साउथ से आजतक एक भी कॉल ऐसा नहीं आया जहां कॉम्प्रोमाइज की बात न हुई हो। कभी-कभी डीओपी जरूर हट जाता इस लिस्ट से, लेकिन प्रोड्यूसर, डायरेक्टर और हीरो इस लिस्ट में हमेशा रहते हैं। मैंने इसके बाद तय कर लिया है कि साउथ इंडस्ट्री में कभी काम नहीं करना है।' वो कहती हैं कि इंडस्ट्री में अच्छे और खराब दोनों तरह के लोग हैं। 

एक्टिंग से दूर एक्ट्रेस कर रही थीं ये काम

बता दें, रतन राजपूत ने जबसे एक्टिंग से दूरी बनाई है तब से एक्ट्रेस लगाता ब्लॉग बना रही हैं, जिस पर अपनी हर दिन की जर्नी लोगों संग साझा करती हैं। एक्ट्रेस इस दौरान काफी ट्रेवेल की। उन्होंने दोबारा पढ़ाई की शुरुआत की और अपने परिवार के साथ वक्त बिताया। बीता वक्त उनके लिए आसान नहीं रहा। उन्होंने अपने पिता को भी खो दिया था, जिसके बाद वो काफी परेशान रहीं।

नेपाल में इस लोकेशन से मिलेगी भारत की बस! सीमा हैदर की चैट का स्क्रीनशॉट आया सामने

डेस्क: सचिन और सीमा हैदर की प्रेम कहानी इन दिनों हर जगह छाई हुई है। पाकिस्तान से नेपाल और फिर भारत आई सीमा हैदर ने सचिन से शादी कर ली है और हिंदू धर्म अपना लिया है। इसी कड़ी में अब सीमा हैदर की एक चैट का स्क्रीनशॉट सामने आया है।

 इस चैट में बस सर्विस मैनेजर प्रसन्ना गौतम ने सीमा हैदर को नेपाल के पोखरा के उस जगह की लोकेशन भेजी थी, जहां से सीमा को बस 12 मई को सुबह 7 बजे लेकर भारत आने वाली होती है। 

सीमा ने चैट में ये भी लिखा है कि भईया आप उनको (सचिन) मैसेज कर दो। इस चैट में बाकी बची हुई पेमेंट को सचिन से लेने की बात कही गई है। दरअसल सीमा के पास पैसे पूरे नहीं थे बाकी बची हुई पेमेंट सचिन ने की थी। चैट में मैनेजर ने ये भी लिखा है कि बाकी की पेमेंट भेजने के बाद स्क्रीन शॉट भेज देना।

 बता दें कि बीते दिनों सीमा हैदर से यूपी एटीएस ने पूछताछ की थी। इस पूछताछ में सीमा ने बड़ी ही बारीकियों के साथ जवाब दिया था।

महाराष्ट्र में अगले कई दिन होगी भारी बारिश, IMD ने जारी किया अलर्ट*

डेस्क: महाराष्ट्र में इन दिनों बारिश की वजह से हालत खरब हो चले हैं। सड़कों पर पानी भरा हुआ है। हर तरफ बाढ़ जैसे हालात बन चुके हैं। वहीं इसी बीच भारतीय मौसम विज्ञान केंद्र ने राज्य के कई इलाकों में भारी से बहुत भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। IMD ने सोमवार के लिए मुंबई और ठाणे के लिए बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है। 

कई इलाकों के लिए ओरेंज अलर्ट 

इसके साथ ही IMD ने रायगड़,पालघर और कोंकण के इलाकों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। वहीं कोंकण के रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग इलाके में अगले 5 दिनों तक भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है, जबकि रायगड़ के लिए अगले तीन दिन का ऑरेंज अलर्ट जारी हुआ है। मौसम विभाग ने लोगों से कहा है कि इन इलाकों के लोग बारिश और बाढ़ जैसे हालातों से निपटने की साड़ी तैयारी कर लें।

अब तक कई लोगों की हो चुकी है मौत 

वहीं महाराष्ट्र में विदर्भ क्षेत्र के नागपुर मंडल में 13 जुलाई के बाद से अब तक भारी बारिश के बाद बाढ़ और बिजली गिरने के कारण कम से कम 11 लोगों की मौत हुई है और 1,600 से अधिक मकान क्षतिग्रस्त हो गए हैं। अधिकारियों ने रविवार को बताया कि बारिश से नागपुर मंडल के कई हिस्सों में 875.84 हेक्टेयर कृषि भूमि पर असर पड़ा है। इसके अलावा यवतमाल जिले में बारिश से संबंधित घटनाओं में तीन लोगों की मौत हुई है।

इटली में भारतीय सैनिकों की याद में बनाया स्मारक, द्वितीय विश्व युद्ध में भारतीय सेना के योगदान को इटली ने दिया सम्मान


डेस्क: इटली ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बलिदान होने वाले भारतीय सैनिकों को सम्मान दिया है। इटली के मोनटोने इलाके में भारतीय सैनिकों के सम्मान में एक स्मारक का अनावरण किया गया। इस स्मारक का अनावरण कम्यून ऑफ मोनोटोन और इटली के सैन्य इतिहासकारों ने किया। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों का अहम योगदान रहा था। 

भारतीय राजदूत, भारतीय सेना के प्रतिनिधि भी रहे मौजूद

खबर के अनुसार, इटली के पेरुगिया में मोनटोने में वी.सी यशवंत घाडगे सनडायल मेमोरियल का अनावरण किया गया। यह स्मारक द्वितीय विश्व युद्ध में इटली की तरफ से लड़ने वाले भारतीय सैनिकों की याद में बनाया गया है। 

साथ ही बलिदानी नायक यशवंत घाडगे को विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित किया गया। यशवंतराव घाडगे ऊपरी टिबेर घाटी में युद्ध के दौरान बलिदान हुए थे। भारतीय सैनिकों के सम्मान में बनाए गए स्मारक के अनावरण के मौके पर इटली में भारत की राजदूत डॉ. नीना मल्होत्रा, भारतीय सेना के प्रतिनिधि और बड़ी संख्या में भारतीय मूल के नागरिक और इटली की सेना के अधिकारी मौजूद रहे। 

50 हजार से ज्यादा सैनिकों ने लिया था हिस्सा

इटली के लिए लड़ते हुए भारतीय सैनिकों ने द्वितीय विश्व युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी। भारतीय सेना की चौथी, आठवीं और दसवीं डिविजन के 50 हजार से ज्यादा सैनिकों ने युद्ध में हिस्सा लिया था।भारतीय सैनिक द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान कितनी वीरता से लड़े, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भारत के 20 सैनिकों को विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित किया गया।

 युद्ध के दौरान 23,722 सैनिक घायल हुए और 5782 सैनिकों ने सर्वोच्च बलिदान दिया। इटली में भारतीय सैनिकों के सम्मान में बनाए गए स्मारक पर भारतीय सेना की पट्टिका भी लगाई गई है। स्मारक पर इटैलियन भाषा में 'ओमिनेस सब ओडेम सोल' लिखा हुआ है, जिसका मतलब है कि 'हम सभी एक सूरज के नीचे रहते हैं'।

गुजरात के नवसारी और जूनागढ़ समेत कई जिलों में 'जल प्रलय' से हुई तबाही से

जनजीवन अस्त-व्यस्त, जूनागढ़ में कई कारें और मवेशी पानी की तेज धार में बहे, राहत बचाव कार्य जारी


गुजरात के नवसारी और जूनागढ़ समेत कई जिलों में 'जल प्रलय' से हुई तबाही से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। अहमदाबाद सहित राज्य के दक्षिणी हिस्से और सौराष्ट्र क्षेत्र में भारी बारिश होने से बांधों एवं नदियों में जलस्तर खतरे के निशान तक पहुंच गया तथा शहरी क्षेत्रों एवं कुछ गांवों में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई। जूनागढ़ में तो कई कारें और मवेशी पानी की तेज धार में बह गए। वहीं आज अहमदाबाद एयरपोर्ट में भी पानी घुस गया। इस बीच, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल से बात की और राज्य के विभिन्न हिस्सों में बाढ़ जैसी स्थिति के बारे में जानकारी ली।

जानकारी के अनुसार, शनिवार को गुजरात के दक्षिणी और सौराष्ट्र क्षेत्रों के कई जिलों में भारी से बहुत भारी बारिश हुई, जिससे शहरी क्षेत्रों में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई और बांधों और नदियों में जलस्तर खतरे के स्तर तक बढ़ने के बीच गांवों का शहरों से संपर्क कट गया। शहर में शनिवार शाम चार बजे तक पिछले आठ घंटे में 219 मिलीमीटर बारिश हुई है। लोग सुरक्षित स्थानों तक पहुंचने के लिए कमर तक पानी में चलते हुए नजर आए। उनमें से कुछ को पानी की तेज धार से बचाने के लिए वॉलंटियर्स ने मदद की। नवसारी और जूनागढ़ जिले बारिश से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। बारिश के कारण कई आवासीय क्षेत्रों और बाजारों में पानी भर गया।

प्रशासन ने लोगों से एहतियात बरतने का अनुरोध किया है और उनसे किसी अप्रिय घटना या आकस्मिक स्थिति में कंट्रोल रू से संपर्क करने की अपील की है। लोगों को बांधों या उनके आसपास के क्षेत्रों में नहीं जाने की चेतावनी दी गई है। निचले इलाकों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए बचाव टीमों को तैनात किया गया है।

जनजीवन पटरी से उतरा

दक्षिण गुजरात में नवसारी जिले में भारी बारिश हुई तथा बाढ़ के कारण शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में आम जनजीवन पटरी से उतर गया। राज्य आपात अभियान केंद्र ने बताया कि जिले के नवसारी और जलालपोर तालुका में शनिवार सुबह छह बजे से शाम 4 बजे तक क्रमश: 303 और 276 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई।

मूसलाधार बारिश होने से गलियों एवं निचले इलाकों में भारी जलभराव हो गया। इससे शहर में ट्रैफिक जाम हो गया। अधिकारियों ने बताया कि बाढ़ के कारण नवसारी के निकट मुंबई-अहमदाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर यातायात जाम लग गया।

राज्य आपात अभियान केंद्र ने बताया कि देवभूमि द्वारका, भावनगर, भरूच, सूरत, तापी, वलसाड और अमरेली ऐसे अन्य जिले हैं जहां शनिवार को भारी बारिश हुई। मौसम विभाग ने दक्षिण गुजरात तथा सौराष्ट्र-कच्छ के जिलों में रविवार सुबह तक भारी बारिश होने की चेतावनी दी थी। मौसम विभाग ने 22 जुलाई से 26 जुलाई तक उत्तरी गुजरात के तटवर्ती क्षेत्रों में मछुआरों को समुद्र में मछली पकड़ने के लिए नहीं जाने की सलाह दी है। इससे पहले शुक्रवार को मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने सूत्रपाड़ा, मंगरोल और गिर सोमनाथ के बाढ़ प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया।

एनडीआरएफ की टीम ने जूनागढ़ में चलाया बचाव अभियान

गुजरात के कई हिस्सों में लगातार बारिश के बीच, राष्ट्रीय रक्षा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की टीम ने शनिवार को क्षेत्र के जूनागढ़ जिले में बचाव अभियान चलाया। बचाव अभियान में एनडीआरएफ कर्मी आम जनता तक पहुंचे और उन्हें शहर के बाढ़ और जलभराव वाले क्षेत्रों को सुरक्षित क्षेत्रों में पार करने में सहायता की। इससे पहले शनिवार को मॉनसून की बारिश के बीच नवसारी शहर में एक व्यक्ति लापता हो गया था। 

गृहमंत्री अमित शाह ने गुजरात के मुख्यमंत्री से बात कर हालात का जायजा लिया 

गृह मंत्री अमित शाह ने ट्विटर पर कहा कि हाल ही में भारी बारिश के कारण राज्य के विभिन्न हिस्सों में बाढ़ जैसी स्थिति के बारे में गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल जी से बात की। साथ ही जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की पर्याप्त संख्या में टीमें उपलब्ध हैं।

*सरकारी कर्मचारियों के लिए खुशखबरी ! हर अधिकारी को 1.3 लाख तक के मिलेंगे फोन-लैपटॉप*

डेस्क: केंद्र सरकार में काम कर रहे कर्मचारियों के लिए खुशखबरी है. सरकार ने कामकाज के लिए अधिकारियों को करीब डेढ़ लाख रुपये तक की कीमत के मोबाइल फोन, लैपटॉप या अन्य उपकरण देने की घोषणा की है. इसके साथ ही अधिकारी चार साल तक इनका पर्सनल यूज भी कर सकेंगे.

वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने इसे लेकर ज्ञापन के जरिए दिशानिर्देश जारी किए हैं. ज्ञापन के मुताबिक, जिन अधिकारियों के लिए यह सुविधा है वे आधिकारिक कामकाज के लिए 1.3 लाख तक की कीमत का मोबाइल, लैपटॉप, टैबलेट, फैबलेट, नोटबुक, नोटपैड, अल्ट्रा-बुक, नेट-बुक या अन्य उपकरण ले सकते हैं. 

मिलेंगे 1.3 लाख तक के उपकरण

दिशा निर्देशों में यह भी कहा गया कि केंद्र सरकार के उप-सचिव और इससे ऊपर के स्तर के सभी अधिकारी ऐसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण प्राप्त करने के पात्र हैं. अनुभाग अधिकारियों और अवर सचिवों के मामले में 50 प्रतिशत अधिकारियों को ऐसे उपकरण जारी किए जा सकते हैं. उपकरणों की कीमत को लेकर ज्ञापन में कहा गया कि इनकी कीमत एक लाख तक हो सकती है, जिसमें टैक्स शामिल नहीं है. वहीं, ऐसे उपकरण जिनमें 40 प्रतिशत से अधिक मेक-इन-इंडिया कलपुर्जों का इस्तेमाल हुआ है, उन उपकरणों के लिए यह सीमा 1.30 लाख रुपये है और यह राशि टैक्स से अलग है.

4 साल तक निजी इस्तेमाल की भी छूट

ज्ञापन में यह भी में कहा गया, "यदि किसी मंत्रालय/विभाग में अधिकारी को पहले से ही एक उपकरण आवंटित हैं, तो उसे चार साल तक नया उपकरण जारी नहीं किया जा सकता." इसमें कहा गया कि अधिकारी चार साल के बाद इस उपकरण को अपने पास रख सकते हैं. इससे पहले मार्च में एक आदेश आया था, जिसमें ऐसे उपकरण के लिए कीमत 80,000 रुपये तय की गई थी और निजी इस्तेमाल की भी कोई बात नहीं कही गई थी.

कार्यालय ज्ञापन में कहा गया है, "संबंधित मंत्रालय/विभाग को यह सुनिश्चित करना होगा कि उपकरण को अधिकारी को रखने के लिए सौंपने से पहले इसमें से पूरा डेटा साफ कर दिया गया है. 21 जुलाई, 2023 के इस कार्यालय ज्ञापन के बाद 27 मार्च, 2020 को जारी आदेश हट जाएगा, जिसमें ऐसे उपकरणों की कीमत 80,000 रुपये तय की गई थी और व्यक्तिगत उपयोग के लिए उपकरणों को रखने का कोई प्रावधान नहीं था."

ISKCON के संत अमोघ लीला दास ने स्वामी विवेकानंद पर की गई टिप्पणी को लेकर मांगी माफी

डेस्क: इस्कॉन मंदिर के के संत अमोघ लीला दास इन दिनों चर्चा में बने हुए हैं। बीते दिनों उन्होंने स्वामी विवेकानंद पर एक टिप्पणी की थी। इस बयान में उन्होंने स्वामी विवेकानंद के मछली खाने को लेकर बयान जारी दिया था। इस बयान के सामने आने के बाद विवाद शुरू हो गया। इसके बाद अब उन्होंने अपने बयान के लिए माफी मांगते हुए कहा है कि उनका मकसद किसी को ठेस पहुंचाना नहीं था। बता दें कि अमोघ लीला इंटरनेशनल सोसायटी ऑफ कृष्णा कॉन्शियसनेस (ISKCON) से जुड़े हुए हैं। विवेकानंद पर उनके बयान के बाद जब विरोध शुरू हुआ तब इस्कॉन ने उनपर महीने भर का प्रतिबंध लगा दिया था। 

वीडियो बनाकर मांगी माफी

अमोघ लीला दास ने एक वीडियो शेयर करते हुए विवेकानंद मामले पर माफी मांगी है। अपने वीडियो में उन्होंने कहा कि वह किसी को दुखी नहीं करना चाहते थे और न ही बुरा महसूस करवाना चाहते थे। उनसे एक भक्त द्वारा जब सवाल किया गया तब उन्होंने जवाब दिया जिसपर विवाद शुरू हो गया। उन्होंने कहा कि मेरे द्वारा बोली गई बातों से जिनकी भी भावनाएं आहत हुई हैं मैं उनसे माफी मांगता हूं। मैं सभी संतों से माफी मांगता हूं। बता दें कि अमोघ लीला दास के बयान के बाद इस्कॉन ने उनसे दूरी बनाते हुए महीने भर का प्रतिबंध लगा दिया था। 

क्या बोले थे अमोघ लीला दास

इस्कॉन ने अमोघ के बयान पर कहा था कि उनका बयान इस्कॉन के मूल्यों और शिक्षा को नहीं दर्शाते हैं। इस्कॉन ने अमोघ लीला दास के बयानों की निंदा की और कहा कि ये न सिर्फ अपमानजनक है बल्कि ज्ञान की कमी को भी दर्शाता है। बता दें कि अपने प्रवचन के दौरान अमोघ लीला दास से एक भक्तजन द्वारा सवाल पूछा गया था जिसपर उन्होंने स्वामी विवेकानंद के मछली खाने पर सवाल उठाया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि क्या कोई सदाचारी व्यक्ति मछली खाएगा, मछली को भी दर्द होता है। उन्होंने प्रवचन के दौरान स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस पर भी टिप्पणी की थी।

करगिल युद्ध में देश को बचाया, लेकिन अपने परिवार को नहीं बचा सका

मणिपुर हिंसा के दौरान महिलाओं को नग्न करा परेड कराने वाले आरोपितों के विरूद्ध फूटा एक पीड़िता के पति का दर्द



मेरे सामने पत्नी को निर्वस्त्र कर दिया, घर जला दिया, जंगलों में भटकता रहा... पीड़िता के पति ने बयान किया हॉरर की घटना का आंखों देखा हाल

मणिपुर हिंसा के 80 दिन हो गए हैं। तब से लगभग हर रोज राज्य में हिंसा से जुड़ी खबरें आ रही हैं। चार दिन पहले दो महिलाओं के साथ हैवानियत का वीडियो आने से पूरे देश का खून खौल उठा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी घटना पर दुख जताया और दोषियों को सख्त सजा दिलाने का आश्वासन दिया। इस पूरे घटनाक्रम को लेकर राजनीति भी जारी है। इस बीच, हॉरर वीडियो पीड़िता के परिजन ने मीडिया से बातचीत की है।

घटना 4 मई की है। पति ने पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि वो असम रेजिमेंट में सूबेदार रहे हैं। पति ने बताया कि कैसे पुलिस के सामने उनके घर पर हमला हुआ। उनके सामने उनकी पत्नी के भीड़ ने कपड़े फाड़ दिए। लेकिन पुलिस मूकदर्शक बनी खड़ी रही। पति कहते हैं कि वो भारतीय सेना का हिस्सा रहे हैं। कारगिल युद्ध के दौरान देश के लिए लड़े. रिटायरमेंट के बाद गांव आया। कहते हैं कि मैंने देश की रक्षा की, लेकिन दुख इस बात का है कि अपना घर, अपनी पत्नी और साथी ग्रामीणों की रक्षा नहीं कर पाया... मैं दुखी और उदास हूं।

'मैंने अपने देश को तो बचा लिया, लेकिन...'

पति का कहना था कि मैंने करगिल युद्ध में देश को बचा लिया, लेकिन अपने परिवार को नहीं बचा सका। पति कहते हैं कि उनके गांव में तनाव की शुरुआत 3 मई को हुई। हम पुलिस के पास पहुंचे लेकिन उन्होंने मदद नहीं की। 4 मई को हजारों की संख्या में लोग जुटे। उनके हाथों में हथियार थे। ये लोग हमारे गांव आए और घरों में आग लगा दी। हम तीन परिवार एक झाड़ी के नीचे छुपे हुए थे।

'मैंने विरोध किया तो जान से मारने की धमकी दी'

वो कहते हैं कि लूटपाट के बाद उन्होंने हमें ढूंढ लिया। वे मेरी पत्नी और एक अन्य लड़की को अपने साथ ले गए। उन्होंने हमारे सामने अपने कपड़े उतार दिए। जैसे ही एक पीड़िता के पिता और भाई ने उसे बचाने की कोशिश की तो उन्होंने दोनों को मार डाला। फिर उन्होंने मेरी आंखों के सामने मेरी पत्नी और उस दूसरी लड़की को निर्वस्त्र कर दिया। मैं कुछ नहीं कर पाया। जिंदगी में इतनी बेबसी कभी नहीं देखी। भीड़ में शामिल लोगों ने मेरी पत्नी और दूसरी लड़की की परेड शुरू कर दी। गांव वालों के सामने दोनों महिलाओं को पगडंडियों से लेकर घुमाते रहे। जब हमने अपनी पत्नी को बचाने की कोशिश की तो उन्होंने हमें जान से मारने की धमकी दी। मुझसे और लड़की के पिता-भाई से लोगों ने कहा कि मरना नहीं चाहते हो तो यहां से भाग जाओ।

'केंद्र सरकार हस्तक्षेप करे'

वे लोग दोनों महिलाओं को अपने साथ ले गए। यह भयावह था. पूरा मामला पुलिस की मौजूदगी में हुआ। जब लौटकर गांव आए तो घर जला दिया गया था। अपनी जान बचाने के लिए कई दिन तक जंगलों में भटकते रहे। 18 मई को जब हम पुलिस स्टेशन पहुंचे तब शिकायत दर्ज करवा पाए। लेकिन, पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की. पत्नी और गांव की लड़की के साथ रेप किया गया है। हम चाहते हैं कि भारत सरकार इस मामले में हस्तक्षेप करे और पीड़ित परिवारों को न्याय दे।

'दोषियों को सजा दी जाए'

पूर्व सैन्यकर्मी और पीड़ित महिला के पति ने कहा- पुलिस मौके पर मौजूद थी। मैं चाहता हूं कि उन सभी लोगों को कड़ी सजा मिले, जिन्होंने घर जलाए और महिलाओं को अपमानित किया। मैंने देश के लिए कारगिल में लड़ाई लड़ी। श्रीलंका भी गया. पहले और द्वितीय विश्व युद्ध में हमारे परिवार ने भी हिस्सा लिया है। सोचकर बहुत दुखी हो जाता हूं। ऐसा कभी होने की उम्मीद भी नहीं थी। देश के लिए बॉर्डर पर लड़ाई तो देखी है, लेकिन देश के अंदर आपस में ऐसी लड़ाई नहीं देखी थी।

'करगिल युद्ध लड़ा... लेकिन मैं अपनी पत्नी को नहीं बचा सका', मणिपुर की पीड़ित महिला के पति का छलका दर्द

मणिपुर में 3 मई से शुरू हुई हिंसा

बता दें कि इस दरिंदगी का वीडियो सामने आने के एक दिन बाद यानी गुरुवार को मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया था। मणिपुर पुलिस ने कहा, अन्य दोषियों को जल्द गिरफ्तार किया जाएगा। राज्य में 3 मई को पहली बार जातीय हिंसा भड़की। उसके बाद से 160 से ज्यादा लोगों की जान चली गई है। कई लोग घायल हुए हैं। हिंसा की शुरुआत तब हुई, जब कुकी समुदाय ने पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' निकाला और मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल किए जाने की मांग का विरोध किया। मणिपुर की आबादी में मैतेई समुदाय की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है। वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि कुकी और नागा आदिवासी की संख्या 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं।