रिक्शा चालक से विधायक तक का सफर तय करने वाले रत्नेश सदा अब बनेंगे मंत्री, पढ़िए पूरी खबर
डेस्क ; बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हम पार्टी के संस्थापक जीतन राम मांझी के बेटे डॉ. संतोष कुमार सुमन ने मंगलवार को नीतीश कुमार की सरकार से इस्तीफा दे दिया। सुमन सरकार में एससी-एसटी कल्याण मंत्री थे। सरकार ने भी संतोष सुमन का इस्तीफा तत्काल प्रभाव से स्वीकार कर लिया है। राज्य मंत्रिमंडल में उनकी जगह तीसरी बार सोनबरसा (सहरसा) से जीतकर आये जदयू विधायक रत्नेश सदा उनकी जगह शामिल किये जायेंगे। आइए जानते है रत्नेश के राजनीतिक जीवन के सफर के विषय में।
सोनवर्षा सुरक्षित (जिला सहरसा) विधानसभा सीट से 2020 में जदयू से लगातार तीसरी बार विधायक बने रत्नेश सादा का राजनैतिक सफर 1987 से शुरू हो गया था। वे सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर हमेशा सक्रिय रहे। वे जदयू की विभिन्न इकाईयों से राजनीति से निरंतर जुड़े रहे। जदयू महादलित प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष हैं। इससे पहले वे पार्टी में उपाध्यक्ष, प्रदेश महासचिव सह सुपौल जिला संगठन प्रभारी समेत अन्य पदों पर भी रह चुके हैं। पहली बार जदयू के टिकट पर नवंबर 2010 में विधायक बने।
चुनाव आयोग में दायर हलफनामे के अनुसार, उनकी शैक्षणिक योग्यता स्नातक है और उनकी उम्र 49 साल है। कुल घोषित चल एवं अचल संपत्ति 1.30 करोड़ है। उन पर किसी तरह का कोई आपराधिक मुकदमा नहीं है। उनके तीन पुत्र और दो पुत्री हैं। वे सहरसा जिले के कहरा कुट्टी वार्ड नं-6 के रहने वाले हैं। हालांकि रत्नेश सदा अच्छे वक्ता और अपने (मुसहर) समाज में खूब पढ़े लिखे व्यक्ति के रूप में प्रतिष्ठा पाते रहे हैं लेकिन उन्होंने बेहद कठिन परिश्रम से अबतक का मुकाम हासिल किया है।
रत्नेश के पिता लक्ष्मी सदा मजदूर रहे हैं। खुद रत्नेश सदा ने लम्बे समय तक रिक्शा चलाया है। कबीरपंथ को मानने वाले सदा इस रूप में भी बड़ी पहचान रखते हैं। उनकी वाणी सुनने अच्छी तादाद में लोग जुटते रहे हैं। दलित समाज के उत्थान तथा उनकी सेवा के लिए ये सदैव तत्पर तथा प्रयासरत रहे हैं
Jun 14 2023, 10:18