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सीएम योगी के मुरादाबाद पहुंचते ही जय श्रीराम का उदघोष, गूंजा ‘देखो देखो कौन आया-शेर आया शेर आया’

यूपी निकाय चुनाव में भाजपा प्रत्याशी विनोद अग्रवाल के समर्थन में जनसभा करने आए मुख्यमंत्री योगी अदित्यनाथ के स्वागत में जोरगार नारों ने रामलीला मैदान का क्षेत्र गूंज उठा। नारे लगे कि देखो देखो कौन आया-शेर आया शेर आया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश और मुरादाबाद के विकास की उपलब्धि गिनाई और विपक्ष पर जोरदार हमला भी बोला।

रंगदारी न फिरौती, यूपी नहीं किसी की बपौती

मुरादाबाद में खराब मौसम के चलते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करीब दो घंटे के बाद पहुंचे। मुख्यमंत्री के आते ही जय श्री राम के नारों से पंडाल गूंज उठा। इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मुरादाबाद आज देश के एक्सपोर्ट का हब बन चुका है। पीतल नगरी भी अब स्मार्ट सिटी भी बन गई है। योगी ने कहा कि अब यूपी में शांति का माहौल है और कानून का राज स्थापित किया गया है। बोले-यूपी मेंं रंगदारी न फिरौती, अब यूपी नहीं है किसी की बपौती। उन्होंने विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि भाई-बहन की जोड़ी हो या बुआ-बबुआ की जोड़ी, इन्होंने उत्तर प्रदेश को बर्बाद कर दिया था। उन्होंने पीतल नगरी के विकास के लिए भाजपा की जीत को जरूरी बताया और ट्रिपल इंजन की सरकार बनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि बीते नौ वर्षों में देश का विकास हुआ है और गरीबों को योजनाओं का लाभ मिल रहा है। विश्व में देश का मान बढ़ा है। भारत ने कोरोना काल में कईदेशों की मदद की और देशवासियों को मुफ्त वेक्सीन व राशन दिया गया। सरकार गरीबों के साथ किसानों की मदद कर रही है और सभी को किसान सम्मान निधि दी जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का स्वागत महापौर प्रत्याश्ी विनोद अग्रवाल ने किया। इस दौरान प्रभारी मंत्री जितिन प्रसाद, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, नगर विधायक रितेश गुप्ता, एमएलसी जयपाल सिंह व्यस्त, एमएलसी सत्यपाल सैनी, जिलाध्यक्ष राजपाल सिंह चौहान, राज्यसभा सदस्य सुरेंद्र नागर समेत महानगर कमेटी और भाजपा के पार्षद प्रत्याशी शामिल रहे।

श्रीकृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह विवाद पर फिर से मथुरा की अदालत में होगी सुनवाई

डेस्क: मथुरा की श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद के बीच चल रहे जमीन विवाद में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सीधे तौर पर फैसला सुनाने के बजाय मामले को वापस मथुरा की अदालत में भेज दिया है। हाई कोर्ट ने मथुरा की जिला अदालत को इस मामले में फिर से नए सिरे से सुनवाई कर फैसला सुनाने का आदेश दिया है। हाई कोर्ट ने मथुरा की अदालत से यह भी कहा है कि वह इस केस से जुड़े पक्षकारों की सभी दलीलों और आपत्तियों पर विचार करने के बाद ही कोई फैसला पारित करे। 

हाई कोर्ट के फैसले का हिंदू पक्ष ने किया स्वागत

हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद मथुरा जमीन विवाद मामले की जांच एक बार फिर से अब मथुरा की जिला अदालत ही करेगी। यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और शाही ईदगाह मस्जिद ट्रस्ट की याचिका को निस्तारित करते हुए जस्टिस प्रकाश पाडिया की सिंगल बेंच ने आज अपना फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट के फैसले का हिंदू पक्ष ने स्वागत किया है। हिंदू पक्ष के वकीलों का कहना है कि हाई कोर्ट के इस फैसले से केस की सुनवाई दोबारा शुरू होने का रास्ता साफ हो गया है। दोबारा सुनवाई शुरू होने पर उनकी संभावनाएं बरकरार रहेंगी। दूसरी तरफ मुस्लिम पक्ष का कहना है कि वह इस फैसले की समीक्षा करेगा। उसके बाद ही अपनी कोई प्रतिक्रिया देगा।

13.37 एकड़ जमीन हिंदुओं को सौंपे जाने की मांग

दरअसल, साल 2020 में भगवान श्री कृष्ण विराजमान के वाद मित्र के तौर पर मथुरा की अदालत में एक सिविल वाद दायर किया गया। इस वाद में श्री कृष्ण जन्मभूमि से सटी शाही ईदगाह मस्जिद की 13.37 एकड़ जमीन हिंदुओं को सौंपे जाने की मांग की गई। यह दलील दी गई कि जमीन विवाद को लेकर 20 जुलाई 1973 के आपसी समझौते के फैसले को रद्द कर दिया जाए और विवादित जमीन हिंदुओं को दी जाए। मथुरा के सिविल जज ने 30 सितंबर 2020 को यह सिविल वाद यानी अर्जी खारिज कर दी।

1991 के प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट की दी गई दलील

याचिकाकर्ताओं ने इस फैसले को जिला जज की कोर्ट में चुनौती दी। इस रिवीजन अर्जी पर सुनवाई करते हुए जिला जज की अदालत ने 19 मई 2022 को अपना फैसला सुनाया। फैसले में सिविल कोर्ट के वाद खारिज होने के आदेश को रद्द कर दिया गया और सुनवाई करने का आदेश दिया गया। जिला जज के आदेश पर सिविल कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई। जिला जज के इस आदेश को शाही ईदगाह मस्जिद ट्रस्ट और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी। दलील दी गई कि 1991 के प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के तहत इस मामले में सुनवाई नहीं की जा सकती। इसके अलावा जमीन की बाजारू कीमत 25 लाख रुपये से ज्यादा है, इसलिए जिला जज की कोर्ट को मामले में सुनवाई करने का क्षेत्राधिकार ही नहीं है। मस्जिद ट्रस्ट और वक्फ बोर्ड की अर्जी पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने जिला जज के फैसले पर रोक लगा दी थी।

बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के बिहार में धार्मिक कार्यक्रम थम नहीं रहा घमासान, अब नीतीश के मंत्री ने किया विरोध

बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के बिहार में धार्मिक कार्यक्रम पर राजनीति का सिलसिला थम नहीं रहा। एक के बाद एक नेताओं के बयान सामने आ रहे हैं। बिहार की सत्ताधारी महागठबंधन के नेता बागेश्वर सरकार के विरोध में आग उगल रहे हैं तो विपक्षी दल बीजेपी उनके समर्थन में सड़क पर उतरने को तैयार है। तेज प्रताप, जगदानंद और पप्पू के बाद नीतीश कुमार के मंत्री सुरेंद्र राम ने बागेश्वर सरकार पर घातक बड़ा दिया है। 

नीतीश कुमार की सरकार में श्रम संसाधन मंत्री सुरेंद्र राम ने धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के बिहार आगमन पर तीखा बयान देकर प्रदेश में नया सियासी उपद्रव खड़ा कर दिया है। सुरेंद्र राम ने कहा है कि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ढोंगी हैं। वे लोगों को भ्रमित करते हैं। ऐसे ढोंगी बाबाओं की वजह से हिंदू धर्म और सनातन संस्कृति बदनाम हो रही है। ऐसे लोगों का मैं विरोध करता हूं और जनता को भी उनका बहिष्कार करना चाहिए। मंत्री सुरेंद्र राम ने लोगों को धीरेंद्र शास्त्री से बचने की सलाह दी।

मीडिया को दिए बयान में मंत्री सुरेंद्र राम ने कहा कि मैं पंडित धीरेंद्र शास्त्री के प्रवचन कार्यक्रम का बहिष्कार करूंगा और मेरे समर्थक भी उनका विरोध करेंगे। इससे पहले आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के पटना में प्रवचन कार्यक्रम पर विवादित टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि कोई भी आजकल बाबा बन जाता है। ऐसे लोगों को जेल में होना चाहिए। राजद अध्यक्ष ने यहां तक कह दिया कि यह लोग जेल में नहीं हैं। इसका मुझे बहुत अफसोस है।

जन अधिकार पार्टी के सुप्रीमो पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने भी धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के बिहार में धार्मिक आयोजन पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि ऐसे बाबाओं को चाइना बॉर्डर पर भेज देना चाहिए। बिहार में इनके लिए कोई स्थान नहीं है।

बिहार सरकार के मंत्री और लालू प्रसाद के बेटे तेज प्रताप यादव पटना में बागेश्वर सरकार के कार्यक्रम का शुरू से विरोध कर रहे हैं। घोषणा के साथ ही तेज प्रताप ने कहा था कि अगर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बिहार में हिंदू-मुस्लिम कराने आ रहे हैं तो उन्हें एयरपोर्ट पर ही घेर लेंगे और उनका कार्यक्रम नहीं होने देंगे।

इधर भारतीय जनता पार्टी के कई नेता बागेश्वर सरकार के समर्थन में हैं। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने चुनौती दी थी कि किस में हिम्मत है जो बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री के कार्यक्रम को रोक लेगा। पार्टी के विधायक हरी भूषण ठाकुर बचौल ने बाबा के समर्थन में सड़क पर उतरने की चेतावनी दी वहीं, पार्टी के प्रवक्ता अरविंद सिंह ने उनके कार्यक्रम का विरोध करने पर लालू एंड फैमिली पर निशाना साधा। उन्होंने कहा था कि इन लोगों को घोटालेबाज और माफिया लोग अच्छे लगते हैं। जिन से माल मिलता है तो मॉल बनता है।

बता दें कि पटना में 13 मई से 17 मई के बीच पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का पांच दिवसीय धार्मिक कार्यक्रम है। बागेश्वर सरकार बिहार की राजधानी में हनुमान कथा का वाचन करेंगे। इसके पहले 12 मई को भव्य कलश यात्रा का आयोजन किया जाएगा। आयोजक जिला प्रशासन इसकी तैयारी में जुटे हैं। धीरेरेंद्र शास्त्री अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहते हैं। कई जगह उनका समर्थन होता है तो कई जगह उनका विरोध भी किया जाता है।

लगने जा रहा है 05 मई को साल का पहला चंद्रग्रहण, गुस्सा किया तो 15 दिन तक पड़ सकता है भारी, पढ़िए, इस दौरान क्या करें और क्या न करें

साल का पहला चंद्र ग्रहण 05 मई यानी शुक्रवार को लगने जा रहा है। यह एक उप छाया चंद्र ग्रहण होगा , इसलिए यह भारत में दृश्यामान नहीं होगा। लेकिन फिर भी इसका असर देश और दुनिया पर देखने को मिलेगा। चंद्र ग्रहण तब लगता है जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है। इस बार चंद्र ग्रहण तुला राशि में लगने जा रहा है। नामित चंद्र ग्रहण बेहद खास रहने वाला है क्योंकि यह ग्रहण 139 साल बाद बुद्ध पूर्णिमा पर लगने जा रहा है। धार्मिक नजरिए से ग्रहण की घटना को बहुत ही अशुभ माना जाता है। 

05 मई को पड़ने वाला चंद्र ग्रहण एक उप छाया चंद्र ग्रहण होगा जो भारत में दिखाई नहीं देगा। इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। लेकिन यह चंद्र ग्रहण यूरोप , मध्य एशिया , ऑस्ट्रेलिया , अफ्रीका , अटलांटिक , हिंद महासागर और अंटार्कटिका जैसी जगहों पर दिखाई देगा। भारतीय समयानुसार 05 मई को लगने वाला चंद्र ग्रहण संबंधित देशों में रात 08 बजकर 44 मिनट से लेकर मध्य रात्रि करीब 01 बजकर 02 मिनट तक रहेगा।

 

ज्योतिषाचार्य ने बताया 

चंद्र ग्रहण तब होता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा संरेखित होते हैं इसलिए पृथ्वी दोनों के बीच आ जाती है और चंद्रमा कुछ समय के लिए पृथ्वी की छाया में चला जाता है।

चंद्र ग्रहण में गर्भवती महिलाएं रखें निम्न बातों का ध्यान

1. चंद्रग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए।

2. ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को खाना पकाने या खाने से बचना चाहिए।

3. गर्भवती महिलाओं को भूलकर भी चाकू - कैंची या किसी भी धारदार चीज का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

चंद्र ग्रहण के दौरान क्या न करें

1. चंद्र ग्रहण के दौरान क्रोध न करें। क्रोध करने से अगले 15 दिन आपके लिए खतरनाक हो सकते हैं।

2. चंद्र ग्रहण के दौरान भोजन ग्रहण न करें। साथ ही पूजा - पाठ करना भी वर्जित माना जाता है।

3. चंद्र ग्रहण के दौरान किसी भी सुनसान जगह या श्मशान भूमि के पास नहीं जाना चाहिए। इस दौरान नकारात्मक शक्तियां काफी ज्यादा हावी रहती हैं।

4. चंद्र ग्रहण के दौरान व्यक्ति को किसी भी नए काम की शुरुआत नहीं करनी चाहिए। माना जाता है कि ग्रहण के दौरान नकारात्मक ऊर्जा अधिक रहती है।

5. ग्रहण की अवधि में पति - पत्‍नी को अवांछित हरकतों से बचना चाहिए। ऐसा करने से घर की सुख - शांति में खलल पैदा हो सकता है।

चंद्र ग्रहण के दौरान क्या करें।

1. चंद्र ग्रहण के दौरान सिर्फ भगवान के मंत्रों का जप करना चाहिए जो कि दस गुना फलदायी माना जाता है।

2. चंद्र ग्रहण के बाद शुद्ध जल से स्नान करके गरीबों को दान देना चाहिए।

3. चंद्र ग्रहण के बाद पूरे घर को शुद्ध करना चाहिए। ऐसा करने से घर की सभी नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती है।

4. ग्रहण के समय गायों को घास , पक्षियों को अन्न और जरूरत मंदों को वस्त्र दान देने से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है।

 

सर्विदित है कि यह चंद्र ग्रहण रात 08 बजकर 44 मिनट से लेकर मध्य रात्रि करीब 01 बजकर 02 मिनट तक रहेगा। इस चंद्र ग्रहण की अवधि लगभग 04 घंटे 15 मिनट की होगी। साथ ही यह चंद्र ग्रहण तुला राशि में लगने जा रहा है। यहां चंद्रमा केतु की युति बन रही है। इस स्थिति में चंद्रमा की पहली दृष्टि मेष राशि पर होगी। इसलिए इस चंद्र ग्रहण से मेष और तुला राशि वालों को सावधान रहना होगा।

केंद्र सरकार की बड़ी कार्रवाई, जम्मू-कश्मीर में आतंकी समूहों के मददगार 14 मैसेंजर ऐप को किया बैन

डेस्क: केंद्र की मोदी सरकार आतंकी समूहों की कमर तोड़ने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। इसी बीच केंद्र सरकार ने एक और बड़ी कार्रवाई करते हुए जम्मू-कश्मीर में आतंकी समूहों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे 14 मैसेंजर मोबाइल एप्लिकेशन को ब्लॉक कर दिया है। इन ऐप्स का प्रयोग पाकिस्तान से निर्देश प्राप्त करने के लिए किया जाता था। सरकार ने यह कदम रक्षा बलों, खुफिया सूचनाओं और जांच एजेंसियों की सिफारिश पर उठाया है।

सूत्रों के मुताबिक, जिन एप्लिकेशन को सरकार ने ब्लॉक किया है। उन ऐप्स में क्रिपवाइजर, एनिग्मा, सेफस्विस, विकरमे, मीडियाफायर, ब्रायर, बीचैट, नैंडबॉक्स, कॉनियन, आईएमओ, एलिमेंट, सेकेंड लाइन, जांगी, थ्रीमा आदि शामिल हैं। सूत्रों का कहना है कि एजेंसियों ने पाया कि इन ऐप्स के जरिए घाटी में आतंकवादी अपने समर्थकों और ऑम ग्राउंड वर्कर्स के साथ बातचीत करने के लिए कर रहे थे। सरकार ने यह भी पाया कि ब्लॉक किए गए ऐप्स का भारत में कोई प्रतिनिधि नहीं है।

भारत में नहीं है इन ऐप्स का कोई ऑफिस

भारतीय कानून के मुताबिक, जानकारी मांगने के लिए उनसे संपर्क नहीं किया जा सकता था। एजेंसियों ने कई मौकों पर ऐप मैनेजमेंट से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन भारत में संपर्क करने के लिए कोई इनका ऑफिस नहीं था। इन ऐप्स को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69ए के तहत ब्लॉक किया गया है।

सूत्रों ने आगे कहा, इनमें से अधिकतर ऐप्स को यूजर्स को गुमनामी प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया था और इनके फीचर्स की वजह से एजेंसियों को इन यूजर्स तक पहुंचने में दिक्कत हो रही थी। एजेंसियों के माध्यम से गृह मंत्रालय ने पाया था कि ये मोबाइल ऐप आतंकवादियों और उनके सहयोगियों को आतंकी गतिविधियों में शामिल होने में मदद करते थे।

सरकार पहले भी कर चुकी है इस तरह की कार्रवाई

मोबाइल एप्लिकेशन पर केंद्र सरकार की कार्रवाई कोई नई बात नहीं है, क्योंकि सरकार ने इससे पहले भी देश की सुरक्षा को देखते हुए सैकड़ों ऐप्स के खिलाफ इसी तरह की कार्रवाई की है। पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने लगभग 250 चीनी ऐप्स पर भारत की संप्रभुता और अखंडता, भारत की रक्षा, राज्य की सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के प्रतिकूल होने का हवाला देते हुए प्रतिबंध लगाया है। इन ऐप्स में टिकटॉक, शेयरिट, वीचैट, हेलो, लाइक, यूसी न्यूज, बिगो लाइव, यूसी ब्राउजर, जेंडर, कैंस्कैनर जैसे लोकप्रिय एप्लिकेशन, पबजी मोबाइल और गरेना फ्री फायर जैसे लोकप्रिय मोबाइल गेम शामिल हैं।

सीएम भूपेंद्र पटेल के बेटे को ब्रेन स्ट्रोक के इलाज के लिए मुंबई किया गया एयरलिफ्ट


डेस्क: गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के बेटे अनुज पटेल को ब्रेन स्ट्रोक के इलाज के लिए मुंबई एयरलिफ्ट किया गया है। बता दें कि इससे पहले रविवार को सीएम भूपेंद्र के बेटे की अहमदाबाद के एक अस्पताल में ब्रेन स्ट्रोक की सर्जरी की गई थी, जिसके बाद उनकी हालत स्थिर बताई जा रही थी। लेकिन आज बेहतर इलाज के लिए अनुज पटेल को एयरलिफ्ट करके मुंबई ले जाया गया है। बता दें कि अनुज गुजरात के सीएम भूपेंद्र पटेल के इकलौते बेटे हैं। बताया जा रहा है कि 37 साल के अनुज पटेल का मुंबई के हिंदुजा अस्पताल में ब्रेन स्ट्रोक का आगे का इलाज होगा।

अहमदाबाद में हुई ब्रेन स्ट्रोक की सर्जरी

बता दें कि रविवार को अस्पताल ने स्वास्थ्य बुलेटिन में कहा था,‘‘मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के बेटे अनुज पटेल को ब्रेन स्ट्रोक होने के बाद दोपहर 2 बजकर 45 मिनट पर के.डी. अस्पताल में भर्ती कराया गया और उनकी सर्जरी की गई।’’ अस्पताल ने हेल्थ बुलेटिन में उनकी हालत स्थिर बताई और विशेषज्ञ चिकित्सकों की एक टीम की निगरानी में रखा था। जानकारी मिली है कि मुंबई के हिंदुजा अस्पताल के डॉक्टरों ने अहमदाबाद के अस्पताल में भर्ती अनुज के कुछ मेडिकल टेस्ट करवाए थे, जिसके बाद उन्हें मुंबई में भर्ती करवाने की सलाह दी थी। सीएम भूपेंद्र के इकलौते बेटे बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन का काम करतके हैं।

मैसूर में रोड शो के दौरान PM मोदी की गाड़ी के सामने फेंका गया मोबाइल फोन, जांच में जुटी पुलिस

कर्नाटक में विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में बड़ी चूक सामने आई है. मैसूर में रोड शो के दौरान पीएम मोदी की गाड़ी के सामने एक मोबाइल फेंका गया. पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि मोबाइल जानबूझकर किसी ने फेंका है या फूल फेंकते समय यह घटना हुई है.

हालांकि मोबाइल फेंके जाने के बाद स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) के जवानों ने तुरंत उस मोबाइल को पीएम की गाड़ी से दूर कर दिया. बाद में जांच के दौरान सामने आया कि बीजेपी समर्थक द्वारा ही गलती से फोन फेंका गया था. पुलिस ने इसकी पुष्टि की है.

इससे पहले भी कर्नाटक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में सेंध लगाई जा चुकी है. 25 मार्च को एक चुनावी कार्यक्रम के दौरान एक शख्स ने पीएम मोदी की तरफ दौड़ लगा दी थी. यह घटना दावणगेरे में हुई थी.

 

एक शख्स को पीएम की तरफ दौड़ लगाने की कोशिश करते वक्त पकड़ा गया था. मौके पर पुलिसबल मुस्तैद थी. जैसे ही उस शख्स ने भागने की कोशिश की तो पुलिस ने बीच रास्ते में पकड़ लिया था.

ये पूरी घटना दावणगेरे की थी. यहां पीएम मोदी का रोड शो निकाला जा रहा था. सड़क के दोनों तरफ भीड़ जुटी थी और नारेबाजी चल रही थी. इसी बीच, शख्स ने भागकर पीएम तक पहुंचने की कोशिश की थी. पीएम की गाड़ी के पास ये शख्स पहुंच गया था.

बताया गया कि ये शख्स काफिले में घुसने की कोशिश कर रहा था. पीएम के इतने करीब पहुंच जाना गंभीर सवाल माना जा रहा है. बीते तीन महीने के अंदर तीसरी बार पीएम की सुरक्षा में गड़बड़ी से हड़कंप मच गया.

हुबली में पीएम के करीब पहुंच गया था बच्चा

इससे पहले जनवरी में कर्नाटक के हुबली में पीएम मोदी का रोड शो था, तब एक बच्चा पीएम के करीब आ गया था. ये बच्चा छठी क्लास में पढ़ता था और पीएम मोदी को माला पहनाना चाहता था. 

पीएम मोदी का रोड शो जब हुबली से गुजर रहा था उस वक्त वे कार से बाहर थे और लोगों का अभिवादन करते हुए जा रहे थे. तभी सड़क किनारे खड़ा बच्चा अचानक सभी सुरक्षा इंतजामों को धता बताते हुए पीएम मोदी के लगभग करीब पहुंच गया था. 

बच्चे के हाथ में फूलों की माला थी और वह कथित तौर पर पीएम मोदी को माला पहनाना चाहता था. हालांकि पीएम मोदी के साथ चल रहे एसपीजी के जवानों ने तत्काल बच्चे के हाथ से फूलों की माला ले ली थी और बच्चे को वापस भेज दिया था. इस घटना को पीएम की सुरक्षा में चूक माना गया, लेकिन कर्नाटक पुलिस ने इसे सुरक्षा चूक नहीं बताया था. बच्चे का नाम कुणाल धोंगडी है.

पीएम मोदी पर प्रियंका गांधी का तंज, कहा-मेरे भाई राहुल से सीखें, वो देश के लिए गाली क्या, गोली खाने को भी तैयार

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कर्नाटक विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान बयानों की बौछार जारी है। प्रचार के बीच “जहरीले सांप” से लेकर “विषकन्या” तक की एंट्री हो चुकी है।इस बीच शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हुमनाबाद की एक रैली में कहा कि कांग्रेस के लोग मुझे अब तक 91 बार गाली दे चुके हैं। पीएम मोदी के इस बयान पर अब कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने पलटवार किया है। प्रियंका ने पीओम मोदी को अपने भाई और पूर्व कांग्रेस सांसद राहुल गांधी से ससीखने की सलाह दी है।

प्रियंका गांधी ने आज राज्य के जामखंडी में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा कि मैं पहली बार ऐसे प्रधानमंत्री को देख रही हूं, जो जनता के सामने रोता है। वह लिस्ट बना रहे हैं कि उनको कितनी बार गालियां दी गईं। 

प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा- मोदी जी को मेरे भाई से सीखना चाहिए। मेरा भाई कहता है कि मैं देश के लिए गाली क्या, गोली भी खाने को तैयार हूं। पीएम लिस्ट बनवाते हैं कि उन्हें 91 बार गालियां दी गईं। इन लोगों ने मेरे परिवार को जितनी गालियां दी, इसकी लिस्ट बनवाएं तो पूरी किताब छपवानी पड़ेगी।

प्रियंका ने कहा- किसी ने प्रधानमंत्री जी के ऑफिस में बैठकर एक लिस्ट बनाई है। वो लिस्ट जनता या किसानों की समस्याओं की नहीं है। इस लिस्ट में ये जानकारी है कि मोदी जी को किसने और कितनी बार गाली दी है। प्रियंका ने कहा कि मोदी जी को दी गई गालियां एक पेज में आ रही हैं। अगर मेरे परिवार को इन लोगों ने जो गालियां दी हैं, उनकी लिस्ट बनाएं तो किताब पर किताब छपवा लेंगे।

दरअसल, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने चुनावी सभा के दौरान पीएम मोदी को 'जहरीला सांप' कह दिया था। हालांकि, बाद उन्होंने सफाई देते हुए कहा था कि उनका मतलब पीएम मोदी नहीं, बल्कि भाजपा और आरएसएस की विचारधारा से था। इसे लेकर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए पीएम मोदी ने शनिवार को कहा था कि अब तक कांग्रेस पार्टी और उसके नेताओं ने उन्हें 91 बार तरह-तरह की गालियां दी हैं।

मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में चीतों के लिए जगह की कमी, डब्ल्यूआईआई के पूर्व अधिकारी का दावा

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मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में अफ्रीका से लाए गए चीतों के लिए पर्याप्त जगह नहीं है। ये दावा किया है भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) के पूर्व डीन यादवेंद्रदेव विक्रम सिंह झाला ने।उन्होंने एक महीने से भी कम समय में दो चीतों की मौत के बाद ये दावा किया है।

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, डब्ल्यूआईआई के पूर्व डीन यादवेंद्रदेव विक्रमसिंह झाला ने कहा है, “कूनो नेशनल पार्क में इन जानवरों के लिए अपर्याप्त जगह है। हालांकि कूनों में बड़े परिदृश्य के अनुकूल होने पर चीते यहां पनप सकते हैं। जिसमें कृषि भाग, वन्य आवास और एरिया के भीतर रहने वाले अन्य जानवर शामिल हैं।” उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि मेटापॉपुलेशन के रूप में प्रबंधित कई आबादी को स्थापित करना महत्वपूर्ण है, जहां जानवरों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जाता है।

उन्होंने कहा कि पार्क 748 वर्ग किलोमीटर के एरिया में फैला हुआ है, जिसमें से 487 वर्ग किलोमीटर का बफर जोन है। वहीं, विशेषज्ञों कहना है कि एक चीते को करीब घूमने फिरने के लिए तकरीबन 100 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र की जरूरत पड़ती है।

बता दें कि, अफ्रीका के नामीबिया से लाए गए चीतों के पहले जत्थे में शाशा के किडनी फेल होने के बाद पिछले रविवार को दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 6 साल के चीते की मौत हो गई थी। जिसका नाम उदय था। डॉक्टरों के अनुसार, उदय की पोस्टरिपोर्ट में उसके मरने का कारण दिल का दौरा पड़ना था।

तो क्या अब उपराज्यपाल पर फिर भड़केंगे CM केजरीवाल ? LG ने मांग लिया है बंगले पर खर्च हुए 45 करोड़ का हिसाब!

 दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) वीके सक्सेना और सीएम अरविंद केजरीवाल के बीच फिर से नया घमासान शुरू हो सकता है। दरअसल, LG ने केजरीवाल के आवास के रेनोवेशन में हुई कथित घोर अनियमितताओं से संबंधित मीडिया रिपोर्ट्स का संज्ञान लेकर मुख्य सचिव से 15 दिन में रिपोर्ट देने के लिए कहा है। जिसके बाद माना जा रहा है कि, केजरीवाल एक बार फिर LG के खिलाफ मोर्चा खोल सकते हैं और आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता, LG को निशाना बना सकते हैं।  

रिपोर्ट के अनुसार, LG दफ्तर की तरफ जारी किए गए बयान में कहा गया है कि LG ने सीएम अरविंद केजरीवाल के आवास के रेनोवेशन में कथित घोर अनियमितताओं से संबंधित मीडिया रिपोर्टों का संज्ञान लेकर मामले की संवेदनशीलता के मद्देनज़र मुख्य सचिव से मामले से जुड़े तमाम रिकॉर्ड को फ़ौरन सुरक्षित करने और सुरक्षात्मक हिरासत में लेने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही, रिकॉर्ड्स की जांच के बाद 15 दिनों के अंदर इस मामले पर एक तथ्यात्मक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। बता दें कि, भाजपा दावा कर रही है कि दिल्ली के सिविल लाइंस इलाके स्थित सीएम केजरीवाल के सरकारी बंगले के रेनोवेशन पर लगभग 45 करोड़ रुपये लगाए गए हैं। इसमें करोड़ों रुपये के पर्दे, कालीन, विदेशी संगमरमर और टीवी तक लगाए हैं। भाजपा ने नैतिकता के आधार पर केजरीवाल के त्यागपत्र की मांग की थी।

भाजपा के आरोपों पर पलटवार करते हुए 'AAP' के नेता राघव चड्ढा ने कहा था कि CM हाउस 75-80 साल पहले 1942 में बनाया गया था। दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग (PWD) ने ऑडिट के बाद इसके रेनोवेशन की अनुशंसा की थी। वहीं, AAP नेता के दावे के उलट PWD के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था यह रेनोवेशन नहीं था, बल्कि पुराने ढांचे के स्थान पर एक नए ढांचे का निर्माण किया गया है। वहां उनका कैंप ऑफिस भी मौजूद है। इसमें लगभग 44 करोड़ रुपये खर्च हुए है, यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि पुराने ढांचे को नए के साथ बदला गया है।

क्या है पूरा मामला?

सूत्रों से पता चलता है कि 43.70 करोड़ रुपये की स्वीकृत राशि के मुकाबले कुल 44.78 करोड़ रुपये सिविल लाइंस में छह-फ्लैगस्टाफ रोड पर केजरीवाल के सरकारी बंगले के ''अतिरिक्त निर्माण या रेनोवेशन'' पर खर्च किए गए। दस्तावेजों से पता चलता है कि रकम नौ सितंबर, 2020 से जून, 2022 के बीच 5 किस्तों में खर्च की गई। दरअसल, 10 करोड़ से अधिक की रकम का खर्च दिखाने के लिए टेंडर जारी करना पड़ता है, इसलिए दिल्ली सरकार ने 5 किश्तों में 10 करोड़ से कम की राशि निकाली और बिना टेंडर निकाले ही सीएम आवास का रेनोवेशन करवा दिया। दरअसल, नियम के अनुसार, सरकारी कार्य के लिए यदि 10 करोड़ रुपए से अधिक की रकम की आवशयकता होती है, उससे संबंधित फाइल वरिष्ठ अधिकारियों के पास जाती हैं। जिसके बाद टेंडर निकालकर काम करवाया जाता है, जो सबसे कम बोली लगाता है, उसे टेंडर मिल जाता है। इसी को देखते हुए सीएम केजरीवाल के घर को सँवारने के लिए 10 करोड़ रुपए से कम रकम 5 बार आवंटित की गई। जिससे फाइल को अधिकारियों को भेजने की आवश्यता ही नहीं पड़ी। ऐसे में इस मामले में भ्रष्टाचार की भी गुंजाइश है।