*मंगल पांडेय ने देश के युवाओं में नव चेतना जगाई, उनकी फांसी ने क्रांति की नई इबारत लिखी- बृजेश राम त्रिपाठी*
गोरखपुर- अखिल भारतीय क्रांतिकारी संघर्ष मोर्चा एवं गुरूकृपा संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में मां भारती के अमर सपूत मंगल पांडेय के 166वें बलिदान दिवस को वैचारिक संगोष्ठी द्वारा बड़े शिद्दत से याद किया गया। मंगल पांडेय ने देश के युवाओं में नव चेतना जागृत करने का कार्य किया था। उनके योगदान को कभी विस्मृत नहीं किया जा सकता।
संगठन के प्रमुख बृजेश राम त्रिपाठी ने कहा कि प्रथम स्वाधीनता संग्राम 1857 में क्रांति की बिगुल फूंक सशस्त्र आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले बलिया निवासी क्रांतिकारी मंगल पांडेय ब्रिटिश शासन के ईस्ट इंडिया कंपनी की 34वीं बंगाल एंफ्रेंट्री में सिपाही थे। अंग्रेजी हुकूमत ने उन्हें आजादी के आंदोलन का षड्यंत्रकारी बताते हुए बागी करार दिया और 8 अप्रैल 1857को फांसी पर लटका दिया। समूचा देश मंगल पांडेय को आजादी की लड़ाई के महानायक के रूप में मानता और सम्मान देता है।
अनिरुद्ध पांडेय एडवोकेट ने गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कहा कि ब्राह्मण कुल में जन्मे मूलतः उत्तर प्रदेश के बलिया निवासी सनातनी धर्मावलंबी मंगल पांडेय ने गाय की चर्बी मिले कारतूस को मुंह से काटने से मना कर दिया जिस पर तिलमिलाए फिरंगियों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। महेश चंद्र दूबे और सुनील शुक्ला ने कहा कि मंगल पांडेय अपने साथी सैनिकों से बार-बार यही कह रहे थे कि अंग्रेज हमारे धर्म को भ्रष्ट कर रहे हैं। उन्होंने प्रतिज्ञा की की जो भी अंग्रेज उनके सामने आएगा उसे वह मार देंगे। मंगल पांडेय ने 29 मार्च 1857 को विद्रोह कर दिया।
गोष्ठी का संचालन करते हुए उमेश राय ने अपने संबोधन में कहा की भारत का राष्ट्रगीत 'वन्दे मातरम्' भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के कालखंड में क्रान्तिकारियों का प्रेरणादायक बन गया था। जिसके रचयिता बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय है उनकी आज 8अप्रैल को 129वीं पुण्यतिथि मनाई गई। इस अवसर पर सुदामा गोंड, उमेश पाठक, केशव पांडेय, प्रदीप त्रिपाठी, अभिषेक त्रिपाठी, रमा पांडेय, शिवांगी पांडेय उपस्थित रहे।
Apr 09 2023, 18:02