डीएम के निर्देश पर अपर समाहर्ता ने फसल अवशेष प्रबंधन से संबंधित से संबंधित किए समीक्षा बैठक, दिए कई निर्देश
नवादा:- जिला पदाधिकारी, नवादा श्रीमती उदिता सिंह के निर्देष के आलोक में श्री उज्ज्वल कुमार सिंह अपर समाहर्ता, नवादा ने अपने कार्यालय प्रकोष्ठ में आज फसल अवशेष प्रबंधन से संबंधित से संबंधित समीक्षात्मक बैठक किए। उन्होंने कहा कि कम्बाईन हार्वेस्टर से फसल कटाई उपरान्त फसल अवषेष खेतों में अनियंत्रित रूप से विखर जाते हैं, जिसके कारण उनका प्रबंधन करना अति आवश्यक है। फसल अवषेष को जलाने से मिट्टी में उपलब्ध सूक्ष्म जीवाणु, मित्रकिट, केंचुआ आदि नष्ट हो जाते हैं, जिससे खेतों में उर्वरा शक्ति कम जाती है जो फसलों के पैदावार और उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इससे किसानों को ही काफी हानि होती है। इसके अलावे हमारे वातावरण में विभिन्न प्रकार की हानिकारक गैसें जैसे-कार्बन आॅक्साईड, कार्बन मनोआॅक्साईड आदि की मात्रा बढ़ जाती है, इससे सभी जीवों पर स्वास्थ्य प्रभावित होती है और पर्यावरण प्रदूषित भी होता है।
अपर समाहर्ता ने कहा कि फसल की कटाई के बाद बचे हुए डंठल, पुआल आदि को फसल अवशेष कहते हैं। पराली वेस्ट नहीं, वेल्थ है। पराली को समुचित प्रबंधन करना आज आवश्यक है। इसके लिए जिले के कृषकों को जागरूक एवं प्रेरित किया जाए। उन्हें बताएं कि फसल अवशेष खेतों में जलाने से केवल और केवल नुकसान ही होता है। कृषक फसल अवशेष का सदुपयोग करें, खेतों में नहीं जलाएं। किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन से संबंधित यंत्रों यथा-कम्बाईन हार्वेस्टर, एसएमएस, स्टॉबेलर आदि के बारे में जानकारी दें।
उन्होंने आज जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला जन सम्पर्क पदाधिकारी को निर्देष दिये कि अपने स्तर से किसानों को जागरूक करने के लिए विभिन्न माध्यमों का उपयोग करें। केवीके शेखोदेवरा के श्री रंजन कुमार वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा कि जिले के प्रगतिशील शिक्षकों को फसल अवशेष प्रबंधन के लिए प्रशिक्षण देने की आवष्यकता है। जिला शिक्षा पदाधिकारी को इसके लिए आवष्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया।
कहा कि किसान फसलों के अवशेष (खूंटी, पुआल, भूसा आदि) को खेतों में नहीं जलाए इसके लिए जिलास्तर पर विभिन्न विभागों यथा-कृषि विभाग, वन एवं पर्यावरण विभाग, स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग, ग्रामीण विकास विभाग, पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, सहकारिता विभाग, पंचायती राज विभाग, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग आदि को समन्वय स्थापित कर आवश्यक कार्रवाई करना है।
उन्होंने कहा कि फसल अवशेष पशु चारा बनाने में, कम्पोस्ट निर्माण, विद्युत उत्पादन, प्लेट/कटोरी/पैकेजिंग सामग्री आदि उत्पाद का निर्माण के कार्यों में उपयोग किया जा सकता है। नवादा जिला में फसल अवशेष प्रबंधन के लिए हर संभव प्रयास किए जाए। विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन के द्वारा फसल अवशेष का प्रबंधन किया जा रहा है।
गुंजन कुमार सहायक निदेषक कृषि ने बताया कि स्ट्रा बेलर यंत्र के माध्यम से फसल अवशेष को जमीन से उठाकर दबाव के साथ 15 से 25 किलोग्राम का सलेंडर के रूप में परिवर्तित कर देता है, जिससे आसानी से फसल प्रबंधन किसान कर सकते हैं। यह प्रति घंटा साढ़े सात क्विंटल फसल अवशेष को सिलेंडर के रूप में बदल देता है। एक एकड़ खेत से 05 घंटे में सभी फसल अवषेष को सिलेंडर के रूप में परिवर्तित कर देता है। इसपर सरकार के द्वारा काफी अनुदान दी जाती है। समान्य जाति के लिए 02 लाख 25 हजार रूपये एवं एससीएसटी एवं अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिए 02 लाख 50 हजार रूपये दी जाती है। इसके अलावे किसान स्ट्रा रिपर और स्ट्रा बेलर (इक्वायर बेलर) का भी प्रयोग कर सकते हैं।
आज की बैठक में श्री सत्येन्द्र प्रसाद जिला जन सम्पर्क पदाधिकारी, डॉ0 रंजन सिंह वरीय वैज्ञानिक-सह-प्रधान कृषि विज्ञान केन्द्र नवादा, गुंजन कुमार सहायक निदेषक कृषि अभियंत्रण, श्री बीरेन्द्र कुमार जिला शिक्षा पदाधिकारी नवादा, श्री राम कुमार प्रसाद सिविल सर्जन नवादा के साथ अन्य पदाधिकारीगण उपस्थित थे।
Apr 14 2023, 10:55